नमस्कार दोस्तो, मैं मधु आप सभी का अपनी आत्मकथा में एक बार फिर स्वागत करती हूं।
आप लोगों ने मेरी सेक्स कहानी के पहले भाग
पुराने सेक्स पार्टनर से चुदाई करवा ली-1
पढ़ा कि रोहित ने मुझे गर्म किया और जब मैं चुदने वाली ही थी कि
इतने में उसके रूम के दरवाजे पर किसी ने बाहर से नोक किया और आवाज़ आयी- मे आई कमिन सर!
तभी रोहित को याद आया कि उसने दरवाजा लॉक किया ही नहीं था।
फिर वो बोला- वेट!
और लन्ड मेरी चूत से निकाल कर कपड़े पहनने लगा।
वो मुझे भी बोला- जल्दी पहन लो।
मैं भी अपने जलते बदन को मजबूरी में कपड़ों से ढकने लगी।
जल्दी की वजह से मैंने ब्रा पेंटी अपने बैग में रख ली और जीन्स टॉप पहन कर बैठ गयी।
और रोहित भी अपनी चेयर पर जाकर बोला- कम इन।
इतने में वो लड़की मेरे बेटे को लेकर आई और बोली- सर बाबू रो रहा है।
मेरे बेटे को मैंने अपने पास ले लिया।
पहले तो मैं प्यासी थी लेकिन अब लन्ड चूत में लेने के लिए व्याकुल हो गयी थी। मेरी हालत तब ऐसी हो गयी थी जैसे किसी ने जल में से मछली को निकाल कर गर्म रेत पर रख दिया हो.
लेकिन क्या करती … वो लड़की मेरे बेटे को गलत वक़्त पर ले आई थी। उसे क्या पता उसकी माँ अंदर क्या कर रही है।
मेरे से भी ज्यादा बुरी हालत रोहित की हो गयी थी, वो गुस्से में एकदम लाल हो गया था। उसे तो अभी ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने कई दिन के भूखे के सामने से परोसी थाली उठा ली हो।
लेकिन वो कुछ बोल भी नहीं सकता था, मजबूर था!
हालात तो हम दोनों की खराब थी।
फिर मैंने अपने बेटे को चुप करवाया और बोली- रोहित, मैं चलती हूं। शायद नमन को भूख लगी है।
वो बोला- अरे यार, क्या बात कर रही हो? ऐसे कैसे जा सकती हो। मैं भी तो भूखा हूं।
मैं हँसती हुई बोली- तुम फिर कभी खा लेना।
और मैं खड़ी हो गयी।
मेरे खड़े होते ही रोहित भी खड़ा हो गया और बोला- ऐसा मत करो यार … रुक जाओ, मैं लंच मँगवा देता हूं।
मैं बोली- सॉरी … नमन बाहर का कुछ नहीं खाता है।
और मैं जाने लगी।
तो रोहित बोला- ठीक है, मैं तुम्हें घर तक छोड़ देता हूं।
मैं बोली- सॉरी, मैं अपनी गाड़ी लेकर आई हूं।
तो वो बोला- ठीक है, फिर तुम मुझे छोड़ दो।
मैंने पूछा- कहाँ?
तो रोहित बोला- तुम अपने घर!
मैं हँसती हुई बोली- तुम पागल हो गए हो।
वो बोला- सही में मैं पागल हो गया हूं। तुम्हारे नंगे बदन को देखकर पागल हो गया हूं।
मैं डांटते हुए बोली- क्या बोल रहे बच्चे के सामने?
तो वो बोला- प्लीज यार, मुझे घर छोड़ने का मौका तो दो।
मैं बोली- घर जाकर क्या करोगे? मेरा बेटा मुझे छोड़कर नहीं रहता है।
तो वो बोला- कोई बात नहीं … मैं इसके साथ ही खेल लूँगा। और अगर मौका मिला तो चौका भी लगाऊंगा।
यह बोल कर उसने पीछे से मेरी गान्ड दबा दी।
मैं बोली- क्या कर रहे हो तुम मेरे बेटे के सामने?
तो वो बोला- यार वो नहीं देख रहा है। प्लीज ले चलो।
फिर मैंने सोचा कि ये रोहित मानने वाला है नहीं … और मैं भी चूत की आग में जल रही थी।
तो मैं बोली- ठीक है, चलो … लेकिन खाली हाथ ही आना पड़ेगा।
रोहित बोला- वो तो वक़्त बताएगा।
फिर रोहित बोला- तुम गाड़ी लेकर निकलो, मैं आ रहा हूँ।
मैं जैसे ही निकलने लगी, उसने गान्ड पर एक चपाट लगा दी और बोला- आज तो इसकी खैर नहीं।
‘बदमाश कहीं के …’ बोलकर मैं रोहित ऑफिस से निकल गयी और गाड़ी में बैठ गयी.
कुछ देर बाद रोहित आया तो उसने कहा- यार, तुम बेटे को पीछे बिठा दो, तुम यहाँ आगे आ जाओ।
मैं भी यही चाहती थी, मैंने अपने बेटे को कार में पीछे बिठा दिया और खुद रोहित के साथ आगे बैठ गयी।
अब रोहित ड्राइव कर रहा था और मैं पीछे घूम कर अपने बेटे से बात कर रही थी। फिर मैं सीधी होकर बैठ गयी और मैं रोहित को घर का रास्ता बताती रही.
रोहित मुझे पूरे रास्ते मेरे जांघ और चूत को मसलता रहा और हमें घर तक ले आया. रास्ते भर रोहित के हाथों की वजह से मैं और भी गर्म हो गयी।
घर पहुँच कर हम गाड़ी से उतरे और मैंने दरवाजा खोला। वो मेरे साथ ही मेरे घर में दाखिल हुआ।
मैं रोहित को सोफे की तरफ इशारा करते हुए बोली- तुम बैठो, मैं तुम्हारे लिए कुछ लाती हूँ।
तो वो बोला- यार, ये सब फॉर्मिलिटीज मत करो। मुझे जो चाहिए वो तो दे नहीं रही हो।
मैं इतराती हुई बोली- क्या चाहिए आपको सर?
तो वो बड़े ही बेशर्मी से मेरे बेटे के सामने ही बोला- तेरी चूत चाहिए मेरी रानी।
मैं थोड़ी गुस्से में बोली- पागल हो गए हो क्या? मेरे बेटे के सामने क्या बोल रहे हो।
तो वो बोला- मैं क्या करूँ यार … अब मेरे से बर्दाश्त नहीं हो रहा है। देखो मेरे लन्ड की हालत!
उसका लन्ड फुल शेप में था।
मैं बोली- आज तो मुश्किल है।
तो वो बोला- आज तो मैं लेकर रहूँगा।
फिर वो मेरे बेटे के साथ खेलने लगा।
कुछ देर बाद हम तीनों लुका छुपी खेलने लगे।
पहले रोहित ही चोर बना और मैं मेरे बेटे को लेकर छुप गयी। थोड़ी देर में रोहित आया और पहले मेरे बेटे पर ही दावा बोला। मैं उसकी चाल समझ रही थी।
फिर जैसे ही मेरे बेटे ने आँखें बंद की, उसने मुझे अपनी गोद में उठाया और कमरे में ले जाकर बेड पर पटक दिया।
वो तो मेरे ऊपर टूट गया। मेरे ऊपर तो उसने चुम्मियों की बारिश कर दी। इसमें मैं भी उसका साथ बराबर दे रही थी।
हम दोनो अपना होश खो चुके थे, दोनो एक दूसरे को बेतहाशा चूम रहे थे।
न जाने कब उसने मेरी टॉप उतार दी और मेरे बूब्स को पीने लगा, काटने लगा। मैं भी उसका साथ दे रही थी।
हम लोग एक दूसरे इतने खो गए थे कि सब कुछ भूल चुके थे।
तभी ना जाने मेरा बेटा कब आ गया और बोला- मम्मी ये अंकल आपके बूबू क्यों पी रहे हैं?
तभी हम दोनों को होश आयी और मैं बात को संभालते हुए बोली- वो बेटा आपको बूबू कड़वा लगता है ना … इसलिए ये अंकल आपके लिए बूबू को मीठा कर रहे हैं।
मैं आप लोगों को बता दूँ कि मैं अपने बेटे का दूध छुड़वाना चाहती थी इसलिए जब वो मेरी दूध पीने आता तो मैं अपनी निप्पलों पर कुछ भी लगा लेती थी ताकि उसे कड़वा लगे और वो छोड़ दे.
फिर मैं अपने बेटे से बोली- अंकल को थैंक्स बोलो।
मेरा बेटा रोहित को थैंक्स बोला।
फिर मैं अपने बेटे को बोली- आप बोल रहे थे ना कि आपको एक बहन चाहिए?
तो मेरे बेटे ने सर हिला कर हाँ में जवाब दिया।
मैं बोली- तो अंकल को आप ही बोलो कि मुझे सुई लगा दें ताकि मैं आपके लिए एक बहन ला सकूं!
ये सब बातें सुनकर रोहित मुस्कुरा रहा था।
फिर वो रोहित से बोला- अंकल मेरी मम्मी को सुई लगा दो ना!
रोहित बोला- ठीक हैबेटा … अभी लगा दूंगा. पहले तुम्हारी मम्मी की बूबू तो मीठा करने दो।
फिर मैं बेटे से बोली- तब तक आप हॉल में जाकर अपने टॉयज के साथ खेलो, तब तक मम्मा को अंकल सुई लगा रहे हैं।
मैं उठी और अपने बेटे को हॉल में खिलौने के साथ बिठा कर वापस आकर डोर लॉक कर लिया.
रोहित से मैं बोली- जो करना है, जल्दी करो, ज्यादा समय नहीं है।
तो रोहित बोला- बिल्कुल!
और वो मुझे अपनी बांहों में ले लिया और स्मूच करने लगा। एक हाथ से वो मेरी चूची मसल लगा। वो तो बस मेरे होंठों को चूसे ही जा रहा था।
करीब 10 मिनट हो गये होंगे तो मैं उसे अपने से अलग किया, मैं बोली- बस भी करो।
तो वो उठा और मेरी जीन्स उतार दिया।
मेरी चूत तो भट्टी की तरह गर्म थी।
मैं रोहित को बोली- ज्यादा वक्त बर्बाद मत करो।
फिर वो नंगा हुआ और मैंने उसका लन्ड थोड़ी देर मसला. अब वो अपने लन्ड को मेरी चूत में डालने लगा।
तभी मैं बोली- रुको!
मैंने ड्रावर में से एक चॉकलेट फ्लेवर की कंडोम निकाला और उसे दिया।
तो उसने मना कर दिया और बोला- पागल है क्या? मैंने तेरे बेटे से वादा किया है कि उसे बहन दूँगा।
और हँसने लगा।
फिर मैं भी हँसती हुई बोली- क्यों नहीं … इस बार तू ही बन जा मेरे होने वाले बच्चे का बाप।
इतने में ही वो लन्ड मेरी चूत में पेलने लगा जिससे मैं चिहुँक उठी और बोली- आराम से … कहीं भागी नहीं जा रही हूँ मैं!
फिर उसने आराम से अपना लन्ड मेरी चूत पे लगाया और एक जोर का झटका मारा। एक ही झटके में लन्ड आधा अन्दर चला गया।
तभी देर न करते हुए उसने दूसरा झटका भी दे दिया।
इस बार रोहित के लन्ड ने सीधा मेरी बच्चेदानी को पप्पी दे दी और मैं दर्द से कसमसाने लगी।
लेकिन उससे कई ज्यादा मज़ा आ रही थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे न जाने कितनों दिनों बाद मेरी चूत लन्ड का स्वाद ले रही है।
फिर वो लन्ड आगे पीछे करने लगा और मेरे होंठों को, गालों को बुरी तरीके से चूस रहा था।
मुझे आज दर्द नहीं हो रहा था बल्कि मैं इसका लुत्फ़ उठा रही थी और पूरा साथ दे रही थी।
अब उसने अपनी चूत चोदन गति को बढ़ा दिया। मैं भी अपनी गान्ड उचका उचका कर चुदवा रही थी। ऐसा लग रहा था न जाने कितनों दिनों के बाद मेरी चूत की सर्विसिंग हो रही है।
Sex Partner
करीब 20-25 मिनट के बाद मैं झड़ने को आई और मैं चिल्लाने लगी- और तेज … और तेज … और तेज चोद बहनचोद! फाड़ दे मेरी चूत को … बना दे अपनी बच्चे की माँ!
इस तरह मैं बड़बड़ाने लगी।
फिर रोहित बोला- हाँ मेरी रंडी … आज पूरी फाड़ दूँगा।
मैं बोली- आज फाड़ ही दो। मेरी चूत का भोसड़ा बना दो … मैं बहुत प्यासी हूँ।
और बोलते बोलते मैं झड़ गयी।
थोड़ी देर बाद रोहित ने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और बोला- मैं भी आ रहा हूँ मेरी रानी।
और वो मुझे गाली देने लगा- साली, रंडी, कुतिया, छिनाल!
न जाने क्या क्या बोल रहा था।
कुछ ही देर में एक जोर की पिचकारी मेरी बच्चेदानी पर मारी और इसके साथ ही मेरी छूट में वीर्य की बाढ़ आ गयी, वो भी झड़ गया और मेरे ऊपर ही लेट गया।
फिर हम दोनों 10 मिनट बाद उठे और मैंने अपने आप को साफ किया और अपने बेटे के पास गयी।
दोस्तो, मेरी यह चुदाई आप लोगों को कैसी लगी? मुझे बताइएगा जरूर!
और इसके बाद मैं किस से चुदी और कैसे चुदी … यह मैं अगली कहानी में बताऊँगी।
आप सबकी प्यारी आप लोगों की अपनी मधु जल्द ही वापस आएगी. तब तक के लिए आप लोग मेरी नाम की मुठ मारें और अबकी बार सारा वीर्य मेरी गान्ड में डालें।
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