ना-ना करते चुद गयी हरियाणवी छोकरी- 2

ना-ना करते चुद गयी हरियाणवी छोकरी- 2

गाँव की लड़की चुदाई स्टोरी में पढ़ें कि पड़ोसन लड़की ने एक दिन खुद ही मुझे अपने बाथरूम में बुला लिया. मगर उसकी चूत मैंने शहर में जाकर चोदी. कैसे?

दोस्तो, मैं राज एक बार फिर से आपका स्वागत करता हूं. अपनी गाँव की लड़की चुदाई स्टोरी के पहले भाग
ना-ना करते चुद गयी हरियाणवी छोकरी- 1
में मैं आपको बता रहा था कि कैसे मेरी पड़ोस की एक सांवली लड़की मुझ पर लाइन मारने लगी और मैंने उसको किस करने के लिए छत पर बुलाया.

उसके बाद हम दोनों फिर से मिलने के लिए तड़पने लगे. अब मेरा मन उसकी चुदाई करने का था लेकिन मैं ये सब जल्दबाजी में नहीं करना चाहता था. एक रात को मैंने उसको फिर से छत पर बुलाया.

अब आगे की गाँव की लड़की चुदाई स्टोरी:

मैं भी वहां पहुँच गया और बैठते ही मौनी मेरी तरफ मुस्कराकर देखने लगी.
मैंने उसे ऐसे ही बांहों में भर लिया.

फिर हमारे होंठ जुड़ गए और मेरे हाथ मौनी की चूचियों को दबाने लगे.

मौनी तो पहले से ही पूरी गर्म थी.
किस करते हुए मेरा हाथ उसकी सलवार तक पहुंच गया.
मगर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.
मैंने भी जोर देने की कोशिश नहीं की.

वो बोली- क्या कर रहा था ये? मैंने वो सब करने के लिए मना किया था.
मैं बोला- यार जोश में हो जाता है. तूने लंड डालने के लिए ही तो मना किया है, छूने से नहीं. मैं तेरी मर्जी के बिना सेक्स नहीं करूंगा, बस ऊपर से ही करूंगा. अगर तू मना करेगी तो ऊपर से भी नहीं करूंगा.

कहते हुए मैंने थोड़ा उदास सा मुंह कर लिया और वो बोली- बुरा मान गया क्या?
मैं बोला- नहीं, मगर दोनों ही खुश होकर करें तभी तो मजा है ना?
वो बोली- ठीक है, वैसे तुम अच्छे लड़के हो.

इतनी बात होते ही हम दोनों फिर से एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे.
मैंने किस करते करते मौनी का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया. उसने एकदम से हाथ हटा दिया.

वो बोली- हट बेशर्म!
मैं बोला- अरे इसमें क्या है, ऊपर से ही तो कर रहे हैं.

मैंने अब लंड को अंडरवियर से बाहर ही निकाल लिया और फिर से उसका हाथ पकड़ने लगा.
वो छुडा़ने लगी.

मैं बोला- यार पकड़ ले ना, मेरा ही है ये. मैं खुद बोल रहा हूं पकड़ने के लिए. ऊपर से पकड़ने में क्या हो रहा है तुझे?
फिर मैंने उसके हाथ में लंड पकड़ा दिया और उसने अबकी बार हाथ नहीं हटाया.

उसने लंड हाथ में लिया तो मेरे मुंह से आह्ह … करके सिसकारी निकली.
मैं बोला- आज तेरे हाथ को ही चूत बना लेता हूं. इसको मुट्ठी में भींच कर इसकी चमड़ी को ऊपर नीचे कर।
मौनी बिना कुछ बोले वैसे ही करने लगी.

मैंने उसके शर्ट के अंदर हाथ डाल लिये और उसकी चूची दबाने लगा.
कुछ देर तक हम दोनों मजे लेते रहे और फिर वो बोली- मेरा हाथ दुखने लगा है अब. काफी टाइम हो गया. मां भी उठ जायेगी.

मैं बोला- बस थोड़ी देर और कर दे. तेजी से कर जल्दी-जल्दी.
मौनी जल्दी-जल्दी मेरे लंड की मुठ मारने लगी और मैं उसके होंठों को कसकर चूसने लगा.
वो भी मेरे होंठों को काट रही थी.
बहुत मजा आ रहा था.

अब मैं सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा.
मौनी सी … सी … करने लगी.

मैंने अपने चूतड़ नीचे टिका दिये और टांगें खोल लीं.
फिर मैंने उसकी सलवार में हाथ घुसा लिया और उसकी चूत में उंगली दे दी.
उसकी चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी.

मैं बोला- एक बार चूस भी दे डार्लिंग?
वो मना करने लगी.

मैं फिर से रिक्वेस्ट करने लगा तो उसने मेरे लंड का सुपारा मुंह में ले लिया. मगर एक दो बार जीभ लगाने के बाद उसने दोबारा से निकाल भी दिया.

मैंने उससे कहा कि वो ऐसे ही हिलाती रहे.

उसकी चूत में मैं उंगली करता रहा. उंगली बस थोड़ी ही अंदर जा पा रही थी.
मैं ज्यादा अंदर घुसाने की कोशिश करता तो उसको दर्द होने लग जाता था.

फिर इतने में ही उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
मेरा लंड भी अब पिचकारी मारने वाला था.
जैसे ही लंड पिचकारी मारने लगा तो मैंने मौनी के होंठों पर होंठ लगा दिये और उसके होंठों का रस पीने लगा.

मेरा वीर्य निकल चुका था.

थोड़ी देर में हम अलग हुए और मौनी के हाथ पर लंड का माल लग गया था.
कुछ तो उसने दीवार पर पौंछ दिया और कुछ नीचे छत पर.

फिर वो उठ गई।
मौनी बोली- जाओ अब … कही मेरी माँ न उठ जाए!
वो अपनी छत पर चली गई।

मैं भी उठा और लंड को अंडरवियर में डाला और जो माल छत पर गिरा था उसे पैर से रगड़ दिया और फिर अपने कमरे में आकर सो गया।

फिर हम रोज तो नहीं लेकिन दूसरे या तीसरे दिन छत पर मिलने लगे.

मौनी अब आराम से लंड चूसने लगी थी.

एक रात 11 बजे उसका फोन आया और उसने मुझे सीधा अपने बाथरूम में आने को कहा.

मैं बोला- बावली हो गयी क्या? पकड़े गये तो पता है ना क्या होगा?
वो बोली- कुछ नहीं होगा. तू आ जा बस!
मैं बोला- ठीक है, आता हूं.

फोन काट कर मैं पीछे के रास्ते से नीचे गया और भैंसों वाले कमरे की छत से होता हुआ ऊपर चढ़ा.

मौनी अपने रूम के सामने ही खड़ी हुई थी. अंदर उसकी मां सो रही थी.

उसने मुझे बाथरूम में जाने का इशारा किया. मेरे मन में कुछ डर भी था और हवस भी.
मैं धीरे से उनकी छत पर कूद कर उनके बाथरूम में जा घुसा.

मौनी कमरे के आगे ही खड़ी रही ताकि देख सके कि कोई और देख न रहा हो.

फिर उसने अपनी मां की ओर देखा और धीरे से दरवाजा ढाल कर खुद भी बाथरूम में आ घुसी.

आते ही हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर होंठों को किस करने लगे.

कुछ देर बाद मैं बोला- तेरी मां उठ गयी तो?
वो बोली- मां दूसरे तीसरे दिन नींद की गोली लेकर सोती है. आज उसने गोली खा रखी है और वो नहीं उठेगी.

मैं बोला- फिर तो आज तुझे अलग ही मजा दूंगा.
वो बोली- कैसे?
मैंने कहा- बस तुम देखती जाओ.

उसके बाद मैं उसके शर्ट को उतारने लगा.
मगर उसने रोक लिया.

मैं बोला- ऊपर से ही करना है. तुम ऊपर के लिए मना नहीं कर सकती.
उसके बाद मैंने सूट निकाला तो उसने अपनी चूचियों को दोनों हाथों से ढक लिया.

मैंने उसके दोनों हाथ हटाये और उसकी चूचियों को देखा.
फिर झुककर उसकी एक चूची को मुंह में ले लिया.

मौनी की सीत्कार निकल गयी. अब मैं बारी बारी दोनों चूचियों को चूसने लगा.
वो धीमे धीमे मेरे सिर पर हाथ फेरने लगी.

उसके बाद मैंने चूची छोड़ी और अपना कच्छा नीचे करके खड़ा हो गया और उससे कहा- मेरा लंड चूस अब।

मौनी घुटनों पर बैठ गयी और लंड को मुंह में लेने लगी.
लंड उसके गले में लगने लगा.
उसने कोशिश करते हुए पूरा लिया लेकिन ज्यादा अच्छा नहीं कर पाई.

फिर मैंने उसको उठने के लिए कहा.
खड़ी करने के बाद मैं उसकी सलवार का नाड़ा खोलने लगा.
वो मेरी ओर उत्सुकता से देख रही थी. उसने कोई विरोध नहीं किया और मैंने मौनी को पूरी नंगी कर दिया.

उनका बाथरूम काफी बड़ा था.

अंदर उसने पहले से ही चटाई लाकर रखी हुई थी.
वो पूरे प्लान के साथ थी आज.

मैंने कहा- मैं नीचे चटाई पर लेट रहा हूं. तुम अपना मुंह मेरे लंड की तरफ करना और अपनी चूत मेरे मुंह की ओर करना. दोनों एक दूसरे को चूसेंगे.

वो बोली- पागल है क्या?
मैं बोला- पागल नहीं हूं, सही कह रहा हूं. एक बार करके तो देख, मजा आयेगा.

मैं लेट गया और मौनी ने चूत मेरे मुँह के पास कर दी.
अपनी जीभ निकाल कर मैं चूत पर फिराने लगा.
मौनी ने भी लंड को मुँह में ले लिया.

हमें बहुत मजा आ रहा था. गांव की देसी लड़की हो तो चूत चाटने और लंड चुसवाने का मजा डबल हो जाता है.

मौनी की चूत पानी छोड़ने लगी.
चूत का पानी पीना और चूत चाटना मेरी बहुत बड़ी कमजोरी है.
मैंने उसकी चूत का सारा रस पी लिया.

फिर मौनी का बदन ढीला सा पड़ गया.
वो खड़ी हो गयी.

मैं उसके बदन से लिपट गया और अपना लंड उसकी चूत पर लगाकर उसकी गर्दन और आस पास के एरिया में चूमने लगा.
वो मुझे बांहों में लेकर मेरी गर्दन पर किस करने लगी.

अभी मेरा तो छूटा नहीं था इसलिए जोश ऐसा था कि मौनी की चूत के चिथड़े उड़ा दूं मगर मैं मौके की नजाकत को जानता था. अगर जल्दबाजी करता तो शायद वो अगली बार चूत न देती.

कुछ देर के बाद वो खुद मेरे लंड को पकड़ने लगी.
फिर जब उससे रहा न गया तो बोली- मेरा बहुत मन कर रहा है, एक बार अंदर लेने का ट्राई करके देखूं?

मैं बोला- क्या कह रही हो? अगर तुझे बच्चा हो गया तो?
वो बोली- एक बार में क्या बच्चा होगा, तुम इतना कर रहे हो मेरे लिये, मैं भी तुम्हें थोड़ा मजा देना चाहती हूं.

इतना बोलकर वो नीचे जा लेटी.

अब जब सामने चूत लेटी हो और लंड डालने की कह रही हो तो कौन चूतिया मना करेगा!
मैं झट से उसके ऊपर आ गया.

मौनी ने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसको अपनी चूत पर घिसाने लगी.
जब भी मेरे लंड का सुपारा उसकी चूत पर रगड़ खाता तो वो लम्बी लम्बी सांसें लेने लगती.

मैं भी लंड को चूत पर रगड़ता रहा.

ऐेसे करते करते वो पागल सी होने लगी और मुझे नोंचने काटने लगी.
फिर जब बात उसकी बर्दाश्त के बाहर हो गयी तो बोली- कर दे न इब? इब के सोचै है, मन्ने कह तो दी!

अब उसको तड़पाने की बारी मेरी थी.
मैं बोला- ये काम यहां नहीं हो सकता है, बाहर करना पड़ेगा.
मैं जानता था कि अभी मैंने लंड डाला तो ये चीखेगी और हम जरूर पकड़े जायेंगे.
वो बोली- बाहर कहां? अभी कर दो, इसकी तड़प मिटा दो.

इस पर मैं बोला- रोहतक जाओ तो बताना, वहां करेंगे. ऐसा मजा दूंगा कि सारी तड़प मिट जायेगी इसकी.
वो बोली- ठीक है, तो फिर ऐसे ही रगड़ते रहो अपने लंड को, मजा आ रहा है.

फिर मैं उसकी चूत पर लंड को रगड़ता रहा.
मेरा भी छूटने वाला था.

फिर दो मिनट के बाद मेरे लंड ने वीर्य छोड़ दिया और सारा माल उसकी चूत पर फैल गया.
हम दोनों उठे और उसने चूत को साफ कर लिया.

फिर हम दोनों किस करने लगे.
जब किस करके हटे तो उसने मुझे आई लव यू बोला.

मैं भी मुस्करा दिया और मैंने भी अपना कच्छा पहन लिया.

वो बोली- अब काफी देर हो गयी है. हमें चलना चाहिए. मैं जब रोहतक जाऊंगी तो जरूर बताऊंगी. अब तुम यहीं रुको, पहले मैं मां को देखकर आती हूं. कहीं वो जाग न रही हो!

वो बाहर निकल कर कमरे के दरवाजे पर खड़ी हो गयी.
फिर उसने हाथ से बाहर आने का इशारा किया.
मैं निकला और चुपके से दीवार कूद कर अपने रूम में जा घुसा.

अगली सुबह उसका फोन आया कि मुझे ‘वो’ (पोर्न) वाली फिल्म देखनी हैं तेरे फोन में. निकाल कर दे जा मुझे.
फिर मैं मौका देखकर उसको ब्लू फिल्म चलाकर अपना फोन दे आया.

आधे घंटे के बाद वो फोन वापस देकर चली गयी.

फिर फोन करके बोली- तू बस कर दे अब, अब मैं तेरा लेना चाहती हूं. तूने पता नहीं क्या जादू कर दिया है.
मैं बोला- दे दूंगा मेरी जान, तू टाइम तो निकाल, जिन्दगी का असली मजा चुदाई में ही है.

वो बोली- ठीक है, शायद कल मैं मां के साथ दवाई दिलाने जाऊंगी. मैं शाम तक तेरे को बता दूंगी.
मैं बोला- ठीक है. तो फिर पूरा मजा करेंगे. तू टाइम से बता दियो.

उस दिन शाम को उसने ये निश्चित कर दिया कि वो कल जा रही है अपनी मां के साथ.
उसी वक्त मेरा लंड खड़ा हो गया.
अब मैं अगले दिन का इंतजार करने लगा.

सुबह 10 बजे वो तैयार होकर मुझे इशारा करके चली गयी.

उसके जाने के बाद सबसे पहले मैंने मुठ मारी. मुठ पहले ही मार लेने से चुदाई के टाइम माल जल्दी नहीं निकलता.
मैं मौनी की चूत की पहली चुदाई का पूरा मजा लेना चाहता था.

उसके बाद मैं नहाया और मैंने लंड की सरसों के तेल से मालिश की.

फिर मैं तैयार हुआ और बाइक उठाकर रोहतक मेडीकल के पास जा पहुंचा.
12 बजे के करीब मौनी ने कॉल किया और पूछा- कित है?? (कहां है)
मैं बोला- यहीं पास के पार्क में बैठा हूं. बता कहां आना है?

मौनी बोली- मैं मेडीकल के मोड़ प आऊं हूं. मां न कह कै आई हूं के तेरा नम्बर आवगा इतनै कुछ सामान ले आऊं.
मैं बोला- मोड़ की तरफ सीधी आ जा. मैं रास्ते में हूं और तेरी तरफ आऊं हूं बाइक लेकर।

कुछ ही दूरी पर मौनी मुझे मिल गई और मैं उसको बाइक पर बिठाकर होटल में ले गया.
वहां पर मैंने कमरा लिया और जाते ही उसको बेड पर लिटा दिया.

हम दोनों के पास समय कम था इसलिए बिना देरी किये किस करने लगे. उसके बाद मैं उठा और मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिये. अब मौनी को नंगी करने की बारी थी.

मैंने मौनी को बांहों में भर लिया. उसका सूट ऊपर उठा कर उसकी बांहों से निकाल दिया.
आज उसने ब्रा पहनी हुई थी.
मैंने पीछे खड़ा होकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया.
फिर गांड पर लंड लगाए हुए ही उसकी चूचियों को दबाने लगा.

फिर मैंने नीचे हाथ ले जाकर मौनी की सलवार का नाड़ा खोल दिया. सलवार उसके पैरों में आ गयी.
अब उसकी पैंटी की बारी थी.

मौनी की गांड अब नंगी थी. मेरा लंड उसके चूतड़ों की दरार में था. अब उसने पैरों से सलवार भी निकाल दी.

अब मैंने उसको उठाया और बेड पर लिटा लिया. हम दोनों एक दूसरे को फिर से किस करने लगे. फिर मैं नीचे की ओर आकर उसकी चूचियों को पीने लगा. उसकी चूची के निप्पल को चूसने लगा. बारी बारी से दोनों निप्पल चूसे.

उसके पेट पर किस करता हुआ उसकी चूत तक पहुंच गया.
मैंने उसकी चूत पर मुंह लगाया और उसको चाटने लगा.
फिर हाथों को आगे ले जाकर उसकी चूचियों पर दबाने लगा.

अब मेरा मुंह उसकी चूत को चाट रहा था और मेरे हाथ ऊपर की ओर उसकी चूचियों को दबा रहे थे.
मेरी जीभ उसकी चूत में अंदर बाहर हो रही थी.

और वो सिसकारने लगी थी- आह्ह … मार दी कती … आईई … आह्ह … रुक जा … आह्ह … स्स्स … मरगी मां … आह्ह … राज … चूस ले … आह्ह मजा आवै है … ओह्ह … चाटता रह।
मौनी पूरी गर्म हो चुकी थी. वो सिर को इधर उधर पटकने लगी थी.

कुछ ही देर में उसका बदन अकड़ गया और उसकी चूत का पानी निकल गया. मैंने वो सारा पानी पी लिया.

अब उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और आगे पीछे करने लगी.
मैं उसके निप्पलों को मींझ रहा था. उसने फिर से मुंह खोल दिया और हमारे होंठ फिर से जुड़ गये.

उसने मुझे बांहों में जकड़ लिया और मेरे लंड को अपनी चूत पर घिसाने लगी.
मैं बोला- लौड़े को चूस कर गीला कर दे एक बार।

वो उठ कर बैठ गयी और मेरे लंड को चूसने लगी.
मुझे मजा आने लगा.

काफी देर तक मैंने लंड चुसवाया और फिर उसको लेटने के लिए कहा.

वो लेटी तो मैं उसके ऊपर आ गया.

उसके होंठों को चूसते हुए अब और मजा आ रहा था.
उसने मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत पर रखवा लिया.

मेरा लंड ठीक उसकी चूत के मुंह पर लगा था और वो उसको अंदर लेने के लिए चूत का दबाव उस पर डालने लगी.

मैंने अब देर करना ठीक नहीं समझा और मौनी के होंठों को अपने होंठों में कैद कर लिया.

अपने लंड का दबाव मैंने उसकी चूत पर दिया तो लंड फिसल गया.
मैंने फिर से सुपारा उसकी चूत के मुंह पर टिकाया.

अबकी बार दबाव देते ही सुपारा थोड़ा अंदर चला गया.
उसके चेहरे पर दर्द के भाव आ गये.

अब मैंने झटका दिया और 3 इंच तक लंड अंदर चला गया.
इससे मौनी की आंखें बाहर आ गयीं.
वो मुझे अपने ऊपर से धकेलने लगी.

मगर मैंने एक और धक्का लगाया. पूरा लंड मौनी की चूत में जा घुसा.
वो एकदम से सन्न हो गयी.

कुछ देर मैं उसके ऊपर लेट कर चिपका रहा और उसको सहलाता रहा.
फिर उसको किस करने लगा.

मैं उससे बोला- बस जो दर्द होना था वो हो चुका. अब दर्द नहीं होगा बल्कि मजा ही मजा बचा है.

मैं उसके होंठों को चूसने लगा तो वो कुछ देर में बिल्कुल नॉर्मल हो गयी.

फिर मैंने धीरे धीरे लंड को उसकी चूत में आगे पीछे हिलाना शुरू किया.
लंड सरका तो उसके मुंह से दर्द भरी आवाज निकली- हाय मर गयी!
उसको चुप कराते हुए मैं बोला- कुछ नहीं होगा.

उसके बाद मैं हल्के हल्के झटके लगाने लगा.
थोड़ी देर के बाद उसको चुदते हुए अच्छा लगने लगा.
वो भी मेरा साथ देने लगी.

फिर तो उसके मुंह से आनंद की सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह … और करो … आह्ह … मजा आ रहा है … और करो।
कुछ ही देर में वो झड़ भी गयी.

मगर मैं अभी नहीं झड़ा था.
वो बोली- बस बाहर निकाल लो. अब दर्द हो रहा है.

मैं बोला- मगर मेरा नहीं हुआ है अभी.
वो बोली- मैं निकाल दूंगी तुम्हारा लेकिन अंदर कुछ नहीं गिराना है.
मैंने लंड को बाहर निकाल लिया.

मेरे लंड पर उसकी चूत का खून लगा था जो सील टूटने से निकला था.

वो बोली- धोकर आओ इसे पहले.
मैं लंड को धोकर आ गया.
वो बोली- मैं मुंह में निकाल लूंगी तुम्हारा. मेरा पीने का मन कर रहा है. कल मैंने ब्लू फिल्म में देखा था एक लड़की को पीते हुए. मुझे भी पीना है.

मैं लेट गया और मौनी मेरे लंड को चूसने लगी.
कभी वो मुठ मारने लगती और कभी फिर से चूसने लगती.

इस तरह से उसने पांच मिनट के बाद मेरा वीर्य अपने मुंह में ही निकलवा लिया और उसको पी गयी.

फिर मैंने उससे पूछा- इतना सब कैसे पता चला तेरे को सेक्स के बारे में? खून देखकर डर नहीं लगा तुझे?
वो बोली- मैं और मेरी सहेली ने बहुत सारी फिल्म देखी हैं नंगी वाली. हमें सब पता है कि पहली बार में क्या क्या होता है.

उसके बाद वो बोली- चलो एक साथ मिलकर नहाएंगे.
फिर हम साथ में नहाये.

नहाने के बाद तैयार हो गये.
मौनी की चाल अब बदल गयी थी.

उसके बाद हम होटल से बाहर आ गये. मैंने उसको रोहतक मेडीकल के पास छोड़ दिया.

इस तरह से ना-ना करते करते मेरी पड़ोसन लड़की ने अपनी चूत चुदवा ही ली.
मुझे भी उसकी कुंवारी चूत चोदने में पूरा मजा आया.
पूरी कसी हुई टाइट चूत थी.

दोस्तो, इस गाँव की लड़की चुदाई स्टोरी के बारे में आपके मन में कोई सवाल हों तो मुझे जरूर लिखें.
मगर किसी का नम्बर न मांगें और न ही पता पूछें. अच्छे दोस्तों का स्वागत है. धन्यवाद।
मेरी ईमेल आईडी है
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