निरंकुश वासना की दौड़- 2

निरंकुश वासना की दौड़- 2


रियल वाइफ चीटिंग पोर्न कहानी में दो दोस्तों की पत्नियां आपस में मिल कर पति बदल कर सेक्स का मजा लूटने की योजना बनाती हैं. एक पत्नी दूसरी के पति के बगल में नंगी लेट गयी.
कहानी के पहले भाग
पति के लिए नयी चूत का प्रबंधन
में अब तक आपने पढ़ा कि जब नीलम को नए लंड की तलब लगती है तो वह अपने पति सुनील के साथ, उसके मित्र निखिल के यहां मुंबई जाती है। जहां पहले वह उसकी अतृप्त पत्नी संध्या को अपने कामजाल में फंसाकर, उसको लेस्बियन सैक्स द्वारा झड़ाती है।
अब आगे रियल वाइफ चीटिंग पोर्न कहानी:
मेरे हाथों झड़ने के बाद संध्या का शरीर और दिमाग दोनों एक हद तक शांत हुए।
कुछ देर बाद फिर वह कहने लगी- यार नीलू, तूने ये कैसी उथल-पुथल कर दी मेरे जीवन में? अब तो मुझ से भी बिना नए लंड से चुदे रहा नहीं जायेगा। चाहे कुछ भी हो जाए, मुझे भी अब एक नया मर्द, एक नया लंड चाहिए।
मैंने उसकी बेताबी को देखते हुए गर्म लोहे पर चोट करी और कहा- यदि तेरी इतनी प्रबल इच्छा है तो तेरी इच्छा पूरी हो सकती है। मेरी बात माने तो तुझे आज ही नया लंड मिल सकता है।
वह फिर चौंकी, उसने पूछा- कैसे?
तो मैंने कहा- हम पति-पत्नी ने यह तय किया है कि आने वाले 10 वर्षों में, मैं हर वर्ष कैसे भी जुगाड़ कर के, कम से कम पांच नए लंड अपनी चूत में लूंगी। इस तरह उम्र के अर्ध शतक के साथ-साथ मेरे नए लौड़ों की संख्या भी 50 हो जायेगी और इसी प्रकार सुनील को भी जहां तक संभव होगा नई चूत दिलवाने की मेरी कोशिश रहेगी।
संध्या ने पूछा- सुनील के लिए नई चूत का इंतजाम भी तू करेगी?
इस पर मैंने कहा- हां यार, होता क्या है कि ‘औरत यदि अपनी लाजवंती की केंचुली उतार दे तो फिर उसके लिए तो लंड की कमी नहीं होती’ लेकिन मर्द कितना भी मुखर होने की कोशिश करे, मूल रूप से डरपोक होता है।
उसे पहल करने में औरत की उग्र प्रतिक्रिया का डर रहता है कि कहीं इज्जत का पंचनामा ना बन जाए। जबकि औरत यदि किसी मर्द से चुदने की पहल करे तो इस बात की संभावना अधिक रहती है कि कोई भी मर्द हाथ आए इस सुनहरे अवसर को गंवाना नहीं चाहेगा।
उसने फिर कहा- अच्छा यार, तू तो ये बता कि मुझे आज ही नया लंड कैसे मिल सकता है?
मैंने कहा- तूने मेरी बात शायद ध्यान से नहीं सुनी कि यदि औरत पहल करे तो कोई भी मर्द, नई चूत को चोद के ही दम लेगा। यार, बड़ी सिंपल सी बात है, इस हाथ दे उस हाथ ले।

उसने पूछा- क्या मतलब? मेरे अभी भी समझ में नहीं आया कि तू क्या कहना चाहती है?
तो मैंने उसे ट्रेन वाली घटना भी सुना दी कि ‘तेरा पति कई वर्षों पहले, मुझे चोदने की इच्छा से, मेरे स्तनों को छू कर संकेत देना चाह रहा था।’
तो इस बात पर वह बजाए नाराज या गुस्सा होने के मुस्कुराने लग गई क्योंकि अभी उसके दिमाग में वासना का सुरूर चढ़ा हुआ था।
जब मनुष्य पर वासना हावी होती है तो वह मस्ती में डूबा होता है।
ऐसी स्थिति में उसे क्रोध नहीं आता।
वह समझ गई कि मैं क्या चाहती हूं, उसने कहा- मुझे मंजूर है पर नीलू, दोनों मर्दों को तैयार करने की जिम्मेदारी तेरी होगी।
मैंने कहा- मंजूर है मेरी काम-सखी!
कुछ देर विचार किया फिर मैंने उससे पूछा- क्या निखिल सुबह वॉकिंग पर जाता है?
उसने कहा- हां!
“और तू?”
उसने कहा- नहीं, मैं तो नहीं जा पाती।
मैंने कहा- बस फिर तो बढ़िया है।
वह मेरी ओर प्रश्नवाचक नजरों से देखने लगी।
मैंने उसे कहा- मैं भी मॉर्निंग वॉक पर जाती हूं, मैं निखिल के साथ मॉर्निंग वॉक पर जाऊंगी, पीछे से मेरा पति सुनील तेरे हवाले रहेगा, निचोड़ लेना साले के लंड को!
संध्या कहने लगी- नहीं नहीं, मैं क्या सुनील को जगा कर ये बोलूंगी कि मुझे तुम्हारे नए लंड से चुदवाना है इसलिए निखिल और नीलम के लौटने के पहले मुझे चोद डालो? ऐसा कैसे संभव है यार?
मैंने कहा- मैं बताती हूं न कि कैसे संभव है.
उसने पूछा- अच्छा चल बता, यह कैसे संभव होगा? मुझे क्या करना होगा?
मैंने कहा- मैं जब निखिल के साथ वॉक पर निकल जाऊंगी, तब तू सुनील के पास जाकर लेट जाना और तुझे यह तो पता ही होगा कि सुबह सुबह मर्द के लंड में तनाव रहता है. तो तू बस ऐसे उसके लंड पर हाथ रख देना जैसे नींद में रखा हो। पराया स्पर्श पा कर लंड चोदने के मूड में आ जाएगा। तू बस अपनी चूत को चिकनाई लगा के चुदने के लिए नंगी होकर एकदम तैयार रहना।
इस पर उसने पूछा- सुनील को कैसा लगेगा? जब वह देखेगा कि उसके नीचे तू नहीं मैं हूं।
इस पर मैंने कहा- कमरे में अंधेरा होने के कारण अव्वल तो उसे पता नहीं चलेगा लेकिन यदि चल भी गया तो कौन सा ऐसा मर्द होगा जो नई चूत को चोद के खुश नहीं होगा? जब वह देखेगा कि मेरे स्थान पर तू उससे चुदवा रही है फिर तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहेगा, वह जमकर तेरी चुदाई करेगा. तू निश्चिंत रह!
वह बोली- अरे यार … शर्म आ रही है मुझे कि सुनील मेरे बारे में क्या सोचेगा?
तो मैंने कहा- जब उसने अपनी पत्नी यानि मेरे बारे में तीन दिन में तीन नए लंड लेने के बावजूद, कुछ गलत नहीं सोचा, जब कि मैंने उसकी सहमति तो एक ही लंड के लिए ली थी और लिए थे तीन लंड! फिर भी उसने मेरी कामवासना को एक कामुक जवान औरत की सामान्य जरूरत की तरह माना तो फिर वह तेरे बारे में कुछ भी गलत क्यों सोचेगा?
उसको मेरी बात समझ में आते ही उसका चेहरा अचानक एक नई खुशी मिलने की संभावना से चमकने लगा और उसके होठों पर एक कातिल मुस्कान आ गई।
सुबह मैं और निखिल योजनानुसार मॉर्निंग वॉक के लिए निकले.
मैंने देखा जब आगे पीछे कोई नहीं होता, तब निखिल चलते-चलते मेरे हाथ से अपना हाथ छुआने की कोशिश कर रहा था।
तो मैंने उसके मजे लेने के लिए उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया।
वह एकदम घबरा गया क्योंकि उसके मन में चोर था।
असल में वह मुझे चोदना तो चाहता था किंतु संध्या की जानकारी में लाए बिना!
इसलिए वह नहीं चाहता था कि कभी कोई परिचित मेरा हाथ उसके हाथ में देखे।
यह सोचकर वह हाथ छुड़ाने लगा.
लेकिन मैंने देखा कि अपने दूसरे हाथ से वह अपना लंड सेट कर रहा था यानि नए स्पर्श ने उसके शरीर में सनसनाहट तो भर ही दी थी।
उधर घर पर मेरे कहे अनुसार संध्या जाकर सुनील की बाजू में लेट गई, उसका दिल जोर जोर से धड़क रहा था।
उसने हिम्मत कर के अपना हाथ उसने सुनील के लंड पर रख दिया।
सुनील का लंड उस समय सेमी इरेक्ट पोजीशन में था; संध्या के हाथ का स्पर्श पाकर उसका लंड तन्नाने लगा।
सुनील तो यही समझा कि मैं चुदवाना चाहती हूं, वह बड़बड़ाया- क्या बात है नीलू? नई जगह, सुबह-सुबह चुदवाने का मूड बन गया क्या तेरा?
संध्या का दिल पोल खुलने के डर से और तेज़ी से धक-धक करने लगा।
उसने जवाब देने से बचने के लिए सुनील का लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी.
सुनील तो मस्त हो गया।
सुबह-सुबह तो लंड प्राकृतिक रूप से ही कड़क रहता है और उसके बाद यदि उस पर एक सैक्सी औरत के होंठ और जुबान लाड़ लड़ाए तो लंड क्यों नहीं अकड़ेगा?
संध्या चुदवाने के मूड से ही तो सुनील के पास गई थी इसलिए वह मेरे कहे अनुसार पहले ही से, पूरी नंगी होकर लेटी हुई थी।
सुनील ने करवट बदली और संध्या के स्तन चूसते हुए, उसके ऊपर चढ़ गया।
कुछ पल बाद ही सुनील ने संध्या की चूत पर अपना लंड टिकाया.
संध्या ने भी सहयोग करते हुए, उसके लंड को अपने हाथ से सेट करा और सुनील ने तुरंत जोर से झटका मारा।
मेरे पति का पूरा लंड संध्या की चूत में घुस गया।
संध्या के शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गई.
आज अपने जीवन में पहली बार, उसने भी मेरी तरह, अपनी चूत को पराए मर्द के नए लंड का स्वाद दिला दिया था।
मैंने न केवल अपना पति उसके हवाले किया था बल्कि एक उसे एक नया रास्ता भी सुझाया था कि औरतें यदि अपनी हसरतों को पूरा करने की ठान लें, एक दूसरे को सहयोग करें एवं अपने पतियों को साझा करें तो पति पत्नी दोनों जब चाहें, जन्नत को ज़मीन पर उतार सकते हैं।
संध्या को अपने शरीर के ऊपर एक पराये मर्द का अहसास बहुत सुखद लग रहा था.
या यूं कहें कि आज उसका सुहागरात से भी अधिक महत्वपूर्ण दिन था क्योंकि सुहागरात के दिन हर दुल्हन को पता रहता है कि उसका पति आएगा और उसकी चुदाई करके उसकी चूत की सील यदि बरकरार है तो उसे तोड़ेगा लेकिन ‘आज उसके जीवन में व्याप्त नीरसता, एक उदासी जो मन में घर कर गई थी, एक थकान जो शरीर में रहने लगी थी, एक ऊब जो दिमाग में ठहर सी गई थी, उन सब से आज छुटकारा मिलने वाला था। वह जैसे आज एक पूर्णता की ओर बढ़ रही थी।’
सुनील अपने लंबे व मोटे लंड से संध्या की चूत को रगड़ के, संध्या के मन को नई ऊर्जा, नए अहसास से भर रहा था।
मेरे पति सुनील को मिलने वाला आनन्द तो रोज वाला सामान्य आनन्द था क्योंकि वह संध्या को यही समझ के ही चोद रहा था कि मैं हूं।
कुदरत ने मनुष्य के दिमाग को ऐसा बनाया है कि यदि वह हजारों बार चुदी अपनी पत्नी को भी चोद रहा हो लेकिन उसे यह खुशफहमी हो कि वह उसकी पत्नी न होकर कोई पराई औरत है तो उसका मजा कई गुना बढ़ जाएगा और यदि वह पराई औरत को भी चोद रहा हो किंतु उसे यह लगे कि चुदवाने वाली उसकी पत्नी है तो उसके आनन्द में कोई बढ़ोत्तरी नहीं होगी।
इस सच्चाई को दर्शाती एक फिल्म आई थी, जिसमें फिल्म की हीरोइन साधना, प्रेम चोपड़ा के पास, चुदने के लिए अपनी जगह, प्रेम चोपड़ा की पत्नी को भेज देती है और प्रेम चोपड़ा अपनी पत्नी की चुदाई, साधना समझ कर ही करता है और परस्त्री चोदन का आनन्द उठाता है। बाद में जब उसकी पत्नी गर्भवती हो जाती है तो प्रेम चोपड़ा उस पर बदचलन होने का आरोप लगाता है, तब साधना बताती है कि उस रात तुम्हारे पास मैं नहीं तुम्हारी पत्नी आई थी।
इसलिए सुनील को नई चूत का असली आनन्द तो तब मिलेगा जब वह संध्या को, संध्या समझ कर ही उसकी चुदाई करेगा।
जब उसे यह पता चलेगा कि आज सुबह-सुबह उसने नीलम को नहीं एक नई चूत यानि संध्या को चोदा था, तब उसे गर्व की अनुभूति अवश्य होगी क्योंकि हर मर्द और हर औरत नया स्वाद लेने के बाद गर्व का अनुभव जरूर करते हैं।
मैं अपनी सहेली संध्या को अच्छे से चुदने के लिए पूरा समय देना चाहती थी और खुद भी निखिल के नए लंड से चुदाई का जुगाड़ करना चाहती थी इसलिए मैंने निखिल को कहा- चलो कहीं पार्क में बैठते हैं!
तो निखिल मुझे अपनी कॉलोनी से थोड़ी दूर के एक पार्क में ले गया।
वहां किसी परिचित के मिलने की संभावना कम थी।
हम दोनों वहां जाकर बैठे और बातें करने लगे।
मैंने बेधड़क हो के निखिल से पूछा- तुम्हें ट्रेन वाली घटना याद है?
निखिल सकपका गया.
उसे लगा कि जैसे मैंने उसकी चोरी पकड़ ली हो।
उसने भोलेपन से पूछा- कौन सी घटना की बात कर रही हो तुम?
मैंने उसके एक चिकोटी काटते हुए कहा- मेरे सामने भोले भंडारी बनने का नाटक मत करो। मैं कल से देख रही हूं, तुम जो बार बार मुझे छूने की कोशिश कर रहे हो। ट्रेन में तो तुमने सीधे मेरे बूब्स को छूने की कोशिश की थी।
निखिल झेंप गया, बोला- तुम्हें मेरी वह शरारत अभी तक याद है?
मैं बोली- औरतें ऐसी बातें नहीं भूलतीं! शुक्र तो इस बात का है कि तुम्हें याद आ गया।
हम दोनों हंस पड़े।
मैं मन ही मन यह सोच रही थी कि आज कैसे सुनील और संध्या को कहीं भेजा जाए जिससे मुझे निखिल से चुदने का और निखिल को मुझे चोदने का अवसर मिल सके।
मैंने निखिल को और उकसाते हुए उससे कहा- तो अब तुम्हारा क्या इरादा है?
फिर आंख मारते हुए बोली- किला फतह करना है?
निखिल का लंड अकड़ने लगा कि मैं ये क्या बोल रही हूं?
वह कहने लगा- यार, यदि मेरी बरसों पहले की ख्वाहिश आज पूरी होती है तो क्यों नहीं?
मैंने फिर निखिल से कहा- हमें अपनी इच्छा पूरी करने के लिए दो तीन घंटे का एकांत चाहिए।
उसने कहा- हां, यह तो है।
मैंने फिर उससे पूछा- क्या संध्या को फिल्म देखने का शौक है?
तो उसने कहा- बहुत! और अक्सर तो वह अपनी किसी सहेली के साथ जाती है क्योंकि न मुझे फिल्म देखना पसंद है, न मेरे पास समय है।
मैंने कहा- फिर तो अपना काम बन गया समझो। सुनील को भी फिल्म देखने का शौक है और उसे ‘द वैक्सीन वार’ देखना भी है।
इस पर निखिल ने कहा- अरे, वह तो अपने घर के पास ही एक थिएटर है, उसमें लगी हुई है।
इस पर मैंने कहा- बस … तो आज दिन में दोनों को ‘द वैक्सीन वार’ देखने भेज देते हैं क्योंकि यह फिल्म मैंने अपनी एक सहेली के साथ देख ली है मगर सुनील को देखनी है. और हम दोनों ‘सैक्सी वार’ फिल्म बनाएंगे।
निखिल और मैं दोनों खिल खिलाकर हंस पड़े।
और निखिल का दिल तो नई चूत मिलने की संभावना से बल्लियों उछल रहा था।
संध्या को आज सुनील से चुद के इतना अच्छा लग रहा था, जिसकी कोई सीमा नहीं थी।
वह मन ही मन मुझे धन्यवाद दे रही थी कि मैंने उसे सुनील का लंबा, मोटा और नया लंड दिलवाया जो उसे हर झटके के साथ जन्नत के मजे दे रहा था।
उसकी चूत में धधक रही वासना की आग उसे अब चरम सुख की कगार पर ले आई थी.
अब उसकी नस-नस में खिंचाव होने लगा था और कुछ ही पलों में उसे ऑर्गेज्म की प्राप्ति होने वाली थी।
एक पराए मर्द के शरीर के नीचे दबी संध्या की चूत सुनील के लंड के लगातार सुखद घर्षण से तेजी से स्पंदित होने लगी।
उसने सुनील को जोर से बाहों में भींच लिया।
सुनील भी संध्या की चूत की गहराइयों में स्खलित होने लगा।
कुछ देर संध्या के शरीर पर निढाल हो के पड़े रहने के बाद सुनील पलट कर फिर सो गया और संध्या अपनी चूत को नैपकिन से पौंछती हुई चुपचाप कमरे से बाहर आई और अपने कमरे में जाकर सो गई।
मुझे पूरा विश्वास है कि आप सबको रियल वाइफ चीटिंग पोर्न कहानी का यह भाग भी रोचक लगा होगा।
अब आगे के भाग में पढ़िए कि नीलम और संध्या किस तरह अपने हस्बैंड की स्वैपिंग में सफल होती हैं।
रियल वाइफ चीटिंग पोर्न कहानी पर अपने सार्थक विचार एवं मूल्यवान सुझाव मुझे मेल कर सकते हैं, मैं जवाब अवश्य दूंगी.
निरर्थक मेल, चैट या मिलने के निवेदन वाले मेल का मैं जवाब नहीं दूंगी।
मेरी आईडी है
[email protected] रियल वाइफ चीटिंग पोर्न कहानी का अगला भाग: निरंकुश वासना की दौड़- 3

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