जवान आंटी नंगी चुदाई का मौक़ा मुझे मेरे घर के पास रहने वाली एक चाची ने दिया. वे मेरी मम्मी की सहेली थी और हमारे घर आती थी. मैंने उन्हें कैसे पटा कर चोदा?
दोस्तो, मेरा नाम अमित है और मैं अभी 24 साल का हूँ.
मेरा कद 5 फुट 7 इंच का है, गोरा रंग और भरा हुआ शरीर है.
यह मेरी पहली सेक्स कहानी है, जो सत्य घटना पर आधारित है.
जवान आंटी नंगी चुदाई कहानी उन दिनों की है, जब हम गांव से शहर में रहने आए थे.
उस समय मेरी उम्र 19 साल की रही होगी.
हमारे घर के सामने एक परिवार रहता था.
उनके परिवार में पति पत्नी और दो बच्चे थे.
जब मैंने पहली बार पूनम आंटी को देखा था, तभी से उनको बहुत पसंद करने लगा था.
उनकी उम्र 38-39 साल की थी.
एकदम गोरा रंग, कसा हुआ जिस्म और मोटे मोटे स्तन.
अंकल काम के सिलसिले में ज्यादातर शहर के बाहर ही रहा करते थे.
उनके बच्चे भी बड़े हो गए थे.
बच्चों के जाने के बाद आंटी ज्यादातर अकेली रहती थीं.
वे अक्सर हमारे घर आया करती थीं.
मेरी मम्मी और आंटी अच्छी सहेलियां बन गई थीं.
आंटी मेरे घर आकर मम्मी से घंटों बातें करती रहती थीं.
मैं भी उन दोनों के साथ बैठकर बातें करता रहता था.
आंटी अक्सर मुझे देख कर हंस दिया करती थीं.
उनकी आंखों से साफ पता चल रहा था कि वे प्यासी हैं.
पर वे अपना दर्द किसी से कह नहीं पाती थीं.
जब मेरे घर पर कोई नहीं रहता था, तब आंटी खाना बनाने आ जाया करती थीं.
उनके मोटे मोटे बूब्स देख कर मैं अक्सर मुट्ठी मार लिया करता था.
मैं बस इसी ख्याल में खोया रहता था कि बस एक बार उनकी चुत चोदने को मिल जाए.
एक दिन जब वे अपने घर में पौंछा लगा रही थीं, तब मैं उनके घर गया तो मैंने उनके मोटे-मोटे मम्मों का दीदार बहुत ही अच्छी तरह से किया था.
यह बात उनको भी पता चल गई थी कि मैं उनके पीछे पड़ा हुआ हूँ.
एक दिन जब मैं आंटी के घर पर गया तो उनके घर पर कोई नहीं था और वे नहा रही थीं.
उनके बाथरूम का दरवाजा भी खुला था.
इसका फायदा उठाकर मैंने चुपके से उनकी वीडियो बना ली.
वीडियो बनाते समय आंटी ने देख लिया था.
आंटी समझ चुकी थीं कि मैं उनकी चूत का दीवाना हूँ.
पर उन्होंने कुछ नहीं कहा और ऐसे जताती रहीं कि उन्होंने मुझे नहीं देखा है.
वे और भी ज्यादा अपने जिस्म को मेरी तरफ करती हुई दिखाने लगी थीं ताकि मैं उनकी नंगी वीडियो बना लूँ.
जब वे नहा कर बाहर निकलीं तो वे आंखों ही आंखों से मुझे इशारे कर रही थीं और मैं भी समझ गया.
आंटी ने ब्रा पैंटी और ऊपर से मैक्सी डाल रखी थी जिससे उनके हुस्न में और ज्यादा निखार आ रहा था.
फिर क्या था … मैंने भी मौके का फायदा उठा लिया और आगे बढ़ कर उनके गाल पर किस कर दिया.
‘बबलू गाल पर किस तो बच्चे करते हैं, मर्द तो होंठों पर करते हैं.’ यह कह कर आंटी ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मेरे होंठों को चूसने लगीं.
मैं भी लगा रहा और आधा घंटा तक उनके कोमल, मुलायम और रसीले होंठों को चूसता रहा.
तभी अचानक उनके बच्चे बाहर आ गए और उनकी ऑटो के रुकने की आवाज आई.
तो आंटी मुझसे अलग हो गईं.
मैं वहां से वापस अपने घर चला आया.
उस दिन आंटी के होंठ चूस कर मुझे इतना ज्यादा काम चढ़ गया था कि दो बार मुठ मारने से भी दिल को चैन नहीं मिल रहा था.
मैंने घर से बाहर जाकर एक सिगरेट खरीदी और उसी के धुआँ को जज़्ब करता हुआ आंटी की मादक जवानी की याद करता रहा.
मैं उस वक्त बस इसी ख्याल में खोया हुआ था कि किसी तरह से आंटी की चुत एक बार लंड पेलने को मिल जाए.
हालांकि अब सब खुल गया था तो मेरे लिए आंटी की लेने में कोई दिक्कत नहीं थी.
फिर आखिरकार वह समय आ ही गया.
रविवार को मेरे घर वाले दो दिन के लिए बाहर चले गए थे और आंटी के बच्चे भी छुट्टियों में नानी के यहां पर गए थे.
जब शाम को आंटी खाना बनाने आईं, तब मैंने कहा- आज रात में आप यहीं सो जाना. मुझे रात में डर लगता है.
उन्होंने भी मुस्कुरा कर हां कह दिया.
रात में खाना खाने के बाद हम दोनों जब बेडरूम में आए तब हम दोनों बिल्कुल पति-पत्नी की तरह थे.
मैं कमरे में आते ही आंटी को पागलों की तरह चूमने लगा. मैं कभी उनके हाथ पर चूमता तो कभी पैर पर, तो कभी माथे पर, तो कभी होंठों पर.
वे भी पूरा सहयोग कर रही थीं.
आंटी ने कहा- क्या चूमते ही रहोगे या और भी कुछ करोगे?
मैं वासना से उन्हें देखने लगा.
वे मेरे कपड़े उतारने लगीं और मैं उनके!
आंटी ने लाल साड़ी ब्लाउज पहना हुआ था.
साड़ी ब्लाउज और पेटीकोट को उतारा तो वे अन्दर काले रंग की ब्रा और पैंटी पहनी हुई थीं.
उनके गोरे रंग के जिस्म पर काले रंग की ब्रा पैंटी उनके रूप को और निखार रहा था.
मैंने उनके इन दोनों वस्त्रों को भी निकाल दिया.
अब आंटी पूरी तरीके से नंगी हो चुकी थीं और बेड पर लेटी थीं.
उनके बड़े बड़े बूब्स मस्त उठे हुए थे और चुत पर एक भी बाल नहीं था.
वे चुत को सहलाती हुई मेरी तरफ देखने लगीं.
मैं समझ गया कि आंटी को चुत चटवाने का मन हो रहा है.
मैंने पोजीशन बनाई और उनकी दोनों टांगों के बीच आकर अपनी जीभ से उनकी चुत को चाटने लगा.
पहली बार जैसे ही मेरी जीभ ने उनकी चुत को टच किया, आंटी की आह निकल गई और वे मचल उठीं.
उन्होंने मेरे सर को अपनी चुत पर दबाते हुए सिसकारी भरी ‘आह चाट ले मेरी चुत को खा जा इसे …’
मैं पूरी तन्मयता से उनकी चुत का रस चाटने लगा.
उनको भी बेहद मजा आ रहा था.
इसके बाद मैंने अपना लंड चूसने को कहा.
मेरा बड़ा और मोटा लंड देख कर आंटी बहुत खुश हो गईं.
वे ऐसे लपक लपक कर लंड चूसने लगीं जैसे पहली बार लंड देखा हो.
फिर हम दोनों 69 के पोज में आ गए और वे मेरा लंड और मैं उनकी चुत को चाटने लगा.
जल्द ही पूनम आंटी के सब्र का बांध टूटने लगा था और वे कहने लगी थीं- आह, जल्दी से चोदो, अमित अब जल्दी करो … मुझसे और नहीं रुका जाता.
मैंने अपना लंड उनकी चुत पर रखा और ठांस दिया.
मैं हैरान था क्योंकि मेरा बहुत टाइट जा रहा था.
शायद आंटी की चुत बहुत दिन से न चुदी होने के कारण कस सी गई थी और चुत की फांकें आपस में चिपक गई थीं.
मैंने थोड़ा जोर से लंड को धकेला तो दो इंच लंड अन्दर चला गया.
इतने से लंड से ही आंटी की चीख निकल गई- उई माँ मर गई … आह् आह धीरे करो … दर्द हो रहा है.
मैंने उनकी एक न सुनी और जोर जोर से चोदने लगा.
कुछ ही देर में चुत ने अपने जलवे दिखाने शुरू कर दिए.
बस फिर क्या था … आंटी को भी चुदने में मज़ा आने लगा.
मैं लंबे लंबे शॉट मार रहा था और वे भी नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर मेरे लंड से लोहा ले रही थीं और मुझे चुदाई में पूरा सहयोग कर रही थीं.
बहुत देर तक आंटी को हचक कर चोदने के बाद मेरा लंड झड़ गया पर आंटी का कुछ नहीं हुआ था.
क्योंकि वह कई सालों की प्यासी थीं.
हालांकि वे दो बार झड़ गई थीं लेकिन उनकी चुत अब भी लंड के लिए भकभका रही थी.
मैंने उनकी तरफ देखा तो वे बोलीं- लंड अन्दर ही रहने दे … ऐसे ही अच्छा लग रहा है.
हम दोनों आपस में मुँह से मुँह लगा कर चुंबन करने लगे.
जीभ से जीभ लड़ने लगी तो लंड वापस से कड़क होने लगा और चुत में ही टनटनाने लगा.
मैंने उनसे बात करनी शुरू की और पूछा- आंटी, क्या अंकल आपकी लेते नहीं हैं?
वे कहने लगीं- तेरे अंकल अपने काम के सिलसिले में बाहर ही रहते हैं और वे मुझको कम ही समय देते हैं. अब तो उनका शायद खड़ा होना ही बंद हो गया है क्योंकि मैं पिछले दो साल से चुदाई के बिना रह रही हूँ.
यही सब बात करते करते चुदाई शुरू हो गई और इस बार वे जल्दी झड़ गईं.
मैंने भी फिलहाल लंड से रस टपका दिया.
फिर हम दोनों चिपक कर लेटे रहे और मैंने उनके सामने ही एक सिगरेट पीना शुरू की तो आंटी ने भी उसी सिगरेट से कश लिए.
करीब एक घंटा बाद हम दोनों फिर से मूड में आ गए.
मेरा नाग फिर से खड़ा हो गया और मैंने इस बार उनको घोड़ी बना कर दबा कर चोदा.
आंटी बोलीं- ऐसी चुदाई तो आज तक कभी नहीं मिली. तुम्हारे अंकल भी कुछ खास नहीं कर पाते थे … अब तो खैर मैं उनकी तरफ से नाउम्मीद हो चुकी हूँ.
मैंने पूछा- पूरे दिन खाली टाइम में क्या करती हो आप?
वे अपने बारे में बताने लगीं कि वे क्या करती हैं.
उन्होंने बताया कि वे अक्सर खाली टाइम में पोर्न वीडियो देखा करती हैं और मास्टरबेट करती हैं.
इसी बीच में हम दोनों में फिर से चुदाई की खुमारी चढ़ने लगी.
मैंने फिर से आंटी की चुत में लंड पेल दिया और इस बार आंटी ने मुझे अपने दोनों चूचे बारी बारी से चुसवाए और भरपूर मजा दिया.
कुछ ही देर बाद मैं और आंटी एक साथ झड़ गए और काफी थक जाने के कारण हम दोनों नंगे ही चिपक कर लेटे रहे.
चार बार की चुदाई के बाद आंटी बोलीं- आज कुछ और मजा करने का मन भी है!
मैंने उनके एक थन में मुँह लगाया और चूसते हुए पूछा- बताओ ना, क्या करने का मन है?
वे कहने लगीं- चलो फिर से सेक्स करते हैं, बाद में बताऊंगी.
मैंने कुछ नहीं कहा.
हम दोनों में जल्दी ही चुदाई की वासना भड़क उठी और हम दोनों ने फिर से सेक्स का खेल खेलना शुरू कर दिया.
आंटी इस बार मेरे ऊपर चढ़ कर चुदवाना चाहती थीं.
उन्होंने कहा, तो मैंने कहा- हां तो आ जाओ न!
मैं सीधा लेट गया और वह मेरे मोटे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं.
कुछ देर बाद वे लौड़े की सवारी करने लगीं और मेरे मुँह से अपना मुँह जोड़ कर मस्त चुसाई और चुदाई का मजा दे रही थीं.
करीब दस मिनट बाद आंटी का रस बह गया तो वे मेरे लौड़े से उतर कर वापस से उसे अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.
वे इस बार बड़ी ही अच्छी तरीके से अपना मुँह मेरे लौड़े पर चला रही थीं और वे लंड को बहुत सारा प्यार भी कर रही थीं.
बार बार वे मेरे टट्टे चूसने लगतीं और बार बार मेरे सुपारे को अपनी जीभ से लिकलिक करके उसके छेद को कुरेदने लगतीं.
उनकी यह लंड चुसाई की कला मुझे बेहद रोमांचित कर रही थी.
चूंकि मेरा लंड इस बार जल्दी झड़ने के मूड में नहीं था तो आंटी को भी लौड़े को चूसने का पूरा समय मिल रहा था.
करीब बीस मिनट बाद जब मेरा वीर्य निकला तो आंटी ने सारा का सारा रस पी लिया.
मैं यह देख कर हैरान था कि आंटी ने मेरे लंड का रस पी लिया.
अब मैं भी उनकी चुत को चाटने लगा और चाट चाट कर उनका रस निकालने लगा.
मैं भी उनकी चुत के रस का स्वाद ले रहा था.
हम दोनों ने थक कर चाय पीने का तय किया और एक घंटा बाद फिर से चुदाई शुरू हो गई.
इस बार वे कह रही थीं- अमित, अब तुम कुछ नया करो.
मैंने उन्हें घोड़ी बन जाने का कहा.
वे घोड़ी बन गईं.
मैंने अपना लंड उनकी गांड पर रख कर अन्दर सरका दिया.
जवान आंटी नंगी चुदाई में अब दर्द से चिल्ला रही थीं पर मैं नहीं रुका.
कुछ देर बाद आंटी का दर्द खत्म हो गया और वे भी मजे से लंड लेने लगीं.
जब मेरा माल निकलने वाला था तो वे बोलीं- इसे बर्बाद मत करो और मेरे मुँह में डाल दो.
उन्होंने सारा माल पी लिया.
उसके बाद हम दोनों ही थक गए और नंगे चिपक कर लेट गए.
बस अब क्या था, जब भी हम दोनों के घर पर कोई नहीं हुआ करता था तो आंटी मेरे घर आ जाया करती थीं और हम दोनों में रात भर चुदाई का खेल होता था.
दोस्तो, पूनम आंटी के साथ यह तो मेरी पहली मुलाकात थी.
चुदाई का आगे भी सफर जारी रहने वाला था.
यह मुझे बाद में समझ में आया जब आंटी ने अपनी एक सहेली की चुदाई करवाई.
आपको जवान आंटी नंगी चुदाई कहानी कैसी लगी, जरूर बताएं और खुल कर कमेंट करें.
धन्यवाद.
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