चालू लड़की की फ्री चुदाई का मजा मैंने दो मर्दों को दिया. वे मुझे भीड़ भरी ट्रेन में मिले थे. भीड़ में उन्होंने मेरे जिस्म को मसला तो मुझे मजा आ गया.
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Chalu Ladki Ki Free Chudai Kahani
दोस्तो, मेरा नाम मोनिका है. मैं एक 26 साल की कुंवारी लड़की हूँ.
मैं अन्तर्वासना साइट की नियमित पाठिका हूँ और मुझे नई नई सेक्स कहानी पढ़ना बहुत पसंद है.
आज यहां मैं अपनी एक सेक्स कहानी आपके साथ साझा करना चाहती हूँ.
पहले मैं आपको अपने बारे में बता देती हूँ.
मेरा कद 5 फुट 7 इंच है. रंग गोरा है और 34-28-36 का फिगर है.
मैं हमेशा ही एकदम फिट ब्रा पहनती हूँ ताकि मेरे मम्मे हमेशा तने रहें, उनमें ढलकाव न झलके.
साथ ही मैं अपनी गांड मटका कर चलती हूँ, जो कि बहुत ही उभरी हुई है.
मेरी ठुमकती हुई गांड देखकर किसी भी मर्द के लंड का खड़ा हो जाना मेरे लिए एक स्वाभाविक ख़ुशी देता था.
मैं अब तक कभी भी इस ख़ुशी से निराश नहीं हुई.
मुझे ऐसा करने में बहुत आनन्द आता है कि लोगों का ध्यान मेरी तरफ है.
कई बार मैं लोगों को आंख भी मार देती हूँ, जिससे वो मेरे पीछे ही लग जाते हैं.
बाद में रास्ते में मौका देख कर मैं उन मर्दों को उनकी मेहनत का फल भी दे देती हूँ.
कभी उन्हें अपने बदन को छूने या सहलाने का मजा दे देती हूँ, तो कभी खुद ही उनके लंड को पकड़ कर दबा देती हूँ.
यदि बहुत ज्यादा पसंद वाली बात बन जाती है तो मैं उनके साथ चुदने भी चली जाती हूँ.
ये सब मैं इसलिए लिख रही हूँ कि मेरे पाठको आप सबके पास भी मेरी चुदाई करने का एक चांस बन सकता है.
अब तो आप समझ ही गए होंगे कि मुझे सेक्स करना भी बहुत पसंद है और नए नए लंड अपनी चूत में लेने में मुझे बहुत आनन्द आता है.
हालांकि ऐसा नहीं है कि मैं हर किसी से चुद जाऊं.
मैं ऐसे ही किसी से नहीं पट जाती हूँ … क्योंकि मुझे अपनी पसंद के साथ साथ थोड़ा अपनी इज़्ज़त का भी ख्याल रखना होता है.
अब चालू लड़की की फ्री चुदाई का मजा देती हूँ.
यह बात पिछले महीने की है, जब मुझे अपने किसी काम से दिल्ली से जयपुर जाना था.
मैंने अपना सफर ट्रेन में करने का सोचा.
मैं शाम 4 बजे स्टेशन पहुंची लेकिन त्यौहारों के कारण लोगों की बहुत भीड़ थी और मेरी टिकट कन्फर्म नहीं हुई थी.
मेरी सहेली ने मुझसे कहा- तुम सफर कर लो, आगे किसी स्टेशन पर भीड़ कम हो जाएगी और तुम्हें सीट मिल जाएगी.
जाना भी जरूरी था इसलिए मैंने इसी ट्रेन में जाने की बात पक्की कर ली.
मेरी ट्रेन शाम 7 बजे की थी. मैंने कुछ खाया पिया और इंतजार करने लगी.
ट्रेन अपने सही समय पर स्टेशन से चली.
मैंने जगह बना कर अपना सामान सैट किया और ट्रेन में खड़ी हो गई क्योंकि सीट अभी तो मुझे मिलने वाली नहीं थी.
मैं ट्रेन के टीटीई के आने का इन्तजार करती रही ताकि उससे कह कर अपने लिए सीट का कुछ इंतजाम कर सकूँ.
ट्रेन में बहुत ही ज्यादा भीड़ थी और सभी लोग एक दूसरे से सट कर खड़े थे.
अब थोड़ा अंधेरा भी हो गया था और कई बार लोग मेरी गांड पर अपने हाथ या लंड टच कर रहे थे तो कभी मेरे मम्मों पर जानबूझ कर हाथ लगा देते थे.
इतनी ज्यादा भीड़ होने के कारण मैं कुछ नहीं कर सकती थी, बस चुपचाप खड़ी रही.
थोड़ी देर बाद ट्रेन एक स्टेशन पर रुकी और मैं पानी लेने के लिए नीचे उतरी.
जब मैं दोबारा ट्रेन में चढ़ी तो अब और भी कई लोग मेरे साथ में मेरे आगे पीछे आ गए जो पहले नहीं थे.
शायद वो कब से मेरे पास आने की ख्वाहिश में थे.
उस दिन मैंने एक बहुत ही टाइट सी लैगी पहन रखी थी और एक खुला सा टॉप पहना हुआ था.
थोड़ी देर बाद मुझे मेरी गांड पर एक हाथ का स्पर्श हुआ. मैंने तुरंत पीछे देखा तो उस आदमी ने मुँह घुमा लिया.
वो देखने में 30-32 साल का लग रहा था और उतनी ही उम्र का एक आदमी मेरे सामने खड़ा था.
मैंने उस समय थोड़ी मस्ती करने की सोची और अपनी गांड को उठाते हुए थोड़ा उस आदमी के लंड पर लगा कर ये महसूस किया कि उसका लंड तो एकदम खड़ा है और बहुत बड़ा है.
लंड का आकार मेरे शरीर में एक बिजली सी दौड़ा गया लेकिन मैंने अपने आपको काबू करने की कोशिश की.
क्योंकि वहां बहुत भीड़ थी और ऐसे में लंड नसीब होना नामुमकिन सा लग रहा था.
फिर धीरे धीरे वो आदमी मेरे साथ सट कर खड़ा हो गया और अपना लंड मेरी गांड पर टच करने लगा.
उसकी इस हरकत से मुझे अच्छा तो लग रहा था लेकिन मैं अनजान बनी खड़ी रही.
शायद उसने आगे वाले आदमी को भी कोई इशारा किया और वो भी मेरे बहुत नज़दीक आ गया. मैं उन दोनों 6-6 फुट के आदमियों के बीच बिल्कुल फंस कर खड़ी हुई थी.
आगे वाला आदमी बीच बीच में मेरे मम्मों को टच करता रहा.
शुरू शुरू में तो मैंने थोड़ा विरोध किया.
लेकिन अब मुझे भी मस्ती चढ़ने लगी थी और मेरी चूत गीली होनी शुरू हो गयी थी तो मैं शांत हो गई.
थोड़ी देर बाद पीछे वाला आदमी अपना लंड मेरी गांड के कुछ और ऊपर घिसने लगा और आगे वाला मेरे मम्मों को दबाने में कुछ ज्यादा बहादुरी दिखाने लगा.
मैंने उसके हाथ को एक दो बार हटाया भी मगर उसने पुन: मेरे आमों को सहला कर मजा लिया.
कुछ देर बाद मैं उसके हाथ को अपने मम्मों पर चलवाने का मजा लेने लगी.
उसने धीरे से कहा- तुम ठीक से तो खड़ी हो ना?
मैंने कहा- हां, मैं ठीक हूँ.
उसने मेरे दूध को दबाते हुए कहा- आज भीड़ कुछ ज्यादा ही है न तो समझ नहीं आ रहा है कि क्या पकड़ कर खड़ा होऊं और क्या नहीं?
मुझे हंसी आ गई.
वो बोला- हंसो नहीं, तुम भी कुछ पकड़ लो … वरना झटका लग जाएगा.
उसकी बात का मतलब मैंने समझ लिया कि वो लंड पकड़ कर खड़ा होने की कह रहा है.
मैंने कहा- मैं क्या पकड़ लूँ?
पीछे वाले ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रखवा दिया.
वो बोला- लो ये खूंटा पकड़ लो.
मुझे उसका लंड वास्तव खूँटा सा ही था.
हालांकि मैंने उसके लंड को मसल कर छोड़ दिया था और मेरा मूड बनने लगा कि अब तो किसी तरह से इन दोनों के लौड़े चूत में लेना ही चाहिए.
मेरे लंड पकड़ कर छोड़ देने से ये हुआ कि वो दोनों मेरे बदन से खेलने लगे.
अब उस अंधेरी रात में ट्रेन के बीच मैं दो मर्दों के बीच पिसने लगी.
कुछ ही देर में मैं भी पूरे सुरूर में आ गई थी.
पीछे वाला आदमी मेरी पीठ सहलाने लगा और उसने मेरे टॉप के अन्दर हाथ डाल दिया.
उसके हाथ का स्पर्श पाते ही मुझे और ज्यादा सेक्स चढ़ने लगा और मेरी चूत तो पानी ही छोड़े जा रही थी.
थोड़ी देर ऐसा ही चला और उसी बीच पीछे वाले आदमी ने मेरे टॉप के अन्दर से मेरी ब्रा का हुक खोल दिया.
तभी मैंने उसका हाथ पकड़ा और रुकने को इशारा किया.
लेकिन वो दोनों मेरी एक नहीं मान रहे थे और मेरे मम्मों व गांड को सहलाते जा रहे थे.
फिर उन्होंने अपने अपने लंड पैन्ट से बाहर निकाल लिए और दोनों ने मेरे एक एक हाथ पर अपने लंड रख दिए.
मैं उस भरी ट्रेन में दो अनजान मर्दों के लंड सहला रही थी और सेक्स के नशे में पूरी तरह खो चुकी थी.
लेकिन वहां ये सब ठीक नहीं था इसलिए मैं रुक गयी और उन दोनों को भी इशारा किया कि यहां मैं कुछ नहीं कर सकती.
तभी पीछे वाला आदमी मेरे कान में बोला कि आगे एक स्टेशन आ रहा है, तुझे वहां रंडी बना कर चोदेंगे.
मैंने कहा- फिर उधर से आगे कैसे जाएंगे?
एक ने कहा- अरे पहुंच ही जाएंगे. दो घंटा बाद एक ट्रेन और है, वो आगे वाले स्टेशन पर रूकती भी है.
मैंने भी मन पक्का कर लिया था कि ये मुस्टंडे मस्त चोदेंगे और चूत भी काफी से बिना लंड के सूखी पड़ी है.
अब बस स्टेशन के आने का इन्तजार था.
थोड़ी देर बाद वो स्टेशन आया और उन्होंने अपने साथ उतरने का इशारा कर दिया.
मैं तो पहले से ही गर्म हुई पड़ी थी और चुदने को मचल रही थी.
मैं झट से अपना सामान लेकर उनके साथ फ्री चुदाई के लिए उतर गयी.
वो दोनों मुझे अपने साथ स्टेशन से थोड़ा दूर ले गए.
वहां पुरानी रेलगाड़ियां खड़ी थीं.
हम तीनों उनमें से एक डिब्बे में चढ़ गए.
उधर एक जगह साफ़ सी देख कर मैंने उन्हें उधर ही चुदाई का कार्यक्रम शुरू करने का कहा.
वहां वो दोनों मेरे ऊपर जानवरों की तरह चढ़ गए और मेरे कपड़े उतारने लगे.
कुछ ही देर में मैं उनके सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी.
उनमें से एक आदमी ने मुझे घोड़ी बनाया और मेरी चूत में लंड पेल दिया, दूसरे ने मेरे मुँह में लंड डाल दिया.
पीछे से मेरी चूत चुदाई हो रही थी और आगे से दूसरे आदमी का लंड मेरे मुँह में था.
मुझे तो बहुत ही मजा मिल रहा था फ्री चुदाई का!
फिर उन दोनों ने अपनी जगह बदली और फिर से मुझे चोदने लगे.
दस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद वो दोनों झड़ने वाले हो गए थे.
मैंने उनका सारा माल अपने मुँह में ले लिया.
फिर उनमें से एक हम तीनों के लिए जाकर पानी की बोतल लेकर आया.
पानी पीने के बाद उन दोनों ने फिर हरकत शुरू कर दी और मुझे दोबारा किस करने लगे.
मैं भी उनका पूरा साथ दे रही रही.
एक बोला- यार, आज बड़ा मस्त माल मिला है. अब चलो इस साली रंडी की गांड भी मार लेते हैं.
ये सुनकर दूसरे ने अपना लंड मेरी गांड के छेद पर सैट कर दिया और जोर से धक्का दे मारा.
एक बार तो मेरी चीख ही निकल गयी.
लेकिन थोड़ी देर बाद मुझे उससे गांड मराने में भी मजा आने लगा क्योंकि मैंने पहले भी कई बार अपनी गांड चुदवाई है.
इसी तरह फिर दूसरे ने गांड मारी और साला बीच में ही झड़ गया.
इस तरह उन्होंने मुझे दबा कर चोदा.
फिर हम तीनों ने अपने कपड़े पहने और स्टेशन की और चल पड़े.
वहां बैठ कर हम तीनों अगली ट्रेन के आने का इंतजार करने लगे.
थोड़ी देर बाद ट्रेन आई और हम चढ़ गए.
ये ट्रेन में सीट भी भरी थी.
हम तीनों किसी तरह से जगह बना कर एक सीट पर बैठ गए.
उन्होंने मुझे अपने बीच में बैठा लिया और रास्ते में कभी मेरे मम्मे और कभी मेरी जांघों को सहलाते रहे.
उनका स्टेशन पहले आ गया और वो लोग उतर गए. वो मुझे अपने नंबर देकर चले गए.
उसके बाद मेरी आंख लग गयी और मैं अपने स्टेशन पर जाकर ही उठी.
दोस्तो, ये थी ट्रेन में चालू लड़की की फ्री चुदाई की कहानी. आपको कैसी लगी, मुझे मेल करके जरूर बताइएगा.
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