फ्रेण्ड सिस्टर सेक्स स्टोरी मेरे दोस्त की दो बहनों की अनछुई बुर की चुदाई की है. मैं दोस्त के घर में पेइंग गेस्ट रहता था पढ़ाई के लिए. कैसे चोदा मैंने दो लड़कियों को?
मेरा नाम साहिल कुमार है. मैं एक सीधा-साधा लड़का हूँ.
ये मेरी सेक्स पहली कहानी है.
मैं अपने दोस्त के यहां रह कर पढ़ता हूँ. उसकी तीन बहनें हैं, तीनों बला की खूबसूरत और मस्त हैं. तीनों बहनों की उम्र में एक दो साल का अंतर था.
मैंने जब उन तीनों को पहली बार देखा … तो तभी मन बना लिया था कि जब ये ऊपर से देखने में इतनी खूबसूरत हैं, तो इनकी चूत और गांड कितनी मस्त होगी.
एक दिन की बात है, मेरा दोस्त और उसके माता पिता को कहीं जाना था. उनके कोई रिश्ते में गमी हो गई थी कोई गुजर गया था.
अब सब लोग तो जा नहीं सकते थे तो मेरा दोस्त मेरे पास आया और बोला- मैं और मेरे मम्मी पापा हम लोग, दो दिन के लिए गांव जा रहे हैं. तुम घर का ख्याल रखना और मेरी बहनों का भी ध्यान रखना.
मैं बोला- तुम आराम से जाओ और आराम से अपना काम पूरा करके आओ, कोई दिक्कत नहीं है. चलो मैं तुम्हें स्टेशन तक छोड़ देता हूँ.
तभी उसकी बड़ी बहन बोली- हम सब भी चलते हैं.
बड़ी वाली का नाम लवली था.
दोस्त ने कहा- नहीं लवली, तुम लोग यहीं रहो.
फिर मेरे बोलने पर वो अपनी बहन से बोला- ठीक है, लवली, केवल तुम चलो.
हम लोग स्टेशन आ गए.
जब ट्रेन आ गई और वो लोग ट्रेन में चढ़ने लगे तो दोस्त ने फिर से कहा- घर का ध्यान रखना.
मैं- तुम बिना चिंता किए जाओ. मैं यहाँ सब सम्भाल लूंगा.
फिर ट्रेन चली गई और हम दोनों टेम्पो में बैठ गए.
हम दोनों टेम्पो के बीच वाले सीट पर बैठे थे क्योंकि उस टेम्पो मैं भीड़ कुछ ज्यादा थी.
थोड़ी दूर चलने के बाद जब एक गढ्ढे में टेम्पो का पहिया पड़ा, तो मेरे दोस्त की बड़ी बहन की चुची मेरे हाथ से टकरा गई.
मुझे बहुत मजा आया.
मैंने उसकी तरफ पलट कर देखा, तो वो कुछ नहीं बोली.
मैंने जानबूझ कर एक दो बार और उसकी चूची को रगड़ दिया.
वो कुछ नहीं बोली.
तो इस बार थोड़ी सी हिम्मत जुटा कर मैं अपना हाथ उसकी गांड के पास ले गया.
मगर तभी हम लोगों का स्टॉप आ गया और हम दोनों उतर गए.
शाम हो गई तो लवली बोली- मैं खाना बना देती हूँ. आप भी यहीं खा लेना.
मैं बोला- ठीक है.
अब तक मैं खाना बाहर खाता था.
जब खाना बन गया तो उसने मुझे पुकारा- साहिल जी, खाना लग गया है, आकर खा लीजिए.
मैं फटाफट आ गया और खाना खाया. मैंने सबसे पहले खा लिया था.
लवली खाने के बाद नहाने जाती थी.
मेरा मन आज उसकी चुची चूत देखने का था. घर के बाथरूम के दरवाजे में छोटा सा छेद है. मैं जब भी नहाया करता था, तो यही सोचता था कि कब ऐसा मौका आएगा जब इस छेद से किसी बहन को नहाते हुए नंगी देखूँगा.
आखिर आज वो वक्त आ ही गया था.
सही कहते हैं कि इंतजार का फल मीठा होता है.
लवली बाथरूम में चली गयी, तो मैंने पहले देखा कि नीतू और मीतू कहां हैं.
वो दोनों उस समय अपने कमरे में थीं.
मैं बाथरूम के पास गया और आंख लगा कर देखने लगा.
लवली अपनी पूरे कपड़े उतार कर नंगी थी और अपनी चुचियों को दबा रही थी.
मैं ये सीन देख कर गर्म हो गया. तभी उसने अपनी चूत में उंगली डाल दी और जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगी.
उसे देखने के बाद मेरा मन खराब होने लगा तो मैं अपने कमरे में आ गया और सारे कपड़े उतार कर उसकी गठीली देह के बारे में सोच कर मुठ मारने लगा.
लंड का रस गिरा तो चैन मिल गया.
फिर मैं सो गया.
अब मुझे किसी भी कीमत पर उसकी चूत चाहिए थी.
मगर डर भी लग रहा था कि मेरे दोस्त को पता ना चल जाए.
फिर भी हिम्मत करके मैंने लवली से बात करने का मन बना लिया.
जब वो सुबह चाए लेकर आई, तो मैंने उससे कहा- आप भी यहीं बैठकर चाय पी लो.
वो मान गई.
फिर मैं बोला- लवली जी आपसे एक पूछ सकता हूँ?
लवली- हां पूछिए ना!
मैंने पूछा- आपका कोई ब्वॉयफ्रेंड है?
वो बोली- नहीं.
ये सुनकर मेरे मन में ये सोच कर लड्डू फूटने लगे कि लवली तो कुंवारी माल है … इसी चूत बिल्कुल कोरी है.
तभी उसके भाई का फोन आ गया. वो बोला- हमें आने में चार छह दिन और लग सकते हैं.
मैं ये सुनकर बहुत खुश हुआ.
फिर लवली भी उठ कर चली गई.
एक दो दिन मैंने उसे देखा नंगी नहाते हुए देखा और बाद में नीतू मीतू को भी नंगी देखा.
अब मुझसे रूका नहीं गया.
तीसरे दिन लवली अपने कमरे सोने चली गई. वो दरवाजा खुला रख कर सोती थी.
मैं उसके कमरे के अन्दर चला गया. लवली हमेशा रात में नाईटी पहन कर सोती थी.
मैं जैसे ही उसके बेड के पास गया, तो देखा कि उसकी नाईटी उसकी जांघों तक उठी हुई थी.
उसकी चिकनी जांघों को देख कर मेरा मन और बेकाबू हो गया.
मैंने उसकी नाईटी को और ऊपर तक उठा दिया. उसने पैंटी नहीं पहनी थी, तो उसकी चूत साफ दिखने लगी.
मैंने कुछ और हिम्मत जुटाई और उसकी चूत को सहलाने लगा.
फिर भी वो कुछ नहीं बोली.
मैंने उसकी चूत में धीरे से उंगली डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा.
लवली को मजा आने लगा तो मैंने स्पीड को बढ़ा दिया.
तभी लवली उठ गई और बोली- साहिल जी, ये आप क्या कर रहे हैं?
मैं- लवली जी मजा तो आ रहा है ना!
वो शर्मा कर बोली- हां जी, मजा तो आ रहा है.
“तो बस मजा लो.”
वो हंस दी.
फ्रेण्ड सिस्टर सेक्स का पूरा मजा लेने के लिए मैंने उसकी नाईटी को उतार दिया और उसकी मस्त जवानी को देख कर लंड लार टपकाने लगा.
मैंने उसे इशारा किया तो लवली ने मेरे कपड़े खोल दिए.
अब मैं भी नंगा हो गया था.
मैंने लवली की तरफ लंड हिलाया और उसे आंख मारी तो लवली ने मेरा लंड पकड़ लिया और चूसने लगी.
तो मैंने उससे कहा कि 69 में आकर लंड चूसो.
वो 69 में हो गई.
अब मैं उसकी चूत चाटने लगा और वो मेरा लंड चूसने लगी.
कुछ मिनट तक हम दोनों लंड चूत चूसने में लगे रहे.
फिर वो सीधी होकर लेट गई और चुदाई का इशारा करने लगी.
मैं लवली के ऊपर आ गया और उसकी एक चुची को चूसने लगा. कुछ मिनट तक दोनों चूचियों को बारी बारी से चूसता रहा.
फिर वो वासना भरी आवाज में कहने लगी- अब डालो ना!
मैंने उसकी चूत के पास हल्के से रगड़ दिया.
वो ‘आह उह …’ करने लगी.
मैंने कहा- कैसा है?
इस पर लवली बोली- तुम्हारा लंड बहुत मोटा है, मेरी चूत का सुराख बहुत छोटा है, तुम तो फाड़ ही दोगे.
मैं- मैं आराम से करूंगा.
ये कह कर मैंने चूत में लंड डाल दिया.
जैसे ही हल्का सा लंड चूत के अन्दर गया, लवली जोर से चिल्ला दी.
मैंने उसकी आवाज को अनसुना किया और एक फिर से तेज धक्का दे मारा.
मेरा मोटा लंड चूत को फाड़ता हुआ पूरा अन्दर चला गया. मैंने सटासट धक्के देने चालू रखे.
थोड़ी देर तक तो लवली चीखती रही. फिर लवली को भी मजा आने लगा.
कुछ देर बाद मैंने उसे घोड़ी बना कर पेला.
लगभग 20 मिनट तक चूत और लंड में पेलम-पाली चली, फिर मैं उसकी चूत में ही झड़ गया.
वो भी मुझसे चिपक गई.
कुछ मिनट बाद मैंने लंड खींचा और अपने कपड़े उठा कर अपने रूम में चला गया.
लवली सुबह उठी तो उसको दर्द हो रहा था.
वो सीधे बाथरूम में चली गई. मैंने बाथरूम का दरवाजा ठकठका दिया.
उसने पूछा- कौन?
मैं- साहिल.
उसने दरवाजा खोला तो मैं अन्दर घुस गया.
वो ब्रा पैंटी में खड़ी थी.
मैं उसे किस करने लगा और उसकी ब्रा पैंटी को उतार दिया.
वो मुझे चूमने लगी और अपनी चूचियां पिलाने लगी.
मैने उसको झुका कर घोड़ी बनाया और पीछे से लंड चूत में पेल कर चोदने लगा.
मैंने उसे दस मिनट तक चोदा. उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
मैंने भी जल्दी हल्दी चुदाई की और उसकी चूत में पानी निकाल दिया.
फिर हम दोनों बाहर निकले तो उसी समय नीतू ने हम दोनों को देख लिया.
लवली ने नीतू को नहीं देखा था मगर नीतू से मेरी आंख मिल गई थी.
पहले तो मैंने सोचा कि कहीं गड़बड न हो जाए, फिर सोचा कि इसको भी तो चोदना ही है. देखते हैं क्या कहती है.
कुछ देर बाद नीतू मेरे पास आई तो मैंने उससे कहा- तुमने मुझे बाथरूम से निकलते देख लिया था.
वो बोली- हां.
मैंने कहा- तो तुमको कुछ कहना है?
इस पर उसने कुछ नहीं कहा, बस मुस्कुरा कर चली गई.
उसकी मुस्कान देख कर मेरा डर तो खत्म हो गया था मगर अभी नीतू को अपने लौड़े के नीचे लाना था, वो कैसे हो पाएगा … मैं ये सोचने लगा.
जब रात हो गई, तो मैं अपना लंड पकड़ कर बैठा था. क्योंकि लवली ने आज चुदाई के लिए मना कर दिया था. वो ज्यादा थक चुकी थी.
मैंने भी ‘ठीक है …’ कह कर आज उसे न चोदने का मंजूर कर लिया था.
लेकिन मेरा मन बेकाबू हो रहा था.
तभी नीतू आ गई.
मैंने उसे देख कर अपने लौड़े से हाथ हटा लिया और उससे पूछा- क्या हुआ नीतू?
वो बोली- मुझे कुछ कहना है.
मैंने कहा- हां बोलो.
वो चुप हो गई.
मैंने पूछा- चुप क्यों हो … क्या कहना है बोलो न!
वो कहने लगी- साहिल जी मैं एक बात कहना चाहती थी.
मैंने कहा- हां बोलो.
नीतू बोली- आप सिर्फ दीदी की प्यास ही बुझाओगे क्या … हमारी भी बुझा दो.
मेरी तो निकल पड़ी थी. उसने मेरी मन की बात बोल दी थी.
मैंने उसको खींचा और अपनी बांहों में लेकर चूमने चूसने लगा.
वो भी लग गई.
मैंने जल्दी ही उसे पूरी नंगी कर दिया और बिस्तर पर लिटा कर उसकी चूत चाटी.
वो मस्त हो गई.
चूत चाटने के बाद मैंने उसके मुँह में अपना लंड डाल दिया.
वो मेरा लंड चूसने लगी. वो लंड चूस रही थी तो उसी समय मैंने उसकी चूत में एक उंगली डाल दी. वो जोर से सिसकार उठी.
फिर मैंने उसे चुदाई की पोजीशन में लिया और उसकी चूत में अपना लंड डाल कर जोर से धक्का मारा.
एक बार में ही लंड चूत में अन्दर घुसता चला गया.
वो जोर से चिल्लाने लगी.
मैं और तेज चुदाई करने लगा.
थोड़ी देर बाद नीतू का दर्द कम हो गया और उसको मजा आने लगा. वो गांड उठा उठा कर मजा लेने लगी.
तीस मिनट के चूत चुदाई के बाद हम दोनों झड़ गए और थक कर सो गए.
इस तरह दोस्त की दो बहनें मुझे अपनी सील तोड़ चुदाई का मजा दे चुकी थीं.
अब तीसरी फ्रेण्ड सिस्टर सेक्स बाकी है.
आगे की सेक्स कहानी को मैं अगली बार लिखूंगा. फिर तीनों बहनों को एक साथ एक ही बिस्तर पर कैसे चोदा, वो भी लिखूंगा.
फ्रेण्ड सिस्टर सेक्स स्टोरी पर आपके मेल की प्रतीक्षा रहेगी.
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