हेल्लो फ्रेंड्स, मेरा नाम सुनीता है. मैं अपने मम्मी पापा के साथ रहती हूँ. मैं घर का काम करती हूँ और कभी कभी मम्मी को स्कूटी से बाजार करवाने के लिए लेकर जाती हूँ.
मैं शाम को अपनी सहेलियों के साथ घूमने जाती हूँ और कभी कभी मम्मी पापा के साथ भी घूमने के लिए जाती हूँ. मैं दिखने में सेक्सी हूँ और अपने आपको बहुत मेन्टेन भी रखती हूँ. अपने आपको फिट रखने के लिए मैं रोज अपनी सहेलियों के साथ पार्क में जाकर टहलती हूँ.
मैं अपनी कहानी में आपको बताउंगी कि अपने पापा के दोस्त के लड़के से मेरी की दोस्ती हुई, कैसे हम दोनों ने एक दूसरे के साथ सेक्स किया, मैं अपने पापा के दोस्त के लड़के से चुदी.
मैं पहले भी सेक्स कर चुकी हूँ और जो सेक्स कर लेता है उसको सेक्स का मजा पता चल जाता है. मैं भी सेक्स बहुत मन से करती हूँ और कभी कभी जिस दिन लंड नहीं मिलता मेरी चूत को अपनी चूत में उंगली करके अपने आपको शांत कर लेती हूँ. मुझे जब भी मौका मिलता है तो अपने बॉयफ्रेंड के साथ या अपने पड़ोसी के साथ होटल में जाकर सेक्स कर लेती हूँ. मुझे सेक्स का बहुत मन करता है लेकिन घर वालों और समाज की वजह से मैं रोज सेक्स नहीं कर पाती हूँ.
और दोपहर में मैं अपने घर से बाहर ही रहती हूँ या कभी कभी मेरी सहेलियां मेरे घर आती हैं तो मैं अपनी सहेलियों के साथ अपने घर पर बात चीत करती हूँ.
एक दिन मैं अपनी सहेली के घर गयी थी. मैं दोपहर को अपने घर वापस आई तो मेरी सहेली भी मेरे साथ मेरे घर आई थी.
मैं मेरी सहेली हम दोनों लोग मेरे बेडरूम में टीवी देख रहे थे तभी मम्मी ने मुझे अपने रूम में बुलाया तो वहां मेरे पापा के दोस्त और उनका बेटा आया था.
मैंने उन लोगों से थोड़ी बात की और उसके बाद मेरे पापा के दोस्त का बेटा मेरे बेडरूम में आ गया. मैंने अपनी सहेली से भी उसको मिलवाया.
बाद में मेरी सहेली ने मुझे बताया कि बहुत स्मार्ट है तुम्हारे पापा के दोस्त का बेटा!
उसके बाद मेरे पापा के दोस्त का बेटा रोज मेरे घर आने लगा. उसका नाम जीतू था. उसको मेरी सहेली पसंद करती थी. मैं भी जीतू से बात करती थी और हम दोनों लोग की बातें फ़ोन पर भी होने लगी. मेरी मम्मी को यह बात पता थी कि मैं जीतू से फ़ोन पर बात करती हूँ लेकिन मम्मी को इस बात से कोई एतराज नहीं था क्योंकि जीतू मेरे पापा के दोस्त का बेटा था और वो लोग हमारी फॅमिली की तरह थे.
हम दोनों की बातें प्यार में बदल गयी और हम दोनों को पता भी नहीं चला. हम दोनों रोज एक दूसरे से मिलने लगे. जीतू और मैं जब भी मौका मिलता तो बाहर मिलते थे. जीतू कभी कभी मेरे घर आता था तो मम्मी जीतू को गरमागरम खाना खिलाती थी और वो अक्सर हमारे घर आता था.
एक दिन जीतू मेरे घर आया और मेरी मम्मी किचन में काम कर रही थी तो जीतू मुझे मेरे बेडरूम में ले गया और मुझे किस करने लगा. किस करते करते उसने मेरी चूची दबा दिया. हम दोनों लोग फ़ोन पर सेक्स वाली बातें भी करते थे इसलिए हम दोनों लोग एक बीच अब किस भी शुरू हो गया था.
जीतू किसी न किसी बहाने से रोज मेरे घर आता था और मम्मी कहीं बाहर बात करने के लिए चली जाती थी तो हम दोनों लोग एक दूसरे को किस करते थे और वो मेरी चूची दबाता था. हम दोनों किस करते करते उत्तेजित हो जाते थे.
कुछ दिन जीतू मेरे घर नहीं आया, वो अपने काम में बिजी हो गया था. जीतू जॉब करता था इसलिए उसको जॉब में बहुत काम था तो हम दोनों की फ़ोन पर बातें होती थी. हम दोनों बहुत दिन से एक दूसरे से मिले नहीं थे.
एक दिन जीतू सन्डे को मेरे घर आया. मैं उस दिन घर में अकेली थी और मम्मी अपनी पडोसी आंटी के साथ बाहर गयी थी. मैं पतली सी हल्की शर्ट और निक्कर में थी जिसमें से मेरी ब्रा भी दिख रही थी. जीतू मुझे घूर घूर कर देख रहा था और मेरी ब्रा को भी देख रहा था. जीतू मेरे नजदीक आया और मेरी चूची को दबाने और मुझे उसका लंड महसूस होने लगा. जीतू का लंड खड़ा हो गया था. हम दोनों एक दूसरे को किस कर रहे थे, वो मेरी चूची को दबा रहा था और हम दोनों लोग उत्तेजित हो गए थे.
तभी जीतू मेरी शर्ट के बटन खोल दिये और मेरी ब्रा उसके सामने थी. उसने मेरी ब्रा को ऊपर कर दिया और मेरी चूची को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा. और वो मुझे सोफे पर बैठा कर मेरी चूची को चूसने लगा.
तभी मम्मी का मेरे मोबाइल पर फ़ोन आया, उन्होंने मुझे बताया कि उनको आने में थोड़ी देर लगेगी क्योंकि वो ट्रैफिक में फंस गयी थी. आपको तो पता है कि शहर की ट्रैफिक कितनी ख़राब होती है.
मैंने जीतू को यह बात बताई कि मम्मी को आने में देर लगेगी, वो ट्रैफिक में फंस गई हैं. जीतू ने मेरी बात सुनते ही मेरी शर्ट और मेरी ब्रा निकाल दिया और वो अब आराम से मेरी चूची को चूसने लगा और मैं सिसकारियाँ लेने लगी.
मेरी चूची चूसने के बाद वो मेरे होंठों को चूसने लगा और मेरे बालों को खींचने लगा. जीतू मेरी चूची को चूसने के बाद मेरे निप्पल को भी काटने लगा. उसके बाद उसने मेरी निक्कर को निकाल दिया और मैं जीतू के सामने एक पेंटी में थी.
जीतू भी नंगा हो गया और मेरी पेंटी निकाल कर मुझे सोफे पर लिटा दिया, मेरी चूत को चाटने लगा. जीतू मेरी चूत को चाट रहा था और मेरी चूत से पानी निकल रहा था.
जीतू का लंड खड़ा हो गया था और मेरी चूत को चाटने के बाद वो अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ रहा था.
घर में कोई नहीं था इसलिए हम दोनों नंगे सोफे पर ही एक दूसरे को सेक्स का मजा दे रहे थे. वो अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ रहा था तो कभी मेरी चूत में अपनी उंगली डाल कर मेरी चूत को चोद रहा था. मेरी चूत में से पानी निकल रहा था और उसके लंड में से भी पानी निकल रहा था.
वो मेरी चूत को चाटने के बाद अपना लंड मुझे चूसने के लिए बोला तो मैं उसका लंड चूसने लगी. मैं सोफे पर बैठ कर उसका लंड चूस रही थी और वो खड़ा होकर अपना लंड मुझसे चुसवा रहा था. वो कभी कभी अपना लंड मेरे मुंह में अन्दर बाहर भी कर रहा था और हम दोनों बीच बीच में कभी कभी एक दूसरे को किस भी कर रहे थे.
कुछ देर में उसने अपने लंड का पानी मेरे मुंह में छोड़ दिया और मैं उसके माल को पी गई.
मुझे अपना लंड चुसवाने के बाद जीतू मेरी चूची को चूसने लगा और उसके बाद वो अपना लंड मेरी चूत में डालने लगा. मेरी चूत के छेद पे लंड टिका कर उसने धक्का मारा तो उसका लंड मेरी चूत में चला गया. मेरी चीख सी निकल गयी और वो मेरी चूत को चोदने लगा. मैंने उसको आराम से चोदने के लिए बोला तो वो मेरी चूत को आराम से चोदने लगा. क्योंकि मेरे घर कोई नहीं था इसलिए हम लोगों को सेक्स करने की जल्दी नहीं थी.
लेकिन थोड़ी से बाद अति उत्तेजनावश वो पागलों की तरह मेरी चूत को चोद रहा था. मेरी चूत को चोदते हुए वो मेरी चूची को अपने मुंह में लेकर चूस रहा था.
तभी बीच में रुक कर उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकला और उसके बाद मेरी चूत को हाथ से सहलाने लगा. थोड़ी देर मेरी चूत को सहलाने के बाद उसने अपना लंड एक बार में ही मेरी चूत में डाल दिया और मेरी चूत को चोदने लगा.
जीतू ने मेरी कसी चूत को खोल दिया था और मेरी चूचियों को चाट चाट कर बहुत आराम से मुझे चोद रहा था. हम दोनों लोग चुदाई कर रहे थे. हम दोनों के चेहरे पर एक अलग सी ख़ुशी थी. हम दोनों एक दूसरे का पूरा साथ दे रहे थे. मैं जीतू के नीचे लेटी थी, वो मेरे ऊपर आकर मेरी चूत में झटके मार रहा था. वो मुझे चोद रहा था और मैं दर्द भरी सिसकारियाँ ले रही थी.
सेक्स करते करते बीच में हमने स्टाइल बदल दिया और जीतू मुझे घोड़ी बना कर मुझे चोदने लगा. वो मुझे घोड़ी बनाकर मुझे चोद रहा था और मेरी चूची हिल रही थी. वो मुझे चोदते चोदते मेरी चूची को भी मसल रहा था और कभी कभी वो मेरी चूत में उंगली भी कर रहा था. वो मेरी चूची को मसल कर और मेरी चूत को चोद कर मुझे चुदाई का मजा दे रहा था.
मैं और जीतू बहुत देर तक सेक्स करते रहे इसलिए हम थक भी गए थे. हम दोनों सेक्स करते करते झड़ने लगे और हम दोनों का पानी निकल गया.
हम दोनों सेक्स करने के बाद नंगे ही एक दूसरे से चिपक कर लेट गए.
और कुछ देर तक आराम करने के बाद मैं बाथरूम में नंगी गयी और अपनी चूत को पानी से साफ़ की और उसके बाद जीतू भी मेरे पीछे आया. हम दोनों ने बाथरूम में एक दूसरे को साफ़ किया और उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को देख कर स्माइल कर रहे थे.
सेक्स करने के बाद हम दोनों के चेहरे पर एक सुकून का अहसास था. मुझे जीतू से चुदवाने में बहुत शांति मिली थी और मेरी चूत की खुजली भी शांत भी हो गयी थी. हम दोनों में स्टाइल बदल बदल कर सेक्स किया था तो चुदाई से सोफा भी ख़राब हो गया था, चुदाई का पानी भी गिर गया था. मैंने सोफा को ठीक किया कि किसी को लगे नहीं कि सोफा पर कुछ किया हो, सोफे पर से चुदाई के पानी को साफ़ किया.
उसके बाद मैं किचन में जाकर जीतू के लिए और अपने लिए चाय बनाने लगी. हम दोनों ने चाय पी और उसके बाद जीतू अपने घर चला गया.
मम्मी कुछ देर के बाद घर आई.
इसके बाद जब भी मम्मी घर से बाहर जाती तो हम दोनों सेक्स करते हैं.
आप सबको मेरी चुदाई की कहानी कैसी लगी. आप सबके फीडबैक से मुझे पता चलेगा इसलिए आप सब मुझे मेल करके बतायें.
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