नमस्ते दोस्तो, जिन पाठकों ने मेरी पहली कहानी
जिस्म की आग बुझाई जिम वाले के साथ
पढ़ी है, उन्हें तहे-दिल से शुक्रिया … जिन्होंने ईमेल किए हैं, उन्हें मेरी हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया.
प्लीज मेरी आपसे इल्तजा है कि आप पहले मेरी पहली वाली कहानी पढ़ लें, फिर इस अगली कहानी को पढ़ें. क्योंकि पहला भाग पढ़े, बिना इसमें आपको समझ में कम ही आएगा. ये मेरी कहानी के अंतिम भाग हैं, इसलिए पहला भाग जरूर पढ़ें, ताकि इसका अच्छे से मजा ले सकें. अगर आराम से पढ़ने का टाइम हो, तो ही कहानी पढ़ना शुरू करें, तभी पूरा लुत्फ़ आएगा.
मेरी यह दूसरी कहानी थोड़ी लंबी है, मगर बेहद दिलचस्प है. मैंने इसको लिखने में अपनी पूरी जान डाल दी है. अगर इस कहानी को आप धीरे धीरे पढ़ेंगे, तो आप मेरे ज़िंदगी के नए पहलू से रूबरू होंगे. फिर एक ऐसे सफर का आनन्द ले पाएंगे, जो आपने शायद ही कभी लिया हो. आपने मेरी बात पढ़ने में अपना कीमती समय दिया, इसके लिए शुक्रिया.
मेरे बारे में बताना चाहती हूँ, मेरा नाम शाजिया शेख है. मेरी उम्र 26 साल की है. मेरे जिस्म का रंग एकदम दूध जैसा गोरा है. काले लंबे बाल, काली आंखें, लंबे कद की कमनीय काया. जिसका फिगर 34-28-36 का है. मैं चार साल से शादीशुदा हूँ, पर अभी तक कोई बच्चा नहीं है. शादी से पहले कभी किसी के साथ कुछ किया नहीं था, सीधा सुहागरात पे शौहर से ही जिस्मानी सुख मिला. मैं ऐसी फैमिली से हूँ, जिधर से बिना बुरके के बाहर जाने की इजाजत तक नहीं है.
विकी (बदला हुआ नाम) के बारे में लिख दूं. वो एक जिम का ट्रेनर है. उसकी उम्र 22 साल है. सांवले रंग का हट्टा कट्टा पहलवान किस्म का मर्द है. विक्की बहुत ही दिमागदार सुलझा हुआ लड़का है. वो शांत स्वभाव का एक गरीब परिवार से है. साथ ही वो एक राजनीति पार्टी का कार्यकर्ता भी है.
शरद (बदला हुआ नाम) के बारे में भी लिख दूं. शरद विकी का दोस्त है. उसकी उम्र 24 साल की है. उसका गोरा रंग, मीडियम बिल्ट बॉडी, पैसेवाला, गुस्से का जाहिल, पर जबान का पक्का है. शरद एक अमीर परिवार से है, पर राजनीति से दूर रहने वाला युवक है.
अब जिंदगी में आगे क्या हुआ, वो बताती हूँ. मैं उस दिन सो कर उठी, उसके बाद शौहर घर आए. मैंने उन्हें खाना दिया और वो भी सो गए. उन्होंने आराम किया. उनके आने के बाद मैं उनको देखकर थोड़ा सा भावुक हो गयी थी. क्योंकि मैंने जो बीती रात किया था, उसका मुझे बहुत अफसोस हो रहा था. मुझे विकी का बुरा नहीं लग रहा था, पर शरद के साथ किया उसका ज्यादा बुरा लग रहा था. क्योंकि विकी के लिए मैं दिल से कन्फ़र्म थी कि करना है. पर शरद का यूं अचानक से वहां आने ने मेरे जज़्बात को मरोड़ दिया था.
दो दिन तक मैं घर के दरवाजे पर भी नहीं गयी. खाना भी ठीक से नहीं खाया. जब भी गुजरा वाकिया याद आता, बाथरूम में शावर चालू करके मुँह पर हाथ रख कर रोने लगती.
फिर एक दिन मैं मार्केट में अपनी सास के साथ गयी. मैं डरते डरते घर से बाहर निकली. विकी और शरद बाहर ही थे खड़े हुए थे. उन्होंने मुझे देख के अंजाना सा लुक दिया. मैंने उन्हें देखा, पर उन दोनों ने कोई भाव नहीं दिया. फिर बाकी गली के लड़के और लोग, जो थे सब हमेशा की तरह नॉर्मल ही रहे.
वापस आते समय विकी ने मेरी सास से बात की- कैसी हो आंटी, बाकी सब ठीक है न?
उसने मेरी तरफ देखा भी नहीं.
क्या बताऊं मुझे बहुत बहुत खुशी हुई कि उन दोनों ने अपना वादा निभाया और उस बारे में किसी को नहीं बताया. अगर वो किसी को बता देते, तो सब लोग मुझे अजीब सी नजर से घूरते, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. वो दोनों भी ऐसे रहे, जैसे कुछ हुआ ही न हो.
फिर अगले दिन सुबह सुबह विकी पीने का पानी लेने आया, तब उसको मेरी सास ने पानी दिया, तब मैं वहीं हॉल में थी. मैंने उसको देखा, उसने मुझे देखा. वो मुस्कुराया, तो मैंने भी थोड़ा सा मुस्कुरा दिया. फिर मैं नहाने चली गयी.
नहाते वक़्त मैंने उस रात जो भी हुआ, उसे याद किया. उस बात को याद करके बहुत मजा आ रहा था. फिर मैं टॉवल लपेटकर बाहर आई और रूम बंद करके मैंने लैपटाप ऑन कर दिया. सबसे पहले विकी को हैंगआउट ब्लॉक लिस्ट से बाहर निकाला और मैसेज किया. उसका कोई रिप्लाई नहीं आया, तो मैं अन्तर्वासना पर कहानी पढ़ने लगी. मैंने सोचा के क्यों न मैं भी कहानी लिख दूं.
मैंने कहानी लिखना शुरू किया और सिर्फ 20 से 25 मिनट में सब लिख दिया और बिना वापस पढ़े पब्लिशर को ईमेल भी कर दिया.
पहली कहानी (जिस्म की आग बुझाई जिम वाले के साथ) लिखते समय मैंने सिर्फ टॉवल पहना था. मैंने इतना हॉट हो गयी थी कि वापस जाके सर पे पानी डाल दिया.
शाम के वक़्त मैं छत पर गयी, वहां सामने की दूसरी छत पे शरद था. उसने मुझे देखा तो एक पैकेट मेरी तरफ फेंका, मैंने तुरंत उठा लिया. उसमें बहुत सी स्वीट चॉकलेट और एक प्रेम-पत्र था. जिसमें उसने फिर से वादा किया था कि वो किसी को कभी कुछ नहीं बताएगा. मैंने भी स्माइल करके थैंक्स कहा और चॉकलेट खाने लगी.
शरद के साथ मेरा ऐसा ही रिश्ता चल पड़ा, जब भी स्वीट खाने को दिल करता, मैं छत पे चली जाती और वहां से 5 से 10 मिनट में ही पैकेट आ जाता. उसके फ्री के गिफ्ट ने मेरा वो गुस्सा ठंडा कर दिया था, जो उसको लेकर था.
मुझे खुद पर हंसी आ रही थी.
फिर अभी कुछ दिन पहले का किस्सा है, अप्रैल 2019 का ही है. वो एक दिन आया, जब वोट करने जाना था. घर में से शौहर, देवर, सास, ससुर और मैं एक साथ निकले. मैंने बुरका पहन लिया था. दोपहर के 12 बजे होंगे.
बाहर निकलते ही विकी, जो एक पार्टी का कार्यकर्ता भी था. वो हमें पिक करने के लिए कार लाया था. उसकी कार में बैठकर हम लोग स्कूल पहुंचे, जहां वोटिंग बूथ बनाया गया था. मेरा नंबर अलग रूम में था और वहां पे कोई भीड़ नहीं थी. कोई 5 मिनट में मेरा वोट गिर गया. मैंने किसको वोट दिया, ये तो नहीं बता सकती, दान किया है न … इसलिए जता नहीं सकती.
लेकिन बाकी घरवाले जो थे, उनके रूम में बहुत बड़ी बड़ी लाइन थी. मेरे घर के लोग, जहां लाइन में खड़े थे, वहां पे मैं आ गई और उनके साथ बाजू में खड़ी हो गयी. उस समय धूप बहुत थी और मैंने उस दिन टॉप लेगीस और बुरका पहन रखा था, मुझे पसीना आना शुरू हो गया था.
विकी आया और उसने कहा- शाजिया दीदी … आपका वोट हो गया हो, तो मैं आपको घर छोड़ आता हूँ … क्योंकि धूप बहुत है और अभी भैया, अंकल आंटी को टाइम लगेगा.
उसने जब मुझे सबके सामने दीदी कहा, तो मैं नकाब के अन्दर मुस्करा दी. पर नकाब की वजह से मेरा मुस्कुराना किसी को पता नहीं चला. उसके मुँह से दीदी सुनकर मुझे बहुत हंसी आ रही थी. उसके मुझे दीदी कहने से ससुराल के लोग थोड़े अपनेपन में आ गए.
मेरे ससुर विकी से बोले- ठीक है बेटा, तुम दीदी को छोड़ आओ, फिर हमें लेने आ जाना.
मेरी सास मुझसे बोलीं- नींबू पानी फ्रीज़ में बनाकर रखना, थोड़ी देर में हम भी आते हैं.
मैंने ‘हां..’ कहा और उनके पास से घर की चाबी ले ली.
विकी ने मेरे लिए कार का दरवाजा खोला और मेरे बैठने के बाद बंद किया. हम दोनों घर की तरफ निकल गए. मैं सामने की सीट पे बैठी थी.
उसने कहा- अब तो नकाब हटा दो, चेहरा तो दिखा दो.
मैंने स्माइल देते हुए नकाब हटा दिया और फिर हमारी बातें चालू हुईं. रास्ते में उसने मुझे पानीपूरी (गोलगप्पा) खिलाया. वो मेरी बहुत इज्जत कर रहा था.
घर पहुंचकर मैंने उसको चाबी दी और दरवाजा उसने ही खोला. वो बाहर ही खड़ा था. फिर मैं अन्दर गयी और उसको अन्दर आने का इशारा किया. दोपहर का समय था, इस वक्त ज्यादातर गली के लोग वोटिंग करने गए थे और जो रहे होंगे, वो धूप के वजह से अपने अपने घर में थे.
हमारे घर में पहले हॉल, फिर किचन, फिर मेरा बेडरूम है. बाजू में देवर का बेडरूम, फिर ऊपर छत पे जाने के लिए बाथरूम के पास से सीढ़ियां हैं. फिर ऊपर छत पे 2 रूम हैं, जो पहले किराये पे दिये थे, पर अभी खाली हैं. ऊपर के रूम के लिए किराएदार अच्छे मिलें, तो ही रखते हैं.
मैं सीधा किचन में गयी, जाते ही पानी की बोटल फ्रीज़ से निकली और पानी पीने लगी. विकी भी पीछे पीछे किचन में आया.
मैंने उसको पानी दिया, तो उसने बोटल हटा दी और मुझे अपनी बांहों में भरके किस करने लगा. दरवाजा खुला ही था, पर हम हॉल में नहीं किचन में थे.
एक मिनट किस करने के बाद मैंने उससे कहा- बस … अब कोई आ जाएगा, तुम जाओ.
विकी बोला- कुछ देर करने दो.
फिर उसने मेरे पीछे हाथ लगाया और बुरके के ऊपर से मेरी 36 नाप की गांड दबाने लगा. सामने से अपना लंड बिना बाहर निकाले, मेरे बुरके के ऊपर से ही मेरी चुत के पॉइंट पे रगड़ने लगा. मैं दरवाजे पर ध्यान दे रही थी. दरवाजे पे हल्का हरे रंग का पारदर्शी पर्दा था इसलिए बाहर का दिखाई देता था.
वो मेरी गांड दबाने में लगा था और मैं बाहर ध्यान रख रही थी.
फिर उसने बुरके को ऊपर किया और मेरी लेगीस थोड़ा नीचे सरका के अन्दर हाथ डाल दिया और मेरी मुलायम गांड को दबाने लगा. गर्मी की वजह से मैंने पेंटी नहीं पहनी थी.
मुझे उसका खुरदुरा हाथ मेरी गांड पर बहुत अच्छा लग रहा था. फिर एक मिनट के बाद पोजीशन बदल कर वो मेरे पीछे आया और मेरे 34 के बूब्स को बुरके के ऊपर से ही दबाने लगा. पीछे से मेरी गांड पे लंड रगड़ने लगा.
मैं बार बार बाहर की तरफ ध्यान दे रही थी और वो मुझे दबाने में मस्त था. उसको पता था कि मैं कितनी चालाक हूँ, बाहर ध्यान दे सकती हूँ, इसलिए वो मेरे जिस्म के उभार के मजे ले रहा था.
फिर बाहर कुछ हलचल दिखी, तो मैंने उसको बस बस कह दिया. वो भी साइड में हो गया और बाहर हॉल में चला गया. मैंने लेगीस ऊपर की और बुरका नीचे किया. उसको पानी की बोतल दी और दरवाजे का पर्दा बाजू में किया, जिससे बाहर वाले किसी को गलतफहमी न हो … क्योंकि अगर घर का दरवाजा खुला हो, तो गली के लोग शक नहीं करते.
उसने पानी पिया और प्यार से मेरी गांड पे चुमटी काट के कार लेके मेरे घर वालों को लाने चला गया.
विकी ने बहुत कम वक़्त साथ में गुजारा, पर दिल की धड़कन बहुत बढ़ गई थी. मुझमें बहुत हिम्मत आ चुकी थी. मैंने दरवाजा बंद किया. बेडरूम में जाके बुरका निकाल कर मैं पलंग पे लेट गयी और उसकी हरकतों को याद करके स्माइल करने लगी. फिर याद आया कि नींबू पानी बनाकर रखना है.
मंद मंद हंसती हुई मैंने वापस किचन में आकर नींबू पानी बनाया. कुछ देर के बाद घर वाले भी आ गए, उनके साथ में विकी भी था. घर वालों ने उसको नीम्बू पानी पीने के लिए रोक लिया और फिर घर में वोटिंग किसने किसको की, नींबू पानी पीते हुए इस पर चर्चा शुरू हुई.
विकी खामोश बैठा रहा, मेरे हाथ का नींबू पानी था, इसलिए वो बड़े प्यार से पी रहा था. पीने के बाद ‘नींबू पानी बहुत अच्छा था शाजिया दीदी..’ कहते हुए ग्लास मुझे दे दिया. इस बार मैंने भी उसको ‘शुक्रिया विकी भैया..’ ऐसा कह दिया, उसका चेहरा देखने लायक बन गया था.
कुछ दिन विकी के साथ ऐसे ही हैंगआउट पे चैटिंग करते करते गुजर गए … क्योंकि कोई मौका नहीं मिल रहा था. शरद के चॉकलेट और चिप्स के पैकेट छत से मिल रहे थे. शरद ने मेरी खूबसूरत जिस्म का जबर्दस्त इस्तेमाल किया था, इसलिए अब मैं दिमाग से उसके पैसे का इस्तेमाल कर रही थी.
एक दिन मौका मिला, रमज़ान शुरू होने वाले थे और हर साल की तरह मैं मायके जाने वाली थी. मैं हर साल जाती हूँ और फिर ईद करके ही वापस आती हूँ.
अब्बू भी काफी दिन से बुला रहे थे कि तुम आई नहीं.
मैंने शौहर से कहा कि मुझे जाना है.
वो बोले- ठीक है, तुम चली जाओ, पर मैं नहीं आ सकता. तुम मेरी अम्मी के साथ चली जाना.
मैंने ये बात विकी को बताई, तो उसके खुराफाती दिमाग में एक प्लान आया. वो प्लान सुनकर मैंने भी हां कह दिया. फिर हमने डिटेल्स में जाके स्टडी की और कैसे अंजाम देना है, इसका होमवर्क कर लिया.
अगले सुबह प्लान के मुताबिक जब विकी पानी लेने आया, तब बातों बातों में उसने मेरी सास से कहा कि वो एक काम से बाहर जा रहा है. उसने उसी शहर का नाम लिया, जहां मेरा मायका है. मेरे ससुर और शौहर घर में ही थे … उन्होंने भी सुन लिया.
मेरे ससुर ने पूछा- बेटा तुम कैसे जा रहे हो? साथ में इनको भी ले जाओ.
उनका मतलब मुझे और मेरी सास को ले जाने से था. क्योंकि शौहर और ससुर को काम था, इसलिए मेरे साथ मेरी सास आने वाली थीं. देवर तो घर में किसी की सुनता ही नहीं है, तो उसको बोलने का तो सवाल ही नहीं था.
विकी ने कहा- ठीक है मैं आंटी और दीदी के टिकेट भी बनवा लेता हूँ.
वो सोफ़े पे बैठ गया और पेटीएम से उसने मेरी और मेरे सास की दूसरे दिन रात की बस ट्रावेल्स की स्लीपर क्लास टिकट बना लीं.
वो जब टिकेट बना रहा था, तब मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था क्योंकि सब प्लान के हिसाब से हो रहा था.
मेरे शौहर ने टिकट देखे और फिर पैसे देने लगे, पर विकी ने लेने से मना किया. फिर भी जबर्दस्ती से मेरे शौहर ने दे दिए, तो फिर उसने वो पैसे मेरी सास को दे दिए और कहा कि बेटा कभी माँ से पैसे नहीं लेता.
मेरी सास फुल फॉर्म में आ गईं और खुश हो गईं.
उसकी इसी प्यारी प्यारी चिकनी बातों से उसने मेरे घरवालों का दिल और भरोसा जीत लिया.
अब मुझे विकी का लंड लेने की जल्दी पड़ी हुई थी. आप सभी को मेरी चूत में लंड घुसने और मेरी चुदाई की कहानी का मजा लेने का इन्तजार होगा. पर जरा दिल और उसे थाम कर रखिए, कल इसका अगला भाग आपसे शेयर करूंगी.
अच्छे मेल के इन्तजार में मैं आपकी शाजिया शेख.
कहानी जारी है.
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कहानी का अगला भाग: ज़िम वाले लड़के के साथ दोबारा सेक्स का मजा लिया-2