स्टोरी ऑफ़ सेक्स इन फैमिली में पढ़ें कि कैसे मेरे भानजे के साथ मेरे सेक्स सम्बन्ध बने और मेरे भाई ने देख लिया. उसके बाद क्या हुआ?
प्यारे दोस्तो, मैं कविता तिवारी हूं. हम मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं.
मैं आपके लिए अपनी एक स्टोरी ऑफ़ सेक्स इन फैमिली लेकर आई हूं.
कहानी के रूप में आज जो सच्ची घटना मैं आप लोगों के बीच में प्रस्तुत करने जा रही हूँ. यह घटना 4 साल पहले यानि कि वर्ष 2016 की है.
मैं अपनी कहानी में सभी पात्रों के नाम चेंज कर रही हूं लेकिन रिलेशन सही-सही लिख रही हूं.
मेरा नाम तो आप जान ही गये हैं. इस कहानी के पात्रों में मेरा भाई शिवम और बड़े पापा (ताऊ जी) की बेटी का बेटा विवेक है.
कहानी की चौथी पात्र विवेक की बहन लूसी है. मतलब विवेक और लूसी मेरे भांजा भानजी लगे.
इस कहानी को लड़की की सेक्सी आवाज में सुनें.
अब मैं आपको अपनी शारीरिक बनावट बता देती हूं. मेरी लम्बाई 5 फीट 6 इंच है. रंग गोरा और चूचियां 36 की हैं. मेरी कमर 28 और गांड 32 की है.
मेरे भाई शिवम की लम्बाई 5 फीट 8 इंच है और विवेक भी उसी के बराबर की हाइट का है. लूसी हाइट में थोड़ी कम है लेकिन उसकी चूचियां बहुत ही गोल और सुडौल हैं.
मैं शुरू से ही कामुक रही हूं. मुझे सेक्स करने का बहुत शौक रहा है.
उन दिनों विवेक और लूसी अपने नाना नानी के साथ यानि हमारे बड़े पिताजी के घर रहते थे.
विवेक मुझे चोदने की फिराक में लग रहा था. वो दसवीं से लेकर 12वीं तक मुझे लाइन देता रहा. मैं भी अपनी चूची और गांड मटका मटका कर उसको दिखाया करती थी.
एक दिन फिर हम दोनों का मिलन हो ही गया. घर वाले गांव में शादी में सम्मिलित होने के लिए गये हुए थे. विवेक और मैं घर पर ही थे.
वो मेरे पास आया और हम बातें करने लगे.
बातों बातों में वो मेरी चूचियों को छेड़ने लगा.
मैं उसको मना करने लगी.
दरअसल मैं उसके सामने नाटक कर रही थी. मुझे पता था कि वो क्या चाहता है.
फिर वो कहने लगा कि मौसी मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं.
उसकी बात पर मैं बोली- मैं तुम्हारी मां जैसी लगती हूं रिश्ते में, मां से भी कोई ऐसी बात करता है?
वो बोला- रिश्ते को भूल जाओ, हम दोनों एक ही उम्र के हैं. दोनों ही जवान हैं. मौके का मजा लो.
इससे पहले मैं उसको कुछ और कहती, उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मेरी चूचियों को दबाने लगा. अगले ही पल उसके होंठ मेरे होंठों पर आकर कस गये.
विवेक मेरे कपड़े उतारने लगा.
मैं मना कर रही थी कि कोई आ जाएगा.
विवेक हवस के नशे में चूर हो गया था. मैं भी गर्म हो गई थी.
उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए. मैं जल्दी से गेट बंद करके आ गयी.
फिर वो मेरी चूचियों को मसलने लगा. फिर एक चूची को उसने मुंह में भर लिया और दूसरी चूची को हाथ में भर कर बच्चों की तरह दूध निकालने की कोशिश करने लगा.
मैं मदहोश हो रही थी.
20 मिनट तक पूरे जोश के साथ वो मेरी चूचियों से खेलता रहा.
उसके बाद वो मेरी चूत की ओर मुंह को ले गया और चूत पर मुंह रखते ही मैं पागल सी हो गई.
ऐसा लगा कि मुझे कोई गहरा नशा चढ़ता जा रहा है.
पहली बार मैं सेक्स करने वाली थी. मैंने अब तक खुद को किसी तरह से रोका हुआ था लेकिन आज नहीं रोकना चाह रही थी.
मैं अपने कौमार्य को रिश्ते में बेटा लगने वाले एक जवान लड़के से भंग करवाने जा रही थी.
उसने चाट चाट कर मेरी चूत का पानी निकाल दिया और मैं आनंद में खो गयी.
फिर मेरा शरीर ठंडा पड़ने लगा. मगर विवेक तो अभी उसी जोश में था.
वो तो मुझे चोदना चाह रहा था. मगर मैंने उसे कह दिया कि बाद में करेंगे रात को!
अब मैं चुदाई वाली कहानी को रोककर कुछ और बातें आपको बताना चाह रही हूं.
दोस्तो, मेरी कहानी में मैंने जिन भी रिश्तों का जिक्र किया है वे सच हैं. मेरे बड़े पापा यानि ताऊजी मेरे स्वयं के पिताजी से उम्र में 10 साल बड़े हैं.
मेरे पिताजी की शादी बड़े पिताजी से 15 साल बाद हुई थी. फिर बड़े पिताजी नहीं रहे. उनकी चार संतान हैं- दो लड़की और दो लड़के.
बड़े पिताजी से बड़ी बेटी पहली औलाद थी. उन्हीं का लड़का विवेक और लड़की लूसी है.
हम तीन भाई बहन हैं. मेरी बड़ी बहन मुझसे 5 साल बड़ी थी. मैं बीच वाली हूं और मेरा भाई मुझसे छोटा है. मेरी शादी हो चुकी है और लूसी की भी.
विवेक की शादी अभी नहीं हुई है. कभी कभार मेरी उससे बात हो जाती है. उसी ने मुझे अन्तर्वासना पर चुदाई की कहानियों के बारे में बताया था. फिर उसी ने आइडिया दिया कि मैं कहानी को आप लोगों के साथ शेयर करूं.
तो अब मैं कहानी पर लौटती हूं. विवेक को मैंने उस वक्त मना कर दिया और रात को आने के लिए कहा. अब विवेक पूरा दिन मेरी चूत चोदने के लिए तड़पता रहा.
फिर किसी तरह दिन गुजरा और रात का इंतजार खत्म हुआ.
11 बज गये थे.
विवेक प्लान के तहत पिछले दरवाजे पर 11:00 बजे खड़ा था.
मैंने दरवाजा चुपके से खोला तो विवेक अंदर आ गया.
बड़े पिताजी और हमारा घर सटा हुआ था. उनके घर के पीछे भी दरवाजा था और मेरे घर के पीछे भी और हमारा घर गांव से बाहर था. इसका हमें बहुत बड़ा फायदा मिला.
विवेक ने घर में घुसते ही मुझे बांहों में भर लिया और मुझे उठाकर मेरे रूम में ले गया.
मैंने उससे कहा कि आराम से करना, कोई जल्दबाजी नहीं है. मैं भी पक चुकी थी ब्लू फिल्म देखकर. अब चुदाई का मजा लेना चाहती थी.
मगर विवेक कहां आराम करने वाला था. उसने जल्दी से मेरे सारे कपड़े उतार कर फेंक दिए और कहने लगा- मौसी, आराम से करने का समय नहीं है.
उसने मेरी चूचियों मसलना शुरू कर दिया.
फिर धीरे धीरे मेरी ब्रा और पैंटी को भी मेरे बदन से अलग कर दिया. फिर वो मेरे जिस्म को चूमता हुआ मेरी कोमल चूत की ओर अपने होंठों को लेकर गया.
अपना मुंह चूत में लगाकर वो मेरी चूत का रसपान करने लगा.
मैं मदहोश होने लगी.
20 मिनट तक उसने मेरी चूत चाटी. फिर अपना लंड मेरी चूत में डालने लगा. चूत टाइट थी इसलिए लंड अंदर नहीं घुस पा रहा था.
मुझे दर्द होने लगा तो मैं उसको रोकने लगी.
वो बोला- क्रीम है घर में?
मैंने उसको क्रीम उठाकर दी और फिर वो उसने अपने लंड और मेरी चूत पर वो लगा दी.
लंड चिकना हो गया और चूत भी. उसने लंड घुसाना शुरू किया. उसका लंड मेरी चूत को फैलाता हुआ अंदर जाने लगा और मुझे बहुत तेज दर्द होना शुरू हो गया.
उससे मैंने धीरे से करने को कहा लेकिन वो नहीं रुक रहा था. उसने लंड धकेलना जारी रखा और दर्द के मारे मेरी जान निकल गयी.
मैं सिर को पटकती रही और उसने पूरा लंड मेरी चूत में धकेल धकेल कर उतार दिया. मैं रोने लगी और वो मेरे होंठों को चूमते हुए मुझे सहलाने लगा और चुप करवाने लगा.
फिर उसने कुछ देर के बाद मेरी चूत को चोदना शुरू कर दिया.
धीरे धीरे फिर मुझे भी मजा आने लगा. मैं चुदने लगी और उसको किस करना शुरू कर दिया.
कुछ ही देर में मेरा दर्द बहुत ही कम हो गया और मैं प्यार से चुदती रही.
20 मिनट तक चोदने के बाद विवेक बोला- मेरा माल निकलने वाला है, कहां गिराऊं?
मैं बोली- बाहर गिराना, अंदर नहीं.
फिर उसने अपना लंड बाहर निकाला और एक दो बार हिलाकर मेरी नाभि पर अपना माल गिरा दिया.
फिर उस रात विवेक ने मुझे दो बार और चोदा.
अगले दिन मैं ठीक से नहीं चल पा रही थी.
फिर उसने मुझे दर्द की गोली लाकर दी. तब मेरा दर्द कम हुआ.
अब उस दिन के बाद फिर मैं विवेक से अक्सर चुदने लगी और धीरे धीरे उसकी रखैल ही बन गयी.
वह दिन में मुझे मौसी कहता लेकिन रात में चोदने लगता. मेरे चुदने का यह सिलसिला जारी रहा.
अब मैं विवेक के लंड की आदी हो चुकी थी.
फिर मेरे भाई शिवम ने एक दिन मुझे विवेक के साथ देख लिया. उसने मुझे रंगे हाथ तो नहीं पकड़ा लेकिन विवेक को मेरे रूम से निकलते देख लिया.
उसने पूछा तो मैंने बहाना बना दिया कि ये यहां किताब देने आया था.
उस वक्त सब संभल गया.
मगर भाई को शक हो गया. विवेक के साथ मेरी चुदाई का सिलसिला चल ही रहा था.
फिर महीने भर के बाद एक दिन शिवम मेरे पास आया और विवेक और मेरे बारे में उल्टी सीधी बात करने लगा.
वो जान गया था कि मेरे और विवेक के बीच क्या चल रहा है.
मैं उसकी बात को झूठ साबित करने लगी तो उसने मेरे सामने विवेक और मेरी चुदाई की वीडियो फोन में चालू कर दिया.
मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया था. मैं कुछ नहीं बोल पाई.
शिवम कहने लगा कि उसको उसी दिन से शक हो गया था और फिर उसने विवेक और मेरी चुदाई की वीडियो बनानी शुरू कर दी थी.
वो कहने लगा कि पापा के आने के बाद वो सारी बात उनको बता देगा.
मैं उसके आगे गिड़गिड़ाने लगी और बोली कि पापा और मम्मी को कुछ न बताये.
फिर वो कहने लगा कि एक ही शर्त पर नहीं बताऊंगा अगर तुम विवेक से मिलना बंद कर दो. उसको कुछ मत बोलना बस मिलना बंद कर दो.
अब मैं ऐसे नहीं कर सकती थी क्योंकि अगर मैं नहीं मिलती तो फिर वो जरूर पूछता.
इसलिए मैंने विवेक को फोन पर सारी बात बता दी कि पापा के आने बाद तुमको लेकर बहुत बवाल होने वाला है.
वो भी टेंशन में आ गया.
मैंने उससे कहा- तुम्हें फिर यहां से जाना ही होगा.
वो बोला- कुछ तो उपाय होगा ही.
कहते हैं कि समय बलवान हो तो गधा भी पहलवान होता है. हमारे साथ भी यही हो रहा था.
रातों की नींद उड़ गयी थी. मम्मी के सोने के बाद मैंने उनके फोन से विवेक को रात में कॉल किया.
वो भी टेंशन में जाग रहा था. फिर वो अपनी छत के पीछे वाले भाग पर बात करने के लिए गया.
उसने फोन पर बताया कि उसकी बहन लूसी घर के पीछे वाले दरवाजे पर खड़ी है.
मैंने उससे कहा कि जरूर उसने किसी को बुलाया होगा. तुम वहीं खड़े होकर उसको देखो.
फिर कुछ देर के बाद मेरा भाई शिवम वहां आ गया. उसने आते ही लूसी को बांहों में भरा और किस करके उसको अंदर ले गया.
विवेक ने सारा सीन देख लिया और मुझसे बोला- हमें अपना रास्ता मिल गया है, ये शिवम साला बहुत शरीफ बनता है लेकिन मेरी बहन पर हाथ साफ कर रहा है.
मैं बोली- तो साला भी तो तुम्हारा ही है.
विवेक बोला- मामा भी तो है.
अब हमारे पास भी अच्छा मौका था. हमने उन दोनों की चुदाई का वीडियो रिकॉर्ड करने का प्लान बनाया.
अगले दो दिन तो वो दोनों नहीं मिले लेकिन तीसरे दिन विवेक ने उनकी चुदाई का वीडियो बना लिया.
मैंने भी वीडियो देखा और पाया कि लूसी की चूची बहुत विशालकाय थीं. मेरी चूचियों से लगभग डेढ़ गुना बड़ी थीं.
उसकी गांड भी काफी पीछे निकली हुई थी.
मेरा भाई लूसी के बूब्स को चूस रहा था और वो हल्की हल्की आहें भर रही थी. फिर वो धीरे धीरे लूसी की चूत की ओर मुंह ले गया और उसकी चूत को चाटने लगा.
फिर वो लूसी को लंड चुसवाने लगा. फिर भाई ने उसकी चूत में उंगली की.
मुझे लगा कि अब ये उसकी चूत मारेगा लेकिन उसने लूसी की गांड में लंड दे दिया.
20 मिनट तक उसकी गांड चोदने के बाद भाई ने अपना माल उसकी गांड में छोड़ दिया.
दूसरी बार भी उसने लूसी की गांड ही चोदी.
फिर दूसरे दिन भी हमने जासूसी की तो उसने लूसी को चार बार चोदा.
अब विवेक शिवम से बात करने को कह रहा था. मगर मैंने बोल दिया कि मैं लूसी की चूत चुदाई भी देखना चाह रही हूं. इसलिए हमने एक और दिन वीडियो शूट करने का सोचा और उनकी चुदाई की एक और रिकॉर्डिंग बना ली.
उस दिन मम्मी खेत पर गयी हुई थी.
तो हमने शिवम से बात करने का सोचा.
मैंने शिवम को रोक लिया और उससे बोली- मेरा और विवेक का जो वीडियो है उसको डिलीट कर दे.
वो बोला- तुझे अब भी शर्म नहीं आ रही है? आने दे पापा को मैं उनको सब बता दूंगा.
मैं बोली- और लूसी के साथ तुम्हारा क्या चल रहा है, वो भी बता देना?
वो बोला- क्या बक रही है!?
इतने में मैंने विवेक को फोन कर दिया.
वो कुछ देर में आ पहुंचा और दोनों आपस में गालियां देने लगे.
फिर विवेक बोला- ये देख तेरी करतूत का सबूत है मेरे पास.
शिवम ने वो वीडियो देखा और एकदम से चुप हो गया. उसको जवाब न मिला.
मैं बोला- अब अच्छाई इसी में है कि हम सब एक दूसरे की हेल्प करें और कोई किसी के मामले में टांग न अड़ाये.
अब शिवम के पास कुछ चारा न था इसलिए वो मान गया कि सब एक दूसरे की हेल्प करेंगे और ये बात हम चारों के बीच में ही रहनी चाहिए. बाहर न जाये.
फिर वो बोला- मैं एक और रोचक बात तुम्हें बताता हूं.
मैं बोली- क्या?
वो बोला- मम्मी पिंटू भैया से चुदवाती हैं.
ये सुनते ही मैं हैरान हो गयी.
मैं बोली- तुमको ये सब कैसे पता?
वो बोला- लूसी ने मुझे बताया है. पहले मुझे भी यकीन नहीं था लेकिन फिर लूसी ने मुझे उनकी लाइव चुदाई दिखायी.
दरअसल पिंटू भैया मेरे ताऊ जी के बड़े लड़के हैं. घर में सब एक दूसरे से चुदवा रहे थे.
फिर हमने लूसी को भी वहीं बुला लिया. आने के बाद वो भी विवेक के सामने फ्रेंक हो गयी. फिर चारों के बीच सहमति हो गयी.
उसके बाद लूसी और शिवम छत वाले रूम में चले गये और मैं तथा विवेक पीछे वाले रूम में चले गये. अब हम आराम से चुदाई का मजा ले सकते थे क्योंकि चारों को एक दूसरे का पता चल गया था.
इस तरह हम चारों लोग लगातार 4 साल तक मस्ती करते रहे.
न जाने कितने प्लान बनाए और कितनी बार मैं और कितनी बार लूसी भी प्रेग्नेंट हुई.
हमारी चूत और गांड का बुरा हाल हो गया था.
अब तो मम्मी की कमजोरी भी हमें पता थी इसलिए मम्मी का डर भी नहीं था.
हम चारों बहुत ही घनिष्ठ मित्र हो गये थे. सबमें आपस में सब बातें शेयर होती थीं. भाई बहन जैसी कोई बात नहीं थी अब और बहुत गहरी दोस्ती थी. उसके बाद हम चारों के बीच बहुत सारी घटनाएँ हुईं.
वो सब मैं आपको इस कहानी में नहीं बता सकती हूं क्योंकि कहानी बहुत लम्बी हो जायेगी. फिर बाद में मां को भी पता चल गया था. अब मेरी शादी हो चुकी है.
लूसी की भी शादी हो चुकी है. मां ने इस संबंध के लिए बहुत मना किया लेकिन ये रिश्ता अब केवल सेक्स तक सीमित नहीं रह गया था. हम दोनों प्यार करने लगे थे. बल्कि हम चारों ही आपस में बहुत प्यार करते थे.
दोस्तो, कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जिनको हम समाज के सामने नहीं ला सकते लेकिन ये रिश्ते ही हमें असली सुख देते हैं. इसलिए हम लोग आज भी दिल से जुड़े हुए हैं.
मैं अपनी ईमेल आपको बता रही हूं. आप अपने संदेशों में बतायें कि आप मेरी बात से कहां तक सहमत हैं. अगर आप में से भी किसी के साथ ऐसा हुआ है तो जरूर शेयर करें.
अगर आप चाहते हैं कि मैं आगे की कहानी बताऊं तो वह भी जरूर लिखें.
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आगे की कहानी: परिवार में बेनाम से मधुर रिश्ते- 2