ट्रेन में भाभी और ननदों की चुत चुदाई

ट्रेन में भाभी और ननदों की चुत चुदाई

ट्रेन पोर्न कहानी में पढ़ें कि मैं अपने दोस्त के साथ ट्रेन में था. ट्रेन में हमें तीन औरतें मिली. दो बहनें और उनकी भाभी … साथ में भाई भी था. उनसे सेटिंग कैसे हुई?

नमस्कार दोस्तो, मैं विशू आपके लिए एक नयी सेक्स कहानी लेकर हाजिर हूँ. ये एक काल्पनिक सेक्स कहानी है.

मेरी पिछली कहानी थी: जमींदार के लंड की ताकत

मेरा एक दोस्त है सुनील. वो एक खुश मिजाज लड़का है.
मगर साला काम-धाम कुछ नहीं करता था. उसका लौंडियाबाजी में ज्यादा मन लगता था.

सुनील की लंबाई 5 फुट 9 इंच की थी. वो एक अच्छा ख़ासा तगड़ा इंसान था … उसका शरीर का रंग सांवला था. आंखें बड़ी बड़ी थीं.

शक्ल से पूरा हरामी दिखता था. मगर लौंडियां उससे बड़ी जल्दी पट जाती थीं. मैं उसके साथ ही रहता था तो मुझे भी उसकी चुदाई हुई लड़की चोदने को मिल जाती थी.

एक दिन उसने मुझसे कहा- चल दिल्ली घूम कर आते हैं. मैं टिकट बुक कर लेता हूँ … सारा खर्चा पानी मेरी तरफ से … तू सिर्फ मेरे साथ चल!
मैंने उसे हां बोल दिया.

हम दोनों की टिकट कन्फर्म हो गयी थी … पर मेरी बर्थ अलग कंर्पाटमेंट में थी और उसकी अलग कंर्पाटमेंट में थी.

वो बोला- चल कोई बात नहीं … ट्रेन में टीटीई से सैटिंग कर लेंगे.

हम दोनों समय पर स्टेशन पहुंच गए. समय से ट्रेन भी आ गयी थी. हम दोनों ट्रेन में चढ़े और पहले सुनील वाले कंर्पाटमेंट में पहुंचे.

जिधर सुनील की बर्थ थी … वहां एक आदमी और उसके साथ तीन औरतें थीं. उनमें आपस में क्या रिश्ता था, उस समय कुछ भी पता नहीं था.

सुनील अपनी बर्थ के पास खड़ा हो गया. मैं भी उसी के साथ था.

सुनील की बर्थ पर वो आदमी बैठा था.
तो सुनील ने उससे कहा- ये बर्थ मेरी है.

उस आदमी ने अपना परिचय देते हुए बताया कि मेरा नाम परेश है. आप अपनी बर्थ पर आ जाइए.

परेश दिखने में ढीला-ढाला सा एक नाटे कद का इंसान था. उसकी लंबाई पांच फुट से एकाध इंच ज्यादा ही रही होगी. वो एकदम साधारण सा आदमी था.
उसके बगल में एक मस्त माल किस्म की औरत बैठी थी.

सुनील ने उस औरत पर नजर डाली तो परेश ने उसका परिचय देते हुए बताया- ये अरुणिमा है … मेरी बीवी.

अरुणिमा दिखने में कमाल की थी. वो शरीर से दुबली पतली थी … उसका पर 34-24 36 का फिगर बड़ा ही कामुक था.
उसे देख कर कोई भी बस उसे देखता ही रह जाए, ऐसा फिगर था.
अरुणिमा की चूचियां देख कर मेरा मन डोलने लगा था.

फिर परेश एक और लड़की के तरफ हाथ दिखाता हुआ बोला- ये सोनल, मेरी बहन है.
और दूसरी लड़की की तरफ हाथ दिखा कर बोला- ये पीहू … मेरी दूसरी बहन है.

दोनों लौंडियां एकदम रसीली थीं. उन दोनों के कामुक फिगर ने हम दोनों को ही मोहित कर लिया था.

मैंने उन दोनों लड़कियों की ओर देखा तो उन्होंने एक साथ स्माइल करते हुए हाय कहा.
हम दोनों ने भी जवाब में हाय किया.

मेरा मन डोल रहा था. तभी हमारी सोच पर रोक लगाते हुए परेश की आवाज आई- आपको ऐतराज ना हो तो बगल के कंर्पाटमेंट में मेरी सीट है, आप वहां शिफ्ट हो सकते है क्या? हम फैमिली हैं … तो प्लीज़ हमें सहयोग कीजिएगा.

पर मेरा दोस्त कमीना था, उसने साफ मना कर दिया. वो बोला- जैसे बुकिंग है … वैसे ही बैठेंगे.

परेश बेचारा क्या करता. मैं अपने कंर्पाटमेंट में चला गया.

थोड़ी देर में वो मुझे बुलाने के लिए आया.
उसने मुझे उधर का किस्सा बताया कि परेश से उसने बोला कि तुम अपनी जगह जाओ. तो परेश ने उससे कहा कि नहीं मैं यहीं रहूंगा. इस पर सुनील ने कह दिया कि फिर मेरा दोस्त भी यहीं रहेगा.

मैं सुनील की कमीनगी को समझने की कोशिश कर रहा था कि साला चलती ट्रेन में क्या गुल खिलाने की जुगत कर रहा है.

सुनील मुझसे बोला- चल बे मस्त माल हैं तीनों … कोई जुगाड़ सैट करते हैं.

ये कह कर वो वापस जाने लगा.
तो मैं भी उसके पीछे चला गया.

हम दोनों उसी कम्पार्टमेंट में आकर एक बर्थ पर बैठ गए.

मेरे सामने पीहू थी. मेरी नजर उसके मम्मों को निहार रही थी और सुनील की निगाहें सोनल की मदमस्त जवानी पर टिकी थीं.
वो दोनों भी हम दोनों से नजरें मिलाकर स्माइल दे रही थीं.

तभी मेरी नजर परेश की बीवी अरुणिमा पर गयी.
वो हमारी ओर देख रही थी.

मैंने उसे देख कर अश्लील भाव से अपने होंठों पर जुबान फिरा दी. उसने भी मुझे देखा और उसने भी अपने दांतों होंठ दबा कर शर्माने का इशारा कर दिया.

मैं समझ गया कि यहां पर सभी तरफ से लाईन क्लियर है.

मैंने अपने लंड पर हाथ फेरते हुए पीहू को इशारा किया, तो उसने भी मुस्कान बिखेरते हुए जवाबी इशारा कर दिया.
उसका हाथ उसकी चूचियों को सहलाने लगा था.

फिर सोनल उठी और परेश को बोल कर बाथरूम की ओर चल दी.
उसके जाने के थोड़ी देर में सुनील भी उठा और ‘बाथरूम जाकर आता हूँ …’ ऐसा मुझसे बोल कर चला गया.

परेश मेरी ओर देख रहा था.
मैंने उसे गुस्से से देखा तो उसने सर नीचे कर दिया.

बस फिर क्या था … मैंने दोनों महिलाओं से बात करना आरंभ कर दी.
परेश ने कुछ नहीं कहा तो मैं समझ गया कि ये गांडू है और इसकी तरफ से कोई चिंता की बात नहीं है.

मैं उन दोनों हसीनाओं के नजदीक आ गया और उनके सामने बैठ गया.

मैंने उनसे बोला- आप दोनों बहुत ही खूबसूरत हो.

ये कह कर मैंने अपना हाथ उन दोनों की टांगों पर रख दिया.
ये देख कर उन दोनों ने परेश को नजरअंदाज करते हुए मेरी तरफ देखा और शर्माते हुए थैंक्स कहा.

मैंने उनकी तरफ से ये रुख देखा तो उन दोनों की टांगों को एक साथ सहलाना चालू कर दिया.
वो दोनों भी गर्म होने लगी थीं.

टांगें सहलाने के साथ ही मैंने उनसे इधर-उधर की बातें चालू की. मैं उनके और नजदीक को हो गया और पैरों के पास को हो गया. ये सब परेश देख रहा था … पर कुछ भी बोलने से डर रहा था.

मैंने धीरे से अपना एक हाथ पीहू की साड़ी के अन्दर डाल दिया.
इससे वो जरा सहम गई पर मैं नहीं रूका. मैं उसकी नंगी टांगों पर अपना हाथ फेरता रहा.

फिर मैंने अपना हाथ थोड़ा और अन्दर घुसेड़ा तो पीयू ने टांगें फैला दीं; मेरा हाथ सीधा उसकी चूत पर जा लगा.

मैंने उसकी चुत पर अपना हाथ रखा. उसने अन्दर पैंटी पहनी हुई थी. मैं पैंटी के ऊपर से अपना हाथ उसकी चूत पर चलाने लगा.

कुछ ही पलों बाद पीयू कि पैंटी गीली हो गई. मतलब वो गर्म हो चुकी थी.

मैंने उसकी पैंटी साईड को करके उसकी चूत में अपनी उंगली पेल दी और फांकों को रगड़ते हुए उसकी चुत में उंगली चलाने लगा. उसकी आंखें वासना से लाल होने लगीं.

अरुणिमा मेरी तरफ देख रही थी. मैंने अपना दूसरा हाथ अरुणिमा की साड़ी में डाल दिया.
पहले तो वो चौंक गयी.
मगर मैंने हाथ को रोका नहीं सीधा अन्दर घुसेड़ता चला गया.

अपना हाथ मैंने अरुणिमा की पैंटी के ऊपर से चूत पर रख दिया. वो गर्मा गई और उसने अपनी टांगें भी फैला दीं.

मैंने तुरंत उसकी पैंटी साईड में करके अपनी उंगली को अरुणिमा की चुत में घुसा दी. वो चहक उठी और उसके होंठ गोल हो गए.
अब मेरी दोनों उंगलियां उन दोनों की चूत में एक साथ चल रही थीं.

परेश चुपचाप तमाशा देखता हुआ अपना लंड सहला रहा था. मैंने समझ लिया कि आदमी अपनी बीवी को चोद नहीं पाता है और किसी और से बीवी की चुदाई देखना पसंद करता है.

मैंने परेश को आंख मारी तो वो हल्का सा मुस्कुरा दिया.
तो मैंने बड़े प्यार से परेश को बोल दिया- लाईट ऑफ़ कर दो.
परेश ने एक बच्चे की तरह मेरी बात मान कर लाईट बंद कर दी.

मैंने अब अपनी उंगली को गति दे दी और उन दोनों की चुत में तेज तेज अन्दर तक उंगली चलाने लगा.

दोनों के मुँह से मादक सिसकारियां निकल रही थीं. कुछ ही देर में वो दोनों एक साथ अकड़ गईं और उनकी आवाज तेज हो गई.
मैं समझ गया कि इनकी चुत झड़ रही है.

उसी पल मेरी उंगली में चुत का माल लगने लगा. मैंने अपना हाथ निकाला और एक एक करके उनके सामने अपनी दोनों उंगलियों को चखा और आंख दबा दी.

वो दोनों भी खिल उठीं तो मैंने मस्ती से कहा- मस्त रस है तुम्हारा.

वो दोनों वासना से तप्त आंखों से मेरी तरफ देख रही थीं और लम्बी लम्बी सांसें ले रही थीं.

अब मैं उठ कर खड़ा हुआ और पीहू के सामने खड़ा हो गया.
उसे देखते हुए मैंने अपनी पतलून की चैन नीचे सरका दी और अपना लंड निकाल कर पीहू के सामने कर दिया.

मेरी इस हरकत से पीहू शर्मा गई.
मगर मेरे लंबे और मोटे लंड को देख कर वो मस्त हो गई.
उधर अरुणिमा के मुँह से भी लौड़ा देख कर आह निकल गई.

मैंने पीहू का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया और उससे सहलवाने लगा.

कुछ देर बाद मैंने अपना हाथ हटा लिया, पर वो नहीं रूकी.
उसने लौड़ा सहलाना चालू रखा.

मैं उसके सर को पकड़ कर अपने लंड की तरफ खींचने लगा. मेरा लंड एकदम से उसके होंठों के पास आ गया था.

मैंने पीहू के सर पर थोड़ा दबाव और दिया तो पीहू ने मुँह खोल कर लंड को अन्दर ले लिया.
मैं आह करके मजा लेने लगा. पीहू ने भी लंड का काफी ज्यादा हिस्सा मुँह में लेकर चूसना चालू कर दिया.

मैंने अपना एक हाथ उसके बालों में लगा रहा था और दूसरा हाथ बगल में बैठी अरुणिमा के मम्मों पर ले गया. मैं अरुणिमा के मम्मों को दबाने लगा.

तभी मैंने एक नजर परेश पर मारी, तो वो मस्ती से सीन देख कर लंड हिला रहा था.

उसने मेरी आंख से आंख मिलाई तो मैंने उससे आंख दबा कर कहा- पूरा खेल देखना है?
उसने हां में मुंडी हिला दी.

मुझे मौका अच्छा लगा. मैंने पीहू को उठाया और मुँह के बल झुका कर डॉगी बना दिया और उसकी साड़ी ऊपर कर दी.

उसकी पैंटी मेरे सामने थी तो मैंने इलास्टिक में उंगलियां फंसाईं और नीचे खींच कर पैरों से निकाल कर अरुणिमा को थमा दी.
अरुणिमा पीहू की नंगी गांड को देख रही थी.

अब मैं नीचे बैठ गया और पीहू की चूत पर अपना मुँह लगा दिया.
पीहू थरथराने लगी.

मैं उसकी चूत को जोर लगा कर चूस रहा था, जुबान अन्दर तक डाल रहा था.

उसकी चुत का रस टपकना चालू हो गया. फिर मैंने चुत रेडी देखी तो उठ कर अपने लंड पर थूक लगा कर उसे हिलाया और पीहू के चूत पर लंड सैट कर दिया.

उधर पीहू ने आंखें बंद कर लीं और इधर मैंने जोरदार झटके के साथ पीहू की चूत में आधा लंड पेल दिया.
पीहू जोर से चीखी.

तो परेश ने भी मस्ती से कहा- मजा ले ले … चिल्लाती क्यों है.

मैंने उसी पोजीशन में पीहू की चुत में धक्के लगाने चालू रखे.
धक्कों से चूत का पानी रिसना शुरू हो गया और चुदाई में चिकनाई का मजा मिलने लगा.

लंड ने सटासट अन्दर बाहर होना शुरू किया तो मैंने पीहू की कमर पकड़ कर एक बमपिलाट धक्का मारा.
मेरा पूरा लंड पीहू की चूत में गहराई में जा कर सैट हो गया.

मेरे लंड ने पीहू की बच्चेदानी पर चोट की थी तो पीहू जोर से चिल्ला पड़ी- उई मां मर गई … लंड को निकाल लो.

वो लंड हटाने के लिए खड़ी होने की कोशिश करने लगी.
पर मेरी पकड़ मजबूत थी, सो वो कसमसा कर रह गई.
उसकी आंख में आंसू आ गए थे.

मैंने धीमे धीमे धक्के लगाना जारी रखा.
कुछ देर में पीहू लय में आ गयी.
अब मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी.

मेरे हर धक्के में वो कराह कर कसमसाती और खड़ी होने की कोशिश करती.
मगर कुछ ही देर बाद वो खुद ही अपने चूतड़ों को मेरे लंड पर पटकने लगी. मजेदार चुदाई का सिलसिला चालू हो गया.

दस मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद वो अकड़ने लगी, उसका बदन थरथराने लगा.

उसने मेरे हाथों को जोर से पकड़ लिया और झड़ने लगी. उसके पानी का फव्वारा इतना तेज था कि उसकी चुत से टपकने वाला रस उसकी जांघों से होते हुए नीचे बहने लगा.

चूंकि मेरा लंड अभी भी मस्ती से चुत में आगे पीछे हो रहा था. अब चुत का रस आ जाने से लंड सटासट अन्दर बाहर होने लगा.
पीहू की चुदाई जोरों से चल रही थी. इससे ठप ठप की आवाज गूंज रही थी.

दस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद वो फिर से अकड़ने लगी. मैंने भी गति बढ़ा दी और कुछ फाड़ू झटकों के बाद वो बहने लगी.

इस बार मैं भी आने को हुआ. मेरे लंड का टोपा फूल गया और उसकी चूत में अपना वीर्य भरने लगा. उसकी चूत की नाव ओवरफ्लो हो गई थी. वीर्य पैरों से चिपक कर नीचे आने लगा.

कुछ देर बाद मैंने अपना लंड निकाल लिया और हम दोनों का सारा मिश्रित रज और वीर्य ट्रेन के कम्पार्टमेंट की फ्लोर पर गिर गया.

चुदाई के बाद मैंने पीहू को चूमा और आंख मारी तो वो शर्मा गई. अरुणिमा ने एक कपड़े से सारा वीर्य साफ किया. हम दोनों ने कपड़े ठीक किए और बैठ गए.

कुछ देर बाद सुनील और सोनल भी आ गए.

उसने मुझे थका सा देखा तो वो बोला- क्या हुआ बे … कोई बात हो गई है क्या?

मैंने आंख मारी और अरुणिमा को खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया.
सुनील ने परेश की तरफ देखा तो उसने हंस कर हाथ जोड़ लिए.

वो सब समझ गया और सोनल को देख कर उसे आंख दबा दी.

इसके बाद हम दोनों ने अरुणिमा की सैंडबिच चुदाई की और परेश ने हम दोनों का लंड चूसा .. वो सब बड़ी मजेदार सेक्स कहानी है. उसे आपकी मेल मिलने के बाद लिखूंगा.
ट्रेन पोर्न कहानी पर अपने विचार अवश्य बताएं.
धन्यवाद.
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