गाँव की लड़की की सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैंने अपने मामा की पड़ोसन लड़की चोद दी थी. जब मैं दोबारा गाँव गया तो उससे मिल कर दोबारा चुदाई का प्रोग्राम बनाया.
दोस्तो, मैं विवेक एक बार फिर से आपकी सेवा में हाजिर हूँ. मैं चांदखेड़ा अहमदाबाद गुजरात से हूँ.
सभी भाइयों को मेरी तरफ से प्यार और सभी भाभियों, आंटियों और रसीली लौंडियों को मेरा बहुत बहुत प्यार.
आप सभी ने मेरी सेक्स कहानी
गांव की लड़की संग पहला सेक्स
को काफी पसंद किया, उसके लिए आप सभी को बहुत धन्यवाद. उस सेक्स कहानी का लिंक भी दे रहा हूँ. जो भाई भाभी चाची आदि पढ़ना चाहें, तो उसका रसास्वादन ले सकते हैं.
उपरोक्त गाँव की लड़की की सेक्स कहानी के लिए आप सभी के सैकड़ों की तादाद में ईमेल मिले थे. मैंने सभी मेल का जबाव देने मैंने भरसक प्रयास किया. मगर तब भी मैं काफी कुछ को सिर्फ थैंक्स ही लिख सका. एक बार फिर से उन सभी को मेरा दिल से प्यार.
आज की सेक्स कहानी उसी कहानी के आगे का भाग है.
मुझे उम्मीद है कि आप सभी को सेक्स कहानी का ये भाग भी काफी पसंद आएगा.
मैं एक बार फिर से बता दूँ कि मेरे लंड की साइज़ 6 इंच है, जो शीतल को बहुत पसंद है.
इस बार दीपावली पर जब मैं मामा के घर गया था, तब शीतल मुझसे रूठी हुई थी.
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
तो उसने कहा- आप कितने महीने बाद आए हो. आपने मुझे तड़पाया है. आपसे सिर्फ फोन पर ही बातें होती थीं. जाओ, मैं आपसे बात नहीं करूंगी.
ये कह कर शीतल मुँह मोड़ कर चलने लगी.
तभी मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपनी बांहों में जकड़ लिया.
मुझे पता था कि उसे क्या चाहिए था.
मैंने उसके रसीले गुलाबी होंठों पर एक किस जड़ दिया और उसके मम्मों को दबा दिया.
वो आह करके चिहुंक उठी. उसकी मीठी आह निकलते ही मैंने उसके मम्मों को छोड़ कर उसकी मोटी गांड को भी दबा दिया.
उसको तो ऐसा लगा … मानो कई साल बाद किसी प्यासे को कुंवा मिल गया हो. वो मुझसे लिपट गई और हम दोनों एक दूसरे की बांहों में कसे हुए चूमाचाटी करने लगे.
यूं ही दस मिनट के बाद उसने बोला- विवेक अब मुझसे रुका नहीं जाता, रात को जल्दी आना.
बस फिर क्या था … मेरे लंड को यूं समझिए कि राहत मिल गई.
मुझे अब रात का इंतज़ार था.
इस बीच मैंने बाथरूम में जाकर लंड हिलाया और एक बार जमा हुआ पानी निकाल कर बहाया तब जाकर लंड को ठंडक मिली. इसके बाद मैंने लंड की सफाई की तो वो जगमग करने लगा.
फिर शाम को खाना खाने के बाद 9:30 को मैंने उसे फ़ोन किया.
तो वह धीरे से दबी आवाज़ में बोली कि उसके पापा-मम्मी और दो साल का छोटा भाई सब साथ में ही लेटे हुए हैं. आज कुछ नहीं हो सकता.
उसकी इस बात से मानो केएलपीडी हो गई मतलब ‘खड़े लंड पर धोखा …’ हो गया था.
पर मैं कहां रुकने वाला था.
मैंने उससे पूछा- तुम किसके साथ सोई हुई हो.
उसने बोला- मैं अपनी खाट पर अकेली लेटी हूँ.
मैंने पूछा और तुम्हारी खाट किस तरफ है?
वो- पहले मेरी खाट है, फिर मां और भाई की खाट है और सबसे आखिर में मेरे पापा की खाट पड़ी है.
मैंने पूछा- कमरे में आया जा सकता है.
वो बोली- मरवाओगे क्या … वैसे कमरे का दरवाजा तो यूं ही उड़का रहता है.
मैंने कहा- ओके … अब मेन दरवाजे की कुंडी कैसे खुलेगी?
वो हंसने लगी और उसने बताया कि उसके घर पर दरवाज़े की कुंडी नहीं लगती थी. कहा तो है कि दरवाजे यूं ही उड़के हैं.
मैं समझ गया.
चूंकि गांव में सभी के घर कच्चे थे, तो दरवाजा यूं ही उड़के हुए रहते थे. उनको खोल कर अन्दर जाना आसान था … पर खतरा भी बहुत रहता था.
मगर अब मैं क्या कर सकता था. मुझसे रहा भी नहीं जा रहा था. रिस्क लेने की बात मेरे दिमाग में घूमने लगी थी.
सोचते सोचते मेरे दिमाग का दही हो गया. क्योंकि मैं प्लान बनाता, तो उसकी चुत याद आ जाती. दिमाग में सिर्फ उसकी चूत चुदाई का बुखार चढ़ा था. मुझे कुछ सूझ ही नहीं रहा था.
मैंने अपने मामा के लड़के को बोला और उसे अपने साथ देने के लिए राजी कर लिया. वो मेरे साथ चल पड़ा.
मुझे उसके घर के नजदीक जाने में डर भी बहुत लग रहा था, पर हिम्मत करके उधर आ ही गया.
फिर मैंने इधर उधर देखा कि कोई देख तो नहीं रहा है. फिर मैं दबे कदमों से रेंगता हुआ उसके घर में धीरे से घुस गया.
मेरी भारी गांड फट रही थी … मानो मैं मौत के मुँह में घुस रहा होऊं.
अन्दर घुसने के बाद मैं दीवार से चिपक कर खड़ा हो गया और अन्दर छाए घुप्प अंधेरे में मैं अपनी आंखों को उधर के माहौल में अभ्यस्त करने का प्रयास करने लगा.
कुछ दो मिनट बाद मैं सब कुछ देख पा रहा था.
मेरे सामने मेरी छमिया शीतल अपनी टांगें खोल कर ऐसे पड़ी थी, जैसे उसे मेरे लंड का इंतजार हो.
मैं उसे देखते ही खुश हो गया. मेरी नजरें उसके उठते बैठते मम्मों को निहारने लगीं.
फिर एक बार मैंने उसकी मम्मी की खाट की तरफ देखा तो वो सो रही थीं.
उसकी मम्मी के बड़े से थन को देख कर एक बार को तो मन बेचैन हुआ, पर अगले ही पल मुझे इस पके पपीते से अच्छी, अपनी छमिया की अमियां लगीं.
मैं धीरे धीरे उसकी खाट के पास आ गया. वो सब सो रहे थे.
मैं धीरे से उसके पास गया औऱ उसके मुँह पर हाथ रख कर उसे जगाया ताकि वो अचानक से किसी अजनबी को देख कर चिल्ला न दे.
वो मेरे हिलाने से जाग गई और मुझे देख कर मुस्कुरा दी.
मैं उसकी खाट पर लेट गया और उससे चिपक कर उसकी रजाई में घुस गया.
बस अब क्या था … आधी जंग तो मैं जीत ही चुका था.
वो मेरी बांहों में आ गई और मुझे प्यार करने लगी. मैंने भी धीरे धीरे उसे सहलाना चालू कर दिया.
रात भी अभी पूरी बाकी थी, भरपूर चुदाई का मजा लिया जा सकता था. मगर एक डर भी लग रहा था कि कहीं कोई जाग न जाए और खामखां में रायता फ़ैल जाए.
मैंने बिना आवाज किए उसके मम्मों को दबाना शुरू कर दिया. मैं तो मानो ज़न्नत में आ गया था. मेरा 6 इंच का लंड लोहे की तरह टाइट हो गया और उसके पीछे की दरार पर टिक गया.
लंड की चुभन से उसकी किलकारी निकल गई, पर मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया.
वो भी चुप होकर मेरे लंड के मजे लेने लगी.
उसका हाथ मेरे लंड पर आ गया मैंने अपनी पैंट का एक पायंचा उतार कर नंगा लंड उसके हाथ में दे दिया.
लंड एकदम खम्बा सा अकड़ा था, वो लंड पकड़ कर हिलाने लगी.
अब बारी उसकी चूत की थी.
मैंने उसकी नाइटी उठाई और पैंटी में हाथ डाल दिया.
आह … मानो मैंने उबलते तेल की कढ़ाई में हाथ डाल दिया हो. एक पल चुत की छोटी छोटी सी मुलायम झांटों में हाथ फेर कर मैंने दरार में उंगली रखी तो मेरी उंगली शीतल की चुत के अन्दर घुस गई.
शीतल की हल्की सी सिसकारी निकलने को हुई … मगर मेरा एक हाथ अब भी उसके मुँह पर था, तो उसकी आवाज दब कर रह गई.
मेरी एक उंगली उसकी चुत में कबड्डी खेलने लगी थी. उसने भी टांगें खोल दीं … तो मैंने दो उंगलियों को चुत के अन्दर कर दिया.
उसकी चूत से गर्म पानी निकलने लगा था. मेरा पूरा हाथ चिपचिपा हो गया.
मैंने उसकी चुत से पानी निकाल कर उंगलियों को अपने लंड पर रगड़ दिया. मेरे लंड को चुत के पानी से बहुत मजा आ गया.
अब मैंने किस करते हुए उसकी चड्डी को जांघों तक खिसका दी. वैसे तो मुझे उसे नंगी करके चोदना पसंद है, पर क्या करें, उसके पापा मम्मी साथ में लेटे थे. नंगी करने के चक्कर में कुछ गड़बड़ी हो जाने का अंदेशा था.
तब तक शीतल ने अपनी चड्डी को एक टांग से निकालते हुए चड्डी को दूसरी टांग पर फंसा कर छोड़ दिया.
फिर मैंने उसकी एक टांग को जरा सा हवा में उठाया और अपना लंड उसकी चूत पर टिका दिया. लंड के सुपारे ने चुत की फांकों में फंस कर आग उगलना शुरू कर दी थी.
उधर शीतल की गांड भी अपनी चुत के इशारे पर उछलने लगी थी. जल्दी ही लंड ने चुत के मुहाने पर अपना दांव खेल दिया और उसी पल मेरी कमर ने एक ज़बरदस्त जर्क लेकर हमला बोल दिया. मुझे पता था कि लंड लेते ही उसकी चीख निकलेगी, पर मैंने पहले ही उसका मुँह दबा रखा था.
मेरा लंड चुत में घुसा और उसकी चीख निकली- उई मां मर गई.
मगर उसकी आवाज दब कर रह गई. मगर वो काफी दिनों बाद लंड ले रही थी तो उसे दर्द हो रहा था, उसकी आंखों से आंसू निकल आए.
मैं लंड घुसाए यूं ही रुका रहा.
थोड़ी देर बाद उसको भी मज़ा आने लगा. अब वो भी अपनी कमर चलाते हुए मेरा साथ देने लगी.
मेरा तो मानो डर भाग गया था. मैंने भी उसे पलटा और उसके ऊपर चढ़ गया. वो भी अपनी टांगें मेरी कमर से लपेड़ कर लंड को अन्दर तक लेने लगी. मैं भी तेजी से शॉट मारने लगा.
उसके चुचे अब सख्त हो गए थे. इस समय वो अपने तीखे नाखून मेरी पीठ पर गाड़ रही थी. मेरे हमला दे दनादन जारी थे. अब तक दस मिनट की चुदाई हो चुकी थी. वो दो बार झड़ भी चुकी थी.
तभी मुझे याद आया कि खाट पर चुदाई के झटकों के कारण चुचूं चुचूं की आवाज आ रही है. उसकी चूत गीली हो जाने की वजह से अब साली ठप ठप ठप की आवाज़ भी आने लगी थी.
पर मेरे लंड में आग लगी पड़ी थी. मैं अब कहां रुकने वाला था. मैं मन में सोच लिया था कि आज चाहे जान भी चली जाए, पर शीतल की चुत चुदाई तो पूरी करके ही जाऊंगा.
यह बात सिर्फ दिमाग में थी, कोई खतरा था नहीं.
मगर दस बीस धक्कों के बाद मेरे वीर्य की धार निकली और उसकी चूत को मैंने अपनी सफेद रबड़ी से भर दिया.
मुझे चोदने के बाद शीतल को बांहों में कस लेना पसंद है. मैं वैसे ही उसे अपनी बांहों में कसे पड़ा रहा.
तभी मेरी नज़र उसकी मां पर पड़ी. मुझे लगा शायद वो जाग रही थीं और उनका हाथ शायद उनकी चूत पर था.
पर तभी उसका छोटा भाई रोने लगा शायद उसे भूख प्यास लगी थी.
मैं डर गया.
शीतल भी डर गई.
मैंने सोचा आज तो बेटा तू गया.
उसकी मां तुरंत जाग गई और उसने मुझे पकड़ लिया.
वो बोलीं- ये क्या कर रहा है तू! शीतल के पापा को जगाऊं क्या. चला जा यहां से!
मैं तो यह सुनते ही वहां से भागा. पर मैंने सिर्फ कच्छा ही पहना था. पैंट लाना ही भूल गया था.
भागते समय मेरे दूर के मामा ने मुझे देख लिया. यह बात मुझे तब पता चली, जब दूसरे दिन उन्होंने मुझे बताया.
उस रात मैं काफी घबरा गया था.
मैंने सोचा अब तो शीतल की मम्मी मेरे घर झगड़ा करने आएगी.
मैंने अपने मामा के लड़के के कपड़े पहने और सोने का नाटक करने लगा.
सुबह जब मैं उठा, तो सब सामान्य था.
मैंने सोचा कि अभी तक उसकी मम्मी ने शीतल के पापा को क्यों नहीं बताया.
तब मुझे लगा कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि शायद उसकी मम्मी को भी मेरा लंड पसंद आ गया हो … क्योंकि वो चुदाई देखते समय अपनी चुत सहला रही थीं.
हो न हो शीतल की मम्मी भी मुझ पर फिदा हो गई है.
तीसरे दिन हिम्मत करके मैं शीतल की मम्मी के सामने गया … तो उन्होंने मेरे साथ ऐसे सामान्य व्यवहार किया मानो कुछ हुआ ही ना हो.
मैंने डरते हुए उनसे नमस्ते की तो उन्होंने मुझसे प्यार से बात की.
मैंने पूछा- और सुनाओ चाची कैसी हो? आपका बच्चा अब शैतान हो गया होगा.
शीतल की मम्मी- शैतान तो तू भी काफी शैतान हो गया है.
मैंने- अब मैंने क्या शैतानी की चाची?
शीतल की मम्मी- तूने मुझे आस जगा दी है.
मैं समझ गया मगर बन कर बोला- कैसी आस चाची?
वो इधर उधर देखते हुए बोलीं- तू तो जानता ही है कि शीतल के पापा की अब तबियत ठीक नहीं रहती है. उनसे कोई काम ठीक से होता ही नहीं है.
मैं बोला- अरे तो आप मुझे बताओ न क्या काम करवाना है.
शीतल की मम्मी- वही सब काम करवाने का मन है जो तू करता है.
मैंने कहा- साफ़ साफ़ बोलो न चाची मैं तो आपकी हरा तरह की सेवा करने को राजी हूँ.
वो हंस दीं और बोलीं- चल एकाध दिन में बताती हूँ.
उनकी बातों से मुझे लगा कि वो भी मुझसे चुदवाना चाहती थीं.
मैंने शीतल की मम्मी को भी चोदा, वो भी उन्हीं के बाथरूम में चुदाई की थी. वो सेक्स कहानी में आपको अगली बार बताऊंगा.
उम्मीद है आपको मेरी ये गाँव की लड़की की सेक्स कहानी पसंद आई होगी. मुझे ईमेल करना मत भूलिएगा. मुझे आपके मेल का इंतज़ार रहेगा, धन्यवाद.
मेरी मेल आईडी है
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