चूतिया बॉयफ्रेंड की शानदार गर्लफ्रेंड चोदी- 4

चूतिया बॉयफ्रेंड की शानदार गर्लफ्रेंड चोदी- 4

पार्क में मिली लड़की इतनी गर्म निकली कि वो जरा सी कोशिश में ही लंड के नीचे आ गयी. वो सेक्स के लिए इतनी पागल थी कि उसने दोबारा चुदाई का भी सोच लिया.

हॉट बुर हिंदी कहानी के पिछले भाग
कुँवारी कॉलेज गर्ल की शानदार चुदाई
में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने एक कुंवारी कॉलेज गर्ल की बुर का मजा लिया. उसे भी बहुत मजा आया.

अब आगे की हॉट बुर हिंदी कहानी:

मैं- प्रोग्राम कैसा रहा?
बिन्नी- ए-वन प्रोग्राम था.

मैं- फिर कब लोगी?
बिन्नी- कल संडे है पर कोई बहाना बना कर आती हूँ, 11.00 बजे तक आ जाऊंगी.
मैं- ओके, आ जाना, अब सो जाओ.

बिन्नी- कोशिश करती हूँ लेकिन आँखें बन्द करते ही दिन वाले प्रोग्राम की रील चल पड़ती है, कितना प्यार से … करते … हो आप.
हम एकदूसरे को गुड नाईट बोल कर सो गए.

अगले रोज़ सुबह 10.30 पर ही कमरे की बैल बजी.

मैंने दरवाजा खोला तो बिन्नी खड़ी थी.

उसे झट से हाथ पकड़ कर मैंने अंदर किया और बांहों में भर कर उठा लिया.
बिन्नी भी मुझसे बुरी तरह से लिपट गई.

उसने बहुत ही टाइट पैंट पहन रखी थी जिसमें से उसकी चूत साफ दिखाई दे रही थी. उसके ऊपर छोटा सा स्लीवलेस टॉप पहना था जो उसकी बड़ी बड़ी चूचियों के कारण पेट पर छतरी की तरह तना हुआ था.

बिन्नी ने अपने बालों को जुड़ा बनाकर बांधा हुआ था.

मैंने बिन्नी से पूछा- घर क्या बोलकर आई हो?
बिन्नी- मैंने मम्मी को बोला है कि सहेली के साथ थिएटर में 12 से 3 बजे की पिक्चर देखने जा रही हूँ.

मैं- इसका मतलब 3 बजे तक हम यहां शीशे में अपनी ब्लू फिल्म देखेंगें.
बिन्नी खुश हो गई.

मैंने कहा- कहाँ से शुरू करें, अभी मुझे कुछ नाश्ता बनाना है.
बिन्नी- आप बताओ?
मैं- ऐसे करो, एक तो सबसे पहले यह पैंट उतार दो.
बिन्नी ने अपनी पैंट उतार दी.

मैंने कहा- ये पैंटी भी कोई खास नहीं लग रही, इसे भी उतार दो.
बिन्नी- वह तो आप ही उतारो.

मैंने बिन्नी की पैंटी के इलास्टिक में हाथ डाला और पैंटी नीचे खिसका कर उसके पाँव में डाल दी.

बिन्नी ने आज चूत को बहुत ही सुंदर तरीके से शेव किया हुआ था.
उसने मेरा लोअर पकड़ा और नीचे सरका दिया. हम दोनों नीचे से बिल्कुल नंगे हो गए.

बिन्नी केवल टॉप में बहुत ही सेक्सी लग रही थी.

मैंने कहा- इसकी ब्रा भी निकालो.
बिन्नी ने अंदर से ही ब्रा खोलकर बाजू में से खींच कर निकाल दी.

मेरा लण्ड आकाश की ओर मुँह करके खड़ा हो चुका था.

मैं अच्छी तरह से समझ चुका था कि मेरा वास्ता काम के मोहपाश में बंधी एक अल्हड़ लड़की से हुआ है और इसकी वासना की आग को अच्छी तरह से शान्त नहीं किया गया तो यह जगह जगह जाने लगेगी, इसलिए मैंने बिन्नी की जबरदस्त तरीके से चुदाई करने का प्लान बनाया.

मैंने बिन्नी से कहा- अब चलो नाश्ता बनाते हैं.
बिन्नी- ग्रेट आइडिया, नंगे किचन में?

मैं और बिन्नी मेरी छोटी सी किचन में ऑमलेट बनाने चले गए.

किचन बहुत छोटी थी. बिन्नी आगे थी. बिन्नी ने जैसे ही एक रैक के ऊपर से पैन उतारने के लिए हाथ ऊपर किया तो मैंने अपना खड़ा लौड़ा बिन्नी के चूतड़ों में अड़ा दिया और पीछे से हाथ आगे करके उसके दोनों मम्मे पकड़ लिए.
बिन्नी- आ…ई… बहुत मज़ा आया.

उसने पैन को गैस पर रखा तो मैंने बिन्नी को गैस के स्लैब पर ही झुका लिया और पीछे से लौड़ा उसकी चूत में लगा कर उसकी जांघों को दोनों हाथों से पकड़ा और जोर लगाते हुए लौड़ा अंदर घुसेड़ दिया.

बिन्नी की मज़े में चीख निकल गई.
वो छोटे मोटे काम करती रही, लौड़ा चूत में अंदर बाहर होता रहा.

बहुत ही सेक्सी प्रोग्राम बन चुका था.

मैंने बिन्नी की गर्दन को थोड़ा झुकाया तो बिन्नी ने अपने बूब्स स्लैब पर रख लिए.

बिन्नी के गोल गुदाज़ चूतड़ बिल्कुल मेरे सामने आ गए और मैंने उसकी टांगों को थोड़ा खोलते हुए ताबड़ तोड़ चुदाई शुरू कर दी.

कुछ देर ऐसे ही चुदाई करने के बाद मैंने बिन्नी की दाहिनी टांग को ऊपर उठा कर स्लैब पर रख दिया.
ऐसा करने से बिन्नी की पकौड़ा सी चूत मेरे लण्ड के सामने आ गई और मैं बुरी तरह से उसकी चूत की ठुकाई करने लगा.

हर झटके पर बिन्नी का सिर दीवार से टकराने लगा और बिन्नी आह.. आह… आह.. आई.. आई.. करते हुए चुदने लगी.

मेरे एक तगड़े शॉट से बिन्नी का सिर जोर से दीवार से टकरा गया जिससे वो दर्द से चिल्ला उठी और खड़ी होने लगी.

मैंने बिन्नी को फिर से दबोच लिया और ठोकता रहा. चूत में से चपड़ चपड़ की आवाजें आती रहीं.
बिन्नी अपना सिर सहला रही थी.

मैं भी बिन्नी के सिर को सहलाने लगा तो बिन्नी बोली- कोई बात नहीं, मैं ठीक हूँ.

मैंने लौड़ा बाहर निकाला और बिन्नी को किचन के स्लैब के ऊपर बैठा दिया और उसके चूतड़ों को थोड़ा अपनी ओर खींचते हुए उसकी चूत को किनारे पर ला कर मोटा लण्ड अंदर पेल दिया.

बिन्नी को मैंने कंधों से पकड़ा और तेज तेज पिस्टन की तरह वहशी तरीके से लौड़ा चलाने लगा.

करीब 15 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद बिन्नी आ… आ.. करके मुझसे लिपट गई और हाँफते हुए बोली- मेरा हो गया है.

लेकिन मैं लगा रहा और उसे स्लैब पर ही लिटा कर उसकी टांगों को अपने कंधे पर रख कर चोदता रहा.

बिन्नी.. छोड़ो… छोड़ो.. कहती रही.
लेकिन मैंने उस पर कोई दया नहीं दिखाई और उसे ठोकता रहा.

चूँकि स्लैब की चौड़ाई कम थी इसलिए बिन्नी का सिर बार बार दीवार से टकराता रहा.

बिन्नी बार बार झड़ रही थी लेकिन मैंने अपना ध्यान चूत से हटाकर और कहीं लगा लिया था जिससे मेरा डिस्चार्ज का समय बढ़ गया था.

कुछ ही देर में बिन्नी दुबारा झड़ गई और मुझे हाँफते हुए पीछे धकेलने लगी और नाराज़गी दिखाने लगी.

मैंने अपना ध्यान संभोग खत्म करने पर लगाया और 15-20 जबरदस्त चूत फाड़ शॉट लगाकर वीर्य की पिचकारियाँ छोड़नी शुरू की.

मैंने आखरी के शॉटस में बिन्नी के चूतड़ों को खींच कर स्लैब से कुछ नीचे कर लिया और स्लैब की किनारी पर उसके चूतड़ों को अड़ा कर तेज शॉट्स लगाए जिससे मेरा लौड़ा बिन्नी की बच्चेदानी तक तोड़फोड़ मचा गया.

मैं खुद हैरान था कि मेरा लौड़ा उस दिन नसों के एक्स्ट्रा फूलने से बहुत ही बड़ा, मोटा और विकराल लग रहा था.

मैंने वीर्य की आँखरी बून्द तक बिन्नी की चूत की ठुकाई की.

कुछ देर उसकी चूत से चिपके रहने के बाद जैसे ही लौड़ा निकाला तो बिन्नी की चूत से लावा बह निकला और बिन्नी के चूतड़ों के छेद को भिगोते हुए स्लैब पर गिरता रहा.

मैंने देखा बिन्नी की चूत में बहुत देर तक एक बड़ा सा छेद दिखाई देता रहा जो बिन्नी के हिलने के बाद बन्द हुआ.

बिन्नी कभी मेरे लौड़े को देखती तो कभी झुककर अपनी चूत देखती.
फिर बोली- ये क्या था? ये तो आपने मुझे जबरदस्त तरह से चोद दिया.

मैंने पूछा- मजा आया या नहीं?
बिन्नी- मज़ा तो बहुत ही आया, मेरा तो सिर भी तोड़ दिया आपने.

बिन्नी मेरा सहारा लेते हुए नीचे उतर कर बाहर आई और वीर्य से सनी चूत और टांगों को बिना साफ किये ही बेड पर जाकर पसर गई और बहुत देर तक टाँगे चौड़ी करके नंगी पड़ी रही.

लगभग 10 मिनट बाद मैंने बिन्नी को कहा- तुम अब ऑमलेट बनाओ.

बिन्नी मुश्किल से उठकर बाथरूम गई और किचन में जाते हुए बोली- लगता है शरीर में जान ही नहीं रही, अंग अंग दुख रहा है, आपने तो मुझे तोड़कर रख दिया.

मैं साथ जाने लगा तो बिन्नी बोली- अब आप बाहर ही रहो, मैं आपका नाश्ता तैयार करती हूँ.
तो मैं बाहर आ कर सोफ़े पर बैठ गया और बिन्नी को किचन में नंगी इधर उधर घूमते हुए देखता रहा.

बिन्नी सेक्स की तोप लग रही थी. उसके स्वस्थ पट और गुदाज़ जाँघों ने मेरे दिल को बेईमान बनाये रखा.

लेकिन इस जबरदस्त चुदाई से मैं भी थक कर चूर हो चुका था, अतः मैं सोफ़े पर ही पसर गया.

कुछ देर बाद बिन्नी एक ट्रे में मेरे लिए नाश्ता ले आई. नीचे से नंगी, बिन्नी ने ट्रे उठा रखी थी. उसने पाँव में सैंडल पहन रखे थे.

मेरा दिल कर रहा था कि नाश्ते से पहले उसे बेड पर गिरा कर एक बार अच्छी तरह से और चोद दूँ.

जैसे तैसे हम दोनों ने नंगे ही नाश्ता किया.

मैं बिन्नी को ले कर बेड पर आ गया और बेड के सिरहाने बैठ कर मैंने बिन्नी को आधा अपने ऊपर खींच लिया और उसकी पीठ को सहलाने लगा.

मैंने बिन्नी से फिर पूछा- अब कैसा लग रहा है?
बिन्नी- अब कुछ ठीक लग रहा है, आपने तो आज जान ही निकाल दी थी. मेरी चूत को तो दो दिन में ही ‘बुलन्द दरवाज़ा’ बना दिया.

मैं- बिन्नी, तुम्हें एक बात बताऊं?
बिन्नी- हम्म!

मैं- अब तुम्हें दुनिया का हर लौड़ा छोटा लगेगा.
बिन्नी- क्या सबका इतना नहीं होता?
मैं- 90% लोगों का तो रोहन जैसा ही होता है और 9% का थोड़ा बड़ा होता है और लाखों में एक दो का मेरे जैसा मोटा और बड़ा होता है.

बिन्नी- आप तो कह रहे थे कि रोहन अभी जवान नहीं हुआ है?
मैं हँसते हुए बोला- और कब जवान होगा? मैं जब उस उम्र का था तो मेरा लण्ड इतना ही बड़ा और मोटा हो चुका था जितना आज है.

बिन्नी- तो फिर रोहन के बारे में आपने ऐसा क्यों कहा?
मैं- जब उसका शरीर और लण्ड है ही ऐसा तो क्या कहता? तुम्हारा दिल रखने के लिए कह दिया था.

बिन्नी- और उसकी बीवी ऐसे ही रहेगी?
मैं- नहीं, किसी मेरे जैसे से मिल लेगी तो उसका भी काम बन जायेगा, अब जरूरी थोड़े ही है कि जब तुम्हारी शादी होगी तो तुम्हारे हस्बैंड का मेरे जितना लण्ड हो?
बिन्नी- फिर?

मैं- अब तुम ये सब छोड़ो, मैं हूँ न तुम्हारे लिए, आओ, और मौज करो, शादी के बाद भी मैं तुम्हारे लिए तैयार मिलूँगा.
यह कह कर मैंने बिन्नी को नीचे लिटा लिया और उसका टॉप निकाल दिया.

टॉप निकालते ही मैंने देखा कि बिन्नी के बूब्स पर पहले दिन की चुदाई के समय मेरे काटने और चूसने के बहुत सारे लाल और नीले निशान पड़े थे.

बिन्नी- देखो, कल आपने इनका क्या हाल कर दिया था?
मैं- चुदते वक्त तुमने ही तो कहा था इन्हें चूसो.
बिन्नी शरमा गई.

मैंने बिन्नी की चूचियों को फिर चूसना और खाना शुरू किया.
बिन्नी ने भी मज़े से मेरा लौड़ा पकड़ लिया और चूत पर रगड़ने लगी.

मैंने बिन्नी से कहा- घोड़ी बनो, पीछे से चोदता हूँ.
बिन्नी- पीछे से मतलब?
मैंने कहा- चलो, बनो तो.

बिन्नी बेड पर घोड़ी बन गई.
मैंने देखा बिन्नी की भारी गाँड के बीच में से उसकी सुन्दर चूत बाहर निकल आई थी.

मैं बिन्नी के चूतड़ों और गाँड के छेद पर हाथ चलाने लगा.

मैंने बिन्नी की चूत के छेद पर अपना लौड़ा लगाया और उसकी जाँघों को कस कर पकड़ते हुए पूरा 8 इंच का लौड़ा गर्म चूत में उतार दिया.

बिन्नी ने मेरे आगे किसी तगड़ी घोड़ी की तरह गाँड निकाल रखी थी और मैं उसे पीछे से चोदने लगा.

धीरे धीरे लण्ड की स्पीड बढ़ती गई और बिन्नी मज़े से आह… आह… आई… आई … करने लगी.
मैं बिन्नी की गुदाज़ कमर पर हाथ फिराता रहा और चूत को चोदता रहा.

कभी मैं अपने हाथ आगे ले जाकर बिन्नी के बूब्स को पकड़ता तो कभी उसके बालों को पकड़ कर चोदता.

लगभग 5 मिनट की धका धक चुदाई के बाद बिन्नी ने कहा- थोड़ा तेज करो, मेरा होने वाला है.

मैंने बिन्नी की पलँग तोड़ चुदाई शुरू कर दी और हर शॉट में लण्ड को उसकी आधी कमर तक घुसेड़ने लगा.
बिन्नी की चूत से रस बाहर आने लगा था.

लगभग 10-15 तेज शॉट्स के बाद बिन्नी की चूत ने पानी छोड़ दिया और वह मेरे नीचे से निकलने की कोशिश करने लगी.
मैंने बिन्नी को उसकी जाँघों से कस कर पकड़ा और उसे ठोकता रहा.

आखिरकार मेरे लन्ड से वीर्य की पिचकारी चलनी शुरू हुई और मैंने सारा वीर्य बिन्नी की चूत में पम्प की तरह से भर दिया.

मैंने अपनी पकड़ ढीली की तो बिन्नी बेड पर पेट के बल पसर गई और साथ ही मैं भी चोदते चोदते उसके ऊपर पसर गया और दो तीन शॉट उसके लेटे लेटे ठोकते हुए उसके चूतड़ों और कमर पर पसर गया.

कुछ देर बाद मैं ऊपर से उठा और बिन्नी के साथ लेट गया.

बिन्नी भी मुश्किल से सीधी हुई और मेरे साथ मेरे बाजू पर सिर रखकर लेट गई.
वह पूरी तरह सन्तुष्ट हो गई थी.

3 बजने वाले थे.
बिन्नी- अब मैं जाऊं? तीन बजने वाले हैं.

मेरा भी चुदाई का कोटा पूरा हो चुका था इसलिए मैंने उसे जाने की इजाज़त दे दी.

दो दिन में मैंने बिन्नी को इतना चोदा कि बिन्नी कहने लगी- राज, अब मैंने कई दिनों तक नहीं चुदना है, मैं पूरी तरह से ऱज़ गई हूँ वैसे भी एक दो दिन में मेरी महावारी आने वाली है अतः मैं अब आपसे 5-6 दिन बाद मिलूँगी.

मैंने बिन्नी को किस किया, उसने कपड़े पहने और चली गई.

बिन्नी को मैंने लगभग दो साल तक दिल लगाकर चोदा.

मैं दूसरे शहर चला गया था और बिन्नी से बात होती रहती थी.

एक दिन उसने बताया कि घर वालों की दोस्ती की वजह से मेरी शादी रोहन से ही हो रही है.

मैंने उसे मुबारकबाद दी तो वह बोली- अपनी कही हुई बात याद रखना?
मैंने पूछा- कौन सी?
बिन्नी- रोहन के हथियार से मेरा क्या होगा? बीच बीच में आते रहना।

मैंने कहा- पक्का, जब कहोगी … आ जाऊंगा.

हॉट बुर हिंदी कहानी आपको कैसी लगी, मुझे मेल या डिस्कशन बॉक्स में अवश्य लिखें.

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