जवान मौसी की चूत दोबारा मिली- 6

जवान मौसी की चूत दोबारा मिली- 6


हॉट सेक्सी कहानी मेरी मौसी की चूत चुदाई की है. मैंने मौसी को चोद रहा था और उनकी जेठानी हमारी चुदाई लाइव देख रही थी खिडकी से. मौसी को इसका पता नहीं था.
हॉट सेक्सी कहानी के पिछले भाग
मौसी की जेठानी ने मुझे मारा
में आपने पढ़ा कि मैंने मौसी की चूत चाटी पर उनका स्खलन नहीं होने दिया. बेचैन मौसी मेरा लंड चूसने लगी.
मैं इस लंड चुसाई का आनंद ले रहा था.
अचानक मेरी नज़र सामने की खिड़की पर पड़ी जिसकी हल्की सी ओट से नीतू हमें देख रही थी।
इस वक़्त मैं नीतू को और नीतू, मुझे और रूपाली देख रही थी.
लेकिन रूपाली अभी भी इस सब से अनजान थी।
अब आगे हॉट सेक्सी कहानी:
मैं रूपाली को इस बारे में बता के सारा मजा खराब नहीं करना चाहता था। मैं अपनी कमर को आगे-पीछे करते हुए रूपाली के मुखचोदन का आनंद उठा रहा था।
नीतू अभी भी हमें छुप कर देख रही थी इसलिये मैंने भी अब उसे इससे ज्यादा और कुछ दिखाने का सोचा।
मैंने रूपाली से 69 की अवस्था में आने को बोला तो रूपाली तुरंत मान गई।
फिर मैंने अपनी जीभ को रूपाली की पनियाई चूत के ऊपर रखा और लप-लप करते हुए नीतू को दिखा कर चाटने लगा।
अपनी एक उंगली को उसकी चूत में डाल कर मैं उसकी चूत की फाँकों को जीभ से चाटने लगा। कभी उसकी चूत से उंगली निकाल कर चूसने लगता।

उधर रूपाली मेरे लंड को गप्प-गप्प करते हुए चूस रही थी और कभी मेरी गोलियों पर अपनी जीभ से कलाकारी कर देती तो मैं मचल उठता।
रूपाली की अब गर्म आहें निकलने लगी थी ‘आअह्ह … हह … ययय … उम्म्म …’
थोड़ी देर तक एक दूसरे के गुप्तांगों से खेलने के बाद रूपाली ने मुंह लंड को निकाल कर कहा- जल्दी से मुझे चोदो. बहुत देर हो गई है, कभी भी दीदी कमरे में आ सकती है।
मैं रूपाली की दोनों टांगों को फैला कर उनके बीच में बैठ गया और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
रूपाली अपनी वासना को और अधिक काबू में नहीं रख सकी और अपनी चूत के रसीले होंठ को खोल कर लंड डालने का आग्रह करने लगी।
मैंने भी उसकी चूत के बाहर से निशाना लगाते हुए घप्प से एक बार में उसकी चूत में पूरा लंड ठोक दिया।
रूपाली शायद इस तरह के हमले के लिए तैयार नहीं थी इसलिये उसके मुंह से आह्ह्ह जैसी एक घुटी हुई चीख निकल गई जिसे नीतू ने भी शायद सुन लिया होगा।
मैंने रूपाली की टांगों को फैला कर उसकी कमर की लय और अपने लंड की ताल का मेल करते हुए उसकी रसीली चूत का चोदन करने लगा।
रूपाली भी अपनी टाँगे अपने हाथों से खोल कर बाकी सारी दुनिया से अनजान चुदाई के सागर में गोते लगा रही थी।
उसे तो यह भी नहीं पता था कि उसकी जेठानी नीतू आज फिर हमें देख रही है।
उधर मैंने आगे झुक कर रूपाली के एक मम्मे को मुंह में भर लिया और दूसरे को बेदर्दी से मसलने लगा।
शायद मैं नीतू को दिखाने के चक्कर मे रूपाली के बदन को कुछ ज्यादा ही जोर से मसल रहा था।
जब भी मैं रूपाली के बदन को कहीं भी हाथों से रगड़ता तो वहां पर लाल निशान पड़ जाता।
रूपाली मेरे इस वहशीपन के कारण से अनजान थी। रूपाली की सांसें अब उसकी काबू से बाहर हो चली थी। अब वो अपने चरम बिंदु के अंत पर आ गई थी।
उसकी वासना का अंदाजा उसकी कामुक सिसकारियों से पता चल रहा था।
रूपाली ने अपनी टांगों का घेरा मेरी कमर पर कस दिया और आह्ह … सीईई … उम्म्म … ईस्स्श्श् जैसी कामुक आवाजें करते हुए मुझसे जोर से चुदाई करने को कहने लगी।
मैं भी अपनी शरीर की सारी शक्ति को अपने लंड पर एकत्रित करके उसकी चूत का कीमा बनाने में लग गया।
मेरे धक्के इतने तेज़ थे कि रूपाली का बदन तेज़ी से ऊपर नीचे होने लगा इसलिये मैंने उसके स्तनों को छोड़ उसकी दोनों बाजुओं को ताकत से पकड़ते हुए चुदाई करने लगा।
अब मेरे हर धक्के पर उसकी दोनों चूचियां जोर जोर से झटके खाने लगी।
लगभग पन्द्रह मिनट से चली रही इस चुदाई में रूपाली अचानक मुझे अपनी ओर खींचते हुए मेरे होंठों को अपने होंठों से चूमने लगी और अपने नाख़ून से मेरी पीठ को खरोंचने लगी।
उसकी चूत अब पानी से पूरी चिकनी हो गई थी और हर धक्के में फच्च- फच्च की आवाज़ कर रही थी।
फिर कुछ देर बाद रूपाली ने कांपना चालू कर दिया।
मैं समझ गया कि रूपाली की चूत से पानी निकलना शुरू हो गया है.
इसलिये मैं और तेजी से चुदाई करने लगा.
जब तक रूपाली झड़ती रही तब तक मैं उसे दोगनी रफ्तार से चोदता रहा।
रूपाली के पूर्ण रूप से झड़ जाने के बाद मैं उसकी चूत में लंड डाल हुए रुक गया।
कुछ देर बार रूपाली ने खुद को शांत किया और मुझे अपने ऊपर से अलग करने लगी- चलो हटो!
मैं- क्यों?
रूपाली- क्यों क्या! हो तो गया है और कितना करोगे?
मैं- तुम्हारा तो हो गया लेकिन मेरा नहीं हुआ अभी!
रूपाली- देखो कितनी देर हो गई है … दीदी कभी भी आ सकती है, रात में कर लेना।
मैं- अरे बस दस मिनट और रुक जाओ न!
रूपाली- अच्छा ठीक है लेकिन जल्दी करो।
मौसी के इतना कहने से मैंने खुशी से दोनों गालों को बारी-बारी से चूम लिया।
मेरी इस हरकत पर रूपाली इठला के हंस दी।
मैंने रूपाली की कमर को दोनों हाथों से पकड़ लिया और धीरे-धीरे उसकी चुदाई करने लगा।
मैं बड़े प्यार से धीरे से लंड उसकी चूत में डालता और बड़े आराम से बाहर निकालता.
कुछ देर तक रूपाली इस मंद गति की चुदाई को बर्दाश्त करती रही लेकिन फिर रूपाली ने लगभग खीजते हुए कहा- अगर आपको ऐसे ही करना है तो आप अपने हाथ से हिला के अपना काम कर लो. मैं चली … दीदी कभी भी आ सकती हैं.
मैंने रूपाली की जाँघों को अपने हाथों से दबा लिया और रूपाली को रोकते हुए कहा- अच्छा मेरी जान, करता हूं जल्दी … बस थोड़ा रुको!
फिर धीरे- धीरे मेरे धक्कों की रफ़्तार फिर से तेज़ होने लगी लगातार धक्के लगाने से उसकी चूचियां तेजी से हिलने लगी।
कुछ देर बाद मुझे लगा कि मेरे लंड से वीर्य निकलने वाला है इसलिये मैंने लंड को उसकी चूत से निकाल लिया और उसके मुंह के पास चला गया।
मैंने रूपाली से जीभ बाहर निकलने को कहा और उसके मुंह के पास घुटनों के बल बैठ कर लंड को हाथ से हिलाने लगा।
अचानक से लंड से वीर्य की एक धार निकली जो सीधे रूपाली के मुंह के अंदर चली गयी.
दूसरी धार उसके गालों को जा लगी. फिर लंड से वीर्य टपकते हुए उसकी बाहर निकली जीभ पर गिरने लगा।
मैंने एक नजर नीतू को देखा जो इस वक्त हमें ऐसे आँख फाड़ के देख रही थी जैसे उसने कोई भूत देख लिया हो।
काफी देर से चल रही इस चुदाई लीला के वजह से हम दोनों बहुत थक गये थे।
रूपाली तो इतना थक गयी थी कि उसमें कपड़े पहनने की भी ताकत नहीं रह गई थी.
मैं भी रूपाली की बगल में नंगा ही लेट गया और फिर पता नहीं कब हम दोनों की आँख लग गई।
कुछ घण्टों के बाद कमरे में किसी के आने की आहट से मेरी आँख खुल गई।
मैंने देखा नीतू ने मेज पर दो प्लेट खाना रख रही थी और रूपाली अभी भी पहले की तरह नंगी अपनी एक टांग मेरी टांग के ऊपर रख के सो रही थी।
अब मैंने रूपाली को हिला के उठाया तब तक नीतू कमरे के दरवाजे तक पहुँच चुकी थी।
रूपाली ने नीतू को आवाज देकर रोका।
नीतू रुक तो गई लेकिन दीवार की तरफ मुंह कर के खड़ी थी।
रूपाली- दीदी आप भी यही खाना खा लो न!
नीतू- बेशर्मो, कपड़े तो पहन लो, कितनी देर से नंगे पड़े हो।
मैंने देखा कि हमारे कपड़े बेड पर यहाँ वहां पड़े हुए थे.
इसलिये मैंने रूपाली को अपनी गोद में बिठा लिया और अपने आप को एक चादर से ढक लिया।
अब स्थिति इस प्रकार थी नीतू हमारे सामने एक कुर्सी पर बैठी थी, रूपाली मेरी गोद में नंगी बैठी थी और मैंने हम दोनों को एक चादर से ढक रखा था।
नीतू चुपचाप सर नीचे करके खाना खा रही थी.
उधर रूपाली भी अपनी प्लेट से कभी मुझे खिलाती या फिर खुद खा लेती।
हम तीनों में से कोई भी बात नहीं कर रहा था।
मेरी नजर खाना खाते वक़्त नीतू की गोल ठोस चूची पर पड़ी. मेरा मन कर रहा था कि अभी उसकी चूचियों को हाथों से दबा दूँ।
तभी मुझे एक शरारत सूझी, मैंने दोनों हाथों को रूपाली की कमर से हटा कर उसकी चूचियों पर रख दिया।
चूचियों पर हाथ लगते ही रूपाली ने मुझे घूर कर देखा।
मैं भी हंसते हुए उसकी चूचियों को सहलाने लगा। कभी निप्पलों को दो उँगलियों के बीच में हल्के से दबा देता तो कभी ज़ोर से दोनों निप्पलों को ऐंठ देता।
रूपाली भी अपने मुंह को जोर से दबा कर चीखों को रोकने की कोशिश कर रही थी।
नीतू अभी भी सर झुका कर खाना खाने में लगी हुई थी।
मैंने अब रूपाली की चूचियों को छोड़ अपने हाथ को उसकी चूत की तरफ बढ़ा दिया।
जैसे ही मैंने अपने हाथों से उसकी चूत की पुत्तियों को छुआ तो रूपाली ने मेरे पेट पर कोहनी मार कर नीतू की तरफ देखते हुए मुझे आगे बढ़ने से रोकने की विनती की.
लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था।
जितना मैं उसकी चूत के दाने से खेलता, रूपाली उतना ही खुद के काबू से बाहर होती जा रही थी।
धीरे-धीरे रूपाली गर्म होने लगी थी और इस गर्मी को मैं लगातार उसकी गर्दन पर अपनी साँसे छोड़ कर और बढ़ा रहा था।
रूपाली अब न तो खुद खा रही थी और न ही मुझे खिल रही थी।
अचानक से मैंने अपने दायें हाथ की बड़ी उंगली उसकी चूत की गहराई में उतार दी।
अचानक हुए इस हमले से रूपाली के मुंह से कामुक आह्ह्ह निकल गई जिसे नीतू ने सुन लिया।
जब नीतू और रूपाली की आँखें आपस में मिली तो रूपाली ने शर्म से आँखें नीचे कर ली और हड़बड़ी में मेरे मुंह में तीन-चार निवाले ठूंस दिए।
मैं अपनी उंगली को बड़े प्यार से रूपाली की चूत में अंदर बाहर करने लगा।
कुछ देर बाद उसकी चूत गीली होने लगी थी और मेरे उंगली करने पर पच्च- पच्च जैसी आवाज़ करने लगी थी।
नीतू भी कनखियों से हमें देख रही थी। उसका चेहरा शर्म से गुलाबी हो गया था।
जब कभी मेरी नजर उसकी नजरों से टकरा जाती तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती।
उधर रूपाली का बुरा हाल हो रहा था; उसका बदन आग की तरह तप रहा था।
नीतू ने जल्दी-जल्दी खाना खाया और कमरे से सरपट भाग गई।
नीतू के जाते ही रूपाली उठ खड़ी हुई और अपने कपड़े उठाते हुए मुझे डांटने लगी।
मैंने भी खाना खाया, कपड़े पहने और घर से बाहर घूमने निकल गया।
देर शाम बाद जब मैं घर लौटा तो देखा रूपाली और नीतू दोनों मिल कर खाना बना रही हैं।
मैं रूपाली के बेडरूम में जाकर टीवी देखने लगा।
थोड़ी देर खाना बन गया, सबने साथ में खाना खाया।
वे देवरानी जेठानी फिर से काम में व्यस्त हो गई और मैं कमरे में जाकर आराम करने लगा।
कुछ देर बाद रूपाली कमरे मे आई और मेरे बगल में लेट गई।
थोड़ी देर बाद उसे नींद आ गई।
शायद सारे दिन की थकान उस पर हावी हो गई थी।
मैंने कमरे की लाइट बंद कर दी और उसके बगल में लेट कर सोने की कोशिश करने लगा।
लेकिन नींद तो मेरी आँखों से कोसो दूर थी; मेरी आँखों में रह-रह कर नीतू का कामुक बदन घूम रहा था।
मन कर रहा था की किसी तरह नीतू का जिस्म भोगने को मिल जाये।
नीतू के बारे में सोच-सोच कर लंड ने अकड़ना शुरू कर दिया था।
मैंने बगल में लेटी रूपाली की तरफ देखा.
इस समय वो मुझे अपनी वासना शांत करने के माध्यम से ज्यादा कुछ नहीं लगी रही थी।
मैंने अपने कपड़े उतारे और रूपाली की टांगों के बीच में बैठ गया। मैंने उसकी मैक्सी को ऊपर सरकाते हुए उसकी कमर तक पंहुचा दिया।
उसने चड्डी तो पहनी ही नहीं थी तो उसकी दोनों टांगों को खोल कर चूत में गच्च से लंड उतार दिया और उसकी चूत चोदने लगा।
कुछ देर के बाद रूपाली नींद में कसमसाते हुए बोली- क्या कर रहे हो? सो जाओ न … मैं भी बहुत थक गई हूँ।
लेकिन तब तक मेरे अंदर काम की इच्छा कई गुना बढ़ गई थी इसलिये मैंने उसकी मैक्सी के अंदर हाथ डाल कर उसकी चूचियों को दबोच लिया और आँखें बंद करके उसके होंठ को चूसते हुए चूचियां दबाने लगा।
मेरे ख्यालों में इस वक़्त मैं नीतू को चोद रहा था। मेरे हर धक्के पहले से तेज़ होते जा रहे थे।
थोड़ी देर में मौसी की चूत ने चिकनाई छोड़नी शुरू कर दी।
मैं भी सरपट धक्के लगाये जा रहा था कुछ देर बाद हम दोनों साथ में झड़ने लगे।
मैंने अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकल कर सारा माल उसकी मैक्सी पर गिरा दिया और लंड को साफ़ कर के रूपाली के बगल में लेट गया।
कुछ देर बाद रूपाली फिर से सो गई।
लेकिन मुझे नींद आ रही थी तो मैं वैसे ही जगता रहा।
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