मेरी सेक्स कहानी के पिछले भाग
ज़िम वाले लड़के के साथ दोबारा सेक्स का मजा लिया-1
में अब तक आपने पढ़ा कि मुझे अपने मायके जाना था. विकी से जब मैंने ये सब कहा, तो उसने मेरी चुदाई के लिए एक प्लान बना लिया.
अब आगे:
उस रात चैटिंग पे उसने मुझे कुछ ख़ास निर्देश दिए और मैंने भी उसको बताया कि कैसे सब हैंडल करना हैं. हम दोनों का दिमाग बहुत चलता है क्योंकि हम बात बहुत कम करते हैं, बस इशारे में ही समझ जाते हैं.
हम लोगों की रात के 10 बजे स्लीपर कोच की बस की बुकिंग हुई थी. खाना खाने के बाद शाम को 8.30 बजे मैं नहाने गयी, नहाकर मैं तौलिये में बाहर आई.
मैंने उसको ईमेल से पूछा था कि क्या पहनना है. उसने जो बताया फिर वो मैंने अलमारी से निकाला.
सबसे पहले मैंने तौलिया हटाया, अपने नंगे बदन पर परफ्यूम लगाया और गुलाबी रंग की ब्रा और पेंटी पहनी, फिर गुलाबी रंग का पेटीकोट और ब्लाउज़, फिर मैंने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी. सब गुलाबी रंग की चॉइस थी उसकी.
फिर मैंने ऊपर काला बुर्का पहना और बाहर हॉल में आ गई.
मेरे शौहर मुझे और मेरी सास को छोड़ने साथ में आए. विकी पहले से ही ट्रावेल्स पॉइंट पे था. उसने सफ़ेद रंग का टीशर्ट और नीली शॉर्ट पहनी थी.
वो मुझे दीदी दीदी … और इनको भैया भैया कहके बात करने लगा. दस मिनट में बस आ गयी. हम सब बस के अन्दर गए.
मेरी सीट साइड लोअर सिंगल बर्थ थी अकेली की, उसके ठीक ऊपर मेरी सास की साइड अपर सिंगल बर्थ थी. मेरे सामने जो डबल बेड लोअर थी, उसमें विकी और कोई और पैसेंजर था.
मैंने शौहर को विदा किया और फिर सास ऊपर के बर्थ पे जाके लेट गईं. बस एसी स्लीपर थी. मैंने बैग रखा और अपना बुर्का निकाल दिया. बुर्का निकालते ही विकी ने मुझे देखा और वो खुश हो गया क्योंकि मैं उसके चॉइस के कपड़े पहन के आई थी.
मैं बैग रखने के लिए झुकी, तो पीछे से वो मेरी गांड देख रहा था. मैंने काफी टाइट साड़ी पहनी थी. फिर मैं अपने साइड लोअर बर्थ पे लेट गयी. मैंने पर्दा बंद किया, सिर्फ चेहरा दिखे, इतने खुला रखा. विकी भी पड़ोस में चेहरा दिखे, इतना ही खुला रखके लेट गया.
वो सामने की तरफ था और उसके पीछे कोई और पैसेंजर था. बस निकाल चुकी थी. हम एक दूसरे को सिर्फ देख के स्माइल कर रहे थे. थोड़ी देर चलने के बाद लाइट ऑफ हो गईं और मैं सो गई. कुछ देर आराम से सोने के बाद करीब करीब एक बजे बस की लाइट ऑन हो गई.
कंडक्टर आवाज देते हुए कहा कि जिसको बाथरूम जाना है या नाश्ता करना है, कर लो … फिर बस नॉन स्टॉप जाएगी.
मैंने मेरी सास को आवाज़ देकर उठाया, पर वो गहरी नींद में थीं, इसलिए नहीं जगीं. सिर्फ हम दोनों ही बाहर निकले, बाहर हमें कोई नहीं जानता था, इसलिए जब उसने मेरी कमर पे हाथ रखा, तो मुझे कोई एतराज नहीं हुआ.
हम साथ में ऐसे चल रहे थे, जैसे पति पत्नी हों. पहली बार मैं बिना बुर्के के पब्लिक प्लेस में थी. कुछ लोग मुझे देख रहे थे, उनकी नजरें मेरे जिस्म के उभार पे पड़ रही थीं, मुझे ये अहसास बहुत अच्छा लगा.
फिर मैं बाथरूम में जाके फ्रेश हो गयी और हमने चाय पी. चाय पीते पीते उसने कहा कि मैंने अपने साथ वाले पैसेंजर से बात कर ली है और वो तुम्हारी सीट पे शिफ्ट हो जाएगा.
मैं भी खुश हो गयी कि चलो मौका मिल गया.
फिर वापस जब आई, तो वो पैसेंजर मेरी सीट पे लेटा था. मैंने वापस एक बार सास को चैक किया, वो गहरी नींद में थीं. फिर हम दोनों डबल बेड वाली बर्थ के अन्दर गए और पर्दे लगा दिये.
बस चालू होते ही लाइट ऑफ हो गईं. फिर मैंने उसे अपनी बांहों में ले लिया. जिस्म से जिस्म मिले. हम दोनों लेट गए और एक दूसरे के अंग पे इधर से उधर होने लगे. वो मेरे ब्लाउज़ के ऊपर से मेरे दोनों 34 के बूब्स दबाने लगा. फिर साड़ी के ऊपर से मेरी 36 की गांड दबाने लगा. मुझे नशा सा चढ़ने लगा और उसे भी.
फिर मैं नीचे लेटी और विकी मेरे ऊपर आ गया. मेरी साड़ी, पेटीकोट को उसने ऊपर किया और पेंटी को नीचे किया, मेरी चुत में उंगली डाली और मजे से अन्दर बाहर करने लगा. मैंने भी उसकी टी-शर्ट निकाल दी.
उसने मेरी चुत से उंगली निकाली और अपना मुँह मेरी चुत पर रख दिया. वो मेरी चूत सूंघने चाटने लगा.
ओहह ओहह ऊहह मुझे बहुत मजा आ रहा था, आज तक ऐसा किसी ने नहीं किया था. मैंने तुरंत मेरे मुँह पे हाथ रख दिया ताकि ज़ोर की सिसकारियों की आवाज़ ना आए. मैंने एक हाथ से अपना मुँह दबाया और दूसरे हाथ से उसके सर पे प्यार से बालों को सहलाने लगी.
आज तक सिर्फ पॉर्न मूवी में देखा था, पर अब उस पल को महसूस कर रही थी. मेरी दोनों मुलायम गोरी जाँघ को उसने चूसा चाटा और धीरे धीरे काटा. साइड में आके उसने मेरी गांड को सूंघा और किस की बारिश कर दी. फिर वो सीधा हो गया और उसने खुद का शॉर्ट नीचे किया और लंड बाहर निकाला.
मैंने तुरंत उसका बड़ा सा लंड मेरे हाथ में ले लिया और सहलाने लगी. मैं नीचे से लंड को सहला रही थी. तभी ऊपर से उसने मेरे ब्लाउज़ के हुक खोल दिए और ब्रा भी खोल दी. वो मेरे दोनों बूब्स चूसने लगा … मुझे मजा आने लगा. मैं नीचे से उसका लंड सहला रही थी.
फिर उसने पोजीशन बदली और अपना लंड मेरे मुँह के पास लाया. मैं काम के नशे में चूर थी, उसने कब मेरे मुँह के अन्दर लंड डाला और कब मैं लंड चूसने लगी, कुछ पता ही नहीं चला क्योंकि ये काफी जल्दी हुआ.
उसने मेरी चुत और गांड चाटी थी इसलिए उसका लंड चूसने में मुझे कोई गंदी बात नहीं लगी. कुछ भी गलत महसूस नहीं हुआ, बल्कि ऐसा करके मुझे उसे खुश करने का दिल किया. उसकी खुशी मेरे लिए अहम थी, क्योंकि उसने मुझे वो खुशी दी थी, जो आज तक मेरे शौहर ने नहीं दी थी.
मैं बहुत मजे से आइसक्रीम की तरह लंड चूस रही थी और वो मेरे सर के ऊपर से प्यार से हाथ फेर रहा था.
फिर कुछ देर ऐसा करने के बाद उसने बाहर निकाला और मेरी टांगें खोल दीं. मेरी साड़ी खोली नहीं थी, बस कमर के ऊपर की हुई थी और ब्लाउज़ खुला हुआ था. वो मेरी चुत पे लंड को सैट कर रहा था.
मैंने उसको रोका और कहा- एक मिनट रुको.
वो साइड में हुआ, फिर मैंने अपने हाथ से मेरे पैर में जो पायल थी, वो निकाल के उसके शॉर्ट के पॉकेट में रख दी. पायल इसलिए निकाली, क्योंकि लंड चूत की धकापेल में पायल बजने की आवाज़ ना आए.
उसने मेरी तरफ देखा और स्माइल देते हुए थम्सअप किया. मैंने स्माइल दी और टांगें खोल दीं. मैंने अपने हाथ से उसका लंड पकड़ा और बिना कंडोम ही अन्दर ले लिया. उसने भी बहुत धीरे धीरे से अन्दर डाला, जिससे कि आवाज़ ना हो.
लंड चुत के अन्दर आने के बाद 30 सेकंड हम दोनों रुके, फिर उसने धीरे धीरे धक्के देना शुरू किए. मेरी चुत बहुत गीली हो चुकी थी, इसलिए बड़ा लंड भी बड़े आराम से मेरी चुत को चोद रहा था.
मैं गुलाबी रंग की साड़ी ऊपर उठा के ब्लाउज़ खोलके चुद रही थी. वो मेरे बूब्स को बारी बारी चूस रहा था. मैं उसके सर को अपने हाथ में लेके उसके बालों को सहला रही थी.
कुछ देर बाद मैंने दोनों हाथ उसकी गांड पे रख दिए और उसके धक्के में मदद करने लगी. नीचे से मैं भी मेरी गांड धीरे धीरे उठा उठा कर चुदवा रही थी. चलती बस में लेटे लेटे बिना आवाज़ किए ये सब हो रहा था. अंधेरा था पर हम एक दूसरे को देख सकते थे, इतनी रोशनी थी.
थोड़ी देर ऐसा करने के बाद वो नीचे लेट गया और मैं ऊपर आ गयी. ज़िंदगी में पहली बार मैं किसी मर्द के ऊपर थी, शौहर ने मुझे कभी ऊपर नहीं आने दिया. शर्म की वजह से मैंने भी कभी नहीं कहा, पर विकी ने मुझे वो मौका दिया. मैंने शर्म का दामन छोड़ दिया. मैंने अपने हाथों से उसका लंड अपनी चुत पे सैट किया और धीरे धीरे अपने मजे की स्पीड से चुदवाने लगी. सही तरीके से पूरे इमोशन से चुदने की वजह से चुत बार बार गीली हो रही थी.
बस स्पीड से दौड़ रही थी और हम धीरे धीरे उसी स्पीड का फाइदा उठा के एक दूसरे के अरमान पूरे कर रहे थे.
फिर थोड़ी देर में वो फिर से ऊपर आ गया और अपने हिसाब से थोड़ी स्पीड बढ़ा दी. उसका लंड मेरी चुत की अन्दर की दीवार पे बहुत रगड़ रहा था और मीठे दर्द के साथ खुशी ही खुशी मिल रही थी. लंड लंबा और मोटा होने की वजह से काफी अन्दर तक जा रहा था.
वो बहुत मजे लेके मेरी चुत को चोद रहा था. उसने अपना मुँह मेरे कान के पास लाया और मेरी चुत की तारीफ में कुछ कहने लगा और कुछ ऐसी बातें कहीं, जो मैं यहां नहीं लिख सकती. मैं चुदाई के नशे में चूर थी, मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया.
उसने चोदते समय बहुत ही गंदी गंदी बातें बोलीं, वो भी ठीक मेरे कान में कहीं. उस वक़्त मुझे भी चुदाई का नशा था इसलिए सुनके मजा ही आया.
अचानक उसके धक्कों की बहुत स्पीड बढ़ गई थी. मैंने एक हाथ से वापस अपना मुँह दबा दिया क्योंकि आवाज़ न निकले. वो जोरदार झटके के साथ वो झड़ गया, उसने मेरे अन्दर ही अपना सारा वीर्य छोड़ दिया.
ये मेरे सुरक्षित दिन थे इसलिए पेट से रहने का डर नहीं था. मैंने इसी लिए उसका पानी अन्दर ले लिया.
कुछ देर उसका लंड अन्दर ही रहा, फिर उसने लंड बाहर निकाल के मुझे अपनी बांहों में दबा लिया और वो सो गया. लेकिन मैं जाग रही थी, उस हर लम्हे को महसूस कर रही थी, उसको सहला रही थी. उसकी छाती पे किस कर रही थी.
करीब दस मिनट ऐसे ही रहने के बाद मैंने चुत को साफ किया, वहां एक कम्बल रखा हुआ था, उसी से चूत की साफ़ सफाई की.
मैंने उसको जगाया, फिर उसने मेरा बैग मेरे पुराने वाले बर्थ से बाजू से लिया. मैंने साड़ी खोल दी अन्दर और पूरी नंगी होके एक टॉप और लेगीस पहन ली.
उसने और मैंने भी थोड़ा सा पानी पिया.
फिर करीब आके सो गए. मैंने सुबह के 5 बजे का अलार्म लगाया था. सुबह 5 बजे उठने के बाद मैंने उसके नंगे बदन को खूब सहलाया और उसके लंड और टट्टों से खेलने लगी. पहली बार मैं अपने हिसाब से इतने देर तक लंड से खेल रही थी. मेरे हाथ को उसके पूरे लंड का शेप याद हो गया था.
वो जागा और फिर मेरी लेगीस नीचे सरका के साइड से एक राउंड हुआ.
इस बार 30 मिनट तक ये राउंड चला. फिर उसने बाहर ही पानी छोड़ा, जैसा मैंने उसको कहा क्योंकि पेंटी नहीं पहनी थी और पानी से मेरी लेगीस खराब हो जाती.
फिर 6 बजने आए थे, मैं उसके बेड से बाहर निकली और उस पैसेंजर को फिर से जगा कर उठाया. मैं अपनी बर्थ पे लेट गई. उस पैसेंजर का नाम तो मुझे पता नहीं, पर उस भाई को मेरा शुक्रिया करने का बहुत मन था, पर नहीं कर पायी, अपना लिहाज रखा.
सुबह 7 बजे थे, मैंने फिर से बुर्का पहन लिया. मैंने अपने पर्स से दो हजार का नोट निकाला और विकी को दे दिया. उसने टिकेट्स के पैसे नहीं लिए थे इसलिए मैंने उसको दिये. वो नहीं ले रहा था, पर मैंने अपने जान की कसम देकर उसको दे दिये.
उसने एक साड़ी का पैकेट मुझे दिया और कहा कि मायके में कोई परेशानी तो नहीं होगी ना?
मैंने कह दिया कि कोई परेशानी नहीं, मायके में मैं मेरी ज़िंदगी अपने हिसाब से जी सकती हूँ, शादी के बाद थोड़ी आज़ादी हो गयी है मायके में. हालांकि शादी के पहले मायके में भी बंदिशें थीं.
उसने कहा- शरद ने भी तुम्हारे लिए कुछ दिया है.
उसने एक साड़ी दी, मैंने भी खुश होते हुए साड़ी ले ली और ‘थैंक्स कहना शरद को …’ ऐसा कहा.
फिर मैंने मेरी सास को उठाया, वो अब भी सोयी हुई थीं. थोड़ी देर में वो उठीं और तब तक हमारा शहर भी आ गया.
बस से उतरने के बाद विकी ने हमको अलविदा किया. वो वापस कौन सी बस से लौट गया, पता नहीं. पर उसने और मैंने आज तक ऐसा सफर कभी नहीं किया था.
थोड़ी देर में मेरे चाचू हमें लेने आ गए. घर जाकर मैं जी भरकर मादक सेक्स वाली सिसकारियां देते हुए नहाई और अपनी यादें ताजा कीं.
तभी मुझे याद आया कि मेरी पायल तो उसके शॉर्ट के पॉकेट में ही रह गयी. ससुराल जाने पे उससे ले लूँगी.
मेरे मायके में यहां जाइंट फैमिली है इसलिए बड़े से घर में बहुत सारे रिश्तेदार साथ में रहते हैं. वैसे भी जब से शादी हुई है, तबसे मेरी ज्यादा कोई रखवाली नहीं करता. मैं कहां जाती हूँ, बाहर से कब आती हूँ, कोई ध्यान नहीं देता. पर हां सब मुझे खुश रखने की कोशिश करते हैं. सब मुझे बहुत लाड़ करते हैं. मैं मेरे अब्बू अम्मी की इकलौती बेटी हूँ ना.
उस घर में मेरी शादी करवा कर आज वो भी पछता रहे हैं, पर मैं उन्हें खुश हूँ, ऐसे दिखा देती हूँ.
वैसे आजकल मैं खुश तो हूँ ही … हाहाहाहा
आज सुबह के 6 बजे हैं. मैंने नहाकर आज शरद की दी हुई साड़ी पहनी और मेरे मिनी लैपटाप पे ये कहानी लिख दी.
आप सबको मेरी एकदम ताज़ी कहानी कैसी लगी, मुझे ईमेल करके बताना और हां … सबसे अहम बात, विकी और शरद से सेक्स किया है, इसका मतलब ये नहीं कि मैं किसी के भी साथ सो सकती हूँ. सेक्स ऑफर के ईमेल पर, मुझे सिर्फ हंसी आती है क्योंकि वो संभव नहीं है. आपके जज़्बात की कदर करती हूँ, पर जो नहीं हो सकता, वो कभी नहीं हो सकता. ईमेल करते समय अपना शहर का नाम जरूर लिखें, अगर कोई हैंडसम लड़का, जो मुझे पसंद आए, मेरे मायके के आस पास का रहा, तो हो सकता है कि दोस्ती करके मुलाक़ात कर लूँ. मायके में अभी मैं ईद तक हूँ, फिर ससुराल वापस चली जाऊंगी. मैं सात जून तक ईमेल से दूर रहूँगी … बाद में आपके रिप्लाई दे दूँगी.
आगे अगर कुछ होता है विकी, शरद या किसी और के साथ, तो लिखूँगी वरना ये मेरी आखिरी कहानी होगी.
विदा दोस्तो
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