हैलो दोस्तो, अन्तर्वासना सेक्स कहानी के आप सभी पाठकों को मेरा प्यार, नमस्कार!
जैसा कि मैंने आपको पहले की कहानी
रात को आ जाना.. बहुत कुछ दूँगी
में बताया था मैं बीकानेर का हूँ और अभी जोधपुर में रह कर अपनी CA की पढ़ाई कर रहा हूँ।
दोस्तो, अन्तर्वासना पर यह मेरी दूसरी कहानी है. यह मेरी सच्ची कहानी है तो हो सकता है सेक्स कम और अन्य बातें थोड़ी सी ज्यादा मिले जिसके लिए माफ़ी चाहूँगा आपसे पहले ही!
वैसे यह अपने आप में ही काफी रोचक घटना है, उम्मीद है कि आपको पसंद आएगी। यह घटना जोधपुर की ही है.
तो दोस्तो, आपको सीधा कहानी पर लेकर चलता हूँ।
हुआ यूँ था कि मेरा एक दोस्त था जिसका पहले अपने घर के सामने वाली लड़की के साथ चक्कर चल रहा था जिसका नाम समीरा था और वो दोनों कम से कम साल भर साथ में रहे थे. फिर उनमें क्या बात हुई वो जाने… और लड़की ने मेरे दोस्त से बात करना बंद कर दिया था।
यह बात मुझे मेरे दोस्त ने बाद में बताई थी कि साल भर साथ रहने के बाद भी कभी किस करने से बात आगे नहीं गयी थी और अब वो लड़की बात नहीं करती।
मैंने उस टाइम उस से समीरा के नंबर ले लिए और बोला- मैं भी उस पे चांस मारता हूँ, क्या पता पट जाये!
उस वक़्त वो मेरे पे हंसा और बोला- ऐसा कभी नहीं होगा।
मैंने सोचा कि जो होगा देखा जायेगा, एक बार कॉल करने में क्या जाता है.
फिर इस बात को काफी टाइम हो गया, मुझे एक लड़की मिल गयी, मैं उसके प्यार में पड़ गया और पूरे टाइम उसी से लगा रहता था।
एक दिन सुबह अकेले रूम पर बैठा था तो मुझे समीरा की याद आई, उसको कॉल किया, थोड़ी इधर उधर की बात की तो बोली- मैंने आपको देखा नहीं है, पहले देखूँगी फिर सोचूँगी।
अब इतना तो बुरा मैं भी नहीं कि किसी को पसंद ना आऊँ!
वो उसी वक़्त पास के पार्क में आई, मुझे देखा और एक हल्की सी स्माइल देकर घर चली गयी.
थोड़ी देर में उसी ने फोन कर दिया। मैंने सोचा बस हो गयी बात… लड़की पट गयी!
फिर थोड़ी देर बात करने के बाद बोली- क्या मैं आपके रूम पर आ सकती हूँ?
मैं पागल सा हो गया कि जिसको रूम तक लाने का सोच रहा था वो तो खुद आने को तैयार बैठी है।
फिर वो दोपहर एक बजे रूम पर आ गई, मकान मालिक उस टाइम घर नहीं थे तो मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई उसे लाने में।
अब पहली बार तीन घंटे पहले जिस लड़की से मिला था, वो अभी मेरे रूम में मेरे साथ बैठी थी, मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा था। वो 1२वीं क्लास की स्टूडेंट थी तो पहले स्कूल की बातें बताती रही और मैं उसको जबरदस्ती सुनता रहा, मेरा कोई मन नहीं था सुनने का क्योंकि मैं तो उसको अपनी बांहों में लेकर उसके होंठों को चूमना चाहता था और वो पता नहीं कहा कहा की बातें करती जा रही थी।
वो मेरे पास बैठ कर बातें कर रही थी और बातें करते हुए मैंने उसको अपने साथ लिटा लिया, और वो भी लेट गयी, अब वो मेरे हाथ पर अपना सर रख के लेटी थी, मैं उसकी आँखों में देखे जा रहा था.
मुझसे अब रहा ना गया… दोस्तो, झूठ नहीं बोलूंगा, कोई प्यार की बात नहीं हुई थी, मैंने सीधा ही उसके होंठों पर चुम्बन कर दिया था. फिर उसको देखा, वो आँखें बंद करके लेटी हुई थी, वो भी इसके लिए तैयार थी. तब मैं उसको अच्छे से वापिस चूमने लगा और वो भी अच्छे से साथ देने लग गयी थी. अब एक बार जो चूमा चाटी करना शुरू हुए तो 15 मिनट तक तो यही सब चलता रहा, कभी उसकी जीभ मेरे मुँह में तो कभी मेरी जीभ उसके मुँह में… और साथ साथ मैं उसके बूब्स कपड़ों के ऊपर से ही दबा रहा था, बहुत मजा आ रहा था दोस्तो।
अब मुझसे रहा ना गया, मैं उसके कपड़ों को हटा करके आराम से उसके बूब्स को चूसना चाहता था लेकिन जब उसके कपड़े ऊपर से खोलने लगा तो उसने रोक दिया, बोली- अपना रिश्ता क्या है?
मैं सोचने लगा कि ‘ये अजीब सवाल पूछ लिया?’ इतने टाइम अच्छे से मजे ले रही थी, अब रिश्ते बनाने में लगी हुई है, यह क्या बात हो गयी?
उसके इस सवाल का जवाब मेरे पास भी नहीं था.
तभी उसी ने बोला- मेरे बॉयफ्रेंड बन कर रहोगे मेरे साथ? आई लव यू वीरेंद्र!
मैं तो आसमान में उड़ रहा था वो सुन कर… अपने आप चल के लड़की आ गयी मेरे पास… और अभी मेरे नीचे लेटी हुई पहली बार लव यू बोले जा रही है. मैं भी ‘लव यू टू’ बोलते हुए एक लम्बा सा चुंबन करने लगा।
फिर क्या था, लड़की की रजामंदी मिल चुकी थी, आराम से चूमा चाटी चल रही थी और एक एक करके कपड़े खुलते जा रहे थे।
मुझे बूब्स चूसने में बहुत मजा आता है तो मैं उसके बूब्स को ब्रा के ऊपर से ही काट रहा था, वो दर्द से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाजें निकाल रही थी।
उसका फिगर कोई खास नहीं था, बूब्स छोटे थे और अभी वो खुद भी पतली से लड़की थी लेकिन मुझे उन सबसे क्या… चूत तो थी… और जैसे भी बूब्स थे, कुछ ना होने से तो अच्छा है, जैसे भी थे, मुझे चूसने को मिल तो रहे थे।
धीरे धीरे मैंने उसके सारे कपड़े हटा दिए थे ऊपर ऊपर के… तब ध्यान से देखा उसे… उसके बूब्स कोई बड़े नहीं थे, छोटे छोटे से थे और मुझे चाहिए बड़े बड़े बूब्स वाली।
अब जैसे भी छोटे छोटे बूब्स थे, उनको प्यार से चूसने लगा और थोड़े थोड़े काटने लगा और साथ साथ में मेरा हाथ उसके कपड़ों के ऊपर से ही उसकी चूत के आस पास चल रहा था.
पहले उसने थोड़ा मना जरूर किया था लेकिन बाद में उसने भी हाथ को नहीं हटाया.
अब मुझे ना जाने क्या जोश आया, मैं उसके बूब्स को खाने लगा, उसके बूब्स बहुत टाइट थे, मैं उनको जोर जोर से काटने लगा तो उसे दर्द सा हो रहा था, वो मेरे मुँह को ऊपर लेकर मेरे होंठों पर चूमने लगी और अब मैं उसकी पेंटी के अंदर हाथ डाल कर चूत के पास लेकर गया, उसकी चूत पर बहुत बाल थे, पता नहीं पिछली बार कब काटे होंगे।
धीरे धीरे उसकी चूत के ऊपर मेरा हाथ चलता रहा और मैं उसके होंठों को चूमता रहा. फिर जब उसकी चूत में अपनी एक अंगुली डाली तो वो पता नहीं उसे क्या मजा आने लगा, वो मेरे होंठों को जोर जोर से चूसने लगी, चाटने लगी, काटने लगी और उसने मुझे पूरा अपने से चिपका लिया था और इस हरकत में मुझे बहुत मजा आ रहा था, मुझे बहुत अच्छा लगता है जब कोई लड़की ऐसे बुरे तरीके से होंठों को खाती है तो इसलिये में जोर जोर से चूत में अंगुली करने लगा और वो मुझे खाती रही।
जब मेरा हाथ थक गया तो मैं उसको हर जगह चूमते हुए धीरे धीरे नीचे की तरफ जाने लगा था, उसकी गर्दन पर गालों पर बूब्स पर सब जगह चूमते हुए नीचे नाभि के पास के चाट रहा था, उसे बहुत अच्छा लग रहा था.
जब मैं उसकी पेंटी उतारने लगा तो उसने खुद अपनी कमर के पास से ऊपर हो कर यानी अपने चूतड़ उठा कर पेंटी उतरने में मेरी मदद कर दी. मैंने देखा कि सच में उसकी चूत के पास बहुत बाल थे जो मुझे पसंद नहीं आये, मैं उसकी चूत को चूमना चाहता था लेकिन इतने बाल देख कर मेरा भी मन नहीं कर रहा था।
लेकिन आज बालों वाली चूत ही शायद चाटने को लिखी हुई थी मेरी किस्मत में… तो वही मिली, फिर उसको खुश करने के लिए मैं उसकी चूत चाटने लगा. पहले काफी टाइम उसकी चूत पर बाहर से ही उधर उधर चाटता रहा फिर उसकी चूत के होंठों को अलग अलग करके जीभ को सीधा उसकी चूत के अन्दर तक जाने दिया.
हम जैसे लेटे थे, हमसे अच्छे से नहीं हो पा रहा था तो मैंने उसको बिस्तर के किनारे लगा के उसकी गांड के नीचे तकिया लगाया और खुद नीचे बैठ करके अच्छे से चूत चाटने लगा।
अब पूरा मजा आ रहा था उसको भी और मुझे भी… उसकी चूत का स्वाद खट्टा सा था.
फिर काफी देर तक मैं उसकी चूत को ऐसे ही चाटता रहा कभी धीरे से तो कभी तेज तेज!
जब उसको बहुत ज्यादा मजा आने लगा तो वो मेरा मुँह अपनी चूत में दबाने लगी मुझे सांस आनी बंद सी ही गयी थी।
मैं उसकी चूत चाटने के साथ साथ उसके दूध को भी दबाये जा रहा था. अब मेरा लंड मेरे बस का नहीं था, वो लोहे की रॉड सा बन गया था। मेरा लंड 6 इंच से थोडा बड़ा है और उस टाइम तो मेरे लिए सहन करना मुश्किल था, मैंने उसको लंड चूसने को बोला तो उसने मना कर दिया, तो जिद मैंने भी नहीं की और उसको वापिस चूमने लगा।
अब मैं उसकी गर्म चूत में अपना लंड डालना चाहता था जल्दी से जल्दी… उसकी चूत बहुत टाइट थी और मैं उसको भोगना चाहता था!
लेकिन वो उस टाइम सेक्स नहीं करना चाहती थी, वो मुझे बोली- आज नहीं… फिर कभी चाहे आप कल कर लेना!
और मेरे पास में भी कंडोम नहीं था तो मैं भी कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था क्योंकि उस टाइम तक तो यही पता था कि ‘बिना कंडोम करो तो प्रॉब्लम हो जाती है.’
वो तो बाद में पता चला कि बिना कंडोम ही असली मजा आता है लेकिन उस टाइम मैं उसकी बात मान गया और मैंने बोला- मेरा पानी निकाल दे अभी… सेक्स जब तेरा दिल होगा कर लेंगे।
वो मेरे लंड की मुठ मारने लगी और मैं उसके होंठों को चूमने में लगा रहा और साथ साथ उसके बूब्स को चूसे जा रहा था. काश कोई बड़े बूब्स मिलते और जिनमें से दूध आ रहा होता तो मजा आ जाता.
लेकिन अभी जो मिले थे, उन्ही से मुझे खुश होना था और मैं खुश था भी…
और ऐसे ही 5 मिनट बाद मुठ मारने से मेरा पानी आ गया जो पूरा समीरा के हाथो पर ही गिर गया, उसके हाथ चिपचिपे से हो गए, उसने अपने आप को बाथरूम में जाकर साफ़ किया और कपड़े पहन कर के थोड़े टाइम बातें करती रही.
अब आपको पता ही है कि ऐसे वक्त में बातें तो कैसी होनी हैं, उस टाइम प्यार का खेल ही होता है.
कभी मैं उसको चूमता, कभी वो मुझे चूमती… ऐसे ही थोड़े टाइम बाद फिर वो अपने घर चली गयी और मैं सोचता रहा कि कभी बिन मांगे सब मिल जाता है और कभी कितना भी मांगो, कुछ भी नहीं मिलता।
मेरे दोस्त को एक साल में कुछ नहीं मिला और मुझे एक दिन में ही इतना सब कुछ मिल गया।
कहते हैं ना ‘किस्मत मेहरबान तो गधा पहलवान…’
यही बात मेरे साथ हो गयी!
तो दोस्तो, यह थी मेरी सच्ची घटना… चाहे कोई इसे सच माने या ना माने!
लिखने में कोई गलती हुई हो तो मुझे माफ़ कर दें और मुझे मेल करके बतायें कि आपको मेरी सेक्स कहानी में कहाँ कमी लगी और मेरी सच्ची कहानी कैसी लगी?
आपका अपना वीरेंद्र सिंह
सभी भाई भाभी ऑन्टी लड़कियों के मेल के इंतज़ार में!
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