न्यूड इंडियन आंटी सेक्स कहानी हमारे ही घर में रहने वाली मेरी जवान चाची के साथ वासना से भरे मजे की है. चाची खुद मेरे सामने ब्रा में आ जाती थी.
मेरा नाम अभिषेक सिंह है, मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ. और अभी मेरी उम्र 25 साल है.
मैं एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ.
यह न्यूड इंडियन आंटी सेक्स कहानी किसी और की नहीं बल्कि मेरी अपनी खुद की चाची की कहानी है और ये एक बिल्कुल ही सच्ची घटना है. यह घटना कुछ साल पहले की है, तब मैं जवान हुआ ही था.
मेरी चाची की उम्र अभी 37 साल है. उनके 3 बच्चे हैं लेकिन देखने में आपको विश्वास नहीं होगा कि 37 साल की उम्र में भी वो एक जवान माल जैसी हसीना दिखती हैं.
ये बात तब की है, जब मैं स्कूल में था और मेरी चाची की उम्र उस समय 30 साल की थी.
उस टाइम उनकी बॉडी एकदम टाइट और मम्मों के उभार अपनी चरम सीमा पर थे.
चाची का सीना 36 इंच का था और ये मैंने उनकी ब्रा पर पड़े नम्बर से पता किया था कि वो किस साइज की ब्रा पहनती हैं.
उनकी कमर शायद 30 या 32 होगी और गांड 38 या 40 की रही होगी क्योंकि उनकी पैंटी के पैकेट पर XL लिखा था तो 36 या 38 का साइज़ रहा होगा.
मेरे मन में उनको पाने की इच्छा तब हुई जब मैंने उनको अधनंगी देखा.
एक दिन चाची मार्केट से आईं और मुझे पक्का याद है, उस दिन को मैं आज भी भूला नहीं हूँ.
वो गर्मी का मौसम था और मई का महीना था.
मुझे उस दिन की घटना का एक एक सीन पूरी तरह से याद है, मैं आज तक नहीं भूल पाया हूँ.
उस दिन चाची मार्केट से आईं, तब शाम के 7 बज रहे थे. मैं पास में कुर्सी पर बैठा था.
चाची ने आते ही अपनी साड़ी उतार दी.
वहां तक तो सब ठीक चल रहा था; मेरे दिमाग में उनके लिए ऐसा कोई भी गंदा ख्याल नहीं आया था.
फिर चाची अन्दर अपने बेडरूम में गईं और थोड़ी देर में वापिस आ गईं.
क्योंकि घर में लाइट नहीं थी और रूम में बहुत ज्यादा गर्मी थी.
चाची ने अपना ब्लाउज भी उतार दिया था.
वो देख कर मेरे होश फाख्ता होने लगे.
फिर चाची में नाइटी के साथ लेने वाला दुपट्टा लिया और अपने शरीर पर ऊपर से लपेट लिया.
फिर भी उनके दूध पहाड़ जैसे दिख रहे थे. पहली बार किसी को सामने से ब्रा में देखा था.
फिर मामला यहां भी रुक जाता, तो भी ठीक होता, मगर चाची ने तो अपनी ब्रा भी उतार दी और कुर्सी पर बैठ गईं.
उनके दूध एकदम आजाद हो गए.
उनके मम्मों को सिर्फ उनका दुपट्टा छुपाने की कोशिश कर रहा था लेकिन वो भी पूरी तरह से छुपाने में नाकाम हो रहा था.
फिर जब चाची कुर्सी से उठ कर खड़ी हुईं, तो उनके मम्मे एकदम बड़े बड़े साफ साफ दुपट्टे के अन्दर झलक रहे थे.
वो मुड़ीं और बेडरूम में अन्दर जाने के लिए बढ़ीं तो उनके दूध ऐसे हिल रहे थे जैसे कोई इंसान नशे के बाद होश में नहीं होता.
चाची के दोनों मम्मों को देख कर मेरी तो आंखें खुली की खुली रह गईं.
लेकिन चाची ने मेरी तरफ नहीं देखा.
उनको लगता था कि मैं अभी भी छोटा हूँ.
फिर वो अन्दर गईं और अपनी नाइटी पहन कर वापिस आ गईं.
लेकिन, फिर भी उनके मम्मों के उभार साफ साफ दिख रहे थे.
उनके चलने से कभी दाएं बाएं, कभी ऊपर कभी नीचे हो रहे थे, उनकी नाइटी से साफ पता चल रहा था.
उस दिन के बाद से चाची के लिए मेरा नजरिया बिल्कुल अलग हो गया और मैंने उस रात में उनके नाम से 4 बार अपने लंड को हिलाया था. मैं उनकी यादों में खोने लगा था.
मैं रोज शाम को इसी नजारे को देखने के लिए उनके पास जाकर बैठने लगा और उनसे बातें करने लगा.
अब मैं रोज ही उनके मम्मों के दीदार के इंतजार में बैठने लगा कि काश फिर से वो सब देखने को मिल जाए.
चाची की चूचियां नंगी देखने को मिल जाएं.
मेरे दिमाग में अपनी चाची के लिए कुछ अलग ही फीलिंग होने लगी थी.
मैं अपना चाची को गर्लफ्रेंड बनाने की सोचने लगा था.
यह सोचना जितना आसान था, कर पाना उतना ही मुश्किल था.
लेकिन मैं भी हार मानने वालों में से नहीं था.
मैं रोजाना उन पर नजर रखने लगा.
सुबह से शाम तक, कॉलेज से आने के बाद, बस इसी इंतजार में रहने लगा कि कब चाची के दूध देखने को मिलेंगे.
मैं उनके नाम की रोजाना मुट्ठी मारने लगा था. जिस रात मैं उनके नाम की मुठ्ठी नहीं मारता था, मुझे नींद ही नहीं आती थी.
एक दिन टंकी में पानी नहीं था और उस दिन सुबह से लाइट भी नहीं आ रही थी कि पानी भर लें.
चाची नहाई नहीं थीं, गर्मी का मौसम था.
वो बिना नहाए रह नहीं पा रही थीं.
उनके बच्चे छोटे थे और पानी लेने के लिए हैंडपंप पर जाना होता था.
इसलिए चाची ने मुझे आवाज लगाई.
उन दिनों मेरी कॉलेज की गर्मियों की छुट्टियां चल रही थीं, जून का महीना आ गया था.
मैं फुल टाइम बस चाची के ऊपर नजर रखने में बिताता था.
जैसे ही उन्होंने मुझे पानी लाने के लिए बोला, मैंने तुरंत ही बाल्टी को उठा लिया.
बड़े साइज की बाल्टी नहीं, सबसे छोटे साइज की बाल्टी … क्योंकि मेरे दिमाग में खुराफाती आइडिया आ चुका था.
मैंने सोचा कि छोटी बाल्टी से 5 चक्कर लगाऊंगा, तब जा कर बड़ी बाल्टी और प्लास्टिक का टब भरेगा.
मैंने पहला चक्कर लगाया और बड़ी बाल्टी में पानी भरा, तो चाची बाथरूम में चली गईं और बोलीं- चलो थोड़ा सा और ले आओ, इतने में हो जाएगा.
मैं बोला- कोई बात नहीं चाची मैं लाता रहूँगा, आप आराम से नहा लीजिए, कोई दिक्कत नहीं है.
मैं पानी लेने दोबारा चला गया और 5 मिनट बाद पानी लेकर आया तो देखा कि चाची अपना मुँह धो रही थीं लेकिन उनके शरीर से साड़ी गायब थी.
मेरे दिमाग में फिर से प्यारा सा सीन चलने लगा था.
फिर जब मैं दोबारा आया तो चाची नीचे प्लास्टिक के स्टूल पर बैठी थीं और अपने पेटीकोट को अपने घुटनों से थोड़े ऊपर करके अपनी थोड़ी सी अर्धनग्न जांघों को दिखा रही थीं.
वो उधर अन्दर हाथ डालकर साबुन लगा रही थीं.
ये देख कर तो मेरे लोअर में तम्बू बन गया था.
चाची की टांगें बिल्कुल गोरी सी, एकदम दूध की तरह ऐसी सफेद थीं, जैसे दूध को थोड़ा आग में गर्म कर दें तो उसमें थोड़ा पिंक कलर आ जाता है, ठीक उसी तरह चाची की गोरी टांगें थीं.
मैं नजर भर कर देख कर पानी लेने वापस चला गया.
लेकिन मेरे दिमाग में उनकी गोरी टांगें ही चल रही थीं.
फिर जब मैं दोबारा आया, तब भी चाची अपनी टांगों को ही दूसरे अंदाज में किए हुए साबुन लगा कर रगड़ रही थीं.
मेरा मन तो अपनी चाची को लेकर एकदम से मचल ही गया.
फिर जैसे ही मैं पानी का अगला फेरा लेकर आया तो चाची बोलीं- बस करो अभि, हो गया.
तो मैंने कहा- कोई बात नहीं, मैं ले आऊंगा चाची.
अब उनको क्या पता था कि बेटा अब वो बेटा नहीं रहा, पूरा हरामी हो गया है.
मैं पानी लेकर आया तो देखा कि चाची ने ब्लाउज के साथ ब्रा को भी उतार रखा था.
लेकिन उन्होंने अपने पैरों को इस मोड़ कर रखा था कि उनके दूध उनके पेटीकोट और जांघों के बीच में दबे थे.
मुझे तो बस चाची के मम्मों के थोड़े उभार दिख रहे थे.
चाची बोलीं- अब बस करो अभि बेटा, हो गया.
लेकिन मैं कहां मानने वाला था, मैं फिर से एक बाल्टी पानी लेकर आया तो देखा कि इस बार बाथरूम का दरवाजा बन्द था.
मैंने सोचा इसे धक्का देकर देखते हैं, बंद है या खुला.
मैंने जैसे ही धक्का दिया, दरवाजा खुल गया.
चाची की एक झलक ही देख पाया कि चाची ने फट से दरवाजा लॉक कर दिया.
मैंने कहा- चाची पानी ले लीजिए.
अन्दर से आवाज आई- अरे बेटा परेशान नहीं हो, मेरा इतने में ही हो जाएगा.
मैं बोला- ये और ले लीजिए, अब लेकर आया हूँ.
चाची अन्दर से ही बोलीं- ठीक है वहीं रख दो, मैं ले लूंगी.
मैंने कहा- ठीक है चाची.
मैं मन मसोस कर चला गया.
लेकिन वो एक पल का जो नजारा था, उसने सच में मुझे जन्नत का नजारा दिखा दिया था.
चाची एकदम नंगी थीं, उनके बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था.
सच बताऊं तो मैंने एक झलक ही देख पाई थी कि चाची ने दरवाजा बंद कर दिया.
इसलिए मैं आपको ज्यादा बता नहीं सकता, बस ये समझ लीजिए कि मैंने उनको देखने के बाद उस दिन 7 बार मुट्ठी मारी थी.
फिर शाम को चाची के पास बैठ कर बातें करने लगा था.
सच बताऊं तो आज के दिन से पहले मुझे सिर्फ मम्मे देखना था, मम्मे देखने के लिए मेरे अन्दर उत्तेजना थी लेकिन दोपहर की घटना के बाद मेरा मन मेरी चाची को पाने का होने लगा था.
मैं किसी भी तरह उनको पाना चाहता था.
फिर मैं उनको पटाने के लिए अलग अलग तरीके सोचने लगा, उनसे ज्यादा से ज्यादा घुलने मिलने लगा, उनसे बातें करने लगा.
मुझे लगता था कि मेरी चाची को थोड़ा सा भी शक नहीं हुआ था कि मैं उनके बारे में ऐसा कुछ सोच सकता हूँ.
फिर एक दिन ऐसा हुआ कि अंकल का फोन मेरे पापा के नंबर पर आया.
वो उनसे चाची से बात कराने के लिए बोले.
पापा ने मुझे मोबाइल दे दिया और कहा कि जाओ बात करा दो.
उस समय ज्यादा लोगों के पास फोन नहीं हुआ करता था, एक घर में एक फोन बस.
मैं मोबाइल लेकर गया.
शायद उस वक्त रात के 11 बजे का समय हो रहा था.
मैंने आवाज लगाई लेकिन कोई नहीं उठा. मैंने फिर से आवाज लगाई, कोई नहीं उठा.
मैं अन्दर चला गया.
उनके बेडरूम में जा कर देखा कि चाची सो रही हैं.
वो गहरी नींद में थीं.
मैंने आवाज लगाई और रूम की लाइट ऑन कर दी.
लाइट ऑन करते ही जो नजारा देखने को मिला, वो अविश्वसनीय था, मुझे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था.
चाची छोटी वाली नाइटी में थीं, ब्लैक कलर में एकदम गोरी गोरी टांगें दिख रही थीं. सफ़ेद रंग के बल्ब की रोशनी में और नींद में होने से शायद उनके दूध के उभार मस्त दिखाई दे रहे थे.
मैंने फिर से आवाज लगाई लेकिन चाची तब भी नहीं उठीं.
फिर मैंने उनके कंधे पर हाथ रखा, कसम से मेरे तन बदन में आग सी लग गई थी.
उनकी नाइटी एकदम रेशम सी मुलायम थी.
उन्हें मैंने हल्का सा झझकोर दिया लेकिन उनकी सांसें लंबी लंबी चल रही थीं.
मैंने आवाज लगाई और थोड़ा जोर से धक्का दिया तो वो अचानक से उठ कर बैठ गईं और बोलीं- क…क्या हुआ?
तब मैंने कहा- फोन है चाचा का.
उन्होंने अपनी नाइटी सही की और बात की.
चाचा ने कहा- मैं आज नहीं आ पाऊंगा, तुम इन्तजार मत करना.
कुछ देर उन दोनों की बात हुई.
फिर मैं फोन लेकर वापिस आ गया.
मेरे मन से अभी भी चाची का ख्याल नहीं जा पा रहा था.
तब मेरे दिमाग में एक आइडिया आया.
मैंने सोचा कि क्यों ना रात में चाची के कमरे में जाया जाए.
वैसे भी वो इतनी गहरी नींद में होती हैं कि उनको पता नहीं चलता है.
मेरे दिमाग में उस टाइम बस चाची को देखने का मन हो रहा था, चाहे जैसे भी देख पाऊं.
उस वक्त मुझे पकड़े जाने के बाद क्या होगा, उसका ख्याल बिल्कुल भी नहीं था.
बस चाची को देखने की इच्छा थी और मैं अपनी इसी कामना के चलते मैं चाची के बेडरूम में चला गया, धीरे धीरे चोरों की तरह दबे पैर बेड के पास गया.
चाची और उनके बच्चे सब लोग गहरी नींद में सो रहे थे.
मैं चाची के बाजू में गया, रात का करीब 1 बज रहा था.
मैंने हिम्मत करके पैरों को थोड़ा धक्का दिया लेकिन कोई असर नहीं हुआ.
वो लंबी लंबी सांसें लिए जा रही थीं.
मैंने अगली बार कुछ जोर का धक्का दिया लेकिन चाची पर कोई असर नहीं हुआ.
फिर मैंने प्यार से पैरों पर हाथ रखा और सहलाना शुरू कर दिया.
पांच मिनट तक सिर्फ घुटने से नीचे तक सहलाया, कसम से मैं हिल गया.
मैं आप लोग को अपनी फीलिंग को कैसे बताऊं, कुछ समझ ही नहीं आ रहा है.
कुछ देर बाद मैं थोड़ा सा ऊपर हाथ ले गया.
वाह … क्या गजब की मुलायम जांघें थीं एकदम मक्खन सा अहसास हो रहा था.
मेरी हथेली से बहुत चौड़ी, मैं अपनी दोनों जांघों को मिला दूँ, तो उनकी एक जांघ बन पाए.
उनकी नाइटी ऐसी चुस्त थी कि ज्यादा अन्दर तक हाथ नहीं जा रहा था.
तो मैंने ऊपर से ही हाथ फेर लिया.
उन्होंने अन्दर पैंटी पहनी थी, ऐसा ही महसूस हुआ.
फिर मैंने कमर पर हाथ लगाया, उनकी नाभि तक हाथ ले गया.
उनकी नाभि में जैसे एक उंगली डाली वो करवट हो गईं और मैं डर के मारे बेड के नीचे छिप गया.
कुछ देर बाद मैंने फिर से हिम्मत की और आगे बढ़ा.
पेट को सहलाते हुए उनके दोनों उभारों के पास आ गया.
चाची का एक दूध तो करवट लेने से उनके हाथों से दब गया था लेकिन दूसरा दूध पूरा का पूरा खुला हुआ था.
बस नाइटी के अन्दर छुपा हुआ था.
मैंने जैसे ही उस पर हाथ लगाया, बाप रे उनका दूध मेरे हाथों में ही नहीं आ रहा था.
चाची की चूचियां बहुत बड़ी थीं, मेरे हाथ में नहीं आ रही थीं.
मैं धीरे धीरे उनकी एक चूची दबाने लगा और उनकी चूची कसम से मखमल से भी ज्यादा मुलायम थी.
कुछ मिनट चूची दबाता रहा.
धीरे धीरे मुझे ऐसा लगा कि उनकी चूची के निप्पल टाइट हो रहे हैं.
इधर मेरे लंड में इतना तनाव हो गया था कि मुझसे रहा नहीं गया.
मैंने अपना लोअर नीचे किया और मुट्ठ मारने लगा.
उनके बेड के नीचे ही सारा माल गिरा दिया और उनकी नाइटी में अपने लंड का वीर्य पौंछ कर बाहर आ गया.
मेरा माल बेड के नीचे पड़ा रहा और मैं छुपता छुपाता वापस आ गया.
घर आकर भी मुझे नींद नहीं आई.
मेरा फिर से जाने का मन हुआ.
तब दो बज चुके थे.
मैं फिर से चाची के रूम में चला गया.
इस बार मेरा मन था कि चाची की पैंटी देख कर ही आऊंगा.
मैं टार्च लेकर गया.
इस बार तो किस्मत मेरे साथ थी.
चाची अपने दोनों पैरों को फैला कर लेटी थीं और नाइटी भी आधी जांघों तक थी. उनकी पैंटी साफ़ साफ़ दिख रही थी.
हाय क्या मस्त पैंटी थी चाची की … मजा आ गया!
जैसे ही मैंने धीरे से चाची की पैंटी के ऊपर हाथ लगाया, चाची ने अपने दोनों पैर चिपका लिए थे.
फिर मैं चाची की चूची को दबाने लगा.
मैंने उनकी दोनों चूचियों को 20 मिनट तक दबाया, कसम से उनके निप्पल टाइट हो गए थे और उनकी सांसें गर्म सी होने लगी थीं.
उनकी सांसें गर्म महसूस करके मेरा दोबारा से पानी निकल गया.
मैं फिर से वापिस आ गया और सुबह सो कर उठा तो चाची से नजर नहीं मिला पा रहा था.
मुझे फिर से ऐसा लगा कि मैंने चाची को शक नहीं होने दिया.
मैंने देखा कि चाची ने अपनी नाइटी साफ की हुई है तो मुझे लगा कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि मेरा माल लगा हुआ था, इसलिए साफ की है.
अगले दिन शाम हुई और चाचा आज की रात भी गायब थे.
मेरे तो मन में लड्डू फ़ूटने लगे थे कि आज चाची का सारा तन बदन मैं सहला लूंगा.
रात हुई सब लोग 10 बजे तक खा पी कर सोने चले गए.
मैं 12 बजने का इंतजार कर रहा था.
आखिर वो घड़ी आ गई, जिसका इंतजार था.
मैं चुपके से अन्दर गया और थोड़ा सा इंतजार किया.
लेकिन आज चाची ने कुछ और ही पहन रखा था.
उन्होंने पेटीकोट और ब्लाउज पहना था. लगता था जैसे भगवान ने मेरी सुन ली थी.
मैंने धीरे धीरे उनका पेटीकोट ऊपर किया और मेरा तो मन हुआ कि चाची की जांघों को चाट लूँ … लेकिन कंट्रोल किया.
उनके पेट को सहलाने लगा.
तभी अचानक से चाची नींद में बोलीं- बस हाथ ही लगाते हैं, कुछ करते तो हैं नहीं!
ये सुनकर मेरी तो गांड फट गई.
मुझे लगा कि चाची उठ गई हैं.
मैं बेड के नीचे हो गया और चुपचाप बैठा रहा.
मैं उनके बोलने का मतलब समझ गया था कि लगता है चाचा सिर्फ गर्म करके ही छोड़ देते हैं, कुछ करते नहीं हैं.
कुछ मिनट बाद मैंने फिर से हाथ लगाना शुरू किया, उनके ब्लाउज के हुक खोल दिए.
बापरे इतनी बड़ी बड़ी चूचियां कि भेजा आउट हो गया.
इतनी बड़ी चूचियां तो फिर चुदाई की वीडियो में ही देखी थीं.
मजा आ गया चूची देख कर.
मैंने दोनों चूचियों को रगड़ा.
अंधेरे में भी चांद की तरह उनका शरीर चमक रहा था. जैसे चांद में भूरे रंग का दाग होता है ना … वैसे ही उनकी चूचियों के ऊपर निप्पल थे.
एकदम अंगूर की तरह रसीले.
मैंने तो अपना लंड भी उनके निप्पल पर लगाया और हिम्मत करके उनके होंठों पर भी लगाया.
कसम से उनकी सांसें गर्म हो गई थीं.
मुझसे रहा नहीं गया, मैंने फिर से माल निकाल दिया.
उस रात मैं उनके रूम में पूरे 2.30 बजे तक रहा.
मैंने सिर्फ उनकी चूत छोड़ कर बाकी सब कुछ बहुत पास से देखा. मैंने उनके ही रूम में 3 बार मुट्ठ मारी.
मेरा मन हुआ कि मैं अपनी चाची को अभी के अभी जम कर चोद दूँ लेकिन डर भी लग रहा था.
अगले दिन चाचा आ गए और रात को होने वाला मजा बंद हो गया.
उस दिन रात को मैंने अन्तर्वासना पर सेक्स कहानी पढ़ी तो मालूम हुआ कि औरत के निप्पल खड़े होते हैं तो उसका मतलब ये होता है कि वो गर्मा रही है. उस वक्त उसकी तेज तेज सांसें भी चलने लगती हैं.
अब मेरी आंखों में रात को हुए वाकिये की फिल्म चलने लगी.
चाची की सांसें भी तेज तेज चल रही थीं और उनकी चूचियों को निप्पल भी कड़क होने लगे थे.
मैं समझने लगा था कि मामला कुछ तो था.
अब ये बात दिमाग में चलने लगी थी कि चाची ने उस रात नींद में चाचा के होने के कारण तो नहीं बड़बड़ाया था.
मैं फिर से परेशान हो गया कि साला मामला क्या है. कहीं मैंने कुछ किया और लफड़ा हो गया तो इज्जत की मां चुद जाएगी.
यही सब सोचते हुए मुझे नींद आ गई.
अगले दिन सुबह जब उठा तो चाचा जा चुके थे.
चाची ने मुझसे खुद ही कहा कि चाचा दो दिन के लिए बाहर गए हैं.
मुझे उनका ये कहना समझ नहीं आया कि उन्होंने मुझसे ऐसा क्यों कहा है.
उसी दिन मेरी मम्मी को कहीं जाना था और पापा अपने काम पर निकल गए थे.
घर में मैं और चाची व उनका छोटा बच्चा ही था. बाकी के दो बच्चे स्कूल गए थे.
चाची ने बाथरूम में जाते हुए कहा- अभि, जरा मेरी पीठ में साबुन लगा कर मल दोगे?
ये उन्होंने पहली बार कहा था, मैं गनगना गया.
कुछ ही देर बाद मैं बाथरूम में चाची के पीछे था और चाची अपने पेटीकोट से अपने जिस्म को आधे से भी कम ढके हुई थीं.
मैंने उनकी पीठ पर हाथ से साबुन लगाना शुरू किया तो चाची ने पेटीकोट को नीचे सरका दिया और खुद झुक गईं.
न्यूड इंडियन चाची को देख मैं गर्म होने लगा था.
तभी चाची ने धीमी आवाज में कहा- अभि, रात में डरते क्यों हो?
मेरी गांड फट गई.
मैं उनसे अलग हो गया.
चाची ने मुड़ कर देखा और मुस्कुरा दी.
वो उठ कर खड़ी हुई और उनका पेटीकोट नीचे सरक गया.
चाची पूरी नंगी मेरे सामने थीं.
तभी घर की घंटी घनघनाई.
मैं एकदम से बाथरूम से बाहर भागा और बाहर जाकर देखने लगा.
कोई पापा को पूछने आया था.
मैंने उसे कुछ ही देर में चलता किया और अन्दर आया.
चाची बाथरूम से बाहर निकल कर अपने कमरे में जा चुकी थीं.
तभी उनकी आवाज आई- अभि, मैं तुम्हारा इन्तजार कर रही हूँ.
दोस्तो, इसके बाद बस चाची की चुदाई हुई वैसे ही जैसे आम चुदाई कि कहानियों में आप पढ़ते हो.
लेकिन चाची को पटाने में जितना मजा आया था, उतना आज तक मजा किसी चीज में नहीं आया था.
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