जिसे चाहा उसे पा ही लिया- 2

जिसे चाहा उसे पा ही लिया- 2


पेनफुल सेक्स ऐनल कहानी में मैंने अपनी बीवी को सेक्स गुलाम बनने को कहा तो वह एकदम मान गयी. तब मैंने उसे चुदाई करते हुए मार कर थोड़ी तकलीफ दी.
कहानी के पहले भाग
मेरी बीवी की पहली चुदाई
में आपने पढ़ा कि मैं ललित, मेरे पड़ोस में रहने वाली मालविका को बचपन से प्यार करता था और कहता था मैं मालविका से शादी करूँगा। हमारी शादी नहीं हो सकी क्योंकि मालविका मुझसे 3 महीने बड़ी थी। मालविका की शादी उससे 15 साल बड़े आदमी से हुई। उसका तलाक हो गया।
मैंने घर वालों को मनाकर मालविका से शादी कर ली।
सुहागरात को मुझे पता चला मालविका अभी तक कुंवारी थी।
बहुत पूछने पर मालविका ने बताया कि उसके पहले पति का लंड खड़ा नहीं होता था। मालविका के तलाकशुदा होने पर भी मैंने उससे शादी की इसलिए मालविका बार बार कहती कि वह मेरी गुलाम बनाकर रहेगी.
अब आगे पेनफुल सेक्स ऐनल कहानी:
मालविका ने कई बार कहा कि वह मेरी गुलाम बनकर रहेगी.
तो मैंने सोचा कि आज रात गुलाम का खेल खेला जाये।
बैडरूम में मैं नंगा होकर चित लेट गया और मालविका को कहा- अपने कपड़े उतारकर, घुटनों पर मेरे बाजू में बैठकर लंड चूसो, तुम्हारे कूल्हों पर मेरे हाथ पहुंचने चाहिए।
मालविका ने गुलाम की तरह मेरी बात मानी।
वह मेरा लंड चूसने लगी.
मैंने उसके कूल्हों पर चांटे मारकर कहा- पूरा लंड गले तक लेकर चूसो।
मालविका पूरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी.
उसके गेहुंये कूल्हे चांटों से लाल हो गए.
मैं उसके मुँह में झड़ गया.
उसने वीर्य पी लिया, लंड चाट कर साफ किया.

मैं- मालविका, मुँह धोकर आओ और पलंग पर लेट जाओ।
थोड़ी देर बाद मैं मालविका के लब चूसने लगा, चूचे दबाने लगा.
मालविका की चूत गीली हो गयी।
मैंने मालविका को घोड़ी बनाकर पलंग के किनारे खड़ा किया, फर्श पर खड़ा होकर मैं उसकी चूत पीछे से चोदने लगा.
साथ ही मैं मालविका के कूल्हों पर चांटे मारने लगा.
हर चांटे के बाद मालविका को और जोश आता, उसकी सिसकारी तेज हो जाती, वह कमर हिलाकर लंड और अंदर लेने लगती।
मालविका की चूत से दो बार कामरस का फव्वारा निकला.
वह थक गयी थी पर उसने मुझे रुकने नहीं कहा।
मैं थोड़ी देर पहले झड़ा था, चोदते समय मैं बहुत देर टिका.
उसके बाद से हम दोनों साथ में सेक्स वीडियो देखते, खासकर BDSM, गुलाम वाली … फिर वैसा ही करते।
मैं मालविका से प्यार करता हूँ, मैंने कभी उसे इतनी जोर से नहीं मारा कि चोट लगे।
मैंने मालविका को कहा- तुम लंड, चूत, गांड शब्दों को यौन क्रीड़ा के समय बोला करो, सेक्स में खुलकर भाग लो!
उसने वैसा ही किया.
इससे मजा और बढ़ गया।
मैं मालविका के साथ इंटरनेट पर और शॉपिंग माल में टंगे सेक्सी कपड़े देखता, जो कपड़े अच्छे लगते उनकी फोटो ले लेता।
दुकान में वे कपड़े महंगे थे, मेरी नयी नौकरी थी, तनखाह ज्यादा नहीं थी।
मालविका के पास सिलाई मशीन थी, वह वैसे कपड़े घर में सिलती।
उसने मिनी स्कर्ट, जालीदार ब्रा पैंटी, बिना बांह का बैकलेस ब्लाउज आदि सिला।
वह उन कपड़ो में सेक्सी लगती।
हमने खिड़कियों पर मोटे परदे लगा दिए ताकि बाहर से कोई हमने देख ना सके.
एक बार हमने गुलाम के गले में पट्टा डालकर, उसमें चेन लगाकर गुलाम को कुत्ते की तरह घुमाने का वीडियो देखा।
मैंने कहा- ऐसा हो जाये?
मालविका बोली- कल ही मैं गले का गुलाबी पट्टा बनाती हूँ, घर में रस्सी है ही!
मैं घुटनों की कैप ले आया, जिससे मालविका के घुटने कुत्ते की तरह फर्श पर चलने से न दुखें।
हम अक्सर यह खेल खेलते, मालविका को कुतिया की तरह चलाते समय मैं धीरे से उसके कूल्हों पर बेल्ट से मारकर उसे रुकने / चलने को कहता.
मेरी इच्छा थी मालविका की गांड भी मारने की।
मैंने नेट में पढ़ा कि बिना ज्यादा दर्द दिए गांड मारने के लिए गांड को तैयार करना पड़ता है, गांड के छेद को थोड़ा ढीला करना पड़ता है.
इसके लिए Ass Plug उत्तम उपाय है।
मैंने छोटा और मध्यम साइज का पूंछ लगा आस प्लग ऑन लाइन खरीदा।
तब मैंने मालविका को पूँछ लगा आस प्लग दिखाकर कहा- इसे पीछे लगाने से जब तुम कुत्ते की तरह चलोगी तो असली कुतिया लगोगी।
मालविका राजी हो गयी,
मैंने मालविका को पेट के बल लिटाकर कहा- गांड ढीली करो.
उंगली में तेल लगाकर मैंने एक उंगली उसकी गांड में डाली, फिर दो उंगलियां डाली।
मालविका को थोड़ा दर्द हुआ, वह सह गयी।
मैंने छोटा पूँछ लगा आस प्लग गांड में डालकर कहा- अब कुतिया की तरह चलो।
चलने से आस प्लग के गांड में घर्षण से मालविका को मजा आ रहा था।
कुछ दिन बाद मैंने मध्यम साइज का आस प्लग लगाकर घुमाया.
छुट्टी के दिन मैंने लड़की की गांड मारने का वीडियो लगाया।
तब मालविका को कहा- एक बार इसको करके देखते हैं.
मालविका बोली- मेरी सहेली ने बताया था कि पीछे बहुत दर्द होता है. फिर भी यदि तुम्हारी इच्छा है तो पेनफुल सेक्स ऐनल करके देखते हैं।
मैंने कहा- आस प्लग से तुम्हारी गांड थोड़ी ढीली हो गयी है, ज्यादा दर्द नहीं होगा। आस प्लग लगाकर चलने में तुम्हें मजा आता है. सोचो लंड जब गांड में जायेगा कितना मजा आएगा, तुम गांड ढीली छोड़ना और सम्भोग से पहले गांड अंदर से साफ़ करना होगा.
मैंने बाथरूम में मालविका की गांड में पिचकारी से करीब आधा गिलास पानी भरकर कहा- अब कमोड में बैठकर पानी बाहर निकाल दो!
दो तीन बार ऐसा करने के बाद मालविका को बहुत फ्रेश लगा।
मालविका ने वीडियो के समान पलंग पर पेट बल लेटकर पांव फैला दिए, अपने कूल्हे हाथ से पकड़कर गांड की छेद से दूर कर दिए तो छेद दिखने लगा।
मैंने उंगली से तेल मालविका की गांड में अंदर तक लगा दिया.
फिर मैंने अपने लंड पर तेल लगाया और धीरे धीरे लंड गांड में डालने लगा।
मालविका ने अपना हाथ कूल्हों से हटाकर तकिये को कस कर पकड़ लिया।
मैंने पूछा- दर्द ज्यादा हो रहा है क्या?
मालविका बोली- ज्यादा नहीं, पहली बार तो चूत में डलवाने में भी दर्द हुआ था।
मैं धीरे धीरे गांड मारने लगा.
मालविका ने तकिया छोड़ दिया.
मैंने मालविका के ऊपर से उतरकर कहा- अब मिशनरी पोजीशन में करते हैं।
मालविका ने चित होकर अपने पैर छाती की तरफ करके पकड़ लिए.
मैंने उसकी कमर के नीचे तकिया लगाया और गांड मारने लगा।
मैंने पूछा- मजा आ रहा है?
मालविका- हाँ अलग तरह का मजा आ रहा है!
करीब 15 मिनट बाद मैं झड़ गया, मैंने लंड बाहर निकाला, मालविका की गांड से वीर्य टपकने लगा।
हम बाथरूम गए, मैंने अपना लंड साबुन से धोया.
गांड में कीटाणु हो सकते हैं तो साबुन से धोना जरूरी है.
मालविका ने अपनी गांड धोयी.
उसके बाद से जब भी हम सम्भोग करते, मैं पहले मालविका की चूत मारता, जब लगता मैं थोड़ी देर में झड़ जाऊंगा तो मैं लंड बाहर निकालकर लंड की जड़ उंगलियों से कसकर पकड़ लेता, साँस रोकता या लम्बी साँस लेता, ध्यान दूसरी तरफ लगाता, झड़ना टल जाता।
मैं लंड पर तेल लगाकर गांड मारने लगता।
मैंने कभी गांड मारने के बाद चूत नहीं मारी क्योंकि लंड में लगे गांड के कीटाणु चूत में जाकर इन्फेक्शन कर सकते हैं.
हम बी डी एस एम का खेल भी खेलते।
मैं मालविका के कपड़े उतारकर उसके हाथ पलंग से सिरहाने रस्सी से बांध देता, उसकी आंख पर पट्टी बांध देता, उसके पैर छाती की तरफ करके पैरों को पलंग के सिरहाने रस्सी से बांध देता।
कमर में नीचे तकिया लगाता, कूल्हों पर चांटे मारता, निप्पल मरोड़ता, चूत सहलाता।
इससे मालविका की चूत से पानी निकलने लगता।
मालविका बोलती- अब और इन्तजार मत करवाओ।
उसके बाद चूत और गांड की घमासान चुदाई होती!
जब ठंडी ज्यादा नहीं होती तो मेरे घर आने के बाद मालविका छोटा स्कर्ट और सेक्सी बिन बाहों का ब्लाउज बिना ब्रा पैंटी के पहनती।
टी वी देख़ते समय मैं उसकी मांसल चिकनी जांघों पर हाथ फेरता, ब्लाउज में हाथ डालकर चूचे दबाता.
वह मेरे लंड पर हाथ फेरती.
कई बार हमने ड्राइंगरूम में सम्भोग किया।
अक्सर कई बार जब मालविका खाना बनाती तो मैं उसका स्कर्ट उठाकर उसके कूल्हों पर हाथ फेरता.
वह किचन टेबल पकड़कर झुक जाती, मैं पीछे से चुदाई करता.
हम दोनों छुट्टी के दिन एक दूसरे की मालिश करते, साथ नहाते।
मेरी इच्छा थी मालविका का मूत्र पीने की … पर मैं उसे बोल नहीं पाया।
एक दिन जब मैं मालविका की मालिश कर रहा था तो वह बोली- थोड़ा रुको, मैं शु शु करके आती हूँ!
मैंने मालविका को थोड़ी देर और रोका.
मालविका बाथरूम जाने लगी तो मैं उससे पहले बाथरूम में घुस गया।
मैंने मालविका को पकड़कर उसके कंधे दीवार से लगा दिए, मैं छोटा स्टूल लेकर उसकी चूत पर मुँह लगाकर बैठ गया।
तब मैंने मालविका की कमर पकड़ ली और कहा- पांव फैलाकर मूतो … मैं पीना चाहता हूँ।
मालविका की मना कर रही थी.
पर वह अपना मूत रोक नहीं पायी, वह पांव फैलाकर मूतने लगी, मैं मूत पीने लगा.
मुझे मजा आया.
मैंने कहा- मजा आ गया।
मालविका स्टूल पर बैठकर मुँह खोलकर बोली- मुझे भी पीकर देखना है।
मैं मालविका के खुले मुँह में मूतने लगा.
वह कुछ मूत पी रही थी, बाकी उसके शरीर पर गिर रहा था।
मालविका को भी मजा आया।
तब से हम लोग साथ नहाते समय एक दूसरे का मूत्र पीते, एक दूसरे को मूत्र स्नान कराते।
फिर एक दूसरे को साबुन से नहलाते.
आपको यह पेनफुल सेक्स ऐनल कहानी कैसी लगी, मुझे मेल में बतायें.
मेल में कहानी का नाम भी लिखें.
[email protected] पेनफुल सेक्स ऐनल कहानी का अगला भाग: जिसे चाहा उसे पा ही लिया- 3

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