प्यार और वासना की मेरी अधूरी कहानी- 1

प्यार और वासना की मेरी अधूरी कहानी- 1


उसे देखा और प्यार हो गया. वो मेरे कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट में मेरे सर के पास आई थी. मैंने उसे देखा तो बस देखता ही रह गया. जल्दी ही वो समझ गयी.
दोस्तो, मैं आपका दोस्त संजू आर्यन!
मेरी पिछली कहानी
जेठ के लंड ने चूत का बाजा बजाया
करीब 3 साल पहले आई थी.
एक बार फिर से एक नई और सच्ची घटना के साथ हाज़िर हूँ.
आप सब सोच रहे होंगे कि मैंने यहां सेक्स कहानी के बदले घटना शब्द का इस्तेमाल क्यों किया है.
क्योंकि ये सिर्फ एक सेक्स कहानी नहीं, एक सच्ची घटना है, जो अभी कुछ दिन पहले मेरे एक खास और अजीज दोस्त के साथ घटी थी.
मैं आप सभी पाठकों से विनती करता हूँ कि आप ये कहानी पूरी पढ़ें, समझें … और उसके बाद आप लोगो को अपने हिसाब से जो जवाब सही लगे, वही सलाह दें.
अपनी पिछली कहानियों की तरह इस कहानी में भी मैं सभी पात्र और जगहों के नाम काल्पनिक ही लिख रहा हूँ ताकि पात्रों की गोपनीयता बनी रहे.
जैसा कि मैंने आप सबको पहले ही बताया कि ये घटना मेरे दोस्त के साथ घटी थी, उसका नाम राजीव (काल्पनिक) है.
इस पूरी घटना का विवरण भी मैं राजीव के शब्दों में ही कर रहा हूँ.
इस कहानी की शुरूआत आज से करीब 6 साल पहले बड़े ही खूबसूरत अंदाज़ में हुई थी.
पर इसका अंत ऐसे होगा, ये तो मैंने भी नहीं सोचा था.

आगे राजीव की जुबानी ही पढ़िए क्या हुआ, कैसे हुआ और जो हुआ, क्या वो सही हुआ?
दोस्तो मैं राजीव कुमार, ये सेक्स कहानी मेरी और सोनी (काल्पनिक नाम) की है.
मैं कहानी शुरू करूं उससे पहले, थोड़ा अपने और अपनी फैमिली के बारे आप लोगो को बता देता हूँ.
मेरी उम्र इस समय 29 साल है, मैंने MCA किया हुआ है और फिलहाल मैं अपनी किराने की दुकान संभालता हूँ.
आप सबको थोड़ा अजीब लगेगा कि MCA किया हुआ बंदा किराने की दुकान पर क्यों?
इसके पीछे भी एक वजह है और वो वजह ये है कि मेरी ये दुकान करीब बहुत साल पुरानी है.
मुझसे पहले मेरे पापा ये दुकान संभालते थे, पर आज से करीब 8 साल पहले एक लंबी बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गयी थी.
घर में सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा होने की वजह से घर की पूरी जिम्मेदारी मुझ पर आ गयी.
जब मेरे पापा थे, तब मैंने एक दो जगह नौकरी भी करके देखा.
पर मुझे और मेरे पापा, दोनों को लगा कि नौकरी से ज्यादा अच्छा अपना बिज़नेस ही है.
दुकान भी अच्छी खासी चलती थी और ठीक ठाक आमदनी भी हो जाती थी.
जब तक पापा थे, तब तक मैं नौकरी करता रहा.
पर पापा के जाने के बाद मैंने अपनी दुकान ही चलाने का फैसला किया.
और आज मैं अपने पापा से भी अच्छी तरह अपनी दुकान चला रहा हूँ.
मुझे पढ़ने का शौक बचपन से ही था और जब थोड़ा बड़ा हुआ, तो मेरा रुझान कम्प्यूटर की तरफ झुक गया.
अपने इसी शौक की वजह से मैंने एक प्राइवेट कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट में एड्मिशन ले लिया.
मैंने जिस इंस्टीट्यूट में दाखिला लिया था, उसकी 4 ब्रांच और भी थीं.
मैं दोपहर में अपने भाई को दुकान पर बैठा कर कम्प्यूटर सीखने जाने लगा.
कम्प्यूटर सीखते हुए मुझे यही कोई दो ढाई महीने ही हुए होंगे कि तभी इस कहानी की नायिका सोनी की एन्ट्री होती है.
दरअसल जो सर मुझे पढ़ाते थे, वो बाक़ी की ब्रांचों में भी पढ़ाने जाते थे.
एक दिन दोपहर में जब मैं सर के साथ बैठकर कम्प्यूटर सीख रहा था, तभी एक बहुत ही खूबसूरत लड़की भी वहीं पास में आकर बैठ गयी और सर से बात करने लगी.
मैंने उसे देखा तो बस देखता ही रह गया.
सफेद ड्रेस में वो पूरी अप्सरा लग रही थी.
अब मेरा ध्यान कंप्यूटर पर कम … और उस पास बैठी लड़की पर ज्यादा था.
बार बार मैं उससे नजरें बचा कर उसे ही देखने की कोशिश करने में लगा था.
वो सर से बात करने में बिजी थी, पर बीच बीच में मेरी और उसकी नजरें मिल ही जाती थीं.
तब मैं अपनी नजरें उस पर से हटा लेता.
मुझे ये डर लग रहा था कि अगर मैं उसे ऐसे ही घूरता रहा तो पता नहीं वो मेरे बारे में क्या सोचेगी.
पर मेरे ना चाहते हुए भी मेरी नजरें बार बार उसे ही देख रही थीं.
उसने भी ये बात नोटिस कर ली थी पर उसने कुछ रिएक्ट नहीं किया.
उसकी और सर की बातों से पता चला कि वो दूसरे ब्रांच की स्टूडेंट है और जो मैं सीख रहा हूँ, वही वो भी सीख रही थी.
देर से दाखिला लेने की वजह से वो पाठ्यक्रम में मुझसे थोड़ा पीछे थी, इस हिसाब से मैं उसका सीनियर हुआ.
करीब आधा घंटा वो सर से बात करती रही और मेरा ध्यान भटकाती रही.
उसकी खूबसूरती और सादगी के बारे में क्या कहूँ, बिना किसी खास मेकअप के भी वो किसी परी से कम नहीं थी.
उसे देखा और प्यार हो गया.
जब किसी बात पर वो हंसती थी, तब तो वो और भी खूबसूरत लगने लगती.
पिछले आधे घंटे में सर और उसके बीच में क्या बातें हुईं, ये तो मैं नहीं सुन सका क्योंकि मेरा पूरा ध्यान उस खूबसूरत परी को जी भरके देखने में ही लगा था.
जब वो जाने के लिए खड़ी हुई, तब मेरे दिमाग में बस एक ही बात आई कि आज ही इसको जी भरके देख लेता हूं, पता नहीं आज के बाद ये हसीना फिर कभी मिले या ना मिले.
इसलिए मैंने अपना ध्यान कंप्यूटर से हटा कर उस खूबसूरत लड़की को देखने में लगा दिया.
जाते जाते वो सर से कल इसी समय आने को बोलकर चली गयी.
ये सुन कर दिल को तसल्ली हुई कि चलो कल भी इस खूबसूरत हसीना का दीदार करने का मौका मिलेगा.
उसके जाने के बाद मेरा मन पढ़ाई में लग ही नहीं रहा था, बस दिमाग में एक ही सवाल चल रहा था कि कल कैसे इस लड़की से बात की जाए?
मैं अपने घर पर भी आया, तो भी उसी के बारे में सोचता रहा और उससे बात करने का, पता नहीं क्या क्या प्लान बनाता रहा.
अगले दिन सुबह से ही मेरा ध्यान बार बार घड़ी पर ही जा रहा था, दिमाग में बस यही चल रहा था कि कितनी जल्दी ढाई बजे का समय हो … और मुझे उस हसीना का फिर से दीदार करने का मौका मिले.
जैसे तैसे सुबह से दोपहर हुई और मैं अपने लेक्चर के टाइम से 10-15 मिनट पहले ही क्लास में पहुंच गया.
पूरी क्लास में नज़र दौड़ाई, पर वो नहीं दिखी.
सर अभी दूसरे बैच का लेक्चर लेने में बिजी थे.
कोई कंप्यूटर भी खाली नहीं था जिस पर मैं प्रैक्टिस करके टाइम बिता सकूं.
इसलिए मैं वहीं एक खाली पड़े केबिन में बैठकर उसके आने का और अपना बैच शुरू होने का इंतजार करने लगा.
आप सबको तो पता ही है कि इंतजार के पल कितने मुश्किल होते हैं.
मेरे लिए वो 15 मिनट बिताना मुझे बड़ा मुश्किल लग रहा था.
मेरी प्यासी निगाहें कभी घड़ी पर, तो कभी क्लास के मेन गेट पर ही टिकी थीं.
ऐसा लग रहा था, जैसे समय रुक सा गया है.
बड़ी मुश्किल से समय बीता और मेरा लेक्चर शुरू होने वाला हो गया था, पर अभी तक वो नहीं आई थी.
कुछ देर इधर उधर करने के बाद मैं बुझे मन से जाकर अपने केबिन में बैठ गया और कंप्यूटर पर टाइमपास करने लगा.
थोड़ी ही देर में सर भी आ गए और मुझे सिखाना शुरू कर दिया.
मेरा ध्यान अभी भी बार बार दरवाजे पर ही जा रहा था.
सर भी समझ गए कि आज मेरा मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है.
सर मुझे टोकते हुए कहने लगे- क्या हुआ राजीव, बार बार दरवाजे की ओर क्या देख रहे हो? सोनी का इंतजार कर रहे हो क्या?
मैंने चौंकते हुए कहा- सोनी .. ये कौन है सर?
सर मुझे देखकर मुस्कुराते हुए बोले- वही, जिसे कल तुम घूर रहे थे और आज जिसका इंतजार कर रहे हो.
दोस्तो, सर मेरे साथ थोड़ा मजाकिया और दोस्त के जैसे ही व्यवहार करते थे इसलिए उनसे पढ़ने में मुझे भी मज़ा आता था.
सर से मुझे पता चला कि उस खूबसूरत हसीना का नाम सोनी है.
मैं- अरे नहीं सर. क्या आप कुछ भी बोलते रहते हो.
सर- अच्छा, कल तो मैंने देखा तुम्हें, बार बार सोनी को ही देख रहे थे.
मैं- अरे नहीं सर, मैं तो बस ऐसे ही!
हम अभी बात ही कर रहे थे, इतने में सोनी आ गयी और मेरी बगल वाली कुर्सी पर बैठते हुए सर से माफ़ी मांगने लगी.
सोनी- सॉरी सर, मुझे आने में थोड़ी देर हो गई.
सर मेरी तरफ देखते हुए बोले- हां, हम लोग कब से तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं.
मेरी चोरी पकड़ी गई थी, अब खुद को बचाने के लिए … या सर को गलत साबित करने के लिए, मैंने अब एक बार भी सोनी की तरफ नहीं देखा.
तभी सर ने मेरा नाम लेते हुए कहा.
सर- राजीव, ये सोनी है. मेरी लॉ ब्रांच की स्टूडेंट और अभी अगले महीने इसका 12 वीं का एग्जाम है.
फिर सर सोनी से मुखातिब हुए- सोनी, ये राजीव है, जो तुम्हारे पाठ्यक्रम में है, वही सब ये भी सीख रहा है.
इस तरह सर ने हम दोनों का परिचय करा दिया और हम दोनों को अलग पढ़ाना शुरू कर दिया.
हम दोनों की नजरें एक दूसरे से बचते हुए एक दूसरे को ही देखने में लगी रहीं.
इसी तरह हमारा लेक्चर पूरा हो गया.
मैं पूरे लेक्चर के दौरान उससे बात करने का मौका ढूंढ रहा था पर मेरे लिए ऐसा कोई मौका बन ही नहीं पा रहा था.
आखिरकार मुझे मौका तब मिला जब वो जाने के टाइम सर से कुछ नोट्स मांगने लगी.
पर उस समय सर के पास नोट्स मौजूद नहीं थे.
तो सर ने मुझसे नोट्स के बारे में पूछा, जो मेरे पास मौजूद थे.
फिर सर ने सोनी को बोला कि वो नोट्स मुझसे ले ले.
सोनी मुझसे बात करने लगी.
सोनी- क्या आप मुझे नोट्स दे सकते हैं?
मैं- हां जरूर, पर मेरे पास अभी मौजूद नहीं हैं, अगर आप चाहो तो मैं आपको मेल कर सकता हूँ.
हां बोलकर उसने मुझे अपनी ईमेल आईडी दे दी और बाय बोलकर चली गयी.
उसके जाते ही मैंने सारे नोट्स उसे मेल कर दिए.
मेरा मेल मिलते ही उसने सामने से मुझे थैंक्यू करके मेल कर दिया.
ऐसे ही 2-3 दिन हम दोनों एक दूसरे से ईमेल के द्वारा ही बात करते रहे, फिर बात फेसबुक पर होने लगी और अगले 15 दिनों बाद ही व्हाट्सएप पर बात होने लगी.
आप समझ सकते हैं कि आग कितनी तेजी से फ़ैल गई थी. मुझे उससे प्यार हो गया.
इसी दौरान मैंने उसे प्रपोज़ किया और उसने मेरा प्रपोजल स्वीकार भी कर लिया.
अब हम दोनों एक प्रेमी जोड़ा बन गए थे.
हमारी घंटों बातें होने लगी थीं.
नए नए प्यार का नशा क्या होता है, ये तो आप सबको पता ही होगा.
मेरा भी वही हाल था.
अब मेरा मन दुकान या पढ़ाई में बिल्कुल नहीं लगता, दिन भर बस सोनी के बारे में सोचना या उसके कॉल का इंतजार करना, यही मेरा काम रह गया था.
पहले सामान्य सा रहने वाला राजीव अब सजने संवरने लगा था.
ऐसा लगने लगा था, जैसे इससे खूबसूरत जिंदगी हो ही नहीं सकती.
जिस दिन मैंने सोनी को प्रोपोज़ किया था, ठीक 10 दिन बाद सोनी का बर्थडे था.
तो मैंने एक अच्छी सी टाइटन ब्रांड की घड़ी उसको गिफ्ट की थी.
अभी तक हमारे बीच बस मिलना, प्यारी प्यारी बातें करना, एक दूसरे की परवाह करना, यही सब चल रहा था.
एक दिन सोनी ने मुझे वर्सोवा बीच पर मिलने को बुलाया, मैं भी मस्त तैयार होकर उससे मिलने चला गया.
हम दोनों काफी देर तक बीच पर बैठ कर बातें करते रहे.
इसी बीच सोनी ने मौका देखकर अपने होंठ मेरे होंठों से छुआ कर हटा लिए और हंसने लगी.
मुझे तो समझ में ही नहीं आया कि सोनी ने ये जानबूझ कर किया या गलती से हो गया.
उसका हंसना मेरे लिए ग्रीन सिग्नल था, मैंने भी मौका देखकर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए.
सोनी को इससे कोई आपत्ति नहीं थी तो मैंने भी अपने होंठ सोनी के होंठों से हटाने में कोई जल्दबाजी नहीं की.
रिलेशनशिप में आने के करीब डेढ़ दो महीने बाद ये पहला मौका था जब मैंने … या यूं कहूँ कि हम दोनों ने एक दूसरे को किस किया.
उसके बाद हमें जब भी किस करने का मौका मिलता, हम शुरू हो जाते.
पर उससे आगे बढ़ने की मैंने कभी कोशिश ही नहीं की क्योंकि हम रोज़ रोज़ तो मिलते नहीं थे.
जब 2-3 दिन में मौका मिलता, हम तभी मिलते थे.
पर फ़ोन पर बातचीत के दौरान सोनी जिस तरह मेरा ख्याल रखती थी या जैसे मेरी परवाह करती थी, मैं कोई भी ऐसी वैसी हरकत करके उसे खोना नहीं चाहता था.
इसी तरह हमारा रिश्ता अच्छे से चल रहा था.
हम दोनों एक दूसरे के साथ खुश थे.
यहां मैं आप सभी पाठकों को बताना चाहूंगा कि मेरे यहां दो घर हैं. एक घर दुकान से लगकर है .. और दूसरा दुकान से तीन किलोमीटर दूर है.
मैं दिन भर दुकान पर और रात को घर पर रहता था.
छुट्टी के दिन मैं कभी कभी दोपहर में भी घर पर आराम करने चला जाया करता था.
एक दिन दोपहर में मैं अपने घर पर अकेला था और हम दोनों व्हाट्सएप पर बातें कर रहे थे.
बातों बातों में मैंने उसे घर पर अकेले होने वाली बात को बता दिया और ऐसे ही मज़ाक में उसे अपने घर पर आने को बोल दिया.
सोनी ने भी आने को हां बोल दिया. मुझे लगा कि शायद सोनी भी मुझसे मज़ाक कर रही है, वो आएगी नहीं.
पर मैं गलत था, थोड़ी ही देर में सोनी ने कॉल करके बताया कि वो मेरी बिल्डिंग के नीचे है.
अब ये सोच करके मेरी हालत खराब होने लगी कि सोनी को घर के अन्दर लेकर आऊं कैसे? अगर मना भी करता हूँ तो उसे बुरा लगेगा.
अगर उसे किसी ने मेरे घर में आते देख लिया, तो सब लोग मेरे और सोनी के बारे में क्या सोचेंगे?
बिल्डिंग वालों की नज़र में मेरी छवि भी एक अच्छे लड़के की थी.
इसी बीच सोनी बार बार कॉल करके पूछ रही थी कि क्या करूं?
सोनी को मना करने का मेरा मन नहीं था और हां बोलने की मुझमें हिम्मत नहीं थी.
समझ में ही नहीं आ रहा था कि क्या करूं?
कुछ देर तक मैंने सोनी को नीचे ही रुकने के लिए बोल दिया और सोचने लगा कि क्या किया जाए?
हिम्मत तो दिखाना ही थी वरना पता नहीं सोनी मेरे बारे में क्या सोचती.
यही सब सोचते हुए और धड़कते दिल के साथ मैंने दरवाजा खोल कर देखा कि कोई है तो नहीं बाहर.
मेरे फ्लोर का पैसेज पूरी तरह खाली था, तब जाकर मेरी जान में जान आयी.
मैंने तुरंत ही कॉल करके सोनी को ऊपर बुला लिया और दरवाजे पर खड़ा होकर उसका इंतजार … और अगल बगल के घरों पर नज़र रखने लगा.
जल्दी ही सोनी ऊपर मेरे घर के सामने आ गयी, मैंने तुरंत ही उसे अपने घर के अन्दर लिया और दरवाजा बंद कर लिया.
मेरी कहानी जारी रहेगी, अगर आपका कहानी से संबंधित कोई सुझाव या सलाह हो तो आप मुझे मेरे ईमेल आईडी पर बता सकते हैं.
[email protected] धन्यवाद.
प्यार हो गया का अगला भाग: प्यार और वासना की मेरी अधूरी कहानी- 2

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