दोस्ती से आगे मर्द मर्द का रिश्ता- 3

दोस्ती से आगे मर्द मर्द का रिश्ता- 3

दोस्तो, कहानी के पिछले भाग
समलैंगिक लड़के के दबे हुए अरमान
में आपने अब तक पढ़ा था कि मैं और रूप टकरा कर एक दूसरे की बांहों में समा गए थे.

अब आगे :

मैं उसे अपनी बांहों में जोर से कसते हुए उसके नंगे बदन को मेरे हाथों से सहला रहा था और मेरे लंड से उसके लंड को रगड़ रहा था.

उसने भी मेरे नंगे बदन को बुरी तरह से अपनी बांहों के आगोश में ले लिया था.
उसकी यह जकड़ बढ़ती ही जा रही थी जैसे वह मेरे नंगे जिस्म को अपने नंगे जिस्म में समा लेगा.

रूप मेरे नंगे बदन को अपनी बांहों में कसता हुआ मेरे नंगे बदन को अपने हाथों से सहला रहा था.
वह मेरे जिस्म में आग लगाता हुआ मुझे मेरी गर्दन और कान के पास चूमता जा रहा था.

धीरे-धीरे उसने उसके मुँह को आगे किया और मेरे होंठों को चूमने लगा.

मेरे और रूप के होंठों का पहला मधुर चुम्बन था. मैंने अपनी आंखें बंद कर दीं.
रूप मेरे होंठों को चूम रहा था.

वह मेरे नीचे वाले या ऊपर वाले होंठों को उसके मुँह में लेकर ऐसे चूस रहा था जैसे उसमें से शहद निकल रहा हो.

हवस का सुरूर बढ़ा तो उसकी और मेरी जीभ का मिलन होने लगा.

मैं बाल्कनी में नंगा अपने फड़फड़ाते लंड से रूप के लंड को रगड़ता हुआ आंखें बंद करके रूप के द्वारा किए जा रहे मेरे मुख और होंठों के चुंबन का आनन्द ले रहा था.

थोड़ी देर तक मेरे मुँह को पूरी तरह चूसने के बाद रूप मेरे नंगे बदन को चूमते हुए नीचे बैठने लगा.

मेरे पैरों के करीब बैठकर उसने मेरे पुट्ठों को पकड़ा और मेरे लंड को मुँह में ले लिया.

ओह क्या नशीला मज़ा दे रहा था रूप … वह मेरा लंड चूस कर मुझे दरिया में गोते लगाने को विवश कर रहा था.
रूप ने आधा घंटा तक मेरे लंड को चूस कर मुझे मदहोश कर दिया.

जीवन में दुःख और दरिद्रता भरा एक-एक पल वर्षो की तरह बीतता है, पर सुख और आनन्द का समय कब बीत जाता है … उसका पता ही नहीं चलता.

उसी तरह रूप को मेरे लंड को चूस कर मुझे जन्नत का मज़ा देते हुए कब आधा घंटा हो गया, कुछ पता ही नहीं चला.

रूप उठा और मुझे बांहों में भरकर मुझे चूमने लगा.

फिर वह तुरंत दौड़कर अन्दर गया और मेरे हाथ में कंडोम पकड़ा कर बाल्कनी की रेलिंग को पकड़ कर मेरी तरफ पीठ करके खड़ा हो गया.

मैंने अपने लंड पर कंडोम चढ़ाया और लंड को रूप की गांड में डाल दिया.

‘सुहास!’ जोर से चिल्लाने की आवाज़ आई.
मैंने पीछे देखा तो अवि खड़ा था.

रूप और मैं एकदम से अलग हो गए.

मैंने अपने लंड से कंडोम निकाल कर फेंक दिया.

यह कुदरत की लीला ही है कि थोड़ी देर पहले तक जहां हवस की किलकारियां गूंज रही थीं, वहां अब मातम छा गया.

मेरा लंड तीन दिन से इन हंसीन नंगे मर्दों को देख कर उछालें मार रहा था, वह अभी इस परिस्थिति में मुरझाने लगा था.

हम तीनों एक दूसरे को देख रहे थे.

अवि बहुत ग़ुस्से में था.

हम तीनों खामोश थे.

मैंने अवि को समझाने की कोशिश करते हुए कहा- अवि …
‘एक शब्द भी मत बोलना सुहास, मुझे पता है तुम सेक्स के भूखे हो, पर तुम्हारे कारण आज मेरी बरसों की दोस्ती टूट गई. मेरा दोस्त आज से मेरा नहीं रहा.’

अवि गुस्से में अन्दर चला गया.
रूप भी चला गया.

दोनों की बहस और झगड़े की आवाज़ बाहर तक आ रही थी.

मैं लिविंग रूम में सोफे पर लेट गया.

अवि ने जो बोला, वह मेरे दिमाग में घूम रहा था.
उसे पता ही नहीं था कि वह बोल क्या रहा है?

साला ये कैसा ड्रामा चल रहा है कि जैसे मैंने उसकी बीवी को चोद दिया हो … और मेरी वजह से क्या दोस्ती टूटी?
मैंने कौन सा उसके दोस्त का बलात्कार करके उसके दोस्त को अपवित्र कर दिया और उनकी शादी टूट गई!
इतना ही चरित्रवान है तो मुझसे चुदवाने क्यों आता था? मेरा लंड चूसता था, तब कुछ नहीं?

अरे ये लोग भी तो लड़के लड़कियों के साथ ग्रुप करते हैं.
फिर मैंने यदि रूप के साथ कर लिया तो क्या पहाड़ टूट पड़ा!
मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था. मुझे पूरी रात नींद नहीं आई.

मैं सुबह जल्दी उठा, सामान पैक किया, सोफे के सामने के टेबल पर फ्लैट की चाभी रखी और उसके नीचे एक पेपर पर लिख कर दबा दिया.
‘थैंक्यू.’

उधर से निकल कर मैं वापस अपने शहर आ गया. उधर दो लड़कों से मिलना तय हुआ और उनके साथ सेक्स कर रहा था.

एक इतनी बेताबी से मेरा लंड चूस रहा था जैसे महीनों से उसे लंड न मिला हो.

पीछे से मुझे बांहों में लेकर उसने मेरे नंगे बदन को अपने गर्म नंगे बदन से चिपका लिया था.
दूसरा अपने कड़क हाथों से मेरे जिस्म को सहलाकर मेरे नंगे बदन में आग लगा रहा था और तभी मेरा लंड उसके मुँह में फट पड़ा.

आखिर दो घंटे बाद मेरे जलते जिस्म को राहत मिली.
वे दोनों तो दो दो बार झड़ चुके थे.

पर मेरे जिस्म की आग ही ठंडी नहीं हो रही थी.

रात के दो बज रहे थे.
वे जाने को तैयार होने लगे तो मैंने उनसे कहा- इतनी रात को कहां जाओगे, यहीं रुक जाओ.

‘धन्यवाद … लेकिन मैं नहीं रुक सकता. मॉर्निंग में मेरी वाइफ की शिफ्ट खत्म हो जाती है तो मुझे उसके पहले घर पहुंचना पड़ेगा.’

‘ओह … तुम तो रुक जाओ, तुम्हारा तो ऑफ है कल … मुझे अकेले डर लगता है यार!’ उसने दूसरे को देखते हुए कहा.
‘ओके सर.’

वे दोनों मुस्कुरा दिए और पहले वाले ने जोर से गले लगा मुझे होंठों पर चूमा.
मैंने दूसरे वाले को गले लगा कर विदा ली.

मैं खुश था, कोई तो था मेरे साथ.

शुक्रवार की रात थी, सोने की कोई जल्दी नहीं थी.

कुछ स्नेक्स लेकर हम दोनों ने खाये.
कोल्ड ड्रिंक पी.

टीवी चालू किया … और देखने लगे.

मैं बेड पर सीधा लेटा था और वह मेरी छाती पर सिर रख कर मुझसे चिपक कर लेटा था.

उसका आधा नंगा जिस्म मेरे नंगे जिस्म पर था.

वह अपनी जांघ को मेरे लंड पर रख कर सहला रहा था और उसके हाथ से मेरे नंगे जिस्म को.

दस मिनट में मेरा लंड तनने लग गया.

तो वह मेरे लंड को उसके हाथों में पकड़ कर सहलाने लगा.

मेरा लंड फफड़ाने लगा.
वह नीचे सरक कर सफेद चादर के अन्दर घुस गया और मेरे लंड को चूसने लगा.

उसने 15-20 मिनट लंड चूसने के बाद चादर हटा दी, मेरे लंड पर कंडोम लगा कर मेरे लंड को सीधा पकड़ा और मेरे लंड पर बैठ गया.

उफ़्फ़ …

नंगे जिस्मों की चुसाई और चुदाई का दूसरा दौर प्रारंभ हुआ और अंत सुबह के साढ़े चार बजे हुआ.

हम दोनों बेहद थक चुके थे. हमारे जिस्म संतुष्ट हो चुके थे.
उसकी भी हिम्मत और चुदवाने की नहीं बची थी.
न ही मेरी उसे चोदने की हिम्मत बची थी.

पर शायद उसका मन नहीं भरा था इसलिए मेरे लंड को पकड़ कर सहला रहा था.

‘और इच्छा है क्या?’
‘अरे नहीं, बहुत दर्द हो रहा है.’

‘तुमने मेरा पकड़ कर रखा है, इसलिए मुझे लगा.’
‘अच्छा लग रहा है, ऐसे खेलना. आपके साथ ऐसे न्यूड सोना. किसी के साथ पूरी रात पहली बार बिता रहा हूँ, तो मन नहीं भर रहा. अब और ज्यादा तो नहीं करवा सकता पर आपकी न्यूड बॉडी के साथ खेलना अच्छा लग रहा है.’

‘डियर, अब मुझे नींद आ रही है. मगर मेरा नंगा बदन तुम्हारे हवाले है. तुम्हें जो करना है करो, जैसे करना है करो. मेरी नींद भी खुल जाए तो कोई प्रॉब्लम नहीं है. बस मुझे चोदने के अलावा तुम्हें मेरे जिस्म के साथ जो करना है करो, बस मैं कुछ नहीं करूंगा.’

उसने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया और मुझे चूमने लगा.
फिर नीचे को सरक कर सफेद चादर में गुम हो गया.

वह चादर के अन्दर मेरे जिस्म से खेलने लगा, मेरे लंड को चूमने और चाटने लगा.
मेरे लंड को मुँह में अन्दर तक लेकर चूसने लगा.

मैंने टीवी बंद कर दिया और नाइट लैंप को भी बंद कर दिया.
रूम में अंधेरा पसर गया और उसके द्वारा मेरा लंड चूसने का आनन्द लेते हुए मुझे कब नींद लगी, पता ही नहीं चला.

दरवाजे की घंटी बजने की आवाज से मेरी नींद टूटी.
वह चादर के अन्दर मेरे दोनों पैरों के बीच सोया हुआ था और उसका सिर मेरे पेट पर था.

लगातार दरवाजे पर बेल बजने से उसकी भी नींद टूटी.
तो मैंने कहा ‘मैं देखता हूँ, तुम ऊपर को सरक कर सो जाओ.’

घड़ी की तरफ देखा तो 11:30 बज रहे थे.

दरवाजे की घंटी फिर से बजी तो मैं जोर से चिल्लाया- रुको आ रहा हूँ.

मैं पूरा नंगा था तो मैंने चड्डी पहनी.
टी-शर्ट मिल नहीं रही थी तो ऐसे ही चड्डी में चला गया.

थोड़ा सा दरवाजा खोला.

मैं चड्डी में था तो मैं दरवाजे के पीछे खड़ा था.
मैंने झांक कर देखा तो अवि और रूप थे.

वे दोनों दरवाजा धकेल कर अन्दर आए.
मैं दरवाजा बंद करके अन्दर आया और सोफे पर पसर गया.

नींद पूरी नहीं हुई थी इसलिए बहुत आलस जैसा लग रहा था.

वे दोनों खड़े थे.

‘सही है … लोग बिना बताए चले जाते हैं, हम परेशान होते रहे और तुम यहां किसी और के साथ गुलछर्रे उड़ाओ. बहुत सही सुहास.’ अवि गुस्से में बोल रहा था.

रूप- सुहास, कम से कम आपको बता कर तो जाना चाहिए था!
मैं- क्यों, क्यों बता कर जाना चाहिए था?
रूप- अरे कुछ बोल दिया तो ऐसे चले जाते हैं क्या?

‘जा भी सकते हैं, ऐसे रंग-रेलियां मनाने को … जो नहीं मिलती.’ अवि ने गुस्से में मुझे देखकर, बेड पर लेटे बंदे की ओर इशारा करते हुए कहा.

अवि और रूप दोनों बोलते जा रहे थे.
और मैं चुपचाप सुनता जा रहा था.

अवि जोर-जोर से बोल रहा था जिससे उस बंदे की भी नींद खुल गई और वह अवि और रूप जो बोल रहे थे, उसे वह सुन रहा था और समझने की कोशिश कर रहा था कि माजरा क्या है.

अवि गुस्से में था.
वह मुझ पर नहीं, खुद पर कि उसने मेरे साथ गलत किया था.

अब वह मुझ पर उसका गुस्सा निकाल रहा था.
जब उसने उस बंदे की तरफ देखा तो बोला- पूरी महाभारत ही सुनोगे कि अब जाओगे भी?

मैंने शांत भाव और आराम से पर हर शब्द पर जोर देते हुए कहा- अवि, उससे सही से बात करो. वह मेरा मेहमान है और मैं अपने मेहमान का अपमान नहीं करने दूंगा.

शांत भाव से बोला गया कटाक्ष अवि को चुभ गया.

वह मेरे पास आया और मुझे खड़ा करके अपनी बांहों में जकड़ लिया- सॉरी यार, मुझे पता नहीं क्या हो गया था उस दिन? मुझे ऐसा लगता था कि सिर्फ मैं ही आपसे और रूप से ‘कर’ सकता हूँ.

एक पल रुक कर अवि फिर से बोला- मुझे समझ ही नहीं आया कि क्या-क्या बोल दिया, बाद में रूप ने मुझे बताया कि उस रात क्या हुआ. उसे पता चल गया था कि हम दोनों के बीच कुछ है, तो जब वह मेरी कमियों को स्वीकार कर सकता है, तो मैं क्यों नहीं!

यह बोलकर उसने मेरे होंठों बहुत जोर से चूमा.

मैंने कहा- क्यों सुबह-सुबह मूड बना रहे हो. साला तुम दोनों को देख कर वैसे ही खड़ा हो जाता है.
दोनों हँस दिए.

‘अच्छा तो आज तुम्हारे इसकी ऐसी हालत करेंगे कि 3-4 दिन तक तो खड़ा ही नहीं होगा.’

यह बोलकर रूप मेरे पास आया और मेरी चड्डी में हाथ डालकर मेरे लंड को पकड़ लिया.

‘पर एक शर्त पर, ये मेरी अंधेरी और तन्हाई भरी रात का साथी बना, तो इसे भी जॉइन करो यार प्लीज!’

अवि बेड की तरफ गया और चादर हटाकर कर उस बंदे को गोदी में उठा कर लाया, मुझे सोफे पर धकेला और मेरी गोद में उसे बिठाकर मुझे सोफे के कुशन से मारने लगा.

वह बोल रहा था कि एक ही रात में बहुत प्यार उमड़ रहा है इस पर, हम पर तो कभी नहीं आया!

उसका साथ देने के लिए रूप ने भी दूसरा कुशन उठा लिया और दोनों मुझे मारने लगे.

कुशन फट गया और उसकी रूई पूरे रूम में उड़ने लगी.

फिर दोनों मेरे पास आए और दोनों हसीन मर्दों ने मेरे जिस्म के एक एक अंग को अपने प्यार से सराबोर कर दिया.

हम चारों के नंगे जिस्म ऐसे मिले कि रात दिन का हमें होश ही नहीं रहा.
बचे हुए दस दिन मैंने अवि और रूप के साथ बिताए.
उस वासना महल में जहां हर रात रंगीन होती थी.

तो दोस्तो … ये थी मेरी गे सेक्स कहानी. आपके कमेंट्स का इंतजार रहेगा.
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