दो लेक्चरर के बीच फंसी मेरी चूत और गांड


मुझे मेरे टीचर ने चोदा अपने घर में! मैं ट्यूशन पढ़ने जाती थी। वो टीचर अकेले रहते थे और मुझे छोड़ते थे. एक दिन उनका एक और टीचर भी था. दोनों ने मुझे आगे पीछे चोदा.
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नमस्कार दोस्तो, मैं हूं आपकी रजनी … आप सभी लौड़ों और चूतों को मेरी खुली चूत का प्यार भरा नमस्कार!
आपने मेरी पिछली कहानी
पार्टी की रात में टीचर और अंकल ने चोदा
को प्यार दिया उसके लिए आपका धन्यवाद।
बहुत से लोगों ने मुझे चोदने की इच्छा जाहिर की जो कि सम्भव नहीं है क्योंकि एक ही चूत सबके लन्ड तो ले नहीं सकती न? कोई कहीं से है और कोई कहीं से है।
और ना ही आप अपना लन्ड फेंककर इतनी दूर से चोद सकते हैं।
आज मैं आपके लिए मेरी नयी कहानी लेकर आयी हूं।
मेरे बारे में तो आप सब जानते ही हो। मैं चुदक्कड़ रजनी … मुम्बई वाली।
परीक्षा नजदीक थी तो मैं कॉलेज के बाद टीचर के पास ट्यूशन करने चली जाया करती थी।
शाम 8 से 10 बजे तक मेरी ट्यूशन रहती थी।
उस समय टीचर भानुप्रताप सिंह मुझे ट्यूशन करवाते थे।
उस टीचर ने चोदा मुझे!

वो यहां इस शहर में अकेले ही रहते थे। इस वजह से वो अपने घर का थोड़ा बहुत काम करवाते और उसके बाद मेरी जमकर चूत और गांड मारते थे।
फिर मुझे घर भेज देते थे।
शनिवार की रात को हमारा जमकर चुदाई करने का प्रोग्राम था और उस दिन भानुप्रताप सर ने अरविन्द सर को भी बुला लिया था।
तो उस रात मेरी ग्रुप में चुदाई होने वाली थी।
इसलिए मैंने घर पर बहाना बनाकर टीचर के पास ही रुकने के लिए बोल दिया था।
अरविन्द सर रात के 11 बजे के आसपास 2 कंडोम के पैकेट लेकर वहां आ गये।
फिर शुरू हुआ मेरी चूत और गांड का बाजा बजना।
भानुप्रताप सर ने अरविन्द से कहा- खाना खा लो तुम।
अरविन्द सर ने कहा- मैं खाना खाकर आया हूं, अब तो रजनी की चूत और गांड ही खानी है।
इतना कहकर दोनों टीचर जोर-जोर से हंसने लगे।
फिर अरविन्द सर मेरे पास आये और मेरी टीशर्ट उतार दी।
मैंने नीचे कुछ नहीं पहना था तो सर मेरे दोनों निप्पलों को पकड़ कर मसलने और काटने लगे।
मुझे दर्द होने लगा लेकिन मजा भी उतना ही आ रहा था।
फिर भानु सर ने आकर मेरी जीन्स में हाथ डालकर मेरी चूत के दाने को मसलना शुरू कर दिया।
अब ऊपर से मेरी चूचियों के निप्पल मरोड़े और काटे जा रहे थे और नीचे से मेरी चूत के दाने को रगड़ा जा रहा था।
मैं दो मर्दों के बीच में फंस गई थी और इसी उत्तेजना में मेरी चूत में गीलापन आने लगा था।
कुछ ही देर में मेरी चूत दोनों टीचरों की हरकतों से पानी-पानी हो गई थी।
करीब आधे घण्टे तक मेरी चूत और चूचियों को अच्छी तरह से मसलने, रगड़ने, चाटने और काटने के बाद सर ने मेरी जीन्स को पूरी ही उतार दिया।
अब उन्होंने मुझे नंगी कर लिया।
अब मैं दोनों सर के बीच में बिल्कुल नंगी खड़ी थी और वो दोनों मेरे शरीर को जमकर चूम-चाट रहे थे।
फिर अरविन्द सर ने अपनी पैण्ट खोलकर अपना 7 इंच का लन्ड मेरे मुंह में दे दिया।
मैं सर का लन्ड चूसने लगी।
इधर से भानु सर अपनी जीभ मेरी चूत में डाल कर मेरी चूत चाटने लगे।
अब मुझे बहुत मजा आने लगा; मैं पागल हो रही थी।
एक तरफ तो मेरे मुंह में लंड का स्वाद मिल रहा था और दूसरी ओर भानु सर की जीभ मेरी चूत में मचलती हुई मेरी चूत में मस्ती भर रही थी।
जीभ जितनी बार भी अंदर बाहर होती मेरी चूत में लंड लेने की प्यास बढ़ती चली जाती।
मैं लंड के लिए बहुत बेचैन हो गई थी।
एक लंड तो मेरे मुंह में था और मैं चाहती थी कि दूसरा लंड मेरी चूत में घुस जाए बस जल्दी!
तब मैंने कहा- सर अब मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रहीं हूं … अब मुझे चोद दो।
अरविन्द सर ने कहा- रुक अभी, हमें पूरा मजा तो लेने दे! कितने दिनों के बाद तेरी चूत मिल रही है आज!
ये कहकर अरविन्द सर ने अपना लन्ड मेरे मुंह से निकाल लिया और फिर भानु सर ने अपना लन्ड मेरे मुंह में डाल लिया।
इधर अरविन्द सर मेरी चूत चाटने लगे, भानु सर मेरे मुंह में लंड देकर मेरे मुंह को चोदने लगे।
सर ने मुझे लौड़ा चूसने की ऐसी आदत डाल रखी थी कि मैं लगातार कई घंटों तक लौड़े चूस सकती थी।
भानु सर का लंड मेरे मुंह में तेजी से अंदर बाहर हो रहा था।
मैं भी उसको अपनी होंठों को पकड़ से चूत वाली फीलिंग दे रही थी।
इधर उनकी जीभ ने मेरी चूत का बुरा हाल बना रखा था। एक बार तो भानु सर ने मेरा पानी निकलवा दिया था।
अब दूसरे सर ने भी जीभ से इतनी बार मेरी चूत चोदी कि वो बेचारी फिर से रो पड़ी।
मेरी चूत का रस दो बार खाली हो चुका था।
मगर दोनों में कोई भी टीचर रुकने का नाम नहीं ले रहा था।
दूसरी बार झड़ने के बाद अब मैं थोड़ी देर के लिए शांत हो गई थी।
मगर उन दोनों ने मेरी चूत और निप्पल चूस चूसकर मुझे फिर से गर्म कर दिया।
फिर अरविन्द सर बोले- मैं इसकी गांड मारता हूं और आप इसकी चूत मारो।
इतना कहकर भानुप्रताप सर बेड पर लेट गए।
उनका लंड तोप की तरह तना हुआ था।
उनके कहे बिना ही मैं उनकी जांघों के बीच में आकर बैठने लगी और लंड को चूत के मुंह पर रखकर नीचे होती चली गई।
मैंने सर के ऊपर चढ़कर उनका मूसल लन्ड अपनी चूत में डाल लिया।
एक लंड मेरी चूत में जा चुका था।
अरविन्द सर ने पीछे से मुझे आगे की ओर झुका दिया जिससे मेरी गांड सर के लंड सामने आ गई।
फिर अरविन्द सर ने मेरी गांड के छेद पर लंड टिकाया और घुसा डाला।
अब मेरी चूत और गांड एक साथ चुदने वाली थीं।
चूंकि मेरी गांड भानु सर ने पहले भी कई बार चोदी थी तो मेरी गांड को ज्यादा दिक्कत नहीं हुई।
उसने अरविन्द सर के लंड को अपने अंदर आराम से आने दिया और मेरी चुदाई शुरू हो गई।
उसके बाद मेरी चूत और गांड में दोनों सर के लन्ड तेज-तेज गति से चलने लगे।
कुछ शुरू के पलों में मुझे दर्द हुआ लेकिन फिर लंड ने अपना जादू दिखाना शुरू कर दिया और मुझे मजा ही मजा आने लगा।
मैं रंडियों की तरह नंगी उन दोनों के बीच में चुद रही थी।
मेरे मुंह से सिर्फ आहह …हाह्ह … आह्ह … जैसी आनंद भरी सिसकारियों की आवाजें आ रही थीं।
पूरा कमरा हम तीनों की सिसकारियों से गूंज रहा था।
मेरे मुंह से कुछे ऐसी आवाजें निकल रही थीं- आह्ह … सर चोदो … आह्ह … सर … बहुत मजा आ रहा है … आह्ह … ऊह्ह … आआई … आह्ह … और तेज सर … आह्ह … मुझे रंडी बना लो … मेरी चूत और गांड फाड़ डालो … आह्ह।
तब अरविन्द सर बोले- साली छिनाल … आज तेरी चूत और गांड इतनी अच्छे से चोदेंगे कि तू आज रात की चुदाई हमेशा याद रखेगी।
मैंने हांफते हुए कहा- आह्ह … आह्ह … हां सर … आज मेरी च … चूत और गांड फाड़ ही दो … आह्ह … बजा दो मुझे अच्छे से।
दोनों ही सर के लौड़े मेरे दोनों छेदों में तेजी से अंदर बाहर चल रहे थे।
मेरी चूत और गांड खिलकर भोसड़ा बनती जा रही थी।
चूत और गांड दोनों से पक् पक … पच-पच … चप-चप की आवाज आ रही थी।
काफी देर की चुदाई के बाद भानुप्रताप सर बोले- आहह … रजनी … मैं झड़ने वाला हूं।
इतना कहकर सर ने अपना वीर्य कंडोम में छोड़ दिया।
फिर अरविन्द सर ने मुझे घोड़ी बनाया और एक ही झटके में अपना पूरा घोड़े जैसा लन्ड मेरी चूत में डाल दिया।
मेरे मुंह से सिसकारी निकल गई, मैंने कहा- आह्ह सर … आराम से करो … मेरी चूत फ़टी जा रही है।
मेरी बात सुनकर सर ने अपनी गति थोड़ी धीमी की तो मुझे कुछ आराम आया।
मेरी चूत अब तक 2-3 बार पानी छोड़ चुकी थी मगर अरविन्द सर का लौड़ा पानी छोड़ने को तैयार ही नहीं था।
अरविन्द सर मेरी चूत को चोदने लगे।
मेरी चूत पहले से ही पानी छोड़ चुकी थी इसलिए मेरी चूत दुखने लगी थी।
मगर वो चोदते रहे और चोदते रहे।
चुदाई करवाते हुए ही मैं एक बार फिर से गर्म हुई।
मैं अपनी चूचियों को मसलने लगी, चूत के दाने को सहलाने लगी।
मुझे परेशान होते देख भानु सर ने मेरी चूत के दाने को रगड़ना शुरू कर दिया।
अरविन्द सर का लंड मेरी चूत में लगातार धक्के मार रहा था।
इतनी देर तक चुदने के बाद मैं बदहवासी की हालत में जाने लगी थी मगर चुदने में इतना मजा आ रहा था कि मैं हर हद पार करने के लिए तैयार थी।
अरविन्द सर लगातार मेरी चूत को पेलते रहे।
फिर उन्होंने मेरे बालों को पकड़ा और पीछे खींचते हुए अपने धक्कों की स्पीड दोगुनी तेज कर दी।
अब मेरी चूत की दीवारें ढहने लगीं।
इतने मोटे मूसल लंड के जोरदार धक्कों से मेरी चूत चरमराने लगी।
अरविन्द सर एकदम से सिसकारने लगे- आह्ह … रजनी … आह्ह … आह्ह … मेरी रंडी … मैं झड़ने वाला हूं … आह्ह … आह्ह!
फिर एकदम से उन्होंने लंड को बाहर खींच लिया और कंडोम उतार कर मेरी गांड पर अपना वीर्य छोड़ दिया।
वो हांफते हुए एक तरफ गिर गए और मैं भी हांफती हुई वहीं पर पसर गई।
मुझे टीचर ने चोदा और मेरी चूत और गांड का अच्छी तरह से बैंड बज गया था।
ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने दोनों हाथों से मेरी चूत और गांड को फाड़कर खोल दिया हो।
दोनों छेदों में जबरदस्त जलन हो रही थी।
कुछ देर के लिए सब शांत हो गया।
हमने कुछ देर आराम किया।
उसके बाद हल्का फुल्का खाना हुआ और फिर से वो दोनों मेरे जिस्म से खेलने लगे।
मैं उन दोनों के बीच में नंगी पड़ी थी।
मेरी चूत और गांड दोनों सूजी हुई थीं। मेरी चूचियों को मसले जाने से उनकी नसों में उतरा खून उन्हें अभी भी लाल ही दिखा रहा था।
मगर दोनों सर को मेरे कराह रहे जिस्म से कोई मतलब नहीं था।
वो फिर से मुझे सहलाने और चूसने लगे।
कभी मेरी गांड में उंगली डालकर हिलाते तो कभी चूत में हाथ देने की कोशिश करते।
मैं उनके इस वहशीपन का मजा ले रही थी।
इतनी कामुक चुदाई का भी अपना ही एक मजा होता है।
दर्द भले ही जान निकाल ले लेकिन जो मजा मिलता है वो भी किसी ईनाम से कम नहीं।
तभी अरविन्द सर रसोई से खीरा लेकर आए और उस पर वैसलीन लगाकर मेरी चूत में देने लगे।
मैं पहले से ही दो मोटे मोटे लौड़ों से एक घंटे तक चुद चुकी थी इसलिए मेरी चूत में वो खीरा आसानी से अंदर फिट हो गया।
फिर वो मेरी जांघों को फैलाकर मेरी चूत में खीरे को अंदर बाहर करने लगे।
दोस्तो, क्या बताऊं … जब वो खीरा मेरी चूत में मुझे अंदर बाहर होता हुआ दिख रहा था तो मुझे बहुत सेक्स चढ़ रहा था।
खीरे की ठंडक और उसका मोटापन और उसकी रगड़ मेरी चूत को बहुत सुखद अहसास दे रहे थे।
मैं खीरा लेते लेते लंड के लिए तड़प उठी, अब मुझे फिर से लंड चाहिए था।
मुझे गर्म करने के बाद दोनों सर ने 2 बार और मेरी जमकर चूत और गांड फाड़ी।
फिर अरविन्द सर बोले- रजनी … आज तो बहुत दिनों बाद तेरी चूत मारी; मजा आ गया।
इसके बाद हम तीनों वहीं नंगे ही एक दूसरे से लिपटकर सो गये।
रात को सोते हुए भी जब कभी उनमें से किसी की नींद खुलती तो वो मेरी चूचियों को भींच देते थे। कभी मेरी चूत में उंगली जाने से मैं उठ जाती थी तो कभी मेरे चेहरे पर लंड के जाने के अहसास से जाग रही थी।
रातभर मेरे नंगे जिस्म को वो दोनों छेड़ते रहे मगर मुझे बहुत मजा आया।
उसके बाद की कहानी मैं आपको फिर कभी बताऊंगी।
तो दोस्तो, इस तरह से मुझे मेरे टीचर ने चोदा।
आपको मेरी ये गांड और चूत फाड़ सेक्स स्टोरी कैसी लगी मुझे बताना जरूर!
मुझे ईमेल करें और कमेंट्स में भी अपनी राय देना न भूलें।
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