अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार. एक बार फिर मैं आपके सामने अपनी लेटेस्ट सेक्स स्टोरी एक बहुत ही हसीन आपबीती लेकर उपस्थित हूँ, आशा करती हूँ कि आप लोगों को पसंद आएगी. कहानी पसंद आये तो मुझे मेल करके जरूर बताना कि कहानी कैसी थी.
आज की मेरी इस कहानी में मुख्य भूमिका मेरे घर की नौकरानी ने निभाई है क्योंकि उसी ने मुझे आज मुझे एक नया लंड दिलवाया था.
मेरे घर में एक सुनीता नाम की काम वाली काम करती है, वो शादीशुदा है उसकी उम्र 26-27 साल के लगभग होगी. दिखने में वो काफी सुंदर है. वो बहुत ही सीधी औरत है, पर उसका पति एक निठल्ला आदमी है. सुनीता को अपना घर चलाने के लिए दूसरों के घरों में काम करना पड़ता है.
एक दिन की बात है, सुनीता मेरे घर काम करने के लिए आई थी. वो घर का काम कर रही थी, तभी मेरी नज़र उस पर पड़ी तो मैंने देखा कि उसका ब्लाउज थोड़ा सा फटा था और गले पर कुछ निशान थे. मैंने उससे पूछा- सुनीता ये तुम्हारा ब्लाउज कैसे फट गया और ये निशान कैसे हैं?
तो वो बोली- कुछ नहीं दीदी.. कुछ नहीं है.. ये ब्लाउज तो पुराना हो गया है इसलिए फट गया होगा.
मैं उससे बोली- नहीं सुनीता, ये पुराना होकर फटा तो नहीं लग रहा है, ये तो ऐसा लग रहा है कि किसी ने इसे हाथ से फाड़ा हो.. और निशान से भी मुझे कुछ अजीब से लग रहा है. क्या बात है बताओ मुझे?
पर सुनीता ने बहुत इधर उधर की बात की. मेरे बहुत पूछने पर आखिर कर उसे बताना ही पड़ा. सुनीता ने बताया कि वो हमारे शहर के एक बड़े बिज़नसमैन के घर काम करती है, जिनका नाम बृजेन्द्र शुक्ला है. उनका एक बेटा है, जो कि लंदन में रहता था. वो अपनी पढ़ाई पूरी कर के वापस आया जिसका नाम अंकित है.
सुनीता बताने लगी- दीदी, मैं जब भी शुक्ला जी के घर काम करने जाती तो शुक्ला जी का बेटा मुझे हमेशा छेड़ता रहता था. मैं जब भी उसके कमरे में सफाई करने जाती, तो वो जान बूझ कर मेरे सामने ही अपने सारे कपड़े उतार देता था और सिर्फ एक चड्डी में आ जाता था. मुझे देख कर वो कहता था कि तुम्हारे आने से रूम में बहुत गर्मी आ जाती है.
“अरे..!”
“हां दीदी, यह पिछले एक महीने से चल रहा था. दीदी, आज जब में उनके घर काम के लिए गई तो मैंने देखा कि घर में कोई नहीं था. मैंने घर के माली से पूछा तो उसने बताया कि मालिक और मालकिन एक हफ्ते के लिए बाहर गए हुए हैं, घर में सिर्फ छोटे मालिक ही हैं. फिर मैं उसके बाद घर की साफ सफ़ाई करने लगी. सफ़ाई करते हुए मैं जब अंकित जी के कमरे में गई, तो उन्होंने फिर से वही हरकत की. उन्होंने फिर से अपने सारे कपड़े निकाल दिए और कहने लगे कि सुनीता तुम्हारे आने से रूम में बहुत गर्मी आ जाती है. उस समय घर में कोई भी नहीं था सो मैं थोड़ी डर गई. फिर वो धीरे से मेरे पास आये और उन्होंने मुझे पीछे से पकड़ लिया. मैं जोर से चिल्लाई कि छोटे मालिक ये क्या कर रहे हो.. छोड़ो मुझे. वो कहने लगे कि नहीं सुनीता.. आज मैं तुम्हें नहीं छोड़ सकता, बहुत दिन से इस दिन का इन्तजार किया है. आज पूरा घर खाली है कोई भी नहीं है.. आज मैं तुम्हें नहीं छोड़ सकता.. और बस उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठा लिया, बिस्तर पर ले जाकर पटक दिया. मैं बहुत डर गई. फिर वो मेरे ऊपर चढ़ने लगे, उसी में मेरा ये ब्लाउज फट गया था. अब मैं भी गर्म हो गई थी.”
इतना कह कर सुनीता चुप हो गई. जबकि अब चुदाई का सीन आने वाला था.
मैंने सुनीता को रोकते हुए पूछा- फिर क्या हुआ?
तो वो आगे की बात बता नहीं रही थी, पर मैंने भी जोर दे कर पूरी बात पूछी.
उसने बताया- उसके बाद छोटे मालिक मेरी गर्दन को चूमने लगे. मैं छटपटा रही थी और उनको अपने ऊपर से हटाने की कोशिश कर रही थी, पर मैं नाकाम रही. मैं चिल्लाने लगी. तो उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और मेरे होंठों को चूसने लगे. काफी देर तक वो मेरे होंठों को चूसते रहे. फिर मैंने एक जोर का धक्का दे कर उन्हें अपने ऊपर से हटाया और उनसे छूट कर भागने की कोशिश की. मैं बिस्तर से उठ कर भागी, पर उनके हाथ में मेरी साड़ी का पल्लू आ गया, उन्होंने साड़ी का पल्लू खींचा और मैं भागी तो मेरी साड़ी उतर गई.
मैं रूम से निकल कर भागी, अंकित जी भी मेरे पीछे भागे. मैं हॉल में पहुंची तो उन्होंने मुझे वहाँ पकड़ लिया और फिर मुझे अपनी बाहों में भर लिया. इसी पकड़ा पकड़ी में मेरा ये ब्लाउज थोड़ा सा फट गया.
मैंने पूछा- फिर क्या हुआ?
सुनीता- फिर उन्होंने मेरे लहँगे का नाड़ा पकड़ कर खींच दिया, जिससे मेरा लहँगा नीचे गिर गया. मैंने अन्दर पेंटी पहनी ही नहीं थी तो मेरे नंगी चूत उनके सामने आ गई थी. उन्होंने अपने हाथ की एक उंगली मेरी चूत में डाल दी और मेरी चूत को सहलाने लगे. मैं भी गरमा गई थी तो उन्होंने मुझे लिटा कर खूब चोदा.
मैंने सुनीता से कहा कि इतनी बड़ी बात हो गई.. उसने तुम्हारा रे प किया है सुनीता.. और तुमने पुलिस कम्प्लेन भी नहीं की. तुम गरीब हो तो उसने तुम्हारा फायदा उठाया है. तुम चलो मेरे साथ, हम पुलिस कम्प्लेन करते हैं.
तब सुनीता ने कहा- नहीं दीदी मुझे कोई पुलिस कम्प्लेन नहीं करना, उनकी इस हरकत से दीदी मैं खुद गर्म होने लगी थी और होती भी क्यों नहीं, मेरे मर्द ने मुझे कब से नहीं चोदा था. अंकित जी की बांहों में मैं किसी फूल की तरह लग रही थी. वो इतने हट्टे कट्टे मजबूत शरीर दिखने भी हैंडसम हैं ओर चड्डी के अन्दर उनका लंड भी बहुत बड़ा लग रहा था.. तो मैं भी छटपटाना छोड़ कर उनका साथ देने लगी थी. मुझे उनसे चुदने में बहुत मजा आया. जब चुदाई मेरी मर्जी से हुई तो इसमें मैं पुलिस कम्प्लेन क्यों करूँगी?
मैंने सुनीता से पूछा- क्या सच में अंकित ने तुम्हारी जोरदार चुदाई की? उसने क्या क्या किया.. तुम मुझे सब कुछ बताओ पूरी डिटेल में?
सुनीता बताने लगी:
अंकित की उंगली मेरी चूत के अन्दर थी. वो मेरी चूत में उंगली अन्दर बाहर कर रहे थे और मेरे एक चूचे को चूस रहे थे. मैं कुछ ज्यादा ही गर्म हो गई थी, तो मेरा हाथ भी उनके लंड पर चला गया था. मैं भी लंड दबाने लगी थी. अंकित जी ने ये देखा कि मैं अब उनका साथ देने लगी हूँ तो उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और रूम में ले आए. उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया. फिर उन्होंने मेरा ब्लाउज और ब्रा भी उतार दी और खुद की चड्डी को भी उतार दिया.
अब उनका खड़ा लंड मेरे सामने था. कडक लंड देख कर मेरी आँखों में एक चमक आ गई. तभी वो मेरे ऊपर आ गये और मेरे मम्मों को दबाने लगा.
मेरे मुँह से ‘आहा ऊउंह ऊम्म उम्म्ह… अहह… हय… याह… आहाह.. उन्न्ह ऊम्म्ह…’ की कामुक सिसकारियां निकलने लगीं. फिर वो मेरे मम्मों को अपने मुँह में लेकर बारी बारी से चूसने लगे तो मैं ‘आहा ऊउंह ऊम्मंह आहाआ ऊउन्न्ह ऊम्म्ह..’ करते हुए उनके सिर पर हाथ फेरने लगी. वो मेरे मम्मों को बारी बारी से चूसते हुए निप्पलों को भी खींच खींच कर चूस रहे थे और मैं मादक सिसकारियां भर रही थी.
“फिर?”
सुनीता- अब अंकित जी ने मुझे उनका लंड चूसने का इशारा किया तो मैंने उनके लंड को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया. तो वो भी कामुक आवाजें करते हुए मेरी चुचियों को मसलने लगे, जिससे मैं और ज्यादा उत्तेजित होने लगी. उनके लंड को चाटने के बाद मैं अपने मुँह में डाल कर अन्दर बाहर करते हुए चूसने लगी. तो वो मस्त आवाजें निकालते हुए मेरे मुँह की चुदाई करने लगे. मैं बहुत अच्छे से उनके लंड को चूस रही थी और वो वासना से भरी हुई सिसकारियां लेते हुए आनन्द ले रहे थे.
उसकी बातों से मैं भी अपनी चूत को सहलाते हुए पूछने लगी- फिर?
सुनीता- फिर उन्होंने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरी दोनों टांगों को फैला कर अपनी जीभ मेरी चूत में रगड़ते हुए चाटने लगे, तो मैं चुदास से तड़फ उठी मेरे मुँह से भी ‘आहाआ ऊउन्न्ह ऊम्म्ह..’ निकलने लगा और मैं मचलने लगी. वो मेरी चूत को चाटते हुए मेरे चूत के दाने को भी खींचते हुए चूसने लगे, तो मैं और अधिक चुदासी हो उठी.
मैं मादक कराहें तेज स्वर में निकालते हुए उसके सर को अपनी चूत में दबाने लगी. मैं चाह रही थी कि वो अपनी जीभ मेरी चूत के अन्दर पूरा डाल कर चूसे. मेरा ये इशारा भी वो समझ गए थे.
अब उन्होंने अपने अपना मोटा लंड मेरी चूत में टिका कर अन्दर डाल दिया और धक्के लगाते हुए चोदने लगे, तो मैं उनके मोटे लंड की चोट एकदम से बर्दाश्त नहीं कर पाई और एक तेज चीख मेरे मुँह से निकल गई.
अंकित जी ने मेरे मुँह को चूमते हुए मेरी चीख को बंद किया और अपनी चुदाई की रफ्तार बढ़ा दी. अब वो मुझे जोर जोर से धक्के मारते हुए चोदने लगे. दस बारह चोटों में मैं भी मस्त हो गई और ‘आहा ऊउंह ऊम्मंह आहाआ ऊउन्न्ह ऊम्म्ह..’ करते हुए चुदाई में उनका साथ देने लगी.
फिर उन्होंने मुझे वहीं घोड़ी बनाया और मेरी चूत में पीछे से लंड डाल कर चोदने लगे.. तो मैं चुदाई का मजा लेते हुए अपनी गांड आगे पीछे करते हुए चुदवाने लगी. काफी देर तक उन्होंने मुझे चोदा और ढेर सारा माल मेरी चूत में ही भर दिया. उसके बाद हम दोनों ने दो बार और चुदाई का मजा लिया.
सुनीता की पूरी चुदाई की दास्तान सुन कर मैं भी गर्म हो गई थी. मैंने सुनीता से कहा- वाह सुनीता, तुम्हारे तो मजे हो गए, अब तो तुम अंकित से रोज चुदाई करवाओगी.
सुनीता थोड़ा मुस्कुरा कर बोली- हाँ दीदी, अंकित जी ने कहा तो है कि कल जल्दी आना. दीदी मैं भी उनके लंदन जाने से पहले जितनी बार हो सके, चुदना चाहती हूँ.
तभी अचानक मेरे मुँह से निकल गया- काश मैं भी चुदवा सकती.
मेरी ये बात सुनीता ने सुन ली तो वो मुझसे बोली- दीदी, क्या आप भी अंकित जी से चुदवाना चाहती हो?
मैंने थोड़ा नाटक किया, पर बाद में मैंने सुनीता से बोला कि जिस तरह तुम बता रही हो कि अंकित ने तुम्हें चोदा है, तो मैं भी उससे चुदना चाहती हूँ.
तब सुनीता ने मुझसे कही कि ठीक है दीदी मैं तुम्हें उनसे चुदवा दूंगी. आप एक काम कीजिए, कल आप मेरी जगह कामवाली बाई बन कर उनके घर चले जाइए और जाकर कहियेगा कि सुनीता को कुछ काम था तो उसकी जगह मैं आई हूँ.
अंकित जी आप को देखते ही आप से चुदाई के सपने देखने लगेंगे और फिर तो आगे आप सब हैंडल कर ही लोगी.
मैं भी सुनीता की ये सब बात मान गई.
अगले दिन मैं शुक्ला जी के घर गई. मैंने डोरबेल बजाई, कुछ देर बाद अंकित ने दरवाजा खोला, वो सिर्फ अंडरवियर में ही था. दरवाजा खोलते ही उसने बिना देखे कहा- आओ सुनीता आओ..
पर सामने तो मैं थी.
मैं तो अंकित को अच्छे से जानती थी, सुनीता ने मुझे सब कुछ बता जो दिया था. पर अंकित मुझे नहीं जानता था.
मुझे देख कर वो थोड़ा हिचकिचाया और उसने मुझसे पूछा- आप कौन?
मैं बोली- मुझे सुनीता ने भेजा है, घर का काम करने के लिए.. वो आज नहीं आ पाएगी, उसे किसी काम से जाना पड़ा था, तो उसकी जगह में आई हूं.
तब अंकित हल्का सा मुस्कुराया और मुझे अन्दर आने को बोला. मेरी नज़रें अंकित की अंडरवियर पर थीं. मैंने मन ही मन में सोचा कि सुनीता ने सच कहा था. अंकित का लंड अंडरवियर के अन्दर ही इतना बड़ा लग रहा है, जब ये बाहर आएगा, तो क्या होगा.
फिर अंकित ने मुझसे कहा- क्या हुआ? अन्दर आ जाओ.
मैं अन्दर आ गई. अंकित जा कर सोफे पर बैठ गया. उस दिन मैंने साड़ी पहने हुई थी, जो कि साड़ी मैंने नाभि के नीचे से बांधी थी और गहरे गले का ब्लाउज पहना था, जिससे मेरे बूब्स थोड़े बाहर दिखाई दे रहे थे. मैंने घर की झाड़ू उठाई और झाड़ना शुरू किया. झाड़ते हुए जब मैं अंकित की तरफ गई, तो मैंने जानबूझ कर अपना पल्लू गिरा दिया. अंकित की नज़रें अब मुझ पर थीं, वो घूर घूर कर मेरे मम्मों को देख रहा था. तभी मैंने अपना पैर कार्पेट पर फंसा कर गिरने का नाटक किया और मैं जा कर अंकित के ऊपर गिरी. मैं ऐसी गिरी कि मेरा मुँह, सीधा अंकित के लंड से जा कर लगा और मैंने उसके लंड को अंडरवियर के ऊपर से ही मुँह में ले लिया.
अंकित का लंड मेरे मुँह में था. मुझसे रहा नहीं गया तो मैं अंडरवियर के ऊपर से ही अंकित का लंड चूसने लगी. अंकित के मुँह से एक जोर की ‘आहहहहहह..’ निकली, फिर उसने मुझे अपने ऊपर से हटाते हुए बोला- ये क्या कर रही हो?
मैं बोली- वही जो कल आपने सुनीता से करवाया था.
तो अंकित बोला- कौन हो तुम? और ये क्या बोल रही हो?
मैंने अंकित को सब कुछ बताया कि सुनीता मेरे घर में भी काम करती है उसी ने मुझे बताया कि कल आपने उसकी जमकर चुदाई की, तो आज उसी ने मुझे यहाँ भेजा है. सुनीता ने आपके लंड की इतनी तारीफ की थी कि मैं भी खुद को रोक नहीं पाई और मैं यहाँ आप से चुदवाने के लिए आ गई. सुनीता कुछ देर बाद यहाँ घर का काम करने के लिए आएगी.
अंकित ने मेरी ये बात सुनी तो वो भी जोश में आ गया और उसने अंडरवियर से अपना लंड निकाल कर मेरे मुँह में डाल दिया. मुझे लंड देखने तक का मौका तक नहीं मिला, एक पल में उसका पूरा लंड मेरे मुँह में था.
मैं भी जोर जोर से उसका लंड चूसने लगी. कुछ देर में लंड चूसती रही. फिर अंकित मेरे ब्लाउज के बटन खोलने लगा और उसने मेरे ब्लाउज को उतार दिया. इसके बाद मुझे उसने वहीं सोफे पर लिटा दिया और मेरे मम्मों को ब्रा के ऊपर से ही जोर जोर से दबाने लगा. मैं भी मम्मे मिंजवाने का मजा लेने लगी.
उसने मुझे अपनी बाँहों में उठा लिया और कमरे में ले गया और वहां उसने मेरे लहंगे को भी उतार दिया. अब मैं सिर्फ ब्रा पेंटी में थी. फिर मैंने अंकित की अंडरवियर उतार दी और मैंने उसका लंड पकड़ कर उसे बाथरूम में ले गई. वहाँ अंकित ने मेरी ब्रा को उतार दिया, फिर जब वो मेरी पेंटी उतारने के लिए नीचे बैठा और उसने मेरी पेंटी को उतारा, तो वो मेरी चूत देख कर पागल हो गया.
पेंटी उतारते से ही उसने अपना मुँह मेरी चूत में लगा दिया और मेरी चूत को चाटने लगा. अंकित की जीभ जब मेरी चूत में गई, तो मेरे अन्दर तो जैसे बिजली दौड़ पड़ी. वो जीभ से मेरी चूत की चुदाई करने लगा. मैं मचलने लगी और उसके सिर को अपनी चूत में दबाने लगी. तभी मैंने शावर चालू कर दिया. हम दोनों का बदन पानी से भीग चुका था.
अंकित ने मेरी चूत को अपनी जीभ से इतना चोदा कि मैं उसके मुँह में ही झड़ गई. उसने सारा पानी पी लिया. फिर उसने मुझे अपना लंड चूसने का बोला, तो मैं नीचे बैठ गई और उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.
अंकित मादक सिसकारियां लेने लगा. मैंने भी उसके लंड को इतना चूसा कि अब वो भी झड़ गया. उसने भी अपना सारा पानी मेरे मुँह में ही छोड़ा, पर मैं वो पी न सकी.
उसके बाद हम दोनों साथ में नहा कर बाथरूम से बाहर निकले. मैं तो नंगी ही जाकर बिस्तर पर लेट गई. अंकित भी आकर मेरे ऊपर लेट गया और मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा. धीरे धीरे मेरे मम्मों को दबाने लगा. होंठों का रसपान करने के बाद वो मेरे मम्मों को चूसने लगा. वो एक हाथ से मेरे एक चूचे को दाब रहा था और दूसरे चूचे को मुँह में भर कर चूसने लगा. मैं फिर से गर्म होने लगी थी.
मम्मों को चूसने के बाद उसने मेरी चूत में अपने एक हाथ की उंगली डाल दी और उंगली से ही मेरी चूत की चुदाई करने लगा. इससे मैं और ज्यादा गर्म हो गई और कामुक सिसकरियां लेने लगी.
अंकित ने देखा कि मैं पूरी तरह गर्म हो चुकी हूं, तो उसने मेरे दोनो पैरों को फैला दिया. मेरे दोनों पैरों के बीच आकर उसने अपने लंड को मेरी चूत पर रखा और लंड से मेरी चूत को सहलाने लगा.
फिर कुछ ही देर में उसने लंड के टोपे को मेरे चूत के अन्दर झटके से डाल दिया, मैं जोर से चिल्लाई ‘आआहहह..’ वो कुछ सेकेंड रुका और एक जोरदार झटके से पूरा का पूरा लंड मेरी चूत के अन्दर उतार दिया. मैं तड़फ कर सिसकारियां लेने लगी. फिर उसने जोरदार धक्कों से लंड को अन्दर बाहर करते हुये मेरी चुदाई करना शुरू कर दिया. अब मुझे बहुत मजा आ रहा था. मैं मजे ले ले कर चुदने लगी.
कुछ ही देर बाद उसने अपनी स्पीड और बढ़ा दी. कुछ देर तक वो मुझे ऐसे ही चोदता रहा. फिर उसने मुझे उठने को कहा और वो नीचे लेट गया. उसने अब मुझे उसने अपने लंड पर बैठा लिया. मैंने भी उसका लंड अपनी चूत में डाला और गांड उछाल उछाल कर चुदाई के मजे लेने लगी. उसने अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों मम्मों को पकड़ लिया और उन्हें दबाने लगा. अंकित नीचे से धक्के दे रहा था और मैं ऊपर से उछल कर मजे ले रही थी.
कुछ देर बाद अंकित ने मुझे फिर से पोजिशन बदलने को कहा और मुझे घोड़ी बनने को कहा. मैं घोड़ी बनी, तो उसने पीछे से अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया और मुझे किसी कुतिया की तरह चोदने लगा. मुझे बहुत मजा रहा था.
कुछ देर की चुदाई के बाद अंकित ने मुझसे कहा- मैं झड़ने वाला हूँ.
मैंने भी कहां- हांह… मैं भी झड़ने वाली हूँ.
मैं थक गई थी और झड़ गई, पर मैंने अंकित से कहा- तुम चूत के अन्दर मत झड़ना.
तो उसने अपना लंड मेरी चूत से निकाल कर मेरे मुँह में डाल दिया. मैं उसके लंड को चूस ही रही थी कि उसके लंड ने पानी छोड़ दिया और एक बार फिर से मेरे मुँह में उसके लंड का सारा पानी आ गया था. इस बार मैं उसके लंड का सारा पानी पी गई. हम दोनों बुरी तरह थक गये थे, तो हम सो गए.
फिर करीब एक घंटे बाद डोरबेल बजी तो सुनीता आई हुई थी. मैंने जाकर दरवाजा खोला. मैं नंगी ही थी.
अंकित ने जब सुनीता को देखा तो उसने उसका शुक्रिया अदा किया कि उसने मेरी चूत भी उसे दिलवाई.
फिर हम तीनों ने मिल कर उस पूरे दिन 4 बार और चुदाई की.
यह थी दोस्तो, मेरी कहानी, उम्मीद करती हूँ कि आप सबको पसन्द आएगी. आप सबको कैसी लगी, आप मुझे बताइएगा जरूर. मेरी फेसबुक आईडी भी नीचे लिखी है.
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