अन्तर्वासना की सेक्स कहानी का मजा लेने वाले मेरे प्यारे दोस्तों को मेरा नमस्कार… मेरा नाम राजीव कुमार है, मैं कानपुर उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ.
मेरी हेल्थ अच्छी है और सेक्स करने में मुझे चूत चाटना बहुत ज्यादा पसंद है. मैं करीब आधे घंटे तक सेक्स कर सकता हूँ, मेरा लंड लगभग 7″ का है.
यह कहानी मेरी जिन्दगी की एक सच्ची घटना है.
मैं अपने किसी रिश्तेदार की शादी में गाँव में गया हुआ था. जहाँ मेरा निमंत्रण था, उसी गाँव में मेरी एक दूर की रिश्ते की मौसी का घर भी था. मौसी की शादी को करीब आठ साल हो गए थे लेकिन उनके कोई भी बच्चा नहीं था.
मेरी वो मौसी भी उसी शादी में निमंत्रण में आई थी.
फरवरी का महीना था, पूरी जोर की ठण्ड की रात थी और शादी का माहौल था तो सोने की व्यवस्था भी ठीक नहीं थी. मैं इसी उधेड़बुन में लगा था कि अब ऎसी सर्दी में रात कैसे कटेगी.
तब तक भगवान ने मेरी प्रार्थना सुन ली, मेरी समस्या का समाधान कर दिया, मेरी वो मौसी मेरे पास आई और बोली- राजीव बेटा, क्या सोच रहे हो तुम?
मैंने मौसी को अपनी रात बिताने की समस्या बताई तो वो बोली- बेटा, इसमें परेशान होने की क्या बात है? तुम मेरे साथ चलो, मेरे घर पर तुम आराम से सो जाना!
मैं खुश हो गया और मौसी के साथ उनके घर की तरफ चल पड़ा. लाइट नहीं आ रही थी, अँधेरा था, मौसी आगे आगे चल रही थी और मैं पीछे पीछे… थोड़ी दूर चलने पर उनका घर गांव के किनारे था, आ गया.
मैं अंदर गया तो देखा कि मौसा जी घर में नहीं थे. मैंने मौसी से मौसा जी के बारे में पूछा तो मौसी बोली- तुम्हारे मौसा भी एक अन्य निमंत्रण में गए हुए हैं. वे कल सुबह तक आ जाएंगे.
खाना तो हम शादी में खा ही चुके थे तो मौसी ने जल्दी ही दो खाट बिछा दी, दोनों खाट पास पास ही थी.
खूब जाड़ा पड़ रहा था. हम दोनों अपनी अपनी चारपाई पर रजाई में घुस कर आपस में बात करने लगे.
थोड़ी देर इधर उधर की बात करते करते ही मैंने अनायास ही उन से पूछ लिया- मौसी जी, शादी के इतने साल बाद भी आपको अभी तक बच्चा क्यों नहीं हुआ?
मेरी बात सुन कर मौसी काफी उदास हो गयी और रूआंसी सी बोली- क्या बताऊँ राजीव बेटा, तुम्हारे मौसा जी के स्पर्म में ही कोई कमी है. बहुत से डॉक्टर को दिखाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
और इतनी बात कहते कहते मेरी मौसी रोने लगी मुझे अच्छा नहीं लगा और मैं उनकी चारपाई पर जाकर बैठ गया और अपने हाथों से मौसी के आंसू पौंछने लगा. उनका पल्लू नीचे गिर गया था और मुझे मौसी की बड़ी बड़ी चूचियाँ दिखाई दे रही थी.
अपनी मौसी के आंसू पौंछने के बाद मैं अपनी चारपाई पर वापिस आने लगा तो मौसी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- राजीव… मुझे बच्चा चाहिए! और तुम्हारा शरीर भी तगड़ा है! क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?
मैं मौसी की बात सुन कर एकदम से हैरान परेशान हो गया कि मौसी यह क्या बोल रही है? मैं तो सपने में भी ऐसा कुछ नहीं सोच सकता था. मौसी तो माँ बराबर होती है उर उनके साथ सेक्स… ये तो पाप है.
मौसी मुझे सोच में पडा देख कर बोली- राजीव, सोच मत… बेटा किसी को पता कुछ पता नहीं चलेगा! तुम मेरी मदद कर दो! मुझे बच्चे का सुख दे दो!
मेरी मौसी मेरे सामने गिड़गिड़ाने सी लगी.
अब मैं क्या करता…. मैंने भी मौसी के हाथ को पकड़ लिया और उनके बिस्तर के अंदर घुस गया. मैंने सोच लिया था कि अब मैं मौसी की मदद करूंगा और जब मौसी खुद ही कह रही तो इसमें कोई पापा भी नहीं!
इस तरह से मैंने अपने दिल को झूठी सच्ची दिलासा दिलाई और मौसी की चुदाई करने की सोच ली. सोचा कि मौसी की चूत चोद कर मजा भी मिलेगा और पुण्य का काम भी हो जाएगा.
अब भरी सर्दी में मैं और मौसी एक चारपाई पर एक रजाई में एक दूसरे की बाँहों में थे. मैंने उनका चेहरा ऊपर उठाया और मौसी के लबों पर एक चुम्मा लिया.
क्या फ़िगर थी मौसी की… वैसे तो मौसी गांड की रहने वाली थी तो काफी काम करती थी, उनकी फिगर स्लिम थी लेकिन फिर भी उम्र के हिसाब से उनका बदन गदराया हुआ था. मौसी का गर्म और गदराया बदन महसूस करके मेरा लंड खड़ा हो गया था. हम दोनों के होंठ आपस में मिल गए थे और आँखें बंद थी.
क्या स्वाद था मौसी के मुख की लार का… हमारी लार एक दूसरे में मिक्स हो रही थी. ‘पुछ्ह उम्म्म्म पुच उम्म्म्म…’ हम एक दूसरे के होंठ खा रहे थे.
करीब दस मिनट बाद हम होश में आये, अब मैंने मौसी की साड़ी उतार कर अपने वाले बिस्तर पर फेंक दी और अपनी लोअर और बनियान भी उतार दी.
अब मौसी केवल पेटीकोट और ब्लाउज में थी हम दोनों अब लेटे हुए एक दूसरे के अधनंगे और गर्म बदन को महसूस कर रहे थे… जबकि रजाई से बाहर ठण्ड गजब की थी.
अब मैंने मौसी के ब्लाउज के बटन खोल दिए और मौसी के चूचे अब मैं सहला रहा था! क्या भरे भरे कड़े से चूचे थे मेरी मौसी के! अब मौसी के मुख से आवाज़ निकल रही थी- सीएई अह्ह्ह्ह ह्ह उम्म्म्म राजीव बेटा… आह्ह्ह ह्ह्ह्ह!
मैंने अब मौसी के दूध पीना शुरू कर दिया था, पुच पुच पुच की आवाज़ आ रही थी और मौसी अब वासना कामुकता के नशे में लग रही थी.
करीब दस मिनट तक उनके दूध पीने के बाद मैं नीचे सरका और उनकी पेटीकोट के नाड़े की गांठ खोल दी और मौसी को नंगी करने के लिए पेटीकोट नीचे करने लगा. मौसी ने अपने चूतड़ ऊपर कर दिये तो मैंने उनका पेटीकोट उनकी टांगों पर से उतार कर फेंक दिया.
अब मेरी मौसी नीचे से नंगी हो गयी थी, मौसी ने नीचे चड्डी नहीं पहनी थी. मैं मौसी की जांघें सहला रहा था. क्या भरी भरी जांघें थी उनकी…
कुछ देर मौसी की नंगी चिकनी जांघें सहलाने के बाद मौसी की चूत पर हाथ रख दिया, मेरी मौसी की भट्टी की तरह तप रही थी उनकी चूत और पाव रोटी की तरह खूब फूली हुयी थी.
मैं मौसी की चूत को सहला रहा था, हाथ से महसूस कर रहा था, चूत पर छोटे छोटे बाल थे जो मुझे मखमल की भान्ति लग रहे थे.
मैंने अपनी एक उंगली मौसी की चूत की दरार में फिरानी शुरू की, मेरी उंगली पर चिपचिपा लिसलिसा पानी लग गया और मौसी के मुख से कामुक सिसकारियां निकलनी शुरू हो गई- हाह… उम्म आह… हाँ…
जब मेरी उंगली मौसी की भगनासा को छू जाती तो मौसी उछल सी पड़ती. मौसी को बहुत मजा आ रहा था.
रजाई से बाहर सर्दी बढ़ती जा रही थी और रजाई के अंदर चुदास की गरमी बढ़ रही थी.
और थोड़ी देर बाद मैंने नीचे झुक कर मौसी की तपती चूत पर अपना मुंह लगा दिया और उसे चाटने लगा. चपर चपर… लपर लपर… पुच पुच की आवाज़ आ रही थी. मौसी भी मेरा साथ दे रही थी और मेरे सर को सहला रही थी.
क्या भीनी भीनी सुगंध आ रही थी मौसी की चूत से और… चूत खूब रस भी छोड़ रही थी… उनकी चूत की लकीर को मैं चीर कर अंदर तक अपनी जीभ से चाट रहा था और उधर मौसी का बुरा हाल था. वो लगातार उम्म्म म्म्म्म उम्म्म्म उम्म्ह… अहह… हय… याह… हाआआआ हाय य्य्य हाआआआय्य य्य्य उम उम अह्ह्ह अह्ह्ह कर रही थी.
और मैं ‘हुम्म्म्म.. हूम्म्म पुच पुच…’ की आवाज़ के साथ उनकी बुर चाटे जा रहा था.
मौसी लगातार अपने हाथों से मेरे सर को अपनी चूत पर दबा रही थी और मैं कामुकता में मौसी की चूत चाटे जा रहा था… चाटे जा रहा था. कुछ मिनट बाद मौसी अपने चूतड़ उछालने लगी, मुझे आभास हो गया कि मौसी अब झड़ने वाली है. और बस मौसी जोर जोर से सीत्कारें लेती हुयी झड़ गई.
अब मौसी ने मुझे ऊपर खींच लिया तो मैंने मौसी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए. लेकिन मेरे होंठों पर मौसी की चुत का रस लगा हुआ था तो मौसी को घिन आई लेकिन मैं मौसी को जबरन चूमने लगा और उनके मुख में अपने होंठ जीभ घुसा कर उन्हें उनकी ही चूत का रस चखा दिया.
मौसी तो एक बार झड़ कर कुछ शांत सी हो गयी थी लेकिन मेरे लंड का तो बुरा हाल था, मैंने मौसी को मेरा लंड चूसने को कहा तो उन्होंने एकदम मना कर दिया. मुझे भी लगा कि मौसी से लंड चुसवाऊँगा तो झड़ जाऊँगा.
मैंने मौसी से पूछा कि अब आपनी चूत में लंड घुसा दूँ क्या?
मौसी बोली- हाँ बेटा… इसी लिए तो इतना सब खेल रचा है… अब डाल ड़े मेरे अंदर अपना लंड और भर दे मेरी चूत अपने संतान देने वाले रस से!
मेरा लंड बहुत ज्यादा सख्त और बड़ा हो रहा था, मैं रजाई के अंदर ही नंगी मौसी के बदन पर चढ़ गया और मेरा लंड मौसी की चूत को छूने लगा. मौसी ने अपनी दोनों जांघे चौडाई में फैला ली और अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर उसका मार्गदर्शन किया और मैंने एक हल्का सा झटका मार कर मौसी की चूत में लंड घुसा दिया. चूत पूरी गीली थी तो लंड बिना किसी परेशानी से चूत में अंदर तक समा गया.
मौसी के मुख से आनन्द और संतुष्टि भरी सिसकारी निकली और उन्होंने मेरे लबों पर अपने लब रख दिए और जोर जोर से मुझे चूमने लगी.
मैं ऐसे ही लंड डाल कर कुछ पल रुका रहा तो मौसी बोली- राजीव बेटा, चोदना शुरू करो ना अपनी मौसी को… मुझे चोद चोद कर औलाद का सुख दे दो बेटा…
अब मैंने अपने चूतड़ हिलाने शुरू किया और लंड चूत में अंदर बाहर होने लगा. मौसी की चूत काफी गीली थी तो मेरे लंड पर कोई खास रगड़ नहीं लग रही थी. फिर भी गर्म चूत मेरे लंड को गरमी तो दे ही रही थी.
मैं बहुत धीरे धीरे मौसी की चुदाई करने लगा क्योंकि मुझे डर था कि मैंने तेज तेज मौसी को चोदा तो मैं जल्दी झड़ जाऊँगा. मौसी भी एक बार झड़ चुकी थी तो उन्हें भी इस धीमी गति के चोदन में हल्का हल्का सुरूर हो रहा था.
मैं कभी मौसी की चूची को चूसने लगता तो कभी मौसी के होंठों को…
बीच बीच में मैं मौसी के गले पर अपने डांट गड़ाने की कोशिश करता तो मौसी मुझे यह कहा कर हटा देती- बेटा दर्द होता है.
थोड़ी देर बाद मौसी खुद बोली- बेटा, अब थोड़ा जोर जोर से करो ना!
अब मैंने अपने झटकों की गति बढ़ाई, मैं उचक उचक कर मौसी की चुत चुदाई करने लगा. मौसी को भी मजा आ रहा था, वे भी नीचे से अपने चूतड़ उछाल कर मेरे साथ सहयोग कर रही थी.
बीच बीच में मैं अपनी चुदाई की गति धीमी कर देता ताकि देर तक टिक सकूँ.
लेकिन आखिर कब तक टिकता… लंड के भाग्य में तो यही लिखा है कि चूत की गहराई में जाकर चूत को सींचना और एक नए जीवन का सृजन करना…
मेरे लंड ने भी अंततः मौसी की चूत की सिंचाई कर दी इसी आशा से कि इस सिंचाई से मौसी को संतान फल की प्राप्ति होगी.
मैंने आखिरी झटके काफी जोरदार मारे और झड़ने के बाद मौसी की चूत में लंड डाले काफी देर तक लेटा रहा कि मेरा वीर्य चूत से बाहर ना बहे.
मौसी के ऊपर लेटे लेटे ही मुझे नींद आ गई क्योंकि मुझे थकान भी बहुत हो गई थी.
सुबह मेरी नींद खुली तो दिन निकल आया था, मैं नंगा नंगी मौसी की बगल में लेटा था. मौसी सोयी हुई थी, उनके चेहरे संतुष्टि और प्रसन्नता का भाव था. मैंने मौसी के होंठों पर अपने होंठ रखे और उन्हें चूसने लगा. मौसी जाग गई और एक बार तो हैरानी से मुझे देखा, फिर खुश हो कर मुझे अपने नंगे बदन से चिपका लिया.
तभी हम दोनों मौसी भानजे ने एक बार फिर चुदाई की.
उसके बाद मैं उठाकर नहा धोकर तैयार हो गया. इसी बीच मौसी ने कुछ नाश्ता बना लिया था. नाश्ता करके मैंने अपने घर की ओर प्रस्थान किया.
तब से लेकर मैं और मौसी लगातार फोन पर सम्पर्क बनाए रहे, मौसी ने डेढ़ महीने बाद ही मुझे बता दिया था कि वे पेट से हैं. दिवाली से कुछ दिन बाद मौसी को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. मेरा बहुत मन था कि मैं अपने बेटे को देखने जाऊं… लेकिन वो मौसी मेरे दूर के रिश्ते में थी तो बिना कारण उनके घर जाना उचित नहीं लगा. उस वक्त स्मार्ट फोन भी नहीं हुआ करते थे कि मैं अपने बेटे की तस्वीर भी देख पाता.
दो साल बाद मेरा मौसी से मेरा मिलना हुआ किसी अन्य रिश्तेदार के घर में किसी उत्सव में तो मैंने अपने बेटे को देखा, मेरी आँखें गीली हो गयी थी, मैं बहुत भावुक हो गया था लेकिन मैंने किसी तरह अपने पर काबू रखा.
मौसी बहुत खुश थी और उनकी खुशी देख कर मुझे लगा कि मेरा जीवन सफल हो गया.
मेरी एडल्ट कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद.
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