देसी गर्लफ्रेंड रोमांटिक कहानी में पढ़ें कि हल्के फुल्के चुम्बन के बाद हम दोनों की कामेच्छा सर उठाने लगी थी. हम सेक्स के खेल में आगे बढ़ना चाहते थे.
दोस्तो, मैं आपको अपनी सेक्स कहानी में स्वागत करता हूँ.
कहानी के पिछले भाग
तुझे देखा तो ऐसा लगा
में अभी तक आपने पढ़ा था कि मेरे घर पर अकेला होने की बात जानकर सोनी मुझसे मिलने मेरे घर आ गयी.
मैंने सबसे बचते बचाते हुए उसे अपने घर में ले लिया और दरवाजा बंद कर लिया.
अब आगे देसी गर्लफ्रेंड रोमांटिक कहानी:
सोनी तो मेरे घर में आ गयी थी पर अभी भी मेरा दिल धक धक कर रहा था.
और मैं जानता था कि वही हाल सोनी का भी था.
सोनी को रिलैक्स करने के लिए मैंने उसे एक पीने के लिए गिलास पानी दिया.
उसने थोड़ा सा पानी पीकर गिलास मुझे पकड़ा दिया और बाकी बचा पानी मैं पी गया.
पानी पीने के बाद भी मेरी हालत वैसी ही थी, इसलिए मैं बेड पर बैठ कर खुद को रिलैक्स करने लगा.
हम दोनों एक दूसरे को अपने सामने देखकर खुश भी थे और थोड़े टेंशन में भी.
अभी मैं बेड पर ही था, इतने में सोनी मेरे पास आई और उसने मुझसे लिपटते हुए अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए.
मैंने भी अपनी जान के होंठों का रस लेना शुरू कर दिया.
कुछ देर बाद सोनी मुझे बेड पर लिटाते हुए मेरे ऊपर ही लेट गयी.
अब हम दोनों दुनिया के बारे में सोचना छोड़ कर अपने में मस्त हो गए.
हमारे होंठ एक दूसरे के होंठों से अलग होना ही नहीं चाहते थे.
सोनी अभी भी मेरे ऊपर थी और मेरे होंठों को लगातार चूम रही थी.
मैं भी उसका भरपूर साथ दे रहा था.
कुछ देर तक वैसे ही रहने के बाद मैंने उसे पलट कर अपने नीचे कर लिया और खुद उसके ऊपर आ गया.
हम दोनों की कमर के ऊपर का हिस्सा बेड पर और कमर के नीचे का हिस्सा हवा में और पैर जमीन पर ही थे.
मैं भी लगातार सोनी को चूमे जा रहा था और सोनी भी मेरा साथ दे रही थी.
कभी गर्दन, तो कभी गाल तो कभी होंठ … मैंने उसके चेहरे के किसी भी हिस्से को नहीं छोड़ा, हर जगह को जी भरके चूमा और चाटा.
चुम्माचाटी का दौर करीब 15-20 मिनट तक चलता रहा.
कभी सोनी मेरे ऊपर तो कभी मैं सोनी के ऊपर.
इसी बीच जब मैं सोनी के ऊपर था और उसे चूम रहा था.
तभी सोनी ने मेरा साथ देना रोक दिया.
मैं अभी भी सोनी की आंखों में ही देख रहा था और समझने की कोशिश कर रहा था कि सोनी ने ऐसा क्यों किया?
मैंने अपनी भौंहों को ऊपर करके इशारे में पूछा- क्या हुआ?
मेरे सवाल के जवाब में सोनी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने एक मम्मे पर रख दिया और अपनी आंखें बंद कर लीं.
उसका इशारा समझ कर मैं उसके मम्मों को कपड़ों के ऊपर से ही सहलाने लगा.
कुछ देर तक हल्के हल्के से दूध सहलाने के बाद मैंने उसके एक मम्मे को अपनी पूरी मुट्ठी में भरकर थोड़ा जोर से दबा दिया जिससे उसके मुँह से आह निकल गयी.
मेरी समझ में ही नहीं आया कि मेरी इस हरकत पर उसे दर्द हुआ या मज़ा आया.
इसलिए मैंने अपना हाथ हटा लिया और उसके चेहरे को देखने लगा.
मैं- दर्द हुआ क्या?
मेरा सवाल सुनकर वो हल्के से मुस्कुराई, फिर ना में सिर हिलाया.
मैं समझ गया कि मेरा उसके मम्मे को दबाना उसे अच्छा लगा.
फिर भी कन्फर्म करने के लिए मैंने पूछ लिया- फिर क्या हुआ … अच्छा लगा ना?
इस बार उसने शर्माते हुए हां में सर हिलाया.
उसके बाद तो मैं टूट सा पड़ा उसके दोनों मम्मे मेरे दोनों हाथों में आ गए थे.
कभी हाथों से, तो कभी अपने मुँह से … जी भरके मैंने सोनी के चूचों से कपड़ों के ऊपर से ही खेला.
जितना अभी तक हम दोनों के बीच में हुआ था, मैं उतने में ही बहुत खुश था.
इसलिए उससे आगे कुछ करने का ना तो मैंने कोई कोशिश की और ना ही मेरा मन हुआ.
उस दिन सोनी करीब 45-50 मिनट मेरे घर पर रही और हमने जी भरके एक दूसरे को प्यार किया.
उसके बाद सोनी मेरे घर से चली गयी, पर जाते जाते हमने एक दूसरे को टाइट वाली झप्पी और किस किया.
उस दिन के बाद हम जब भी मिलते या जब भी हमें मौका मिलता, तब किस के साथ साथ मैं उसके चूचों से भी खेलने लगता.
इसके बाद हम एक दूसरे से पूरी तरह खुल गए थे, अब हमारे बीच सेक्स की भी बातें होने लगी थी.
इस घटना के कुछ दिन बाद मेरा बर्थडे था और सोनी ने मेरा बर्थडे स्पेशल बनाने के लिए मुझे किसी ऐसी जगह का इंतजाम करने को बोला जहां हम दोनों के सिवाए और कोई ना हो.
मुम्बई जैसे शहर में ऐसी जगह खोजना मेरे लिए बहुत ही मुश्किल काम था.
मेरे पास और भी कई ऑप्शन थे जैसे लॉज, होटल या गेस्ट हॉउस.
पर मैं सोनी को ऐसी किसी जगह पर लेकर जाना नहीं चाहता था.
मैं भी कभी पहले न तो किसी लॉज में और ना ही किसी होटल में गया था और ना ही मुझे इन सब के बारे में कुछ मालूम था.
और मैं सोनी को मना भी नहीं कर सकता था और उसे किसी लॉज या होटल में चलने को बोल भी नहीं सकता था.
दो तीन दिन ऐसे ही निकल गए और मैं किसी ऐसी जगह का इंतजाम तो दूर, मैं किसी ऐसी जगह के बारे में पता तक नहीं लगा पाया था.
सोनी जब भी फ़ोन करती, जगह के बारे में जरूर पूछती, पर मेरे पास कोई जवाब नहीं होता.
थक हार कर मैंने उसे लॉज और होटल के ऑप्शन के बारे में बता दिया.
होटल और लॉज हम दोनों के लिए नया था, तो स्वभाविक डर भी हमारे मन में था.
और उन दिनों इंटरनेट पर एमएमएस बनाए जाने की खबरों की बाढ़ भी आई हुई थी, जो हमारे डर को और भी ज्यादा बढ़ा रही थी.
फिर मैंने अपने कुछ लफ़ंडर दोस्तों से लॉज और होटलों के बारे में पूछताछ की, जो अपनी अपनी माशूकाओं को लेकर लॉज या होटल में जाया करते थे.
उनकी बातों से पता चला कि सब लॉज एक जैसे नहीं होते, कुछ लॉज या होटेल अपने ग्राहकों की गोपनीयता की सुरक्षा का भी ख्याल रखते हैं.
मैंने अपने दोस्तों से उन लॉज और होटल का पता ले लिया जो उनके हिसाब से सुरक्षित थे.
पर मैंने सोनी को लेकर जाने से पहले एक बार खुद जाकर पता लगाने का सोचा और इस काम के लिए अपने एक दोस्त को साथ में चलने के लिए मना लिया.
अपने बर्थडे के ठीक दो दिन पहले मैं अपने दोस्त के साथ लॉज के बारे में इन्क्वायरी करने के लिए निकल गया.
कुछ लॉज में जाकर इन्क्वायरी भी की और घर लौट आया.
घर पहुंचते ही सबसे पहले मैंने सारी बातें सोनी को बता दीं.
सोनी भी मुझ पर आंख बंद करके भरोसा करती थी, मेरी पूरी बात सुनने के बाद सोनी बस इतना ही बोली- तुम अपने साथ मुझे चाहे जहां भी लेकर चलो, मैं बिना किसी झिझक और बिना कोई सवाल किए तुम्हारे साथ चलूंगी.
उसकी ऐसी बातें सुनकर तो एक बार मन में आया कि सोनी को किसी ऐसी जगह पर चलने को मना ही कर देता हूं.
पर उसकी इच्छा भी पूरी करने का फर्ज भी मेरा ही था.
फिर हम दोनों ने मिल कर फैसला लिया कि हम लॉज में जाएंगे और अगर हमारे साथ कुछ गलत हुआ तो हम साथ में झेल भी लेंगे.
मेरा बर्थडे जुलाई महीने में था और उस समय सोनी का कॉलेज भी शुरू हो चुका था.
हमने निश्चय किया कि हम दोनों उसके कॉलेज के टाइम ही जाएंगे और कॉलेज छूटने तक घर आ जाएंगे ताकि उसके घर वालों को किसी भी प्रकार का शक न हो.
मेरे बर्थडे के ठीक एक दिन पहले शाम को ही सोनी ने केक लेकर अपनी एक सहेली के घर पर रख दिया और मैंने भी लॉज में फ़ोन करके लॉज का टाइमिंग, रेट वगैरह भी पूछ लिया.
तय समय और जगह पर हम मिले और निकल पड़े लॉज के लिए, लॉज की सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद हम एक कमरे में बंद हो गए या यूं कहें कि हमने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया.
दरवाजा बंद करते ही मैंने सबसे पहले कमरे की सारी लाइट्स को ऑफ किया फिर अपने मोबाइल के कैमरे से पूरे कमरे की तलाशी ली कि कहीं कोई हिडेन कैमरा तो लगा नहीं है.
पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद मैंने लाइट्स ऑन कर दीं और सोनी को बता दिया.
मेरी तरफ से हरा सिग्नल मिलते ही सोनी मुझसे लिपट गयी और मेरे होंठों को चूमते हुए मुझे बर्थडे विश किया.
फिर उसने मेरे पूरे चेहरे पर चुम्बनों की बरसात कर दी.
इससे अच्छा बर्थडे गिफ्ट और क्या हो सकता था मेरे लिए.
मेरी जिंदगी का सबसे अहम लड़की इस वक़्त मेरे साथ थी और हम ऐसी जगह पर थे, जहां अब हमें कोई टेन्शन भी नहीं थी.
कुछ देर तक चूमाचाटी के बाद हमने साथ में मेरे बर्थडे का केक काटा और एक दूसरे को अपने होंठों से खिलाया.
केक काटने और खाने खिलाने के बाद एक बार फिर से चूमाचाटी का दौर शुरू हो गया.
इस बार चूमाचाटी के साथ ही साथ मैं सोनी के चूचों से भी खेल रहा था.
अभी सोनी मेरे नीचे और मैं सोनी के ऊपर था.
सोनी भी आंखें बंद करके उस पल का आनन्द ले रही थी.
कुछ देर बाद मैंने थोड़ा और आगे बढ़ने का सोचा, इसलिए मैं उसके ऊपर से हटते हुए कंधों के बल उसके ठीक बगल में लेट गया और अपना एक हाथ उसके चूचों से हटाकर कमर के पास ले गया.
उसके टॉप के निचले हिस्से से अपना हाथ घुसा कर उसके पेट को सहलाने लगा.
मेरा हाथ उसके पेट पर पड़ते ही वो गुदगुदी की वजह से उछल सी पड़ी और उसने मेरा हाथ पकड़ कर बाहर कर दिया.
थोड़ी देर बाद मैंने फिर से उसके टॉप में अपना हाथ घुसा दिया.
पर इस बार मैंने अपना हाथ उसके पेट पर ना रख कर सीधा उसके एक चूचे पर रख दिया.
अपने चूचे पर मेरे हाथ का अहसास होते ही सोनी ने एक बार आंखें खोल कर देखा और फिर से अपनी आंखें बंद कर लीं.
मैं समझ गया कि मेरी इस हरकत से भी सोनी को कोई एतराज नहीं है तो मैं उसकी ब्रा के ऊपर से ही दोनों चूचों को बारी बारी से दबाने लगा, मसलने लगा.
सोनी भी धीरे धीरे आहें भरने लगी.
कभी मैं उसकी पेट को सहलाता तो कभी उसके चूचों को मसलता, साथ ही साथ उसके होंठों को भी मैं अपने होंठों से अलग होने नहीं दे रहा था.
काफी देर तक सोनी के चूचों से खेलने के बाद मैं अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाकर उसके सलवार के नाड़े पर रख दिया और वहीं अपनी उंगलियां फिराने लगा.
सोनी भी शायद समझ गयी कि अब मैं क्या करने वाला हूँ, उसने मेरा हाथ पकड़ कर हटा दिया.
कुछ देर बाद मैंने फिर से अपना हाथ वहीं रख दिया पर इस बार मैंने अपनी उंगलियों का कुछ हिस्सा उसकी सलवार के अन्दर तक डाल दिया और सहलाने लगा.
सोनी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी तरफ देखकर ना में सिर हिलाया.
मैंने एक दो बार कोशिश की हाथ और अन्दर ले जाने की, पर सोनी ने मेरा हाथ कस कर पकड़ रखा था.
फिर मैं उसकी आंखों में देखते हुए बोला.
मैं- सिर्फ एक बार.
उसने फिर से ना में सिर हिला दिया.
मैं- सिर्फ एक बार प्लीज.
सोनी ने कुछ बोला तो नहीं पर उसके हाथ की पकड़ ढीली हो गई.
मैं समझ गया कि सोनी ने मुझे मूक सहमति दे दी है.
इसके बाद तो मैंने अपना हाथ सीधा देसी गर्लफ्रेंड की पैंटी के ऊपर से ही चूत पर रख दिया.
मेरे हाथ रखते ही सोनी के मुँह से सिसकारी निकल गयी, साथ ही साथ उसने अपनी कमर को उठा कर बेड पर पटक दिया.
मेरी उंगली पड़ते ही सोनी ने अपनी दोनों टांगों को थोड़ा खोल दिया.
मैं उसकी चूत के दरार में पैंटी के ऊपर से ही अपनी उंगलियां फिराने लगा.
उसकी पैंटी का कुछ हिस्सा भीग चुका था.
मेरी उंगलियों की हरकत की वजह से सोनी भी मचलने लगी और अपनी कमर ऊपर नीचे करने लगी.
पैंटी के ऊपर से चूत के भगनासे से खेलना थोड़ा मुश्किल हो रहा था इसलिए मैंने अपना हाथ सोनी के सलवार से निकाल कर उसके पेट पर रख दिया.
सोनी मेरी तरफ देखते हुए अपना चेहरा उचका कर इशारों में ही पूछा कि क्या हुआ?
मैंने भी अपना सर ना में हिलाकर बता दिया कि कुछ नहीं.
उसके बाद कुछ देर तक सोनी के पेट को सहलाने के बाद मैंने उसकी सलवार के नाड़े को पकड़ लिया और हल्के हल्के से खींचने लगा.
सोनी भी समझ गयी कि अब मैं क्या करने वाला हूँ. उसने तुरंत ही मेरा हाथ पकड़ कर हटाते हुए कहा- नहीं बेबी, इससे आगे नहीं प्लीज!
दोस्तो, रिलेशनशिप में आने के बाद हम दोनों एक दूसरे को बेबी ही कहकर बुलाते थे.
मैं- बेबी प्लीज, एक बार. इसके आगे कुछ नहीं करूंगा. मैं सिर्फ एक बार देखना चाहता हूँ बस!
सोनी ने फिर से मना कर दिया और मैं उसे मनाता रहा.
कुछ देर तक मनाने के बाद मेरी मेहनत रंग लाई, सोनी मान गयी पर सिर्फ दिखाने के लिए, उसके आगे मुझे कुछ भी करने की इजाज़त नहीं थी.
मैंने उसके बगल में ही लेटे लेटे फिर से उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया और अपने एक हाथ से उसके सलवार के नाड़े को खोल दिया.
नाड़ा खोलते ही मैं अपना हाथ पैंटी के अन्दर डालने लगा.
उह! मेरा हाथ जैसे किसी तपती धधकती भट्टी की ओर बढ़ रहा था.
तभी मेरे हाथ को नर्म नर्म रेशमी रोमों का अहसास हुआ.
मैंने अपना हाथ पैंटी के अन्दर ही थोड़ा ऊपर उठाया और हथेली को एक कप सा बना कर, जिसमें मेरी चारों उंगलियां नीचे की ओर थीं, सोनी की तपती चूत पर रख दिया.
आआह…ह … क्या अहसास था वो.
उसकी चूत एकदम गर्म भट्टी की तरह तप रही थी. ऊपर से एकदम गर्म और नीचे से रिस रिस कर निकलता योनिरस.
‘आ … आ … आह!’
उत्तेजना वश सोनी मुझसे कसकर लिपट गयी, मेरी उंगलियां सोनी के योनिरस से पूरी तरह भीग गयी थीं.
मैंने अपने हाथ की तर्जनी उंगली को चूत के निचले हिस्से से शुरू करके, चूत की दरार में ऊपर-ऊपर, फिराना शुरू कर दिया.
तुरंत ही सोनी के जिस्म में थिरकन सी होने लगी.
मैंने अपनी उंगली का सिरा चूत की दरार के ऊपरी हिस्से पर स्थित चने के दाने के साइज़ के भगनासे पर लाकर रोक दिया.
पैंटी के अन्दर हाथ होने की वजह से मेरे हाथ को वो आजादी मिल नहीं पा रही थी जो मुझे चाहिए थी.
इसलिए मैंने फिर से अपना हाथ निकाल लिया और सोनी के बगल से उठकर बैठ गया.
सोनी फिर से मुझे देखने लगी.
उसके चेहरे पर वही सवाल था कि अब क्या हुआ?
अब मैं बैठे बैठे ही उसकी सलवार को नीचे सरकाने लगा.
पर उसके शरीर से सलवार को अलग करने के लिए भी मुझे सोनी के सहायता की ज़रूरत थी.
मैंने सोनी की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देखा और उसकी सलवार को फिर से नीचे की तरफ सरकाने लगा.
सोनी ने अपनी कमर को उठा कर मेरे काम को आसान कर दिया.
मैंने सलवार के साथ साथ पैंटी को भी उसके घुटनों तक सरका दिया.
अब मेरी आंखों सामने देसी गर्लफ्रेंड सोनी की गेहुआं रंग की पुष्ट जांघें थीं और जांघों के जोड़ पर छोटे छोटे काले बाल थे.
शायद सोनी ने 6-7 दिन पहले ही अपने नीचे के बालों को साफ किया था.
सोनी जांघों को चिपका कर दोनों हाथ अपनी चूत पर रखकर अपनी चूत छुपाने की कोशिश करने लगी.
दोस्तो, इस रोमांच भरे पल को विस्तार से लिखने की जरूरत है. वो मैं सेक्स कहानी के अगले भाग में लिखूंगा. आप इस देसी गर्लफ्रेंड रोमांटिक कहानी पर अपनी राय मुझे मेरे ईमेल आईडी पर बता सकते हैं.
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धन्यवाद.
देसी गर्लफ्रेंड रोमांटिक कहानी का अगला भाग: