मेरा नाम विजय (नाम बदला हुआ) है.
बात तब की है, जब मैं पुणे में मैं एक कंपनी में जॉब करता था। इस टूरिंग जॉब के कारण मुझे काफी टाइम भी खाली मिल जाता था। मैं करीब 5:30 बजे शाम तक मेरे घर पहुँच जाता था। मैंने एक अपार्टमेंट में ग्राउंड फ्लोर पर एक फ्लैट रेंट पर लिया था। ये अपार्टमेन्ट एक नई बनी बिल्डिंग था, जिसमें मैं ही पहला निवासी था।
थोड़े ही दिन बाद एक कपल उधर रहने आ गया.. और वो बिल्डिंग के तीसरे फ्लोर पर रहने लगे। वे एक राजस्थानी कपल थे और नवविवाहित थे। ऊपर जाने के लिए सीढ़ियाँ मेरे फ्लैट के बगल में से ही थीं, तो वो मेरे फ्लैट से ही गुज़रते थे। इस वजह से ही हम लोगों की बात होने लगी।
जब भी संडे को छुट्टी में टाइम बचता था तो वो दोनों मेरे घर पर आ जाते थे। हम सभी टाइम पास करने के लिए टीवी देखने के साथ साथ बातचीत भी करते रहते थे। थोड़े ही दिनों में हमारी फ्रेंडशिप थोड़ी अच्छी हो गई।
इस कपल में मर्द का नाम राजेश था। राजेश ने एक दिन मुझसे कहा- विजय भाई तुम दिन भर ऑफिस में रहते हो और मैं भी शॉप में व्यस्त रहता हूँ। मेरी वाइफ निकिता रोज़ घर में अकेली रहती है.. वो पूरा दिन अकेली बोर होती रहती है।
तो मैंने बोला- हाँ ये तो है, पर मैं क्या कर सकता हूँ?
राजेश ने बोला- कुछ नहीं, अगर तुम बुरा नहीं मानो तो तुमसे एक रिक्वेस्ट है।
मैंने बोला- हाँ बताओ.. क्या बात है?
उसने पूछा- तुम अपने घर की चाभी अगर मेरी वाइफ को दे सकते हो तो अच्छा रहेगा, वो जब भी बोर होगी तो तुम्हारे घर आकर टीवी देखने बैठ सकती है।
मैंने हंसते हुए कहा- ओके नो प्राब्लम.. लेकिन थोड़ा ध्यान से कुंवारे का कमरा है.. चीजें इधर-उधर पड़ी रहती हैं।
बात जम गई और वैसे ही दिन गुजरने लगे।
एक दिन मेरा ऑफिस का काम थोड़ा जल्दी खत्म हो गया तो मैं 5 बजे ही घर पहुँच गया। उस दिन निकिता घर पे बैठी थी, टीवी देख रही थी।
मैं उसे देख कर थोड़ा शॉक सा हो गया क्योंकि वो मेरी क्सक्सक्स पोर्न फिल्म की डीवीडी लगा कर देख रही थी।
मुझे देख कर वो भी सन्न रह गई और डर गई।
मैं तो कुछ नहीं बोला.. उसने डीवीडी प्लेयर जल्दी से बंद कर दिया और नॉर्मल टीवी चालू करके निकलने लगी।
मैंने उसे रोका और बोला- अरे बैठो ना.. नो प्राब्लम.. कुछ ग़लत नहीं है।
फिर वो बैठ गई.. काफी डरी और सहमी हुई थी।
उसने कहा- विजय, प्लीज़ ये बात किसी को मत बताना और तुम भी इस बात को इग्नोर कर देना प्लीज़।
मैंने बोला- ओके ठीक है।
वो अगले दिन से रोज़ मेरे आने तक मेरे ही घर पे बैठी रहती थी। जब मैं आता तो मेरे लिए चाय बनाकर लाती और हम दोनों देर तक बात करते हुए बैठते थे।
मैं सिगरेट पीता था.. उसको उसके स्मोक से भी कुछ प्राब्लम नहीं था।
एक दिन वैसे ही जब मैं आया तो वो फिर से मेरी वो xxx पोर्न फिल्म वाली डीवीडी लगा कर देख रही थी। मैंने देखा और उससे पूछा- क्या हुआ.. ब्लू फिल्म्स देखने का बहुत शौक है तुम्हें?
तो आज उसने निडरता और पूरे आत्मविश्वास से कहा- हाँ कुछ ऐसे ही समझ लो.. रियल लाइफ में तो कुछ ज़्यादा मिलता ही नहीं!
मैं एक बारगी हतप्रभ रह गया।
कुछ देर हमारी बातचीत कुछ इस प्रकार चली:
मैं- क्यूँ क्या हुआ?
निकी- कुछ नहीं बस राजेश को सेक्स के लिए टाइम ही नहीं रहता।
मैं- क्यूँ?
निकी- वो आते ही रात के 11 बजे.. तब तक मुझे बहुत ही नींद आती है.. मैं सोई रहती हूँ। वो आकर खाना खाते ही सो जाते हैं। मुझे तो बहुत ही सेक्स करने का मन रहता है लेकिन मेरे लिए उनके पास टाइम ही नहीं रहता है।
मैं- ओह.. तो अब क्या करना चाहती हो?
निकी- कुछ नहीं..
मैं- इफ़ यू डोंट माइंड, मैं तुम्हें सॅटिस्फाइ कर सकता हूँ।
यह सुनते ही वो बोली- अरे नहीं, इट्स ओके..
मैं- देख लो गोल्डन ऑपर्चुनिटी दे रहा हूँ। तुम्हें मेरे जैसा जबरदस्त लड़का ढूँढने से भी नहीं मिलेगा।
उसने मेरी बात पर गौर से सोचने के बाद फायनली उसने मेरा एक्सेप्ट किया।
निकी- तुम क्या कर सकते हो.. बताओ?
मैं- सब कुछ करके दिखाऊंगा।
मैंने उसको मेरी ओर उसका हाथ पकड़ कर खींच कर हग कर लिया।
उसने मुझसे इठलाते हुए बोला- इतनी छोटी सी बात समझने के लिए तुमको इतने दिन लग गए विजय?
मैं उसकी इस बात को सुनते ही पूरा उत्तेजित हो गया और उसको किस करने लगा। मैंने उसके नर्म होंठों पर पूरे ज़ोर से किस किया.. उसने भी बहुत ही प्यार से से मेरे चुम्बन को स्वीकार किया।
फिर मैंने उसके कपड़े उतारे.. उसके चूचे.. ओह माय गॉड.. वो तो गोरे-गोरे सॉफ्ट गेंद की तरह थे। मैं उन मम्मों को बड़ी बेताबी से चूस रहा था।
कोई 5 मिनट के बाद उसने बोला- सिर्फ़ तुम ही चूसते रहोगे या मुझे भी लॉलीपॉप चूसने का मौका दोगे?
मैं उसकी बात समझते हुए उठा और उसने मेरे सारे कपड़े उतार कर मेरा 7 इंच का लौड़ा अपने हाथ में ले लिया।
उसने बोला- अरे वाह.. ये तो मेरे पति के लंड से काफ़ी बड़ा है.. मैंने ऐसा लंड तो ब्लू-फिल्म में खूब देखा है।
उसने लंड चूसना चालू किया.. कोई दस मिनट तक उसने मुझे मस्त ब्लोजॉब दिया। मेरा लंड आउट हो गया.. तो उसने वो पूरा रस पी लिया। इसके बाद भी उसने लंड को 2-3 मिनट तक और चूसा, इससे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।
उसने कहा- चलो, रियल गेम शुरू करते हैं।
मैंने कहा- मैं तो कब से रेडी हूँ।
उसने कहा- अच्छा तो कब से मैं चूस रही हूँ.. तुम क्या मज़े ले रहे थे, तब क्यूँ नहीं रोका?
मैंने उसे अपनी ओर खींचते हुए कहा- अब वो सब बातें छोड़ो जानू.. इधर आओ।
मैंने उसको पूरा नंगी किया और उसे बेड पर लिटा दिया। उसने अपने दोनों पैरों को खोल कर अपनी नंगी चिकनी चूत का नजारा दिखाया.. उसने अच्छे से अपनी चूत की झांटें साफ़ कर रखी थी।
मैं और गर्म हो गया और उसकी सफाचट चिकनी चूत देख कर… मैंने उसकी चुत को दो मिनट तक चूसा। वो मेरा सिर पकड़ कर बोल रही थी- आह विजय.. तुम कितने अच्छे से चूसते हो.. आह तुम मुझे पहले क्यूँ नहीं मिले.. अयाया विजय आआआहह..
उसने मुझे मेरा सिर पकड़ कर उठाया और मेरे कानों में बोला- प्लीज़ विजय मेरी चूत बहुत ही प्यासी है.. लंड की प्यासी है.. मुझे जल्दी से चोद दो।
यह सुनते ही मैंने उसकी चुत में मेरा लंड डाल दिया और ज़ोर से धक्का लगाने लगा।
उसकी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ निकल गई, उसे थोड़ा दर्द हुआ।
उसने बोला- अह.. विजय थोड़ा धीरे से.. मैंने उसको बहुत चोदा.. दस मिनट तक चोदता ही रहा। उसकी आँखें बंद थीं और उसकी ज़ुबान से सिर्फ़- विजय चोद दो.. विजय चोद.. और तेज चोद..
मैंने उसे बहुत जोर से चोदा.. प्यार से चोदा।
‘आह.. मेरा हज़्बेंड तो मुझे प्यार नहीं करता.. तुम तो मुझे चोदो.. जितना मैं चाहती हूँ प्लीज़ विजय चोदते ही रहो..’
वो झड़ रही थी तभी मेरा भी आउट होने को हुआ।
उसने कहा- तुम मेरे अन्दर ही माल निकाल दो.. मुझे बहुत अच्छा लगेगा।
उस दिन उसका पति घर नहीं आने वाला था.. तो वो रात भर मेरे घर पर रही, हम दोनों रात भर ब्लू-फिल्म्स देखते हुए उन्हीं पोज़िशन्स में खूब सेक्स किया।
उस दिन के बाद में से तो मेरी तो जैसे लॉटरी ही लग गई। जब मैं घर जाता हूँ तो मेरे लिए मेरे फ्लैट पर फ्रेश होने के लिए गर्म पानी, चाय और एक मस्त सेक्सी माल अपनी ब्रा-पेंटी में मेरे बेड पर चुदने के लिए तैयार रहती थी।
मेरी इस पोर्न स्टोरी के लिए आपके मेल की प्रतीक्षा है।
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