मोसी की चुदाई कहानी में पढ़ें कि ओरल सेक्स में मोसी को मजा देने के बाद मैंने उसे कैसे चोदा. मोसी ने मेरे लंड का भरपूर मजा लिया. मैंने भी जम कर ठोका उसे!
कहानी के पिछले भाग
जवान मौसी की चूत गांड चाटी
में आपने पढ़ा कि मैंने मौसी को पूरी नंगी करके उनकी चूत गांड चाट कर उन्हें झड़वा दिया. मौसी आनन्द से सराबोर हो गयी.
अब आगे मोसी की चुदाई कहानी:
मैंने पीछे से उसकी मैक्सी के अंदर हाथ डाल कर उसकी चूचियों को पकड़ लिया और हल्के हाथ से सहलाने लगा।
फिर मैंने उसके चेहरे को अपनी ओर घुमा कर उसके पतले, रसीले, गुलाबी होंठ पर अपने होंठों को रखकर उनका रस पीने लगा।
हम दोनों एक दूसरे के होंठों को सम्पूर्ण समर्पण के साथ चूम रहे थे।
उधर मेरी उँगलियाँ चूचियों का मर्दन बड़ी ही बेरहमी के साथ कर रही थी।
अब रूपाली फिर से गर्म होने लगी थी।
फिर मैंने उसकी मैक्सी उतार कर उसे पीठ के बल बेड पर लिटा दिया।
सामने एक अल्फ़ नंगे जिस्म को देखकर मैं खुद पर काबू न रख सका और आगे बढ़ कर उसकी बायीं चूची को मुंह में भर लिया तथा दूसरी को हल्के हाथों से सहलाने लगा।
मैं उसकी चूची को मुंह में भरकर जब भी उसके निप्पल को दांतों से काट लेता तो वो जोश से मचलने लगती।
रूपाली भी अब अपने हाथों को मेरी पीठ पर स्वयं घुमाने लगी। कुछ देर बाद उसकी चूचियों को छोड़ कर नाभि को जीभ से कुरेदने लगा।
फिर मैंने उसकी टांगों को फैला कर उसकी सुलगती हुई चूत पर जीभ रख दी। मैं चूत के पतले होंठ को अपने होंठ में दबा कर खींचते हुए जीभ को अंदर बाहर करने लगा।
कुछ देर बाद रूपाली ने मुझसे लंड चूसने को कहा तो मैं भी अपनी चड्डी उतार कर 69 की अवस्था में हो गया।
उसने सबसे पहले लंड की चमड़ी को पीछे खींचा और पूरे सुपारे पर गोल जीभ घुमाते हुए जोर का चूपा लिया और फिर गप्प से लंड को मुंह में भर कर चूसने लगी।
उधर मेरी जीभ भी चूत के आस पास नाच रही थी।
जब भी मेरी जीभ उसके फड़कते हुए दाने को छू जाती तो वो मेरी गर्दन को अपनी जाँघों में जोर से दबा लेती और लंड को जोर-जोर से चूसने लगती; तो कभी वो केवल मेरे आंड को मुंह में भर लेती।
उसके मुंह में लंड होने की वजह से उम्म्म उम्म्म शी … जैसी आवाज आ रही थी।
कुछ देर तक एक दूसरे के अंगों को चूसने के बाद हम लोग अपने चरम बिंदु के करीब पहुँच गये थे और कुछ देर बाद हमारे शरीर ने झटके खाते हुए एक दूसरे के मुंह में अपना रज छोड़ दिया। जिसे हमने अपनी जीभ से चाट कर साफ़ दिया।
मेरा लंड झड़ कर धीरे-धीरे पहले जैसे आकार में आने लगा था.
लेकिन रूपाली ने लंड को चूसना जारी रखा. शायद उसके गले की प्यास बुझ गई थी लेकिन चूत की नहीं … इसीलिये वो वापस से खड़ा करना चाह रही थी।
कुछ देर बाद उसकी मेहनत रंग लायी और लंड फिर तन कर घमंड से फूल गया।
मैंने उसके मुंह से लंड को निकाला लिया। लंड थूक से सना हुआ था और कमरे की मद्धम रोशनी में कांच की तरह चमक रहा था।
मैं उसकी टांगों के बीच आकर लंड को उसकी चूत की लकीर पर रगड़ने लगा।
रूपाली ने हाथ आगे बढ़ा कर लंड को पकड़ के छेद के ऊपर रख दिया और अंदर डालने का आग्रह किया।
मैं भी लंड पर दबाव बनाते हुए धीरे-धीरे अंदर करने लगा लेकिन पिछले कुछ समय से अच्छे से उसकी चूत और लंड का मेल न होने की वजह से छेद थोड़ा संकरा हो गया था इसलिये लंड आगे पीछे करने में चूत पर तनाव पड़ रहा था।
मैंने लंड को बाहर निकाला और एक जोरदार धक्के के साथ उसकी चूत में उतार दिया।
रूपाली के मुंह से बस आआह्ह निकल के रह गयी.
थोड़ी देर मैं उसी तरह रुका रहा।
फिर रूपाली नीचे से कमर को उचकाने लगी। मैं भी अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए शॉट लगाने लगा।
कुछ देर में उसकी चूत पनियाने लगी थी इसलिये मैं अपने लंड को पूरा बाहर निकालता और ताकत के साथ उसकी चूत की गहराई में ठोक देता।
हर झटके से रूपाली का पूरा बदन हिल जाता और मुंह से आह्ह निकल जाती।
कुछ देर इसी तरह धक्के के बाद रूपाली ने मुझे जोरदार तरीके से चोदने को बोला।
मैं भी उसकी बायीं चूची का हाथों से मर्दन करते हुए उसकी चूत में करारे धक्के लगाने लगा।
रूपाली भी अब फिर से कामुक सिसकियाँ लेने लगी थी- अहह … ह्ह्ह … उम्म्म … हाय यय … आपके नीचे लेट कर आपसे चूत चुदवाने में कितना सुकून मिलता है! उफ्फ्फ … ऐसी ही अपनी बीवी की चूत की सेवा करते रहिए अहह … हस्स!
कुछ मिनट की बेरहम चुदाई से रूपाली की चूत का बाँध टूटने ही वाला था इसलिये उसने मुझे अपने सीने चिपका लिया और अपनी बांहों का घेरा मेरी पीठ बना दिया।
मैं उसी तरह उसके बदन से चिपके हुए अपने लौड़े से उसकी चूत पर प्रहार किये जा रहा था।
अचानक रूपाली ने कहा- हां ऐसे ही चोदो मुझे … रुकना मत … मैं आने वाली हूँ!
और उसका बदन जोर से कांपा … कांपते हुए उसकी चूत से सैलाब बह निकला।
उसकी चूत से बहते रस की गर्मी मैं अपने लंड पर महसूस कर सकता था जो मेरे लंड के बगल से रिसते हुए चादर पर गिर रहा था।
रूपाली इस स्खलन से थोड़ी सुस्त हो गयी थी।इसलिये उसने अपनी आँखें बंद कर ली और उखड़ी हुई साँसों को नियंत्रित करने लगी।
मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में फंसा हुआ था.
मैंने एक नज़र रूपाली के चेहरे पर डाली.
बिखरे हुए बाल, सपाट माथे पर पसीने की कुछ बूँदें, शांत आँखें, कुछ जोर से चूमने से लाल हो चुके गाल और होंठ पर मंद मुस्कान।
उसके चहेरे पर सम्पूर्ण संतुष्टि के ऐसे भाव थे जो उसे अब अपने पति(मौसा जी) से कभी नहीं मिलने वाले थे।
मैंने अपने लौड़े से चूत के अंदर खटखटा कर उसकी तन्द्रा भंग की.
उसने अपनी आखें खोल के पूछा- क्या हुआ?
मैं- तुम्हारा तो हो गया … पर अब मैं क्या करूं?
रूपाली- तो मना किसने किया है … आपकी ही हूँ … चढ़ जाओ फिर से!
मैंने रूपाली की एक टांग को अपने कंधे पर रख लिया और ताबड़तोड़ धक्के लगाने लगा।
हर धक्के से उसकी चूत में भरा हुआ रस बाहर छलक जाता।
रस से गीला लंड चूत में पच-पच की आवाज करते हुए सरपट भागे जा रहा था और बेड की चर्र-चर्र ध्वनि से कमरे में चुदाई का मधुर संगीत हो रहा था।
रूपाली फिर से गर्म होने लगी थी और नीचे से अपनी चूत उचका कर लंड को अंदर बाहर करने में मदद करने लगी थी।
बहुत देर से चल रही इस धकापेल चुदाई की वजह से मैं भी अब झड़ने के करीब आ गया था इसलिये मैंने भी अब जोश से धक्के लगाना शुरू कर दिए थे।
लंड की सारी नसें फूलने लगी थी, टट्टे भी रस से भर कर भारी हो गये थे।
रूपाली भी अब फिर उम्म्म अहह यस्सस आईई माँ जैसी आवाजें निकाल रही थी।
तभी उसने कहा- रुकना मत … मैं आने वाली हूँ!
और आह … आह्ह्ह करते हुए उसकी चूत ने एक और बार रस की नदी खोल दी।
उसके रस के ताप से मैं खुद को रोक न सका और जल्दी से लंड को बाहर खींचा और उसकी चूत के ऊपर सारा वीर्य उगल दिया।
सारा वीर्य निकल जाने के बाद मैं उसकी बगल में लेट गया और उसके बालों से खेलते हुए उससे बातें करने लगा।
बातों-बातों में मैंने उससे आने वाले तीन दिनों तक नंगी रहने को कहा.
शुरू में तो उसने मेरी इस इच्छा को बहुत सारे तर्क देकर टालना चाहा लेकिन अंत में उसने मेरी मांग स्वीकार कर ली।
फिर पता नहीं कब हमारी आँख लग गयी और हम सो गये।
कुछ देर बाद मेरी आँख खुली तो देखा घड़ी में शाम के 4:10 हो रहे थे।
रूपाली अभी भी सो रही थी.
मैंने आगे झुक कर उसके होंठ को चूम लिया जिससे उसकी भी आँख खुल गयी और उसने भी मेरे होंठों पर छोटा सा चुम्मा चिपका दिया।
हम एक दूसरे को देख कर खुश हो रहे थे.
तभी घर के मुख्य दरवाजे की घंटी बजी!
दरवाजे की घण्टी बजने के बाद हम दोनों एक दूसरे को ऐसे देख रहे थे मानो इसे वहम समझ कर टालने की कोशिश कर रहे हों।
लेकिन तभी एक बार और घण्टी बजी इस बार हमारा ध्यान एक दूसरे के बदन पर गया।
हम दोनों नंगे ही बेड पर लेटे हुए थे और हमारे कपड़े पूरे कमरे में यहाँ वहाँ फैले पड़े थे।
इससे पहले एक और घण्टी बजती, रूपाली हड़बड़ी में उठ खड़ी हुई और उसने अपने शरीर को मैक्सी से ढक लिया।
मैंने भी जल्दी से लोवर टीशर्ट पहन ली।
रूपाली तेज क़दमों से चलते हुए कमरे बाहर निकल गयी।
मैंने बेडशीट को जल्दी से निकाला और बाथरूम में धुलने के लिये डाल दिया।
तभी मुझे किसी महिला की आवाज आ रही थी जो धीरे-धीरे मेरी तरफ आते हुए साफ़ और स्पष्ट होती जा रही थी।
मैंने बाथरूम से बाहर निकलकर देखा तो मेरे सामने मेरी दूसरी नायिका खड़ी थी।
रूपाली ने आगे झुककर उनके पैर छूते हुए ‘चरण स्पर्श दीदी’ कहा.
और जवाब उसे ‘खुश रहो’ का आशीर्वाद मिला।
मेरे सामने रूपाली की जेठानी खड़ी थी जिनसे मैं केवल एक बार रूपाली की शादी में ही मिला था।
दोस्तो, मैं आप सभी का नीतू से एक संक्षिप्त परिचय करवाना चाहूँगा।
रूपाली की जेठानी का नाम नीतू है। नीतू मौसा जी के बड़े भाई अशोक की पत्नी है जिनका कपड़ों का बड़ा व्यवसाय है।
अशोक सारा दिन शराब के नशे में डूबा रहता है जिसकी वजह से शादी के इतने साल बाद भी उनकी कोई संतान नहीं है।
नीतू की उम्र 30 साल है लेकिन चेहरे के भोलेपन और मासूमियत की वजह से वह देखने में रूपाली की हमउम्र ही लगती है।
काले घने बाल जो खुला छोड़ने पर उसकी कमर तक आते थे। हिरनी की तरह उसकी हल्की भूरी मृगनयनी आँखें, सपाट और उजला माथा जिस पर छोटी सी काली बिंदी जैसे हर भारतीय महिला के वैवाहिक जीवन की प्रतिक होती है।
कश्मीरी सेब की तरह गुलाबी गाल और दो बेहद पतले, नाजुक, रसीले होंठ।
उसकी त्वचा दूध सी सफेद और मुलायम थी। उसकी 34″ के आकार वाली चूचियां, 28 इंच की लचकती हुई कमर और 35″ की भारी-भरकम गांड सच में उसका फिगर बहुत ही कातिलाना था।
उसे देख कर जवान, बूढ़े क्या यहाँ तक कि मुर्दों के लंड में हलचल होने लगे।
नीतू देखने में कुछ हद तक पंजाबी हिरोइन जैसी लगती है।
रूपाली- दीदी, आप इस वक़्त यहाँ अचानक?
नीतू- हां, छोटे (मौसा जी) ने कहा था कि वो काम की वजह से कुछ दिनों के लिये बाहर जा रहा है. और रूपाली भी घर में अकेली है इसलिये मुझे तेरे पास आने को बोला।
नीतू ने मेरी तरफ इशारा करते हुए पूछा- राहुल तुम कब आए?
मैं- जी अभी सुबह को ही आया, वो मौसी ने बुलाया था।
अब तक रूपाली जो किसी चिड़िया की तरह चहक रही थी, नीतू के अचानक आने से उसकी इच्छाओं के जैसे पंख ही कट गये हो।
नीतू को आगे वाले कमरे में बैठा कर रूपाली उनके लिये चाय बनने चली गयी।
शाम को दोनों ने मिल कर खाने की तैयारी की और खाना खाने के बाद दोनों रसोई के काम व्यस्त हो गई.
और मैं टीवी देखने में!
मेरा टीवी देखने में मन नहीं लग रहा था लेकिन मैं रूपाली के पास चाहकर भी नहीं जा सकता था क्योंकि नीतू भी रसोई में उसके साथ थी।
मेरी आँखों में तो बस रह-रह कर रूपाली की फड़कती हुई चूत घूम रही थी।
मन कर रहा था कि अभी पकड़ के नंगी कर दूँ और जमकर उसकी चुदाई कर डालूं।
जितना मैं रूपाली की चुदाई के लिये व्याकुल हो रहा था, शायद उससे कहीं ज्यादा वो मुझसे चुद जाने को बेचैन हो रही होगी।
घर का सारा काम खत्म करने के बाद अब सबके सोने की व्यवस्था कर दी गई थी।
बेड पर केवल दो लोगों के लिये ही सोने की जगह थी इसलिये मैंने दोनों महिलाओं को प्राथमिकता देते हुए अपना बिस्तर जमीन पर लगा लिया।
अब स्थिति कुछ इस प्रकार थी।
नीतू बेड के दायें तरफ दीवार की ओर मुंह करके लेटी थी और रूपाली उसके बगल में!
वहीं जमीन पर मैं रूपाली पैर के ठीक पास सिर करके लेट गया।
मैंने एक ऩजर उठा के रूपाली को देखा तो उसके चेहरे पर मुझे व्याकुलता स्पष्ट रूप से दिखाई दी।
लेकिन बगल में नीतू के लेटे होने की वजह से हम दोनों में कुछ भी करने की हिम्मत नहीं हुई।
कुछ देर तक हम दोनों उसी तरह लेटे रहे. नींद न मेरी आँखों में थी और न ही उसकी!
कुछ था तो बस शरीर में उठती कामवासना को उसके अंजाम तक पहुँचाना।
थोड़ी देर बाद जब मुझे लगा कि नीतू गहरी नींद में सो रही रही है तो मैं अपने बिस्तर से उठ खड़ा हुआ और रूपाली को अपने पीछे आने को कहा।
रूपाली भी किसी दासी की तरह बिना कोई सवाल करे मेरे पीछे हो ली।
हम दबे पाँव सीढ़ी चढ़ते हुए घर की छत पर पहुँच गये।
छत पर पहुँचते ही हम दोनों ने एक दूसरे को बांहों में कैद कर लिया और आलिंगनबद्ध हो गए बिना आस पास के माहौल की परवाह करे!
और वैसे भी रात एक बजे शायद ही कोई हमें देख रहा हो।
मोसी की चुदाई कहानी आपको पसंद आ रही होगी.
अपने विचार मुझे [email protected] पर भेजे।
अब आप सभी मुझसे अपने विचार फेसबुक पर भी साँझा कर सकते हैं।
मोसी की चुदाई कहानी जारी रहेगी.