MILF बूब्ज़ सक स्टोरी में एक दिन मेरी कामवाली एक लड़की को मेरी शरण में लाई और रात को मेरे पास छोड़ गई. वह एक बच्चे की माँ थी और उसकी चूचियां दूध से भरी हुई थी.
दोस्तो नमस्कार.
बिना किसी लाग लपेट के मैं अपनी MILF बूब्ज़ सक स्टोरी शुरू कर रहा हूँ.
जयेश की जब इंदौर पोस्टिंग हुई थी, तब उसके घर में मंजू नाम की एक बहुत ही अच्छी नौकरानी काम करती थी.
वह जयेश के घर के सभी काम करती थी.
वैसे तो वह पूरे समय के लिए थी पर रात को अपने घर चली जाती थी.
मंजू शादीशुदा थी.
एक बार पति ने उसे घर से निकाल दिया था तो उसने यहीं शरण ली थी.
तब से जयेश से उसके सम्बन्ध घनिष्ठ बन गए थे.
अब वह कभी कभी रात को रुक जाती थी, तो वह बहुत प्रसन्न रहती थी.
एक दिन शाम को मंजू तीन स्त्रियों के साथ जयेश के घर आई.
जयेश ने बहुत आदर सत्कार से उन सबको सोफे पर बिठाया और बोला- मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ?
मंजू ने सभी का परिचय देते हुए बताया- सा’ब, यह लड़की नीलू है और यह बहुत मुश्किल में है. यह उसकी मां है और यह उसकी पड़ोसन है. लड़की का पति और ससुर लड़की को खत्म करने पर तुले हुए हैं.
जयेश ने पूछा- क्यों?
इस पर वह लड़की नीलू बोली- मैंने उन दोनों को एक स्त्री से काफी गलत करते देख लिया है.
‘तुम को कैसे लगता है कि वह तुम्हें ख़त्म कर देगा?’
इस पर पड़ोसन ने बताया कि मेरे पति ने मुझे बताया कि उसने उनकी बातें सुनी हैं, तो मैंने इनको बताया और थोड़ी ही देर में वे दोनों तलवार लेकर भी आ गए थे.
लड़की की माँ ने बताया कि मुझे मालूम था कि आपने मंजू को बहुत ही खराब हालत में शरण दी थी. साहब मेरी बेटी को बचा लो. हम बहुत उम्मीद लेकर आए हैं. उसका बच्चा तो उन लोगों ने छीन ही लिया है, कहीं वे मेरी बेटी को भी मुझसे न छीन लें.
जयेश ने मंजू की ओर देखा.
मंजू समझ गई कि साब मेरी हां या ना पूछ रहे हैं.
मंजू ने इशारे से हां कहा, दिल पर हाथ रख कर कहा कि मेरी गारंटी है.
तब जयेश ने कहा- यह यहां खुशी से रह सकती है. पर रात को लड़की को कोई तकलीफ़ हुई, तो क्या होगा? यह अभी भी रो रही है और ऐसे ही रात भर रोती रही, तो मैं कैसे संभालूंगा? आपमें से किसी को कम से कम आज रात को इधर रुकना चाहिए … ऐसा मुझे लगता है!
“नहीं सा’ब वह तो नहीं हो पाएगा. हम रुकेंगी तो वे दोनों हमें मार देंगे. रात को हमारी नीलू की ओर से आपको कोई तकलीफ़ नहीं होगी … क्यों नीलू बता न?”
रोती हुई नीलू ने पल्लू से मुँह पौंछा और बोली- भरोसा रखिए सर, आपको कोई परेशानी नहीं होगी.
जयेश ने कहा- ओके, फिर मंजू के अलावा नीलू से मिलने और कोई नहीं आना चाहिए. मैं ऑफिस जाऊंगा, तब नीलू दरवाजा भी नहीं खोलेगी.
सबने हामी भरी कि हां यही सही है.
जयेश ने मंजू की ओर देखा और बोला कि जाओ मंजू, सबके लिए चाय बनाओ.
सब चाय के लिए ना ना कर रहे थे.
जयेश ने कहा- ओके मंजू केसर, पिस्ता, बादाम डाल कर दूध बनाओ.
अभी भी सब ना ना कर रहे थे, पर मंजू के पास आज सबको यह बताने का मौका था कि वह कितने दिल वाले सा’ब की नौकरानी है.
मंजू वापिस आई और उसने पूछा- साब आपका दूध तो मैंने तैयार करके फ्रिज में रखा था. अभी आपके लिए फिर से गर्म बनाऊं, या आपके लिए वही फ्रिज वाला ले आऊं?
‘मंजू, मैंने आपको कितनी बार बताया है, मेहमान को जो चीज दो, वही हमको भी दो … वर्ना मेहमान का अपमान होता है.’
‘गलती हो गई सा’ब.’
‘कोई बात नहीं मंजू, पर ये सब ध्यान रखना … और मंजू मैंने तो अभी तक खाना भी नहीं खाया है. ऐसा करो मेरा दूध और खाना दोनों लगा दो … और हां नीलू ने भी तो नहीं खाया होगा. उसका खाना भी लगा दो. मैं खाना खाऊंगा और आप सब क्या केवल दूध पिएंगे? … मंजू सबके लिए खाना लगा दो.’
“नहीं नहीं साहब बहुत टाइम लग जाएगा.” उन दोनों बड़ी उम्र की औरतों ने बोला और वे मंजू के साथ किचन में घुस गईं.
कुछ पल बाद मंजू ने आवाज दी- सर आ जाइए. खाना तैयार है.
सब डाइनिंग टेबल पर आ गए.
जयेश और मंजू ने खाना खाया और बाकी सबने केसर पिस्ता वाले दूध के साथ नाश्ता किया.
दोनों औरतों ने जाने के टाईम मंजू को बताया- तुम जरा देर से आना ताकि किसी को मालूम ना पड़े कि हम दोनों तुम्हारे साब के घर आई थीं.
रास्ते में दोनों औरतें बात कर रही थीं.
कितना पैसे वाला और बड़ा आदमी है, फ़िर भी उसने हमारे साथ बैठ कर खाया!
‘अरे बाप रे कैसा मस्त दूध था. कभी सोचा भी नहीं था कि हमारी किस्मत में ऐसा दूध मिलेगा.’
‘मुझे तो तेरी लड़की की किस्मत खुली हुई लगती है. यहां रहेगी तो लाइफ़ बन जाएगी.’
‘पर मंजू थोड़ी हमेशा के लिए यहां रहने देगी? ऐसे कैसे जाने देगी अपनी कमाई? जो होगा होने दो. अभी सर छुपाने की जगह तो मिल गई न? आगे देखो क्या होता है.’
इधर मंजू ने नीलू को घर दिखाया और उसका कमरा बताया.
‘सा’ब से डरना नहीं, वे बहुत अच्छे आदमी है.’
‘पर मुझे तो अकेले इस कमरे में डर लगेगा. मुझे नींद नहीं आएगी.’
‘तो क्या, उनके बिस्तर पर सो जाएगी क्या?’
‘मुझे तो शर्म आती है ऐसा सोचने में भी!’
‘वैसे तो तेरे पति के पास जाने में भी डर लगा ही होगा ना? यहां भी थोड़े नखरे कर लेना.’
‘हट मंजू, तुम बहुत बोलती हो.’
‘तो क्या करूँ? एक बाजू तेरी सांस के लाले हैं, हर पल तेरी मौत सबको दिखती है और तू ऐसी बात करती है. देख नीलू … ये सब सीक्रेट होते हैं. बंद घर में क्या हुआ, क्या नहीं हुआ, मजा आया … नहीं आया. किसी को कभी कोई बताएगा नहीं … और जानना भी नहीं चाहिए. हम सब लड़कियां काम करती हैं, कभी एक दूसरे की बात नहीं करती हैं. सब जानती हैं, मेरी भी चुप … तेरी भी चुप. बस चलती हूँ.’
मंजू जाने लगी और साब से बोली- साहब, मैं चलती हूँ.
जयेश- सुबह समय पर आना.
मंजू- नीलू सब काम कर लेगी.
जयेश- तेरी नौकरी तो चालू ही रहेगी … बाकी तू जाने.
मंजू- सात बजे आऊंगी.
नीलू और जयेश ने मंजू को मेन डोर पर विदा किया.
जयेश ने नीलू से कहा- आओ टीवी देखते हैं.
नीलू को पास बिठा कर उसको सामान्य करने के लिए बहुत सारी बातें की.
धीरे धीरे नीलू भी खुलती गई.
पता चला कि वह कॉलेज का पहला साल पूरा पढ़ चुकी है. उसके पिता की मृत्यु हो चुकी है. वह पढ़ने में ठीक-ठाक थी, तो क्लर्क की नौकरी और ब्यूटी पार्लर में भी काम कर चुकी है. पति ने नौकरी छुड़वा दी थी. पति के बहुत लफ़ड़े थे. नीलू के परिवार में मां बेटी के अलावा और कोई नहीं है.
बातें करते समय जयेश नीलू की ओर कम देख रहा था, पर उसे पता था नीलू उसे ही एकटक देख रही थी.
शायद वह जयेश का मुआयना कर रही थी.
नीलू को जयेश बहुत आकर्षक लगा था तो उसे बातें करने में बहुत मजा आ रहा था.
बहुत बातें कर लेने के बाद में जयेश ने कहा- चलो तुम्हारा कमरा देख लेते हैं.
नीलू को और बातें करने में रस था तो वह खड़ी होने में देर कर रही थी.
जयेश भी खड़ा नहीं हुआ. फ़िर से दोनों बातें करने लगे.
अब जयेश कुछ पूछ नहीं रहा था.
नीलू खुद अपने बारे में बहुत कुछ बताने लगी.
अब वह बहुत हंस भी रही थी.
जयेश ने कहा- तुम हंसती हो तो बहुत सुंदर लगती हो.
नीलू ने अपनी सुंदर आंखों जयेश की आंखों से मिलाईं तो जयेश को बहुत अच्छा लगा.
जयेश ने अपने आपको सही करते हुए कहा- तुम सुंदर तो वैसे भी हो, पर हंसती हो तो और ज्यादा सुंदर और आकर्षक भी लगती हो.
इस बार नीलू ने घायल करने वाला स्माइल दी.
जयेश सचमुच घायल हो गया.
अब जयेश ने उसकी पीठ पर हाथ रखा.
नीलू जयेश के और नजदीक सरक गई.
जयेश बोला- नीलू बहुत देर हो गई है. चलो सो जाते हैं. बातें तो हर रोज थोड़ी थोड़ी हो ही जाएंगी.
दोनों खड़े होकर नीलू के कमरे की ओर गए.
जयेश ने देखा कि चादर पुरानी बिछी है, तो उसने नीलू को नई चादर दी और अच्छा वाला कम्बल दिया.
‘मैं अपना कमरा खुला रखता हूँ, कोई तकलीफ़ हो तो चली आना, डरना नहीं और घबराना नहीं. कोई दरवाजा खटखटाए तो खोलना नहीं. सो जाओ.’
एक पल रुकने के बाद जयेश ने पूछ ही लिया- डरोगी तो नहीं ना?’
नीलू ने सिर हिला कर ना कहा.
पर जयेश समझ गया कि वह दिल से ना नहीं कह रही है.
जयेश अपने कमरे में आकर सो गया.
वह सोचने लगा कि नीलू बहुत ही सुन्दर लड़की है, कितनी पीड़ा हुई होगी उसे पति के कारनामे से. उसका चेहरा भी कितना सुन्दर है, उसका आखिरी मुस्कुराहट वाला चेहरा याद करते ही जयेश उत्तेजित हो गया.
कितनी उम्र होगी उसकी? जयेश ने सोचा कि पच्चीस के आसपास की होगी.
क्या सचमुच उसको मुझसे रस मिलेगा? कितने समय तक यहां रहेगी?
फिर जयेश ने मन को काबू में करते सोचा कि देखा जाएगा.
आधी रात को कोई उसे जगा रहा था, जयेश ने लाइट को ऑन किया.
नीलू आई थी.
उसे बेड के किनारे पर बैठा कर पूछा- क्या हुआ?
वह रो रही थी.
जयेश ने उसका हाथ पकड़ कर पास बिठाया. उसकी आंख में आंख डालकर पूछा- क्या हुआ यह तो बताओ?
जयेश ने उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए और उसका हाथ दूसरे हाथ से पकड़ कर सहलाया.
‘सर, बहुत दर्द हो रहा है.’
‘कहां?’
वह शर्मा भी रही थी और रो भी रही थी.
जयेश ने पास पड़े जग से उसको पानी दिया. उसका पल्लू हटा, तो जयेश ने देखा कि उसके वक्ष पर दूध लगा हुआ था.
जयेश समझ गया. वह बोला- मैं समझ गया!
जयेश ने उसको और सहलाया और कहा- घबराओ नहीं नीलू, सब ठीक हो जाएगा.
जयेश ने दोनों हथेलियों से उसका चेहरा पकड़ कर सहलाया. नैपकिन से उसका चेहरा पौंछा. अपना सुगंधित हाथ वाला रुमाल उसके हाथ में दे दिया.
‘अब थोड़ा मुस्कुराओ.’
वह मुस्कराई तो नहीं, पर शांत हो गई.
जयेश ने अपना एक हाथ दोस्त की तरह उसके कंधे पर रख कर उसको थोड़ा अपने से सटा लिया.
नीलू को बहुत अच्छा लगा.
उसने अपना सिर जयेश के कंधे पर रखा. जयेश ने उसके चेहरे को एक हाथ से सहलाया, तुरन्त ही नीलू ने पास वाले हाथ से जयेश की कमर को पकड़ लिया.
दोनों ने जाने अनजाने में एक दूसरे को आगोश में भर लिया था.
जयेश ने उसके चेहरे को प्यार से ऊंचा उठा कर आंखों में आंखें डाल कर कहा- नीलू तीन रास्ते हैं. तुम्हें जो पसंद हो, वह करेंगे. पहला रास्ता डॉक्टर को घर बुलाना, दूसरा रास्ता हॉस्पिटल जाना. इन दोनों बातों में मुश्किल सवाल खड़े होंगे. बच्चा कहां है, बाप कहां है, वगैरह वगैरह … और तीसरा रास्ता है कि मैं निकाल दूँ. तुम्हारी मर्जी क्या है? मैं तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होने दूंगा. किसी को मालूम भी नहीं पड़ेगा. बोलो तुम क्या चाहती हो?
नीलू ने शर्माते हुए जयेश की ओर देखा और आंख से इशारा किया कि तुम!
बस यह इशारा करके नीलू जयेश से लिपट गयी.
‘सा’ब जरा जल्दी से करो न, बहुत दर्द हो रहा है!’
जयेश ने एक हाथ से उसका पल्लू हटाया और दूसरे हाथ से उसके सर पर हाथ फ़िराया.
जयेश ने कहा- नीलू बहुत देर कर दी तुमने मुझे जगाने में. कोई बात नहीं, अब तो सब ठीक हो जाएगा.
अब तक उन दोनों ने मिलकर ब्लाउज निकाल दिया था.
इतना सुंदर वक्षस्थल! जयेश ने उसका वक्ष स्थल देखा और चकाचौंध हो गया.
जयेश ने सोचा कि नीलू का चेहरा जितना सुन्दर है, उससे कई गुना सुन्दर वक्ष है. जयेश को यह सौंदर्य देखते देखते आंखों से पीना था, पर समय गंवाना नहीं था.
जयेश ने नीलू के एक निप्पल को मुख में भर लिया और बहुत ही नजाकत और नाजुकता से थोड़ा खींच कर चूसा.
जैसे ही जयेश के होंठों ने नीलू के निप्पल को छुआ, उसकी पूरी काया में एक सिहरन सी दौड़ गयी.
तुरंत ही नीलू की दोनों हथेली ने जयेश के चेहरे को थाम लिया.
नीलू के मुँह से दर्द भरी आवाज आई- आह!
जयेश ने एक हथेली से नीलू की पीठ को सहलाया और दूसरी हथेली से स्तन को नीचे से सहारा दिया.
नीलू ने जयेश की पीठ पर ऐसे हथेली रखी, जैसे मां बच्चे पर रखती है.
दर्द इसलिए हुआ क्योंकि अभी तक दूध की धारा ठीक से आ नहीं रही थी.
जयेश ने नीलू के स्तन को धीरे धीरे सहलाया और पके हुए आम का रस निकालने के लिए दबाते हैं, ऐसे ही धीरे धीरे दबाया.
साथ ही जयेश ने बहुत प्यार से सहलाना जारी रखा. उसने स्तन का केवल निप्पल ही चूसने के लिए अरोला तक का भाग मुँह में लिया था और थोड़ा जोर से चूसा था.
दरअसल निप्पल में कुछ दूध सूख कर जमा हुआ होगा, इसलिए अभी तक दूध नहीं आ रहा था. जोर से चूसने के कारण सूखा हुआ दूध निकल गया और दूध की धारा सीधी जयेश के गले में जा लगी.
श्वास नलिका में दूध लगने से जयेश ने खांसा.
नीलू का हाथ जयेश की पीठ पर ही था, उसी से नीलू ने जयेश की पीठ को थपथपाया.
नीलू धीरे से बोली- नहीं, नहीं.
यह कहती हुई नीलू ने जयेश की पीठ को सहलाया.
अच्छी तरह से सहलाती हुई बोली- धीरे धीरे चूसो मेरे राजा.
दूध की अविरल धारा बहने लगने से नीलू को बहुत सुकून मिला तो उसके मुँह से आह आह की आवाज निकलने लगी.
जयेश ने दोनों स्तनों को चूस कर खाली कर दिया और नीलू के मुँह को चूम कर कहा- अब तुम आराम से आधी लेटी सी रहो.
ऐसा कह कर उसने दो तकिए नीलू के पीछे रखे और उसके कंधे पर हाथ रख कर उसे धीरे से तकिये की ओर धकेला.
नीलू आराम से लेटी.
जयेश का नाईट शर्ट नीलू से सटे रहने से गीली हो गई थी.
यह देख कर जयेश ने शर्ट को निकाल दिया.
नीलू ने जयेश से पूछा- मैं आपको किस नाम से पुकारूँ?
‘अभी तो तुमने बोला था राजा … मुझे वही बहुत अच्छा लगा. वैसे जयेश भी कह सकती हो.’
‘मैं आपको सर या सा’ब कहकर बुलाऊं?’
जयेश ने उसके गाल पर हाथ फ़िराया और कहा- तुम्हारा दिल जो कहे, उस नाम से बुलाओ. हर बार अलग नाम से बुलाया, तो भी चलेगा.
नीलू का चेहरा हंस कर खिल गया.
जयेश ने उसके सर पर हाथ फ़िराया और कहा- बस ऐसे ही हंसती हुई खुश रहना!
जयेश धीरे से नीलू के पास वापस गया और उसके एक स्तन को फिर से अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
जयेश के पास आते ही नीलू ने अपनी बांहें पसार दीं और जयेश को आगोश में भर लिया.
MILF नीलू को बूब्ज़ सक करवाना बहुत अच्छा लगा, वह धीरे से बोली- आह मेरे राजा.
जयेश भी नीलू का स्तनपान करते करते नीलू के अंगों को सहलाने लगा.
दोनों एक दूसरे में खो रहे थे; या कहो समा रहे थे.
जयेश कभी एक स्तन को चूसता था, तो दूसरे को सहलाता था.
उसका सहलाने का तरीका भी अजीब था.
वह उंगलियों से ऐसे स्पर्श करता था कि जैसे कोई छोटा बच्चा कर रहा हो.
कभी उंगलियों के पीछे के भाग से चूचक को स्पर्श करता था.
नीलू का आधा दर्द तो दूध की धारा चालू होने से दूर हो गया था, पर जयेश के स्पर्श से मानो आनन्द की उसे कोई अनन्य अनुभूति हो रही थी.
वह उस दुनिया का अनुभव कर रही थी, जहां वह कभी नहीं पहुंची थी.
जयेश का स्पर्श एक अद्भुत अहसास दे रहा था, जो उसने अब तक कभी महसूस नहीं किया था.
नीलू ने अपनी आंखें बंद कर ली थीं.
सुख की इस अनुभूति को वह अपने मन मस्तिष्क में स्थिर कर लेना चाहती थी.
कभी कभी जयेश दूसरे स्तन को सहलाता था, तब नीलू अपनी हथेली से जयेश के उस हाथ को सहलाती थी और सहलाते सहलाते अपना हाथ जयेश के कंधे तक ले जाती थी.
जब भी जयेश एक हाथ से नीलू के गाल को भी सहलाता; तभी नीलू जयेश की उस हथेली को अपनी हथेली से दबा देती थी.
मानो उसका यह कहना था कि करते रहो, बहुत अच्छा लगता है.
कभी कभी जयेश नीलू के कटि प्रदेश पर हाथ फ़िरा देता था.
नीलू की साड़ी तो पहले ही निकल चुकी थी. तभी पहली बार जयेश ने उसकी नाभि और कटि को देखा था.
जयेश ने सोचा कैसे मैंने रात को यह सौंदर्य पान नहीं किया.
जयेश का दूसरा हाथ उसके सुंदर गाल पर पहुंचा और सहलाया.
नीलू को बहुत अच्छा लगा.
उसने जयेश के हाथ पर अपना हाथ रखा और धीरे से उसकी हथेली को अपने होंठों पर लिया और जम कर बहुत चुंबन दाग दिए.
जयेश बहुत रोमांचित हो उठा था.
पर ये क्या … रोमांचित वह हुआ था और नीलू की दुग्धधारा बढ़कर अविरल बहने लगी थी.
मतलब साफ़ था कि नीलू भी उतनी ही रोमांचित हो गयी थी.
इसी लिए तो वह जयेश नाम का जप करने लगी थी.
बीच बीच में वह मेरे राजा जैसे भी बोल लेती थी.
जयेश के लिए मुश्किल हो गया था कि वह नीलू के स्तनों से निकलता हुआ सब दूध पी जाए.
उसका मुँह दूध से भर गया था, तब भी वह थोड़ा थोड़ा गटक रहा था.
जयेश ने सर ऊपर उठाया और नीलू की तरफ़ देखा.
दोनों एक दूसरे के सामने देख कर मुस्कुरा दिये.
जयेश ने अपने होंठों को नीलू के होंठों पर रख कर एक दीर्घ चुंबन धर दिया. जयेश ने कुछ देर अपने होंठ वहीं सटाये रखे.
नीलू ने भी बहुत मादक तरीके से चूमा और चूसा भी.
उसके बाद जयेश ने एक बार फिर से नीलू के स्तन से दूध को भरा और अपने मुँह में भरे हुए दूध को नीलू के मुँह में जाने दिया.
नीलू ने कभी खुद का दूध चखा ही नहीं था.
अपने बच्चे के प्रति प्रेम के कारण यह सोच कर कि उसके हिस्से का दूध मैं कैसे पी सकती हूं? इसी सोच के चलते उसने कभी नहीं चखा था.
नीलू ने कभी सोचा भी नहीं था कि उसका दूध अमृत जैसा होगा.
आज नीलू को बहुत मजा आया.
उसने बहुत चाव से जयेश के मुँह से अपने मुँह में आया दूध पूरा पी लिया.
जयेश को भी मजा आया कि नीलू ने मेरे मुँह से अपना दूध पी लिया.
यह जयेश को सेक्सी भी लगा और एक दूसरे के प्रति शरीर संबंध के लिए नींव का पहला पायदान भी लगा.
जयेश ने फ़िर से नीलू के स्तन को मुँह से चूसा और जब उसका मुँह पूरा भर गया, तो नीलू के होंठों पर अपने होंठ रख कर उसके छोटे से सुर्ख, सुंदर और पूर्णिमा जैसे गोल चेहरे को दोनों हथेली से नर्मी से पकड़ कर ऊंचा किया.
नीलू को जयेश का ऐसा करना बहुत भाया.
जब जयेश ने अपने होंठ नीलू के होंठ पर रखे तो नीलू ने जयेश के होंठों को प्यार से चूमा.
जयेश ने चूमना भी चालू रखा और धीरे धीरे दूध की धारा को नीलू के मुँह में जाने दिया.
नीलू जयेश के खुले बदन को सहलाने लगी.
जयेश का चौड़ा सीना नीलू को बहुत भा गया था इसलिए उसे जयेश के सीने को सहलाना बहुत अच्छा लग रहा था.
वह सोच रही थी कि कब इस चौड़े सीने और मजबूत बांहों में समा जाऊं.
जयेश बहुत देर तक यही करता रहा. वह नीलू के स्तन से दूध चूस कर अपने मुँह में भरता और नीलू के होंठ से होंठ मिला कर पूरा दूध नीलू को प्यार से पिलाता था.
ऐसा लगता था जैसे एक पंछी की मां अपने बच्चे को प्यार से मुँह में खाना खिला रही हो.
दोस्तो, MILF बूब्ज़ सक स्टोरी के अगले अंक में आगे की दास्तान लिखूँगा. आपके मेल का इंतजार रहेगा.
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MILF बूब्ज़ सक स्टोरी का अगला भाग: नौकरानी की लड़की संग कामसुख- 2