जैसा आप लोगों ने मेरी सेक्स कहानी के पहले भाग
तनहा औरत को परम आनन्द दिया-1
में पढ़ा कि पूर्वी मैडम को मेरे साथ सेक्स करके बहुत मज़ा आया और अब वो मुझसे सप्ताह में कम से कम एक बार तो ज़रूर ही मिलती हैं और हम दोनों जम कर सेक्स करते हैं.
अब आगे:
उसके कुछ दिन बाद सुबह के करीब दस बजे पूर्वी मैडम का फिर से कॉल आया मुझे- हेलो आर्यन!
मैं- हाँ … बोलिए मैडम?
पूर्वी- आज दोपहर को फ्री हो क्या?
मैं- हाँ मैडम, मैं फ्री हूँ आज … बोलिए कहाँ मिलना है?
पूर्वी- आज घर पर नहीं मिल सकते, कुछ प्राब्लम हैं मिल कर बताती हूँ.
मैं- ओके.
पूर्वी- तो मैं होटल रूम बुक करूँ?
मैं- हाँ कर दीजिए.
पूर्वी- टाइम?
मैं- दो बजे से पांच बजे तक के बीच बुक कर दीजिए अगर आपको सूट करता हो तो!
पूर्वी- ठीक है, मैं कर देती हूँ.
उसके बाद मैं टाइम पर पहुँच गया जहाँ हम हमेशा मिलते थे … पर मुझसे पहले पूर्वी वहाँ पहुँच चुकी थी. शायद मुझसे ज्यादा उन्हें जल्दी थी मिलने की.
फिर हम बाकी फॉर्मिलिटीज़ पूरी करने के बाद रूम में पहुँच गये … पूर्वी मैडम आगे थी और मैं पीछे.
रूम में पहुँचने के बाद मैं दरवाजा लॉक करने लगा, उतने में पूर्वी मैडम पीछे से मुझसे चिपक गयी.
मैं- मैडम थोड़ा तो वेट करो … अब हमें 3 घंटे तक कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा.
पूर्वी ह्म्म्म्म बोलते हुए पीछे हट गयी.
मैं- वैसे आज आपने घर पर नहीं बुलाया मुझे?
पूर्वी- हाँ, दरअसल आज बगल के घर में पूजा थी तो वहाँ काफ़ी लोग आ जा रहे थे इसलिए … और मुझे आज मिलने का बहुत मन कर रहा था.
मैं मन में ‘मिलने का मन कर रहा था या चुदवाने का मन कर रहा था’- ओके.
आज घर से ही मैं सोच कर निकला था कि आज मैडम की गांड का छेद बड़ा करना ही है.
इससे पहले भी मैंने ऐनल सेक्स यानी गुदा मैथुन यानि गांड मारने की बात की थी लेकिन उस समय पूर्वी ने यह बोल कर मना कर दिया था कि बाद में कभी ट्राई करेंगे.
उसके बाद मैं पूर्वी मैडम को अन्तर्वासना साइट पर लड़कियों की गांड मारने की कहानी पढ़ने को बोलता या वो सब कहानियाँ पढ़ कर सुनाता था ताकि उन्हें भी ये मालूम चले कि गांड मराने में भी मज़ा आता है.
अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज के बारे में उन्हें पहले से ही पता था, शायद उनकी किसी सहेली ने बताया था उन्हें, तो वो भी इस बेस्ट साईट पर चुदाई की कहानियाँ तो पढ़ती थी.
मैं खासतौर पर उनको वही गांड मराने वाली कहानी पढ़ने के लिए बोलता जो किसी महिला लेखक के द्वारा लिखी गयी थी, क्योंकि पुरुष सेक्स के टाइम महिला के दर्द का अहसास नहीं कर सकते। महिला अपने दर्द, अपनी खुशी और अपने संतुष्टि का विवरण अपने शब्दों में दे तो कोई भी महिला उसकी बात समझ सकती है।
मैंने भी ऐनल सेक्स की कई कहानी पढ़ी हैं अन्तर्वासना पर जिसमें कई लेखक लिखते हैं कि गांड में लंड डालने के थोड़ी देर बाद ही महिला को मज़ा आने लगा और वो भी गांड आगे पीछे करके अपनी गांड मराने लगी। मैंने भी कई भाभी, आंटी और लड़कियों के साथ सेक्स और एनल सेक्स किया है पर ऐसा कभी नहीं हुआ कि पहली बार में ही उन्हें गांड सेक्स में मज़ा आने लगा। मुझे लगता है कि एनल सेक्स करने से पहले गुदा मैथुन की तैयारी करना ज्यादा जरूरी होता है और अपने साथी को यह भरोसा दिलाना भी जरूरी होता है कि आप उसको दर्द नहीं, मज़ा देंगे।
दोस्तो, मैं किसी को बुरा या गलत साबित नहीं करना चाहता, सबका अपना अपना अनुभव होता है और अपनी अपनी यादें होती है सेक्स की।
अभी तक हममैं और पूर्वी करीब सात बार मिल चुके थे और हर बार हमने दो तीन बार सेक्स किया.
मैं- मैडम आज एनल सेक्स ट्राई करें क्या?
पूर्वी- सेकेंड राउंड में ट्राई करते हैं.
मैं- ओके.
मेरे लिए ये भी कम खुशी की बात नहीं थी कि पूर्वी मन ही मन में तैयार तो हैं एनल सेक्स के लिए …
जब मैं पहली बार पूर्वी को कुतिया बना कर चोद रहा था, तभी उनकी गुलाबी गांड देख कर मन बना लिया था कि अगर मौका मिला तो मैडम की गांड भी मारूँगा … और आज वो दिन शायद आ गया था.
तो जैसा मैंने आप लोगों को बताया कि गांड चुदाई की कहानियां पढ़ पढ़ कर उनका भी मन था ऐनल सेक्स करने का और वो दूसरी बार ट्राई करने को बोली थी मुझे। तो हमने एक बार जम कर सेक्स किया और रिलैक्स करने लगे।
थोड़ी देर नार्मल बातचीत हुई हमारे बीच … फिर धीरे धीरे एक दूसरे के बदन से खेलना और छेड़ना शुरू हो गया हमारा।
मैं- आप तैयार है सेकंड राउंड के लिए?
पूर्वी- हाँ …
कपड़े तो हमारे पहले ही निकल चुके थे, हम दोनों जन्मजात नंगे एक दूसरे के बगल में पड़े थे।
मैंने पूर्वी के ऊपर आकर चुम्बन करना आरम्भ कर दिया और चूमने के साथ साथ कभी गले पर तो कभी कान के लौ पर भी काट लेता जिससे उनकी आह निकल जाती। अब मैं धीरे धीरे नीचे की तरफ बढ़ने लगा, पहले मैडम के दोनों चुचों को बारी बारी से एक एक करके कभी चूसता, तो कभी मसलता … जिससे कभी उनकी सिसकारी तो कभी आह निकल जाती। मुझे उनको पूरी तरह से गर्म करना था ताकि वो वो सब करे जो मैं चाहता हूं.
इसलिए मैं अब उनके दोनों पैरों को मोड़ कर पैरों के पास बैठ गया और आंखों की भौ को ऊपर करते हुए उनकी तरफ इशारा किया.
मेरी मंशा जानकर वो पहले तो मुस्कुराईं फिर अपने दोनों पैर खोल कर मेरा स्वागत किया।
मैंने भी देर न करते हुए अपने होंठ उनके नीचे वाले होठों (चूत) पर लगा दिये और अपने तरीके से पहले धीरे धीरे अपनी जीभ से फिर जल्दी जल्दी उनके चूत के दाने से खेलने लगा और वो मस्ती में सिसकारियां भरने लगी.
मुझे इस बार उनकी गांड मारनी थी … वो भी उनकी मर्जी से … तो उसके लिए उन्हें तैयार भी करना था. इसलिए मैंने उनकी चूत चाटते हुए अपने हाथ की एक उंगली पर थोड़ा सा थूक लगाकर उनकी गांड के छेद पर रख दिया और धीरे धीरे उनकी गांड सहलाने लगा जिससे उन्हें थोड़ी गुदगुदी होने लगी तो वो थोड़ा इधर उधर करने लगी।
मैं भी उनकी दोनों टाँगों को पकड़ कर और जोर से उनकी चूत चाटने लगा और एक हाथ की उंगली से फिर उनकी गांड सहलाने लगा।
इस बार पूर्वी ने अपने बदन को इधर उधर नहीं किया बल्कि और जोर जोर से सिसकारियां भरने लगी।
फिर मैं भी मौका देखकर उंगली धीरे धीरे उनकी गांड में डालने लगा।
पहले तो वो थोड़ा कसमसाई … पर चूत पर मेरा लगा होना उन्हें रिलैक्स कर गया और मेरी उंगली भी उनके गांड में अंदर बाहर होने लगी।
इस दौरान मैं कभी एक उंगली या दो उंगली उनकी बुर में भी डाल देता जिससे वो सिहर उठती और कभी दूसरे हाथ से चुचे भी मसल देता!
अब वक्त था थोड़ा और आगे बढ़ने का … तो मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया।
मेरा रुकना शायद पूर्वी को पसंद नहीं आया तो उसने शिकायत भरी नज़र से मुझे देखा जैसे पूछ रही हो कि रुक क्यों गए?
मैं भी उनकी तरफ देख कर धीरे से मुस्कुरा दिया और बोला- आप तैयार हैं?
पूर्वी- हाँ …
मैं मैडम की गांड की छेद पर उंगली रखते हुए- इसके लिए?
पूर्वी थोड़ी संकुचाती हुई- दर्द होगा?
मैं- डरो मत मैम, अगर आपको तकलीफ हुई तो नहीं करेंगे।
पूर्वी- ओके.
फिर मैं उनकी टांगों के बीच बैठ कर उनकी चूत चाटने लगा और इस बार दो उंगली उनकी गांड में डाली जिससे वो चिंहुक उठी और गर्दन के सहारे सिर ऊपर करके मेरी तरफ देखने लगी जैसे बोल रही हों कि ‘दर्द हुआ मुझे …’
मैंने भी उनकी तरफ प्यार से देखा और धीरे धीरे उंगली आगे पीछे करना चालू रखा।
चूत चाटने की क्रिया काफी देर से चल रही थी लेकिन इस बार वो अभी तक एक बार भी नहीं झड़ी, शायद गांड मराने के दौरान होने वाले दर्द के डर की वजह से।
मैंने भी अब ज्यादा देर करना ठीक नहीं समझा और अपने लंड को थोड़ा गीला करके एक बार में उनकी चूत में घुसा दिया, पहले एक बार करने की वजह से पूर्वी को उतना तकलीफ तो नहीं हुई पर बोलते है ना कि एक मीठा दर्द तो हर बार होता है। उनका चेहरा देखकर मुझे भी यही लगा।
मैं अभी भी उनके ऊपर था, मतलब हम मिशनरी पोजीशन में सेक्स कर रहे थे। बीस तीस धक्कों के बाद मैंने अपना लंड उनकी चूत से निकाल लिया और अपने बैग से लुब्रिकेंट की बोतल निकाल ली। मैं हमेशा अपने साथ एक लुब्रिकेंट की बोतल अपने बैग में रखता हूं।
लुब्रिकेंट की कुछ बूंदें अपनी उंगलियों पर लगा कर पहले मैंने उनकी गांड के छेद पर अच्छे से लगा दिया फिर पहली और बीच वाली उंगली पर लुब्रिकेंट लगा कर पहले एक उंगली उनकी गांड में धीरे धीरे डालने लगा, लुब्रिकेंट की वजह से और पहले भी उंगली डालने की वजह से एक उंगली आराम से उनकी गांड में चली गयी।
थोड़ी देर उंगली अंदर बाहर करने के बाद मैंने एक साथ दोनों उंगलियां डालने लगा।
थोड़ी मशक्कत करने के बाद दोनों उंगली भी आराम से अंदर बाहर होने लगी।
इस दौरान मैं हाथ के अंगूठे से चूत के दाने को भी हल्के हल्के मसल रहा था ताकि वो दर्द को भूल जाये।
और मेरी यह तरकीब काम कर गयी, थोड़ी ही देर में मैं मेरी दोनों उंगलियों को गोल गोल उनकी गांड में घुमाने लगा।
लग रहा था कि उनकी गांड का छेद खुल गया है और यह सही समय है लंड डालने का।
फिर मैंने एक बार फिर से अपने लंड को लुब्रिकेंट से अच्छे से नहलाया और उनकी दोनों टांगों को एक बार फिर से घुटनों से मोड़ कर उनके ही हाथों में पकड़ा दिया ताकि उनकी गांड का छेद अच्छे से खुल जाए.
पूर्वी ने भी मेरा पूरा सहयोग दिया.
जैसा मैं चाहता था, पूर्वी ने भी ठीक वैसे ही अपनी टांगों को पकड़ कर अपनी गांड का छेद खोल दिया।
उस समय पूर्वी के चेहरे पर होने वाले दर्द का डर साफ झलक रहा था।
मैंने ज्यादा देर करना ठीक नहीं समझा और पूर्वी के पुट्ठों को सहलाते हुए गांड के छेद पर अपना लंड रख दिया। मैंने इशारे से ही पूर्वी से आगे बढ़ने की अनुमति मांगी और पूर्वी ने भी अपनी पलकें झुका कर अपनी मूक सहमति दे दी।
मैं धीरे धीरे अपने लंड को आगे बढ़ाने लगा, मेरी पहले की गई मेहनत और लुब्रिकेंट की वजह से लंड का सुपारा आराम में गांड में घुस गया।
लंड का सुपारा जाने में पूर्वी को कोई तकलीफ नहीं हुई।
इस दौरान मैं उनकी चूत के दाने को भी हल्के से मसल रहा था और कभी कभी उंगली भी चूत में डाल देता था।
अब धीरे धीरे मैं लंड को आगे पीछे करने लगा, पीछे तो कम पर आगे करने के टाइम हल्का सा ताकत लगा देता जिससे लंड और अंदर चला जाता।
पूर्वी के चेहरे और माथे पर दर्द का अहसास साफ झलक रहा था।
फिर भी उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया जिससे लंड बाहर निकल जाए या मुझे कोई प्रोब्लम हो।
आगे पीछे करते हुए धीरे धीरे ही सही मेरे लंड का लगभग आधा हिस्सा उनकी गांड में घुस चुका था।
अब मैंने एक बार फिर से अपना लंड पूरा बाहर निकाल लिया मेरे लंड निकालते ही पूर्वी ने एक लंबी और राहत की सांस ली जैसे उसने कोई बाधा पार कर ली हो।
पूर्वी- कितना अंदर गया था?
मैं- आधा!
पूर्वी- फिर निकाल क्यों लिया?
मैं- लंड को और गीला करना ह इसलिए …
पूर्वी- ओके.
मैं- आपको ज्यादा दर्द तो नहीं हुआ ना?
पूर्वी- दर्द तो हुआ … पर उतना नहीं कि बर्दाश्त न कर सकूँ।
मैं- ओके … और आगे बढ़ना है या बस?
पूर्वी- अब इतना कर लिया तो पूरा करके देखते हैं कि मज़ा मिलता है या दर्द!
मैं- मज़ा ही मिलेगा और मिलता ही है वरना गे बंदे नहीं होते।
पूर्वी- ह्म्म्म … चलो फिर से ट्राय करते हैं।
इतना बोलकर वो खुद पहले की पोजीशन में आ गयी जैसा मैंने पहले किया था उन्हें, मतलब खुद ही टांगों को घुटने से मोड़ कर हाथों से पकड़ लिया।
मैंने एक बार फिर लुब्रिकेंट अपने लंड और उनकी गांड के छेद पर लगाया और लंड डालने लगा।
इस बार लंड का आधा हिस्सा आराम से चला गया पर दर्द की वजह से उनकी टांगें छूट गयी उनके हाथ से और बोली- आराम से करना यार, दर्द हो रहा है।
मैं- आराम से ही करूँगा जैसे अभी तक करता आया हूँ।
पूर्वी- ह्म्म्म …
बोलते हुए अपनी आंखें बंद कर ली मैडम ने!
मुझे ऐसा लगा कि जैसे अब ये हर दर्द सहने को तैयार हैं. और काफी टाइम भी हो गया था, हमें जल्दी जल्दी काम निपटा कर निकलना भी था तो अब ज्यादा देर करने की गुंजाइश भी नहीं थी। और हमने भी दर्द वाले भाग तो पार ही कर लिया था अब तो बस धक्के लगाना था।
मैंने एक बार फिर अपना लंड उनकी गांड में आगे पीछे करना शुरू कर दिया और इस बार 5-7 धक्कों में ही मेरा पूरा लंड उनकी गांड में समा गया, थोड़ी देर इसी पोजीशन में उनकी गांड मारने के बाद मैंने उन्हें कुतिया बनने को बोला और वो तुरंत ही कुतिया बन गयी जैसे मेरे ही कहने की देर थी।
इस बार मैंने लुब्रिकेंट सीधे मैडम की गांड के छेद में लगाया और अपना लंड पेल कर धक्के पे धक्के लगाने लगा। इस पोज़िशन में गांड मारना आसान होता है और लंड भी जड़ तक अंदर जाता है।
अभी तक उनकी गांड का छेद खुल भी गया था पर दर्द भरी सिसकारियां उनके मुंह से अभी भी निकल रही थी।
तो मैंने अपना लंड उनकी गांड से निकाल कर उनकी चूत में डाल दिया जिससे उनकी मस्ती भरी आह निकल गया।
मैंने भी उनकी कमर कस के पकड़ कर जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिये।
और मैडम फिर से कराहने लगी- अईया … ओअह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… मज़ा आ रहा है … ऊह … और करो … और जोर जोर करो … पीछे से उतना मज़ा नहीं आ रहा था जितना अब आगे से आ रहा है, रुको मत प्लीज करते रहो … पेलते रहो मुझे और जोर जोर से … मेरे पति को तो सिर्फ पैसा दिखता है, साले को ये नहीं दिखता कि उसकी जवान बीवी क्या करेगी अकेली!
और पता नहीं क्या क्या बोलती गयी।
थोड़ी देर में मेरे लंड पर गीलापन महसूस हुआ और पूर्वी ने पूरी ताकत से बिस्तर की चादर को पकड़ लिया और काँपने लगी, मैं समझ गया कि मैडम का पानी निकल गया है लेकिन अभी भी मेरा नहीं हुआ था।
डॉगी स्टाइल में चोदते हुए करीब 20 मिनट हो चुके थे, फिर भी मेरा पानी निकल नहीं रहा था.
फिर मैंने एक बार फिर उनकी गांड में लंड डाल दिया और कमर हिलाने लगा।
उसके 10 मिनट तक मैंने कभी उनकी चूत तो कभी गांड में लंड डालकर पेला और आखिर में मेरा भी पानी निकल गया।
मैंने कंडोम लगाया था तो बाहर निकालने का टेंशन नहीं था।
मैं भी बहुत थक गया था और पूर्वी भी … तो मैं उनके ऊपर ही पड़ा रहा कुछ देर तक!
थोड़ी देर बाद … पूर्वी- घर नहीं जाना क्या हमें?
मैं- हाँ … जाना है ना!
पूर्वी- टाइम तो देखो 3 घंटे होने वाले हैं, अभी थोड़ी देर में ही होटल वाला आकर दरवाजा ठोकने लगेगा।
मैं- हाँ … चलो जल्दी जल्दी कपड़े पहन कर निकलते हैं।
पूर्वी- हम्म्म्म …
फिर हमने फटाफट कपड़े पहने और फ्रेश होकर निकल गए।
रास्ते में मैंने पूछा पूर्वी से- दर्द तो नहीं हो रहा है?
पूर्वी- दर्द तो नहीं है पर हल्का हल्का जलन जैसा फील हो रहा है पीछे!
मैं- मज़ा आया आपको?
पूर्वी- सच कहूँ तो पीछे उतना मज़ा नहीं आया जितना मज़ा, जब आगे कर रहे थे, तब आया।
मैं- पहली बार था न इसलिए अगली बार मज़ा आएगा क्योंकि तब दर्द होने का डर नहीं रहेगा।
पूर्वी- ह्म्म्म … देखते हैं।
थोड़ी देर में हमने अलग अलग रिक्शा लिया और निकल गए.
उसके 2 दिन बाद पूर्वी ने मुझे फिर से अपने घर पर बुलाया और हमने पूरी रात भर सेक्स किया, जिसमें पूर्वी ने खुद से मुझे उसकी गांड फिर से मारने को बोला. अंधे को और क्या चाहिए बस दो आंखें … उस रात मैंने 2 बार उनकी गांड मारी और 1 बार चूत!
आखिर में वो बोली- अब समझ में आया मुझे कि आजकल गे लड़के क्यों बढ़ते जा रहे हैं.
और यह बोलकर हँसने लगी। मैं समझ गया कि आज मैडम को गांड मराने में भी मज़ा आया।
पूर्वी मैडम अभी भी मुझसे मिलती रहती हैं, हम कभी वाइल्ड तो कभी रोमांटिक तो कभी रफ़ सेक्स करते हैं, मतलब अभी तक हर तरह का सेक्स ट्राई कर चुकी हैं पूर्वी मैडम मेरे साथ … और आगे पता नहीं क्या क्या करेंगी!
दोस्तो, यह सच्ची कहानी लिखने से पहले मैंने इस कहानी की नायिका पूर्वी से उनकी अनुमति ली और लिखने के बाद सबसे पहले उन्हें ही पढ़ने को दिया, उसके बाद ही आप लोगों तक पहुँचाया।
पूर्वी मैडम कहानी पढ़ने के बाद बस इतना बोली- जिस दिन हमारी यह कहानी अन्तर्वासना पर प्रकाशित हो जाएगी, उसी रात मैं आपको पूरी रात के लिए फिर से बुलाऊंगी.
अब आप यह कहानी पढ़ ही चुके हैं तो वो रात आ चुकी होगी।
मेरी यह सच्ची कहानी आप लोगो को कैसी लगी? मुझे बताइएगा जरूर।
जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि यह मेरी पहली कहानी है दो भागों में … अगर आपके पास मेरे लिए कोई सुझाव या शिकायत हो तो कृपया मुझे [email protected] पर मेल करके मुझे अवगत कराएं।
आपके मेल का इंतजार रहेगा.
धन्यवाद.