दोस्तो, मेरा नाम राहुल है, मैं भोपाल का रहने वाला हूँ. मैं एक सामान्य सा दिखने वाला सांवला लड़का हूँ. मेरे लंड का साइज 7 इंच है.
अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली सच्ची चुदाई की सेक्स स्टोरी है. मैं आशा करता हूँ कि आपको पसन्द आएगी.
यह घटना करीब 3 साल पहले की है, जब मैं एक महीने के लिए अपने मुँह बोले भैया और भाभी पंकज और उसकी वाइफ स्मिता के घर छुट्टी बिताने इंदौर गया था.
पंकज के बारे में आपको बता दूँ कि वो बहुत ही सीधा सादा इंसान है, जबकि स्मिता एक बहुत ही खूबसूरत औरत है. स्मिता एक खूबसूरत नाम ही नहीं, बल्कि एक खूबसूरती का एहसास और कामदेव का पूरे आशीर्वाद या प्रसाद थी. मैं आपको उसके शरीर के बारे विस्तार से बता दूँ, उसकी लम्बाई लगभग साढ़े पांच फुट के आसपास थी.. रंग एकदम दूध सा गोरा, आँखें ऐसी कजरारी कि जिसे कोई नजर भर के देख ले, तो वो कुछ और देख ही नहीं सकता.
सुतवां नाक, बिल्कुल छोटी सी, होंठ बिल्कुल पतले पतले और गर्दन बिल्कुल मोर जैसी. स्मिता का फिगर की चर्चा करूँ तो 32 इंच के इतने मस्त उठे हुए चूचे कि बस ब्लाउज से निकलने को बेताब. नीचे 28 इंच की नागिन सी बल खाती कमर.. बिल्कुल एक पतली बेल की तरह तथा उसके 36 इंच के चूतड़ जिसे लोग गांड भी कहते हैं, इतने मस्त थे कि मैं उन्हें अल्फाजों में बयान भी नहीं कर सकता.
मैं रात में लगभग 10 बजे पंकज के घर पहुँचा था. पंकज और स्मिता की लव मैरिज मैंने ही कराई थी, इसलिए वो दोनों मुझे बहुत मानते थे.
खैर जैसे ही मैं उनके घर पहुँचा, उन दोनों ने बड़ी ही गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया. पंकज ने कहा- राहुल तुम अचानक यहाँ आए.. पहले बताया ही नहीं?
मैंने कहा- बस यार, तुम दोनों को बहुत मिस कर रहा था तो बिना बताए आ गया.
तभी स्मिता ने कहा- राहुल तुमने ये बहुत अच्छा किया. ये तो दिन भर के लिए काम पर निकल जाते हैं और मैं दिन भर घर में बोर होती रहती हूँ.
मैंने कहा- अब मैं आ गया हूँ.. तुम्हें जरा भी बोर नहीं होने दूँगा.
इसके बाद स्मिता ने मुझे गरम गरम खाना बना कर खिलाया. मैंने भी बड़ी स्वाद से खाना खाया और उसके खाने की तारीफ़ भी की. कुछ देर पंकज सोने जाने की कह कर चला गया. स्मिता और मैं गपशप करने लगे.
स्मिता ने पूछा कि भोपाल में सब कैसा है वगैरह वगैरह.. पर मैं तो बस उसके कामुक बदन की ओर ही निहार ही रहा था.
स्मिता ने मुझे टहोकते हुए कहा- राहुल.. राहुल..!
अचानक जैसे मैं नींद से जागा.
उसने मुस्कराते हुए पूछा- कहां खो गए थे?
मैंने- तुम बहुत खूबसूरत और सेक्सी हो यार.. नजर ही नहीं हटती.
जब स्मिता पारदर्शी गाउन पहनती थी तो उसमें उसकी लाल रंग की ब्रा, पतली सुराहीदार कमर और उसकी लाल रंग की पेंटी, जिसमें स्मिता की पिछाड़ी ठुमक ठुमक कर कलेजा बाहर निकालने पर मजबूर कर देती थी.
वो हंसते हुए बोली- अच्छा मेरे प्यारे देवर, आपको पता भी है कि सेक्सी का क्या मतलब होता है?
मैंने कहा- हां मुझे मालूम है.. सेक्सी मतलब स्मिता और स्मिता मतलब सेक्सी.
ये सुनकर वो जोर जोर से हँसने लगी. मैंने कहा- ऐसे ही हंसते रहा करो, अच्छी लगती हो.
अचानक वो चुप हो गई, उसकी आँखों में आंसू थे.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
भाभी ने कहा- आज मैं काफी दिनों बाद इतना हंसी हूँ.
मैंने कहा- क्या पंकज तुम्हें खुश नहीं रखता?
स्मिता ने बताया- पंकज का नीचे वाली किरायदार रेखा के साथ चक्कर चल रहा है.
मैंने कहा- मैं नहीं मानता.
उसने कहा- मैंने सुना है!
स्मिता ने आगे बताया- पंकज ने मुझे कई महीनों से छुआ भी नहीं है.
अब मुझे भी शक हुआ क्योंकि मुझे मालूम था कि पंकज एक सेक्स एडिक्ट था. वो बिना सेक्स के रह ही नहीं सकता था. गर वो स्मिता भाभी को नहीं चोद रघा तो वो जरूरे किसी और को चोद रहा होगा.
कुछ देर यूं ही एक दूसरे की बात सुनते समझते हुए स्मिता और मैंने पंकज को रंगे हाथ पकड़ने का प्लान बनाया.
वो सन्डे का दिन था. पंकज की छुट्टी थी हम तीनों घर पर ही थे.
मैंने कहा- यार पंकज, मुझे आए हुए तीन दिन हो गए, पर कहीं घूमने नहीं गया घर पर अब बहुत बोरियत हो रही है.. चल कहीं कोई फ़िल्म देख कर आते हैं.
उसने कहा- नहीं यार, ऑफिस के काफी काम बाकी है. मैं नहीं जा पाऊँगा, तू स्मिता को ले जा.
मैं जानता था कि वो ये ही कहेगा, क्योंकि ये ही तो मेरा प्लान था. हालांकि स्मिता को इस बारे कुछ भी पता नहीं था. फिर मैं तैयार हुआ और जैसे ही स्मिता तैयार होकर आई, मैं तो बस उसे देखता ही रह गया. खुले हुए बाल, स्लीवलैस ब्लाउज, ब्लैक साड़ी में तो बस उसे देखते ही लंड भंड हो गया.
उसने कहा- राहुल.. राहुल.. लेट हो रहे हैं.
मैंने कहा- ओह सॉरी सॉरी.. चलो चलते हैं.
मैंने पंकज से उसकी कार की चाभी ली और हम दोनों चल दिए. फिर मैंने स्मिता को बताया कि आज अपन पंकज को रंगे हाथ पकड़ेंगे.
उसने पूछा- वो कैसे?
मैंने कहा- घर पर कोई नहीं है, पंकज जरूर रेखा को चोदने जाएगा.
मेरे मुँह से ऐसे शब्द सुनकर स्मिता मुझे घूरने लगी.
मैंने कहा- सॉरी सॉरी..
स्मिता ने कहा- लगता है तू काफी बड़ा हो गया है.
अब मैंने कार घुमाई और घर से थोड़ा दूर खड़ी कर दी. फिर हम दोनों चुपके से घर के पीछे की बाउंड्री के पास पहुँच गए. बाउंड्री लगभग 4 या 5 फुट ऊंची थी. मैं तो आराम से चढ़ गया, पर स्मिता नहीं चढ़ पाई.
मैंने कहा- अब क्या करें?
उसने कहा- राहुल तुम मुझे ऊपर उठाओ.
स्मिता ने अपने दोनों हाथ बाउंड्री पर रखे और मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हो गई और कहा- राहुल उठाओ मुझे.
मैंने जैसे ही उसकी कमर में हाथ डाला उसका बदन झुनझुना गया. उसकी सेक्सी गांड जैसे ही मेरे लंड से टच हुई. मेरा 7 इंच का लंड पेंट में ही तुरंत खड़ा हो गया. जिसका अहसास स्मिता को भी हो गया था. उसने मुझे मुड़ कर देखा.
अब उसका मुझे देखने का नजरिया बदल गया था, खैर जैसे तैसे हम अन्दर गए. रसोई के दरवाजे से अन्दर जाकर एक बड़ी अल्मारी के पीछे छुप गए. वहां से बेडरूम का नज़ारा साफ साफ दिख रहा था.
फिर जैसे ही बेल बजी, रेखा ने दरवाजा खोला.
अब मैं आपको रेखा के बारे में बता दूँ:
रेखा की उम्र लगभग 35 या 37 साल के आसपास है वो एक विधवा औरत है. उसका कोई बच्चा भी नहीं है वो एक निजी कॉलेज में लैक्चरर है. उसका फिगर भी इतना कमाल का है कि इतनी उम्र की होने के बावजूद वो लगती 30 की ही थी. उसके खुले बाल भरा हुआ चेहरा, बड़े बड़े दूध.. मस्त चिकनी कमर, उभरी हुई गांड आह.. रेखा को देख कर सिर्फ ये कहा जा सकता है कि ऊपर वाले ने उसे सिर्फ चुदाई के लिए ही बनाया है.
उसने अपने बदन पर एक बिल्कुल पतला सा गाउन डाल कर रखा था, जो रेखा के बदन को ढकने की एक नाकाम कोशिश कर रहा था.
जैसे ही बेल बजी. रेखा ने दरवाजा खोला और पंकज अन्दर आ गया. रेखा ने दरवाजा बंद कर दिया. फिर वो दोनों बेडरूम में आ गए. पंकज ने रेखा को बेड पर पटक दिया और अपने होंठ रेखा के होंठों पर रख दिए. पंकज एक हाथ से उसके मम्मों को भी दबा रहा था. रेखा पेंट के ऊपर से ही उसके लंड को मसल रही थी. फिर पंकज ने अपने पूरे कपड़े उतार दिए और रेखा को भी पूरी नंगी कर दिया.
यहां मेरी हालात भी खस्ता थी क्योंकि मैंने पहली बार किसी लड़की को नंगी देखा था. उधर पंकज कभी रेखा के होंठों को चूमता कभी उसके निप्पलों को चूसता, कभी उसकी कान की लौ को चूसता तो कभी उसकी हाथ की बगलों को चाटता, जिसे लोग कांख भी कहते हैं.
अगले कुछ ही पलों में वो रेखा का पेट चूमते हुए उसकी चूत पर पहुँच गया. उसकी चूत पर हल्के हल्के बाल थे. अब वो उसकी चूत चाटने लगा. रेखा जोर जोर से सिसकारी ले रही थी और अपने दोनों हाथ पंकज के सर पर रख के अपनी चूत की ओर दबा रही थी.
फिर पंकज नीचे लेटा और रेखा पंकज का लंड गप्प से मुँह में लेकर चूसने लगी. वो कभी उसका लंड मुँह में पूरा भर कर चूसती तो कभी आंड पर अपनी जीभ फिराती. पंकज भी मस्त हुआ जा रहा था.. उसके मुँह से कामुक आवाजें आ रही थीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
पंकज रेखा से बोला- आह और जोर से चूस मेरा लंड.. साली रांड इतने मस्त तरीके से तो कभी स्मिता ने नहीं चूसा आह.. मजा आ गया.
अब मैंने स्मिता की तरफ देखा तो उसने अपनी नजरें नीचे कर लीं. हालांकि मेरा मन तो नहीं था, फिर भी मैंने स्मिता से कहा- चलें यहां से?
उसने कहा- नहीं थोड़ी देर और रुकते हैं.. मुझे इनकी बातें सुननी है.
मैं कुछ नहीं बोला.
फिर स्मिता ने कहा- राहुल तुम इनका वीडियो बना लो.
मैंने जेब से मोबाइल निकाला, फ्लाइट मोड पर करके उनका वीडियो बनाने लगा. फिर पंकज ने रेखा को नीचे लिटा कर उसके ऊपर चढ़ गया और रेखा की चूत पर अपना लंड सैट करके एक ही धक्के में अपना पूरा लंड रेखा की चूत में डाल दिया. रेखा के मुँह से एक हल्की सी चीख निकली. रेखा ने अपने दोनों हाथ पंकज की पीठ पर रख दिए.
अब वो नीचे से गांड उठाते हुए अंट शंट बड़बड़ाए जा रही थी- आह.. और जोर से चोद.. और जोर से चोद..
पंकज भी लगातार धक्के दिए जा रहा था.
कुछ देर बाद रेखा का बदन अकड़ने लगा और एक चीख के साथ रेखा झड़ गई, पर पंकज का अभी नहीं हुआ था.
रेखा ने पंकज को रोकना चाहा, पर जब तक आदमी का माल नहीं निकले, उस पर शैतान सवार होता है.
पंकज ने रेखा को उल्टा किया और उसकी टांगें पकड़ कर बेड के नीचे लटका दीं और अपने लंड के सुपारे को रेखा की मस्त गोरी चिकनी भरी हुई गांड के छेद पर रख कर एक ही बार में लंड उसकी गांड में डाल दिया. रेखा इसके लिए तैयार नहीं थी, उसके मुँह से एक बहुत तेज चीख निकल आई.
रेखा ने कहा- उई माँ मर गई.. साले हरामी मार डालेगा क्या? जा जाकर अपनी बीवी की गांड मार भोसड़ी के…
पंकज ने धक्का मारते हुए कहा- अरे जान, स्मिता तो चूत भी सही से नहीं देती.. वो साली गांड को क्या हाथ लगाने देगी, तभी तो अपनी सारी इच्छाओं को तुझसे पूरा करता हूँ भैन की लौड़ी छिनाल ले.. अब गांड मरवा…
रेखा ने मचलते हुए कहा- चलो अच्छा ही है.. वरना मुझे इतना मस्त लौड़ा कहां से मिलता.
अब वो दोनों जोर-जोर से हँसने लगे. तभी 4 या 5 धक्कों में पंकज डिस्चार्ज हो गया और वो दोनों नंगे ही लेटे रहे. हम भी दबे पांव वहां से निकल आए और कार में बैठ गए.
स्मिता अब जोर जोर से रो रही थी और बोल रही थी- मुझमें ऐसी क्या कमी है राहुल कि पंकज मेरे साथ ऐसा कर रहा है?
मैंने मन में सोचा कि राहुल बेटा मौका अच्छा है.. लोहा भी गरम है, मार दे हथौड़ा.
मैंने कहा- नहीं स्मिता भाभी, तुम में कोई कमी नहीं है. पंकज तो गधा है जो तुम जैसी खूबसूरत लड़की की कदर नहीं.. उसकी जगह मैं होता तो तुम जैसी खूबसूरत लड़की को एक पल के लिए अपने से जुदा नहीं करता.
स्मिता ने कहा- सच राहुल!
मैंने- कहा- हां स्मिता.. मैं सच बोल रहा हूँ.
इतने कहते ही उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया. मैंने भी उसे अपने सीने से चिपका लिया. अब मैं उसकी नंगी पीठ पर हाथ फेर रहा था. उसके होंठ मेरे कानों के पास थे. वो गरम-गरम साँसें छोड़ रही थी.
मैंने कहा- स्मिता मुझे तुमसे कुछ कहना है.
उसने कहा- बोलो राहुल?
मैंने कहा- जब से मैंने तुम्हें देखा है, मैं तुम्हें प्यार करने लगा हूँ आई रियली लव यू स्मिता..
‘ओह सच राहुल..!’
‘यस जान आई लव यू.’
स्मिता- आई लव यू टू राहुल.. मैं भी तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ.
फिर मैंने स्मिता के बाल पकड़े और उसके होंठों पर एक लंबा किस किया. मैंने उसे तब तक नहीं छोड़ा, जब तक वो छटपटाने नहीं लगी.
वो जैसे ही मुझसे अलग हुई उसने कहा- होंठों पर किस के मामले में तो तुम इमरान हाश्मी के भी बाप हो.
उसकी इस बात पर हम दोनों जोर से हंसे और फिर मैंने कार स्टार्ट की और हम दोनों एक बढ़िया कॉफ़ी शॉप में आ गए.
वहां हमने कॉफ़ी पी.
मैंने देखा कि कॉफी शॉप में भी सबकी नजर स्मिता पर ही थी.
मैंने कहा- देखा, सब तुम्हें कैसे घूर रहे हैं.
स्मिता ने कुछ नहीं कहा, सिर्फ मुझे देखा और मुस्करा कर नजरें नीचे करके कॉफी पीने लगी.
मैंने घड़ी में टाइम देखा कि शाम के 6:30 बज चुके थे. मैंने बिल पे किया और हम घर के लिए निकल पड़े. रास्ते में मैंने स्मिता को समझा दिया था कि घर पर कोई ओवर रिएक्शन ना करे.
हम घर पहुँच गए पंकज टीवी देख रहा था. हमें देखते ही उसने पूछा- और कैसी लगी पिक्चर?
मैंने कहा- बहुत मस्त पिक्चर थी, यार हीरोइन तो इतनी हॉट थी कि बता ही नहीं सकता.
स्मिता समझ गई कि मैं रेखा की बात कर रहा हूँ. तभी स्मिता ने मुझे घूर के देखा और कहा- क्या खाक हॉट थी.. बुड्डी थी बुड्डी..
पंकज और मैं जोर जोर से हँसने लगे.
इसके बाद अगले दिन जब पंकज काम पर चला गया तो स्मिता ने मेरी तरफ अनुराग भरी नजरों से देखा.
मैंने भी उसे आँख मार दी.
उसने कहा- दस मिनट बाद मेरे कमरे में आना.
मैं खुश हो गया था.
दस मिनट बाद स्मिता की आवाज आई तो मैं कमरे में आ गया.
आह.. लंड की माँ चुद गई.. साली स्मिता एकदम नंगी बिस्तर पर चित पड़ी थी.
मैंने उसे नजर भर के देखा तो उसने अपनी चूत में उंगली डाली और कहा- अब देखते ही रहोगे क्या?
मैं झट से नंगा होकर स्मिता के ऊपर चढ़ गया.
आधे घंटे में हम दोनों की बिस्तर पर चुदाई की जो कसरत हुई, उसमें स्मिता ने अपनी सभी कमियों को दूर कर दिया था.
आज उसने लंड चुसाई भी की, गोटियाँ भी चचोरीं.. और घोड़ी बन कर मेरे लंड को पूरा सुख दिया.
बस गांड मरवाने की कवायद रह गई थी, जिसके लिए मैंने उसको मना कर दिया था.
मेरी सेक्स स्टोरी कैसी लगी? मुझे मेल करें!
धन्यवाद.
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