ट्रेन में अनजान कुंवारी कली की सीलतोड़ चुदाई

ट्रेन में अनजान कुंवारी कली की सीलतोड़ चुदाई


फ्री यंग सेक्स कहानी फर्स्ट एसी ट्रेन में मिली एक जवान लड़की के साथ सेक्स की है. दो बर्थ वाला कूपे था. वो लड़की मेरे बाद उस कूपे में आयी.
मेरा नाम आशु है, मैं अपने घर का इकलौता हूँ. मैं अपने माता पिता के साथ देहरादून में रहता हूँ. दिखने में मैं ठीक ठाक हूँ और कॉलेज में सेकण्ड ईयर का स्टूडेंट हूँ.
एक बार मेरा पेपर था, मेरा सेंटर मुम्बई पड़ा था.
मैंने ट्रेन का रिजेर्वेशन कराना जरूरी समझा मगर मुम्बई के लिए ट्रेन में जगह मिलना मुश्किल थी.
एसी फर्स्ट में एक बर्थ खाली दिख रही थी तो मुझे मजबूरन फर्स्ट एसी का रिजर्वेशन कराना पड़ा.
ये रिजर्वेशन बारह तारीख में दिन में 2 बजे वाली ट्रेन का मिला.
ये वाली ट्रेन बड़ी स्लो चलती है, एक तरह से इसमें मुझे दूसरी ट्रेन से चार घंटे ज्यादा लगने वाले थे.
जाने वाले दिन मैं सही समय पर स्टेशन पहुंच गया. ट्रेन आई तो मैं अपनी सीट पर जाकर बैठ गया. मेरी सामने वाली सीट पर कोई नहीं था. ये दो बर्थ वाला कूपा था.
मैंने ट्रेन के बाहर लगे चार्ट में देखा तो मालूम हुआ कि कोई निरुपमा का आरक्षण था. मेरे मन का मर्द मस्त होने लगा कि मुम्बई तक का सफ़र मस्ती से कटना चाहिए.
जब 4:30 बजे ट्रेन सहारनपुर स्टेशन पर रुकी तो वहां से मेरे सामने वाली सीट पर एक सुन्दर, कमसिन लड़की आकर बैठ गई.
उसे देखते ही मेरा दिल धाड़ धाड़ करने लगा था.

वो सलवार सूट पहनी हुई थी. मेरी निगाहें उसके जिस्म से हट ही नहीं रही थीं.
मस्त कामुक जिस्म था.
मैंने अपनी आंखों से उसे चोदना शुरू कर दिया. उसकी साइज लगभग 34-26-34 की थी.
चूँकि ये तो मुझे मालूम था कि उसका नाम निरुपमा था. मगर जब उसके घर वाले उसे छोड़ने आए थे तब वो उसे नीरू बुला रहे थे.
नीरू सच में बहुत ही मनमोहक लड़की थी. उसकी आंखें तो ऐसी थीं कि उसकी आंखों की गहराई में कोई भी खो जाए.
मैं उससे बात करने का प्रयास कर रहा था किन्तु वो मुझ पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रही थी.
फिर धीरे धीरे वो मेरे साथ सहज हो गई.
हम दोनों बातें करने लगे.
ट्रेन जब दिल्ली स्टेशन पर रुकी, तो मैं पानी और कुछ स्नेक्स लेने जा रहा था.
मैंने उससे पूछा- तुम्हारे लिए भी कुछ ले आऊं.
उसने चिप्स मंगाए.
मैं चिप्स के साथ कुछ और सामान भी ले आया और हम दोनों आराम से चिप्स खाने लगे.
हम दोनों आपस में बातें करने लगे.
उसने मुझे बताया कि वो मुम्बई अपने चाचा जी के घर जा रही है. उसकी उधर जॉब लग गई है.
अब हम लोग कुछ हंसी मजाक भी करने लगे थे.
उसने मुझसे पूछा- तुम मुझे शुरू में घूर क्यों रहे थे?
मैंने कहा- मेरी आंखें चुंधिया गई थीं.
वो बोली- मतलब!
मैंने कहा- तुम बहुत ही खूबसूरत हो नीरू … तुम्हें देखे बिना कोई कैसे रह सकता है.
वो हल्की सी मुस्कुरा दी और बोली- फ्लर्ट कर रहे हो!
मैंने कहा- सच कह रहा हूँ यार … मैं कोई गप नहीं सुना रहा हूँ.
वो बोली- तुम भी काफी हैंडसम हो.
मैंने कहा- इस तारीफ़ के लिए शुक्रिया.
वो मेरी अदा से हंस पड़ी और बोली- तुम बहुत मजाकिया हो.
कुछ समय के बाद वो बाथरूम गयी लेकिन जल्दी ही आ गई.
वो बहुत ही चिंता में दिख रही थी.
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
पहले तो वो कुछ नहीं बोली किन्तु मेरे जोर देने पर बोली कि मेरी सलवार का नाड़ा नहीं खुल रहा.
मुझे हंसी आ गई.
वो मेरी तरफ गुस्से से देखने लगी और कहने लगी- तुझे हंसी सूझ रही है, इधर मेरी हालत खराब हुई जा रही है. मुझ बहुत जोर से आ रही है.
मैंने कहा- अच्छा जब नाड़ा नहीं खुला, तो फिर तुमने क्या किया?
वो बोली- खोलने को कोशिश करती रही मगर वो खुल ही नहीं रहा है.
मैंने कहा- मैं ट्राई करूं!
पहले तो उसने मना कर दिया और खुद ही खोलने की कोशिश करती रही. जब उससे नहीं खुला, तो मुझे खोलने को बोलने लगी.
मैंने हाथ लगाया तो मैं जानबूझकर हाथ अन्दर को डालते हुए नाड़ा खोलने लगा. उसका नाड़ा जल्दी खोलने के बजाए मैं उसे गर्म करने में लग गया.
वो कसमसाती रही मगर उसने कुछ कहा नहीं.
कुछ देर के बाद हुआ ये कि उसकी पेशाब निकल गयी.
वो शर्म से पानी पानी होने लगी.
मैंने उसको धीरज बंधाया और कहा कि कभी कभी ऐसा हो जाता है. इसमें इतना शर्माने की जरूरत नहीं है.
वो सहज हो गई और मुझे थैंक्स कहने लगी.
मेरे हाथ अभी भी उसकी सलवार के भीतर ही थे. मैंने चालाकी दिखाते हुए उसकी सलवार का नाड़ा खोल कर सलवार एकदम से नीचे गिरा दी और सलवार के साथ उसकी पैंटी भी उसके घुटने से नीचे कर दी.
उसकी प्यारी और कोमल सी चूत मेरे आंखों के सामने थी.
उस पर हल्के हल्के बाल थे.
ऐसा लग रहा था कि उसने कुछ ही दिन पहले ही अपनी चूत के बाल साफ किए होंगे.
मैं उसकी चुत को देखने लगा.
जब उसने ये देखा तो वो झट से अपने हाथों से अपनी चूत ढकने की कोशिश करने लगी.
मैंने कहा- क्या हुआ … इतना क्यों शर्मा रही हो नीरू … तुम बहुत सुंदर हो. मुझे देखने दो न!
ये कहते हुए मैंने उसके हाथ हटा दिए और अपना मुँह उसकी चूत पर लगा दिया.
वो मेरे मुँह का स्पर्श अपनी चुत पर पार एकदम से सिहर गई और ‘ऊंह ऊंह मत करो …’ कहते हुए मुझे हटाने की कोशिश करने लगी.
मगर मुझे चुत की महक ने मदहोश कर दिया था.
मैं नीरू की चुत चूसने लगा.
वो हल्के स्वर में मना करने लगी मगर मैं आराम से अपना काम करता गया.
कुछ ही देर में उसे मजा आने लगा और वो गर्म होती चली गयी.
अब वो अपने हाथों को मेरे बालों पर चला रही थी.
उसकी गर्म आन्हें निकलने लगी थीं.
कुछ ही देर में वो गर्म हो गयी और मुझे अपने ऊपर की ओर खींचने लगी.
वो मुझे चूमने चाटने लगी, कभी मेरे मुँह में अपनी जीभ डालने लगी तो कभी मेरी जीभ को चूसने लगी.
वो मेरी आंखों में आंखें डालकर प्यार से देखने लगी.
मैंने आंख दबाते हुए पूछा- क्या हुआ स्वीट हार्ट?
वो मेरे सीने पर मुक्का मारती हुई बोली- साले तू बड़ा कमीना इंसान निकला.
मैंने उसका दूध दबाते हुए पूछा- मैं कितना कमीना हूँ ये तो तुम्हें अभी थोड़ी देर बाद मालूम चलेगा.
वो नशीली आंखों से मेरे होंठों पर अपने होंठ जमाती हुई चूमने लगी और मैं भी उसके साथ चुम्बन का मजा लेने लगा.
एक मिनट बाद वो बोली- मुझे तेरा कमीनापन देखना है.
मैंने कहा- उसके पहले तुम्हें मेरे कमीन को राजी करना पड़ेगा.
वो समझ गई और उसने अपने हाथ को मेरे लंड पर रख दिया.
मेरा लंड गर्म हो गया था और अकड़ने लगा था.
नीरू ने कहा- तेरा कमीन तो काफी बड़ा है.
मैंने कहा- इससे पहले इतना बड़ा कमीन देखा नहीं है क्या?
वो बोली- साले, मैं अब तक वर्जिन हूँ.
मैंने कहा- हां, वो तो तेरी चुत चाटते समय ही समझ आ गया था कि तुमने अभी ज्यादा सेक्स नहीं किया है. मगर ये नहीं समझ पाया था कि तुम वर्जिन हो.
वो बोली- तो आज क्या इरादा है?
मैंने कहा- आज तुमको कमीनेपन का अहसास करना है और साथ ही तुमको लड़की से औरत बनाने का काम भी करना है.
वो बोली- ज्यादा दर्द तो नहीं दोगे न?
मैंने कहा- जितना दर्द दूंगा … उससे ज्यादा मजा भी दूंगा. मेरी गारंटी है कि मुम्बई पहुँचने तक तुम खुद लपक लपक कर अपने कमीने को प्यार करोगी.
नीरू हंस दी और उसने मेरे लंड को दबाते हुए कहा- तो अब देर किस बात की है?
मैंने कहा- किसी बात की देर नहीं है मेरी जान!
मैंने धीरे धीरे उसके सारे कपड़े निकाल दिए और उसने मेरे.
हम दोनों ही नंगे हो गए.
मैं उसके एक दूध को चूसने लगा और दूसरे दूध को दबाने लगा.
कुछ ही देर में मैंने उसके दोनों दूध लाल कर दिए.
वो दूध चुसवाने में ही इतनी मस्त हो गई थी कि उसने मुझे खुद अपने हाथों से पकड़ पकड़ अपने दूध पिलाए.
मैं उसकी चूची चूसने के साथ साथ उसकी चुत में उंगली भी करता जा रहा था ताकि उसकी चुत खुल जाए.
अपनी चुत में उंगली चलवाने के कारण वो अब तक दो बार झड़ चुकी थी.
इसी कारण से वो मुझसे बार बार कह रही थी कि मेरी चूत में अपना लंड डाल दो, आज फाड़ डालो इसे.
मैंने देर न करते हुए उसे एक बार जल्दी से चोदने का मन बना लिया.
तब मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुहाने पर लगा कर रगड़ना चालू कर दिया और ऊपर उसे चूसने लगा जिससे उसका ध्यान भटक जाए.
जब वो अपनी गांड उठा कर लंड से खेल रही थी, तभी मैंने बहुत जोर का शॉट मार दिया.
मेरा लंड उसका कौमार्य भंग करते हुए उसकी चूत में पूरा का पूरा समा गया.
उसकी आंखें उबल कर बाहर आ गईं, वो सिर्फ एक बार बहुत तेज आवाज में चीखी … फिर मानो बेहोश हो गई.
ये देख कर मैं रुक गया और उसके मम्मों को दबाता रहा.
कुछ देर के बाद वो सामान्य हो गई और रोती हुई मुझे गाली देने लगी- बहनचोद, तूने मेरी चूत का भोसड़ा बना दिया … मादरचोद निकाल ले लंड बहुत दर्द हो रहा है.
मगर मैं उसकी बातों को अनसुना करते हुए धीरे धीरे धक्के लगाने लगा.
कोई एक मिनट बाद उसे भी मजा आने लगा.
वो मचलने लगी- आंह फक मी आह.
मैंने उससे पूछा- मेरा कमीन कैसा लग रहा है.
वो आंख मारती हुई बोली- कमीने ने चुत में हाहाकार मचा दिया है.
मैंने चुटकी ली- तो क्या उसे निकाल लूं!
वो गुर्रा कर बोली- साले बाहर निकाला तो काट दूंगी.
मैंने कहा- क्या काट देगी?
वो बोली- यार इस समय नाटक नहीं करो … काम चालू रखो … मुझे इस समय एक पल के लिए भी तुम्हारा रुकना पसंद नहीं आ रहा है.
ये सुनकर मैं नीरू की जोर शोर से चुदाई करने लगा, तो वो झड़ गयी.
मगर मैं अभी भी लगा हुआ था. ट्रेन के झटकों के साथ लंड के झटके मैच करते हुए मैं ताबड़तोड़ लगा रहा.
नीरू फिर से गर्म होने लगी.
मैं उसके होंठों को चूसते हुए उसके दूध को मसलते हुए उसे चोदता रहा.
फिर 20-30 धक्कों के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए.
मैंने अपना सारा वीर्य उसकी चूत में ही डाल दिया और हांफते हुए उसके ऊपर लेट गया.
वो भी मस्त होकर मेरे सीने से चिपकी पड़ी रही.
कुछ दो तीन मिनट बाद मैं उसके ऊपर से हटा और लंड चुत से खींचा तो उसे एक मीठा सा दर्द हुआ.
मैंने एक कपड़े से लंड पौंछा और उसकी चुत को भी साफ़ किया.
फ्री यंग सेक्स के बाद हम दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे.
इसके बाद नीरू ने खुद ही अपने मुँह को मेरे लंड पर लगा कर उसे चूमा और कहने लगी कि मेरा कमीना बड़ा प्यारा है.
मैं हंस पड़ा.
मुम्बई पहुँचने तक मैंने नीरू को आठ बार चोदा, वो भी मस्त हो गई थी.
उसने मुझसे मुम्बई में भी चुदवाया.
मेरी फ्री यंग सेक्स कहानी आपको कैसी लगी, मुझे मेल जरूर करें.
मेरी ईमेल आईडी है [email protected]

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