मेरा नाम आर्यन है.. मैं जोधपुर(राज) में रहता हूँ।
मेरे घर के पड़ोस में एक अंकल अकेले रहते थे, उनकी उम्र कोई 35-36 साल की रही होगी। उनकी वाइफ का एक्सिडेंट हो गया था और वो मर गई थीं.. पर उनका एक 4 साल का बेटा था।
करीब 1.5 साल पहले की बात है, वो दूसरी शादी करके एक नई आंटी को ले आए। सच बताऊं दोस्तो, पहले दिन से ही में उस नई आंटी का दीवाना हो गया। क्या रंग था..! पूरी गोरी.. उनकी फिगर 38-30-40 की थी, जो बाद में पता चली। उनके बड़े-बड़े चूचे और उठी हुई गांड देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया। मुझे शांत होने के लिए अन्दर बाथरूम में जाकर मुठ मारना पड़ा। मैं दिन रात उनकी चुत की चुदाई के सपने देखने लगा।
मैं छत पर अपने अलग रूम में रहता था और अंकल-आंटी भी ऊपर ही रहते थे। उन्होंने नीचे का हिस्सा रेंट पर दे रखा था।
करीब एक साल पहले की बात है, अंकल की ब्रेन ट्यूमर की वजह से मौत हो गई.. और फिर वो आंटी पता नहीं कहाँ चली गईं।
करीब 2 महीने बाद वो लौट कर आईं.. वो अब थोड़ी शांत रहती थीं। अंकल ना होने की वजह से मम्मी मुझे उनकी हेल्प करने की कहती रहती थीं.. जैसे बाजार से सामान लाना या घर का कोई वजनी काम करना।
मैं भी इसी बहाने उनकी मोटी और गोल गांड देख लेता। मेरा मन करता अभी सलवार उतार कर आंटी को चोद दूं.. पर कंट्रोल करना पड़ता।
वो अब मुझसे फ्रैंक होती जा रही थीं। मैं और वो छत पर ही रहते थे तो शाम के वक़्त वो अपनी छत पर मेरी साइड आकर मुझसे बातें करने लगती थीं। वो दीवार पर झुक कर मुझसे बात करती जिसकी वजह से उनके चूचे दिखते थे।
वाह क्या मस्त गोरे और गुलाबी रंगत लिए हुए रसीले चूचे थे.. एकदम गोल-गोल और भरे हुए।
बीच में ऊंची दीवार होने की वजह से वो मेरी साइड नहीं आ पाती थीं। चूंकि उनका कमरा ऊपर था तो जब वो नहाकर आती थीं.. तो मेरी सीधी नज़र उन्हीं पर पड़ती थी। उनकी गीली सलवार कमीज़ में ब्रा-पेंटी साफ़ दिख जाती थी और ये सब देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता था।
उनके फ्रैंक होने की वजह से मैं छत की दीवार जो करीब 4 फीट ऊंची थी, उस पर चढ़कर उनके घर चला जाता और हेल्प करके वापस आ जाता।
एक दिन मम्मी ने मुझसे कहा- आंटी से जाकर पूछ ले कि उन्हें बाज़ार से कुछ मंगवाना है क्या?
मैं दीवार कूदकर उनकी साइड चला गया। उनके घर में टीवी की आवाज़ सुनकर मैं बिना आवाज़ दिए अन्दर चला गया। पर लॉबी में कोई नहीं था तो मैं बेडरूम की तरफ गया।
उनके बेडरूम का शीशा जो कि वॉशरूम के सामने है, उसमें देखा कि आंटी अपनी चुत में केला डाल कर उसे अन्दर-बाहर अन्दर बाहर किए जा रही हैं।
मैंने अपना मोबाइल फोन निकाला और शीशे से ही उनकी वीडियो बनाने लगा। उनकी गुलाबी चुत को देखकर मेरा लंड उछाल मारने लगा। मैंने बड़ी मुश्किल से खुद पर कंट्रोल किया और उनकी वीडियो बनाता रहा।
सच में भाई क्या चुत थी उनकी.. एकदम गुलाबी और पकौड़े सी फूली हुई.. चुत का छेद भी मुझे साफ़ दिख रहा था।
अब उन्होंने अपनी चुत में से केला निकाला, उसमें थोड़ा सा थूक लगाया.. थोड़ा थूक अपनी चुत पे मला और फिर से केला अन्दर करने लगीं।
करीब 5 मिनट तक ये सिलसिला चलता रहा और फिर वो झड़ गईं और उन्होंने वो केला चुत से निकाल कर खा लिया।
मैं जल्दी से वापस लौट आया और फिर से कुछ ना जानने का नाटक करते हुए उनके घर में आ गया।
वो कुछ देर में आईं और मैंने देखा कि वो थोड़ी हाँफ़ रही थीं। मैंने बाज़ार का काम पूछा.. उन्होंने मना कर दिया।
थोड़ी देर बाद शाम को वो छत पर रोज की तरह आईं.. और मुझसे बातें करने लगीं। बात ही बात में उन्होंने मुझसे पूछ लिया कि मेरी लाइफ कैसी चल रही है.. कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने कहा- हाँ है।
तो उन्होंने हंसते हुए कहा- फिर तो तुम्हारे मज़े हैं।
मैंने सादा सा चेहरा बनाते हुए कहा- कहाँ आंटी, कुछ मजे नहीं हैं।
आंटी ने कहा- क्यों तेरी गर्लफ्रेंड तुझे खुश नहीं रखती?
मैंने कहा- नहीं आंटी।
तो उन्होंने पूछा- तुम्हें खुश होने के लिए क्या चाहिए.. जो वो तुम्हें नहीं देती?
मैंने मोबाइल में उनकी ब्लू फिल्म उन्हें दिखाते हुए और उनकी चुत पर इशारा करते हुए कहा- मुझे मजे के लिए ये चाहिए।
वो चौंकते हुए अपने रूम की तरफ चली गईं।
मौका देखते हुए मैं भी आंटी के पीछे चला गया।
अन्दर जाते ही आंटी किचन में काम करते हुए बोलीं- ये सही नहीं है।
मैंने पीछे से जाकर उनको पकड़ कर कहा- आंटी सब सही है, अब तो मैं आपके बारे में सब जानता हूँ।
उन्होंने खुद को मुझसे छुड़ाते हुए कहा- नहीं आर्यन, हटो ये सब गलत है।
वो मुझ पर चिल्लाने लगीं।
इस बार मैंने उन्हें सामने से पकड़ा और उनके होंठों पर किस करने लगा। उन्होंने थोड़ी देर तो विरोध किया पर फिर बाद में मेरा साथ देने लगीं।
मैं आंटी को किस करते हुए उनके चूचे दबाने लगा.. वो ‘आह..’ की आवाज़ निकालने लगीं।
इसके बाद मैंने सलवार के ऊपर से ही उनकी गांड के छेद में उंगली डाल दी, वो मस्त और मदहोश हो गईं।
अब तो आंटी खुद मेरी उंगली पकड़ कर खुद अन्दर-बाहर करवाने लगीं। मैंने गांड के छेद से ही सलवार को फाड़ दिया और उन्हें किचन की स्लिप पर लिटा दिया। तभी मैंने वहां पर रखा तेल उठाया और उनकी गांड पर लगा दिया।
उन्होंने कहा- पीछे नहीं.. मुझे दर्द होगा।
मैंने ना सुनते हुए वहां रखा बेलन का हैंडल उनकी गांड में घुसा दिया, वो चिल्ला उठीं।
मैंने ध्यान न देते हुए उनकी चुत में उंगली कर दी और उनको किस किया तो कुछ पलों में वो अपना दर्द भूलकर मदहोश हो गईं और ‘आ उवू..’ की आवाज़ निकालने लगीं।
धीरे-धीरे आंटी की गांड का छेद खुल गया। अब मैंने अपने कपड़े उतार दिए और उनकी कमीज़ भी उतार दी।
मेरा 7 इंच लंबा और 2 इंच मोटा लंड देख कर आंटी की आँखें खिल गईं। उन्होंने तुरंत मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और पागलों की तरह लंड चाटने लगीं।
मैंने अपनी टांगें उनके मुँह के दोनों तरफ करके आपस में फंसा दीं और पूरा लंड उनके मुँह में डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा।
थोड़ी देर बाद मैं आंटी के मुँह में ही झड़ गया।
अब मैंने आंटी की चुत की तरफ अपना मुँह किया.. आह क्या खुशबू थी उनकी चुत की! मैंने चुत को दो उंगलियों से फैलाया और उसमें थूक कर उनकी चुत को चाटना शुरू किया। वो कामुक सिसकारियाँ लेने लगीं.. मेरे बाल पकड़ कर चुत में घुसेड़ने लगीं।
मैंने भी पूरा जोर लगा दिया.. तो आंटी की आवाज़ बढ़ने लगी और पूरा कमरा ‘आ उ आह.. और जोर से.. जल्दी चाटो.. उ अया..’ से भर गया।
अब मैंने उनकी टांगें उठाईं, अपनी गांड के बल बैठा और उनकी गांड के छेद पर लंड टिका दिया। चुत में उंगली डालते ही मैंने गांड में भी लंड घुसा दिया। वो लंड घुसते ही चिल्ला उठीं.. पर मैं झटके देता रहा।
थोड़ी देर बाद वो कहने लगीं- अह.. मजा आ रहा है.. और जोर से चोद.. और तेज़.. चोदो मुझे चोदो चोदो.. आअहह उहहुअहोह..
इसी तरह 5 मिनट तक मैंने उनकी गांड को चोदा। अब मैंने उसकी गुलाबी और फूली हुई चुत पर लंड रखा.. तो उसने अपने हाथों से छेद पर रखा और मैंने झटका दे दिया। मेरा 7 इंच लंबा लंड जैसे ही चुत के अन्दर गया.. आंटी की मदहोशी भरी चीख निकल गई।
अगले कुछ ही पलों में पूरा कमरा ‘उह.. आह चोदो उम्म्ह… अहह… हय… याह… चोदो और तेज और तेज.. आ उ उवू अया चोदो..’ की आवाजों से भर गया।
करीब दस मिनट बाद आंटी झड़ गईं.. पर मेरा लंड अभी बाकी था।
अब आंटी ने अपनी गांड दिखाते हुए कहा- अभी इसको और चोदो और माल निकाल दो।
मैंने भी आंटी की गांड में उंगली की और लंड डाल कर चोदने लगा। पांच मिनट बाद मैं भी आंटी की गांड में ही झड़ गया और उनको कसके पकड़ कर लेट गया। मैं उनके गालों की किस लेने लगा और दूध पीने लगा।
थोड़ी देर बाद वो उठकर बाथरूम गईं और साफ़ होकर आ गईं। वापस आकर उन्होंने मेरे लंड को चूमा और कहा- अब तो इसके दर्शन रोज करने पड़ेंगे।
तो मैंने कहा- क्यूँ नहीं जान, तुम्हारा ही लंड है!
अब हमें जब भी टाइम मिलता है चुदाई कर लेते हैं।
पड़ोसन आंटी की चुत, गांड चुदाई की कहानी कैसी लगी, मुझे मेल कर सकते हैं।
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