पार्क में मिली भाभी चूत चुदवाकर माँ बनी

पार्क में मिली भाभी चूत चुदवाकर माँ बनी


यंग भाभी फक स्टोरी नॉएडा में पार्क में मिली एक जवान भाभी से दोस्ती के बाद सेक्स की है. भाभी को मेरा कसरती बदन पसन्द आ गया था और मुझे भाभी की खूबसूरती! बात कैसे बनी?
दोस्तो, मैं आशा करता हूँ आप सब स्वस्थ होंगे.
मैं अन्तर्वासना की सेक्स कहानियों का एक नियमित पाठक हूँ.
मैंने यहां बहुत सी कहानियां पढ़ीं तो सोचा कि क्यों ना मैं भी अपनी खुद की एक सच्ची यंग भाभी फक स्टोरी आप लोगों को सुनाऊं.
मेरा नाम रवि है और मैं पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ. इंजीनियर में सिर्फ दिन में हूँ, रात में मैं एक जिगोलो का काम करता हूँ.
मेरी हाइट 5 फ़ीट 11 इंच है और शरीर एकदम कसरती है. चेहरे पर रणवीर सिंह जैसी दाढ़ी और स्टैमिना राहुल द्रविड़ जैसा.
ऑफिस की और आस-पास की काफ़ी लड़कियों को मैं चोद चुका हूँ.
उन्हें चोदने में आनन्द तो बहुत आता है लेकिन तब भी मेरा मानना है कि किसी अनुभवी के साथ सेक्स करने का मज़ा ही अलग है.
मैं आज आपको एक भाभी को चोदने की कहानी सुना रहा हूँ और यहीं से मेरा जिगोलो बनने का सफर शुरू हुआ था.
यह बात 3 साल पहले की है.
मैं नोएडा में जॉब करता था.

मैं नोएडा में एक पीजी में रहता था, पीजी में खाना बनाने का झंझट नहीं होता, इसलिए मैंने फ़्लैट नहीं लिया था.
मेरे पीजी के पीछे ही समुदायिक पार्क था. उस पार्क में सब उम्र के लोग आते थे.
बुजुर्ग आदमी, औरतें, छोटे लड़के-लड़कियां, पति-पत्नि, प्रेमी, घरेलू महिलाएं और कुछ ऐसी भी महिलाएं आती थीं, जिन्हें अपना शरीर और फिगर सही रखना होता था.
ऑफिस के बाद मेरा रोज़ाना का रूटीन पार्क में जाकर कसरत करने का था.
मैं क्रिकेट में काफी आगे तक खेल चुका हूँ, तो मुझे लगातार कठिन कसरत करने में बिल्कुल दिक्कत नहीं होती थी और मैं उस पार्क के 25 चक्कर आराम से लगा लेता था.
उस दिन पार्क में मेरा पहला दिन था तो मैंने ज़्यादा इधर-उधर ध्यान नहीं दिया, जल्दी जल्दी अपनी कसरत निपटाई और अंडे खाने चला गया.
लगभग एक हफ्ता ऐसे ही निकल गया.
अब मैं वहां के वातावरण के हिसाब से भी ढल गया था इसलिए अब कट स्लीव की टी-शर्ट पहनकर जाने लग गया था.
मैं जब भी पार्क जाता तो कुछ औरतें, जवान लड़कियां मेरी ओर देखती रहती थीं.
मुझे पता था कि मैं आकर्षक लगता हूँ. लेकिन ऐसे जाते से ही तो किसी को चोदने के लिए नहीं पूछ सकता.
दूसरा यह कि मुझे उसी जगह रहना था और सब वहीं रहते थे तो कुछ लफड़ा भी हो सकता था.
इसलिए मैंने उन पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया.
एक दिन जब मैं पार्क में जाने लगा तो एक शादीशुदा महिला मेरे साथ ही पार्क में घुसी.
मैंने उसे देखा तो मैं देखता ही रह गया.
वह बला की खूबसूरत. मोटी सी गांड, उभरे हुए बूब्स, पतली कमर आह … लगता था कि भगवान ने उसे बड़ी फुर्सत से बनाया है.
मैं उसके फिगर को घूरे जा रहा था.
अभी तक मैंने उसके चहेरे की तरफ़ नहीं देखा था.
तभी एकदम से गले को सही करने की आवाज़ आयी.
मैं एकदम से वापस होश में आया- माफ़ कीजिए मैडम, मैंने आपको देखा नहीं.
महिला- कोई बात नहीं, लेकिन अब तो देख लिया ना … तो अब तो अन्दर जाने दो!
यह कहकर वह मुस्कुरायी.
मैं भी मुस्कुराया और पहले उसे जाने का प्रस्ताव दिया.
वह अन्दर गयी और धन्यवाद बोला.
मैं रोज़ की तरह अपनी कसरत कर रहा था लेकिन आज बार-बार मेरी नज़रें उधर जा रही थीं जिधर वह अपनी कसरत कर रही थी.
कसम से उसका फिगर देख कर मैं बावला हुआ जा रहा था.
बस मेरा मन कर रहा था कि इसे अभी पटक कर चोद दूँ.
तब मैंने ठान ली थी कि आज कम से कम इसका नाम और इंस्टाग्राम आईडी जरूर पूछ कर जाऊंगा.
मैंने देखा कि उसकी कसरत हो गयी थी और वह पार्क के गेट की तरफ जा रही है.
तो मैंने अपनी कसरत आधी छोड़ी और उसके पीछे चल दिया.
जैसे ही गेट के बाहर निकली, मैंने उससे बातचीत शुरू की.
मैं एक खुले मिजाज का युवक हूँ, तो किसी से बात करने में मुझे झिझक नहीं होती.
मैं- हैलो.
महिला- हाय.
मैं- उस भिड़ंत के लिए सॉरी, आप शायद उस घटना पर ज्यादा ध्यान नहीं देंगी!
महिला- अरे कोई बात नहीं, हो जाता है कभी-कभी.
मैंने पहली बार उसका चेहरा देखा. क्या प्यारी आंखें थीं उसकी आह. मुलायम होंठ, रंग गोरा.
सच में वह बहुत सुंदर थी.
उसकी उम्र लगभग 30-32 की होगी. माथे पर सिंदूर बता रहा था कि शादीशुदा माल है.
सफ़ेद रंग का टॉप, लाल रंग की लेग्गिंग और हाथ में पानी की बोतल.
मैंने अपना हाथ बढ़ा कर कहा- मेरा नाम रवि है और आपका?
महिला- मेरा नाम शोभा है.
हम दोनों ने सभ्य लोगों की तरह हाथ मिलाए.
मैं- आप अंडे खाती हैं?
शोभा- जी हां, क्यों?
मैं- तो बाक़ी बातें अंडे खाते-खाते करें! इतनी कसरत की है तो प्रोटीन लेना भी जरूरी है.
यह कहकर मैं हल्का सा मुस्कुराया और शोभा भी मान गयी.
हम दोनों साथ में अंडे खाने गए और रास्ते में हमारी काफ़ी बातें हुईं.
उसकी शादी को अभी डेढ़ साल ही हुआ था.
उसका पति किसी दूसरी कंपनी में काम करता था.
वह मेरे पीजी से दो गली छोड़ कर ही रहती थी.
वह मेरे बगल वाली कंपनी में ही काम करती थी.
फिर आखिरकार हम दोनों इंस्टा पर भी जुड़ गए.
मैं बातों में थोड़ा तेज़ हूँ और शायद इसी वज़ह से शोभा इतनी सी देर में मुझसे सहज हो गयी थी.
शायद इसी का उपहार उसकी इंस्टाग्राम आईडी मुझे मिल गई थी.
घर आकर मैं नहाया और खाना खाकर उसको मैसेज किया- हैलो, तुम्हारे साथ समय बिताकर अच्छा लगा.
शोभा- हाय, मुझे भी!
मैं- तुम बहुत फिट लगती हो.
शोभा- धन्यवाद … और तुम भी.
मैं- धन्यवाद.
शोभा- तुम स्पोर्ट्स पर्सन हो?
मैं- हां, तुम्हें कैसे पता?
शोभा- तुम्हारा शरीर सब बता देता है … और शायद मैंने तुम्हें कहीं देखा भी है.
मैं जब खेलता था तो मेरे मैच DD-Sports पर आते थे.
शायद शोभा ने मुझे वहीं देखा होगा.
मैं- जी, मैं क्रिकेट खेलता हूँ.
शोभा- तुम वही रवि हो ना, जो राजस्थान की तरफ़ से खेलते थे और एक बार उत्तर प्रदेश को बुरी तरह हराया भी था.
मैं- जी, मैं वही रवि हूँ. लेकिन तुमको इतना सटीक कैसे याद है?
शोभा- मैंने वह पूरा मैच देखा था, इसलिए.
मैं- तुम्हारा ऑफिस का टाइमिंग क्या है?
शोभा- सुबह 9 से शाम 6 तक … और तुम्हारा?
मैं- यही जो तुम्हारा है, कल साथ आएं?
शोभा- हां क्यों नहीं.
मैं- सो जाओ नहीं तो तुम्हारा पति शक करेगा कि इतनी रात में किससे बात कर रही है.
शोभा- अरे यार, ये अभी तक आये ही नहीं. उनको शायद देर हो जाएगी. चलो मैं तो सोती हूँ … अपन कल मिलते हैं.
अब मेरी शोभा से अच्छी पटने लग गयी थी. हम दोनों अच्छे दोस्त हो गए थे. हम रोज़ घर साथ आते, कसरत साथ करते, अंडे खाने साथ जाते और कभी-कभी तो सोया चाप भी साथ ही खाने जाते.
मुझे थोड़ा पता चल गया था कि शोभा मुझे पसंद करने लग गयी है और मुझे भी वह पसंद थी.
शायद उससे उसका पति इतना समय नहीं देता होगा, जितना मैं देता था.
लेकिन मुझे डर था कि कहीं मेरी वजह से इनकी शादी-शुदा ज़िंदगी में कोई लफड़ा ना हो जाए.
इसी बीच मैं 1-2 बार शोभा के घर भी गया था, वहां हमने चाय पी थी बस … इससे ज़्यादा कुछ नहीं हुआ.
फिर आया वह दिन, जिसका मुझे इंतज़ार था और शायद शोभा को भी.
शोभा का पति 2 महीने के लिए कंपनी के काम से विदेश गया था.
मैंने शोभा से पूछ कर मूवी के 2 टिकट्स ले लिए थे.
वह शनिवार का दिन था.
मैंने सोचा कि पहले मूवी देखेंगे फिर बाहर खाना खाएंगे और कुछ शॉपिंग करके वापस शाम का खाना खाकर आ जाएंगे.
मूवी का टाइम 9:30 AM का था, मैंने दो कॉर्नर सीट्स बुक की थीं.
मुझे कॉर्नर पर बैठ कर मूवी देखना अच्छा लगता है इसलिए.
मूवी थी ‘बधाई हो’
मैंने अपने दोस्त की बाइक ली और 9:15 हॉल के बाहर पहुंच गए.
शोभा क्या लग रही थी.
उसने पीला प्रिंटेड कुर्ता, लाल लेगिंग्स, होंठ हल्के-हल्के से लाल, आंखों में हल्का सा काजल.
मेरी तो उस पर से नज़र ही नहीं हट रही थी.
वह एकदम काइरा आडवाणी लग रही थी.
शोभा ने दो बार मुझे आवाज़ दी लेकिन मैं उसमें इतना खो गया था कि मैंने सुनी ही नहीं.
शोभा- कहां खो गए सर?
मैं- तेरे चेहरे से नज़र नहीं हटती नज़ारे हम क्या देखें.
शोभा मुस्कुरा दी.
वहां खड़े लोग हम दोनों को पति-पत्नी समझ रहे थे और ऐसे देख रहे थे कि मानो कह रहे हो जोड़ी हो तो ऐसी.
मेरे मन में पता नहीं क्या आया, मैंने शोभा के कंधे पर हाथ रखा और उसके माथे पर किस कर दी.
शोभा थोड़ी चौंकी लेकिन उसके चेहरे पर शर्मीली मुस्कान थी.
उसने अपनी हाथ की उंगलियां मेरे हाथ की उंगलियों में डालकर कसकर पकड़ा और अपना चेहरा मेरे कंधे से लगा लिया.
हम मूवी हॉल में घुसे और ताज्जुब की बात थी कि मूवी हिट थी, फिर भी हॉल ख़ाली था.
ये शायद हमारे लिए एक नए कल की शुरुआत का इशारा था.
हम पीछे वाली कार्नर सीट पर बैठ गए.
हाल के अंधेरे में परदे की रोशनी से शोभा का चेहरा चमक रहा था.
मैं उसकी तरफ हल्का सा झुका, थोड़ा वह भी झुकी.
उस वक्त हम दोनों में पहली किस हुई.
मैं आंख बंद करके उसके नर्म-नर्म होंठों को चूसे जा रहा था.
वह भी मेरा भरपूर साथ दे रही थी.
कुछ मिनट की किस के बाद मेरा हाथ उसके बूब्स पर चला गया.
दोस्तो क्या बूब्स थे उसके … आह उसके बूब्स काफी नर्म थे.
उसका 34-32-36 का फिगर मानो मुझे उसे चोदने का न्योता दे रहा था.
मैंने उसके होंठ चूसने जारी रखे और अब तो मैं चूसने के साथ-साथ उसके बूब्स भी दबा रहा था.
शोभा काफी गर्म हो चुकी थी.
मेरा भी लंड मेरी जीन्स में तम्बू बना चुका था.
शोभा का एक हाथ मेरे गले पर था और दूसरे से वह मेरा लंड सहला रही थी.
फिर मैंने शोभा की गर्दन पर किस करनी शुरू कर दी.
इससे शोभा और गर्म हो गयी और अपने दूसरे हाथ से वह मेरी जीन्स की चैन खोलने में लग गयी.
शोभा ने मेरा लंड जीन्स से बाहर निकाल लिया था और अब वह मेरा लंड चूस रही थी.
मुझे अच्छा तो लग रहा था लेकिन इससे मुझे मज़ा नहीं आ रहा था.
मैंने शोभा को थोड़ा रुकने को कहा और बेल्ट खोल कर जीन्स घुटनों तक कर दी.
शोभा ने फिर से मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया.
आह क्या बताऊं यार … बहुत मज़ा आ रहा था.
मैं अपने दोनों हाथों से शोभा को अपने लंड की तरफ़ धकेल रहा था.
मेरा लंड उसके गले तक उतर गया और उसको सांस लेने में दिक्कत होने लगी.
इससे वह छटपटाने लगी.
मैंने उसको थोड़ा ढीला छोड़ा, उसने मुँह से लंड निकाला और मुझे देखने लगी.
तब मैंने उसे उठा कर अपनी गोद में बैठा लिया.
अब मैं दोनों हाथ से उसके बूब्स दबा रहा था और उनको ऊपर से चूस और काट भी रहा था.
मैंने शोभा का टॉप ऊपर किया और पीछे से उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया.
ब्रा को थोड़ी ऊपर करके अब मैं उसके नंगे बूब्स पर टूट पड़ा.
जानवरों की तरह मैं उसके बूब्स चूसे जा रहा था, दबाये जा रहा था.
इससे शोभा इतनी गर्म हो गयी कि उसके मुँह से सिसकारियां निकलने लग गईं.
शोभा ‘आह … आह … ’ कर रही थी और दोनों हाथों से मेरे बाल खींच रही थी.
इस सब में हम दोनों को बहुत मज़ा आ रहा था और हम दोनों काफ़ी गर्म हो गए थे.
अब सिर्फ़ इतने से हमारा मन नहीं भरने वाला था.
मैंने शोभा के कान में घर चलने को कहा और वह झट से तैयार हो गयी.
हम घर के लिए निकले.
उस दिन 15 मिनट का रास्ता मुझे 15 घंटे का लगने लगा था.
बाइक पर वह मुझसे पूरी चिपक कर बैठ गयी लेकिन हमने कोई हरकत नहीं की.
क्योंकि हमें प्यार करना था, हवस नहीं मिटानी थी.
घर पहुंचते ही मैंने शोभा से कहा- देखो शोभा, ये सब हमारे बीच इसलिए हो रहा है क्योंकि तुम्हारा पति तुम्हें समय नहीं दे रहा है … और शायद हम एक दूसरे को पसंद भी करते हैं. लेकिन कहीं ये ना हो कि इससे तुम्हारी शादी टूट जाए और तुम मुझसे शादी करने को कहो. अगर ऐसा है तो हम ये सब नहीं करते हैं.
शोभा ने मेरी बात का पूरा समर्थन किया और हां में सर हिला दिया.
बस फिर क्या था, मैं और शोभा इस तरह एक दूसरे पर टूट पड़े, जैसे एक दूसरे को खा ही जाएंगे.
कभी मैं उसके होंठ चूसता, कभी वह मेरे. कभी मैं उसकी गर्दन चाटता, कभी वह मेरी. कभी मैं उसके बूब्स निप्पल चूसता कभी वह मेरे …
और इस सबमें हमने कब एक दूसरे को नंगा कर दिया, पता ही नहीं चला.
मैंने शोभा को गोद में उठाया और दीवार के सहारे लगा कर उसके होंठ चूसने शुरू कर दिए.
कभी उसके होंठ, कभी गर्दन, कभी कंधे, चूस-चूस कर उसके होंठों को खा ही लिया.
उसे भी अपने होंठों में जलन होने लगी.
फिर मैंने उसे उठा कर मख़मल के पलंग पर पटक दिया और उसके पैर अपने कंधे पर रखकर उसकी चूत चूसनी शुरू कर दी.
मेरी पकड़ इतनी टाइट थी कि शोभा हिल भी नहीं पा रही थी.
मैंने उसकी चूत में जैसे ही जीभ डाली, उसके शरीर में बिजली सी दौड़ गयी और उसने अपने हाथ से मेरे बाल पकड़ लिए.
मैंने उसकी चूत में जीभ डाली और उसे बेहरमी से चाटना शुरू कर दिया.
‘ओह्ह फ़क … ओह्ह बड़ा मस्त चूस रहे हो रवि … ओह यस कम ऑन बेबी मेरा रस झाड़ दो.’
शोभा अपने आपे से बाहर हो चुकी थी और अपने हाथों से मुझे अपनी चूत पर दबा रही थी.
मुझे पता लग गया था कि इसकी चूत टाइट है तो इसे मेरा लंड लेने में काफी दर्द होगा.
इसलिए मैंने उसकी चूत में उंगली करना शुरू कर दिया.
पहले एक उंगली, फिर दो और फिर तीन.
इससे शोभा की चूत थोड़ी खुल गयी थी.
इसी बीच उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था और मैं उसका नमकीन पानी पी गया.
अब मैंने अपना लंड शोभा की चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया.
शोभा से भी रहा नहीं जा रहा था.
वह बार-बार बोल रही थी- प्लीज रवि, अब मुझे चोद दो, मुझसे रहा नहीं जा रहा है.
एक पल की भी देर किए बिना मैंने उसकी चूत में एक झटके में अपना आधा लंड उतार दिया.
इससे शोभा को काफ़ी दर्द हुआ और वह मुझे गालियां देने लगी- आह मर गई … भैन के लौड़े मादरचोद … हरामी धीरे पेल कुत्ते … आह साले तूने मेरी चूत फाड़ दी.
उसकी इस भाषा से मुझे और जोश आ गया और मैंने एक और ज़ोरदार धक्का दे दिया.
इससे मेरा पूरा लंड उसकी चूत में उतर गया.
थोड़ी देर बूब्स चूसने और होंठ चूसने के बाद शोभा कुछ शांत हुई और अब मैंने मचक कर उसकी चुदाई शुरू कर दी थी.
मेरे हर धक्के से शोभा को मज़ा आ रहा था.
वह ‘फ़क मी हार्डर बेबी … मेक मी कम आह्ह … ओह्ह … यसस्स …’ बोले जा रही थी.
फिर मैंने शोभा को उठा कर सोफ़े पर बैठा दिया, उसकी दोनों टांगें सोफे कर हत्थे पर रख दीं ताकि उसकी चूत साफ़ दिखे.
मैंने फिर से अपना लंड उसकी चूत में डालकर चुदाई शुरू की.
सोफ़े की चुदाई का अलग ही मज़ा है दोस्तो, कभी किसी की लेकर देखना.
दस मिनट सोफ़े पर चुदाई करते-करते मेरे पैर दर्द करने लगे थे.
अब मैंने शोभा को पलंग पर लेटाया और चूत में लंड डालकर उसके ऊपर लेट कर झटके मारने शुरू कर दिए.
शोभा मुझे अपने ऊपर झेल नहीं पा रही थी.
कहां उसका पतला सा पति और मैं बलिष्ठ सा जानवर.
उसकी सांसें रुकने लगीं लेकिन मैंने बिना परवाह किए उसे चोदना जारी रखा.
करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद मेरा होने वाला था और इसी बीच शोभा दो बार झड़ चुकी थी.
मैंने अपने झटकों की रफ़्तार बढ़ाई और आह … आह.. यस … बेबी कहता हुआ उसकी चूत में ही झड़ गया.
उसकी चुदाई का काफ़ी अच्छा अनुभव रहा था. सच में ऐसा लगा, जैसे मैंने किसी परी को चोदा हो.
मैं झड़ कर उसके ऊपर ही पड़ा रहा.
शोभा ने मेरे ललाट पर किस की और मैंने भी की.
थोड़ी देर बाद मैं उसके ऊपर से उठा, तब उसे थोड़ी सांस आयी.
अब हम दोनों ने देखा कि मैंने बिना कंडोम ही उसकी चुदाई कर दी.
यह देख हम दोनों थोड़ा टेंशन में आ गए.
मैंने शोभा को समझाया कि कुछ नहीं होगा.
उसके बाद हमने लंच किया और उस दिन शाम तक मैंने शोभा की 4 बार चुदाई की.
कुछ बीस दिन बाद मुझे पता चला कि शोभा की माहवारी रुक गई है.
अभी तक उसका पति वापस नहीं आया था।
इसका मतलब यही था कि वह मेरे बच्चे की माँ बनने वाली थी.
उसने कहा कि मैंने अपने पति के जाने से पहले उनसे भी एक-दो बार चुदवा लिया था. ये भी हो सकता है कि ये उनका ही बेबी हो.
यह कह कर वह मुस्कुराने लगी.
मैंने उससे उसके मुस्कुराने का सबब पूछा, तो उसने बताया कि यह पक्का है कि मैं तुमसे ही गर्भवती हुई हूँ क्योंकि मैंने पति के साथ सेक्स करने के बाद आईपिल खाई थी.
फिर यंग भाभी फक के नौ महीने बाद शोभा को एक लड़का हुआ, जिसका नाम मेरे बताने पर शोभा ने दिवेश रखा.
तीन साल तक मैंने शोभा को बहुत बार चोदा, माँ बनने से पहले भी और माँ बनने के बाद भी.
शोभा ने उसके ऑफिस की उसकी दो असंतुष्ट सहेलियों को भी मुझसे चुदवाया.
मैंने उनको पूरी पूरी रात चोदा था.
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी यंग भाभी फक स्टोरी. मुझे मेल करके जरूर बताएं.
मेरी ईमेल आईडी है
[email protected]

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