हाय दोस्तो, मेरा नाम नवदीप सिंह है और मैं हरियाणा से हूँ, इस साईट पर मैंने कई देसी सेक्स स्टोरी पढ़ी हैं, जिसमें ये भी लिखा होता था कि कहानी पढ़ने के बाद लोगों ने उस पर कमेंट किए और जिनमें कई लेडीज भी थीं. तो मैं देखना चाहता हूँ कि क्या वाकयी कमेंट आते हैं या सिर्फ बातें ही हैं, यही सोच कर मैं भी अपनी सेक्स स्टोरी लिख रहा हूं, कमेंट जरूर करना क्योंकि फ़िर आपको एक लेखक और मिल जाएगा.
पहले थोड़ा अपने बारे में बता दूँ कि मैं एक स्मार्ट लड़का हूँ और मेरा नेचर शुरू से ही फ्लर्ट करने वाले जैसा रहा है, पर मुझे लड़कियों से ज्यादा मैरिड लेडीज में ही इंटरेस्ट है. मैं हमेशा लेडीज की तलाश में ही रहता हूँ कि एक अच्छी सी आइटम फंस जाए और लाइफ टाइम मेरे लंड के नीचे बनी रहे.
यह तलाश आज भी जारी है. वैसे तो कई आईं और कई गईं, पर मेरा भी उसूल है कि जो चीज मुझे पसंद ना हो, मैं उसे टच नहीं करता. स्कूल टाइम में क्लास में भी मैं 10-10 लड़कियां एक टाइम पर फंसा कर रखता था, पर वो मजा नहीं आता था, जो एक खेली खाई औरत को चोदने से आता था. खैर अपना-अपना टेस्ट है..
मेरी सोच शुरू से ये है कि 10 फंसाने से अच्छा, एक ढंग की फंसा लो.. और जगह जगह मुँह मारने से अच्छा है उसे ही सम्भाल कर रखो.
यह बात 2010 की है जब मैं एम सी ए कर रहा था, जिसकी कहानी है, उस लड़की का नाम सुमन है और वो मेरे कजन की गर्लफ्रेंड थी. वो मेरे पड़ोस में रहती थी, दिखने में वो एकदम हीरोइन काजोल जैसी है और उसका शरीर तो ऐसा मस्त था कि बस देखते ही जान निकाल लेती थी. उसके बड़े बड़े चूचे और भारी सी गांड, जिसे देखते ही लंड खड़ा हो जाता था. पर मेरी एक प्रोब्लम और थी कि हमारे दोनों परिवारों की अच्छी बनती थी, इसलिए मैं कुछ गलत नहीं करना चाहता था. वो भी साली मुझसे नहीं, मेरे कजन से सैट हो गई जो कि गांव में रहता था. गाँव में हमारा घर खेतों में है.
मेरी देसी सेक्स स्टोरी में टविस्ट कहां से आया.. उस पर चलता हूँ.
एक दिन मेरा कालेज का फ्रेंड मेरे घर आया और उसने उस माल को देखा.
उसने कहा कि क्या मस्त चीज है यार.
मैंने कहा- हां यार, पर हम कुछ नहीं कर सकते और फ़िर ये मेरे कजन से सैट है.
वो बोला- साले बाहर तो लड़कियां सैट करता फिरता है और तेरे घर के आगे से नदी बह रही है और तू डुबकी नहीं लगा रहा.
मैंने कहा- ये मेरे कजन की…
पर तो वो बात काटते हुए बोला कि साले जब तेरे में ही दम नहीं थी, तभी तो ये बाहर तो मुँह मारेगी ही ना!
वो बात मेरी ऐसे दिल पर लगी कि मैंने भी सोच लिया कि मैं एक बार इसे कह कर देख लेता हूँ, मान गई तो ठीक वर्ना अपना क्या जाता है.
फ़िर मैं एक दिन उसके डैडी से मिलने घर गया तो उनके घर कोई नहीं था. वो अकेली थी, मैंने सोचा कि मौका अच्छा है कह देता हूँ.
मैंने उसे सीधा कह दिया कि मैं तुझसे फ्रेंडशिप करना चाहता हूँ.
तो उसने मुझसे कहा कि अगर तूने दोबारा ऐसा कहा तो मैं तेरे को थप्पड़ लगा दूँगी.
मुझे उसकी बात पर बहुत गुस्सा आया कि आज तक ये बात मुझे किसी ने नहीं कही, इसकी क्या औकात!
मैंने फ़िर कहा- वैसे भी तो तू बाहर मुँह मार रही है, मुझसे ही कर ले, क्यों मेरी बाहर बेइज्जती करा रही है?
वो बोली- मैंने कहां मुँह मारा?
तो मैंने कहा कि मेरे कजन के साथ तेरा क्या चक्कर है?
वो बोली- मेरी किसी के साथ कुछ नहीं है.
मैं घर आ गया और मैंने सोचा कि इसकी थप्पड़ वाली बात का बदला लेना है और कैसे भी हो, अब इसे फंसाना ही है.
फ़िर मैंने अपने कजन से पूछा- तेरी उसके चलती साथ है क्या?
उसने भी मना कर दिया, मैंने कहा- सच बता दे, बाद में मुझे दोष मत धरियो.
उसने फ़िर मना कर दिया, मैंने सोचा कि अब रास्ता साफ़ है.
फ़िर मैंने एक प्लान बनाया.
कुछ टाइम बीतने के बाद जब बात ठंडी हो गई तो मैं उसके घर गया और उससे कहा कि मैं तुझसे तेरे घर के पीछे रात 10 बजे मिलना चाहता हूँ क्योंकि मेरी स्टडी पूरी हो गई है और मैं जॉब के लिए जा रहा हूँ. इसलिये लास्ट बार मिलना है.
उसने कहा- मैं नहीं आऊँगी.
मैंने कहा- मैं वेट करूँगा.
इतना कह कर मैं चला आया और वेट करने लगा कि कब 10 बजें.
मैं उसी जगह आ गया जहां उसे आने को बोला था. पूरे 10 बज गए, फिर 10:30 हो गए.. पर वो नहीं आई, मुझे बहुत दुख हुआ. पहले मैं इसे हल्के में ले रहा था क्योंकि जब पहले ही 5-7 फंसी हुई हों तो नई लड़की पर एक्सपेरिमेन्ट ही किया जाता है कि फंस गई तो ठीक, नहीं तो नहीं सही.
पर मुझे दुख उसकी थप्पड़ वाली बात का था, जिसका मुझे हर हाल में बदला लेना था.
अब बात इज्जत पर आ गई थी. यही सोचते सोचते 11:00 बज गए और वो मुझे आती हुई दिखी, तो मेरी जान में जान आ गई.
पर वो अपने घर के आगे आई और कहने लगी- जो कहना है जल्दी कहो.
मैंने कहा कि घर के पीछे आ.
तो वो कहती- नहीं.. यहीं बोलो.
मैंने सोचा कि जब यहां तक आ गई, तो पीछे भी आएगी, घर के आगे मेन गली थी और पीछे खेत थे. इसलिये मैं उसे पीछे ले जाना चाहता.
मैंने उससे कहा कि आना है तो आ.. वर्ना अन्दर जा.
यह कह कर मैं पीछे चला गया और वो भी पीछे आ गई.
कहती- बोलो क्या कहना है?
मैंने मन ही मन सोचा कि प्रपोज करना तो अब टाइम वेस्ट करना है, अगर मैं जबरदस्ती करूँ तो ही ठीक रहेगा क्योंकि ना तो ये शोर मचा सकती है और ना ही किसी को बता सकती है.
फ़िर मैंने सोचा कि चल पहले प्यार से पूछ लूँ, नहीं मानी तो फ़िर कर लूँगा.
उसने कहा- बोलो ना.
मैंने कहा कि दिल भर कर देखने तो दो.
वो बोली कि फ़ालतू की बात मत करो वर्ना मैं चली जाऊंगी.
मैंने कहा कि मैं कल जा रहा हूँ बस जाने से पहले तुझसे गले लगना चाहता हूँ.
वो कुछ नहीं बोली, मैंने मौका समझा और जल्दी से उसे बांहों में ले लिया.
वो सीधी खड़ी रही, कुछ ना बोली.
फ़िर मैंने उसे किस करने शुरू किए. वो अब भी कुछ नहीं बोली तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई. अब मैंने हाथ फेरना शुरू किया और जैसे ही मैंने हाथ उसके सूट में घुसाया, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.
वो बोली- तुम कहीं नहीं जाओगे कल..
ये कह कर वो दौड़ गई.
मैंने सोचा कि चलो जितना हुआ अच्छा हुआ.. ये सोच कर मैं घर आ गया और मुठ मार कर सो गया.
अगले दिन मुझे उसकी कजन ने प्रपोज कर दिया, पर मैंने उसे मना कर दिया क्योंकि एक तो मुझे वो पसंद नहीं थी और दूसरा उसको हां करने से ये चली जाती और बने बनाये काम की माँ चुद जाती.
फ़िर वो मुझे शाम को मिली, कहती कि आज रात को फ़िर आना.
यह कह कर वो हंस कर चली गई.
मैं खुशी के मारे उछल पड़ा.
फ़िर वो रात को 11 बजे आई और एक लंबी सी सिसकारी लेते हुए मेरे गले से लग गई.
मैंने कहा- क्या हुआ?
वो कुछ नहीं बोली, फ़िर काफ़ी देर बाद मुझे छोड़ती हुई बोली- तूने उसे ना क्यों कही?
मैंने कहा- मुझे सिर्फ तुम पसंद हो. जब खुद नम्बर बन रहे हों, तो पंप मारने में क्या जाता है.
कहती कि मैं तेरी सैटिंग किसी के साथ नहीं होने दूँगी.
मैंने कहा- क्यों?
तो कहती कि बस मुझे नहीं पता.
फ़िर मैं कुछ और बोलने लगा तो उसने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया और मुझे चूमने लगी. मेरा भी उस्ताद खड़ा हो गया और मैं भी उसे चूसने लगा.
काफ़ी देर चूसने के बाद मैंने उसका सूट ऊपर उठा दिया और उसकी व्हाइट ब्रा को भी खोल दिया, जिसमें से उसके चुचे बाहर आ गए.
आह.. क्या मस्त चुचे थे यारों..
फ़िर मैंने उन्हें दबा कर खूब चूसा. इसके बाद मैं आगे बढ़ा और उसकी सलवार में हाथ डालने लगा, तो उसने डालने नहीं दिया.
जो लौंडिया इतनी मुश्किल से फंसी हो, वो इतनी आसानी से थोड़ा ना चुद जाती.
मैं उसे अभी मना ही रहा था कि इतने में उसके घर वाले जाग गए और आवाज सी आई तो वो घर दौड़ गई, पर खुशी इस बात की थी कि शुरूआत तो हुई.
अगले दिन से नवरात्रि शुरू हो गईं और उसने मुझे मना कर दिया कि हम 9 दिन नहीं मिलेंगे. मैं मायूस सा हुआ, पर कहते हैं ना कि अपना हाथ जगन्नाथ, तो बस मुठ मार मार कर टाइम काटा.
उसके बाद दशहरा वाले दिन उसने मुझे इशारा मारा कि आ जा घर.. कोई नहीं है.
मैं भागा भागा गया और जाते ही उस पर टूट पड़ा और फ़िर दबा कर चूसा. पर साली दे आज भी नहीं रही थी. आज मैंने गुस्से में उसका नाड़ा तोड़ दिया और कहा कि आज खेल करके ही जाऊंगा.
थोड़ा ना नुकर के बाद वो मान गई. आज मैंने पहली बार उसकी चूत रानी के दर्शन किए, उसने बाल साफ़ नहीं किये थे. शायद उसे ये नहीं पता था कि अभी ही चुदाई का मौका मिल जाएगा.
उसके बाद मैंने उसकी चूत पर लंड रखा और जोर से झटका मारा, उसे दर्द हुआ, पर घर वालों के जल्दी आने के डर से उसने मुझे जल्दी करने को कहा.
मैंने उसे जल्दी जल्दी चोदा और निकल गया.
मैंने उससे कहा- जल्दी जल्दी में मजा नहीं आया.
वो ब्रा पहनती हुई बोली- पूरा मजा रात को दूँगी.
फ़िर मैं आ गया.
अब हमारा रोज रात को 11 बजे मिलने का टाइम फिक्स हो गया और हम रोज रात को मिल कर कई कई बार चुदाई करने लगे. फ़िर कुछ टाइम बाद मैं उसके घर जाने लगा. इधर मेरे घर में मेरा भी अलग रूम था और उसके घर में उसका भी अलग था. मैं नींद की गोलियां उसे देता और वो अपने घर वालों को दूध में दे देती थी.
सारी रात हमारी चुदाई का खेल चलता, ऐसे फ़िर मैंने उसे लगातार 3 साल तक हर स्टाइल में चोदा और इतना चोदा कि उसका पति उसे सारी उम्र नहीं चोद पाएगा.
फ़िर मेरी शादी हो गई तो वो बहुत रोई और कहती कि मैं तेरे बिना कैसे रहूँगी.
पर मैं तो रिश्ते लाइफ टाइम के लिए ही बनाता हूँ, मैंने कहा- मैं कौन सा तुझे छोड़ रहा हूँ. तू मेरी बनी रहेगी हमेशा!
फ़िर हमें जब भी मौका मिलता, हम मिलते रहे. यूं ही 3 साल गुजर गए.
अब उसकी भी शादी हो गई है और वो जब भी आती है, हम दोनों दबा कर चुदाई करते हैं.
मैंने कई बार उसे बताना चाहा कि मैंने तुझसे बदला लेने के चक्कर में फंसाया था, पर उसने मेरा इतना साथ दिया कि मैंने ये बात अपने मन में ही मार ली और उसे एहसास भी नहीं होने दिया.
इस दौरान वो 2 बार प्रेग्नेन्ट भी हुई. इतना साथ देने के बाद, मैं भी उसे खोना नहीं चाहता था. वो मुझे आज भी बहुत प्यार करती है और अपने पति से ज्यादा करती है. वो मेरी हर बात मानती है और सारी उम्र साथ रहने और चुदने को तैयार है, मेरे बुलाने पे मायके आ जाती है और खूब चुद कर जाती है.
अगर अंकल की तरफ़ से सोचता हूँ, तो मुझे लगता है कि मैंने बहुत गलत किया, अगर अपने बदले की तरफ़ देखूँ तो लगता है कि ठीक ही किया.
अब आप सब ही बताईए कि मैंने सही किया या गलत.. आप सबके रिप्लाइ का इंतजार रहेगा.
उसके बाद मैंने उसकी मामी को फंसाया और चोदा क्योंकि लेडीज में तो मुझे शुरू से ही बहुत इंटरेस्ट है और लेडीज की तलाश में तो मैं हरदम रहता हूँ. मामी की चुदाई की कहानी आपके कमेंट आने के बाद लिखूँगा, कमेंट करना ना भूलें.
मेरी देसी सेक्स स्टोरी में कुछ गलत लगा हो, तो उसके लिए माफ़ करना.
मेरी मेल आईडी है.
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धन्यवाद