नयी नवेली पड़ोसन भाभी को चोदने की लालसा- 2

नयी नवेली पड़ोसन भाभी को चोदने की लालसा- 2


देसी भाभी न्यूड कहानी में पढ़ें कि मैं भाभी के घर होली खेलने गया तो मैंने भाभी की चूची पकड़ कर दबा दी. उसके बाद क्या हुआ? खुद पढ़ कर मजा लें.
दोस्तो, मैं यश एक बार फिर से अपनी पड़ोसन भाभी की चुदाई की कहानी में आपका स्वागत करता हूँ.
देसी भाभी न्यूड कहानी के पिछले भाग
नयी नवेली भाभी की चूत मारने की तमन्ना
में अब तक आपने पढ़ा था कि होली आने वाली थी तो मैंने भाभी के संग होली खेलने की बात कही थी, जिसे उन्होंने मुस्कुरा कर स्वीकार कर लिया था.
अब आगे देसी भाभी न्यूड कहानी:
होली वाले दिन मैं पहले तो अपने दोस्तों से मिला और उनको विश किया.
फिर जल्दी से घर वापस आ गया और गुलाल, रंग आदि सब लेकर भाभी जी के घर की तरफ चल पड़ा.
गली के और भी लड़के भाभी को रंग लगाने को मचल रहे थे.
मैंने देखा कि भाभी उनसे बारी बारी से हल्का सा टीका लगवा लेतीं … बस उससे ज्यादा कुछ नहीं.
पहले तो मुझे भी लगा कि एक टीका लगाने से क्या होगा.
मगर मैं गलत था. भाभी मेरा ही इंतजार कर रही थीं कि मैं कब आऊंगा.
मैं कुछ सोच कर वापस अपने घर में आ गया.
थोड़ी देर में मैं घर के बाहर आया, तो देखा कि सूरज भईया बाइक पर बैठकर कहीं जा रहे थे.
ये मेरे लिए अच्छा मौका था.

मैं भाभी के घर में गया, तो अंकल आंटी पकौड़े बना रहे थे.
मैंने दोनों को विश किया और पूछा- भाभी कहां हैं?
आंटी बोलीं- ऊपर गई है, अभी नीचे ही थी और बोल रही थी कि सब आ गए … बस यश ही नहीं आया.
मैं ये सुनकर खुश हो गया कि चलो भाभी को मेरा इंतजार है. मैं आंटी से कुछ पकौड़े लेकर ऊपर गया.
भाभी अपने रूम में थीं. उन्होंने जैसे ही मुझे देखा तो गुस्से से दूसरी तरफ मुँह करके खड़ी हो गईं.
मैंने कहा- भाभी पकौड़े खाओगी?
भाभी बोलीं- तुम्हीं खाओ पकौड़े … मुझे बात नहीं करनी तुमसे.
मैंने कहा- अच्छा जी, इतना गुस्सा?
अब मैंने अपने हाथों में गुलाल लिया और उनके दोनों गालों को कसके रगड़ना चालू कर दिया.
मैंने गालों पर गुलाल लगाने के बाद भाभी के पीछे से उनको कसके पकड़ लिया.
भाभी कुछ समझ ही नहीं पाईं.
मैंने फिर से भाभी के गालों को रगड़ना शुरू कर दिया.
भाभी पीछे की तरफ हो रही थीं, जिससे भाभी की मस्त गांड मेरे लंड से रगड़ने लगी.
मुझे मजा आ रहा था, ऐसा लग रहा था कि आज मजाक मजाक में ही मैं इनकी चुदाई कर दूंगा.
भाभी की गांड से रगड़ कर मेरा लंड भी अब टाइट हो रहा था.
मैंने भाभी को छोड़ा नहीं.
भाभी बोले जा रही थीं- यश, छोड़ो मुझे.
मैंने भी बोला- होली है जी, होली है … बुरा ना मानो होली है.
मैंने अब अपने हाथों को धीरे धीरे गुलाल उनकी गर्दन पर लगाना शुरू कर दिया, जिससे भाभी को अच्छा लगने लगा.
उनका मुझसे छूटने के मन अब कम होने लगा था और मेरे लंड की रगड़ उनको अपनी गांड अच्छी लगने लगी थी.
इसलिए जो विरोध वो पहले कर रही थीं, वैसा विरोध अब नहीं कर रही थीं. बस ऊपरी मन से बोले जा रही थीं- यश, छोड़ो ना … किसी ने देख लिया तो दिक्कत हो जाएगी.
मैंने कहा- होली है भाभी, कोई दिक्कत नहीं होगी.
जिस तरह से भाभी बोल रही थीं, मुझे भी लगा कि भाभी का भी मन है.
मैंने अपने हाथ भाभी की गर्दन से नीचे ले जाते हुए मोना भाभी के ब्लाउज़ के ऊपर से ही हल्का सहलाना शुरू ही किया था कि किसी की ऊपर आने की आवाज आ गई.
हम दोनों जल्दी से अलग हो गए.
मैंने देखा तो सूरज भईया थे.
मैं मन ही मन में कुढ़ रहा था कि सूरज भईया को अभी ही आना था, कुछ देर बाद आ जाते तो मेरा काम हो जाता.
भईया आते ही बोले- अरे यश तुम … हैप्पी होली.
फिर सूरज भईया भाभी को देख कर बोले- अरे वाह लगता है दोनों देवर भाभी होली के मजे ले रहे हैं.
मैं मन में बोला कि मजे ले तो रहा था मगर मजे लेने कहां दिया आपने.
फिर मैंने भाभी की तरफ देखा तो भाभी मुझसे अपनी नजरें चुरा रही थीं.
मैंने भी थोड़ी देर बात की और भैया को गुलाल लगा कर वापस अपने दोस्तों के पास होली खेलने चला गया.
होली खत्म होने के बाद भाभी और मेरी बातें भी कम होने लगी थीं.
मैं ही जानबूझ कर भाभी को देखता और नजरअंदाज कर देता था. बस चुपके से उनको देख लेता था.
एक हफ्ते से हम दोनों में कोई बात नहीं हो रही थी, बस कोई काम होता तो मैं वो करके वापस आ जाता था.
एक रात मैं मोबाइल में गेम खेल रहा था. उस समय कोई एक बज रहे होंगे.
मुझे मोबाइल में गेम खेलना और मूवी देखने बहुत पसंद है. रात में मैं बहुत देर तक जागता हूँ.
अब हुआ ये कि भाभी को मैं व्हाट्सएप पर ऑनलाइन दिख रहा होऊंगा क्योंकि नेट ऑन ही रहता है.
तभी एक मैसेज आया.
मैंने देखा तो मोना भाभी का मैसेज था. उसमें लिखा था- हैल्लो यश … क्या बात है तुम आजकल मुझसे ठीक से बातें नहीं कर रहे हो!
मैंने उनको मैसेज किया- नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं है. बस कुछ काम है तो टाइम नहीं मिलता.
मोना भाभी बोलीं- अच्छा जी, पहले भी तो काम होता था … तब तो तुम्हारे पास मेरे लिए टाइम होता था. अब क्यों नहीं है?
मैं कुछ नहीं बोला.
उनका दूसरा मैसेज आया- वो बात भूल जाओ, जो होली पर हुई थी. कोई बात नहीं है.
मैं यही तो सुनना चाहता था कि वो खुद बोलें कि कोई बात नहीं. मतलब अब मैं उनसे बात कर सकता था, पर मुझे देखना था कि होली वाले दिन जो भी हुआ था, उसका भाभी पर क्या असर हुआ था.
कुछ देर बात करने के बाद भाभी ने बताया कि मम्मी पापा कुछ दिन के लिए गांव जा रहे हैं. तुम दोपहर में आ जाया करना, नहीं तो मैं बोर हो जाउंगी.
मैंने कहा- ठीक है, आ जाऊंगा.
फिर भाभी बोलीं- मैं सोने जा रही हूँ … कल बात करते हैं.
मैंने कहा- ठीक है.
फिर मैं सोचने लगा कि अब तो मौका भी है. बस कैसे ना कैसे करके पूरी तरह से पक्का करना होगा.
ये ही सोचते सोचते ही मैं कब सो गया, पता नहीं चला.
सुबह उठा, तो आंटी अंकल आए मेरे घर हुए थे.
वो मुझे और घर में बोले- कुछ काम है, तो आज ही गांव जाना पड़ रहा है. मोना को और सूरज को देखना … और यश, अपनी भाभी का कोई सामान वगैरह लाना हो, तो ला देना.
मैंने कहा- ठीक है.
इतना बोलने के बाद वो सब चले गए. अब करीब 11 बजे होंगे, मैं ऊपर छत पर खड़ा था. इतने में भाभी की कॉल आई.
वो पूछने लगीं- यश कहां हो?
मैंने कहा- अभी तो छत पर हूँ.
फिर भाभी बोलीं- घर पर आना, कुछ काम है.
मैंने कहा- ठीक है … अभी आता हूं.
पांच मिनट बाद मैं भाभी के घर के बाहर गेट पर खड़ा था.
मैंने दरवाजे की घंटी बजाई तो भाभी की आवाज आई- गेट खुला है … आ जाओ और आते हुए कुंडी लगा देना.
मैं अन्दर आ गया और मेन गेट की कुंडी लगा दी.
मैंने आवाज दी- भाभी?
भाभी बोलीं- ऊपर आ जाओ … ऊपर हूँ मैं!
मैं जैसे ही ऊपर आया, भाभी रूम में नहीं थीं. मैंने फिर से आवाज लगाई- भाभी कहां हो?
तो बाथरूम से आवाज आई- तुम वहीं बैठो … में अभी आती हूँ नहा कर.
थोड़ी देर में भाभी ने फिर से आवाज लगाई- यश!
मैंने बोला- हां जी भाभी जी!
मोना भाभी बोलीं- यश जरा बेड पर मेरा पेटीकोट और ब्लाउज़ रखा है … दे दोगे मुझे!
मैंने कहा- ठीक है … लाता हूँ.
भाभी ने बाथरूम का दरवाजा खोला लेकिन मैंने अपना मुँह दूसरी तरफ किया हुआ था और भाभी को कपड़े देने लगा.
इतने में भाभी बोलीं- वाह जी, अब बड़ा शरीफ बन रहे हो. तुम पीछे मुड़ सकते हो … अभी मैंने कुछ कपड़े पहने हुए हैं.
मैंने पीछे मुड़ कर देखा. मैं सोच रहा था कि अभी भाभी ने पता नहीं क्या पहना होगा.
उन्होंने पानी से भीगा हुआ पेटीकोट अपने जिस्म पर कसा हुआ था. उसे ऊपर अपने मम्मों तक करके पहना हुआ था. नीचे उनकी गोरी गोरी टांगें दिख रही थीं.
अभी भी मेरे हाथों में उनके कपड़े थे. एक तरफ से उन्होंने पकड़े हुए थे और दूसरी तरफ से मैंने.
इतने में भाभी बोलीं- क्या हुआ … अभी भी नाराज हो?
मैं बोला- आपसे कोई कैसे नाराज हो सकता है.
मोना भाभी बोलीं- रहने दो … एक हफ्ते से बात तो कर नहीं रहे हो.
फिर मैंने बोला- आप तो नहा ली अकेले अकेले.
भाभी बोलीं- अकेले ही तो नहाते हैं.
मैंने कहा- ऐसा कुछ नहीं है. दो लोग एक साथ भी नहा सकते हैं.
इस बार मोना भाभी मजाक में ही बोली होंगी- अच्छा जी … तो अन्दर आ जाओ.
मैंने कहा- देख लो, आ गया तो दिक्कत न हो जाए आपको!
मोना भाभी बोलीं- आओ तो सही.
अब हो ये रहा था कि मोना भाभी के कपड़े जो मैंने और भाभी ने पकड़ रखे थे वो कभी भाभी खींच रही थीं, तो कभी मैं अपनी तरफ खींचता.
इतनी देर में मुझसे कपड़े हाथ से छूट गए और भाभी जल्दी से दरवाजे को बंद करने लगीं. मैंने भी जोर देते हुए दरवाजे को धक्का लगाया, तो दरवाजा खुल गया.
मैंने भी इस मौके को जाने नहीं दिया. मैंने जल्दी से अन्दर आकर दरवाजे को बंद कर दिया.
भाभी मजाक करते हुए अपने दोनों हाथों से मुझे रोकने लगीं.
मैंने भी एक हाथ से भाभी को पीछे किया और शॉवर को चालू कर दिया.
भाभी बोलने लगीं- ये क्या कर रहे हो … गीले हो जाओगे.
मैंने कहा- गीला ही तो होना है.
ये कह के मैंने भाभी के दोनों हाथों को दीवार से लगा दिया.
इतने में भाभी बोलीं- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- जो उस दिन नहीं हुआ था … वो आज करूंगा.
इतना बोलते ही मैं मोना भाभी की गर्दन पर जोर जोर से किस करने लगा.
भाभी अचानक से इस चीज़ को होने से रोक नहीं पाईं. वो बोलने लगीं- यश प्लीज़ रुको तो रुको भी यार.
मैंने उनको दोनों हाथों को जोर से पकड़ रखा था. अगले ही पल मैंने मोना भाभी का मुँह दीवार की तरफ कर दिया. भाभी अभी भी मुझसे छूटने की पूरी कोशिश कर रही थीं.
मैं एक हाथ से उनके चुचों को दबा रहा था तो दूसरे हाथ उनके पेटीकोट के ऊपर से ही उनकी चूत को सहला रहा था.
मोना भाभी मुझसे छूटने की कोशिश भी ऐसे कर रही थीं, जैसे उनके मन भी मुझसे छूटने का मन न हो.
वो मुझसे मजे लेने के मूड में दिख रही थीं. वो छूटने का ऊपर से दिखावा भर कर रही थीं और बोल रही थीं- यश छोड़ो मुझे … ये क्या कर रहे हो यार.
मैं भाभी की चूत को और जोर जोर से सहला रहा था, जिससे भाभी शांत हो रही थीं और गर्म हो रही थीं.
भाभी दबी जुबान से अब भी बोल रही थीं- यश … तुम रुको तो … एक मिनट रुको तो.
मैंने उनकी एक न सुनी. मैं अपने लंड को पजामे के ऊपर से ही उनकी गांड पर कसके दबाने लगा और पीछे से ही उनकी गर्दन, पीठ पर चूमने लगा.
मोना भाभी का विरोध एकदम कम हो गया था.
मैंने कुछ देर ऐसे ही किया. फिर भाभी को सीधा करके उनके होंठों पर अपने होंठों को लगा दिया.
मैं भाभी को जोर जोर से चूसने लगा.
अभी भी भाभी दिखावा करने के लिए आराम आराम से बोल रही थीं- यश कोई देख लेगा.
मैंने कहा- आज कोई नहीं है देखने वाला. भाभी आज मुझे मत रोको.
आज पहली बार मैंने मोना भाभी के होंठों का रस पीना शुरू किया था. इतने मुलायम, इतने रसीले होंठ थे भाभी के कि बस मन किए जा रहा था कि भाभी के होंठों का सारा रस पी जाऊं.
फिर मैंने पेटीकोट को थोड़ा ऊपर करके उनकी कमर को प्यार से सहलाने लगा.
एक साथ दो काम हो रहे थे. कमर को सहलाना और उनकी गर्दन पर जोर जोर से किस किये जा रहा था.
मोना भाभी गर्म होने लगी थीं और अब उनके मुँह से मादक सिस्कारियां निकल रही थीं- अअह … उहह!
भाभी ने जो पेटीकोट पहना था, वो उन्होंने अपने मम्मों के ऊपर चढ़ा कर पहना हुआ था. जिससे उनके चुचे भी ढके हुए थे और पैंटी भी.
मैंने नीचे से उनके पेटीकोट के अन्दर हाथ डाल दिया और उनके चुचों को सहलाने लगा. कभी कभी में भाभी के रसीले मम्मों को दबा भी रहा था.
अब मोना भाभी ने भी विरोध करना बंद कर दिया था. वो मादक आवाजों में ‘आह्ह्ह ऊओह्ह ..’ कर रही थीं.
अगले ही पल में मैंने मोना भाभी का पेटीकोट भी उतार दिया.
हम दोनों ही गीले हो गए थे.
मैंने देखा कि उन्होंने काले रंग की ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी.
साथियो, सेक्स कहानी में मजा आ रहा होगा. इस मस्त देसी भाभी न्यूड कहानी के अगले भाग में आपको भाभी की चुदाई की कहानी को पूरे रस से डुबो कर लिखूंगा. आप सब मुझे मेल करते रहें.
आपका यश हॉट शॉट
[email protected] देसी भाभी न्यूड कहानी का अगला भाग: नयी नवेली पड़ोसन भाभी को चोदने की लालसा- 3

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