सभी अंतर्वासना पाठकों को मेरा नमस्कार। यह मेरी पहली कहानी है, आशा करता हूँ कि आप सभी को जरूर पसंद आएगी।
मेरा नाम अमित है, मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 23 साल है. शुरू से ही मैं थोड़ा शर्मीला था तो लड़कियों से ज्यादा बात नहीं करता था। मेरे लिंग का आकार 6 इंच है जो किसी भी लड़की को संतुष्ट कर सकता है. काफी दिनों से कहानी लिखने की सोच रहा था तो आज मैंने सोचा कि आप सबके सामने अपनी कहानी क्यों ना बतायी जाये.
यह कहानी मेरी और प्राची की है जो मुझे ट्रेन में मिली थी. उसकी उम्र 18 साल रही होगी. तब मैं बी.टेक चौथे साल में था।
दिवाली की छुट्टी में मैं ट्रेन से अपने घर जा रहा था. मेरी सीट नीचे थी. मैं जब ट्रेन के अंदर पहुंचा तो देखा की मेरी सीट पर एक बहुत ही खूबसूरत लड़की बैठी हुई थी। उसके बदन का साइज यही कोई 32-30-36 रहा होगा, जो भी उसे देखे … बिना मुट्ठ मरे नहीं रह सकता. गुलाबी होंठ … उस पर इसकी गुलाबी लिपस्टिक आँखों में काजल उसकी सुंदरता पर चार चाँद लगा रहे थे. मैंने कुछ ना कहते हुए चुपचाप अपना बैग नीचे रखा और बैठ गया।
गाड़ी चल पड़ी. मैं चुपचाप अपने कान में इयरफोन लगा कर गाने सुन रहा था. करीब 2 घण्टे बाद मुझे लगा कि मुझे कोई बुला रहा है. मैंने इयरफोन अपने कान से निकाला और पूछा- क्या आपने मुझसे कुछ कहा?
तो उसने कहा- हाँ … मैं कब से आपको बुला रही हूँ, पर आप सुन ही नहीं रहे?
उसने जब मुझसे बात की तो पूरी तरह से मैं पागल सा हो गया कि इतनी अच्छी आवाज़ … मन तो हुआ कि अभी उसके होंठों का सारा रस निकाल लूँ.
लेकिन मैंने थोड़ा सब्र रखा और तुरंत उसको सॉरी कहा और बोला- बताइए क्या बात है?
तो उसने कहा- कि आप कहां तक जा रहे हैं?
मैंने उससे कहा- मुझे प्रयागराज जाना है. तुम कहां तक जा रही हो?
तो उसने बताया कि उसकी दीदी की तबीयत अचानक खराब हो जाने की वजह से उसे लखनऊ जाना पड़ रहा है और आज उसके पास टिकट भी नहीं है क्या आप मेरे लिए एक बार टी टी ई से बात करेंगे?
मैंने हां कह दी और फिर से ईयरफोन लगाकर गाने सुनने लगा।
रात के करीब 8:30 बजे थे, और टीटी टिकट चेक करने आ गया था. मैंने उनसे बात- सर, यह लड़की मेरे साथ ट्रेवल कर रही है और इसको किसी कारणवश जल्दी लखनऊ जाना पड़ रहा है जिसकी वजह से इसमें टिकट नहीं लिया. तो क्या आप एक टिकट बना सकते हैं?
तो टीटी महोदय ने बात को समझा और एक टिकट बनाया. मैंने उनको जुर्माने का पैसा दिया और टिकट प्राची को दे दिया.
ट्रेन में कोई सीट खाली ना होने की वजह से उसे कोई कंफर्म सीट नहीं मिली तो मैंने उससे कहा- आप चिंता मत कीजिए और आप आराम से यहां बैठ सकती हैं.
उसने मुझे धन्यवाद कहा और बैठ गयी।
कुछ देर बाद मुझे भूख लग गई तो मुझे लगा मैं कुछ खा लेता हूं. तो मैंने अपने बैग से खाना निकाला और प्राची से पूछा- क्या तुम खाना नहीं खाओगी?
तो उसने कहा- नहीं, मैं जल्दीबाजी मैं खाना लाना भूल गई.
मैंने उससे कहा- अगर तुम्हें कोई प्रॉब्लम ना हो तो तुम मेरे साथ खाना खा सकती हो.
पर उसने मना कर दिया.
मेरे बार बार बोलने पर प्राची मान गई और मेरे साथ खाने लगी।
खाना खत्म होते होते रात के करीब 11:00 बज चुके थे, काफी लोग सोने जा चुके थे. मुझे लगा कि प्राची को भी नींद आ रही है क्योंकि वह बैठकर ही नींद में झूमने लगी थी.
तो मैंने उससे कहा- अगर कोई प्रॉब्लम ना हो तो आप यहां आराम से सो सकती हैं. और मैं यहां बैठ जाऊंगा. वैसे भी मुझे इस तरह से नींद नहीं आती. और आप लखनऊ तक ही जाएंगी तो उसके बाद मैं सो जाऊंगा.
वह मान गई और मेरे पैरों के पास सिर रख कर लेट गयी. थोड़ी देर बाद उसने मुझसे कहा- क्या आप मुझे अपना फोन देंगे?
तो मैंने उसे अपना फोन दे दिया.
उसने मेरे फोन से खुद को फोन किया और मेरा नंबर अपने फोन में सेव कर लिया और कुछ समय के बाद मेरा फोन मुझे वापस कर दिया।
रात के करीब 12:30 बज रहे थे तो मैंने भी सोचा कि थोड़ी देर मैं भी आराम कर लेता हूं और मैं बैठकर ही सोने लगा और जानबूझकर अपना एक हाथ उसके सर पर रखकर उसके बालों से खेलने लगा।
थोड़ी देर बाद उसने अपनी आंख खोली और मेरी तरफ देख कर थोड़ा सा मुस्कुरा दी जिससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई. ठंड का समय होने की वजह से उसने कंबल ओढ़ रखा था तो किसी को कोई शक नहीं होने वाला था मैंने इसका फायदा उठाना चाहा और अपना हाथ उसके गालों पर रख दिया।
इतने मुलायम गाल थे … क्या बताऊं दोस्तो! मन तो किया कि अभी इनको अपने दांतों से काट लूं. लेकिन मैंने खुद पर काबू किया और थोड़ी देर इंतजार किया उसने अपना हाथ मेरे हाथ के ऊपर रख दिया और मेरे हाथ को पकड़कर उसे चूम लिया. मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि यह हकीकत है या सपना … लेकिन जो भी हो, वह एक आनंददायक पल था और मैं उसे खोना नहीं चाह रहा था।
मैंने अपना हाथ बढ़ाया और उसके स्तनों पर रख दिया, उसके शरीर में एक झनझनाहट मैंने महसूस की और अपने हाथों से मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरु कर दिया. क्या बताऊं दोस्तो कि कितना मजा आ रहा था! मन तो हो रहा था कि वहीं उसके पास सो जाऊं और उसको अपनी बांहों में भर लूं लेकिन ट्रेन में होने की वजह से मैंने ऐसा कुछ नहीं किया; बस अपने हाथों से कभी उसके गालों को कभी उसके स्तनों को दबाता।
मैंने प्राची के कान में धीरे से कहा कि वह थोड़ा ऊपर आ जाए. तो वह तुरंत मान गई और अपना सर मेरे पैर के ऊपर रख दिया और फिर से आंखें बंद कर ली। मैं अपना हाथ नीचे ले गया और उसके टीशर्ट को हटाया और अपने हाथों को उसके पेट पर फिराना चालू कर दिया. धीरे-धीरे मैं अपने हाथ को ऊपर ले गया और उसकी ब्रा को आजाद कर दिया और उसके दोनों निप्पलों से खेलने लगा।
उसके मुंह से हल्की हल्की सिसकारियां निकल रही थी जो मुझे और भी आनंदित कर रही थी। मैं इस पल को बिल्कुल भी खोना नहीं चाह रहा था तो मैंने अपने हाथ को उसकी पैंटी में घुसा दिया और वहां पाया कि उसकी चुत बिल्कुल गीली हो गई थी।
मैंने थोड़ी देर उसकी चुत को सहलाया और फिर अपनी एक उंगली को उसकी चुत में घुसा दिया। उसने मेरा हाथ जोर से पकड़ लिया और अपने नाखून गड़ा दिए। क्या बताऊं दोस्तो, क्या समय था वह! मैंने उसकी तरफ देखा तो वह मुझे ही देख रही थी. उसके चेहरे पर एक अलग ही खुशी नजर आ रही थी.
यह सब करते करते समय कब बीत गया, पता ही नहीं चला और 4:00 बजने वाले थे.
वह उठी और वाशरूम गई और खुद को ठीक किया और वापस आकर मेरे से चिपक कर बैठ गई और मेरे कंधे पर सर रख दिया।
मैं इन सब के चक्कर में उसका नम्बर भी लेना भूल गया।
4:00 बज चुके थे, हम लखनऊ पहुंच चुके थे, मैं उसे छोड़ने गेट तक आया, प्राची ने मेरे गाल पर चुम्बन किया और चली गयी। कुछ समय के बाद मेरे फोन पर एक फोन आया, मैंने फोन उठाया उधर से आवाज आई- हेलो!
मैं खुशी से फूले नहीं समा रहा था क्योंकि वह आवाज प्राची की थी।
इस तरह से हमारी बातें फोन पर भी होने लगी.
प्राची ने मुझसे पूछा कि मैं वापस कब आऊंगा तो मैंने कहा 5 से 6 दिन में!
तो उसने भी बताया कि वह भी जल्दी ही आ जाएगी।
इस तरह कब हम एक दूसरे के इतने करीब आ गए कि हमें पता भी नहीं चला. हम लोगों ने बातों बातों में ही तय किया कि हम मिलेंगे.
मैं छुट्टियों के बाद दिल्ली वापस आ चुका था और वह भी आ चुकी थी. हमने बात की,पता चला कि वह रविवार को फ्री होगी तो मैंने भी आने वाले रविवार का प्लान बनाया और मिलने का एक समय निश्चित किया. मैंने एक होटल में एक कमरा बुक कर लिया।
रविवार को मैंने दुकान से कंडोम ले लिया और होटल पहुंच गया।
वहां पर हमने रूम की चाबी ली और रूम में चले गए। जैसे ही प्राची रूम के अंदर आई मैंने झटपट कमरे का दरवाजा बंद किया और उसे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया.
वह अचानक इस हमले के लिए तैयार नहीं थी और वह पीछे मुड़ी और मेरे लंड पर हाथ रख कर बोली- मेरे राजा, पूरी रात तुम्हारी है, जो मर्जी कर लेना.
लेकिन मैं कहां मानने वाला था मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और उन्हें चूसने लगा और उसका आनंद लेने लगा वह भी मेरा पूरा साथ देने लगी।
मैंने उसको गोदी में उठा लिया और उसको बिस्तर पर ले गया हम एक दूसरे की बांहों में पूरी तरह से खो गए और हम एक दूसरे को चूमते रहे.
मैंने प्यार से चूमते चूमते उसके टॉप और जींस को उतार दिया और उससे कहा कि वह मेरे सारे कपड़े उतार दे उसने भी ऐसा ही किया और मेरे सारे कपड़े उतार दिए अब मैं सिर्फ अंडर वियर में था।
मैंने उसकी ब्रा को निकाल दिया और उसके गोल गोल स्तन मेरे सामने थे. मैंने उन्हें अपने हाथों में ले लिया और उसकी एक निप्पल को चूसने लगा. वह भी सिसकारियां भरने लगी- अमित आह आह!
और मुझे अपनी बांहों में भर लिया.
मैंने अपना एक हाथ उसकी पैंटी में घुसा दिया और उसकी चुत को रगड़ने लगा।
वह भी अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी. मैंने अपने हाथों से उसकी पेंटी निकाल दी और उसको चूमते चूमते मैं नीचे की तरफ बढ़ने लगा. मैं उसके हर एक अंग को बहुत अच्छी तरीके से चूम रहा था।
वह मेरे पूरे शरीर पर अपने हाथ घुमा रही थी और अपने नाखूनों को गड़ा रही थी. मैं अपनी एक उंगली उसकी चुत के अंदर बाहर करने लगा और उसकी निप्पलों को अपने मुंह में भरकर चूसने लगा जिससे उसे बहुत ही मजा आ रहा था.
मैं धीरे-धीरे उसकी चुत की तरफ बढ़ने लगा और नीचे बढ़कर मैंने उसकी चुत को चूम लिया जिससे उसके पूरे शरीर में एक सरसराहट सी पैदा हो गयी। करीब 15 मिनट की चुत चूसने के बाद उसकी चुत ने मेरे मुंह में पानी छोड़ दिया, मैंने सारा पानी पी लिया।
मुझे बहुत ही मजा आया. सच बताऊं तो दोस्तो, एक स्वर्ग जैसा आनंद प्राप्त हो रहा था.
और वह बिल्कुल निहाल होकर लेट गई. मैं उसके ऊपर आया और उसके होंठों पर अपना लंड लगा दिया. वह धीरे से अपने होंठों को खोलकर मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया और उसको चूसने लगी।
सच कहूं दोस्तो … यह मेरा पहला अनुभव था लेकिन मैं इस समय स्वर्ग में था, प्राची ने मुझे जन्नत दिखा दी थी।
मैं उसके मुख को चोदता रहा जिससे उसे भी बहुत ही आनंद आ रहा था. उसकी यह खुशी उसके चेहरे से साफ झलक रही थी. अब वह मुझसे बोलने लगी- अमित मुझे और ज्यादा मत तड़पाओ और मुझे चोद डालो और मुझे अपनी रंडी बना लो।
मैं भी देर ना करते हुए अपने लंड को उसकी चुत के ऊपर रगड़ने लगा तो उसने कहा- तुम कंडोम का यूज क्यों नहीं कर रहे?
तो मैंने उसको कहा- अगर तुम्हें कोई एतराज ना हो तो मैं ऐसे भी कर सकता हूं.
लेकिन वह नहीं मानी.
तो मैंने कहा- तो तुम खुद ही अपने हाथों से मुझे कंडोम पहना दो!
उसने मुझे कंडोम पहनाया और अपनी चुत पर मेरे लंड को रख दिया।
मैंने भी उसके स्तनों को दबाते हुए उसको चूमना शुरू कर दिया और अपने लंड को उसकी चुत पर लगातार रगड़ता रहा. उसकी सिसकारियां मुझे पागल करती जा रही थी। मैंने उसकी कमर के नीचे तकिया लगा दिया जिससे उसकी चुत बिल्कुल मेरे सामने थी।
मैंने अपने लंड को उसकी चुत के छेद पर रखा और एक हल्का सा झटका दिया जिससे करीब 2 इंच लंड उसकी चुत में घुस गया. वो दर्द के मारे चिल्लाने की नाकाम कोशिश कर रही थी, उसकी चुत से खून निकलने लगा था.
मैंने उसको समझाया कि पहली बार ऐसा होता है लेकिन थोड़े से दर्द के उसे भी मज़ा आयेगा।
मैंने उसको चूमना जारी रखा और जब उसका दर्द कम हुआ तो मैंने एक झटके में पूरा लंड उसकी चुत में घुसा दिया. उसकी आंखों से आंसू निकल आये।
मैं थोड़ी देर तक उसको प्यार करता रहा जब उसका दर्द कम हुआ तो उसने अपनी गांड उठा-उठाकर मेरा लंड अपनी चुत में लेने लगी।
करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद वो एक बार फिर से झड़ गयी पर मेरे लंड ने अभी तक हार नहीं मानी थी तो मैंने उसे चोदना जारी रखा करीब 10 मिनट बाद जब मेरा होने वाला था तो मैं प्राची की चुत में ही झड़ गया और उसके ऊपर लेट गया और वो मुझे बेतहाशा चूम रही थी.
उस रात मैंने उसे 4 बार और चोदा और उसकी गांड भी मारी. वो कहानी मैं आप लोगों को बाद में बताऊंगा।
आप लोगों को मेरी यह दास्तां कैसी लगी? मुझे मेल जरूर करें।
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