मेरा नाम राज शर्मा, मेरा कद 5’8″, मेरे लंड का साइज़ अच्छा लंबा मोटा है. मैं काफी आकर्षक व्यक्तित्व वाला हूँ.
मैं केवल अपने जीवन से सम्बंधित सच्ची कहानियाँ अर्थात अपने अनुभव ही लिखता हूँ. मैं चंडीगढ़ की एक सोसाइटी में रहता हूँ.
यह कहानी कुछ समय पहले की है. उस वक्त मेरी उम्र 30 साल थी.
एक रात को मेरे पड़ोस के ब्लाक में रहने वाली रूबी को मैं मजे से चोद रहा था, जिसकी कहानी
पढ़ाई के बहाने पड़ोस की भाभी ने चूत चुदवा ली
मैं लिख चुका हूँ.
इस कहानी में रूबी ने हमारी एक बंगालन पड़ोसन की बात की थी जिसका पति फिसड्डी था और वो किसी स्पर्म बैंक से कृत्रिम गर्भाधान करवाने की सोच रही थी.
मैंने कहा था कि वो उसे कभी मिलवा दे तो बात करके देख सकते हैं.
दो दिन बाद रूबी का सुबह ही फ़ोन आया कि आज सुबह 11.00 बजे वैशाली मेरे घर आएगी, आपसे बात करने को राजी हो गई है.
मैं ठीक 11.00 बजे फ़ोन करके रूबी के घर पहुँच गया; दरवाजा खुला था, मैं अंदर चला गया.
ड्राइंग रूम में एक बला की सुन्दर लड़की बैठी थी.
मैंने अंदाज से पूछा- आप वैशाली हो?
उसने खड़ी होकर हाँ में उत्त्तर दिया.
वैशाली का कद कोई 5’2″ होगा. उसने एक स्लीवलेस टॉप और पतली सी काली टाइट पैन्ट पहन रखी थी. उसका साइज़ 36-33-36 होगा. एकदम बड़े बड़े नुकीले चुचे, हाथी के सूंड की तरह सुडौल जांघें, फूली और उभरी हुई मोटी गांड, दोनों जांघों के बीच उभरी हुई उसकी चूत का डिज़ाइन साफ़ दिखाई दे रहा था. गदराया हुआ शरीर और दूध जैसे सफ़ेद रंग वाली बला की सुन्दर थी वह.
कुल मिलाकर वह कोई कॉलेज की अच्छे एटिकेट्स वाली लड़की लग रही थी.
रूबी रसोई से बाहर आई, हमारा परिचय करवाया और हम एक दूसरे को दुबारा हैलो कह कर सोफे पर बैठ गए.
रूबी बोली- राज! मैंने आपको बताया था कि वैशाली स्पर्म डोनेशन चाहती है, क्या आप कर देंगे?
मैंने कहा- वैसे तो मैं ये करता नहीं, परंतु आपकी सहेली हैं तो कर देता हूँ, परंतु कैसे करना होगा?
रूबी ने ही बताया कि वैशाली चाहती है कि आप स्पर्म बैंक में जाएँ और वहाँ हाथ से निकाल कर जमा करवा दें. वहां से ये एक प्लास्टिक के इंजेक्शन से उसे अपने अन्दर रखवा लेगी.
मैंने पूछा- वो लोग क्या कोई फीस लेते हैं?
तो रूबी ने बताया कि वह सब वैशाली करेगी. करीब 50,000 रूपये खर्च आएगा.
मैंने वैशाली से पूछा- आपके पास पैसे फालतू हैं क्या? यह काम मैं यहीं फ्री में कर देता हूँ.
मैंने कहा- तुम जैसे मर्जी कर लो, परंतु कहलाओगी तो मेरे बच्चे की माँ ही, क्यों न हम आपस में सेक्स करके इस काम को कर लेते हैं.
वैशाली सीधा सेक्स करने में झिझक रही थी.
मैंने उससे कहा कि डोनेशन में अनेक दिक्कतें हैं. स्पर्म बैंक वाले हम दोनों का रिकॉर्ड रखेंगे. फिर क्या पता वो मेरा स्पर्म ही दें या नहीं? क्या पता एक बार में गर्भ धारण होगा भी या नहीं?
मैंने उसे बताया कि जब आदमी और औरत फ्री सेक्स करते हैं तो लेडी सेक्स के मजे से हार्मोन छोड़ती है जो प्रेग्नेंसी में हेल्प करते हैं. यदि तुम चाहो तो मैं एक तरकीब बता देता हूँ जिससे तुम्हारे पति को भी लगेगा कि तुम उन्हीं से प्रग्नेंट हुई हो. मैंने उसे बताया मेरे साथ सेक्स करने के बाद, एक दिन तुम अपने पति से भी करवा लेना और फिर बोल देना कि मैं प्रेग्नेंट हो गई हूँ. तुम्हारा राज भी रहेगा और पति भी खुश हो जाएगा.
वैशाली चुप रही और नीची गर्दन करके बैठी रही.
तभी रूबी ने मुझे इशारा किया और बोली- आप ठीक कह रहे हो, जाओ बैडरूम में बैठो, वैशाली को ले जाओ.
मैं उठा और वैशाली का हाथ पकड़ते हुए बोला- वैशाली प्रैक्टिकल बनो.
वैशाली कहने लगी- मैं आपका अंदर नहीं लूँगी, मैं चौड़ी कर लूँगी, आप ऊपर डिस्चार्ज कर देना.
रूबी मुस्करा कर कहने लगी- ठीक है, राज! जैसा ये कहे वैसा ही करना, यदि यह कहे अंदर डालो तो भी इसे नहीं चोदना है.
वैशाली उठ कर मेरे साथ रूबी के बेड रूम में आ गई.
रूम में आते ही मैंने वैशाली को बाँहों में भर कर ऊपर उठा लिया. उसके दोनों चूतड़ों को पड़कर उसकी चूत को अपने पैंट में अकड़े हुए लंड पर टिका दिया. मेरा लंड उसकी चूत पर पूरा रगड़ खा रहा था. मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए. उसने अपने दोनों हाथ मेरी गर्दन से लपेट लिए और वह मेरे ऊपर पूरी तरह से लटक गई.
मैंने उसे नीचे उतारा और धीरे से उसके कान में कहा- वैशाली तुम सचमुच हुस्न परी हो, बहुत सुन्दर और बेहद सेक्सी हो.
वह अपनी तारीफ़ सुन कर खुश हो गई.
मैंने उसका टॉप निकाल दिया. उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ ब्रा से बाहर फटने को हो रही थीं. मैंने उसकी ब्रा को भी निकाल दिया और उसकी चूचियों को हाथों में भर कर बारी बारी पीने लगा, साथ में उसके गालों और होंठों को चूसता रहा.
धीरे धीरे उसकी झिझक दूर हो गई. मैंने उसकी पैंट के ऊपर से उसकी चूत पर हाथ फिराया और फिर पैंट को खोल कर नीचे खिसका दिया. वह केवल एक लाल रंग की पैन्टी में रह गई. पैन्टी के अंदर से फूली हुई चूत थोड़ी थोड़ी बाहर दिखाई देने लगी.
मैंने पैन्टी के अंदर हाथ डाल कर चूत को सहलाया तो वह सिहर उठी. मैंने चूत में एक उंगली भी डालने की कोशिश की, चूत टाइट थी.
मैंने पूछा- वैशाली, तुमने लास्ट टाइम सेक्स कब किया था?
तो उसने बताया- पता नहीं कब किया था, शायद साल से ऊपर हो गया है, अब मेरे हस्बैंड इस मामले में मुझसे कतराने लगे हैं, उनमें काम्प्लेक्स आ गया है कि वे नामर्द हैं, इसलिए नहीं करते.
मैंने कहा- वैशाली, जिंदगी का मजा लेना हो तो अपनी पैन्टी खुद निकालो और फिर मेरा लंड पैंट से बाहर निकालो.
वैशाली ने अपनी पैन्टी नीचे खिसका कर जमीन पर गिरा दी. अब वह मेरे सामने मादरजात नंगी थी. मैंने उसके बदन को हर तरह से देखा, चूमा, पाव रोटी सी फूली लगभग कुंवारी चूत को हाथ और उंगलियों से छेड़ा, उसके दाने को अपनी उंगलियों से मसला, वह बेहाल होकर सिसकारियाँ लेने लगी.
मैंने अपनी टीशर्ट उतार दी. मेरे चौड़े सीने को देख कर वह सेक्स से भर गई. उसके हाथ अपने आप मेरी पैंट उतारने लगे. पैंट उतरने के बाद जैसे ही उसने मेरे अंडरवियर के इलास्टिक को नीचे किया, मेरा फड़फड़ाता हुआ 8 इंची लंबा और 3 इंची मोटा लौड़ा बाहर झटका देकर निकला.
लंड को देखते ही उसकी चीख निकल गई, उसने पूछा- ये क्या है?
मैंने कहा- जो तुम्हारे हस्बैंड के पास है, वही है.
वैशाली बोली- मेरे हस्बैंड का तो इसका तीसरा हिस्सा भी नहीं है. उसका तो 3 इंच का पतला सा है.
मैंने कहा- उसको लूली कहते हैं और इसे फौलादी लंड कहते हैं.
वह मेरे लंड को देख कर ख़ुशी से झूम उठी, परंतु कहने लगी यह तो मेरी फाड़ देगा.
मैंने कहा- अंदर करने को तो तुमने मना किया था.
वह मेरे सीने से लग गई और बोली- पहली बार किसी गैर मर्द के सामने नंगी हुई हूँ, तो अब क्या प्यासी ही लौटाओगे?
तभी रूबी अंदर आ गई और बोली- अपने रिस्क पर अंदर लेना, मेरी चीखें निकल गईं थीं.
रूबी ने वैशाली के चूतड़ों को सहलाया और बोली- स्पर्म वाली प्लास्टिक की डंडी लेने चली थी, अब ले गर्म गर्म ताजा ताजा वीर्य, मोटे लौड़े से, डायरेक्ट अपनी चूत में.
मैंने वैशाली को बेड पर बैठाया और खुद फर्श पर खड़ा हो कर उसके मुँह में लंड डाल दिया, उसका छोटा सा मुंह मेरे लंड से भर गया. उसने जितना अंदर गया उसी को चूसना शुरू किया.
कुछ देर बाद वह बेड पर पसर कर लेट गई और मुझे हाथों से पकड़ कर अपने ऊपर खींचने लगी. मैं समझ गया, चुदवाना चाहती है. मैंने फिर पूछा- तुम अपना वायदा खुद तोड़ रही हो?
वह बोली- आज जान भी ले लोगे तो वो भी माफ़, अब जल्दी से अंदर डालो.
मैं उसके ऊपर आ गया और उसकी गोरी मांसल खुली टांगों के बीच उसकी गुलाबी रंगत वाली चूत को खोल कर देखा, छेद इतना तंग लग रहा था जैसे इसमें कभी कुछ गया ही नहीं था. बिना बालों वाली चिकनी चूत की ऊपर की दो मोटी फांकों के बीच सुन्दर गुलाबी छेद में पानी की चिपचिपाहट आ गई थी. मैं उसके पटों को सहलाने लगा.
तभी रूबी फिर आ गई, उसने कहा- राज! कुछ लगा लो वर्ना इसकी फट जायेगी.
मैंने उसे हेल्प करने को कहा तो वह बाथरूम से एक ऑयली क्रीम ले कर आई और उसकी चूत पर अपनी उंगलियों से लगा दी, फिर कुछ मेरे लौड़े पर मसल दी और बोली- अब इसे जम कर चोदो, और प्रेग्नेंट कर दो.
जैसे ही मैंने उसकी टांगों के बीच पोजीशन लेकर लंड को चूत पर टिकाया तो वैशाली एकदम बोली- धीरे से डालना.
जैसे ही मैंने जोर लगाया तो लंड का सुपारा अंदर जाने लगा, वैशाली घबराने लगी, उसने अपने दोनों हाथ मेरी छाती पर अड़ा दिए ताकि मैं जोर न लगा सकूँ.
मैंने रूबी से कहा- तुम इसके पास बैठ कर इसकी चूचियों को मसलो.
रूबी तो तैयार हो चुकी थी, झट से नंगी होकर बेड पर बैठ कर उसकी चूचियों पर हाथ फिराने लगी. रूबी ने मजाक में कहा- यदि राज का लंड तुमने ले लिया तो चूत इतनी खुल जायेगी कि डिलिवरी के टाइम कोई प्रॉब्लम नहीं होगी.
उसने उसके हाथ नीचे किये और मुझे कहा- राज! डालो इसकी चूत में लंड.
मैंने जोर लगाया और झट से आधा लंड चूत में घुसेड़ दिया.
वैशाली की चीख निकल गई.
रूबी उसके मम्मों और गालों पर हाथ फिराती रही. मैंने एक और झटके से सारा लंड अंदर कर दिया. वैशाली छटपटाने लगी, दर्द से करहाती हुई बोली- एक बार बाहर निकालो, बहुत बड़ा और मोटा है, लगता है अंदर कुछ फट गया है.
मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से दबा लिया और लंड डाल कर रुक गया. वह कहती रही- एक बार निकालो, फिर दुबारा डाल लेना.
मैंने लंड निकाल लिया.
मेरे लंड निकालते ही रूबी ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया. मैंने रूबी की पानी छोड़ चुकी चूत में पूरा लंड एक ही बार में घुसेड़ दिया.
मैंने रूबी को चोदना शुरू कर दिया, वैशाली देखती रही. 15-20 धक्कों के बाद रूबी की चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया और उसने मुझे अपने ऊपर से उतार दिया. रूबी ने वैशाली से कहा- पहले दिन मेरा भी यही हाल हुआ था, परंतु अब तो राज से चुदे बिना मुझे नींद ही नहीं आती है.
वैशाली बाथरूम गई और आ कर फिर लेट गई. मैंने दुबारा पोजीशन लेकर लंड अंदर डाला, वह धीरे धीरे सारा लंड अंदर ले गई.
मैंने पूछा- दर्द है या मजा आ रहा है?
वह बोली- अब ठीक लग रहा है, करो.
मैंने उसकी टांगों को बाहों में उठाया और चोदना शुरू किया. रूबी चुद कर किचन में चली गई थी. मैं वैशाली को धका धक् चोदने लगा. वह आंनद से आवाजें निकालने लगी, आह… करो… जोर से… मार दिया आज तो… ऐसी चुदाई कभी नहीं हुई… हाय मेरे राजा… मेरे असली पति तो तुम ही हो… आज से मैं तुम्हारी हुई.
मैंने उसकी दोनों टांगों को अपने कन्धों पर उठा लिया और उसकी पकोड़ा सी चूत पर मेरे हथोड़े से वार करता रहा.
अन्त में उसने एकदम चिल्लाकर कहा- मैं गई, उम्म्ह… अहह… हय… याह…
और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
क्योंकि मैंने उसे प्रेग्नेंट करना था अतः मैं भी जोर जोर से लंड को तूफानी तरीके से अंदर बाहर करके वीर्य की गर्म पिचकारी उसके अंदर छोड़ने लगा. लगभग 10-15 पिचकारियों के बाद मेरा तूफ़ान शांत हुआ और वीर्य को उसकी बच्चेदानी के मुंह तक भर दिया.
मैं उसके ऊपर लेटा रहा. कुछ देर बाद लंड और चूत एक दूसरे का मदन रस सोखते रहे. वह पूर्ण संतुष्ट हो चुकी थी. मैंने उसे कहा- अभी उठना नहीं है. वीर्य को बाहर मत निकलने दो. परंतु वीर्य था ही इतना कि उसके दोनों घुटने मोड़े रखने के बाद भी बह कर उसकी गांड को भिगोता हुआ नीचे बेड की चादर पर गिर रहा था.
मैंने उसको, उसके साथ लेट कर प्यार किया. उसके मखमली पेट और मम्मों को सहलाता रहा. उसे भी मुझ पर प्यार आने लगा. 10-15 मिनट लेटे रहने के बाद वह उठी और चूत धोकर, अपने कपड़े पहन कर बाहर आ गई.
वह किचन में रूबी के पास जा कर बोली- थैंक यू रूबी!
रूबी ने उसे गले लगा लिया. दोपहर का 1.00 बज गया था, उसने कहा- मेरे हस्बैंड का उठने का टाइम हो गया है. लंच करके फिर सोयेंगे और रात 8.00 बजे ड्यूटी पर जाएंगे.
हमने अपने फ़ोन नंबर एक्सचेंज कर लिए थे. मैंने उसे ‘किस’ किया और वह बाय कह कर जाते हुए बोल गई कि सांय 8 बजे के बाद फोन पर बात करेंगे. मैं भी अपने कमरे पर आ गया और सो गया.
आपको मेरी फ्री सेक्स स्टोरी कैसी लगी, अपने विचार अवश्य व्यक्त करें!
कहानी का अगला भाग: पड़ोसन भाभी को फ्री स्पर्म डोनेट किया-2