दोस्तो, मेरा नाम रजनी है, मैं 38 साल की हूँ, शादी नहीं हुई है।
मैं अन्तर्वासना की नियमित पाठिका हूँ, अपने मोबाइल पे लैपटाप में मैं अक्सर अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ती हूँ। अब जब आप सेक्सी कहानी पढ़ रहे हो तो ज़ाहिर से बात है के लड़का हो या लड़की हस्तमैथुन तो करते ही हैं, मैं भी करती हूँ.
मुझे इस बात को कबूल करने में कोई शर्म नहीं है कि मेरे दिमाग में हर वक़्त सेक्स और सिर्फ सेक्स रहता है, मैंने अपने घर के अलावा अपने ऑफिस में भी बहुत बार हस्तमैथुन किया है।
अब आप सोच रहे होंगे कि मैं 38 साल की हूँ, इतना हस्त मैथुन करती हूँ, तो किसी से चुदवा क्यों नहीं लेती।
मैं आपको बताना चाहती हूँ कि मेरी बहुत सी समस्याएँ हैं, जिस वजह से मैं आज तक सेक्स नहीं कर पाई।
पहली प्रोब्लम यह कि बचपन से ही मेरी दोनों टाँगें खराब हैं, जिस वजह से मैं आज तक चल नहीं पाई, सारी ज़िंदगी मेरी व्हील चेयर पे गुज़र रही है।
दूसरी, मेरा रंग साफ नहीं, सांवला है, चेहरा भी सुंदर नहीं, नैन नक्श कुछ भी अच्छा नहीं। बदन की भारी हूँ, इसलिए आज तक किसी भी लड़के या मर्द ने मुझपे लाइन नहीं मारी, ऑफिस में सब मेरे अच्छे व्यवहार के कारण मेरी बहुत इज्ज़त करते हैं, मगर मुझे प्यार कोई नहीं करता।
पिताजी नहीं है, माँ ने हम दोनों बहनों को पढ़ाया, लिखाया, मेरी छोटी बहन आँचल, मुझसे बिल्कुल उलट है, गोरी, पतली, सुंदर, इसी वजह से उस पर सब लाइन मारते हैं। उसे भी बहुत गुरूर है इस बात का कि वो सुंदर है.
हम दोनों बहनों को कम ही बनती है, अक्सर वो मुझे मेरे रंग रूप और मेरी हालत के कारण नीचा दिखाती है, जबकी मैं उसको बहुत प्यार करती हूँ और उसकी हर बात का ख्याल रखती हूँ।
स्कूल में आँचल मुझसे 2 साल पीछे थी, मगर शैतानियों में मुझसे 2 साल आगे, जब मैं 10 में थी, तभी मेरी क्लास की लड़कियों ने मुझे बता दिया था कि आँचल गलत रास्ते पर जा रही है, उसने बहुत से लड़कों से दोस्ती कर रखी है.
जब मैंने उसे समझाना चाहा कि अभी उसकी उम्र नहीं है, इस सब के लिए अभी वो बहुत छोटी है, तो उल्टा उसने मुझे भी भला बुरा कहना शुरू कर दिया।
मैं चुप हो गई।
माँ को बताया तो उसने माँ की भी परवाह नहीं की। माँ भी उसे डांट डपट कर चुप हो गई।
आँचल की आवारागर्दी के किस्से सारे स्कूल में मशहूर थे। मेरी क्लास के लड़के भी उस पर लाइन मारते थे और आँचल सिर्फ छोटी मोटी फर्माइशों के पूरा होने पर ही सब से दोस्ती कर लेती थी। फिर एक दिन मेरी ही एक सहेली ने बताया कि कल आँचल अपने तीन दोस्तों के साथ, जो स्कूल के सब से बदमाश लड़के थे, किसी होटल में गई थी।
मतलब साफ था कि आँचल उस दिन अपनी कच्ची जवानी एक साथ तीन तीन मुश्टंडो को लुटवा चुकी थी।
उस दिन मेरे दिल में पहली बार टीस उठी कि काश अगर मैं भी सुंदर होती, स्वस्थ होती, तो हो सकता है, आज मैं भी अपनी किसी बॉय फ्रेंड के साथ सेक्स करके मजा लेती।
शाम को मैंने आँचल से पूछा, तो वो बोली- दीदी जवानी बार बार नहीं आती, अब अगर आई है तो इसका मजा लो, मैंने तो खूब मज़ा लिया, अब आप नहीं ले सकती तो आपकी प्रोब्लम है, मैं तो इसी तरह अपनी ज़िंदगी का भरपूर मजा लूँगी।
मैं खून का घूंट पी कर रह गई।
कॉलेज पास किया, मगर आँचल की आवारागर्दी और मेरी बदकिस्मती में कोई कमी नहीं आई। कॉलेज के बाद हमने जैसे तैसे आँचल की शादी कर दी। मगर शादी के बाद भी उसने इधर उधर मुँह मारना नहीं छोड़ा।
मेरी किस्मत में ना तो शादी थी, और न ही कोई बॉयफ्रेंड… तो मैंने नौकरी करने की सोची।
बहुत जगह अप्लाई किया और नौकरी भी मिल गई। तनख्वाह बहुत अच्छी थी, मेरा और माँ का गुज़ारा बहुत अच्छे से चल रहा था। दिन तो ऑफिस में सबके साथ हंस बोल कर कट जाता था, मगर रात को नींद न आती, अक्सर मैं अकेली पड़ी सोचती, मैंने ऐसा क्या गुनाह किया जो भगवान ने मुझे ऐसी सज़ा दी, मैं एक लंड देखने को तरस रही हूँ, और मेरी ही छोटी बहन गिन भी नहीं सकती कि उसने कितने लंड खाये होंगे।
जब आग भड़कती तो अपना ही हाथ अपनी सलवार में डालती, अपनी ही उंगली से अपनी चूत का दाना मसलती, कभी अपनी उंगलियाँ अपनी चूत में डालती, रातों को तड़पती, छटपटाती, कभी कभी तो रो भी देती, मगर क्या करती जब कोई मर्द मेरी तरफ देखता भी नहीं।
ऑफिस में जो कोई भी मर्द मेरे पास खड़ा होता, मैं अक्सर सोचती के इसकी पेंट के अंदर भी एक लंड होगा, इसकी गर्ल फ्रेंड या इसकी बीवी उस लंड को अपने मुँह में लेकर चूसती हो, अपनी चूत में लेकर मजा लेती होगी, मेरी किस्मत में ये सब मजा क्यों नहीं है।
ऐसे ही एक दिन, मैं अपने लैपटाप पे सेक्सी कहानियों के लिए सर्च कर रही थी, तो मुझे अन्तर्वासना की साईट मिली, मैंने साईट खोल कर देखी और एक से बढ़कर एक सेक्सी कहानियाँ पढ़ी।
उस रात मैंने लगातार तीन बार हाथ से किया, कहानी पढ़ी, चूत मसली, कहानी पढ़ी, चूत मसली… सच में बहुत मजा आया।
उसके बाद तो मैं रोज़ ही नई नई कहानियाँ पढ़ने लगी।
मगर जितनी कहानियाँ पढ़ती उतनी ही आग मेरे बदन में लगती। बदन का ऊपर का हिस्सा मेरा काफी भारी है, बहुत बड़े बड़े बोबे हैं मेरे, मगर सब मर्द सिर्फ देखते ही थे, कभी किसी ने इतनी हिम्मत नहीं की कि मेरे बोबे पकड़ कर दबा ही देता।
सच में अगर कोई भी मर्द ये हिम्मत करता तो मैं बिल्कुल बुरा नहीं मानती। मगर किसी ने कभी भी मेरे साथ कोई बदतमीजी नहीं की। सारे ऑफिस का स्टाफ, पड़ोसी, लिफ़्टमैन, वाचमैन सब मैडमजी मैडमजी कहते, मगर मेरे कान तरसते थे, डार्लिंग, जानू सुनने के लिए!
आँचल के पति को गाली देने की बहुत आदत थी, मैं भी चाहती थी कोई मुझे भी साली मादरचोद भैण की लौड़ी जैसे नामों से बुलाये।
एक और वाकया सुनाती हूँ, एक बार मैं आँचल और उसके पति के साथ कहीं गए थे, मैं उनकी कार में पीछे वाली सीट पर बैठी थी, आँचल आगे थी।
रास्ते में हम एक जगह रुके, तो आँचल और उसका पति एक ढाबे पे कुछ खाने को लेने के लिए गए, मैं कार में ही बैठी रही।
सामने थोरी दूर सड़क के किनारे खड़ा एक आदमी पेशाब कर रहा था, मुझसे सिर्फ 10 कदम की दूरी पर था, पहली बार मैंने अपने इतनी नजदीक किसी मर्द का लंड देखा था, काला सा मगर मुरझाया सा था।
मैं देखते देखते सोचने लगी, क्या मैं इस लंड को चूस सकती हूँ? ‘हाँ चूस लूँगी’ मैं ज़ोर से बोली।
कार के शीशे बंद थे, तो किसने मेरी आवाज़ सुननी थी, मैं फिर से बोली- अरे भाई साहब, अपना लंड चुसवाओगे?
चाहे उस आदमी तक मेरी आवाज़ नहीं पहुंची, मगर मेरे दिल को बड़ा सुकून सा मिला।
पेशाब करके जब वो अपना लंड झाड़ रहा था, तभी उसका ध्यान मेरी तरफ गया, मैं फिर भी उसकी तरफ देखती रही, हम दोनों की नज़रें मिली, उसने अपने लंड को मेरी तरफ उठाया, जैसे पूछा हो- चाहिए क्या?
मैंने उसका इशारा समझ लिया और हाँ में सर हिलाया।
उसने आस पास देखा, सड़क पर सिर्फ आने जाने वाली गाड़ियां ही थी, वो थोड़ा सा मेरी तरफ घूमा, और मुझे देख कर उसने अपना लंड हिलाया।
मेरा दिल चाहे के अंचल और उसका पति अभी और देर लगाएँ, ताकि मैं इसके काले लंड को और निहार सकूँ।
उस आदमी ने फिर मेरी तरफ अपना लंड हिलाया, मैं भी लगातार उसको और उसके लंड को घूरे जा रही थी, अपनी तरफ से मैंने उसे पूरी तरह जता दिया कि मुझे उसका लंड चाहिए।
मगर तभी आँचल और उसका पति आ गए और वो आदमी वहाँ से गायब हो गया।
सच में मुझे बड़ा अफसोस हुआ कि काश ऐसा मौका बन जाता और मैं उसके लंड को छू के देख सकती, चूस सकती, उसे अपनी गीली चूत में ले सकती, मगर ये हो न सका।
वक़्त बीतता गया, दिन, महीने साल बदलते गए, 25 से मैं 30 की हो गई, 30 से 35 की और फिर 38 की। मगर जब आप कुछ चाहते हो न, तो कभी न कभी भगवान भी आपको उस चीज़ को हासिल करने का मौका दे देता है।
मेरी ज़िंदगी में और कुछ भी न था, घर में बीमार माँ, और ऑफिस में काम। और इस दिन रात की भागदौड़ में मेरी प्यासी चूत, जिसमें मैं अक्सर कुछ न कुछ लेकर अपनी काम ज्वाला को शांत करने का प्रयास करती।
मगर इतनी सारी सेक्सी कहानियाँ पढ़ कर, और इंटरनेट पर सेक्सी वीडियोज़ देख कर मैं भी अपनी ज़िंदगी में एक बार सेक्स करने के लिए तरस रही थी।
फिर एक दिन जब मैं अपने ऑफिस से अपने घर आई, तो हमारी बिल्डिंग में मैंने नया लिफ़्टमैन देखा, पुराना वाला काम छोड़ कर चला गया, तो ये नया आया था। कोई 30 एक साल का होगा। रंग का काला मगर सेहत अच्छी थी।
मैं व्हील चेयर के साथ ही लिफ्ट में जाती तो वो अक्सर मुझे मेरी व्हील चेयर धकेल कर मेरे फ्लैट तक छोड़ जाता।
अगले दिन सुबह लिफ्ट से हमारी स्टाफ बस तक छोड़ गया। अभी तक कोई ऐसी बात नहीं हुई थी। कभी कभी वो मेरे लिए, छोटे मोटे काम भी करने लगा। पता नहीं वो मेरी मदद कर रहा था, या उसके दिमाग में कुछ और चल रहा था, मगर मेरे दिमाग उसकी बिल्कुल साफ तस्वीर थी, और वो थी, उसके नंगे बदन और खड़े हुये लंड की।
मगर उसने कभी कोई गलत हरकत नहीं की।
एक दिन मैं अपने घर पर ही थी, छुट्टी का दिन था, आँचल और उसका पति आए तो माँ को अपने साथ ले गए, शाम को मैं घर में अकेली थी। अकेली थी तो अपने पसंदीदा काम पे लग गई, लैपटाप खोला, अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पे गई और एक सेक्सी कहानी पढ़ने लगी।
कहानी पढ़ते पढ़ते जब हाथ चूत पर गया तो अपनी चूत मसलते मसलते हुये सोचने लगी अगर कोई मुझमें इंटरेस्ट नहीं दिखाता तो ऐसा क्या करूँ कि देखने वाला मेरी तरफ आकर्षित हो।
शैतान दिमाग में एक नई खुराफात ने जन्म लिया। मैंने अपनी अलमारी खोली, उसमें से अपनी एक टीशर्ट निकाली, अपने सारे कपड़े उतार दिये, पहले बिल्कुल नंगी हो गई, फिर वो पतली सी टीशर्ट पहन ली, जिसमें से मेरे दोनों निप्पल साफ साफ दिख रहे थे, नीचे सिर्फ एक छोटी से पेंटी पहन ली।
फिर अपनी व्हील चेयर से उतार कर नीचे फर्श पर लेट गई, और फिर फोन करके रघु लिफ़्टमैन को बुलाया।
मैंने ऐसे जताया कि मैं अपनी व्हील चेयर से नीचे गिर गई हूँ।
वो जब अंदर आया तो मैं उस वक़्त फर्श पर उल्टी गिरी पड़ी थी, बदन पर सिर्फ एक पतली सी टी शर्ट और चड्डी, चड्डी में कैद साँवले मगर मोटे मोटे चूतड़, टाँगें बिल्कुल नंगी। मैं रघु को अपनी गांड का पूरा दर्शन करवाया।
उसने अंदर आते ही पहले मुझसे पूछा- क्या हुआ, मैडमजी?
और फिर बिना मुझसे पूछे मुझे उठाने लगा, उठाते वक़्त उसने अपनी दोनों मजबूत बाहें मेरे बदन पे लिपटाई, मुझे उठा कर बेड पे बिठाया, बेशक वो मेरे मोटे मोटे चूचों को घूर रहा था, मगर मैंने उसकी परवाह नहीं की।
‘रघु, थोड़ा पानी पिला दे!’ वो किचन से मेरे लिए पानी का गिलास भर लाया, मगर पीते वक़्त मैंने खांसी का नाटक किया और गिलास में से काफी सारा पानी अपनी टीशर्ट पर गिरा लिया, जिससे मेरी टी शर्ट और भी पारदर्शी हो गई, अब तो मेरे दोनों बोबे और निप्पल बड़े साफ साफ दिख रहे थे।
खांसी होने पर रघु मेरे पास आया और मेरी पीठ सहलाने लगा, मेरी खांसी थम गई।
मैंने रघु से कहा- मेरे तो कपड़े गीले हो गए, क्या तुम उस अलमारी से मेरे लिए और कपड़े निकाल दोगे, पहले भी अलमारी से कपड़े लेने गई थी, जब मैं गिर गई थी।
‘जी मैडम!’ कह कर रघु ने अलमारी खोली, तो सामने मेरे डिज़ाइनर ब्रा पेंटी टंगे थे।
मैंने लैपटाप पर एक सेक्सी सी वीडियो चलाई, आवाज़ बंद करके… उसने भी जानबूझ कर मेरे उन ब्रा पेंटी को छू कर देखा, और मेरे लिए एक कमीज़ निकाल लाया।
मैंने कहा- अरे नहीं रघु, घर में मैं सिर्फ टी शर्ट पहनती हूँ।
तो वो फिर से अलमारी में घुसा और एक टीशर्ट उठा लाया।
फिर मैंने दूसरी चाल चली, उससे कहा- अरे टीशर्ट तो ले आया, एक ब्रा भी पकड़ा दे!
वो फिर से अलमारी के पास गया, उसने एक ब्रा उठा कर दी- ये लीजिये।
मैंने कहा- अरे नहीं ये नहीं कोई और दे!
उसके बाद उसने दो तीन ब्रा उठा उठा कर मुझे दिखाई, मगर मैं हर बार उसे मना कर देती- नहीं ये नहीं, दूसरी वाली दे।
शायद वो भी समझ गया था कि मैं उसे बना रही हूँ। उसने सभी ब्रा उठाई और मेरे पास लाकर बेड पे रख दी और बोला- आप खुद ही पसंद कर लो।
मैंने एक सामने से खुलने वाली ब्रा उठा ली- बाकी वापिस वहीं रख दो।
ब्रा रख कर उसने अलमारी बंद की- और कुछ, मैडम?
उसने पूछा।
मैंने हल्के से बुदबुदाया- तेरा लंड!
वो जाने लगा तो मैंने उससे पूछा- अरे सुन, तू दारू पीता है?
वो बोला- हाँ, पीता हूँ।
मगर इस बार उसकी आँखों में चमक थी, उसने पूछा- आपको चाहिए क्या?
अब मैंने एक दो बार बीयर तो पी थी, सो मैंने कहा- नहीं, मैं दारू नहीं पीती, हाँ बीयर पी लेती हूँ।
ऑफिस में अपने दोस्तों के साथ मुझे बीयर पीने का आदत सी पड़ गई थी, ज़्यादा नहीं पर एक गिलास बीयर मैं हर दूसरे तीसरे दिन पी लेती थी। अक्सर फ्रिज में भी बीयर लाकर रख लेती थी कि जब दिल किया निकाल के पी ली।
मैंने रघु की आँखों में देख कर पूछा- मुझे ला देगा?
वो बहुत खुश हो कर बोला- कितनी?
मतलब मेरा दारू वाला पत्ता काम कर गया, वो दारू बीयर का शौकीन था, और मेरा काम बन सकता था।
मैंने कहा- एक मेरे लिए और एक अपने लिए!
वो बोला- बस एक?
मैंने कहा- मैं तो एक ही पी सकती हूँ, तुझे दो पीनी है तो दो ले आ!
वो बड़ा खुश हुआ।
मैंने उसे पैसे दिये, और बीयर के साथ नमकीन भी लाने को कहा।
उसके जाने के बाद मैंने अपनी टी शर्ट उतारी, और पेंटी भी उतार दी, बाथरूम में जा कर अपनी झांट के जो थोड़े बहुत बाल बढ़ गए थे शेव कर दिये। वापिस रूम में आकर मैंने टीशर्ट पहनी मगर टीशर्ट के सामने के चारों बटन खोल दिये, ताकि मेरा बड़ा सा क्लीवेज दिखे।
मन में सौ तरह के ख्याल आ रहे थे, क्या मैं रघु को पटा पाऊँगी, क्या वो मुझसे सेक्स करेगा?
क्या सच में आज मेरी चूत को एक लंड खाने को मिलेगा?
अगर वो न माना तो?
अगर कुछ भी न हुआ तो?
मगर मैंने इन सब नेगेटिव ख्यालों को कचरे में डाल दिया और अपनी टाँगों पर चादर लपेट कर बैठ गई। मैं नहीं चाहती थी कि अगर रघु मुझे चोदना चाहे तो पेंटी उतारने में टाइम खराब हो।
करीब 20 मिनट बाद वो आया, उसके हाथ दो लिफाफे थे।
लिफाफे मेरे पास रख कर वो रसोई में गया, दो गिलास, बर्फ, प्लेट चम्मच वो सब उठा लाया। दो मिनट में ही उसने मेरे सामने महफिल सजा दी।
उसने दो गिलासों में बीयर डाली, एक गिलास मुझे दिया और एक खुद उठाया, हमने चीयर्ज कह कर गिलास टकराए, मैंने तो अभी दो घूंट ही भरी, उसने तो आधा गिलास गटक लिया।
नमकीन से मुँह भर कर वो बोला- मैडम जी, मैं तो आपकी शुरू से ही बहुत इज्ज़त करता हूँ, आप ही हैं जो मुझसे भी प्यार और इज्ज़त से बात करती हैं।
मैं समझ रही थी कि इसे बीयर के लिए साथ मिल गया तो मुफ्त की चापलूसी कर रहा है।
मैंने भी उसकी हाँ में हाँ मिलाती रही।
जब एक एक गिलास खतम हो गया, तो मैंने नोटिस किया के उसका ज़्यादा ध्यान मेरे क्लीवेज की ओर था, और वो बात करते करते बार बार मेरे क्लीवेज को घूर रहा था, और यही मैं भी चाहती थी कि वो देखे, न सिर्फ देखे बल्कि मेरे बोबे पकड़ कर दबा दे।
मैंने दूसरे गिलास के बाद बीयर नहीं ली, मगर वो डाल डाल के पीता रहा। सारी नमकीन खा गया, दोनों बोतल बीयर की भी पी गया।
मैंने पूछा- रघु, और कुछ पियोगे?
और कुछ से मेरा मतलब, मेरी चूत या चूची था, मगर वो बोला- मैं अभी एक बीयर और पीऊंगा, आप पैसे दो, मैं लेकर आता हूँ।
मगर मैं उसे इस मूड मे कहीं भेजने की इच्छुक नहीं थी, मैंने कहा- एक बीयर तो शायद फ्रिज में पड़ी हो।
वो उठ कर गया और फ्रिज से एक बीयर की बोतल उठा लाया, उसने खोली, मुझसे पूछा, मगर मैंने मना कर दिया।
वो बीयर की बोतल को मुँह लगा कर ही पीने लगा। मौका देख कर मैं भी अधलेटी सी हो गई, ताकि टी शर्ट में से वो मेरे बड़े बड़े चूचे और चादर की साइड से वो मेरे नंगे चूतड़ के दर्शन कर सके। गटागट वो सारी बीयर पी गया, पी के बोला- मैडम जी कोई और खिदमत हो तो बोलिएगा?
मैंने कहा- और क्या खिदमत कर सकता है मेरी?
वो बोला- जो आप कहो, जो आप कहो, आपके लिए तो जान भी हाजिर है।
मैंने मौका संभालते हुये कहा- और तो कुछ नहीं, बस मुझे बाथरूम जाना है।
वो बोला- मैडम मैं लेकर चलूँ?
मैंने उससे कहा- गोद में उठा लेगा?
वो मेरे पास आ कर झुका और चादर सहित मुझे गोद में उठा लिया- लो मैडम जी!
कह कर वो मुझे बाथरूम में ले गया।
बाथरूम में ले जा कर उसने मुझे पॉट पर बिताया तो मैंने बिना किसी शर्म के अपनी चादर उतार दी। उसने मेरी नंगी हालत देखी तो बोला- मैडम जी, जब मैं बीयर लेने गया था, तब तो आपने पेंटी पहनी थी, फिर?
मैं चुप रही सिर्फ पेशाब करते करते उसकी ओर देखती रही। पेशाब करके मैंने पानी से अपनी चूत धोई, उसने बिना कुछ कहे मुझे उठाया और बेड लेजा कर बैठा दिया। अब मुझे अपनी इच्छा उस पर पूरी तरह से ज़ाहिर करनी थी।
मैंने अपनी एक टांग उठाई, इधर रखी, दूसरी टांग उठाई, उधर रखी, और दोनों टाँगें फैला कर लेट गई, और रघु की और देखने लगी।
अब रघु भी कोई बच्चा तो था नहीं, बिना कुछ कहे उसने अपनी कमीज़ उतार दी, पैंट खोली, बनियान उतार दी।
उसकी ब्राउन चड्डी में से उसका लंड जो खड़ा हुआ था, साफ दिख रहा था। उसने चड्डी भी उतारी और सीधा मेरी टाँगों के बीच में आ गया, काले रंग का काले टोपे वाला उसका 6 इंच का लंड बिल्कुल काले नाग की तरह था।
मैंने उसका लंड पकड़ा और अपनी चूत पे रख दिया। उसने मेरी दोनों टाँगें उठा कर अपने कंधों पे रखी, मुझे थोड़ा और नीचे को खिसकाया और अपने लंड को ज़ोर लगा कर मेरी चूत में डाल दिया।
‘आह…’ मेरे मुँह से आश्चर्य और आनन्द से निकला।
अभी तक मैं सिर्फ उंगली, पेन, खीरा, बैंगन वगैरह ही अपनी चूत में लेती थी, 38 साल में पहली बार कोई लंड मेरी चूत में घुसा था।
‘कैसा लगा मैडम जी?’ रघु ने पूछा।
मैंने कहा- पूछ मत रघु, 38 साल बाद इस कमीनी चूत के भाग जागे हैं, जो कर सकता है कर ले मेरे साथ, आज पहली बार कोई मुझे चोद रहा है। खूब मजा दे मुझे!
वो बोला- अरे जानेमन, ऐसा मजा दूँगा कि सारी उम्र याद करोगी, रानी बना कर रखूँगा!
कह कर उसने और ज़ोर लगाया, और उसका सारा का सारा लंड मेरी गीली चिकनी चूत में घुस गया.
‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
मैंने अपनी टी शर्ट भी उतार दी।
‘अरे बाप रे इतने बड़े बोबे!’ रघु बोला- मैंने आज तक इतने बड़े किसी के बोबे नहीं देखे।
मैंने कहा- तो देखता क्या है, दबा इन्हें, चूस जी भर के!
अभी तक मैं खुद ही अपने बोबे पी कर मजा करती थी, मगर मर्द की हर बात में अपना मज़ा है, जब रघु ने मेरे बोबों पर हाथ फेरा तो मुझे बहुत मजा आया और जब उसने मेरे निप्पल मुँह में लेकर चूसे और भी अधिक आनन्द आया।
‘तुझे मुझ में क्या खास दिखा रघु?’ मैंने पूछा।
वो धीरे धीरे अपनी कमर चला कर अपने लंड को मेरी चूत में आगे पीछे चलता हुआ बोला- आपके बोबे, सब औरत लोग को मैं लिफ्ट में ऊपर नीचे छोड़ कर आता हूँ। सब बच्ची लोग को भी, मगर इस सोसाइटी में सबसे बड़े बोबे आपके हैं। एक बात बताऊँ, कई बार मैंने सोचा भी कि आपके बोबे दबा कर देखूँ, फिर डर लगा, कहीं आप बुरा मान गई तो नौकरी से भी जाऊंगा।
मैंने कहा- अरे यार, मुझे खुद बहुत अच्छा लगता अगर तू दबाता, चल कोई बात नहीं अब दबा ले।
यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
कोई भी चीज़ उतना मज़ा नहीं दे सकती जितना मर्द का तना हुआ लंड… रघु की सिर्फ 5 मिनट की चुदाई से मेरा पानी गिर गया। झड़ती तो मैं रोज़ थी, मगर इस लंड की चुदाई से झड़ने का अपना अलग ही मजा आया।
मैंने रघु से कहा- रघु, मैंने आज तक किसी मर्द का लंड चूस कर नहीं देखा।
तो रघु ने अपना लंड मेरी चूत से निकाल दिया और मेरी छाती पे आ बैठा- तो चूस अपने यार का, तेरे लिए ही तो है।
मैंने लंड मुँह में लिया, उस पर मेरी ही चूत का पानी लगा था, जो मैं अक्सर चाट लेती थी, सो बस बिना किसी हिचक के मैंने रघु का लंड अपने मुँह में ले लिया।
अपना लंड मेरे मुँह में डाल कर रघु फिर कमर चलाने लगा। धीरे धीरे मुझे लगने लगा जैसे रघु ने मेरे मुँह को ही चूत समझ लिया हो, और वो वैसे ही मेरे मुँह को चोदने लगा।
मैं भी चूसती रही।
और फिर अगले ही पल रघु ने अपना सारा माल मेरे मुँह में ही गिरा दिया।
मैंने बहुत से फिल्मों में लड़कियों को मर्द का वीर्य पीते हुये देखा था, मैंने बिना किसी बात के अपने स्वाद के लिए उसका सारा वीर्य पी लिया। सारा तो नहीं कुछ आस पास और मेरे चेहरे पे बिखर भी गया।
रघु मेरे बगल में ही लेट गया।
मैं लेटे लेटे उसको देख रही थी और सोच रही थी कि इस इंसान के लिए मैंने 38 साल इंतज़ार किया। मेरी किस्मत में लिखा था कि 38 के इंतज़ार के बाद ये आदमी मेरी चूत में अपना लंड डालेगा।
रघु मुझे इस तरह देखते हुये देख कर बोला- क्या मैडम जी, क्या सोच रही हो?
मैंने कहा- रघु, आज मेरी सुहागरात है, पहली बार मैंने आज संभोग किया है, मैं चाहती हूँ आज सारी रात यही चले, जितनी बार भी तो मुझे चोद सकता है, चोद, मुझे कोई ऐतराज नहीं।
रघु बोला- मैडम जी, आप चिंता मत करो, आज की रात नहीं मैं आपको हर रात चोदूँगा!
उस रात रघु ने मुझे 4 बार चोदा, हर बार ज़्यादा ज़ोर से, ज़्यादा ताकत से, ज़्यादा बेदर्दी से, मगर फिर भी मेरी प्यास नहीं बुझी थी।
सुबह जब वो जाने लगा तो मैंने उस से कहा- जब कभी चोदने का मूड न हो न, तो सिर्फ चुसवाने के लिए आ जाया कर!