वासना की Xx हिंदी सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे मुझे एक के बाद एक एक लड़की मिलती रही और मेरी वासना पूर्ण निगाहें उन लड़कियों के जिस्म को कुरेदती रही.
दोस्तो,
आपने मेरी कहानी
डॉक्टर साक्षी नहीं सेक्सी डॉक्टर
पढ़ी होगी.
अगर नहीं पढ़ी तो अवश्य पढ़ें. तभी आप इस वासना की Xx हिंदी सेक्स कहानी का पूरा मजा ले पायेंगे.
साक्षी के यहां से निकलकर मैं अपने दोस्त के घर पहुंचा तो वहां पर सिर्फ उसका भाई गौरव ही मिला.
आंटी कहीं नहीं दिख रही थीं.
मैंने गौरव से पूछा, तब उसने बताया कि आंटी और संजीव ग्वालियर गए हुए हैं.
खैर … मैं बाइक की चाबी लेकर वहां से निकल लिया.
उंगली में लगी चोट के कारण बाइक चलाने में दर्द हो रहा था, आस पास कोई मेडिकल शॉप नहीं दिखी.
करीब 2 किलोमीटर बाद एक नर्सिंग होम दिखा तो मैंने बाइक रोकी और नर्सिंग होम के अन्दर जाकर रिशेप्शन पर पूछा- क्या यहां पर वाटर प्रूफ ड्रेसिंग हो सकती है?
उसने मुझे बताया- हो जाएगी. बेसमेंट में ड्रेसिंग रूम है, आप वहां चले जाइए.
उसने इशारे से बेसमेंट में जाने का रास्ता बताया.
उसे थैंक्यू बोल कर मैं बेसमेंट में बने ड्रेसिंग रूम में पहुंचा लेकिन वहां कोई नहीं था.
मैं वापस ऊपर जाने लगा तो एक नर्स सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी.
उतरते हुए उसने पूछा- क्या आप ही ड्रेसिंग करवाने के लिए पूछ रहे थे?
मैंने उंगली दिखाते हुए कहा कि जी हां, मुझे ही ड्रेसिंग करवानी है.
सीढ़िया उतरते हुए मैंने उसको ध्यान से देखा. गुलाबी टॉप, ब्लू जीन्स, सफेद डॉक्टर कोट पहने हुए, उम्र लगभग 22 से 24 के बीच की थी और मुझे उसकी हाइट 5 फुट 6 इंच से ऊपर लगी.
इकहरा बदन, त्वचा का रंग शुद्ध भारतीय गेहुआं गोरा.
वो नीचे आई, तब उसकी छाती पर नाम लगी प्लेट को देख कर उसका नाम जाना.
क्षितिजा … बेहद यूनिक नाम.
तभी उसने मुझसे ड्रेसिंग रूम में अन्दर चलने के लिए बोला.
मैं अन्दर गया और वहां रखे स्टूल पर बैठ गया.
मैंने उसे उंगली दिखा कर बताया कि काफी दर्द है.
वो कैंची लेकर पट्टी काटने लगी तो मैंने उसे ध्यान से देखा.
दमकते हुए चेहरे पर धनुषाकार की भरी हुई भवें, चमकती हुई आंखें, खूबसूरत नाक, उसमें पहना हुआ छोटा सा रिंग, पतले गुलाबी होंठ और उन पर ग्लोइंग लिपस्टिक. आधे दिल की आकार के कान और उनमें छोटी छोटी बालियां, लंबी गर्दन और उसमें एक पतली चैन.
उसने बोला- ये शायद फ़्रेश ड्रेसिंग खोली है मैंने?
मैं बोला- जी बिल्कुल सही बोला आपने. बाइक चलाते हुए बहुत दर्द हो रहा था और मुझे घर पहुंच कर नहाना भी है. ये पट्टी भीग जाएगी इसलिए इसकी वॉटर प्रूफ ड्रेसिंग करवाने आया.
उसने पट्टी खोली, एंटीसेप्टिक से उंगली को अच्छी तरह से साफ किया और एक छोटी से शीशी सी इंजेक्शन में दवा भरी, फिर उस इंजेक्शन से सुई हटाई और वो सारी दवाई बूंद बूंद करके उंगली पर लगे घाव पर टपकाई. फिर दवा लगा कर पट्टी बांधी और पट्टी बांधने के बाद ऊपर से वाटर प्रूफ डॉक्टर टेप लगा कर बोली कि अब चाहे हाथ पर कितना भी पानी गिरे, पट्टी नहीं भीगेगी.
मैंने कहा- शुक्रिया.
फिर उसने पूछा- दर्द कम हुआ?
मैं बोला- हां अभी दर्द कम है.
वो बोली- अब आप चाहे इस उंगली को दबा कर भी देखें, ये 5-6 घंटे तक दर्द नहीं देगी. मैंने घाव को सुन्न करने वाली दवा भी लगा दी है.
मैं बोला- धन्यवाद क्षितिजा जी.
वो मुस्कुराई और बोली- थैंक्स आपको, क्योंकि आपने मेरा नाम बिल्कुल सही पढ़ा और स्पष्ट बोला.
फिर उसने मुझ से मेरा नाम पूछा, तो मैंने कहा- जी, मैं आमोद हूँ.
वो बोली- नाम अच्छा है आपका.
मैंने कहा- आपका नाम तो सर्वाधिक खूबसूरत और यूनिक है, बिल्कुल आप जैसा.
वो थोड़ी शर्माती हुई मुस्कुराई.
फिर मैंने पूछा- क्या आप मुझे उस दवा का नाम लिख कर दे सकती हो, जो आपने इंजेक्शन से डाली थी?
उसने सवाल करते हुए पूछा- क्या आप यहां पर दोबारा ड्रेसिंग करवाने नहीं आओगे?
मैंने कहा कि मुझे 3 दिन के लिए चंडीगढ़ जाना है, इसलिए दवा का नाम पूछा. कोई बात नहीं, वापस आकर आपसे मिलता हूँ.
उसने मेरी तरफ बड़ी अदा से मुस्कुराते हुए देखा, मैं उसकी अदा की नजर समझ गया और बोला- वापस आकर आपसे ड्रेसिंग करवाता हूँ.
मैंने पेमेंट के लिए पूछा, तो बोली- ऊपर रिशेप्शन पर जमा कर दीजिए.
मैं चलने लगा, तो अपने हाथ के इशारे से बाहर चलने का संकेत दिया और बोला- पहले आप.
वो बाहर निकली, उनके निकलने के बाद में बाहर आया और दोनों साथ सीढ़ियां चढ़ते हुए साथ में ऊपर चलने लगे.
मैं उसके सादगी भरे रूप यौवन का अपने नेत्रों से रसपान करके मदहोश हो गया था.
मैंने पेमेंट की और बाहर आकर साथ में खुली मेडिकल स्टोर पर गया.
वहां पर एक महिला थी. वो मस्त गदराये, हष्ट-पुष्ट शरीर वाली, बड़ी बड़ी चूचियों वाली थी. एकदम भरी हुई 36 साइज़ की सख्त चूचियां थीं उसकी.
मैंने उससे पूछा- क्या यहां पर कोई पुरूष नहीं है, मुझे कुछ सामान लेना है.
वो बोली- सर कुछ सामान पहुंचाने के लिए स्टाफ का लड़का है, वो अभी सामने वाले हॉस्पिटल में सामान देने गया है. आप मुझे बताइये क्या चाहिए आपको?
उस महिला को देखकर बताने में मैं झिझक रहा था, इसलिए कुछ बोल ही नहीं सका.
वो महिला फिर से बोली- सर, अगर आप बोलने में शर्मा रहे हैं, तो ये पेन लीजिये और लिख कर बता दीजिये.
ये तरीका मुझे सही लगा, मैंने कागज पर कन्डोम लिख कर दे दिया.
वो मुस्कुराई और अन्दर की रैक से कन्डोम लेने गई, रैक खोल कर उसने पूछा- फ्लेवर?
मैं घबराहट में अचानक से बोल पड़ा- केले वाला.
उसकी जोर से हंसी छूट गई.
फिर वो बोली- सर आपके केले तो नहीं हैं. अगर आप कहो तो सेब, अमरूद, पपीता, पान या चॉकलेट दे दूं?
मुझे कुछ नहीं सूझा, मैं चुप ही रहा.
उसने दोबारा कहा- या फिर संतरा चलेगा?
मैं बोला- जो आपको अच्छा लगे, वो दे दीजिए.
वो बोली- वैसे मुझे भी केला ही पसंद है और फिलहाल वो है नहीं.
उसके इस जवाब से मेरी झिझक खत्म हो गई, मैं बोला- अभी कोई भी चलेगा, बाद में आ जाऊंगा केले लेने!
उसने ओरेंज वाला 5 पीस का पैकेट दिया.
मैंने पैसे पूछे, उसने 60 रूपए कहा.
मैंने 200 का नोट दिया, उसने पैसे लिए और बेलेंस वापस करते हुए बोली- ये विजिटिंग कार्ड रखिये, आपको कभी केले की होम डिलीवरी चाहिए तो आर्डर कर दीजिएगा.
मैंने कार्ड देखकर उससे पूछा- इन दोनों नम्बर में से आपका कौन सा नंबर है? ऑर्डर किस नंबर पर करूं?
उसने कहा- जो नम्बर बैक साइड में नंबर लिखा है, आप उस पर कॉल करके आर्डर कर सकते हैं.
मैंने कार्ड पलट कर देखा तो कार्ड पीछे पेन से नंबर और उसका नाम लिखा था- उपासना.
मैंने अपना मोबाइल निकाला, नाम से नंबर सेव किया और उसके फ़ोन पर कॉल करके बोला- उपासना जी, जब केले आ जाए तो प्लीज मुझे सूचित कर देना, मैं आर्डर दे दूंगा. लेकिन पक्का आप उसी दिन होम डिलीवरी कर देंगी?
शायद वो मेरे कहने का अर्थ समझ गई और मुस्कान के साथ बोली- आप 100% निश्चिंत रहे, सामान की डिलीवरी में और क्वालिटी में आपको शिकायत का मौका नहीं मिलेगा.
मैंने कन्डोम का पैक लिया और वहां से बाहर निकल आया.
वापस बाइक स्टार्ट की और उर्वशी के फ्लैट पर पहुंचा.
मैंने उर्वशी को फ़ोन किया और बताया कि मैं पहुंच गया हूँ.
तो उर्वशी ने बोला- फ्लैट की चाबी ऊपर वाले फ्लोर पर रहने वाले मकान मालिक को दे कर आई हूँ, बाकी मैं वापस आकर बताऊंगी. तुम जाकर चाबी ले लो, मैं उनको फ़ोन करके कहे देती हूँ.
फोन डिस-कनेक्ट करके मैं उर्वशी के ऊपर वाले फ्लोर पर पहुंचा और फ्लैट की घंटी बजाई.
कुछ पल बाद एक खूबसूरत सांवली महिला ने फ्लैट का भीतरी दरवाजा खोला लेकिन बाहर लगा ग्रिल वाला दरवाजा बंद ही रखा.
दरवाजा खोलते हुए उसने घंटी बजते फोन को उठाते हुए मुझसे कहा- जी बताइये?
मैं कुछ कहता तभी उसने फोन कान पर लगाकर बोला- हां उर्वशी?
उधर से उर्वशी ने क्या बोल मुझे पता नहीं, लेकिन उन्होंने मुझे देख और पूछा- आप ही आमोद हो?
मैं बोला- हां जी आपकी कृपा से.
वो उर्वशी से बोली- ठीक है, मैं चाबी देती हूँ.
उन्होंने फ्लैट का ग्रिल वाला दरवाजा खोलाकर, मुझे अन्दर आने के लिए कहा और अन्दर जाते हुए वो महिला उर्वशी से फोन पर बोली- सुनो, आज रात का खाना मैं बना रही हूँ, अब तुम आकर मत बनाना.
उसने उर्वशी से बात कर फोन काटा.
मैं भी उनके पीछे फ्लैट में एंटर हुआ.
मैंने दरवाजा खुला ही छोड़ा और पीछे से उस महिला को गौर से देखा.
पतली कमर, कमर पर दाएं और बाएं दो बड़े डिम्पल, उस पर बंधी हुई बड़े बड़े मोर के प्रिंट की गुलाबी साड़ी. पीठ की तरफ दो हुकों के सहारे बंधा हुआ बैकलेस आसमानी ब्लाउज.
उसने फ्रीज़ के साथ दीवार पर लगे हुए की-हैंगर से एक चाभी उतारी और मुझे देने के लिए पलटी.
उसके पैरों से शुरू करते हुए, मैंने फ्रन्ट से उसके यौवन का भरपूर मुआयना किया और उसके बदन पर सजे हुए दो यौवन कलशों को देखते हुए चक्षु चुम्बनों से उसका बदन चूमने लगा.
उसकी हाइट लगभग 5 फुट 7 इंच, ब्राउन त्वचा का बदन, पतली कमर पर बंधी साड़ी के ऊपर से मुझे निहारती हुई लम्बी और गहरी नाभि.
मोर के प्रिंट वाले ब्लाउज में कसे हुए, गहरी क्लीवेज बनाये दो मस्त सुडौल और कड़क चूचे. दोनों हाथ में आसमानी कंगनों के बीच गुलाबी चूड़ियां.
कुल मिला कर मुझमें प्रेम अंगड़ाई लेने लगा था, इतनी हसीन थी वो!
सच कहूं तो मेरे मन में भी अब कामदेव का नशा जागृत हो चुका था.
मैं उसकी नाभि पर गहरा और लंबा स्मूच करने के लिए उत्सुक हो गया था.
शायद वो भी समझ गई थी कि मेरे मन में क्या भाव चल रहे हैं.
उसने एक मनमोहिनी मुस्कान के साथ मुझे चाबी दी और बोली- आपकी चाबी?
मैंने बोला- जी मेरी चाभी नहीं, नीचे वाले फ्लैट की चाबी.
वो खिलखिला कर हंस पड़ी.
मैंने उसे धन्यवाद कहा और उससे चाबी लेकर नीचे वाली फ्लोर पर आ गया.
फ्लैट खोलकर मैं अन्दर आ गया.
उर्वशी के रूम में बैग रखकर, सीधा वाशरूम को लपका और हल्का हुआ. मुँह हाथ धोकर निकलते समय मैंने गीज़र चालू किया. वापस कमरे में पहुंचकर बैग से तौलिया निकाला और तन पर मात्र अंडरवियर छोड़ कर समस्त कपड़े उतार दिए.
तौलिया लेकर बाथरूम में पहुंच कर वहां लगी खूँटी पर कपड़े लटका दिए.
नल खोल चैक किया तो पानी अभी गुनगुना गर्म भी नहीं हुआ था. तो सोचा कि जब तक नहाने का पानी गर्म हो, एक चाय बनाकर पी ही सकता हूँ.
मैं अंडरवियर में ही रसोई में पहुंचा, हाथ धोकर चाय बनाने के लिए गैस चूल्हा चालू किया. पानी चढ़ाया, पत्ती और चीनी के डिब्बे आराम से मिल गए.
फिर फ्रीज़ में दूध देखा, तो नहीं था.
जैसे ही फ्रीज़ बन्द करने को हुआ, तो कुछ नींबू दिखे. मैंने एक नींबू लिया और वापस रसोई में पहुंचा.
गर्म होते पानी में पत्ती और चीनी डाली.
पानी अच्छी तरह उबले, तब तक नीबू के बीचों बीच से एक गोल स्लाइस काट ली और बाकी के नीबू के रस की आखरी बूंद तक निचोड़ ली.
जैसे ही चाय उबली, मैंने छान ली.
चाय छानने के बाद नीबू की गोल स्लाइस चाय में डालकर लेमन टी की चुस्कियां लेते हुए ऊपर के फ्लैट वाली मोहतरमा के बारे में सोचने लगा.
उसकी कमसिन बल खाती छवि, उसकी लम्बी गोल और गहरी नाभि का सम्पूर्ण दृश्य आंखों के सामने आ गया.
लगा जैसे वो मेरे ही सामने है.
मैं ख्यालों में डूबकर मजा लेने लगा.
उसके पेट पर अपनी उंगलियां से कामुकता भरी छुअन से नाभि के चारों तरफ पर गुदगुदी भरी चींटी चलाते हुए हल्के से उसकी नाभि पर स्मूच कर रहा हूँ, जीभ गोल गोल उसकी नाभि पर घुमाते हुए, उसकी नाभि को अपने होंठों में भरकर चूसा और अपने दांतों से पकड़कर नाभि के छेद को अपनी जुबान से खोदते हुए उसके दोनों कूल्हों पर अपना हाथ फिराने लगा.
उसके पेट को चूमते हुए ऊपर की तरफ बढ़ना शुरू हुआ.
इधर ख्यालों से दूर, वास्तविकता में श्रीमान नत्थूलाल सिरफ़टे भी अंडरवियर के ऊपर से सहलाने के कारण खूंखार होने की दिशा में अग्रसर हो गए.
मैंने अंडरवियर उतार कर उसे कैद से आजाद कर दिया और फिर से ऊपर वाली को लेकर सोचने लगा.
उसके ब्लाउज के गले में से उठ कर बाहर झांकती चूचियों की गोलाइयों के ऊपर से होंठों में भर कर चूसा और अपनी जीभ से चाटने लगा.
हाथों को कूल्हे से होते हुए धीरे धीरे उसकी जांघों के बीच तक ले गया और उसकी चूत को निशाना बनाया.
चुत को छूने की बजाए मैंने हाथ से अपने खूंखार हो चुके नत्थूलाल को पकड़ कर, साड़ी के ऊपर से ही बिल्कुल ठीक उसकी चूत के ऊपर टिका दिया.
फिर वापस से साड़ी में कसी हुई उसकी गांड की गोलाइयों पर हाथ ले जाकर, उसको अपनी तरफ खींच लिया.
अपने सिर फ़टे को उसकी चूत पर दबाते हुए उसके रसीले खूबसूरत लबों के भरे प्याले को अपने होंठों से अभी थामा ही था कि तभी मेरे फ़ोन की घंटी बजी और सारे काममय ख्याल की तन्द्रा भंग हो गई.
अपनी चाय खत्म करके मैंने कप को सिंक में रखा और कमरे में पहुँच कर फोन देखा तो उर्वशी की कॉल थी.
मैंने कॉल उठाई तो उर्वशी ने मुझसे कहा- आमोद एक हेल्प चाहिए मुझे!
मैंने पूछा- क्या हुआ और क्या हेल्प?
तो उर्वशी ने पूछा- क्या तुम्हें कार चलानी आती है?
मैंने कहा- हां, मैं कार चलाना जानता हूँ, लेकिन हुआ क्या है?
ये उर्वशी से पूछा तो उसने बोला कि ऊपर वाले फ्लैट वाली सोनम भाभी के हसबैंड आज रात की फ्लाइट से बॉस और ऑफिस स्टाफ के साथ बिज़नेस सेमिनार पर ऑस्ट्रेलिया जा रहे हैं. रात 12:30 बजे T3 से फ्लाइट है और आज उनके गुड़गांव वाले ऑफिस में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग थी, तो आफिस जाते हुए वो सामान साथ नहीं ले गए थे. उन्हें लगा था कि 5 बजे तक फ्री हो जाएंगे, लेकिन मीटिंग अभी खत्म ही नहीं हुई है और उनके सामान का बैग और आफिस की कुछ फ़ाइल घर पर ही हैं. वो सब भाभी को एयरपोर्ट पर पहुंचाना है, लेकिन भाभी को कार ड्राइव करनी आती नहीं है. उन्हें सामान लेकर 10 बजे एयरपोर्ट के लिए निकलना है और मुझे वापस आने में 12 या 1 बज जाएगा. प्लीज क्या तुम भाभी के साथ एयरपोर्ट जा सकते हो?
मैंने मोबाइल कान से हटा कर टाइम देखा तो 6:30 बज रहे थे. मैंने बोला- ठीक है मैं चला जाऊंगा, लेकिन तुम अभी कहां हो?
तो उसने बोला- अभी मैं अपने भईया भाभी घर फ़रीदाबाद आई हूँ.
मैंने हम्म कहा.
उसने बोला- ठीक है, तो मैं भाभी को बता देती हूँ और तुम्हारा नम्बर उनको भेज देती हूँ.
मैंने उर्वशी से कहा- ठीक है.
हमारी बात खत्म हुई, मैंने फोन साइड में रखा और सोनम जी के ऊपर चढ़ने के बारे में सोचने लगा.
वापस बाथरूम में पहुंचकर चैक किया और गीजर का मेन स्विच बन्द करके प्लग सॉकेट से निकाल दिया.
काश सोनम भाभी इस वक्त साथ होतीं, तो दोनों साथ में कामक्रीड़ा करते हुए नहाते.
अब नत्थूलाल जी सोनम की बिल्ली के अन्दर प्रवेश लिए कड़क होकर विकराल और प्रचण्ड रूप से प्यास से तड़प रहे थे.
खैर … मैं कर भी क्या सकता था, इसलिए मन को काबू में करके, गर्म पानी और साथ में ठंडा पानी का वॉल खोल कर शॉवर चालू कर दिया ताकि दोनों की तासीर आपस में मिल जाए.
पानी मेरे ऊपर गिर रहा था, मैं आंख बन्द किये अपने अर्ध-उत्तेजित लंड को सोनम भाभी की चूत पर रगड़ता हुआ उसके साथ ख्याली चुदाई के आनन्द में डूब गया.
काफी देर तक मैं भाभी के ख्यालों में खोया रहा.
तभी अचानक दरवाजा बन्द होने की आवाज आई.
मैंने शॉवर बंद किया और तौलिया लेने के लिए जरा आगे बढ़ा ही था कि बाथरूम का दरवाजा अन्दर की तरफ खुला.
बाथरूम के बाहर मेरे सामने बिना किसी कपड़ों के एक पूर्ण नग्न लड़की ने बाथरूम के अन्दर दाखिल होने के लिए सिर्फ एक पैर अन्दर रखा था कि उसे बाथरूम के अन्दर मैं दिखा, वो भी बिल्कुल नंगा और ऊपर से सोनम की बिल्ली संग सम्भोग मिलन की प्यास से टनटना कर नत्थूलाल साहब कड़क, खूंखार और विकराल लाल स्ट्रॉबेरी जैसा अपना फटा सिर टोपे से बाहर निकाले हुए थे.
हम दोनों बिल्कुल नंगे आमने सामने थे और सिर्फ एक दूसरे को देख रहे थे.
मुझ पर नजर पड़ते ही लड़की ने अपने दोनों हाथों को मुँह पर रख कर अपनी चीख रोकी.
उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं और वो अपनी जगह पर बर्फ सी जम गई.
अब इस हालत में मुझे भी अपने शरीर को हिलाने की शक्ति नहीं थी.
कुछ क्षणों तक उस लड़की ने अपनी नजरों से नत्थूलाल को देखा और अपने मुँह से हाथ हटाया.
नत्थूलाल के दर्शन कर के उसने ‘ईस्स्स्स् …’ करते हुए दोनों जांघों के बीच में अपनी चूत दबा ली.
मैं हाथ से नत्थूलाल को ढककर, झट से तौलिये की तरफ लपका और जल्दी से अपनी कमर पर तौलिया लपेटा.
उसने भी घूम कर अपनी बिल्ली को छुपाया और हाथों थामा हुआ बाथ-गाउन पहन लिया.
अब वो मेरी तरफ पलटी ही थी कि तभी मेरे मोबाइल की घंटी बजी.
मैं उससे बोला- शा..शा..शायद उर्वशी की कॉल आई है.
फोन लेने के लिए रूम की तरफ बढ़ते हुए मैंने फ्लैट के मुख्य दरवाजे की कुंडी पर नजर डाली, वो भी सही से बंद थी.
खैर मैंने फोन देखा तो उर्वशी की कॉल थी.
मैंने नार्मल होकर फ़ोन उठाकर हैलो कहा, तो उर्वशी ने पूछा कि आमोद मैंने भाभी को कह दिया है कि तुम उनको एयरपोर्ट ले जाओगे और उनको तुम्हारा नम्बर दे दिया है.
मैंने कहा- एयरपोर्ट गया भाड़ में और मेरी बात सुनो.
उर्वशी बोली- पहले मेरी बात सुनो, फिर मैं तुम्हारी बात सुनती हूँ. तुम 9:30 बजे प्लीज सोनम भाभी के साथ चले जाना.
मैंने कहा- ठीक है चला जाऊंगा, लेकिन इस वक़्त तुम्हारे फ्लैट पर, यहां के शायद दूसरे रूम वाली तुम्हारी फ्लैट पार्टनर आ गई है.
तभी उर्वशी बोली- वाह, क्या बात है, अंजलि आ गई!
फिर उर्वशी ने मुझसे पूछा- आमोद, अगर हम दोनों की चंडीगढ़ ट्रिप थ्री सम बन जाए तो? क्या तुमको कोई प्रॉब्लम है?
मैंने उर्वशी से कहा- मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है, लेकिन तुम्हारी सहेली अभी फ्लैट में है. मैं बाथरूम में नहा रहा था और ये उसको पता नहीं था, उसने अचानक से बाथरूम का दरवाजा खोल लिया और तभी तुम्हारा फ़ोन आ गया.
उर्वशी ने जैसे मेरी बात को सुना ही नहीं; वो बदस्तूर आगे बोलती रही- आमोद, मैं कुछ सामान लेने साकेत आई थी, यहां पर मॉल में भाभी और भैया मिल गए और फिर भैया भाभी मुझे ज़िद करके फरीदाबाद ले आए हैं. लेकिन मैं रात तक वापस आ जाऊंगी, तुम जल्दी आने की कोशिश करना, वरना फिर बाद में तुम्हें प्रॉब्लम हो जाएगी.
मैंने कहा- मेरी बात का भी जवाब दे देती?
उर्वशी बोली- मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं, भले तुम और अञ्जलि एक साथ नहा लो.
इतना कह कर उसने फ़ोन काट दिया.
उर्वशी के कहे शब्द सुनने के बाद नत्थूलाल अब एक्शन में आ गया.
वैसे भी सोनम की बिल्ली का, उसके अन्दर की गहराई तक शिकार करके, नत्थूलाल को तृप्ति प्राप्त कराने का ये सुनहरा मैं अवसर छोड़ना नहीं चाहता था.
आपको वासना की Xx हिंदी सेक्स कहानी कैसी लगी मुझे मेल करें. इसके अगले भाग में आपको आगे की कहानी सुनाऊंगा.
आमोद कुमार
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