मेरी भाभी का नाम सीमा है, वो मेरे बड़े मामा के लड़के की बीवी है। मेरे भाई की उम्र करीब 42 साल है और भाभी की करीब 34. मेरी उम्र इस वक़्त 28 साल है। भाभी के 2 बच्चे हैं जिनमें से लड़का मेरे मामा मामी के पास रहता है, भाई की बेटी भाई भाभी के साथ ही रहती है और 3rd क्लास में पढ़ती है।
मैं और भैया अक्सर साथ बैठ कर ड्रिंक करते हैं। दो साल पहले जब मैंने उनके घर आना जाना शुरू किया था तब दिमाग में सिर्फ पीकर घर आ जाने की बात होती थी।
धीरे धीरे मैं भाभी की तरफ अट्रैक्ट होने लगा।
भाभी घर में दुपट्टा नहीं लेती… पानी या चाय देने के लिए जब वो झुकती तो उसकी बड़ी बड़ी चुची मुझे दिख जाती।
भाभी सांवली है लेकिन सैक्सी है, चुची 38 कमर 34 और गांड 40 होगी।
धीरे धीरे मैंने भाभी को छूना शुरू किया। जब वो किचन में होती तो मैं बहाने से भैया की नज़र बचा के उसके पास जाता और बातों बातों में कभी गांड सहला देता, कभी दबा देता, कभी उसके कूल्हे पे चूंटी काट देता।
भाभी ने कभी कोई आपत्ति नहीं करी तो मेरा हौसला बढ़ा।
फिर एक दिन मैंने उसकी गर्दन सहलाते हुए पीठ पे नीचे को हाथ ले गया। मैं बात करते करते उसकी पीठ सहलाता हुआ कुर्ते में हाथ घुसा दिया। मेरा हाथ उसकी ब्रा तक जा चुका था।
इतने में भैया आ गए और मुझे हटना पड़ा।
यह पीठ सहलाना और गांड दबाने का सिलसिला कई दिन चला। मैं महीने में 2-3 बार भैया के घर जाने लगा।
एक दिन भैया अपनी बेटी को बाहर ले कर गए हुए थे, मैंने फोन करके बोला- भैया मैं आ रहा हूँ!
तो उन्होंने कहा- तुम आ जाओ, घर पे भाभी होगी, मुझे आने में एक डेढ़ घंटा लगेगा।
मैं फटाफट पहुँच गया। घर पहुंचा तो भाभी नहा कर निकली थी।
मुझे बिठा के वो किचन में चाय बनाने चली गई। मैंने झाँक कर देखा भाभी के गीले बालों से पानी कमर और गांड तक आ रहा था। मेरा लंड एक सैकिंड में खड़ा हो गया। थोड़ी देर तो मैं अपना लंड जींस के ऊपर से सहलाता रहा फिर जब रहा नहीं गया तो किचन में पहुँच गया।
भाभी बोली- क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं।
एक झटके से मैंने भाभी को अपनी तरफ घुमा के होठों को चूम लिया।
भाभी बोली- क्या कर रहे हो?
और छुड़ाने की कोशिश करने लगी।
इस बार मैंने भाभी के होठों को कस के चूसना शुरू कर दिया। पहले तो वो हटाने की कोशिश करती रही फिर जब मैंने होंठ चूसने नहीं छोड़े तो वो भी मुझ से लिपट गई।
करीब दस मिनट तक मैं उसके होंठ चूसता और चाटता रहा, फिर मैं उसको खींच कर बिस्तर पे ले आया और लिटा दिया, एक मिनट में ही मैंने उसको नंगी करके अपने भी कपड़े उतार दिए।
इतने में भाई का फोन आ गया, बोला- भाई तुम बैठो मुझे पुरानी दिल्ली जाना पड़ेगा, ढाई तीन घंटे लगेंगे।
मैंने कहा- ठीक है भैया, कोई बात नहीं, आप आराम से आ जाना काम निपटा के!
भाभी की चिकनी और भरी हुई पीठ मैंने खूब सहलाई थी तो सबसे पहले मैंने भाभी की पीठ खूब चूमी, कमर से लेकर गर्दन तक मैंने जी भर के चाटा।
फिर मैंने भाभी को सीधा किया तो भाभी हंसने लगी।
मैंने पूछा- क्या हुआ भाभी?
तो बोली- 6 फुट का लड़का और सामान इतना छोटा!
भाभी ने मुझसे पूछा- कितना है ये?
मैंने बताया- करीब छह इंच!
भाभी बोली- इतना तो बच्चों का होता है… तुम्हारे भैया का तो करीब 8 इंच लम्बा है।
मैंने पूछा- मोटा भी इतना है?
तो बोली- नहीं, मोटा तो इतना नहीं है।
मैंने कहा- चलो भाभी, लम्बा तो बहुत ले लिया, अब मोटे का भी मजा ले लो।
भाभी बोली- रहने दो ना… कोई आ जायेगा।
मैंने कहा- भैया तो लेट आयेंगे।
भाभी बोली- यह बहुत छोटा है, मुझे कुछ पता भी नहीं चलेगा अंदर गया या नहीं।
मैंने कहा- भाभी, तुम देखती जाओ, आज मैं तुम्हें इतना खुश कर दूंगा जितनी कभी नहीं हुई।
भाभी फिर मज़ाक बनाते हुए बोली- इससे खुश करोगे?
मैंने कहा- हाँ जी।
भाभी बोली- वो कैसे?
मैंने कहा- देखती जाओ तुम बस!
मैं सीधा लेट गया, मैंने भाभी से कहा- भाभी मेरे मुँह पर बैठो।
बोली- क्या?
मैंने कहा- मेरे मुँह के ऊपर आ कर अपने पैर के पंजों पर बैठो।
भाभी बोली- कुछ समझ नहीं आ रहा है… तुम ऊपर आकर कर लो ना, जैसे करना है तुमको, मुझे छुट्टी दो! मुझे तो लगा था इतने लम्बे चौड़े हो, तुम्हारा सामान 8-10 इंच का होगा, अंदर तक जायेगा लेकिन तुम्हारा तो दस साल के बच्चे जैसा है।
मैंने कहा- भाभी, आप तो बड़ी बेइज्जती कर रही हो।
तो बोली- तुम हो ही बेइज्जती के लायक यार… इतना मूड ख़राब हो गया मेरा तो, पता नहीं तुम्हारी गर्लफ्रैंड्स कैसे चुदती हैं तुमसे?
मैंने कहा- भाभी, तुम करो तो जो मैं कहता हूँ।
बोली- बताओ क्या करूँ?
मैंने कहा- मेरे मुँह पर बैठो।
बोली- कैसे?
मैंने कहा- जैसे टॉयलेट में बैठती हो वैसे!
भाभी समझ गई कि कैसे बैठना है। भाभी की चूत मेरी ठोड़ी पर लग रही थी, भाभी बोली- ऐसे क्या करना है?
मैंने कहा- आप इसको मेरे मुँह पे लाओ पहले!
भाभी बोली- किसको?
मैंने कहा- अपनी चूत को!
चूत शब्द सुन कर भाभी शर्मा सी गई और हंसती हुई बोली- क्यों पिशाब पियोगे मेरा?
मैंने कुछ नहीं कहा, भाभी की जांघें पकड़ के आगे को खींचा और चूत चाटनी शुरू कर दी।
भाभी हैरान सी हो गई।
मैंने पूछा- कभी चटवाई है भैया से?
भाभी बोली- मुझे तो पता ही नहीं कि ऐसे भी होता है।
मैं कस कस के भाभी की चूत चाट रहा था। अपने होंठों से जब मैंने भाभी की चूत के दाने को चाटा और चूसा, भाभी की आहें निकलनी शुरू हो गईं।
फिर मैंने अपनी जीभ भाभी की चूत में घुसा दी।
वो तो दीवानी सी होकर अपनी चूत नीचे को दबाने लगी जैसे चूत मेरे मुँह में ही डाल देगी।
मैं भी भाभी की चूत में जीभ डाल के घुमाता रहा।
मैंने पूछा- भाभी, मजा आ रहा है?
भाभी बोली- चुप करके चाटता रह!
मैं समझ गया कि साली को मजा आ रहा है… मैं भी पूरी चुस्कियां लेकर चूत चाटता रहा।
जब भाभी झड़ गई तो आँखें खोल कर मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई, बोली- मुझे तो पता ही नहीं था कि आदमी भी चाटते हैं इसको!
मैंने कहा- किसको मेरी जान?
मुस्कुरा के बोली- चूत को!
मैंने कहा- अच्छा जी, तुमको क्या पता है कि क्या क्या होता है।
भाभी बोली- मैंने तो सुना था कि औरतें चूसती हैं आदमियों का!
मैंने कहा- क्या चूसती हैं जानू?
बोली- लंड!
और हंस दी।
भैया को दारू पिला कर मैंने बहुत कुछ पूछ लिया था, उन्होंने बताया था कि सीमा लंड चूसती ही नहीं।
फिर भी मैंने भाभी से पूछा- तुम चूसोगी?
भाभी बोली- छी… गन्दी चीज़ होती है यह तो!
मैंने कहा- अच्छा जी… और अभी आप हमारे मुँह पे क्या रगड़ रही थी?
भाभी हंस दी, फिर बोली- अगर मैं चूसना भी चाहूं तो कैसे चूसूंगी ये तो इतना सा है हाथ में भी नहीं आएगा।
मैंने कहा- चलो कोई बात नहीं… अभी तुम्हें और मज़े दिलाते हैं।
भाभी बोली- कैसे?
मैंने कहा- अब घूम के बैठ जाओ।
भाभी बोली- क्यों पीछे क्या है चाटने को?
मैंने भाभी की गांड दबाते हुए कहा- ये है ना जिसको इतने दिन सहलाता रहा।
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भाभी मुस्कुरा के घूमी और अपनी गांड मेरे मुँह पे रख के बैठ गई।
पहले तो मैंने भाभी की गांड खूब दबाई सहलाई और चाटी, उसके बाद जब मैंने भाभी की गांड खोल के छेद पर जीभ लगाई तो भाभी एकदम से बोली- ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- भाभी की गांड चाट रहा हूँ और क्या कर रहा हूँ।
बोली- तुम तो बड़े गंदे हो देवर जी… यहाँ से तो मैं…
मैंने कहा- क्या?
बोली- कुछ नहीं।
मैंने कहा- यहाँ से तो तू हगती है! यही बोल रही थी ना?
बोली- हाँ।
मैंने कहा- तो मेरे मुँह पे थोड़ी न हग देगी साली।
भाभी बोली- गाली क्यों दे रहे हो?
मैंने कहा- चुपचाप बैठी रह अब!
फिर मैंने भाभी की गांड खोल के उसका छेद चाटना शुरू किया। मेरे दोनों हाथ भाभी की गांड खोले हुए थे और जीभ उसके छेद में अंदर बाहर जा रही थी।
भाभी एकदम से सिसकारने लगी, मुँह से आह हाय हाय निकलने लगी।
मैंने काफी देर भाभी की गांड छाती, उसके बाद मैंने भाभी से कहा- आ जा, अब चोदूँगा तुझे!
भाभी मेरे मुँह पर से उठी और टाँगें खोल कर लेट गई।
मैंने कहा- ऐसे नहीं मेरी जान, अलग स्टाइल में चोदूँगा।
भाभी बोली- कैसे?
मैंने कहा- कुतिया बना कर!
भाभी बोली- कुतिया क्यों बोल रहे हो मुझे?
मैंने कहा- अभी मैंने कुत्ते की तरह तेरी चूत और गांड चाटी है ना इसलिए!
भाभी फिर मुस्कुरा कर बोली- क्या करूं?
मैंने कहा- नीचे खड़ी हो और हाथ पलंग पे रख के झुक जा।
भाभी ने वैसे ही करा।
मैंने एक ही झटके में पूरा लंड भाभी की चूत में दे दिया। भाभी की चूत बिलकुल गीली थी।
फिर मैंने झटके लगाने शुरू किये… भाभी बोली- हाय मेरे कुत्ते ले ले मज़े अपनी कुतिया के!
मुश्किल से 8-10 झटकों में मैं झड़ गया।
भाभी ने सीधे होकर मुझे गुस्से से कहा- एक तो तुम्हारा लंड किसी काम का नहीं… ऊपर से तुम पानी भी नहीं रोक सकते।
मैंने कहा- भाभी, तू है ही इतनी गर्म कि मुझसे रुका ही नहीं गया।
भाभी बोली- तूने तो कर लिया अपना काम… अब मेरा काम करवा!
मैंने कहा- भाभी, अभी तो झड़ा हूँ, थोड़ा तो रुको।
भाभी बोली- अरे, उसको खड़ा करके क्या करेगा तू?
मैंने कहा- क्यों भाभी, उससे ही तो चोदूँगा।
भाभी बोली- देख बुरा मत मानियो, लेकिन मुझे पता भी नहीं लगा कि तेरा लंड अंदर था, तू बस नाम का मर्द है, जो चुदेगी उसे पता लग जायेगा कि अंदर से तू हिजड़ा है नामर्द कहीं का!
मैंने कहा- ऐसे क्यों बोल रही हो, मेरा लंड खड़ा तो होता है।
भाभी बोली- चुप कर जा छक्के, तेरी ज़ुबान बकवास करने के लिए नहीं है, औरत का मजा लेने हैं तो इस ज़ुबान से चूत और अपनी भाभी की गांड की सफाई कर बस!
इतना बोल के भाभी ने मुझे बैड पे गिराया और मेरे मुँह पे आकर बैठ गई, खुद ही अपनी उंगलियों से अपनी चूत खोली और बोली- चल कर अपना काम!
मैं फिर भाभी की चूत चाटने लग गया।
भाभी ने मेरे बाल पकड़ लिए और मेरा मुँह अपनी चूत पर रगड़ने लगी।
भाभी बोली- चूत लेगा मेरी भोसड़ी के हिजड़े, किसी काम का है तू? साला 6 इंच का लंड है और चोदेगा औरत को, तुझे चाटने को मिल जाए वो ही बहुत है! अगली बार नहाऊँगी तो चूत धोऊँगी नहीं, तुझसे चाट के साफ़ करवाऊँगी।
थोड़ी देर अपनी चूत मेरे मुँह पे रगड़ने के बाद जब भाभी झड़ गई तो घूम के बैठ गई, बोली- ले बहुत सहलाता था ना भाभी की गांड… अब चाट इसको!
मेरा लंड दुबारा खड़ा हो चुका था, भाभी ने देख के कहा- ओ नामर्द क्या दिखा रहा है खड़ा कर के, गांड की सफाई कर चल कुत्ते!
मैं भाभी की गांड चाटने लगा, भाभी ने अपने दोनों हाथों से अपनी भारी गांड खोली और बोली- बाहर से नहीं अंदर से चाट कुत्ते, छेद में जीभ डाल और घुमा, पूरी जीभ घुसनी चाहिए अंदर… नहीं तो अभी तेरे मुँह में मूत दूंगी।
मैं भाभी की मोटी भारी गांड के छेद में जीभ घुसा के चाटने लगा। भाभी कितनी भी गालियां दे ले… उम्म्ह… अहह… हय… याह… मुझे तो मजा ही आ रहा था।
जब भाभी का गांड चटवा के दिल भर गया तो बोली- चल मैं नंगी लेटती हूँ, तुझे मुठ मारनी है तो मार ले!
मैंने कहा- भाभी चूत दे दो ना?
भाभी बोली- हिजड़े तू मानेगा नहीं, चल ले ले।
मैं भाभी के ऊपर चढ़ा और चोदने लगा।
भाभी की चूत एकदम गर्म और गीली हो रही थी। थोड़ी देर चुद के भाभी ने कमर के नीचे तकिया लगा लिए और खुद भी नीचे से झटके मारने लगी। भाभी तीसरी बार झड़ी और मैं भी दूसरी बार झड़ गया।
उसके बाद भाभी बोली- चल कपड़े पहन ले और किचन में आ जा!
मैंने कहा- तुम भी तो पहन लो!
बोली- तू पहन और चल रसोई में!
किचन में जाकर भाभी बोली- मैं खाना बना रही हूँ तू पीछे बैठ के गांड चाट मेरी तब तक… और बीच बीच में चूत भी चाटता रहियो।
फिर भाभी किचन में खाना बनाने लगी और मैं एक स्टूल लेकर उनके पीछे बैठ गया।
भाभी बोली- मेरे प्यारे देवर जी, बड़े मजे से दबाते थे न मेरी गांड… अब चाटते रहो इसको जब तक मैं ना रोकूँ।
मैं भाभी की गांड खोल कर चाटता रहा, बीच बीच में भाभी मेरी तरफ घूम कर चूत भी चटवा रही थी।
इतने में भैया की बाइक का हॉर्न सुनाई दिया।
भाभी बोली- चल हट जा अब कुत्ते… कल फ़ोन करके बताऊँगी तो घर आ जाइयो फटाफट!
फिर भाभी ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और मैं भैया के साथ डिनर कर के अपने घर आ गया और अगले दिन का इंतज़ार करने लगा।
लेटते हुए भाभी की गांड और चूत के नाम की मुठ मारी और आराम से सो गया।
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