अन्तर्वासना के पाठकों को विक्रम का सादर भरा नमस्कार, आपने मेरी पिछली कहानी पढ़ी
ऑफिस की लड़की की जबरदस्त चुदाई के बाद…
जो मेरी और रीना की सत्य कथा थी. कहानी में आपने पढ़ा कि हमने पहले जबरदस्त चुदाई की फिर अंत में प्रेम विवाह कर लिया था. इस नई कहानी के माध्यम से हम हमारे हनीमून की चुदाई भरी दास्तान पेश कर रहे हैं. आशा है आपको बहुत पसंद आएगी और आपके जीवन में कामरस घोल देगी.
मेरा नाम विक्रम है कद 5 फुट 11 इंच, उम्र 29 वर्ष और मेरी पत्नी का नाम रीना है उम्र 23 वर्ष कद 5 फुट 2 इंच. मेरे लिंग की लम्बाई काफी है, और मुझे सेक्स का काफी अनुभव और शौक है. मेरी पत्नी के बदन का साइज एकदम मॉडल… हीरोइन जैसा है, दुबला और कामुक शरीर, जिसको काफी लम्बी अवधि तक और अलग अलग मुद्राओं में चोदा जा सकता है.
विवाह के बाद जैसा कि शादीशुदा जोड़े हनीमून के लिए जाते हैं, हमने भी आज से ठीक 1.5 वर्ष पहले फरवरी के महीने में दार्जीलिंग की वादियों में जाने का निश्चय किया. अब हम जयपुर से सिलीगुड़ी की ट्रेन में चढ़ चुके थे. हमें साइड वाली बर्थ मिली थी. रीना ने गहरे हरे रंग का सूट पहना था और सफ़ेद चुन्नी थी, मैंने नीली कमीज और जीन्स पहनी थी.
हम काफी खुश थे जैसे सारा जहाँ ही पा लिया हो और ट्रेन में बैठे बाकी मुसाफिर भी हमारी खुशियों का अंदाजा लगा रहे थे.
हम सवेरे सवेरे सिलीगुड़ी स्टेशन पहुंच गए, वहां से फिर एक कार में दार्जिलिंग की वादियों में जाने लगे, ठण्ड भी काफी हो रही थी, तभी पीछे की सीट पे मुझे मस्ती सी सूझी, मैंने रीना का सर अपने कंधे पे रख लिया उसने मुझे कुछ नहीं कहा और एक कातिल सी मुस्कान दी.
अब मेरा मन बेकाबू सा होने लगा, मेरा लिंग इन हिमालय की पहाड़ियों की तरह खड़ा और मदहोश होने लगा मैने अपने लिंग को मन ही मन खूब समझाया ‘बेटा, मान जा! अभी से मौका-मौका मत कर, तुझे तो पूरे पांच दिन इस पिच पर टिकना है और खूब धुआँधार और चोदम चुदाई वाली लम्बी पारी खेलनी हैं.’
क़रीब ढाई घंटे के सफर के बाद हम दार्जीलिंग में अपने पहले से बुक किये हुए रूम में प्रवेश कर चुके थे.
जाते ही बाथरूम में घुसे, शावर से गरमा गर्म पानी आ रहा था. हम दोनों एक साथ आलिंगन में नहाने लगे.
मुझे रीना का वो कोमल और मखमली जिस्म का अहसास मेरे रोम रोम को रोमांचित कर रहा था. मैंने उसके जिस्म के हर अंग को चूमना शुरू कर दिया, वो सिसकारी भरने लगी और कहने लगी ‘अभी नहीं! बाद में… पहले थोड़ा घूम फिर के आते हैं ना’
मैंने कहा- मुझसे काबू नहीं हो रहा, क्या करूँ… अच्छा! तुम मेरे लण्ड को हल्का सा चूस दो ना!
रीना धीरे से नीचे फर्श पे बैठ गई और मेरे लिंग को मुँह में लेकर चूसने लगी वो मुखमैथुन क्रिया में इतनी माहिर खिलाड़ी है कि क्या बताऊँ… उसके मुलायम रसीले होंठ मेरे लिंग पर ही नहीं मेरी अंतरात्मा तक को कामरस का सेवन कराते हैं.
5-7 मिनट चूसने के बाद हम दोनों तैयार होकर थोड़ा घूमने निकले, हमने हिमालयन ज़ू, दार्जीलिंग का चौरास्ता, रिंक मॉल, मॉल रोड घूम लिया था और दिन का लंच भी एक आलीशान रेस्तराँ में कर लिया था, शाम होने को आई तो हम अपने होटल पहुंच गए.
तभी मेरे मन में ख्याल आया कि क्यों ना आज शानदार मस्ती की जाये, आखिर रीना को भी हक़ है ज़िंदगी की वो सारी मस्तियां मारने का. जो मैं कर चुका हूँ.
मैंने रीना को रूम में इस बहाने से छोड़ा कि मोबाइल में रिचार्ज करवाना है और सीधा नीचे एक वाइन शॉप पे गया. मैंने एक महंगी सी रम की बोतल खरीदी, कुछ कोल्ड ड्रिंक भी ली.
पाठकों से निवदेन है कि मद्यपान करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है.
फिर हमने डिनर भी आर्डर कर लिया. टीवी ऑन करके एक रोमांटिक हॉलीवुड मूवी भी देखने लगे.
मैंने रीना को रम का एक पेग कोल्ड ड्रिंक मिला कर हाथ में दिया और कहा- इसको पीकर देखो, मज़ा आएगा, बहुत अच्छा ड्रिंक है.
रीना ने तिरछी नज़र से मुझे देखा- अच्छा जैसे मुझे पता नहीं क्या पिलाया जा रहा है!
और वो धीरे धीरे पीने लगी.
मैं भी पी रहा था.
वो खामोशी और सुरूर… दो जवान दिल आज एक जिस्म हो चाहते थे. हमने फिर खाना खाया और कुछ देर बाद हमबिस्तर हो गए.
मुझे लगा कि आग तो सिर्फ मुझे लगी है पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं था. रीना ने पहल की, उसने मेरे लोवर में हाथ डाला और एक निपुण महारथी की तरह मेरा लिंग पकड़ लिया. वो मेरे लिंग को हल्के हल्के सहलाने लगी, मैं भी कम नहीं हूँ, मैंने उसके स्तन दबाने शुरू कर कर दिए. अचानक से मैं उठा और फिर उसकी नीली नाइटी में अपना सर घुसा दिया. मैंने अपनी मोबाइल की टॉर्च ऑन की और अन्दर देखा तो रीना ने पेंटी पहनी ही नहीं थी, वो चुदवाने की पूरी तैयारी में थी.
मैं उसकी चूत को चूसने लगा और वो जोर जोर से सीत्कार भरने लगी- आई लव यू सो मच विक्रम… खा जाओ मेरी जान… इस जिस्म और चुत पे लिखा है एक ही नाम विक्रम!
काफी देर चूसने के बाद, हम दोनों सम्पूर्ण नंगे हो गए. अब मैंने रीना को इशारा किया, वो तुरंत मेरे ऊपर आ गई और लण्ड को अपनी चुत पर सेट करते हुए बैठ गई, मेरा लिंग उसकी चुत में पूरा घुस चुका था वो वो जोर जोर से मेरे लण्ड पर कूदने लगी. करीब 20 मिनट मेरे लण्ड पर सवारी करने के बाद वो उतरी और मैंने उसे प्रेम से नीचे लिटाया और फिर उसकी टांगों को फैला कर अपना लण्ड उसकी चुत में घुसा दिया, फिर जोर जोर से धक्के देने लगा.
वो जोर जोर से चिल्लाने लगी- और चोद मुझे साले और चोद! विक्रम!
मेरा मन प्रफुलित हो रहा था कि मेरी बीवी तो बहुत ही मस्त और कामुक है, मेरी ज़िंदगी तो अब राजा महाराजा की तरह होने वाली है.
मेरे धक्कों की गति बहुत तेज़ और होने लगी थी, मैं पूरा लिंग बाहर निकलता और चुत में पूरा अंदर तक डालता. हम दोनों इतनी ठण्ड में भी पसीने से तरबतर हो रहे थे और मेरे धक्के बढ़ते ही जा रहे थे, आज मैं रुकने वाला नहीं था.
फिर अचानक से मैंने एक जोरदार सा झटका मारा और लण्ड बच्चेदानी पे जा टकराया और मेरा वीर्य छूट गया. मेरी बीवी की पूरी चुत वीर्य से भर गई… मैं रीना के ऊपर गिर गया और फिर हम दोनों ने एक हल्का सा चुम्बन किया और सो गए.
अब अगले 4 दिनों तक मैंने रीना को पीछे से घोड़ी बना कर, नीचे से ऊपर से, साइड से शायद कामसूत्र में मौजूद काफी मुद्राओं में चोदा और उसे पूरे 4 दिन के हनीमून में उसे पेंटी तक पहने नहीं दी.
हम लोग खूब घूमे फिरे और इन यादगार पलों की स्मृति लिए जयपुर रवाना हो गए.
आशा है आपको हमारी मस्त चुदाई कहानी अच्छी लगी होगी, आप हमें आपके विचार हमारी नीचे दिए गए ईमेल पे भेजें.
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