पड़ोसन भाभी सेक्स नीड स्टोरी में पढ़ें कि पड़ोस की चाची और उनकी बहू अक्सर हमारे घर आती थी. बहू उदास दिखती थी. मेरे पूछने पर उसने बताया कि उसका पति उसे मजा नहीं देता.
दोस्तो, मेरा नाम राजीव है. मैं गुजरात से एक छोटे से शहर में रहता हूँ.
मेरे परिवार में पापा मम्मी और एक मुझसे छोटी बहन है, जो अभी 10 वीं में पढ़ती है.
मैं अभी कॉलेज में एमए की पढ़ाई कर रहा हूँ. पापा की सरकारी जॉब है, इसलिए उनका ट्रांसफर होता रहता है.
मैं अपने जीवन की पहली खुद की सेक्स कहानी लिख रहा हूँ.
आशा करता हूँ, आपको यह पड़ोसन भाभी सेक्स नीड स्टोरी बहुत पसंद आएगी.
बात उस समय की है जब मैं 12 वीं पास करके कॉलेज में दाखिल हुआ था.
उस समय तक मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी.
दोस्तों से बात करके ही मुझे पता चलता था कि चूत को कैसे चोदा जाता है.
मेरे दोस्तों ने अपनी अपनी गर्लफ्रेंड के साथ सेक्स किया था पर मैंने अब तक नहीं किया था तो मुझे भी इसी सुख लेने की तमन्ना थी.
मैं हर वक्त किसी ऐसी लड़की की तलाश में रहता था कि मेरे लौड़े पर झूला झूल ले.
मेरी यह तलाश भी तब खत्म हुई, जब मेरे पापा का ट्रांसफर हमारे शहर से दूर एक दूसरे शहर में हुआ.
मुझे भी अपना कॉलेज बदलना पड़ा.
हमारी फैमिली उस नए शहर में शिफ्ट हो गई.
जहां हम रहते थे, वहां हमारे सामने एक दूसरी फैमिली रहती थी.
उसमें 5 लोग थे.
मेरे मम्मी पापा की उम्र के एक चाचा चाची, उनका बेटा और उनकी मस्त दिखने वाली पत्नी यानि मेरी भाभी … और चाचा चाची की जवान लड़की थी.
वह अपने मामा के यहां रहा करती थी पर शनिवार रविवार अपने घर आती थी.
हम सभी को वहां शिफ्ट हुए एक महीना हो गया था.
अब तक हमारी आस-पास में सबसे पहचान हो गयी थी.
सामने वाले चाचा चाची से भी अच्छी पहचान हो गयी थी.
अक्सर रात के खाने के बाद सामने वाली चाची और उनकी पुत्रवधू हमारे यहां बैठकर गपशप करने आया करती थीं.
ऐसे ही समय चलता गया और हमारी फैमिली और उनकी फैमिली में अच्छी खासी प्रगाढ़ता हो गई.
अब कभी कभार वे दोनों सास बहू हमारे घर पर दोपहर के समय भी आ जातीं और मेरी मम्मी भी उनके घर चली जाया करतीं.
चाची जब हमारे घर आतीं, तब मैं उनकी पुत्रवधू यानि भाभी जी को देखता रहता.
उनको देख कर मुझे कुछ अजीब सा महसूस होता.
कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा.
फिर एक दिन मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने भाभी जी से सहमते हुए धीमे से पूछ ही लिया कि आप ऐसी क्यों उदास सी लगती हो?
उन्होंने शर्म के मारे कुछ नहीं बोला और चली गईं.
वैसे में भाभी के बारे में बता दूँ कि उनका नाम काजल था.
उनका शरीर 34-32-38 का रहा होगा.
वे दिखने में बिल्कुल एक मक्खन सा चिकना और भरा हुआ माल दिखती थीं.
जब वे चलती थीं तो उनके दूध और गांड को हिलता देख कर मैं अपने मन में सोचता कि काश एक बार भाभी को चोदने का मौका मिल जाए तो मैं उनका पूरा रस निचोड़ कर चोदूंगा.
वो कहते हैं ना कि भगवान के पास देर है … अंधेर नहीं.
मुझे मौका मिल ही गया.
एक बार सामने वाले चाचा की फैमिली में उनके भाई के लड़के की शादी थी, तो उन लोगों को अपने गांव जाना था.
दिन में चाची जी मुझसे कहने आईं- बेटा, हम अपने गांव जा रहे हैं. उधर हमारे परिवार में शादी है. तुम मुझे गाड़ी से बस स्टेंड तक छोड़ दोगे?
मैंने कहा- ठीक है चाची, आप सामान निकालो, मैं गाड़ी लेकर आता हूँ और आपको छोड़ने चलता हूँ.
चाची सामान लेने चली गईं.
मैं चाची को छोड़ने के लिए गया तो उनके साथ चाचा और उनकी बेटी ही थी.
भाभी को साथ में न देख कर मेरे मन में लड्डू फूटने लगे.
मैंने चाची से पूछा- चाची, आपके साथ काजल भाभी क्यों नहीं आईं?
तो उन्होंने बताया- काजल और मेरा बेटा 4 दिन बाद जाएंगे. मेरे बेटे को ऑफिस में कुछ जरूरी काम था, तो उसे ज्यादा दिन की छुट्टी नहीं मिली.
मैंने ओके कहा और चाची को बस अड्डे पर छोड़ कर वापस घर आ गया.
घर आकर मैं सोचने लगा कि काजल भाभी को कैसे पटाऊं.
मेरा भी उनको चोदने का बहुत मन करता था, पर क्या करता.
भाभी की चूत तो मिल नहीं रही थी तो उनकी कल्पना करके अपने हाथ से ही काम चला लेता.
दूसरे दिन शनिवार था.
मैं कॉलेज नहीं गया.
मैंने सोचा कि आज भाभी का कुछ सैट किया जाए.
मैं अपने रूम में टीवी देख रहा था.
तब सुबह के दस बजे थे.
मेरे घर में मेरी मम्मी के पास भाभी आईं और कहने लगीं- मुझे अकेले अपने घर में डर लग रहा है. ये भी ऑफिस के काम की वजह से आज जल्दी चले गए इसलिए मैं आपके यहां आ गयी हूँ.
मेरी मम्मी ने भाभी को बिठाया और वे दोनों बातें करने लगीं.
थोड़ी के बाद उनकी बातें सुन कर मैं कमरे से बाहर आ गया और उनके पास बैठ कर बातें सुनने लगा.
उनके पास जब मैं गया, तब भाभी मुझे कुछ अलग नजरों से देख रही थीं जैसे वे जन्मों जन्म से चुदाई की प्यासी हों.
मैंने मम्मी से कहा- मम्मी, मेरे लिए चाय बना दो.
वे मेरे लिए चाय बनाने के लिए किचन में गईं.
तब मैंने घबराते घबराते भाभी से पूछ लिया- क्यों उदास लग रही हो?
उन्होंने कहा- किसी को बताओगे तो नहीं … तो कहूँ!
मैंने प्रॉमिस किया कि किसी को नहीं बताऊंगा, आप बेहिचक बताइए.
उन्होंने कहा- आप मेरे घर आ जाना. मैं आपको उधर सब बताती हूँ.
ऐसा बोल कर भाभी चली गईं.
जब मेरी मम्मी चाय बना कर लाईं, तब वे पूछने लगीं- काजल कहां चली गयी?
मैंने कहा कि मुझे लगा कि वह किसी काम से आई होंगी तो अपने घर चली गईं … वे कह तो रही थीं कि बाद में आएंगी.
मम्मी कुछ नहीं बोलीं.
मैंने फटाफट चाय पी और घर से निकल गया.
मुहल्ले में मैंने इधर उधर देखा और दबे पांव काजल भाभी के घर में पहुंच गया.
जैसे ही मैं उनके यहां पहुंचा तो मुझे लगा कि वे भी मेरा इंतज़ार कर रही थीं.
उन्होंने मुझे नाश्ता आदि के लिए पूछा, तो मैंने मना कर दिया कि मुझे भूख नहीं है.
फिर काजल ने दरवाजा बंद करके मेरे पास आकर बैठ गईं और उनसे कुछ इधर उधर की बातें होने लगीं.
मैंने भाभी से पूछा- अब तो बताओ कि आप क्यों उदास सी रहती हो?
तो भाभी ने कहा- मेरे पति मुझे वह सुख नहीं दे पाते हैं, जो एक मर्द दे सकता है.
पड़ोसन भाभी की सेक्स नीड सुन कर मैं मन में एकदम खुश होने लगा था.
तभी भाभी ने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई जीएफ है?
मैंने कहा- नहीं भाभी मेरी आज तक कोई लड़की जीएफ बनी ही नहीं.
उन्होंने कहा- इतने अच्छे स्मार्ट दिखते हो तो भी आज तक जीएफ नहीं बनाई?
मैं चुप रहा और कुछ झिझकते हुए मैंने भाभी से पूछ लिया- क्या आप मेरी जीएफ बनेंगी?
भाभी ने हल्के से मुस्कान दी और वे चुप ही रहीं.
उनके चेहरे के हाव-भाव से मुझे हरी झंडी मिल गयी.
मैंने भाभी की जांघ पर हाथ रखते हुए कहा- जो सुख आपके पति आपको नहीं दे पा रहे हैं, वह सुख मैं आपको दूंगा.
भाभी ने कनखियों से मुझे देखा और मेरे हाथ पर अपना हाथ रख कर दबा दिया.
मैंने धीरे से भाभी के गाल पर किस कर दिया.
भाभी ने अपने होंठ मेरे होंठों की तरफ कर दिए और साथ देने लगीं.
मैंने भी अपने होंठ भाभी के अधरों से जोड़ दिए और हम दोनों का लंबा चुंबन शुरू हो गया.
जीभ से जीभ लड़ने लगी.
धीरे धीरे किस इतनी ज्यादा हॉट हो गई कि वे मचलने लगीं.
मैंने उनके मम्मों पर हाथ फेरा और एक दूध को हॉर्न के जैसे दबा दिया.
भाभी के मुँह से मीठी आह निकल गई.
आज से मैंने पहले कभी ऐसा नहीं किया था.
मुझे लग रहा था जैसे मैं सातवें आसमान में हूँ.
मेरा लंड खड़ा हो गया था और सलामी दे रहा था.
कुछ देर भाभी मुझसे कहने लगीं- चलो कमरे में चलते हैं.
वे मुझे अपने कमरे में ले गईं और मेरे सीने से लग कर मुझे चूमने लगीं.
मैंने भी भाभी को अपनी बांहों में भर लिया और हम दोनों ही एक दूसरे को पागलों की तरह किस करने लगे.
हम दोनों चूमाचाटी में इतने ज्यादा मदहोश हो चुके थे कि कब एक दूसरे के कपड़े निकल गए कुछ होश ही न रहा.
काजल भाभी के बूब्स काफी ज्यादा टाइट लग रहे थे.
जब मैं उनके मम्मों को दबाता था, तब भाभी के मुँह से कामुक आवाजें मेरे लौड़े में करंट सा भर रही थीं.
‘अह्ह्ह हह हहह …’
कुछ ही देर में भाभी पूरी गर्म हो चुकी थीं.
जल्दी ही हम दोनों 69 पोजीशन में आ गए.
उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था.
ऐसी चिकनी चूत लग रही थी जैसे अभी मेरे लिए ही भाभी झांटों को साफ किया हो.
उनकी चूत एकदम लाल और कसी हुई थी.
देख कर साफ लग रहा था कि भाभी के पति ने उनकी चूत पर बैटिंग की ही न हो और भाभी की चूत जन्म से ही प्यासी हो.
मैंने जरा सी भी देर नहीं की और भाभी की चूत पर मुँह रख दिया.
वे कसमसाने लगीं तो अगले ही पल मैंने उनकी चूत में अपनी जीभ डाल दी और चूत को खुरदुरी जीभ से चाटने लगा.
मेरी इस हरकत से भाभी की मुट्ठियां भिंच गईं और उनके मुँह से एक तेज ‘अहह ओफ्फ मर गई उई मांआआ.’ आवाज निकल गई.
उनकी कामुक आवाजों से पूरा रूम गूंज उठा.
मैं अपनी ही धुन में उनकी चूत में लगा रहा.
कुछ मिनट तक चूत चाटने की वजह से वे अकड़ गईं और उनकी चूत से कुछ चिपचिपा प्रवाह निकलने लगा.
वे अब अपनी टाँगों को फैला कर मुझसे चूत चाटने को कहने लगी थीं. उन्हें मजा आने लगा था.
मैंने फर्श पर पड़ी उनकी साड़ी उठाई और साड़ी से उनकी चूत साफ करके फिर से चाटने लगा.
मुझे भी मजा आ रहा था.
थोड़ी देर के बाद भाभी कहने लगीं- राजीव, अब मुझे और मत तड़पाओ. प्लीज अब मुझे चोद डालो.
मैंने उनको सीधा लेटा दिया और उनकी चूत में लंड डालने की कोशिश करने लगा.
भाभी की चूत किसी कुंवारी लड़की की तरह सीलपैक लग रही थी, लौड़ा चूत के अन्दर जा ही नहीं पा रहा था.
उन्होंने कहा- राजीव, मुझे चुदवाए हुए बहुत टाइम हो गया और अब तक मेरे पति ने तो समझो पूरा अन्दर तक पेल ही नहीं पाया है. इसलिए ये काफी टाइट है. तुम कुछ चिकनाई लगा लो.
यह सुनकर मैंने सामने उनकी ड्रेसिंग टेबल पर देखा और सरसों का तेल उठा लाया.
पहले मैंने भाभी की गोरी चूत पर तेल लगाया उसके बाद अपने लौड़े को तेल से एकदम चिकना कर लिया.
तेल लगाने के बाद मैंने लौड़े को चूत के मुहाने पर रखा और फांकों में सुपारे को सैट करके एक जोर का धक्का दे मारा.
मेरा आधा लंड भाभी की चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया.
उनकी तेज चीख निकल गयी ‘उई मम्मी मर गई आहह … फट गई मेरी … आह निकाल बाहर कमीने.’
मुझे उनके मुँह से निकले कमीने शब्द पर कुछ और जोश आ गया और मैंने दुबारा एक और शॉट मार दिया.
इस दूसरे झटके में मेरा पूरा लंड उनकी बुर में अन्दर तक घुसता चला गया.
वे बिन पानी मछली की तरह छटपटाने लगीं.
थोड़ी देर तक यूं ही बेदर्दी से चोदने के बाद उनका दर्द खत्म हो गया और अब भाभी भी मेरा पूरा साथ देने लगीं.
वे मादक आवाज में कहने लगीं- आह राजीव मेरी जान … चोदो मुझे आह और जोर से चोदो मुझे … आज परम सुख दिया है तूने मेरे राजा.
हम दोनों ने कुछ देर बाद अपनी पोजीशन बदल ली.
इस बार मैंने भाभी को घोड़ी बना दिया.
मैं पीछे से आया और एक ही झटके में अपने कड़क लंड को भाभी की बच्चेदानी तक पहुंचा दिया.
भाभी आह धीरे कहती हुई जरा आगे को हो गईं.
मैंने उनकी कमर को पकड़ कर एक और शॉट मारा और तबीयत से धकापेल शुरू कर दी.
कुछ देर की मस्त चुदाई के बाद मेरा वीर्य निकलने वाला था तो मैंने पूछा- भाभी माल कहां निकालूँ?
उन्होंने अन्दर ही छोड़ने को कहा.
उसी समय वे भी दूसरी बार झड़ गईं.
मैंने भी तेज तेज चार पांच धक्के लगाए और भाभी की चूत को रस से भर दिया.
भाभी लंबी लंबी सांसें लेती हुई कहने लगीं- राजीव, आज से यह काजल तुम्हारी है.
उस दिन मैंने काजल भाभी को 3 बार चोदा.
फिर जब तक वे शादी में नहीं गईं, तब तक पूरा पूरा दिन उनकी चुदाई करता रहा.
इस तरह से मैंने भाभी की कोख भी भर दी और अब वे मेरे बच्चे की मां बनने वाली हैं.
तो दोस्तो, ये थी मेरी पहली सेक्स कहानी.
आशा करता हूँ कि आपको पसन्द आयी होगी.
पड़ोसन भाभी सेक्स नीड स्टोरी पर आप अपने विचार मुझे मेल जरूर करें.
धन्यवाद.
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