फ्रेंड्स, मेरा नाम सरिता है, घर पर मुझे प्यार से सभी सोनी बुलाते हैं. मैं दिल्ली में रहती हूँ और एमबीए की पढ़ाई कर रही हूँ. मैं अभी 24 साल की हूँ. मेरे पापा एक अकाउंटेंट हैं और मॉम हाउस वाइफ हैं. मैं अन्तर्वासना की दैनिक पाठिका हूँ, मुझे इसके बारे में मेरी एक फ्रेंड अंजलि ने मुझे बताया था.
तो दोस्तो मैंने भी सोचा कि क्यों ना मैं भी अपनी सेक्स स्टोरी आपके साथ शेयर करूँ. तो चलिए दोस्तो मैं अपनी सेक्स स्टोरी पर आती हूँ.
सबसे पहले मैं आपको अपने बारे में बता दूँ कि मेरा बदन और मेरा फिगर काफ़ी सेक्सी और हॉट है, जो भी मुझे देखता है.. बस देखता ही रह जाता है.
मेरे चूचे 34 इंच के एकदम तने हुए हैं और मेरी कमर 28 इंच की है. मेरे चूतड़ों का नाप 36 इंच का है.. जब मैं चलती हूँ तो लोग मुझे पीछे से मेरी गांड को बहुत ही सेक्सी निगाहों से ऐसे घूर-घूर कर देखते हैं.. जैसे वो मेरा अभी चोदन कर देंगे. ये सब देख कर मुझे गुस्सा तो बहुत आता है, पर इसमें उनकी भी ग़लती क्या है. जब इतना सेक्सी और हॉट माल जा रहा हो.. तो किसी की भी निगाहें क्यों नहीं फिसलेंगी.
दोस्तो, ये बात तब की है, जब मैं बीबीए के फर्स्ट ईयर में पढ़ती थी. मेरे पड़ोस में एक लड़का रेंट पर नया-नया ही आया था, उसका नाम विवेक था और वो दिखने में काफ़ी हैंडसम था.
एक दिन मैं अपने कपड़े सुखाने के लिए अपनी छत पर गई तो वो भी अपनी छत पर ही अकेले खड़ा फोन पर बात कर रहा था. मैं जब अपने कपड़े सुखाने के लिए हैंगर पर डाल रही थी, तो वो मुझे बहुत घूर कर देख रहा था.
मैंने उसे देखा कि वो मेरी चूचियों को देख रहा है, मैंने अपने दुपट्टे से अपने मम्मों को ढक लिया और उस पर ध्यान नहीं दिया और मैं नीचे अपने कमरे में आ गई.
उसके बाद मुझे कॉलेज जाना था तो मैं रेडी होने लगी और कॉलेज के लिए निकल पड़ी. रास्ते में मैंने देखा कि विवेक अपनी बाइक से जा रहा था. वो मुझे देख कर थोड़ा आगे जाकर रुक गया और मेरा वेट करने लगा.
जब मैं उसके पास से निकल रही थी तो उसने मुझे कहा- हैलो.. एक्सक्यूज मी..
मैंने कहा- जी बोलिए?
तो उसने कहा- मैं आपके पड़ोस में ही रहता हूँ, रेंट पर.. अभी नया ही आया हूँ. क्या मैं आपको कुछ दूर तक ड्रॉप कर दूँ?
मैंने कहा- नहीं, मैं चली जाऊंगी.
तो उसने काफ़ी फोर्स किया- मैं आपको कुछ करूँगा नहीं.. डरो मत.
मैंने कहा- मतलब क्या है आपका?
उसने कहा- कुछ आप डर सी रही हो.. ऐसा क्यों..? प्लीज़ आओ ना, अगर आप साथ चल लोगी तो दूरी का पता भी नहीं चलेगा.
उसके इतना फोर्स करने की वजह से मैं उसके साथ बाइक पर बैठ गई.
उसने बाइक आगे बढ़ाते हुए मुझसे पूछा- आपका नाम क्या है.. और कहाँ जा रही हो?
मैंने बताया- मेरा नाम सरिता है और मैं कॉलेज जा रही हूँ.
विवेक ने कहा- अरे वाह मैं भी कॉलेज जा रहा हूँ. आपका कॉलेज कहाँ है?
मैंने कॉलेज का नाम बताया.
विवेक ने कहा- मैं भी दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ता हूँ. हमारा कॉलेज तो पास-पास में ही है. अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें रोज ड्रॉप कर दिया करूँगा.
विवेक बाइक काफ़ी तेज चला रहा था, मुझे डर लग रहा था. कई बार वो ब्रेक लगाता तो मेरे चूचे उसकी पीठ से लग जाते.
मैं महसूस कर रही थी कि विवेक इसे काफ़ी एंजाय कर रहा है. हमारी रास्ते में काफ़ी बातें हुईं और मेरा कॉलेज आ गया. मैं अपने कॉलेज के गेट से अन्दर जाने लगी, तभी विवेक ने मुझे आवाज़ दी.
मैंने घूम कर उसे देखा तो उसने कहा- मैं शाम को आऊंगा, साथ में घर चलेंगे.
मैंने कहा- ठीक है.
तो विवेक ने कहा- अपना मोबाइल नंबर तो दे दो, मैं तुम्हें कॉल कर लूँगा.
मैंने उसे अपना नंबर दे दिया और कॉलेज के अन्दर चली गई.
उस दिन उसने मुझे कई रोमाँटिक मैसेज किए और कॉल भी किया. शाम को उसने मेरे कॉलेज के बाहर आकर मुझे कॉल किया और बोला- हेए सरिता.. कहाँ हो यार.. मैं तुम्हारे कॉलेज के बाहर तुम्हारा वेट कर रहा हूँ.
मैंने कहा- बस मैं आ रही हूँ.. थोड़ा और वेट करो.
‘ओके मैडम जी वेट करता हूँ.’
उसके बाद हम साथ में घर आने लगे. मैं उसके बाइक पर बैठी थी और वही सिलसिला फिर शुरू हो गया. मेरे चूचे उसकी कामोत्तेजना को बढ़ा रहे थे.
रास्ते में उसने बाइक एक रेस्तरां के सामने रोकी और कहा- चलो यार कुछ खा लेते हैं. मैंने मना किया.. पर उसने मेरा हाथ पकड़ कर कहा- चलो ना यार..
तो मैं मान गई और हम दोनों ने साथ में डिनर किया और फिर घर आ गए.
अब ये सिलसिला रोज चलने लगा था, वो मुझे कॉलेज छोड़ता और रोज लाता था. हम दोनों एक-दूसरे के साथ काफ़ी घुल-मिल गए थे और अच्छे दोस्त बन गए थे. वो मुझे कभी-कभी मज़ाक-मज़ाक में गालों पर किस भी कर लिया करता था. वो कहता कि ये सब दोस्ती में चलता है. मुझे भी वो अच्छा लगने लगा था.
फिर 2-3 महीनों में उसने हमारे घर से अच्छे रिलेशन बना लिए थे और हमारे घर कभी भी आ जाया करता था. पापा और उसकी काफ़ी अच्छी बनने लगी थी.
एक दिन हमारी पूरी फैमिली को 2-3 दिनों के लिए एक शादी में जाना था, पर मैंने मॉम से मना कर दिया कि मैं नहीं जा पाऊंगी, मेरे एग्जाम पास में है और मुझे कई सारे नोट्स भी तैयार करने हैं.
इसके बाद मेरी पूरी फैमिली शाम को चली गई. अब मैं अपने घर में अकेली थी.. और काफ़ी बोर हो रही थी.
तभी विवेक का कॉल आया, मैंने कॉल पिक किया. विवेक ने कहा- हेए सरिता बेबी.. क्या हो रहा है? आज तो तुम्हारी फैमिली बाहर गई है.. बोर हो रही होगी?
मैंने कहा- हाँ थोड़ा बोर तो हो रही हूँ.
तो उसने कहा- मैं आ जाऊं.. साथ बैठकर चैस खेलेंगे.
मैंने कहा- ठीक है आ जाओ.
दोस्तो मैं आपको बता दूँ कि मुझे शतरंज बहुत पसंद है.
थोड़ी देर के बाद दरवाजे की वेल बजी और मैंने दरवाजा खोला तो विवेक सामने था. विवेक ने ट्राउज़र और टी-शर्ट पहनी थी. मैंने भी उस दिन जीन्स और टॉप पहना था. वो मुझे आँख मारते हुए अन्दर आया. मैंने दरवाजा बंद किया और चैस खेलने बैठ गए. एक गेम खेलने के बाद विवेक ने कहा- यार मुझे प्यास लगी है, थोड़ा पानी मिलेगा.
मैंने कहा- मैं अभी लाती हूँ.
मैं किचन की ओर चली गई, मैं रेफ्रिजरेटर से पानी की बॉटल निकालने के लिए थोड़ा सा झुकी ही थी कि तभी किसी ने मुझे पीछे से जोर से पकड़ लिया. मैं तेज से चिल्लाई, लेकिन उसने मेरा मुँह अपने हाथों से बंद कर दिया. मैं अपने आपको छुड़ाने लगी. मैंने पीछे देखा तो वो कोई और नहीं विवेक था.
विवेक ने कहा- चिल्लाओ मत मेरी जान.. चुप रहो कोई सुन लेगा तो तुम्हें ही प्राब्लम होगी.
विवेक ने मेरे मुँह से हाथ हटाया, मैंने विवेक से कहा- विवेक ये तुम क्या कर रहे हो.. छोड़ो मुझे?
उसने कहा- सरिता मैं तुमसे प्यार करता हूँ और तुम्हें बहुत चाहता हूँ.
मैंने कहा- अगर तुम मुझे नहीं छोड़ोगे.. तो मैं चिल्लाऊँगी.
विवेक ने कहा- ठीक है चिल्लाओ.. मैं भी कह दूँगा इसने मुझे खुद ही बुलाया था और वैसे भी तुम लड़की हो बदनामी तुम्हारी ही होगी.
मुझे भी लगा कि ये बात तो ठीक कह रहा है. मैं पूरी तरह से फंस चुकी थी.
अब उसने कहा- मैं जैसा कहता हूँ, वैसा ही करो.. वरना अच्छा नहीं होगा.
मैंने विवेक से कहा- देखो विवेक, ये तुम ठीक नहीं कर रहे हो.
विवेक ने मेरे होंठों को अपने होंठों से मिला दिया और पागलों की तरह किस करने लगा. उसने मुझे 5 मिनट तक किस किया.
फिर विवेक ने मुझे अपनी गोद में उठाया और मेरे रूम में लेकर आ गया. अब वो मेरे कपड़े उतारने लगा.
मैंने विवेक को मना किया- विवेक रुक जाओ क्या कर रहे हो तुम? ये सब ग़लत कर रहे हो.
मैं अपने आपको विवेक से छुड़ाने की पूरी कोशिश कर रही थी, पर विवेक नहीं रुका. उसने एक-एक करके मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मैं अब उसके सामने बस ब्रा और पैंटी में थी.
उसने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए. पहली बार मैंने लाइव अपने सामने किसी मर्द का लंड देखा था. उसका लंड लगभग 8 इंच का था.
मुझे बहुत डर लग रहा था और ये अनुभव मेरे लिए बिल्कुल नया था. दोस्तो मैं आपको बता दूँ इससे पहले मैं अभी तक किसी लंड से नहीं चुदी थी. इससे आप लोग अंदाज़ा लगा सकते हैं कि मेरा क्या हाल हो रहा होगा.
मेरी साँसें जोर-जोर से चल रही थीं. विवेक मेरे पास आया और लंड की तरफ इशारा करके बोला- चल पकड़ इसे और इसको सहला.. मेरी जान आज से ये तेरी चुत का पति है.
अब मैं समझ चुकी थी कि आज मैं चुदने वाली हूँ.
विवेक ने मुझे किस करते हुए बोला- सरिता प्लीज़, मैं तुम्हारी मर्जी के खिलाफ तुम्हें कुछ नहीं करूँगा.
फिर विवेक ने मेरी ब्रा को ऊपर उठाया और मेरे मम्मों को चूसने लगा.
क्या बताऊं दोस्तो.. मम्मे चुसवाने का मस्त क्या एहसास था.. सच में मुझे बहुत अच्छा लगा और गुदगुदी भी हो रही थी. विवेक मेरे दोनों मम्मों को दबाने लगा. इस तरह वो लगभग 15 मिनट तक मेरे मम्मों के साथ खेलता रहा.
फिर उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरी पैंटी उतार दी.. और मेरी चूत पर हाथ फेरने लगा.
थोड़ी देर हाथ फेरने के बाद मेरी चुत को अपनी जीभ से चाटने लगा. मेरे मुँह से गरम सिसकारियां निकलने लगीं और मैं उसने मुँह को अपनी दोनों टांगों के बीच दबाने लगी. विवेक की तरफ से छूटने की कोशिश करने लगी, पर अब विवेक मुझे छोड़ने वाला नहीं था.
उसने मेरी चुत को खूब चाटा और चूसा. अब मुझे भी मज़ा आ रहा था. थोड़ी देर बाद मेरी चुत ने अपना पानी छोड़ दिया. विवेक मेरी चुत का सारा पानी पी गया.
थोड़ी देर बाद विवेक उठा और बोला- अब तुम मेरे लंड को मुँह में लो.
मैंने कहा- छी: विवेक मैं ऐसा नहीं करूँगी.
उसने मुझे काफ़ी रिक्वेस्ट की, पर मैंने मना कर दिया- ये मुझे बहुत गंदा लगता है.
विवेक ने कहा- कोई बात नहीं.
अब उसने अपने लंड पर थोड़ा थूक लगाया और सहलाने लगा. फिर मेरी चुत पर अपने लंड को रख कर सहलाने लगा, मैंने विवेक को मना किया- विवेक रहने दो.. ऐसा मत करो मैं मर जाऊंगी.
पर विवेक पर तो कामदेव आ चुके थे, वो अब रुकने वाला नहीं था. मैं बिस्तर पर चित लेटी हुई थी. विवेक ने मेरी दोनों टाँगें फैलाईं और अपना लंड मेरी चुत पर रखकर एक हल्का सा धक्का मारा.
मेरी तो जान ही निकल गई और मैं दर्द के मारे जोर से चिल्लाई- अऔच.. ओह गॉड.. प्लीज़ विवेक इसे निकाल लो, मुझे दर्द हो रहा है.
पर विवेक ने मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी और मुझे किस करने लगा.
मैं रोने लगी, मेरी आंखों से आँसू निकल रहे थे. सच में मुझे बहुत दर्द हो रहा था. थोड़ी देर के बाद विवेक ने धीरे-धीरे धक्के लगाकर अपने लंड को थोड़ा और अन्दर करते हुए मेरी चुत में डालने लगा. मैं सहमी सी पड़ी थी, तभी उसने एक और धक्का दे दिया. अब उसका आधा लंड मेरी चुत में घुस चुका था.
थोड़ी देर बाद उसने एक और धक्के के साथ पूरा लंड मेरी चुत में घुसेड़ दिया. थोड़ी देर रुकने के बाद विवेक मेरी चुत में धक्के पर धक्के देने लगा और मेरी चुदाई करने लगा.
अब उसने अपनी स्पीड थोड़ा बढ़ाकर मुझे चोदने लगा. वो बोले जा रहा था- सरिता तू कितनी सेक्सी है.. अह.. कितनी हॉट है.. तेरे जैसे माल के लिए तो कोई भी कुछ भी कर जाए.
मैं भी खूब चीख रही थी, चिल्ला रही थी. मेरी चीख और सिसकारियों की वजह से वो और उत्तेजित हो रहा था.
‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ मैं इस तरह से आवाजें कर रही थी.
लगभग 20 मिनट के बाद उसने एक जोरदार धक्का मेरी चुत में मारकर अपने लंड से पिचकारी छोड़ दिया. मेरी चुत में ही झड़ गया, उसने अपना सारा पानी मेरी चुत में छोड़ दिया.
हम ऐसे ही एक-दूसरे की बांहों में थोड़ी देर तक लेटे रहे. मैं अभी भी थोड़ा रो रही थी.
तो विवेक ने कहा- आई’म सॉरी मेरी जान.. मुझे माफ़ कर दो, मैं खुद को कंट्रोल नहीं कर पाया.. देखो तुम जो चाहो मुझे कर सकती हो, लेकिन मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ.. ये सच है.
मैंने कुछ नहीं कहा, मैं बस लेटी रही. थोड़ी देर बाद मैं बाथरूम में फ्रेश होने चली गई. इसके बाद हम दोनों ने साथ में खाना खाया.
दोस्तो जब भी मौका मिलता था, विवेक मुझे ऐसे ही चोद लेता था.
फ्रेंड्स आपको मेरी पहली बार चुदाई की कहानी कैसी लगी.. मुझे मेल ज़रूर कीजिए.
अगर आपका रेस्पॉन्स अच्छा रहा तो मेरी विवेक के साथ और भी चुदाई की कहानियां हैं.. वो मैं आपको अगली चुदाई की कहानी मैं बताऊंगी कि अब मैं विवेक का लंड भी चूसने लगी हूँ और लंड चूसने में एक्सपर्ट भी हो चुकी हूँ. बाय..
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