दोस्तो, मेरा नाम राज शर्मा है. यह कहानी कुछ समय पहले की है. उस वक्त मेरी उम्र 30 साल थी. मेरा कद 5’8″ है. मेरे लंड का साइज़ 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है. पर्सनॅलिटी के हिसाब से मैं काफी आकर्षक व्यक्तित्व वाला हूँ. मैं केवल अपने जीवन से सम्बंधित सच्ची कहानियाँ अर्थात अपने अनुभव ही आपके लिए लिखता हूँ.
जिसकी यह कहानी है उसका नाम रूबी था. वह हर रोज सोसाईटी में मुझे सैर करते हुए सुबह दिखाई देती थी. गजब की सुन्दर थी रूबी. अच्छी हाइट, 36-33-38 फिगर होगा उसका. एकदम गोरा रंग, गोल चेहरा. गोल गोल उभरी हुई, लंड खड़ा करने वाली गांड और ऊंचे उठे हुए चुचे.
रूबी हमेशा टाइट पैंट और ऊपर स्लीवलेस टाइट टॉप पहन कर रहती थी. चलती थी तो उसकी गांड हर किसी को आकर्षित होने को मजबूर कर देती थी. एक 5 साल के बच्चे की माँ थी वह. परंतु फिगर से लगता था कि कुंवारी लड़की है. उम्र यही कोई 26-27 साल होगी. हर रोज जब भी मैं उसे देखता था तो मन ही मन सोचता था कि इसकी चूत मिल जाए तो जीवन सफल हो जाए.
धीरे धीरे वह मुझे मिलते ही विश करने लगी. हम ऑपोजिट चक्कर लगाते थे. अर्थात हर चक्कर में मिलते और स्माइल देकर एक दूसरे को क्रॉस कर लेते. जब वह पास से निकलती तो मेरा ध्यान उसके हुस्न पर होता था. कभी उसकी चूचियों पर तो कभी उसकी पैन्ट में फूली हुई चूत पर होता था. वैसे तो ट्रैक सूट में सभी का लंड दिखाई देता रहता है परंतु उसको देख कर मेरा लंड और भी टाइट हो जाता था, जिसे चोरी से वह भी नोटिस करती रहती थी. ट्रैक सूट में मेरा 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड काफी हिलता रहता था.
एक रोज सुबह ही हम अकेले थे तो सैर करके पार्क में एक बैंच पर बैठ गए. उससे पता लगा कि वह एक ब्लाक छोड़ कर रहती है. मैंने उससे पूछा कि वह कितना पढ़ी है, तो उसने बताया वह पत्राचार से एमबीए कर रही है.
मैंने उसे बताया कि मैं भी एमबीए हूँ तो वह बड़ी खुश हुई और कहने लगी- फिर तो आप मेरे बड़े काम आ सकते हो. उसने बताया कि उसे पढ़ाई में कुछ प्रॉब्लम है, अगर आप मदद कर दें तो. मैंने कहा- हाँ! क्यों नहीं? जब कहो.
जब मैंने पूछा कि उसके हस्बैंड क्या करते हैं? तो वह पहले तो चुप हो गई. फिर उसने अपनी बेमेल शादी की बात बताई।
उसने बताया कि उसका पति प्लस टू तक पढ़ा है. यहाँ शहर में एक छोटा सा बिज़नेस करता है. जब उसने नाम बताया तो मैं समझ गया एक छोटा सा, मरियल सा आदमी था, जिसकी कोई पर्सनॅलिटी नहीं थी, बातों में भी वह साधारण ज्ञान वाला आदमी था.
रूबी ने मुझे कहा- आपके पास टाइम हो तो मुझे घर आकर कुछ गाइड कर दें.
मैं तो उसे जिस दिन से देखा था उसी दिन से तैयार था. मैंने फ़ौरन हाँ कर दी.
उसने कहा- आप क्या करते हैं?
मैंने उसे बताया कि मैं एक एमएनसी कंपनी में सीनियर मेनेजर हूँ।
वह बड़ी इम्प्रेस हुई और बोली- फिर आप मुझे कब गाइड कर सकते हैं?
मैंने उसे कहा- तुम कब चाहती हो?
तो उसने कहा कि वह 11.30 बजे सुबह फ्री हो जाती है, बच्चा 8 बजे स्कूल चला जाता है, हस्बैंड 10 बजे चले जाते हैं और आज तो वैसे भी वह जम्मू गए हैं, कल लौटेंगे.
मैंने उससे कहा- ठीक है, आज मैं ऑफिस दोपहर बाद चला जाऊँगा. आपकी स्टडीज की प्रोब्लम्स सॉल्व कर दूंगा.
हम अपने अपने घर चले गए. जाते हुए एक दूसरे के मोबाइल नंबर एक्सचेंज कर लिए.
मैं ठीक 11.30 पर उसके फ्लैट पर गया, वह इन्तजार कर रही थी. उसने एक छोटी सी घुटनों तक की घाघरी स्कर्ट तथा टाइट स्लीवलेस टॉप पहन रखा था. स्कर्ट से उसकी गोरी मांसल चिकनी टांगें मुझे खुला निमंत्रण दे रहीं थीं.
उसने हाथ मिलाने के लिए अपना हाथ बढ़ाया, मैंने झट से उसका नर्म और पतला हाथ अपने हाथ में ले लिया. उसके स्पर्श से ही मेरा लंड पैन्ट में तन गया.
उसका फ्लैट सेकंड फ्लोर पर था. हर फ्लोर पर तीन फ्लैट थे. जिनमें से एक खाली था और एक में एक सर्विस वाला कपल रहता था. अतः किसी के देखने की कोई प्रॉब्लम नहीं थी.
मुझे ड्राइंग रूम में बैठा कर वह मेरे पीने के लिए शरबत लेने किचन में चली गई. पास ही एक छोटी टेबल पर उसकी अपने पति के साथ फ़ोटो रखी थी. मैं उसे देख रहा था.
वह दो गिलास शरबत ले आई और मेरे सामने सोफे पर बैठ गई. मैं उसकी मोटी और मांसल टांगों और घुटनों को देख लेता था.
मैंने उससे पूछा- फ़ोटो में आपके पति हैं?
उसने अनमने से हाँ में सिर हिलाया.
मैंने रूबी की दुखती रग पहचान ली. उसे हस्बैंड को लेकर काम्प्लेक्स हो गया था.
मैंने कहा- मैडम! आप बुरा न मानो तो एक बात बोलूं? कहाँ आप इतनी पढ़ी लिखी, लाजवाब पर्सनॅलिटी वाली कल्चर्ड लेडी और कहाँ ये आपके साधारण से पति.
वह एकदम उदास हो गई, उसकी आँखों में आंसू आ गए. मैंने उसे सॉरी कहा और उठ कर सोफे पर उसके साथ बैठ गया, उसका नर्म और पतला हाथ अपने हाथ में लेकर कहा- मेरा मतलब आपका दिल दुखाने से नहीं था.
उसने अपना हाथ मेरे हाथ में रहने दिया और कहने लगी- अपनी अपनी किस्मत है. हम गाँव के रहने वाले हैं, परिवार जान पहचान के थे, पैसे की कमी नहीं थी, अतः शादी कर दी. हम शहर में आ गए. मैं पत्राचार से पढ़ती रही, मैंने अपने आपको शहर के मुताबिक बदल लिया, परंतु ये गंवार ही रहे.
मैं समझ गया कि इसे पर्सनॅलिटी प्रॉब्लम है, आसानी से चूत आज ही मरवाएगी. मैंने कहा- अपनी पढ़ाई की बुक्स ले आओ.
तो कहने लगी- क्या हम कुछ देर बातें कर सकते हैं?
मैंने कहा- ठीक है.
हमने एक दूसरे के टेस्ट और हॉबीज की बातें की. वह अपने आपको बढ़ा चढ़ा कर बता रही थी. मैं उसकी तारीफ़ करता रहा.
उसने पूछा- आपने शादी क्यों नहीं की?
मैंने कहा- कोई आप जैसी मिल जाती तो कर लेता.
उसने कहा- भगवान भी कई बार कितना अन्याय करता है.
मैंने कहा- फिर मिला भी तो देता है.
इतना सुनते ही वह मेरे कंधे से लग गई. मैंने उसे झट से बाँहों में भर लिया और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए. हम बहुत देर तक किस करते रहे.
मैंने उसे सोफे पर ही अपनी गोद में लिटा लिया और उसके शरीर पर हाथ फिराता रहा. वह आँखें बंद किये लेटी रही. मेरे हाथ उसके टॉप के अंदर घुस गए और उसके मम्मों को मसलने लगे. वह सिसकारियाँ भरने लगी.
उसकी स्कर्ट ऊपर उठ कर अपने आप उसकी जांघों तक आ गई थी. मैं अपना एक हाथ उसके मांसल पटों पर फिराता हुआ, उसकी चूत तक ले आया. पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को छुआ तो पैन्टी उसकी चूत के रस से गीली हो चुकी थी. मैंने पैंटी के अंदर हाथ डाल दिया और उसकी नर्म और मखमली चूत पर फिराने लगा.
उसने सुबह ही नहाते हुए बाल साफ़ किये थे. मैंने पैंटी को नीचे खिसका दिया, उसने अपने चूतड़ थोड़े ऊपर उठाकर पैंटी को नीचे कर दिया. मैंने पूरी पैंटी निकाल कर टांगों से अलग कर दी. एकदम गोरी और पाव रोटी की तरह फूली हुई चूत मेरे सामने थी. मैंने चूत पर हाथ फिरा कर अपनी बीच की उंगली उसमें डाली तो वह सीत्कारें लेने लगी.
वह एकदम उठी और मेन गेट को अंदर से ताला लगा दिया. जब वह वापिस आई तो मैंने खड़े होकर उसको बाँहों में भर लिया. वह अपना हाथ मेरे लौड़े पर फिराने लगी.
मैंने कहा- बाहर निकाल लो.
उसने मेरी पैंट खोली और जैसे ही अंडरवियर नीचे किया, नाग की तरह मेरा 8 इंच लंबा और तीन इंच मौटा लंड सांप की तरह फुंफार मार कर बाहर एक झटके से निकल आया. उसे देखते ही उसके मुंह से ‘ओह माई गॉड’ निकल गया, कहने लगी- इतना बड़ा और मौटा लंड. मेरे हस्बैंड का तो आपकी हाथ की उंगली जैसा है.
वह मेरे लंड को पकड़ कर थोड़ी देर उसे आगे पीछे करके देखती रही.
मैंने कहा- ध्यान से देखो, असली है न?
उसने मुस्करा कर झट से नीचे कालीन पर बैठ कर अपने मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगी.
मैंने उसे खड़ा किया और उसका टॉप निकाल दिया. उसके बड़े बड़े चुचे बाहर फड़फड़ाने लगे. मैंने पहले उसके मम्मों को हाथों से मसला और फिर उसे पीछे की तरफ घुमा कर, उसकी स्कर्ट को पीछे से उठा कर अपना लंड उसके चूतड़ों में फिट करके, उसके चुचों को मसलना शुरू किया. वह सिसकारियाँ भरती रही. फिर आगे की तरफ उसे घुमा कर स्कर्ट उठाकर अपना लंड उसकी चूत पर रख दिया.
उसने थोड़ी टाँगें खोली और लंड को चूत के ऊपर रख कर हाथ से रगड़ने लगी.
मैंने उसका स्कर्ट भी निकाल कर उसे पूरी नंगी कर दिया और उसकी चूचियों को मसलने लगा.
कुछ देर बाद उसने कहा- बेडरूम में चलते हैं.
मैंने उसे बाहों में उठाया और बेड पर जाकर लिटा दिया. वह संगमरमर की नग्न मूर्ति की तरह मेरे सामने नंगी लेटी थी.
मैं और वह बेड पर 69 की पोजीशन में हो गए. मैं उसके ऊपर था. मैंने रूबी की चूत पर अपने होंठ लगाए, चूत के दाने को होठों से चूसना शुरू किया. रूबी ने भी मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया और जोर शोर से चूसने लगी.
मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में गोल करके अंदर डाल दी, उसने अपनी गोरी और नर्म जांघों के बीच मेरा मुंह भींच लिया. वह मजे से सिसकारी लेने लगी. उसे मेरा लंड मुंह में लेने में दिक्कत हो रही थी, क्योंकि लंड उसके गले में फंस जाता था.
अब वह 69 की पोजीशन में मेरे ऊपर आ गई और अपने मुताबिक़ लंड को चूसने लगी.
मेरे मुंह पर उसने अपनी चूत रख दी थी और मैं उसका रस पिए जा रहा था. वह लंड छोड़ कर बीच बीच में आनन्द से तरह तरह की आवाजें निकालने लग जाती थी और चूत को मेरे मुंह पर दबाव देकर रगड़ने लग जाती थी.
कुछ देर बाद वह मेरे ऊपर से उठी और मेरे साथ लेट कर अपनी टांगें फैला कर मुझे लंड अंदर डालने का इशारा किया. मैं भी उसकी मखमली चूत में अपना लौड़ा डालने को बेचैन था, अतः मैंने उसकी टांगों के बीच पोजीशन ली, तो वह बोली- जरा धीरे डालना क्योंकि आपका बहुत बड़ा है, मेरे पति का तो इसके सामने बच्चों की लूली लगती है.
मैंने उसे किस किया और कहा- मैं तुम्हें इतने प्यार से चोदूंगा कि तुम आनन्द से झूम उठोगी.
मैंने उसकी चूत की पत्तियों को हाथ की उंगलियों से खोला और अंदर के गुलाबी छेद पर लंड का सुपारा रखा. चूत और लंड प्रीकम से चिकने हो चुके थे. मैंने चूत पर थोड़ा दबाब देते हुए लंड को अंदर किया.
यद्यपि वह एक बच्चे की माँ थी फिर भी चूत वापिस अपनी टाइट पोजीशन में आ चुकी थी. जैसे ही लंड अंदर जाने लगा रूबी ने मजे और थोड़े दर्द से अपनी आँखें बंद करनी शुरू कर दी. वह धीरे धीरे आधा लंड अंदर ले गई.
जैसे जैसे मैं लंड अंदर डालने लगा रूबी ऊपर सरकने लगी.
मैंने पूछा- दर्द हो रहा है?
तो उसने कहा- आपका बहुत मोटा और बड़ा है, मैंने कभी इतना अन्दर तक लिया नहीं है.
मैंने कहा- अभी तो आधा लंड बचा है.
तो उसने नीचे हाथ लगा कर बचे लंड को पकड़ कर देखा.
वह बोली- ठीक है डालो.
मैंने थोड़ा ज़ोर लगाकर पूरा लंड अंदर घुसेड़ दिया, रूबी की चीख निकल गई और उसके आंसू निकल गए. मैंने लंड की हरकत को थोड़ा रोक दिया और उसे किस करने लगा. उसकी चूचियों को मुंह से पीना शुरू किया.
वह उत्तेजित हो गई और चोदने का इशारा करते हुए बोली- बहुत मजा आ रहा है, चोदते रहो.
मैंने उसकी दोनों टांगों को अपनी बाहों में उठा कर आधा मोड़ दिया और स्पीड से लंड अंदर बाहर करने लगा. वह मजे से आह… उह… मार दिया जालिम… चोदो मेरे राजा… चोदो… मिटा दो आज मेरी चूत की प्यास… आह… आज असली मजा आया है.
मैं लंड को ऊपर तक खींच कर पूरे जोर से अंदर तक ठोकने लगा, मेरा लंड उसकी बच्चादानी तक जा रहा था, वह मजे से इधर उधर सिर को घुमाए जा रही थी.
उसने अपने हाथ मेरी कमर पर रख लिए और अपने नाख़ून गड़ाने लगी. लगभग 15 मिनट की चुदाई के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया जिससे चूत में फ़च फ़च की आवाज आने लगी.
वह बोली- मेरा हो गया, आप अपना कर लो.
मैंने थोड़ी देर चुदाई रोक दी और लंड को अंदर ही रखकर उसके ऊपर लेट गया और उसकी बड़ी बड़ी खड़ी चूचियों को पीने लगा.
थोड़ी देर में वह दुबारा गर्म हो गई और मुझे छेड़ने लगी. मैंने उसको बेड के किनारे पर घोड़ी बनने को कहा. वह घोड़ी बन गई. उसके हेलमेट जैसे दो गोरे चूतड़ मेरे सामने थे जिनको देख कर सैर करते वक्त मेरा लंड खड़ा हो जाता था. अब वही गोरी चिकनी गांड मेरे लंड के सामने थी.
मैंने लंड को रूबी की गांड पर टिकाया तो वह कहने लगी- नहीं, ये मैंने कभी नहीं किया.
मैंने कहा- थोड़ा करूँगा, दर्द हो तो मना कर देना.
वह बैठ गई और बोली- आपका इतना बड़ा और मोटा लंड है, मेरी तो बिल्कुल ही फट जायेगी.
मैंने कहा- तुम्हारी गांड लाजवाब है, मुझे थोड़ा ट्राई करने दो.
मैंने कहा- जैसे ही दर्द हो बता देना मैं रुक जाऊंगा.
उसने कहा- पहले प्रोमिस करो.
मैंने कहा- प्रोमिस!
वह दुबारा घोड़ी बन गई, मैंने उसकी ड्रेसिंग टेबल से एक ऑयली क्रीम निकाली और ढेर सारी लंड और उसकी गांड पर लगाई. मैंने धीरे धीरे पहले उसकी गांड में अपनी एक उंगली डाली जो आराम से चली गई. उंगली को मैं थोड़ी देर आगे पीछे करता रहा. फिर मैंने अपना लंड उसकी चिकनी गांड के गुलाबी छेद पर लगाया और थोड़ा जोर लगा कर अंदर किया, लंड का सुपारा अंदर ठप से चला गया, रूबी की चीख निकल गई, वह उछल कर आगे हो गई जिससे लंड बाहर निकल गया. उसकी आँखों में पानी आ गया, वह बोली- फट गई है.
उसने मेरा लंड देखा कि कहीं उस पर खून तो नहीं लगा था. फिर वह गांड पर हाथ लगाने लगी. उसने कहा- यह गन्दा काम है.
मैंने कहा- वैसे तो मेरी गांड मारने में रूचि नहीं है परंतु तुम्हारी गांड है ही इतनी मस्त.
उसने कहा- क्या मेरी चूत मस्त नहीं है?
मैंने कहा- चूत तो तुम्हारी ऐसी है कि आज तक नहीं देखी.
मैंने कहा- छोड़ो, पीछे से चूत में ही डालता हूँ.
वह दुबारा मेरे सामने घोड़ी बन गई. मैंने अपने लंड को उसकी सुन्दर और फूली हुई चूत पर रखा और अंदर करने लगा. पूरा लंड जड़ तक उसकी गोरी चूत में समा गया. मैंने अपने दोनों हाथों से रूबी के मम्मे पकड़े और धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा. पहले वह थोड़ा दर्द महसूस कर रही थी, परंतु कुछ ही देर में मजे से ‘आह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह… आये… करो… चोदो… जोर से करो’ बोलने लगी.
मैंने स्पीड बढ़ा दी और उसके दोनों चूतड़ों को अपने हाथों से पकड़ कर जोर जोर से धक्के लगाने लगा. रूबी हर धक्के पर अपनी चूत को पीछे धकेलने लगी ताकि ज्यादा से ज्यादा लंड अंदर जा सके.
मैंने पोजीशन बदल कर अपना एक पांव बेड पर रखा और उसकी चूत को चोद चोद कर लाल कर दिया.
कुछ धक्कों के बाद उसने अपना मुँह और चूची बेड पर टिका दी. चूत बिल्कुल अलग से उसकी जांघों और चूतड़ों से बाहर आ गई. मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी जांघें पकड़ ली और जोर जोर से चोदने लगा.
हम दोनों हांफने लगे थे. 15 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद वह ‘बस करो, बस करो’ कहने लगी. मैंने 15-20 जबरदस्त धक्के लगाए और अपने लंड से वीर्य की पिचकारियों से उसकी चूत को भर दिया. लगभग 10-12 पिचकारियों के बाद रूबी बेड पर पेट के बल ही पसर गई. मैं भी लंड को अंदर किये किये उसकी गोरी कमर पर उसके ऊपर पसर गया और उसके गालों और गर्दन पर किस करने लगा.
कुछ देर बाद लंड चूत से बाहर निकल आया, मैं उसके ऊपर से उठा, परंतु वह टाँगें चौड़ी करके पड़ी रही.
मेरा वीर्य उसकी चूत से बह कर निकलने लगा और जब वह उठी तो ढेर सारे वीर्य से उसकी बेड की चादर भीग गई थी. उसे देख कर वह चादर को अपनी जीभ से चाटने लगी. फिर मेरी तरफ बढ़ी और लंड को चाट चाट कर साफ़ करने लगी.
डेढ़ बज गया था, बच्चा स्कूल से आने वाला था, हमने कपड़े पहने और मैं अपने ऑफिस चला गया.
रात को 9 बजे उसका फ़ोन आया, कहने लगी- खाना मेरे पास खा लो.
मैं चला गया और हमने इकट्ठे खाना खाया.
मैंने एक वियाग्रा की गोली चुपके से खा ली और हम बेड रूम में चले गए. बच्चा सो चुका था. हमने कामक्रीड़ा शुरू की. रूबी दूसरे कमरे में गई और एक बहुत ही सेक्सी झालर सी कमर पर बांध कर आई जिसमें झिलमिल सितारे से लगे थे. वह न्यूड कैबरे डांसर लग रही थी. मेरा हथियार तन चुका था. उस रात दो बजे तक मैंने रूबी को तरह तरह से चोदा और उस रात को बेहद रंगीन बना दिया.
जब हम थक कर लेटे तो रूबी ने पूछा- आपने कभी स्पर्म डोनेट किया है?
मैंने कहा- नहीं तो, क्यों पूछ रही हो?
तो उसने बताया कि उसकी एक सहेली वैशाली है, जो अपनी सोसाइटी में ही रहती है. उसकी शादी को 7 साल हो चुके हैं परंतु उसे बच्चा नहीं हो रहा है. वह बंगालन है. उसके हस्बैंड में कमी है, अब वह चाहती है कि किसी स्पर्म बैंक से स्पर्म लेकर कृत्रिम गर्भाधान करवा ले. परंतु वह डरती है कि जिसका स्पर्म वह लेगी, पता नहीं वह किस रूप रंग का हो, हो सकता वह मंद बुद्धि या अपराधी व्यक्ति का हो.
मैंने रूबी को कहा- वह सीधे ही क्यों नहीं करवा लेती? स्पर्म बैंक का चक्कर क्यों रखती है?
रूबी ने कहा- पता नहीं वह राजी होगी या नहीं?
मैंने पूछा- सुन्दर है?
तो रूबी कहने लगी- अप्सरा जैसी सुन्दर है.
मैंने कहा- ठीक है, उससे कभी मुलाकात करवाओ, बात करके देख लेते हैं.
रूबी कहने लगी- उसके चक्कर में मुझे तो नहीं छोड़ दोगे?
मैंने कहा- इच्छा हो तो अभी दुबारा चोदूँ?
उसने कहा- अभी तो जाओ, सारा शरीर दुःख रहा है.
मैं रात को ढाई बजे अपने कमरे पर आ गया.
दोस्तो, रूबी को मैं जब जी चाहता हूँ, चोद लेता हूँ. उसने एमबीए का चक्कर छोड़कर मेरे लंड का पाठ पढ़ना शुरू कर रखा है. उसकी सहेली वैशाली की कहानी अगली कहानी में लिखूंगा.