पड़ोस के बाप बेटे- 5

पड़ोस के बाप बेटे- 5


बाप बेटा सेक्स कहानी में अंकल ने अपने बेटे को मेरी चूत चुदाई करते पकड़ लिया। दोनों बाप-बेटे एक दूसरे की सच्चाई जानकर लड़ने लगे। लेकिन इस बीच मेरी चूत की शामत आ गई।
दोस्तो, मैं रोमा शर्मा अपनी चूत चुदाई की देसी कहानी के पिछले भाग
मैं अंकल के बेटे से चुद गयी
में मैंने आपको अंकल के बेटे से चुदाई की कहानी बताई थी।
निखिल ने अपने मोटे लंड से मेरी चूत को चोद-चोदकर मुझे परमसुख दिया और हम दोनों वहीं पर नींद के आगोश में चले गए।
अब आगे बाप बेटा सेक्स कहानी:
जब मेरी नींद खुली तो मैंने घड़ी देखी।
साढ़े चार बज चुके थे।
मैं जल्दी से उठी और निखिल को भी जगाया।
मैंने कहा कि अब जाना होगा।
तो निखिल ने फिर से मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला- इतनी भी क्या जल्दी है भाभी जी?
मैं बोली- निखिल, अब मुझे जाना होगा बहुत देर हो चुकी है।
लेकिन वो नहीं माना और बोला- एक और राउंड हो जाए भाभी जी, फिर आप चली जाना।
मेरा भी मन चुदने का तो था ही … तो मैंने निखिल का लंड अपने हाथ में पकड़ा और उसके सिकुड़े हुए लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
लंड चूसने से अब वह अपने पूरे जोश में आने लगा।
ऐसे ही हमारा फोरप्ले फिर से शुरू हो गया।

इस सब में हम दोनों को ही टाइम का कोई ध्यान नहीं था और शाम के पाँच बज चुके थे।
इधर अंकल के घर आने का टाइम हो चुका था।
लेकिन हम दोनों अपनी ही मस्ती में मस्त थे।
अंकल घर आ चुके थे जिससे हम दोनों अनजान थे।
रूम का दरवाजा खुला हुआ ही था।
मैं एकदम बेधड़क निखिल का लंड चूस रही थी और वो मेरे बाल पकड़े हुए मेरे मुंह को चोदे जा रहा था।
ये सब अंकल कब से देख रहे थे, मुझे भी पता नहीं चला और न ही निखिल को।
शायद हमारी चुदाई देखकर अंकल भी वहां से हट नहीं पाए और अपने लंड को सहलाते हुए एकदम से उनके धकेलने से दरवाजा खुल गया।
हम दोनों एकदम से चौंक पड़े और वहीं स्तब्ध रह गए।
अब वह दोनों चोदू बाप-बेटे आमने-सामने थे और मैं एकदम नंगी बिस्तर पर बैठी हुई थी।
दोनों की ही चोरी पकड़ी गई थी इसलिए मैं निश्चिंत थी।
फिर अंकल अंदर आते ही अपने बेटे पर बरसने लगे- यह क्या हो रहा है? क्या बदतमीजी है? तुम्हें शर्म नहीं आती अपनी भाभी के समान लड़की के साथ यह सब करने में?
बाप हरामी तो उसका बेटा हरमजादा!
वो भी चिल्ला पड़ा और बोला- पापा, आप खुद क्या करते आए हो अपनी बेटी की उम्र की लड़की के साथ, तब नहीं सोचा आपने?
यह कहते हुए वो बाहर गया और मेरी वही पैंटी उठा लाया।
उसने पैंटी अंकल के हाथ में दी और बोला- ये वही पैंटी है जो ये भाभाजी आपसे चुदवाने के बाद हॉल में छोड़ गई थी।
अंकल से बोलते न बन रहा था लेकिन फिर भी वो अकड़ कर निखिल पर चिल्लाने लगे।
निखिल भी चिल्लाने लगा।
दोनों बाप-बेटों में हाथापाई होने लगी।
फिर मैं उठी और दोनों का बीच-बचाव करने लगी।
मैं बोली- आप दोनों क्यों झगड़ रहे हो, मैं तो यहीं पर हूं।
मैंने समझाते हुए अंकल से कहा- आपसे चुदवाने की बात निखिल को पता चल चुकी थी और वो कहने लगा था कि अगर मैंने उसके साथ भी नहीं चुदवाया तो वो सबको बता देगा। इसलिए मुझे आपके बेटे के साथ चुदना पड़ा। अब जब आप दोनों को भी एक दूसरे के बारे में सब पता चल ही गया है तो अब आप भी आ जाइये और हमें जॉइन कर लीजिए। मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है आप दोनों से एक साथ चुदने में!
इस पर निखिल भी बोल पड़ा- हां, दोनों साथ में हो चोद लेते हैं।
अंकल अभी थोड़ा शर्मा रहे थे।
फिर मैं ही आगे बढ़ी और उनके पास जाकर उनके घुटनों में बैठ गई।
मैंने अंकल की पैंट की जिप खोली और उनका लंड बाहर निकाल लिया।
अंकल का लंड आधा सोया हुआ था।
जैसे ही मैंने हाथ लगाया तो वो जल्दी से फनफना उठा।
यह देखकर मैं और निखिल हँस पड़े।
अब दोनों बाप-बेटों के तने हुए लंड मेरे सामने थे।
मैंने दोनों को हाथों में लिया और गौर से देखने लगी।
दोनों ही लंड जानदार थे।
कुछ देर दोनों के लौड़े हिलाने के बाद मैं भी खड़ी हो गई।
मैंने अंकल के भी सारे कपड़े उतार दिए।
अंकल ने मेरे चेहरे को अपने हाथों में पकड़ लिया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए।
मैं और अंकल एक-दूसरे के होंठ चूमने लगे और निखिल मेरे पीछे आ गया।
उसने पीछे से मेरे बूब्स अपने हाथों में पकड़ लिए और मेरी गांड पर लंड घिसते हुए मेरी गर्दन चूमने लगा।
मैं और अंकल एक-दूसरे को बहुत जोर से चूमने लगे थे।
हम दोनों के चूमने से पुच्च पुच्च की जोरदार आवाजें आने लगी।
पीछे से निखिल भी मेरे बूब्स दबाते हुए मेरी गर्दन जोर से चूमने लगा।
अब मैंने अपनी जीभ अंकल के मुंह में डाल दी और वो मेरी जीभ को चूसने लगे।
फिर उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुंह में दे दी तो मैं चूसने लगी।
तभी निखिल ने कंधों से पकड़ कर मुझे अपनी तरफ घुमा लिया और फिर हम एक-दूसरे के होंठों का रसपान करने लगे।
हम बहुत जोर जोर से एक-दूसरे को चूमने लगे।
कभी मेरी जीभ निखिल के मुंह में होती कभी निखिल की मेरे मुंह में!
हम एक-दूसरे के होंठों को दांतों से काट भी रहे थे।
फिर उन दोंनो बाप बेटे ने मुझे बेड पर लेटा लिया और खुद भी ऊपर आ गए।
निखिल बोला- पापा, आप नीचे का भाग संभालो, मैं ऊपर से मजा लेता हूं।
मैंने कहा- तुम ऊपर-नीचे से मजा लेने लग गए और मेरा मजा?
निखिल ने कहा- हम दोनों बाप बेटे मिलकर तुम्हारे अंग अंग में मजा भर देंगे।
अंकल मेरी टांगों की तरफ बैठ गए और मेरी भरी हुई जांघों को सहलाने एवं चूमने लगे।
निखिल ने मेरा सिर अपनी गोद में रख लिया और मेरे बूब्स दबाने लगा।
मैं अपना सिर थोडा़ ऊपर करके निखिल की छाती के निप्पल चूसने लगी।
कुछ देर बाद अंकल ने मेरी टांगें खोल दीं और अपना मुंह मेरी चूत पर रख दिया।
फिर निखिल भी अपने घुटने मोड़कर मेरी गर्दन के पास रखकर मेरे ऊपर आ गया और उसका लंड मेरे होंठों के पास आ गया।
अब मैंने निखिल के लंड से चमड़ी पीछे की और लाल टोपा बाहर निकाल कर जीभ से चाटते हुए मुंह में ले लिया।
नीचे अंकल मेरी चूत में जीभ डालकर चूत चाटने लगे।
उधर मैं अपना सिर ऊपर-नीचे करके निखिल का लंड चूसने लगी।
कुछ ही देर में हम तीनों बहुत गर्म हो गए।
मैं अपनी गांड हिला हिलाकर अंकल के चेहरे पर मसलने लगी और निखिल अपनी कमर चला कर मेरे मुंह में अपना लंड अंदर-बाहर करने लगा।
मैंने कहा- अब मुझसे रहा नहीं जा रहा, जल्दी से चुदाई करो।
अंकल ने निखिल से कहा- क्यों बेटे … पहले तुम चोदोगे या मैं चोदूं?
निखिल बोला- पापा आप बड़े हैं, आप ही पहले चोदिये।
ये सुनकर अंकल बेड पर लेट गए और मैं तुरंत अंकल के लंड के ऊपर बैठ गई।
मेरी चूत जो पानी छोड़ चुकी थी, उसने गप्प से अंकल के आधे लंड को अंदर ले लिया।
कुछ देर ऊपर नीचे होने के बाद मुझे लंड को और अंदर लेने का मन करने लगा और मैंने दबाव डालकर पूरा लंड अपनी चूत में घुसवा लिया।
चूत की चुदाई में मुझे जन्नत का सा मजा आने लगा।
उस प्यारे से सख्त लौड़े के लिए मेरी चूत ने अपने अंदर पूरी जगह बना ली।
अब मैं अंकल के ऊपर बैठकर उनको गपागप ताबड़तोड़ तरीके से चोदे जा रही थी।
उधर निखिल ने अपना लंड मेरे मुंह में दे दिया था और मैं मस्ती में उसके लंड को पिये जा रही थी।
सच कहूं तो उस दिन मुझे चुदाई का असली मजा आ रहा था।
अंकल मेरे बूब्स को हाथों से मसल रहे थे।
वे दोनों बाप बेटे मुझे बहुत मजा दे रहे थे।
आज पहली बार मैं मर्दो से एक साथ चुदाई का सुख भोग रही थी।
अपने चूतड़ उठाकर जब मैं पूरी ताकत से अंकल के लंड पर पटकती तो चट्ट … चट्ट … फट्ट … फट्ट की जो आवाज हो रही थी, वो और ज्यादा सेक्स को बढ़ा रही थी।
बच्चेदानी में लन्ड की ठोकर बार बार लग रही थी और हर बार मेरा पूरा शरीर मदहोशी से ऐंठ रहा था।
चुदाई के नशे में मुझे ये भी होश न रहा कि मैं क्या बोल रही हूँ।
सेक्स के नशे में मेरी आवाज भी सेक्सी हो रही थी।
अंकल भी नीचे से अपनी गांड उचका-उचका कर अपना लन्ड और गहराई में घुसाने की कोशिश कर रहे थे और बोल रहे थे- आह्ह … स्साली … आज रंडी बना कर चोदूँगा तुझे … आज से तुझे अपनी रखैल बना लूंगा और रोज पेलूँगा तेरी चूत में अपना लन्ड। तेरी चूत में मेरी बीवी की चूत से कई गुना ज्यादा मजा है … आज तेरी चूत का भोसड़ा बना कर ही दम लूंगा मैं!
इतने में ही निखिल बोला- आज ये हम दोनों की रंडी है।
अब मैं कुछ बोल पाती उससे पहले ही निखिल ने फिर से मुंह में अपना लंड पेल दिया जो मेरे हलक में फंस गया।
मैं अंकल के लन्ड पर उछल-उछल कर अपने मन के मुताबिक चुदाई का आनंद ले रही थी।
मदहोशी से भरी मेरी सिसकारियों से कमरा गूंज रहा था।
शायद आवाज़ बाहर तक भी जा रही हो लेकिन आज मैं खूब चिल्ला चिल्ला कर चुदना चाह रही थी।
लगभग आधे घण्टे मेरी चूत और अंकल के लन्ड की लड़ाई के बाद अब मैं बर्दाश्त नहीं कर पाई और मेरा पूरा बदन ऐंठने लगा।
शरीर में अजीब सी मस्ती छा गई और कमरे में तेज-तेज सांसों का तूफान सा आ गया। फिर मैंने अंकल के मस्त फूले हुए लौड़े को अपनी चूत में खूब अंदर तक पेल लिया और उनकी झांटों से अपनी चिकनी चूत रगड़ते हुए झड़ गई।
मैं एकदम ढीली होकर उनकी छाती से चिपक गयी।
कुछ देर के लिए हम दोनों शांत हो गए लेकिन अंकल का लन्ड तो अभी ज्यों का त्यों टनटनाया हुआ था।
अब उनको कैसे सब्र हो?
उन्होंने फिर हरकत करना शुरू किया और धीरे-धीरे पेलने लगे।
मैं फिर उठकर उनके लन्ड पर बैठ चुकी थी।
मुझे गोदी में लिये अंकल मेरी एक चूची को पी रहे थे और दूसरी को निखिल दबा दबा कर पी रहा था।
नीचे से अंकल का लन्ड भी शरारत कर रहा था।
अब मुझमें फिर मस्ती छाने लगी और मैं अंकल की गोदी में ही बैठी बैठी उनसे कस कर लिपट गई।
मैं गांड को उचका-उचका कर चुदने लगी।
मैंने फिर से मुंह खोलकर निखिल को इशारा किया कि मेरे मुंह में लंड दे दो।
मेरे इशारे पर वो पास आया और मेरे मुंह में अपना लंड भर दिया।
मैं मस्त सिसकारियों के साथ निखिल का लंड चूसने लगी।
उन दोनों बाप बेटे से चुदवाने में सच में बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था।
अब तक मैं 2 बार झड़ चुकी थी। फिर भी उनके लन्ड से जी नहीं भरा था।
लेकिन अब अंकल ने मुझे लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर चढ़ गए।
लंड से अलग होने के लिए चूत राजी नहीं थी तो चूत में पेले पेले ही वो ऊपर आ गए और मैं लेट गयी।
अब उनकी बारी थी और वो अपनी पूरी मर्दानगी दिखाने लगे।
क्या बताऊँ दोस्तो, क्या मस्त चोद रहे थे अंकल …
जब अपना पूरा लौड़ा बाहर निकाल कर सट्ट से पूरी ताकत से अंदर पेलते तो मैं चहक उठती।
उत्तेजना के मारे मेरी बच्चेदानी का मुँह अंकल का लौड़ा अंदर लेने के लिए खुलता, तो इधर मेरा भी मुँह खुल जाता।
मैं उन्हें अपनी बांहों में कस कर भींच लेती और चिल्ला उठती- मैं तो पागल हो गयी … आह्ह … ऊह्ह … मम्मी रे … मर गयी … हाय दईया … चोद ले साले … चोद मादरचोद … और कस कर पेल अपना लन्ड मेरी भोसड़ी में … बच्चेदानी में घुसेड़ दे सीधा! आह्ह … तुम दोनों एक साथ अपने लन्ड क्यों नहीं पेल देते मेरी चूत में? आह्ह … एक साथ पेल दो मेरे चुदासे राजाओं … ये चूत बहुत दिन से तुम दोनों के लन्ड एक साथ लेने को तरस रही थी … आह्ह … हाय रे … चोदो … मुझे चोदो … आह्ह!
ये सब बोल बोलकर न जाने कितनी बार मेरी चूत पानी छोड़ चुकी थी।
कमरे में हम तीनों की तेज तेज़ सांसों का और मेरी सिसकारियों का तूफान फिर पैदा हो गया था।
उधर निखिल भी अब मेरी चूत चोदने के लिए बेचैन हो रहा था लेकिन जब अंकल के लंड से फुर्सत मिले तभी तो निखिल का लन्ड लूं?
लगभग 20 मिनट की धुंआधार पेलाई के बाद मेरी चूत भी दर्द करने लगी और अंकल बहुत जोर जोर से पूरी ताकत लगाते हुए मेरी टांगें फैला फैलाकर लन्ड पेलने लगे।
मुझे लगा कि वो अब छूटने वाले हैं, तो मैंने उन्हें कस कर पकड़ लिया।
अपनी चूत को ऊपर उठा उठा कर मैं लंड को पूरी गहराई तक चूत में लेने लगी।
अब मैं खुद ही उनके लंड को बच्चेदानी में घुसाने की कोशिश करने लगी।
फिर अंकल के धक्के और ज्यादा तेज हो गए।
मेरा रोम रोम प्रफुल्लित हो उठा अंकल की जोरदार चुदाई से।
फिर लगभग 5 मिनट बहुत तेज चुदाई करने के बाद अंकल ने मेरी चूत में अपना सारा माल छोड़ दिया।
हाय रे … कितना सुख दे रहा था मुझे वो उनका झटका ले लेकर झड़ना!
वो मेरे सीने से कस कर चिपक गए और सांसें बहुत तेज हो गयीं।
उनका लन्ड सीधा मेरी बच्चेदानी में ठोकर मार रहा था। मेरे पूरे शरीर में न जाने क्या क्या हो रहा था।
हाय रे … मैं सच में जन्नत की सैर कर रही थी … जी कर रहा था कि बस वो ऐसे मुझे चोदते रहें और मैं जिंदगी भर ऐसे ही चुदवाती रहूँ।
उनकी गर्म गर्म सांसें मेरे मुँह में गयीं तो मैं भी बहुत उत्तेजित हो गयी और उनके साथ फिर एक बार झड़ गयी।
झड़ने के बाद अंकल निढाल होकर लेट गए।
चुदाई से मेरा दिल भी भर गया था लेकिन निखिल अभी बाकी था।
उसने मुझे तुरन्त घोड़ी बनाया और पेल दिया लौड़ा मेरी चूत में! मैं सिसिया उठी, लेकिन उस पर कोई असर नहीं पड़ा।
वो थोड़ी देर पहले मुझे अंकल के लंड से रंडी की तरह चुदते हुए देख चुका था।
मेरी गीली चूत में मस्त लौड़ा फिर अंदर बाहर होने लगा और वो ऊपर-नीचे, आगे-पीछे होकर मेरी चूत मारने लगा।
मैं फिर जोश में भर गई और झुके झुके ही अंकल का मुरझाया हुआ लन्ड मुँह में भर कर मस्त लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
लेकिन ये क्या … अंकल के लन्ड में फिर खून का प्रेशर भरने लगा और वो मेरे मुँह में ही बड़ा होने लगा।
मैंने अंकल की तरफ बड़ी हसरत भरी निगाह से देखा जैसे मैं कहना चाह रही हूं- फिर यही चाहिए मुझे!
निखिल जोर जोर से धक्के पेले जा रहा था।
फिर कुछ ही देर बाद निखिल भी झड़ गया।
अब मैं भी बुरी तरह थक चुकी थी। बाप बेटा सेक्स के बाद अब हम तीनों ही निढाल होकर बेड पर पड़े हुए थे।
मेरी नज़र फिर घड़ी पर गई तो 6 बज चुके थे।
तब मैंने उन दोनों बाप बेटे से कहा- मुझे बहुत देर हो गई है, मुझे जाना है अब!
हॉल में आकर मैंने जल्दी से अपने कपड़े पहने।
मेरे पीछे ही वो दोनों बाप-बेटे भी आ गए और बोले- रोमा, अभी मन नहीं भरा है।
मैंने कहा- तुम मर्दों का मन कभी भरता ही नहीं है।
तभी निखिल बोला- भाभीजी, एक बार और चुदवा लो, नहीं तो कल मम्मी आ जाएगी, फिर पता नहीं कब मौका मिलेगा।
मैं बोली- ठीक है, कल मैं फिर से चुदवा लूंगी, लेकिन अभी तो जाना होगा।
ये कहकर मैं अपने घर आ गई।
अगले दिन सुबह अंकल का फ़ोन आया।
उन्होंने कहा- आज हमें नाश्ता नहीं कराएगी क्या?
मैं बोली- अभी थोड़ी देर में पति को ऑफिस भेज दूं, फिर लेकर आती हूँ।
फिर पति को ऑफिस भेजने के बाद जब मैं नाश्ता ले कर उनके घर गई तो देखा कि दोनों बाप बेटे नंगे खड़े थे।
उन दोनों ने एक भी कपड़ा नहीं पहना था।
मैं जैसे ही अंदर गई दोनों ने मिल कर मुझे भी नंगी कर दिया और बोले- आओ, ऐसे ही नंगे ही नाश्ता करते हैं।
फिर हम तीनों ने टेबल पर एक साथ नाश्ता किया।
नाश्ता करने के बाद निखिल ने मुझे गोद मे उठा लिया और रूम में ले गया।
जब तक अंकल रूम में आए, निखिल अपना लंड मेरी चूत में पेल चुका था और मुझे चोद रहा था।
अंकल ने भी आकर अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया।
मैं अंकल का लंड चूसते हुए निखिल के लंड के धक्के लेने लगी।
कुछ ही देर में निखिल के लंड ने मेरी चूत में पानी फेंक दिया।
अब अंकल मेरी चूत में लंड देकर मुझे चोदने में लग गए।
निखिल मेरे पास आ गया और मेरे हाथ में लंड दे दिया।
मैं उसके लंड को सहलाने लगी।
कुछ देर में उसका लंड फिर से तनाव में आने लगा।
अब अंकल ने मेरी चूत से लंड निकाला और बेड पर पैर लटका कर बैठ गए।
मैं पीठ करके अंकल के लंड पर बैठ गई और वो मेरी पीछे से मेरी गर्दन पर चूमते हुए चूत में धक्के देने लगे।
आगे से अब निखिल भी मेरी चूत में लंड को घुसाने की कोशिश करने लगा।
लेकिन अंकल का लंड घुसा होने की वजह से चूत में निखिल का लंड जा नहीं रहा था।
मेरी छोटी सी चूत से एक साथ दो लंड नहीं लिए जा रहे थे।
लेकिन जोर आजमाते हुए किसी तरह निखिल ने भी लंड घुसा दिया और मैं जोर से चिल्ला उठी।
जितना मैं चिल्ला रही थी उन दोनों को उतना ही मजा आ रहा था।
अब वो दोनों ताल मिलाते हुए मुझे एक साथ पेलने लगे।
मुझे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था।
कई मिनट बाद मेरा दर्द थोड़ा कम हुआ और मुझे भी थोड़ा मजा आने लगा।
लगभग 15-20 मिनट तक उन्होंने मेरी चूत को पेला और हम तीनों ही एक साथ झड़ गए।
तीनों के बदन पसीने से भीग गए थे।
फिर हम शांत हुए और अपने-अपने कपड़े पहने।
बाप-बेटे का लंड एक साथ चूत में लेकर आज मेरी हालत खराब हो गई थी।
इतना जबरदस्त चुदाई मैंने कभी नहीं करवाई थी।
मुझसे चला भी नहीं जा रहा था।
मैं अपने घर आई और फिर सो गई।
कई दिनों तक मेरी चूत दुखती रही।
दोस्तो, इस तरह से मैंने पड़ोस के बाप-बेटे का लंड एक साथ अपनी चुदासी चूत में लिया।
आपको ये बाप बेटा सेक्स कहानी कैसी लगी, मुझे बताना जरूर!
आप सबकी प्रतिक्रियाओं का मुझे इंतजार रहेगा।
मेरा ईमेल आईडी है [email protected]

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