मैंने बहन की चोदी चूत … मामी की चूत तो मिली नहीं लेकिन एक दूसरे मामा की बेटी की चूत खुद चुदने मेरे घर आयी। पहली चुदाई में मैंने क्या अहसास पाया?
दोस्तो, मैं राहुल अपनी पहली चुदाई की कहानी के दूसरे भाग के साथ आप सबके सामने फिर से हाजिर हूं।
आपको मैंने पहले भाग
पहली बार चूत चुदाई के चक्कर में बदनामी
में बताया था कि मंझली मामी की चूची दबाकर मैंने ननिहाल में कांड कर दिया।
मुश्किल से मैंने सबके हाथ-पांव जोड़कर बात संभाली और फिर दोबारा से चूत चोदने के ख्याल मुझे परेशान करने लगे।
अबकी बार नाना के बड़े भाई के बड़े बेटे की लड़की यानि मेरी कज़िन ने मुझे मैसेज किया।
उसके साथ चुदाई का प्लान फिक्स हो गया। एक दिन घर में कोई नहीं था और मैं उसे चुदाई के लिए ले आया।
वो मेरे सामने शर्माने लगी।
अब आगे की कहानी कैसे मैंने बहन की चोदी चूत:
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि उस वक्त सड़क पर तो इसे कोई शर्म नहीं आ रही थी फिर यहां पर क्या हो गया था इसे?
खैर अब वो मेरी तरफ देख भी रही थी।
उसने कहा- पहले खाना खा लो।
मगर जिसकी बरसों की भूख मिटने वाली थी उसे इस पेट की भूख की कहां परवाह थी.
मैंने कहा- और भी ज़रूरी काम हैं दुनिया में खाने के सिवाय!
“अरे वाह मेरे गालिब!” कहकर वो हंसने लगी।
मैंने उसे फिर से बांहों में भर लिया।
उसकी हसीं रुक गई और अजीब सी गंभीरता दिखी उसके चेहरे पर।
मैं उसे सिर्फ देखे जा रहा था और अब वह भी मुझे देख रही थी।
उसके दोनों हाथ मेरी पीठ पर थे। उसने वहां से हाथ हटाकर मेरे गालों पर रखे और मेरा चेहरा अपने चेहरे के पास खींचकर मुझे मेरे जीवन का पहला चुम्बन दिया।
रंजीता के होंठ बहुत ही नर्म थे।
इससे पहले मैं किसी महिला के शरीर का सबसे नर्म अंग उसके बूब्स को समझता था।
मैं समझ गया था कि ज़िंदगी में मेरे और भी भ्रम टूटना बाकी हैं।
उसने मुझे किस करते समय मेरे ऊपर और नीचे के दोनों होंठ अपने मुंह में भर लिए थे और उन्हें पूरी ताकत से चूस रही थी।
शुरू में हल्का दर्द हुआ मगर बाद में दुनिया का एक ऐसा अहसास हुआ जो पता भी नहीं था कि क्या होता है।
फिर मेरे होंठ ढीले कर उसने अपने दाएं हाथ की उंगली और अंगूठे से मेरे गाल दबाए।
मैं समझ गया और मैंने अपना मुंह खोल दिया। फिर उसने अपने दोनों होंठ मेरे मुंह में घुसा दिए और अपनी ज़बान मेरे मुंह में डाल दी।
मैंने भी अपनी ज़बान ऊपर उठाकर उसकी ज़बान पर रख दी।
कभी वो मेरी ज़बान को चूसती, कभी उस पर अपनी ज़बान फिराती।
बताने की ज़रूरत नहीं कि मैं पागलों की तरह उसके बूब्स दबा रहा था।
जब भी वह मेरी ज़बान चूसती मैं उसके बूब्स ज़ोर से दबाता। जितना ज़ोर से वो चूसती, उतनी ज़ोर से मैं उसके बूब्स दबाता।
जब वो ज़बान ढीली करती तो मैं भी अपनी पकड़ ढीली करता।
5-6 मिनट ये चुम्बन चला; उसके बाद वो थोड़ा पीछे हटी।
मैं समझ गया कि अब क्या करना है।
उसने पीले रंग की शॉर्ट कुर्ती पहनी हुई थी, मैंने फ़ौरन उसे उतार दिया।
शुरू में उसे थोड़ा असहज लगा लेकिन वह इतनी गर्म हो चुकी थी कि उसे खुद को कंट्रोल करना मुश्किल हो गया।
मैंने अपनी टी शर्ट उतारी तो वो मुझसे आकर चिपक गई।
जिस्म की गर्मी किसे कहते हैं ये भी मुझे पहली बार पता चला।
मैंने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए और दोनों कंधों से उसके स्ट्रैप निकाल दिए।
अभी वह मुझसे चिपकी हुई थी इसलिए ब्रा नीचे नहीं गिरी।
मैंने उसके दोनों हाथ पकड़कर उसे पीछे हटाया ताकि उसके बूब्स देख सकूं।
उसके बूब्स ज़्यादा बड़े नहीं थे लेकिन खूबसूरत थे, कसे हुए और तने हुए चूचे थे।
उसने मेरी बेल्ट खोलकर पैंट उतार दी।
मेरी अंडरवियर में तना हुआ मेरा लन्ड देखकर वो मुस्करा रही थी।
अब तक उसकी सारी झिझक मिट चुकी थी।
मैंने उससे पूछा- कभी देखा है किसी को करते हुए (सेक्स)?
उसने कहा- कई बार देखी हैं वो वाली फिल्में!
वो ये बात मुझे पहले भी बता चुकी थी।
मगर वो ये नहीं समझी कि मैं फिल्मों की नहीं … असल जिंदगी की बात कर रहा हूं।
मैंने कहा- पता है ना क्या करना है?
उसने अपनी उतरी हुई कुर्ती नीचे से उठायी और फोल्ड करके मेरी आंखों पर बांध दी।
मुझे पता चल गया कि आज या तो मेरी ज़िन्दगी का बेहतरीन दिन है या मेरा मानवता से विश्वास उठने वाला है।
वैसे उत्तेजना इतनी थी कि ज़्यादा सोच भी नहीं रहा था मैं!
फ़िर उसने मेरा हाथ पकड़ा और हॉल में ले जाकर मुझे सोफे पर बिठा दिया।
अब अपनी सलवार को उतारकर मेरे दोनों हाथ मेरी पीठ पर बांध दिये।
फिर मेरा मुंह खोल कर उसमें अपने बूब्स एक एक करके डालते हुए चुसवाने लगी।
मुझे लगा था कि पहले सेक्स में सब कुछ तेज़ गति वाला होगा।
मगर ये लंबे खेल वाली खिलाड़ी निकली।
वो सिसकारी- असीम, चूस मेरे मम्में हरामी, चूस इन्हें, सोच कि ये तेरी ज़िन्दगी की पहली और आखिरी चुदाई है।
उसके शब्द मानो मुझ पर जादू कर रहे थे।
मैं और ज़्यादा दीवानों की तरह उसके बूब्स चूसने लगा।
उसने मेरा मुंह अपने सीने में दबा कर रख रखा था।
मैंने उसके बूब्स पर काटना शुरू किया।
मुझे लगा कि वह हटा देगी लेकिन जैसे ही मैं काटता, वो मुझे और जोर से अपने सीने से दबाने लगती।
थोड़ी देर बाद वो मेरे ऊपर से हटी और धीरे से मेरी अंडरवियर खींचकर उतारने लगी।
मेरे हाथ बंधे थे इसलिए उसकी ज़्यादा हेल्प नहीं कर सकता था।
वैसे भी जब वो खुद सब कुछ कर रही थी तो और भी मज़ा आ रहा था।
खड़े लंड के कारण उसे खींचकर उतारने में थोड़ी परेशानी हो रही थी।
फिर उसने चड्डी में हाथ डाल कर लंड को खींचकर बाहर निकालना चाहा।
उसने ये थोड़ी ज़ोर से किया जिसकी वजह से मेरे मुंह से आह … निकल गई।
वो बोली- ज़्यादा हार्ड तो नहीं हो रहा?
मैंने कहा- “मुझे और ज़्यादा पसंद है।
बस फिर क्या था … टेबल पर पड़ी कैंची उठाकर उस कुतिया ने मेरा अंडरवियर ही काट डाला।
मैं उसका एक्साइटमेंट देखकर ही खुश था कि पहली बार में ही इतना मज़ा मिलने वाला है।
मैं पहले ही जानता था कि उसने पोर्न फिल्में देख रखी हैं इसलिए कुछ बताना ही नहीं पड़ेगा।
मगर उसकी हरकतें देखकर तो लग रहा था कि मुझसे भी ज़्यादा पोर्न देखी हैं उसने।
फिर उसने अंडरवियर हटाकर मेरे पैर फैलाए और घुटनों से पकड़ कर मेरे पैर उपर उठाए जैसे वो कोई लड़का हो और मेरी गान्ड मारने वाला हो।
मगर उसने जो किया वह एक बिल्कुल ही अनोखा अनुभव था।
एक हाथ से वो मेरे आण्डों को मसल रही थी।
मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था लेकिन मज़ा आ रहा था।
दूसरे हाथ से वो मेरे तने हुए लंड को टोपे से जड़ की तरफ खींच रही थी।
अंडकोषों में हो रहे दर्द और लंड में हो रही मीठी सी खुजली में मैं बहुत ही अनोखा मज़ा पा रहा था।
मगर अभी इसे और आगे बढ़ना था।
उसने दोनों हाथों में मेरे अंडे पकड़े और मेरा लौड़ा अपने मुंह में ले लिया।
शुरू में सिर्फ टोपा मुंह में ले रही थी।
मैंने कहा- पूरा मुंह में भर छिनाल!
यह सुनकर उसने लंड पर दांत गड़ा दिए।
एक पल के लिए मैं डर गया … वो क्या कर रही है मुझे नहीं पता था।
उसने कहा- पहली बार है, थोड़ा मुश्किल होता है भड़वे!
पता नहीं क्यों मगर उसके मुंह से गाली सुनना बड़ा अच्छा लग रहा था।
फिर धीरे धीरे वह मेरा लंड मुंह में ज़्यादा अंदर तक लेने लगी।
उसके मुंह की नर्मी और गर्मी मेरे लंड को और मुझे मदमस्त कर चुकी थी।
मेरी सिसकारियां फूटने लगीं- आह्ह … चूस मेरे लौड़े को, आज मिला है तो छोड़ना मत मादरचोद।
ये सुन कर उसे और जोश आ गया।
फिर उसने अपने मुंह में मेरे लंड को कसकर चूसना शुरू किया।
मुझे लगा आज तो शरीर से आत्मा भी चली जाए तो गम नहीं।
8-10 बार कसकर ऊपर नीचे करने के बाद मैंने उसे रोक दिया कि कहीं मैं मुंह में न छोड़ दूं क्योंकि वह इतनी ज़्यादा ताक़त लगाकर मेरा लंड चूस रही थी।
फिर आया वो लम्हा जिसका मुझे अपनी ज़िन्दगी में बेसब्री से इंतजार था।
उसने कहा- बाथरूम में करेंगे।
वह मेरा लन्ड पकड़कर मुझे बाथरूम में खींच कर ले गई।
साथ में दूसरे हाथ से एक कुर्सी भी उठा ली।
मेरे हाथ और आंखें दोनों ही बंधे थे। मुझे बाथरूम में ले जाकर कुर्सी पर बिठाया और मेरे दोनों पैर चौड़े करके वह मेरे पैरों के बीच मेरे लंड पर अपनी चूत टिकाते हुए बैठने लगी।
अपना एक बूब उसने मेरे मुंह में दे दिया। फिर शॉवर चालू कर दिया। पसीने से तर-बतर बदन पर जैसे ही शॉवर का ठंडा पानी गिरा तो मेरे बदन में झुरझुरी सी होने लगी।
अब वो मेरा लंड धीरे से अपनी चूत के अंदर डालने की कोशिश करने लगी।
मगर शायद पहली बार था इसलिए उससे ज़्यादा अंदर तक नहीं गया।
सिर्फ टोपा ही घुसा था तो उसकी आह … निकली और कुछ पल के लिए उसने अपनी सांस रोक ली।
फिर लंड को चूत से वापस बाहर निकाला; फिर से मेरा लंड अपनी चूत के अंदर लिया।
अबकी बार पिछली बार से थोड़ा सा ज़्यादा अंदर गया।
इस बार मैंने एक झटका दे दिया जिससे और ज़्यादा अंदर चला गया।
इस अचानक हुए हमले के लिए वह तैयार नहीं थी।
एकदम से उसके मुंह से आह्ह … करके एक हल्की चीख निकली।
वो अपना संतुलन खोकर गिरने लगी तो उसने मुझे कसकर पकड़ लिया।
मैं समझ गया कि अब रास्ता खुल गया।
उसने मुझे लगभग 20 सेकेंड तक कसकर पकड़े रखा।
फिर वह धीरे धीरे ऊपर-नीचे होने लगी।
हम दोनों के बीच गिरता पानी और लंड का चूत के अंदर-बाहर होना कुछ ज़्यादा ही आवाज़ कर रहा था।
पूरा बाथरूम फच फच और पट पट की आवाज़ों से गूंज रहा था।
चुदाई की गाड़ी चल पड़ी थी और अह्ह … अह्ह … की तेज आवाज आ रही थी।
जब लंड पूरी तरह चूत में समाता है तब समझ आता है कि क्यों सारी दुनिया इस छेद के पीछे पागल है।
मैंने उससे कहा कि आंखों से पट्टी हटाने दे लेकिन उसने मना कर दिया।
थोड़ी देर बाद वो मुझ पर से उठी और मेरी तरफ पीठ करके चुदने लगी।
अब उसके बूब्स मुझसे दूर थे और हाथ बंधे होने के कारण मैं उन्हें पकड़ भी नहीं सकता था।
शॉवर से पानी हमारे ऊपर गिर रहा था। अब वो सीधा लंड और चूत के मिलन वाली जगह पर गिर रहा था।
ठंडा और गर्म का एक साथ मिलने वाला अहसास अनोखा था।
वो सिसकारियां और आहें भर भरकर मेरे लंड पर लगातार उछल रही थी।
जब वो थक जाती तो मैं भी बीच-बीच में उछल कर उसे चोद रहा था।
थोड़ी देर में हम दोनों ने अपना पानी छोड़ दिया।
उसके बाद वो मुझ पर पूरी तरह से टिक कर बैठ गई।
उसकी सांसों की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि बाथरूम में शॉवर के चालू होने के बावजूद सुनाई दे रही थी।
दिलों की धड़कनें हम दोनों के बदन चिपके होने से एक दूसरे को महसूस हो रही थीं।
तकरीबन 10 मिनट ऐसे ही बैठे रहने के बाद वो उठ कर बाहर आ गई।
मुझे कुछ समझ नहीं आया कि उसने ऐसा क्यों किया।
फिर मैंने जैसे तैसे अपने हाथ खोले और आँखों से भी पट्टी हटाई।
शॉवर लेकर बाहर आया तो देखा कि वो सिर्फ सलवार में सोफे पर टॉपलेस लेटी हुई थी।
शायद वो सो भी गई थी।
किसी इंसान की सच्ची सुंदरता देखनी हो तो उसे सोता हुआ देखना चाहिए।
उसके बूब्स सूजे हुए दिख रहे थे। शायद पहली बार ये हुआ था।
मैंने सोचा उसे उठाकर कुछ पूछा जाए।
मगर इस पल को पता नहीं क्यों मैं खराब नहीं करना चाहता था इसलिए मैंने उसे ऐसे ही सोने दिया।
तकरीबन 2 घंटे सोने के बाद वो उठी तो उसने देखा कि मैं उसके सिरहाने बैठा उसे निहार रहा था।
मुझे देख कर वो मुस्करा दी।
वो बोली- तुमने खाना खाया?
मैंने अपनी उंगली उसकी निप्पल पर रखकर कह दिया- हां!
वह ज़ोर से हंसी और बोली- तुम सच में पागल हो।
फिर वो उठी और खुद किचन में जाकर मेरे लिए खाना गर्म करके लायी।
उसने शरारती अंदाज़ में कहा- खाना वक़्त पर खाना अब से, तुम्हें ताक़त की जरूरत पड़ती रहेगी।
मैंने पूछा- कुछ कमी थी क्या मेरे चोदन में?
उसने कहा- तुम्हारा पानी निकालने में शॉवर में भी पसीने छूट गए।
मैं धीरे से मुस्कराया और मन ही मन खुश हुआ।
मैंने खाना खाते समय उससे पूछा कि पट्टी क्यों नहीं खोलने दी?
तब उसने उसकी वजह बताई।
ज़्यादातर समझदार पाठक समझ गए होंगे और ना समझे हों तो मुझे मेरे ईमेल पर मैसेज करके पूछ लें।
ऐसे मैंने बहन की चोदी चूत … आपको यह कहानी पसंद आयी हो तो फीडबैक देने में भी कंजूसी न करें।
मेरा ईमेल है- [email protected]