हॉट भाभी देसी पंजाबी सेक्स का मजा दिया मेरी हॉट भाभी ने! मेरा भाई उनसे अच्छा व्यवहार नहीं करता था तो मैंने भाभी को प्यार दिया. बदले में भाभी ने मुझे अपनी चूत दी.
दोस्तो, मेरा नाम मनीष है. मैं पंजाब का रहने वाला हूँ.
आपके मनोरंजन के लिए मैं अपनी देसी पंजाबी सेक्स कहानी हाजिर हूँ.
यह मेरी पहली सेक्स कहानी है.
मेरी भाभी का नाम रीनू (बदला हुआ नाम) एक पंजाबन कुड़ी है. उनकी उम्र 25 साल की है और उनकी फिगर साइज 32-30-36 की है.
यह बात तब की है, जब मैं 19 साल का था और मैंने जवानी में पैर रखा था.
उस वक्त दीवाली का त्योहार था.
उस दिन मैं अपने कमरे में था और भाभी अपने कमरे में थीं.
मैं उनको डराने के लिए उनके कमरे में जाने लगा.
चुपके से मैं दरवाजे के पास गया और जैसे ही दरवाजा खोलने के लिए हाथ लगाया तो मुझे अन्दर से रोने की आवाज सुनाई दी.
मैंने ध्यान दिया तो ये आवाज भाभी की ही थी और वे रो रही थीं.
यह बात मुझे कुछ अजीब सी लगी.
मैंने उन्हें डराने वाला प्लान कैंसल किया और सामान्य तरीके से दरवाजा खोला.
अन्दर भाभी फोन पर किसी से बात कर रही थीं और रो रही थीं.
भाभी ने मुझे देख कर फोन कट कर दिया और रोना बंद कर दिया.
मैंने पूछा- भाभी आप क्यों रो रही हैं?
यह सुनकर भाभी ने फिर से रोना आरम्भ कर दिया.
मैंने आगे बढ़ कर भाभी को अपने गले से लगाया और पूछा- अरे क्या हुआ, कुछ बताओ तो भाभी!
भाभी ने मेरे सीने से लगते हुए अपने आंसुओं की रफ्तार को रोकते हुए कहा- मैं अभी तुम्हारे भाई से बात कर रही थी. मैंने उनसे मायके जाने के लिए बोला था तो वे मुझको गालियां देने लगे. वे मुझे कभी भी अपने मायके वालों से बात नहीं करने देते हैं.
मैंने कहा- ऐसा क्यों भाभी?
तो उन्होंने बोला- तुम्हारे भैया का झगड़ा मेरे भैया से हो गया था. तो उन्होंने मुझको बात नहीं करने का बोला है. मैं करती हूँ तो वे पता नहीं कैसे, मोबाईल की कॉल डिटेल निकलवा लेते हैं और मुझे डांटते हैं.
मैंने कहा- आप मेरे मोबाइल से बात कर लो.
उन्होंने कहा- नहीं, तुम अपने भाई को बोल दोगे.
मैंने कहा- नहीं भाभी, मैं उन्हें कुछ नहीं कहूँगा.
उन्होंने मेरी तरफ देखा और कहा- पक्का न?
मैंने कहा- आपकी कसम भाभी, मैं नहीं कहूंगा.
यह सुनकर वे खुश हो गईं और उन्होंने मुझको फिर से गले से लगा लिया.
इस बार मैंने भी उनको कसके गले लगा लिया.
उनके दूध मुझे कुछ मजा सा देने लगे, जिससे मेरा लंड खड़ा होने लगा और भाभी को गड़ने लगा.
यह महसूस करने के कुछ पल बाद भाभी ने एकदम से मुझको छोड़ा और सॉरी बोला.
मैंने कहा- कोई बात नहीं भाभी … खुशी खुशी में ऐसा हो जाता है.
फिर मैंने उन्हें अपना मोबाइल दिया और उनसे कहा- लो, अब आप पहले बात कर लो. मैं बाहर जा रहा हूँ. थोड़ी देर बाद फोन ले जाऊंगा.
यह कह कर मैं बाहर निकल आया.
उन्होंने अपने भाई को फोन लगाया और काफी देर तक बात की.
कुछ देर बाद जब मैं वापस अन्दर आया, तब भी भाभी फोन पर अपने मायके वालों से बात कर रही थीं.
बात करने के बाद भाभी ने फोन काटा और मुझसे कहा- देवरजी … आज मैं तुमसे बहुत खुश हूं. मांगो क्या मांगते हो!
मैंने कहा- भाभी, जो मैं मांगूगा … वो आप पक्का दे दोगी न!
भाभी ने कहा- हां.
मैंने कहा- भाभी सोच लो, फिर ना मत बोलना!
भाभी ने मुसकुराते हुए कहा- हां मैं ना नहीं बोलूंगी. तुम मांग कर देखो तो सही.
मैंने हिचकिचाते हुए कहा- वो भ..भाभी भाआआभी …
भाभी ने कहा- अरे यार देवर जी तुम बिंदास बोलो, क्या मांगना चाहते हो?
मैंने कहा- नहीं, आप मुझे डांटोगी.
भाभी ने कहा- नहीं डाटूंगी.
मैंने एक झटके से कह दिया- भाभी, मुझे आपको चोदना है.
यह बात सुन के भाभी गुस्सा होने की जगह खुश हो गईं और उन्होंने कहा- बस इतनी सी बात … अभी ही आ जाओ. मैं रेडी हूँ.
भाभी की बात सुनकर मेरे तो भाग खुल गए.
मैंने भाभी को गले से लगाया और उन्हें चूमने लगा.
भाभी भी मेरे साथ चूमाचाटी में साथ देने लगीं.
मैंने उनके कपड़े उतारना शुरू कर दिए.
पहले मैंने भाभी की साड़ी का पल्लू हटाया तो उन्होंने खुद अपने हाथ से अपनी साड़ी को कमर से खींच दी.
मैं एक हाथ से उनकी साड़ी उतारता गया और दूसरे हाथ से उनके दूध दबाने लगा.
भाभी के दूध बड़े ही टाइट थे.
मुझे तो ब्लाउज के ऊपर से ही दूध दबाने में मजा आ रहा था.
अब तक साड़ी उतर चुकी थी और भाभी अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी थीं.
मैंने उनके ब्लाउज के अन्दर हाथ डाल दिया और उनके होंठों को चूसते हुए जीभ को उनके मुँह में अन्दर डाल दी.
फिर ब्लाउज उतर गया तो भाभी ने अपने पेटीकोट के नाड़े को ढील दे दी.
उनका पेटीकोट सर्र से नीचे सरक गया.
मैंने पहली बार भाभी को ब्रा-पैंटी में देखा था.
वे मस्त कंटीला आइटम लग रही थीं.
मैंने उन्हें एक बार खुद से दूर किया और नजर भर कर देखा तो भाभी लजा गईं और झट से मेरे सीने से लग गईं.
तब मैंने उनकी पीठ पर हाथ ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को अलग करके उनके मम्मे मसलने लगा.
भाभी ने कहा- पी लो देवर जी … मस्त आम हैं.
मैंने कहा- हां भाभी आम तो रसीले हैं आपके … बिना चूसे तो रहा ही न जाएगा. पर पहले पूरा छिलका उतार लूँ फिर तसल्ली से आम का रस चूसूँगा.
यह कहते हुए मैं भाभी की चड्डी के किनारों में उंगलियां फंसाईं और चड्डी को उनकी गांड से नीचे सरका दिया.
उस समय मेरे मुँह में भाभी की जीभ थी जिसे मैं मस्ती से चूस रहा था और भाभी मेरे सीने से अपने दूध रगड़ रही थीं.
अब मैंने उनको पूरी नंगी कर दिया था.
मैं एक हाथ से उनकी चूत को टटोलने लगा.
भाभी ने मुँह से मुँह हटाते हुए और मुझसे अलग होकर कहा- मुझको तो नंगी कर दिया और खुद कपड़े पहने खड़े हो!
मैंने कहा- आप खुद ही उतार दो न भाभी!
यह सुनकर भाभी वापस मेरे करीब हुईं और मेरी टी-शर्ट को कमर से पकड़ कर ऊपर उठाते हुए सर से निकाल दिया.
हम दोनों के नंगे बदन आपस में रगड़ गए. भाभी के दूध मेरे सीने में गड़ने लगे.
एक बार फिर से उनकी चूचियों की गर्माहट मुझे महसूस होने लगी.
फिर भाभी ने पैंट का हुक खोला और उसे नीचे कर दिया.
मैंने खुद ही अपने पैंट को पैरों से अलग कर दिया.
मेरा लंड एकदम कड़क होकर खड़ा था.
मैंने अभी अंडरवियर पहना हुआ था तो भाभी ने कड़क लौड़े को फूला हुआ देख कर हाथ से लौड़े को सहला कर कहा- चड्डी के ऊपर से इतना बड़ा लग रहा है … तो बाहर निकालने पर कितना बड़ा होगा?
मैंने कहा- निकाल कर देख लो ना!
भाभी ने घुटनों के बल बैठ कर जैसे ही अंडरवियर को नीचे किया, मेरा लंड उनके मुँह पर जा लगा.
तो उन्होंने एकदम से मुँह को पीछे करते हुए कहा- हाय हाय इतना बड़ा!
मैंने कहा- क्यों, भैया का छोटा है क्या?
उन्होंने बोला- छोटा तो नहीं है लेकिन आपसे बड़ा नहीं है.
मैंने कहा- चखो तो इसको.
तो उन्होंने कहा- नहीं, मैंने कभी मुँह में लिया ही नहीं है.
मैंने कहा- अरे भाभी कोई बात नहीं … एक बार बस चूम दो इसे.
भाभी ने मेरे लौड़े को नाक के करीब लिया और उसकी गंध लेकर मुँह हटा लिया.
मैंने सोचा कि कहीं इन्हें लौड़े से नफरत न हो जाए इसलिए रहने देते हैं.
अब मैंने भाभी को लेटा दिया और कहा- मैं तो आपकी फ़ुद्दी को चाट सकता हूँ ना!
उन्होंने कहा- हाय हाय … क्या तुम मेरी चूत चाटोगे?
मैंने कहा- हां क्यों क्या हुआ? क्या भैया नहीं चाटते हैं?
उन्होंने कहा- नहीं तो … वे तो बस सीधा चढ़ जाते हैं और फायरिंग शुरू कर देते हैं.
मुझे उनकी इस बात पर हंसी आ गई.
मैंने कहा- ये तो बड़ी गलत बात है भईया की. अरे दुश्मन को पहले लड़ने के लिए तैयार तो करना चाहिए कि ऐसे ही चढ़ कर उतर जाने से ही जंग जीती जाती है?
भाभी बोलीं- मुझे तुम्हारी ये चढ़ने उतरने की बात कुछ भी समझ में नहीं आ रही है देवर जी. तुम तो जल्दी से मेरा काम उठा दो.
मैंने कहा- रुक तो जाओ भाभी, पहले मुझे आपकी चूत चाटनी है. मैं चाट लूँ एक बार?
उन्होंने कहा- अच्छा ठीक है. पर जरा जल्दी से चाट लो फिर अन्दर बाहर करके मजा दो.
मैंने उनकी टांगें फैला दीं और चूत के मुँह में जीभ लगा कर जीभ से एक बार उनकी चूत के दाने को कुरेद दिया.
वो जीभ के स्पर्श से एकदम से कसमसा गईं और ‘आह मर गई …’ की आवाज उनके कंठ से निकल गई.
उन्होंने इसी कसमसाहट में अपनी टांगें सिकोड़ कर चूत को छिपाने की कोशिश की.
मैंने उनके पैर पकड़ कर फिर से फैला दिए और उनकी चूत को जोर जोर से चाटने लगा.
उनके मुँह से ‘इस्स्स आह स्स आआह मर गई …’ की मादक आवाजें निकलने लगीं.
जीभ के कुछ ही चुप्पों के बाद भाभी को मजा आने लगा और वे खुद ही अपनी गांड उठा कर मेरे मुँह पर रगड़ने लगीं और उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरे सर पर रख दिए.
वे मेरे सर को अपनी चूत पर दबाती हुई बोलने लगीं- आह चाटो मेरे देवर जी … और चाटो … बड़ा मजा आ रहा है.
मैंने भी उनको छोड़ा नहीं, उनकी नमकीन चूत को फुल मस्ती से चाटने लगा.
पांच मिनट के बाद भाभी की चूत ने पानी छोड़ दिया और मैंने उनकी चूत से निकला, वो नमकीन पानी पूरा पी लिया.
भाभी एकदम निढाल हो गई थीं और उनके कंठ से ढीली ढीली सी आह आह निकल रही थी.
उनके हाथ मेरे सर से हट चुके थे और वे चित होकर बिस्तर पर फैल गई थीं.
मैं किसी भूखे कुत्ते की तरह उनकी चूत को अन्दर तक चाट चाट कर चूत का माल खा रहा था.
कुछ ही देर में भाभी की चिकनी चूत चमकने लगी थी.
उसके बाद मैंने भाभी से कहा- भाभी, प्लीज मेरा भी एक बार चूस दो ना!
भाभी ने कहा- मुझे अच्छा लगा तो ही मैं चूसूंगी?
मुझे पता था कि भाभी लंड नहीं चूसेंगी.
तो मैंने भाभी से कहा- भाभी 69 में चाटना शुरू करते हैं!
भाभी बोलीं- अब ये क्या होता है?
मैंने कहा कि आपकी चूत मेरे मुँह पर और मेरा लंड आपके मुँह में!
भाभी ने कहा- ठीक है.
मैं और भाभी 69 में आ गए. मैं भाभी की चूत चाटने में लग गया और भाभी मेरा लंड चाटने लगीं.
पहले वो बिना मन के लंड चूस रही थीं,
फिर जब मैंने उनकी चूत को जोर जोर से चूसना शुरू कर दिया, तो उन्होंने एकदम से मेरे लंड को मुँह में ले लिया और चूसने लगीं.
उनके मुँह में लौड़े को देकर मैं तो समझो जन्नत में पहुंच गया था.
बस 5 मिनट के बाद तो ऐसा लग रहा था कि वो एक बहुत बड़ी रण्डी हैं.
भाभी बहुत बढ़िया से लंड चूस रही थीं. उनको लंड किसी गन्ने के जैसा लग रहा था.
बस कुछ ही पल बाद मैंने भाभी के मुँह से लंड निकाला और जल्दी से भाभी को घोड़ी बना दिया.
अब मैं पीछे से उनकी चूत में लंड डालने लगा.
उन्होंने कहा- आराम से पेलना!
मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और डालने लगा.
लंड के सुपारे को मैंने चूत में डाला तो भाभी की चीख निकल गई.
मैंने कहा- क्या हुआ?
उन्होंने कहा- आराम से डालो, मैंने कहा था न!
मैं- तो निकाल लूं क्या?
उन्होंने कहा- नहीं यार, डालो पूरा … और अब एक झटके में डाल दो.
मैंने भाभी की कमर को थोड़ा पीछे किया और एक झटका देते हुए लंड अन्दर डाल दिया.
भाभी की एक चीख निकली और आखों से आंसू आ गए.
मैंने कहा- क्या हुआ … रो क्यों रही हो?
उन्होंने कहा- ये खुशी के आंसू है, तुम बस डालो.
मैंने उनको चोदना शुरू कर दिया.
चुदाई का मजा हम दोनों लेने लगे.
मैंने भाभी को बहुत देर तक चोदा और चोद चोद कर उनका बुरा हाल कर दिया.
भाभी बोलीं- वाह देवर जी, आज तो मजा आ गया. अन्दर ही शीरा छोड़ देना मेरी चम चम रसीली हो जाएगी.
मैंने झड़ते हुए कहा- वाह भाभी जी क्या चम चम है आपकी … सच में रस भरने में मजा आ गया.
चुदाई के बाद हम दोनों निढाल होकर लेट गए और प्यार भरी बातें करने लगे.
उस दिन मैंने भाभी को 4 बार चोदा और अब उनकी चूत को मेरे लौड़े की लत लग गई थी.
मैंने भाभी को छह महीने तक लगातार चोदा, देसी पंजाबी सेक्स का मजा लिया.
फिर भाभी को माहवारी नहीं आई.
इससे भाभी खुश हो गईं और वे मुझसे बोलीं- देवर जी, तुम पापा बनने वाले हो.
मेरी भी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.
भैया भी दो दिन के लिए आने वाले थे, तो भैया भी भाभी को चोद कर मेरी औलाद पर अपने लंड का ठप्पा लगा कर वापस जाने वाले थे.
यही हुआ और मैं भैया के जाने के बाद वापस उनकी चुदाई का मजा लेने लगा.
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी भाभी देवर की सेक्स कहानी!
आपके कमेंट्स का इंतजार रहेगा. मुझको भूलना मत, मैं मनीष आप महिलाओं का पक्का वाला यार हूँ.
भाई लोगो, आप सब ऐसे ही आपने लंड हिलाते रहो और मेरी कहानियां पढ़ते रहो.
इस देसी पंजाबी सेक्स सेक्स कहानी में कोई कमी रही हो तो मुझको बता देना.
मैं अगली बार इससे अच्छी सेक्स कहानी लिखने की कोशिश करूंगा ताकि आपको पूरा मजा मिल सके.
बाय बाय.
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