आंटी हॉट सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि मेरी दोनों चाचियाँ सेक्स के लिए भूखी हुई पड़ी थी. दोनों ने कैसे मेरे लंड को खाया, चूसा, फिर कैसे मेरे लंड से अपनी वासना पूर्ति की?
हैलो फ्रेंड्स मैं अरमान, आपको साहिल के द्वारा लिखी गई इस आंटी हॉट सेक्स स्टोरी के पिछले भाग
घर में दो चाची की एक साथ चुदाई- 1
में बता रहा था कि साहिल की दोनों रंडी चाचियां साहिल के लंड को खोल कर मजा लेने लगी थीं.
साहिल की कलम से ही आगे की आंटी हॉट सेक्स स्टोरी का मजा लीजिए.
इस तरह से वे दोनों घुटनों के बल नीचे बैठ गईं और मेरे छह इंच लम्बे और काफी मोटे लंड को बड़ी हसरत से देखने लगीं.
इतने में छोटी चाची ने मेरे लंड के सुपारे को अपनी जुबान से चाटना शुरू कर दिया. उनकी जीभ लंड के सुपारे से टच हुई तो मेरे पूरे बदन में एकदम करंट सा दौड़ गया. ये सब मेरे साथ पहली बार हो रहा था.
मैंने सीत्कार भरते हुए उनके सरों पर अपने हाथ जमाए और पूछा- साली रंडियो, लंड चूसना कहां से सीखा?
तो छोटी चाची बोलीं- आह … इसने सिखाया है सब!
बड़ी चाची हंसती हुई छोटी चाची के दोनों चुचों को एक साथ करके अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.
इस तरह से हम तीनों एक दूसरे गर्म कर रहे थे और वासना में मादक सिसकारियां भी भर रहे थे.
बड़ी चाची ने मेरा लंड छोटी चाची के हाथ से लिया और बोलीं- साली कुतिया अकेले ही लंड खाएगी क्या?
फ़िर वे दोनों भूखी शेरनी की तरह मेरे लंड पर टूट पड़ीं. एक रांड मेरे लंड के सुपारे को मुँह में लेकर चूस रही थी, तो दूसरी मेरे आंडों को चूसने में लगी थी.
इस सबसे मैं तो जैसे आसमान में उड़ने लगा था. दोनों ब्लू फिल्म में सीन देख देख कर मेरे लंड को चूसे जा रही थीं.
पूरे कमरे में ‘उह्ह्ह्ह … ऊग्ग्ग … उह्ह्ह्ह …’ की कामुक आवाजें ही आ रही थीं. एक चाची मेरा लंड मुँह में लेतीं, तो दूसरी मेरे गोटे चूसने लगतीं. मैं तो पागल हुआ जा रहा था और अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा था.
वे नीचे दोनों एक दूसरे को गालियां देती हुई कुछ ज्यादा ही कामुक होती जा रही थीं.
मेरे लंड को गालियां देती हुई कह रही थीं- साला इतना मस्त लंड घर में ही था … और हम बाहर लंड खोज रही थीं.
एक लंड, तो दूसरी अंडकोष को मुँह में ले रही थीं. उनके लंड चाटने और थूक की वज़ह से मेरा लंड एकदम चमक रहा था. मैं भी उन दोनों के बाल पकड़ कर लंड को उनके मुँह में अन्दर तक डालने लगा था.
बड़ी चाची ने अपना अनुभव दिखाते हुए लंड को अपने गले से नीचे तक ले लिया और पूरा मुँह में ले लिया. वो अपनी जुबान से मेरे लंड की जड़ पर फिराने लगीं. वो इंग्लिश और हिंदी में अपने अपने पतियों को गालियां भी दे रही थीं.
‘आह साले नामर्द … भैन के लौड़े हमारे गांडू खाविन्द इतनी खूबसूरत चुत भी नहीं चोद पा रहे हैं … और ये मादरचोद इतना बड़ा लंड घर में अपनी गांड में घुसाए बैठा था.’
वो मेरे लंड पर चपत भी लगा रही थीं और ‘सो बिग कॉक … नाईस बिग कॉक … उह्ह्ह यस फ़क माय माउथ … यू बास्टर्ड.. सो हार्ड कॉक …’ कहे जा रही थीं.
मैं भी ‘आआआ … उह्ह्ह …’ की आवाजें निकाल रहा था.
थोड़ी देर के बाद मैंने उनको ऊपर उठाते हुए खड़ा किया और उनके चूचों को चूसने लगा.
दोनों चाचियां अब सिर्फ गालियों में ही बातें कर रही थीं- आह खा ले मेरे हरामी भतीजे … खा ले भोसड़ी के इन्हें … तेरा नामर्द चाचा तो इन्हें देखता भी नहीं है.
वो जोर जोर से सिसकारियां लेते हुए मेरे बालों को नौंच खसोट रही थीं. मेरे हाथ पीछे से उनकी गांड का नाप ले रहे थे. दोनों अपने हाथों से अपने चुचे मेरे मुँह में घुसेड़ रही थीं और गालियां दे रही थीं. वे एक दूसरे को किस भी कर रही थीं.
दस मिनट तक ऐसा ही चलता रहा. फ़िर मैं बोला- चाबी तो देख ली, ताला नहीं दिखाओगी रंडियो.
ये सुनकर वे दोनों मुझसे थोड़ी दूर होकर सामने सोफ़े पर जा कर बैठ गईं और मुझे पास आने का इशारा करने लगीं.
मैं उनके पास जाने लगा, मेरा लंड सांप की तरह फन हिला रहा था. मैं पास पहुंचा, तो फिल्म में देख कर दोनों अपनी अपनी पेन्टी में हाथ डाल कर खुद को उत्तेजित कर रही थीं.
मैं उनके पास पहुंच कर अपने घुटनों के बल बैठ गया.
छोटी चाची बोलीं- देख उधर फ़िल्म में … ऐसा ही करना है.
फ़िर दोनों ने अपने पैर ऊपर उठाए और कहा- चलो भतीजे, अपनी चच्चियों के ताले भी देख लो.
मैंने झट से एक एक करके उन दोनों की पैन्टी उनकी टांगों से अलग कर दी.
अब दोनों की एकदम गुलाबी चुत मेरे सामने थी.
जैसे ही अपना हाथ मैंने चुत पर रखा, तो दोनों कसमसाने लगीं और ‘आह्ह्ह … उह्ह्ह …’ करने लगीं.
मैंने फ़िल्म की तरफ़ देखा, तो पुरुष उन दोनों महिलाओं की चुत बारी बारी से चाट रहा था. ये सब मेरे साथ पहली बार था, इसलिए कुछ भी दिमाग से काम नहीं चल रहा था, बस हुए जा रहा था.
फ़िर मैंने भी फ़िल्म जैसा ही करना चालू कर दिया. छोटी चाची की चुत ज्यादा गुलाबी थी, तो पहले उसी से चालू किया. जैसे ही मैंने अपनी जुबान उनकी चुत पर फ़िराना चालू की, वो गांड उछालने लगीं.
मैं अपने एक हाथ की उंगली को बड़ी चाची की चुत में डालने लगा.
दोनों ही ‘आह्ह्ह्ह … ऊउईई … सक माय पुस्सी …’ की आवाजें निकालने लगीं.
मैंने पाली बदली, अब बड़ी चाची की चुत चूसने का नम्बर था.
बड़ी चाची तो और भी ज्यादा कामुक हुई जा रही थीं. वो भी चुत चटने से सिसकारियां लेने लगीं.
यह सिलसिला दस मिनट तक चलता रहा. फ़िर छोटी चाची उठीं और मेरे बराबर बैठ कर वो भी बड़ी चाची की चुत साथ में चाटने लगीं.
बड़ी चाची बिना पानी की मछली जैसी तड़पने लगीं और उन्होंने गालियां देना चालू कर दिया- याआआअ … ऊऊह … सक यस … यू बिच सक माय पुसी.. आह गुड .. साले चोदू तेज कर भड़वे … साले मादरचोद … जोर से चाटो!
मैंने अब अपनी जगह बदली और छोटी चाची के पास जाकर उनको घोड़ी की तरह बना दिया. उन्होंने झट से अपनी गांड फैला कर चुत खोल दी. मैं पीछे से अपना लंड उनकी चुत में पेलने लगा.
मैंने निशाना लगाया पर उनकी चूत छोटी होने की वजह से मेरा लंड फ़िसल गया. मैंने फिर से ट्राई किया, लेकिन फिर असफल रहा. मैंने फिर से कोशिश की और अब की बार लंड का सुपारा अन्दर चला गया.
लंड का सुपारा छोटी चाची की चुत में जैसे ही घुसा, उन्होंने बड़ी चाची की चुत को अपने मुँह से छोड़ कर एक गहरी कराह भरी और बोलीं- अरे … ये ताला बहुत दिन से बन्द पड़ा है … जरा प्यार से चोद मादरचोद. इसका तो बॉयफ्रेंड है, मेरा तो चार महीने से उंगलियों से काम चल रहा है.
मैंने लंड अन्दर पेलते हुए कहा- अब कोई शिकायत नहीं होगी मेरी जान … मेरा लंड मिलता रहेगा.
इतने में सामने से बड़ी चाची बोलीं- पूरा डाल और जोर से इसकी चुत में पेल … साली की फट जाना चाहिए.
बड़ी चाची की बात सुन कर मैंने एक जोर का धक्का दे मारा. अबकी बार आधे से ज्यादा लंड चुत के अन्दर घुसता चला गया था. उधर बड़ी चाची ने छोटी चाची का मुँह जोर से अपनी चुत में दबा दिया था, तो छोटी चाची की चीख उनके गले में ही घुट कर रह गई.
मैं धीरे धीरे अपनी कमर आगे पीछे करने लगा.
छोटी चाची- आह्ह्ह … उम्म्ह्ह … उह्ह्ह … यस फक माय पुस्सी … यू फक सो गुड.
उनकी मदमस्त आवाजें निकलने लगीं. इसी के साथ वो बड़ी चाची की चुत भी चाट रही थीं.
बड़ी चाची भी कराह रही थीं- यस यस यस … ओह्ह्ह माय पुस्सी … यु सक सो गुड.
उन दोनों की मादक आवाजें मुझे उत्तेजित कर रही थीं.
करीब दो मिनट तक मैंने अपनी चाल स्लो ही रखी, फिर मैंने अपनी कमर को थोड़ा तेज किया. अब छोटी चाची भी मेरा साथ देने लगी थीं. मेरा छह इंच का लंड चुत में पिस्टन की तरह अन्दर बाहर होने लगा था. आगे से बड़ी चाची भी गालियां और सिसकारियां निकाल रही थीं.
पूरे कमरे में चुदाई का संगीत गूंजने लगा था.
‘आ आह … आह्ह उईई …’ की मधुर आवाजें आ रही थीं. मैं छोटी चाची की कमर पकड़ कर उनकी चूत में लंड पेले जा रहा था.
कुछ मिनट के बाद दोनों चाचियों का पानी थोड़ा आगे पीछे निकला. पहले छोटी की बुर झड़ी, फिर बड़ी की चुत ने फव्वारा छोड़ दिया. मैंने अपना लंड छोटी चाची की चुत से निकाल कर दोनों के सामने कर दिया और खुद झुक कर बड़ी की चुत के रस को चाटने लगा.
दोनों की मादक आवाजें आ रही थीं- ऊउह्ह्ह यम्मी … उह्ह्ह्हह.
उन दोनों ने मेरा लंड का प्री-कम चाट चाट कर साफ़ कर दिया.
मैंने बड़ी चाची से कहा- अब तेरे ताले का नम्बर है कुतिया … बहुत आग है तेरे ताले में.
अब मैं घुटनों के बल बैठा और बड़ी चाची की चूत पर लंड का निशाना लगा कर रेडी हो गया.
बड़ी चाची की चुत भी थोड़ी बड़ी थी. मैंने एक धक्का मारा, तो चुत बड़ी और छोटी चाची के चाटने की वजह से लंड लगभग तीन इंच अन्दर घुसता चला गया. लंड मोटा होने की वजह से चाची को थोड़ा दर्द हुआ.
मैंने पूछा- क्या हुआ कुतिया?
तभी छोटी चाची जो अब सोफ़े पर आकर बैठ गई थीं, वो बोलीं- मेरे घोड़े तू डाल जोर से … ये तो नाटक कर रही है साली.
मैंने एक और धक्का दे मारा, तो मेरा पूरा लंड चुत के अन्दर चला गया.
बड़ी चाची ने कसमसाते हुए अपना सर ऊपर उठाया और जोर की आह भरी.
मैंने उनकी आह को अनसुना करते हुए तेज धक्के देना चालू कर दिए.
बड़ी चाची गालियां देते हुए अपनी कमर ऊपर उठाने लगीं.
मैंने अपनी चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी और छोटी चाची के चूचों को मुँह में लेने लगा.
छोटी चाची अपनी एक उंगली से बड़ी चाची के चुत के दाने को सहला रही थीं.
मैं कभी बड़ी चाची के निप्पल दबाता, तो कभी छोटी चाची के निप्पल को. कभी उनके होंठों को किस करता.
कुछ मिनट तक ऐसे ही चुदाई का खेल चलता रहा. फिर मैंने बड़ी छोटी को बड़ी चाची के बाजू में सोफे के ऊपर खड़ा कर दिया और उनके सर को बड़ी चाची की मुँह के पास करते हुए झुका दिया. इससे छोटी चाची की चुत मेरे मुँह के सामने आ गई थी और मैं चुत चाटने लगा.
दस मिनट की चुदाई के बाद बड़ी चाची ने छोटी चाची को जोर से जकड़ लिया और अपने दांतों को भींचने लगीं.
मुझे नीचे उनकी चुत में गर्म लावा फूटने का अहसास हुआ तो मैं समझ गया कि चाची का काम हो गया.
बड़ी चाची एकदम से निढाल पड़ गईं और तभी चुत चाटे जाने से छोटी चाची की चुत से भी पानी निकल गया.
हम तीनों ही मजा लेने लगे थे. मेरा लंड अभी भी खड़ा था. दवा का असर भरपूर था. मैं सोफे पर बैठ गया और छोटी चाची को ऊपर आने का बोला.
वो अपनी चुत को मेरे लंड पर रख कर अन्दर बाहर करने लगीं.
मैं तो पूरे जोश में था ही, तो मैंने फ़ुल स्पीड जल्दी पकड़ ली और लंड अन्दर बाहर करने लगा. मैं पास में बैठी बड़ी चाची को किस करने लगा.
दस मिनट की छोटी चाची की मेहनत के बाद मैंने कहा- आह चाची … मैं झड़ने वाला हूँ … माल कहां निकालूं?
चाची ने कहा- जरा रुक.
वो उठ कर लंड के सामने बैठ गईं और ‘यस यस यस … कम ऑन … शेक फ़ास्ट कम ऑन …’ बोलने लगीं. मैं उनके सामने खड़ा हो गया और लंड को तेजी से आगे पीछे करने लगा.
तभी तेज पिचकारियों के साथ मैंने चाची के मम्मों पर वीर्य की बौछार कर दी. उन दोनों के बड़े बड़े चूचे पूरी तरह से वीर्य से सन गए थे.
छोटी चाची मेरे वीर्य को उंगली से लेकर टेस्ट करने लगी और बोलीं- इसका टेस्ट तो बड़ा अच्छा है.
बड़ी ने भी वीर्य चखा और मेरे लंड को मुँह में लेकर उसका बचा हुआ रस भी खा लिया.
फिर हम तीनों साथ में नहाए. दोनों चाची मेरे गालों पर किस कर रही थीं और छोटी चाची कहने लगीं कि मेरे राजा तू तो लम्बी रेस का घोड़ा निकला. आज से हम दोनों तेरी गुलाम हो गईं.
फ़िर बड़ी चाची कहने लगीं- हां, आज से बाहर वाले सब लंड बंद … अब से बस तू ही हमारा परमानेंट चोदू हो गया.
ये कहते हुए दोनों ऐसे ही अगल बगल आ कर मेरे सीने के निप्पलों और पेट पर किस करके नहाने लगीं.
नहाने के बाद कमरे में आकर वो दोनों मेरे आजू बाजू लेट गईं.
मैंने बड़ी चाची से पूछा- आपने ये सब कहां से सीखा?
वे बोलीं- मेरी एक सहेली है, उसने ही ये सब बताया है.
फ़िर रात में एक बार हम तीनों ने फ़िर से सेक्स किया और सो गए. सवेरे जल्दी उठ कर छोटी चाची ने मुझे भी उठाया और अपने कमरे भेज दिया. क्योंकि अम्मी मेरे कमरे में मुझे रोज उठाने आती हैं. मुझे मेरे कमरे में नहीं देख कर उन्हें रात की बात पता चल सकती थी.
ये सब चार दिनों तक बिंदास चलता रहा.
फ़िर दोनों चाचा बंगलोर से वापस आ गए, तो चुदाई में ब्रेक लग गया. मगर जब भी हमें मौक़ा मिलता, हम तीनों खूब चुदाई करते.
दोनों चाची अब मेरे खाने पीने का कुछ ज्यादा ही ख्याल रखने लगी थीं और दोनों मुझे हर वक़्त अपने साथ रखने लगी थीं. उन्होंने मुझे अम्मी की चुदास के बारे में भी बताया था. मगर मैं अपनी अम्मी को चोदने की हिम्मत न कर सका.
दोस्तो, इधर साहिल की सेक्स कहानी खत्म हुई. उसने अपनी दोनों आंटियों को चोदने के बाद मुझे कई मेल किए, जिसके बाद मैंने वहां जाने का फैसला किया. वहां जाकर मैंने उसकी दोनों चाचियों की तीन दिन तक होटल में जम कर चुदाई की. वो भी मेरे लंड की मुरीद बन गईं.
फिर साहिल की अम्मी, उसकी चाचियों के लिए बड़ी समस्या थीं … जिसके लिए मैंने उनको सुझाव दिया कि अपनी अम्मी की भी किसी से सैटिंग करवा दो, तो उन तीनों ने मिल कर बड़ी चाची के बॉयफ्रेंड को साहिल की अम्मी के लिए पसंद कर लिया. मैंने उस लड़के को साहिल की अम्मी का बॉयफ्रेंड बनने में मदद की. अब वहां किसी तरह की कोई प्रॉब्लम नहीं है.
कुछ दिन बाद साहिल से बात हुई कि उसकी अम्मी को भी पता चल गया कि दोनों चाचियां उसके बेटे से ही चुदवाती हैं. उन्होंने ऐतराज जताया तो बड़ी चाची ने अम्मी को धमकाते हुए कहा कि आपने हमारे बारे में किसी से कुछ कहा, तो हम भी आपके बारे में बता देंगे.
ये सुनकर सभी ने चुप रहने का फैसला किया. साहिल की अम्मी ने भी कोई विरोध नहीं किया.
दोस्तो, ये आंटी हॉट सेक्स स्टोरी, पहली बार किसी और की है जो मैंने लिखी है. यह सेक्स कहानी आपको कैसी लगी, मेल करके जरूर बताना. मुझे इन्तजार रहेगा.
आपका अरमान
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