इंडियन गे देसी कहानी एक लड़के की पहली बार गांड मरवाने की है. उसे मूतते हुए मर्दों के लंड देखने का चाव था. पर उसे नहीं पता था कि वह गे है.
दोस्तो, मेरा नाम सैफ है. मैं इलाहबाद का रहने वाला हूँ.
मैं आज आप लोगों से अपनी एक इंडियन गे देसी कहानी शेयर करना चाहता हूँ.
अब तक मेरा मन कई बार इस बात के लिए मचला कि मैं अपनी आपबीती आप सबको सुनाऊं … लेकिन कैसे कहूँ … और किधर कहूँ … यह समझ में नहीं आ रहा था.
फिर एक दिन मेरा एक दोस्त अन्तर्वासना पर कहानी पढ़ रहा था.
मैंने उससे पूछा और अन्तर्वासना की पूरी जानकारी ले ली.
उधर मैंने गे सेक्स वाली काफी सारी सेक्स कहानियां पढ़ीं और मैंने तय कर लिया कि मैं अपनी कहानी यहां जरूर शेयर करूँगा.
यह कुछ साल पहले की बात है.
उस समय मेरी उम्र 21 साल की थी. उस वक्त मुझे मर्दों में दिलचस्पी होने लगी थी.
मैं अक्सर सड़क के किनारे खड़े होकर मूतने वाले मर्दों के बाजू में खड़े होकर उनके लौड़े देखने की चेष्टा करने लगा था.
चूंकि मूतते समय लंड उत्तेजित नहीं रहता है, वह अपने सामान्य आकार में रहता है.
उस वक्त व्यक्ति से लंड का आकार देख कर मुझे सही सही जानकारी मिल जाती थी कि इसका लंड इतना बड़ा हो सकता है.
मैंने अपने इसी अनुभव से ये तय किया था कि पतले आदमियों के लंड कुछ ज्यादा बड़े और मोटे रहते हैं जबकि मोटे आदमियों के लंड अपेक्षाकृत छोटे होते हैं.
अपनी इसी आदत के चलते मुझे कई बार कुछ मर्दों की छुपी हुई नजरों से चुदवाने के ऑफर भी मिले.
लेकिन उस वक्त तक मैं इस बात से वाकिफ ही नहीं हुआ था कि मैं एक समलैंगिक हो गया हूँ.
हालांकि मेरा खुद का लंड एक औसत मर्द के लंड के आकार का ही है और यह खड़ा होकर एकदम कड़क भी हो जाता है.
पर तब भी मुझे ये कन्फर्म नहीं था कि मैं एक गांडू बन चुका हूँ.
उन्हीं दिनों मैं अपने मामा की ससुराल में एक शादी में गया हुआ था.
वहां मैं शादी से कुछ दिन पहले ही आ गया था.
उधर मामा के घर काफी सारे रिश्तेदार आने वाले थे.
मुझे भी काफी जोश था कि मैं सबसे मिलूँगा और मौज मस्ती करूंगा.
जब मैं उधर पहुंचा तो घर में शादी का माहौल था.
काफी सारे लोग वहां पहले से ही मौजूद थे.
जब मैं पहुंचा तो मेरा अच्छा स्वागत किया गया.
वहां मेरी उम्र के कई लड़के थे.
मैं उन्हीं के पास जाकर बैठ गया और बातचीत करने लगा.
उन लड़कों में ही एक लड़का नदीम था.
वह बहुत गोरा था और चिकना भी था.
उसकी बॉडी किसी जिम्नास्ट के जैसी थी.
मैं तो उसे देखते ही उस पर मानो फिदा हो गया था.
उससे बात करते करते ही मेरी बाकी सबसे भी जान पहचान हो गयी थी.
कुछ ही देर में नदीम मुझसे कुछ ज्यादा ही घुल-मिल गया था.
मेरी उसमें अभिरुचि को देख कर वह भी मुझसे काफी लिपटने सा लगा था और बार बार मेरे शरीर पर हाथ फेर रहा था.
उसका यूं हाथ फेरना मुझे कुछ ज्यादा ही अच्छा लग रहा था.
मैं भी उसके कंधे पर हाथ रख कर उसे अपने सीने में भींचने की कोशिश करने लगा था.
अब हम सब बाहर घूमने निकल गए.
काफी देर तक घूमते-टहलते रहे और कुछ देर बाद वापस घर आ गए.
यह काफी अच्छा गांव था.
नदीम ने बताया कि यहां गांव में एक नहर भी है. सब लड़के अक्सर उसमें नहाया करते हैं.
वह मुझसे भी अगले दिन नहाने चलने की कहने लगा था.
मैंने भी उसकी बात से इत्तफाक जता दिया था.
शाम हुई तो सब घर वापस आ गए थे और खाने का दौर चलने लगा था.
मैंने भी खाना खाया और अपने लिए तय कमरे में चला गया.
उधर ही नदीम का सामान भी रखा था और वह भी उसी कमरे में मेरे साथ रुकने वाला था.
मुझे इस बात से बड़ी खुशी हो रही थी.
अब मैं और नदीम एक ही बिस्तर पर लेट गए.
काफी देर तक हमारे बीच बातचीत चलती रही.
फिर हम दोनों को नींद आने लगी.
करीब आधी रात के बाद मुझे ऐसा लगा कि नदीम उठ कर कहीं जा रहा है.
लेकिन मैं वैसे ही लेटा रहा और आंखें खोल कर देखने लगा.
मैंने देखा कि नदीम कमरे का दरवाज़ा बंद कर रहा था.
मुझे कुछ शक हुआ कि ये दरवाज़ा बंद करके क्या करना चाह रहा है.
वह दरवाजा बंद करके आया और फिर से मेरे बगल में लेट गया.
मैं वैसे ही आंख बंद किए लेटा हुआ था.
अब नदीम ने अपना हाथ मेरे ऊपर रख दिया और आज़माने लगा कि क्या मैं कोई रिएक्शन करता हूँ या नहीं.
लेकिन मैंने कुछ भी नहीं किया.
अब उसका हाथ सरक कर मेरे चूतड़ों पर आ गया लेकिन मैं वैसे ही लेटा रहा.
मैं हिल भी नहीं रहा था क्योंकि कुछ दिनों से मेरा आकर्षण लड़कों की तरफ बढ़ने लगा था … और ऐसा क्यों होने लगा था, वह पता नहीं है.
लड़कों के प्रति मेरा बढ़ता आकर्षण काफी ज़्यादा हो गया था.
फिलहाल उसका हाथ फेरना मुझे बहुत सुकून दे रहा था.
वह मेरे चूतड़ों पर हाथ फेरे जा रहा था, उससे मेरे शरीर में एक अजीब सी कश्मकश हो रही थी कि क्या करूं और क्या न करूं.
अब उसने अपना हाथ लोअर के अन्दर डाल दिया और मेरी गांड के छेद पर उंगली से सहलाने लगा.
यह सब मेरे लिए पहली बार था तो मेरा शरीर कंट्रोल से बाहर होने लगा.
मेरा लंड भी एकदम खड़ा हो गया था और जैसे ही उसके हाथ ने गांड के छेद पर ताकत डाली, लंड से पानी बाहर निकलने लगा.
उसी क्षण मैंने अपनी आंखें खोल दीं.
मैं उसे देखने लगा और वह मुझे.
मैं कुछ नहीं बोला, बस उसके सीने से लिपट गया और मैंने उसका लंड पकड़ लिया.
उसका लंड गर्म था, मैं सहलाने लगा.
अब उसने बेखौफ मेरी लोअर उतार दी और मेरी गांड को सहलाने लगा.
मेरा पानी गिर चुका था इसलिए अब मेरा औजार खड़ा ही नहीं हो रहा था.
लेकिन नदीम का सामान एकदम कड़क खीरे की तरह सीधा था.
उसने मुझे बिस्तर से उठाया और घुटनों के बल बैठा दिया और मुझे अपना लंड चूसने के लिए कहा.
पहले तो मुझे अजीब लगा लेकिन फिर मैं उसका लंड चूसने लगा.
चूस चूस कर मैंने उसका लंड गीला कर दिया था और अब वह भी मेरी गांड का आनन्द लेने को तैयार हो चुका था.
उसने मुझे वहीं बेड पर झुका कर खड़ा कर दिया और अपना लंड मेरी गांड के छेद पर घिसने लगा.
थोड़ी देर की घिसाई के बाद उसने ढेर सारा थूक मेरी गांड में मला और अपना सुपारा छेद पर सैट कर दिया.
मैं उसके लौड़े की नोक का अहसास अभी कर ही रहा था कि उसे एक ज़ोर का झटका दे दिया.
उसका लंड तो अन्दर नहीं घुसा लेकिन मैं मुँह के बल बेड पर गिर गया.
उसकी पहली कोशिश नाकाम हो गयी लेकिन वह हिम्मत नहीं हारा.
उसने फिर से कोशिश की और इस बार पूरी कामयाबी के साथ उसका घोड़ा प्रवेश द्वार को तोड़ते हुए अन्दर घुस ही गया.
द्वार टूटते ही जैसे भूकंप आ गया,
किले की दीवार हिल गयी और मैं एक ही झटके में सीधा खड़ा हो गया.
मैं अपनी गांड को ज़ोर से दबाने लगा क्योंकि सील टूट चुकी थी.
सील क्या टूटी … साला ऐसा लगा जैसे शरीर की हड्डी टूट गयी हो.
बहुत तेज़ दर्द हुआ था, कुछ सूझ ही नहीं रहा था कि क्या करूं.
बस यूं लग रहा था मानो गांड में गर्म सरिया पेल दिया गया हो.
तभी नदीम ने फिर से मुझे बेड पर झुका दिया और कस कर मेरी कमर को जकड़ लिया.
उसने फिर से अपना लंड गांड में पेल दिया.
इस बार मैं कुछ नहीं कर सका और बस बेबसी के आलम में आह उह करने लगा.
उसका लंड तो किसी लोहे की रॉड की तरफ गांड की अम्मी चोद रहा था.
गांड में बेहद तेज परपराहट हो रही थी.
ऐसा लग रहा था मानो कोई मोटा गत्ता फाड़ा जा रहा हो.
मैं बोझिल हो गया था और दिमाग सुन्न पड़ गया था.
उधर नदीम के झटके मेरी गंड का कचूमर बना रहा था.
लेकिन थोड़ी ही देर बाद गांड का दर्द अपने आप कम होने लगा और चुदाई का मज़ा मिलने लगा.
मैं बिल्कुल आज्ञाकारी शिष्य की तरह उसकी बात मानने लगा.
अब उसने मुझे खड़ा कर दिया और दीवार से टिका कर झुका दिया.
उसने मुझसे चूतड़ों को बाहर करने के लिए कहा.
मैंने बिल्कुल वैसा ही किया.
मैंने अपने चूतड़ों को बाहर की तरफ कर दिया और उसके लंड का स्वाद लेने लगा.
वह मुझे पेल तो रहा ही था, मेरी दोनों चूचियों को ऐसे मसल रहा था … जैसे बेल का शर्बत बनाते समय बेल को मसलते हैं.
कुछ देर इसी तरह चोदने के बाद उसने मुझे फिर से घोड़ी बना दिया और मेरी धकापेल चुदाई शुरू कर दी.
उस समय मैं तो समझो अपनी गांड नहीं मरवा रहा था बल्कि ऐसा लगने लगा था मानो मैं किसी उड़ने वाले घोड़े पर बैठ कर आसमान की सैर कर रहा हूँ.
मेरी आंखें बंद थीं, दोनों हाथ ज़मीन पर थे.
गांड ऊपर की तरफ निकली हुई थी और मैं बस चुद रहा था.
फिर समय ने पलटी मारी और नदीम बेड पर सीधा लेट गया.
उसका लंड सीधा समझो मेरी नाभि तक चोट दे रहा था.
अचानक से उसने अपना लंड मेरी गांड से निकाल लिया.
उसने हाथ से अपना लंड खड़ा किया और मुझे पलट कर उस पर बैठने को कहा.
मैंने बिल्कुल वैसा ही किया. मैं उसकी तरफ मुँह करके उसके लंड पर बैठ गया और अपनी गांड उछालने लगा.
मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसके होंठों को चूसने लगा.
वह भी मेरे होंठों का रस पीने लगा था.
उसका लंड मेरी गांड में अब आराम करने लगा था लेकिन धीरे धीरे धक्का लगता जा रहा था.
बदन से बदन मिला हुआ था. हम दोनों एक दूसरे के होंठों का रस पान कर रहे थे.
उसका घोड़ा किले के अन्दर चहल-कदमी कर रहा था.
फिर मैं खड़ा हुआ और बेड पर उल्टा लेट कर अपनी दोनों टांगें फैला दीं.
नदीम ने फिर से गांड की चुदाई शुरू कर दी. वह मेरे ऊपर चढ़ा हुआ था और अपनी कमर मेरी गीली गांड पर पटक रहा था.
कुछ ही देर बाद उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी और पूरे जोश में मेरा तबला बजाने लगा.
तबले से थप थप की आवाज़ आ रही थी.
बजाते बजाते उसने अपना लंड गांड से बाहर कर दिया और मुझे सीधा करके लंड का पानी मेरे चेहरे पर गिराने लगा.
माल खत्म होते ही उसने मेरे मुँह में लंड ठूंस दिया. उसके लंड का कुछ पानी मैं पी गया.
लंड का पानी गिरने के बाद वह भी एक तरफ लुढ़क गया और मैंने भी अपना मुँह साफ कर लिया.
हम दोनों ऐसे ही रात भर नंगे लेटे रहे.
फिर उस हसीन रात की सुबह हो गयी और हम दोनों कपड़े पहन कर बाहर आ गए.
उसी के दूसरे दिन हम दोनों नहर में नहाने गए.
मैं, वह और उसके कुछ दोस्त थे.
नहाते समय मेरे साथ जो हुआ, वह मैं अगली सेक्स स्टोरी में लिखूंगा.
तब तक के लिए आदाब.
मेरी इस इंडियन गे देसी कहानी पर आप मेरी मेल आईडी पर अपना सुझाव अवश्य दें.
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