मैं सेक्स क्रेजी गर्ल बन चुकी हूँ. जवानी में कदम रखते ही 19 वर्ष की उम्र में मेरे साथ पहली बार सेक्स हुआ. मुझे पड़ोस के एक अंकल ने गर्म करके चोद दिया था.
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दोस्तो, कैसे हैं आप सब लोग! उम्मीद है कि सब मस्त हिला रहे होंगे.
मैं ललिता जोशी अन्तर्वासना की एक नियमित पाठिका हूँ.
लॉकडाउन में जब मैं फ्री हुई, तो मुझे लगा मुझे भी अपने जीवन की रसीली कहानियां अन्तर्वासना पर लिखनी चाहिए क्योंकि मेरा जीवन सेक्सी कहानियों से भरा हुआ है.
मेरा शुरू से ही भरपूर सेक्स में बहुत इंटरेस्ट था.
मेरी सहेलियां मुझे अपने अपने बॉयफ्रेंड के साथ किए हुए सेक्स के अनुभव सुनाया करती थीं, इसी वजह से सेक्स में मेरी रुचि और बढ़ती चली गयी. मैं सेक्स क्रेजी गर्ल बन गयी.
जवानी में कदम रखते ही, मतलब 19 वर्ष की उम्र में मेरे साथ पहली बार सेक्स हुआ.
आज मैं 38 वर्ष की हूँ और अब तक मैंने 64 लंडों का स्वाद चख लिया है.
मेरे पहले लंड से लेकर 64 लंड तक की सभी कहानियां मैं आपको क्रमवार सुनाना चाहती हूं. यह एक ही कहानी में संभव नहीं है, इसीलिए मैंने इन कहानियों के अलग-अलग भाग बनाए हैं.
आगे बढ़ने से पहले मैं आपको अपने बारे में बता देना चाहती हूँ. मैं 38 वर्ष की भरी पूरी एक कामुक और सुंदर महिला हूँ.
मुझे देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाता है.
आज भी 25-30 साल के लड़के मुझे जब देखते हैं, तो उनको लगता ही नहीं कि मैं उनके बराबर की नहीं हूँ इसीलिए वह मेरे आगे पीछे मंडराते रहते हैं.
मेरा फिगर 36-28-38 का है. वैसे तो मैं 12 साल के एक बेटे की मां हूँ लेकिन मुझे देखकर कोई भी कह नहीं सकता कि मैं शादीशुदा हूँ.
आप यूं भी कह सकते हैं अलग-अलग लंड खाने की आस में मैंने अपने आपको काफी मेंटेन कर रखा है.
मेरी शादी जयपुर में एक व्यापारी जय जोशी (बदला हुआ नाम) से हुई. वे भी बहुत स्मार्ट और जोशीले हैं.
उनकी भी सेक्स में उतनी ही रुचि है, जितनी मेरी है.
खैर … मैं अपनी पहली Xxx चुदाई की कहानी पर आती हूँ.
जवानी के दिनों में मेरे पड़ोस में शर्मा अंकल और आंटी रहते थे, जिनकी उम्र लगभग उस समय 35-36 वर्ष होगी.
उन लोगों से हमारा पारिवारिक मेलजोल था अक्सर वह या तो हमारे घर या हम उनके घर होते थे.
एक दिन शर्मा आंटी अपने मायके में भाई की शादी का न्यौता देने हमारे घर आईं.
उन्होंने मेरी मम्मी को सपरिवार आने का न्यौता दिया और कहा कि आपके भाई साहब (शर्मा अंकल) शादी में एक-दो दिन पहले ही आएंगे. आप लोग भी उनके साथ आ जाना.
मेरी मम्मी ने शर्मा आंटी से कहा- हां भाभी जी, आप बिल्कुल आप निश्चिंत होकर जाइए. भाई साहब के खाने-पीने का पूरा ध्यान हम लोग रख लेंगे.
यह सुनकर शर्मा आंटी मन में निश्चिंत भाव लेकर अपने मायके चली गईं.
अब शर्मा अंकल को सुबह की चाय, दिन का खाना, रात का खाना देने जाने की जिम्मेदारी मेरी हो गई.
जब तक वह खाना खाते, मेरी उनसे खूब बातें होतीं.
धीरे-धीरे मैं और शर्मा अंकल खुलकर हर तरह की बातें करने लगे.
एक दिन उन्होंने मुझसे पूछा- ललिता तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है क्या?
मैंने कहा- नहीं.
तो उन्होंने बड़े आश्चर्य से मुझसे कहा- तुम इतनी बड़ी हो गई हो और अभी तक तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है. तुम तो इतनी सुंदर हो कि तुम्हारे पीछे तो हजारों लड़के पड़ते होंगे, फिर भी तुमने आज तक किसी को अपना बॉयफ्रेंड नहीं बनाया. तुम्हारा कोई भी बॉयफ्रेंड क्यों नहीं है?
मैंने उनसे कहा- मुझे डर लगता है.
उन्होंने मुझसे कहा- इसमें डरने की क्या बात है. आजकल तो सभी लड़कियों के बॉयफ्रेंड होते हैं.
मैंने कहा- हां पर मेरी सहेलियां बताती हैं कि बॉयफ्रेंड बनने के बाद लड़के अजीब-अजीब हरकतें करते हैं.
अंकल ने कहा- अरे पागल, उसे अजीब हरकतें नहीं … सेक्स कहते हैं. फिर आजकल सभी लड़कियां अपने बॉयफ्रेंड के साथ ये सब बड़े मजे से करती हैं. यह तो जीवन का एक परम सत्य है.
मैंने अंकल से कहा- पर मुझे तो डर लगता है.
अंकल ने कहा- अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारा डर भगा सकता हूं क्योंकि मुझे सेक्स का भरपूर अनुभव है.
यह कहते हुए अचानक अंकल ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया.
अंकल की इस हरकत से मैं कुछ देर के लिए दंग रह गई.
फिर मैंने अपने आपको संभाला और अंकल की बांहों से छूटने की कोशिश करती हुई मैंने उनसे कहा- आप कहां और मैं कहां … आप मुझसे कितने बड़े हो.
अंकल ने मुझे बड़े प्यार से समझाया- इसमें बड़ा छोटा क्या होता है. सेक्स तो एन्जॉय करने की चीज है, जिसे एक अनुभवी आदमी किसी लड़की को ज्यादा अच्छे से एन्जॉय करा सकता. किसी नौसिखए के साथ सेक्स करने से ज्यादा अच्छा है कि तुम मेरे साथ सेक्स करो. मैं तुम्हें स्वर्ग का अहसास करा दूंगा.
यह कहते हुए उन्होंने मुझे छोड़ दिया और कहा- सोच कर बताना कि क्या तुम अपने डर पर काबू करना चाहती हो … या खुल कर मस्ती करना चाहती हो. क्योंकि डर के आगे ही जीत होती है.
फिर मैं भागकर अपने घर आ गई.
घर आकर मैंने किसी को कुछ नहीं कहा क्योंकि कहीं ना कहीं मैं भी शर्मा अंकल को पसंद करने लगी थी और उनकी इस हरकत पर मुझे किसी भी प्रकार का गुस्सा नहीं आ रहा था.
रात भर मैं अपने कमरे में लेटे-लेटे सोच रही थी कि जो वह कह रहे हैं, क्या वह सही है.
वही सब सोचते-सोचते मैं सो गई.
अगले दिन जब मैं उन्हें खाना देने गई तो अब उनके और मेरे बीच में पहले जैसी बात नहीं रही.
अब मैं उनसे आंखें नहीं मिला पा रही थी और वह मुझे देखकर हल्के से मुस्कुरा रहे थे.
उन्होंने मुझसे पूछा- ललिता क्या सोचा तुमने?
मैंने उन्हें कोई जवाब नहीं दिया तो उन्होंने अचानक बांहों में जकड़ लिया और मेरे होंठों पर एक चुंबन जड़ दिया.
मैं अभी कुछ कहती कि वह मेरे होंठों को चूसने में लग गए और लगातार मुझे चूसे जा रहे थे.
मैंने उनसे अपने आपको अलग करने की कोशिश की.
मैंने कहा- यह आप क्या कर रहे हो?
उन्होंने मेरी एक भी बात नहीं सुनी और मुझे गोद में उठाकर अपने बेडरूम में ले गए.
मैंने उनसे कहा- मैंने आपको हां नहीं बोला है.
उन्होंने कहा- तुम्हारी चुप्पी ही तुम्हारी हां है. मेरी जान अब तुम्हें कुछ और बोलने की जरूरत भी नहीं है.
यह कहते हुए अंकल ने मेरे कपड़ों के ऊपर से ही मेरे मम्मे दबाने शुरू कर दिए.
पहली बार किसी ने मेरे मम्मे दबाए थे.
उनके मम्मे दबाने से मुझे एक नशा सा छाने लगा.
अपने आप ही मेरे मुँह से ‘आह ह ह उम ह ह …’ की आवाजें निकलने लगीं.
मौका पाकर धीरे से उन्होंने मेरे कुर्ते को उतार दिया.
अब मैं उनके सामने केवल ब्रा में थी.
अंकल ब्रा के ऊपर से मेरे मम्मों को खूब अच्छे से सहला रहे थे.
फिर मेरे दूध सहलाते-सहलाते उन्होंने मेरी ब्रा भी उतार दी.
मैं आपको यह बताना चाहती हूं कि जब अंकल ये सब कर रहे थे तो मैं उन्हें बार-बार रोकने की कोशिश कर रही थी लेकिन वह रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे.
आखिरकार उन्होंने मेरे मम्मों को ब्रा की कैद से आजाद कर दिया और अपने मुँह से मेरी चूचियां चूसने लगे.
पहली बार किसी मर्द का अहसास अपने मम्मों पर पाकर मैं एक अलग ही दुनिया में जा पहुंची थी.
अंकल मम्मों को दबाए और चूसे जा रहे और साथ ही कहते जा रहे थे- ललिता, कितने हसीन मम्मे हैं तेरे, तेरा बदन कितना सेक्सी है ललिता … तेरी जवानी आज तक अनछुई कैसे रह गई … आज तेरी अनछुई जवानी को छूकर मैं निहाल हो गया. अब तू चिंता मत कर, आज के बाद तुझे किसी भी तरह का कोई डर नहीं लगेगा क्योंकि तेरी हसीन चूत में मैं अपना लंड डाल कर तुझे कली से फूल बना दूंगा.
मैंने आज तक इस तरह के शब्द सुने नहीं थे.
उनके मुँह से इस तरह के शब्द सुनने से मैं और रोमांचित होती जा रही थी.
मेरा पूरा शरीर कांप रहा था और मुझमें अब विरोध करने की ताकत नहीं बची थी.
फिर उन्होंने मेरी सलवार भी उतार दी अब मैं केवल उनके सामने पैंटी में थी वह मुझे बेहताशा चूमे जा रहे थे.
चूमते चूमते वह मेरे मम्मों से पेट पर … और पेट से मेरी चूत तक पहुंच गए.
पैंटी के ऊपर से काफी देर तक चूमने के बाद अचानक उन्होंने मेरी पैंटी भी मेरे जिस्म से अलग कर दी.
मैं आपको बता नहीं सकती यह पहला अहसास मेरी जिंदगी का कितना मीठा अहसास था.
उन्होंने मेरी दोनों टांगें चौड़ी की और मेरी चूत अपनी जुबान चाटने लगे.
मैं सिहर उठी और मेरे मुँह से आह उन्ह की मादक आवाजें निकलने लगीं.
दस मिनट तक चूत चटवाने का आनन्द लेने के बाद अचानक से मुझे अपनी चूत से कुछ गर्म-गर्म सा लावा बाहर निकलता हुआ महसूस हुआ.
यह मेरा पहला स्खलन था, मगर कितना अद्भुत था … सच में ये मेरी कल्पना से परे सुख का अहसास था.
अब उन्होंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए.
मैंने अपने सामने पहली बार किसी नंगे मर्द को देखा था.
उनका लंड देखकर मैं घबरा गई.
अंकल का लंड लगभग साढ़े सात इंच लंबा रहा होगा.
मैं सोच रही थी कि मेरी छोटी सी चूत में अगर यह लंड घुस गया तो मेरा क्या हाल होगा.
तभी अंकल ने अपना लंड मेरे मुँह के पास लाकर रख दिया.
मुझे समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूं.
अंकल ने कहा- चूसो इसे!
मैंने कहा कि यह तो गंदा है.
अंकल ने कहा- पागल, गंदा नहीं बहुत टेस्टी है. एक बार टेस्ट तो करके देख.
उनके बार-बार कहने और जोर देने पर मैंने उनका लंड अपने मुँह में लेना शुरू कर दिया.
अंकल की बात सच निकली, लंड बहुत टेस्टी लग रहा था.
मैं पहली बार किसी का लंड चूस रही थी लेकिन इतने अच्छे से चूस रही थी कि मुझे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि मैं पहली बार लंड चूस रही हूं.
कुछ देर लंड चूसते के बाद अंकल ने मुझसे कहा- मेरी रानी अब तू तैयार हो जा … कली से फूल बनने के लिए मन बना ले. अब तू अपनी चूत में लंड ले ले.
मैंने कहा- नहीं अंकल, आप ऐसा मत करो. बाकी का काम हम फिर कभी कर लेंगे.
लेकिन इतना सब कुछ हो जाने के बाद अंकल कहां मानने वाले थे, वे मेरे ऊपर आ गए और मेरी दोनों टांगें चौड़ी करके अपने लंड के सुपारे को मेरी चूत के मुँह पर रख दिया.
साथ ही अंकल ने मेरे होंठों को अपने होंठों से दबा लिए और एक जोरदार झटका मेरी चूत में लगाकर अपना लंड आधा अन्दर उतार दिया.
दर्द के मारे मेरी आंखों से आंसू निकल आए. मैं चिल्लाना चाहती थी मगर उन्होंने अपने होंठों से मेरे होंठों को बंद कर रखा था.
मैं खूब कसमसाई मगर उनके मजबूत शरीर ने मेरे शरीर को जकड़ रखा था.
वे मुझे हिलने डुलने नहीं दे रहे थे.
फिर उन्होंने दोबारा से एक जोरदार झटका मारा और बचा हुआ आधा लंड भी मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर तक जा घुसा.
मुझे इतनी जोर का दर्द हुआ कि मैंने पूरी ताकत लगा कर धक्के से अंकल को अपने आपसे दूर कर दिया और जोर से चिल्लाई- हट जाओ साले अंकल.
तभी मेरी नज़र अंकल के लंड पर पड़ी तो देखा कि लंड चूत के लाल खून से भरा हुआ है.
मैं डर गई और रोने लगी.
तभी अंकल मेरे पास आए और मुझे प्यार से बोले- शुरू शुरू में थोड़ा सा दर्द होता है ललिता, एक-दो बार अन्दर बाहर करने पर यह दर्द मजे में बदल जाएगा … और आज अगर तुमने यह हिम्मत नहीं दिखाई, तो तुम अपनी पूरी जिंदगी इस बात को लेकर डरती रहोगी.
उनके समझाने से मैं समझ गई.
मेरे पास समझने के अलावा और कोई चारा भी नहीं था.
फिर उन्होंने दोबारा से अपने लंड को मेरी चूत के मुँह पर रखा और अब की बार धीरे धीरे अपना अपना लंड मेरी चूत में उतार दिया.
इस बार मुझे थोड़ा कम दर्द हुआ.
थोड़ी देर तक उन्होंने अपना लंड अन्दर ही बिना हिलाए-डुलाए घुसाए रखा और मेरे मम्मों को चूसने लगे.
धीरे-धीरे मेरा दर्द कम होने लगा और वापस से मुझमें उत्तेजना होने लगी.
अब मुझे चूत में लंड का अहसास अच्छा लग रहा था.
कुछ देर रुकने के बाद अंकल धीरे-धीरे हिलने लगे और मुझे भी अब मजा आने लगा.
धीरे-धीरे करते-करते मेरे मुँह से ‘हुम्म्म आहहह …’ की आवाज़ बराबर निकल रही थी.
अंकल अब मुझे धीरे-धीरे चोद रहे थे.
काफी देर तक वह मुझे धीरे धीरे चोदते रहे. इस बीच मेरी चूत दो बार अपना पानी छोड़ चुकी थी.
अचानक अंकल उठ कर मेरे मुँह के पास अपना लंड ले आए और बोले- मुँह खोलो.
इससे पहले मैं कुछ समझ पाती, उनके लंड ने गर्म गर्म वीर्य मेरे चेहरे पर गिरा दिया.
मैं ‘छी … छी …’ करती हुई बाथरूम में भागी.
मैंने अपने चेहरे और चूत को अच्छे से धोया और कपड़े पहन कर बाहर वाले रूम आकर बैठ गई.
कुछ देर बाद अंकल भी कपड़े पहन कर बाहर आ गए और मुस्कुराकर बोले- कैसा लगा ललिता?
मैंने कहा- बहुत दर्द हुआ.
उन्होंने कहा- आज पहली बार था इसलिए ऐसा लगा. बाद में धीरे-धीरे दर्द खत्म हो जाएगा और मजा आने लगेगा.
उसके बाद अंकल ने प्यार से मुझे अपने गले लगाया और मैं अपने घर आ गई.
उस दिन के बाद तो अंकल दिन में तीन-तीन बार मुझे अलग-अलग आसन में चोदने लगे थे.
मुझे भी अपनी चूत चुदवाने में मजा आने लगा था.
अंकल ने शायद ही ऐसा कोई आसन छोड़ा होगा, जिसमें उन्होंने मुझे नहीं चोदा होगा.
अंकल ने 15 से 20 ही दिनों में मुझे लगभग 50 बार चोद दिया होगा और मैं भी इन 15 से 20 ही दिनों में चुद-चुद कर एकदम जबरदस्त चुदाई की खिलाड़ी बन चुकी थी.
दोस्तो, यह मेरी पहली चुदाई की कहानी थी.
अगली Xxx कहानी में मैं आपको बताऊंगी कि किस तरह मैं अपनी फैमिली के साथ शर्मा आंटी के भाई की शादी में गई, जहां शर्मा आंटी के भाई ने और उसके तीन दोस्तों ने मिलकर मुझे चोदा.
दोस्तो, कैसी लगी आपको सेक्स क्रेजी गर्ल की सच्ची कहानी, आप मुझे मेल कर सकते हैं.
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