नमस्कार दोस्तो, मैं आदित्य मिश्रा अपनी जिंदगी की घटी एक चुदासी लड़की की सच्ची कहानी को आपके सामने लाने की कोशिश कर रहा हूं. मैं बिहार का रहने वाला हूं, उम्र 21 वर्ष है, रंग गोरा है तथा मैं 5 फुट 10 इंच लम्बे कद का हूं. मेरे लंड का साइज 7.1 इंच लंबा तथा 2.5 इंच मोटा है, जोकि सामान्यत: खड़े होने पर होता है.
आशा करता हूं कि यह मेरी आपबीती सुनकर आप लोगों को उतना ही आनन्द महसूस होगा, जितना कि मेरे मन में विचार मात्र से हो जाता है. आज मैं आप लोगों के समक्ष अपनी कहानी प्रस्तुत करके काफी गौरवान्वित भी महसूस कर रहा हूं.
यह बात उन दिनों की है, जब मैंने इंटरमीडिएट की परीक्षा दी थी. आज भी उस घटना को याद करके जेहन बिल्कुल तरोताजा हो जाता है.
सामान्यत: मैं घूमने का शौकीन नहीं हूं, लेकिन मेरे पक्के पांच दोस्तों के बार बार जिद करने पर प्लान बनाना पड़ा. हम लोगों ने नजदीकी आकर्षक स्थल को ही अपना केंद्र बनाया और पास के.. या यूं कहें कि 150 से 200 किलोमीटर की दूरी पर ही एक दर्शनीय स्थल पर जाने का मन बनाया. यूँ तो मेरे घर में किसी को मेरे जाने का ऐतराज नहीं था. बाकी मेरे रहने और खाने की चिंता उन्हें सता रही थी, तो मेरे दोस्तों के ये कहने पर ही कि उनके रिश्तेदार उसी जगह रहते हैं, किसी तरह की कोई समस्या नहीं रहेगी, घर वालों ने मुझे जाने की इजाजत दे दी.
अगली सुबह दिन सोमवार का आसमान बिल्कुल साफ था, सुबह के सूरज की लालिमा प्रायः रोज की तरह आज भी धरती पर बिल्कुल मद्धिम सी बिखर रही थी, जो मन को काफी आनंदित कर देने वाली थी. हालांकि लेटे रहने के मन होने के बावजूद मैं उठा और फ्रेश होने चला गया.
थोड़ी ही देर बाद मेरे दोस्त का कॉल आया कि चलना नहीं है आदित्य?
तब मेरी मन की तंद्रा टूटी, जो ख्वाबों में बार बार गोते लगा रहा था. क्योंकि मन में मानो विचारों की बाढ़ सी आ गई थी. नया जगह, नए लोग वहां का वातावरण और सबसे बड़ी बात कि यह मेरा पहला अनुभव था. बता दूँ कि हम पाचों दोस्तों में इतनी गहरी मित्रता है कि एक दूसरे के मन की बातों को बड़ी आसानी से भांप लेते हैं.. या यूं कहें कि उनके शब्द जुबान पर आने से पहले समझ लेते हैं. कभी कभी लगता है कि वाकयी यही दोस्ती है, जिसे मैं ईश्वर की सबसे बड़ी देन समझता हूं.
स्टेशन पर गाड़ी आने से आधे घंटे पहले ही हम लोग पहुंच चुके थे, मतलब हम लोग वक्त से पहले ही आ चुके थे.
हमारी किस्मत तो देखिए कि इतना खराब निकली कि जो ट्रेन हमेशा सही समय पर आ जाती थी.. आज एक घंटा लेट हो गई थी. मेरा मन बेचैन सा होने लगा और इंतजार तो मानो एक अजीब सा एहसास था.
लेकिन सहसा कुछ देर बाद मेरी नजर एक पास खड़ी खूबसूरत लड़की की ओर गई, जो अभी-अभी उस जगह पर आई थी. उसके साथ एक सूटकेस था, वह अपनी मां के साथ थी.
उसे यूं अचानक से मेरा देखना, उसको शायद अच्छा नहीं लगा होगा.. यह सोच कर मैंने अपनी नजरें फेर लीं. फिर एक बार बरबस उसकी तरफ निगाह चली गई.. फिर हटा लीं.
कुछ देर तक ऐसा ही सिलसिला चलता रहा. बाद में उसने एक गहरी सांस के साथ मेरी तरफ देखकर एक हल्की सी मुस्कान बिखेर दी, जो मेरे सुखद एहसास के लिए काफी थी.
आपसे बातों बातों में मैं तो उसका ज़िक्र करना ही भूल गया, उसकी वास्तविक उम्र लगभग 20 वर्ष रही होगी और फिगर 34-30-36 की थी, जो एक आकर्षक बदन के लिए पर्याप्त है. वो दिखने में काफी गोरी और खूबसूरत थी. उसके स्तन भी एकदम तने हुए थे. जो उसकी कद-काठी के हिसाब से बिल्कुल मस्त लग रहे थे. उसने जींस और टॉप पहन रखा था.
सीधे-सीधे बोलूँ तो वो एक परी जैसी लग रही थी. एक मर्द को और उससे ज्यादा चाहिए ही क्या.. जो उसकी भावनाओं के साथ साथ उसको दिलकश भी लगे.
तभी ट्रेन की सीटी ने अचानक ही मेरा ध्यान अपनी ओर खींचा, जो कहीं और एक हसीन ख्वाब में मगन होकर गोते लगा रहा था. अचानक उस पर से नजर हटा कर इधर-उधर देखा तो देखा कि काफी चहल पहल हो रही थी और सभी अपने सामान के साथ इधर-उधर भाग रहे थे.
किस्मत से जिस बोगी में हम लोगों को जाना था, वो बोगी ठीक सामने आकर रुकी. मैंने देखा कि वह परी सी लड़की, जिसका नाम प्रियंका था, जोकि बाद में मालूम हुआ था, उसी बोगी की तरफ आगे बढ़ रही थी. यह देख कर मन विचलित सा होने लगा था और धड़कनों का धड़कना तेज होने लगा.
खैर हम लोग भी बोगी में जाकर अपनी बर्थ पर बैठ गए. मैं जैसे ही सीट पर बैठा और नजरें उठाईं तो उसे देखा. वो भी तेजी से आते हुए अचानक मेरी बर्थ के सामने वाली सीट पर आकर बैठ गई. कुछ देर तक हम दोस्तों में काफी हंसी मजाक चलता रहा.
कुछ देर बाद उसकी मम्मी ने पूछा कि आप लोग परीक्षा देने जा रहे हैं?
तो मैंने बोला- नहीं आटीं.. हम सब घूमने जा रहे हैं.
फिर बातों ही बातों में पता चला कि वे लोग भी घूमने के लिए ही आए हुए थे. हम सभी को एक ही जगह घूमने जाना था. उनसे इधर उधर की बातें होने के बाद मैंने आंटी से पूछा कि आपके हसबैंड नहीं आए?
तो आंटी ने ‘ना..’ में सर हिलाया.
तभी उनकी बेटी ने बोला कि पापा को फुर्सत ही कहां रहती है.
तभी उसकी मां ने उसे चुप रहने का इशारा कर दिया.
तो मैंने भी बात को दूसरी तरफ मोड़ते हुए उससे पूछ लिया कि आप कौन सी कक्षा में हो?
तो उसने बताया कि 12वीं में हूँ.
बातों का सिलसिला आगे तक चलता रहा. अब तक हम लोग काफी घुल मिल गए थे और अब तो उसकी बेटी भी मुझ में इंटरेस्ट दिखाने लगी थी.
फिर जिधर हमें उतरना था, उधर ट्रेन रुकी तो सब लोग ट्रेन से उतर गए.
हम सभी लोगों ने साथ ही जाने का फैसला किया और ऑटो बुक कर ली. मैं ऑटो में आंटी के बगल वाली सीट पर ही बैठा. मेरे ठीक बगल में उनकी बेटी बैठी थी, उसके बाद आंटी थीं. मेरे दोस्त आगे और पीछे बैठ गए. ऑटो चल दी.
कुछ ही दूर बाद अचानक से एक मोड़ आने पर ऑटो एकदम से टर्न हुई और सामने से भी एक कार के आने से एकदम झटका सा लगा और इसी झटके के चलते मेरा हाथ प्रियंका के स्तन पर चला गया.. और एक अजीब से डर के चलते मैंने उसके दूध को दबा दिया.
पहले तो मुझे एकदम से डर सा लगा.. लेकिन उसने प्यारी सी स्माइल पास कर दी. मुझे समझते देर नहीं लगी कि वो चुदासी लड़की है और मेरे लिए क्या सोच रही है.
हम दोनों ने वहीं अपने फोन नंबर एक्सचेंज कर लिए. फिर इसके बाद हम लोगों ने काफी समय तक साथ में घूमने के बाद एक ही रेस्ट हाउस में रहने का विचार किया और हम दोस्तों ने दो कमरे और उन दोनों ने एक कमरा बुक कर लिए. मेरा कमरा आंटी के ठीक बगल वाले कमरे से सटा ही हुआ था.
दिन भर घूमने के बाद काफी थकान हो गई थी, सो सब लोग जल्द ही सो गए.
देर रात अचानक से 12:00 बजे मेरी नींद टूटी, तो मैंने देखा मेरे मोबाइल पर पांच मिसकॉल पड़ी हैं. एक कॉल तो एक मिनट पहले की ही थी. ये नंबर उसी प्रियंका का था, मैंने तुरंत कॉल बैक किया.
उसने बाहर आने को बोला, तो मैं बाहर आ गया और उससे कारण पूछा.
उसने बताया कि बस यूं ही.. मुझे नींद नहीं आ रही थी इसलिए बाहर हवा में चली आई.
मैं उसको देखने लगा.
उसने मुझसे मुस्कुरा कर पूछा कि तुम्हारी कोई जीएफ है?
तो मेरे ना में सिर हिलाने पर उसे थोड़ा अचरज हुआ.
लेकिन तुरंत मैंने यही सवाल उससे कर दिया कि तुम्हारा कोई ब्वॉयफ्रेंड है?
मेरे पूछने पर उसने बताया कि कैसे उसके ब्वॉयफ्रेंड ने उसे धोखा दिया. वो ये सब बात करते करते इमोशनल हो गई.. और मेरे गले से लग गई.
मुझे जब तक कुछ समझ में आता, तब तक उस चुदासी लड़की ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए.
इस अचानक से हुई हरकत के लिए मैं तैयार नहीं था, तो पहले तो मैं थोड़ा सहम गया.
फिर उसके पूछने पर कि क्या हुआ?
मैंने बताया कि यहां यह सब सही नहीं रहेगा.
थोड़ी ही देर में उसकी मां का कॉल आया कि कहां हो.
तो उसने वाशरूम जाने का बहाना बना दिया और बोली कि यहीं बाहर गार्डन में हूँ.. थोड़ा खुली हवा में अच्छा लग रहा है.. अभी आती हूँ.
उसकी मम्मी ने भी कह दिया कि ठीक है.. मैं सो रही हूँ, तुम आ जाना.
प्रियंका की बात से आईडिया आया कि क्यों ना हम लोग वॉशरूम ही चल कर आगे का काम करें.
रात काफी थी तो वाशरूम बिल्कुल खाली था और काफी सन्नाटा भी था. इससे अच्छी जगह हमें मिल ही नहीं सकती थी.
बिना समय गंवाए हम लोग वाशरूम की तरफ बढ़ने लगे. वहां पहुंचते ही सबसे पहले मैंने दरवाजा बंद किया और उसे दबोच लिया और एकदम जकड़ कर उसे चूमने लगा. वो भी मुझसे लता सी लिपट गई. हम दोनों के ही सब्र का बांध अब टूट चुका था. उसने भी बिना एक पल गंवाए मेरा पूरा साथ देते हुए मेरे लंड पर हाथ फेर दिया.
मैंने एक ही झटके में उसके टॉप को उतार दिया. उसने अन्दर में लाल रंग की ब्रा पहनी हुई थी, जो उसके गोरे रंग पर बहुत ही फब रही थी. मैं तो मानो उसे देख कर पागल ही हुआ जा रहा था. मैंने तुरंत उसके मम्मों पर हाथ रखकर उसके आमों को मसलने लगा.
फिर मैंने एक ही झटके में उसकी ब्रा को उसके शरीर से अलग कर दिया और उसके दोनों मम्मों को अपने होंठों में दबा कर बारी बारी से चूसने लगा. वो भी मस्त हो गई थी और मेरे सर पर हाथ फेर कर मुझे अपना दूध पिलाने में लग गई. मैंने उसे चूस चूसकर उसके मम्मों को लाल कर दिया. उसके मम्मों पर मेरे दांतों के काटे जाने के निशान काफी गहरे झलक रहे थे.
फिर उसने मेरा टी शर्ट उतार दिया और मुझे सभी जगह चूमने लगी. वो भी एक भूखी शेरनी की तरह मुझ पर झपट पड़ी. मैंने भी बिना देरी किए उसकी जींस उतार दी. उसने जींस के अन्दर भी लाल कलर की ही पैंटी पहनी हुई थी, जोकि एक बहुत ही पतली सी थी. कहने को तो वह पैंटी थी, लेकिन इससे सिर्फ उसकी चूत ही ढकी हुई थी, बाकी सभी कुछ दिख रहा था.
फिर मैंने उसकी गांड को अपने हाथों से मसलना चालू किया.. उसके चूतड़ काफी मुलायम और गद्देदार लग रहे थे. आज तो मैं मानो सातवें आसमान पर था और जन्नत की सैर कर रहा था. उसने भी मेरी जींस को मुझसे अलग कर दिया. जल्द ही वो मेरा लौड़ा अपने हाथों में लेकर खेलने लगी. मैं भी उसकी पैंटी के अन्दर अपनी उंगली डाल कर उसकी चुत में डालने लगा. वह काफी गर्म-गर्म सिसकारियां भरने लगी.
कुछ ही देर में मैंने अपनी उंगली में गीला गीला सा महसूस किया, जो उसकी चुत से निकल रहा था. उसने भी झट से बैठ कर मेरा लौड़ा अपने मुँह में ले लिया. वो एक प्रोफेशनल रंडी की तरह मेरा लंड चूसने लगी. शायद उसे यह अनुभव अपने ब्वॉयफ्रेंड से मिला होगा.
यह सोचकर मैं काफी आनंदित हो उठा. सच कहूं तो मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि यह सब मेरे साथ घटित हो रहा है.
कुछ ही देर में हम दोनों हवस की चरम सीमा पर पहुंच गये थे. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैंने तुरंत उसे एक झटके में खुद से अलग करके उसको घोड़ी बनने को बोला, लेकिन वह घोड़ी बनने को तैयार नहीं हुई क्योंकि उसे दूसरी पोजीशन में चुदवाना था.
वह नीचे फर्श पर लेट गई और मैंने उसके ऊपर आकर उसके दोनों पांवों को हवा में उठा कर अपना लौड़ा उसकी चुत में डाल दिया. दर्द होने के कारण वह काफी तेज स्वर में सिसकारियां ले रही थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
तो मैंने उसे ज्यादा आवाज करने से मना कर दिया. हालांकि वो चुदी हुई थी इसलिए वह दर्द को बर्दाश्त भी कर रही थी, उसे ज्यादा दर्द हो भी नहीं रहा था.
कुछ ही पल बाद वो सामान्य हो गई. अब धकापेल चुदाई की स्थिति बन गई थी.
उसने तो इससे पहले भी बहुत बार सेक्स किया हुआ था.. लेकिन यह मेरा पहला अनुभव था और मैं इसे कभी भुला नहीं सकता था.
अब मैंने भी काफी तेजी से धक्का देना चालू कर दिया और इसका नतीजा यह निकला कि मैं काफी जल्दी ही झड़ गया. फिर उसने झट से में मेरे लंड को अपने मुँह से चूस कर साफ किया और फिर से मेरा लौड़ा एक बार पेलने के लिए तैयार कर दिया.
इस वक्त हम दोनों को चुदास चढ़ी थी.. लेकिन एक फोन आ जाने से काफी गुस्सा आ गया. उसका फोन बज उठा था और ये उसकी मां का कॉल था.
उसकी मां ने पूछा- अभी तक कहां हो?
तो फिर उसने बताया कि बस अभी आई.
फिर से मैंने उसी पोजीशन में 5 मिनट तक फिर से सेक्स किया और फिर से एक बार मेरा लौड़ा झड़ गया. उसने मेरे लौड़े को साफ करके बोला कि अब मुझे जाना होगा.. नहीं तो मां को शक हो जाएगा.
उसने जल्दी से अपने कपड़े पहने और मैंने भी अपने कपड़े पहन लिए. फिर हम दोनों ने एक दूसरे को किस किया. उसके बाद वह चली गई.
फिर सुबह जब मैंने आंटी को जाते हुए देखा.. हालांकि हम लोग भी जाने ही वाले थे.
मैंने आंटी को बोला- आज आप लोग कहां घूमने जा रहे हैं?
तो उन्होंने बताया- बेटा, हम लोग दिल्ली से आए थे.. अब घूमना हो गया और अब हम लोग वापस दिल्ली जा रहे हैं.
दोस्तों मैं उनकी बात सुनकर मानो आसमान से जमीन पर गिर पड़ा कि वह दिल्ली की रहने वाली थी और मैं बिहार का रहने वाला निरा देहाती ठहरा था. इतनी बात करने के बाद मैंने अब तक उससे ये पूछा ही नहीं था कि वो किधर से है. हम दोनों के रास्ते अलग अलग थे, इसलिए हमें अलग होना पड़ा.
वह अपनी मम्मी के साथ दिल्ली चली गई और मैं वापस बिहार आ गया.
अब तो दोस्तो, कभी कभी उससे ऐसे ही बातें हो जाया करती हैं.. और हम दोनों उस पुराने दिन को काफी याद करते हैं.
अब तो उसका नया ब्वॉयफ्रेंड भी बन गया है. वह मुझसे बात भी नहीं करती.. या यूं कहें कि अब हम लोग कुछ दिनों से सम्पर्क में नहीं हैं.
दोस्तो, अगर कहीं मुझसे गलती हो गई हो.. तो उसके लिए माफी चाहूंगा. आप सभी आंटियों भाभियों एवं लड़कियों तथा हमारे प्रिय दोस्तों से निवेदन है कि आप सभी अपने सुझाव मुझे ईमेल करके भेजें ताकि मुझे और कहानी लिखने की प्रेरणा मिल सके. कैसी लगी आपको यह चुदासी लड़की की कहानी? बताइएगा जरूर.. शुक्रिया. आपके जवाब का इंतजार रहेगा. दोस्तों मेरा ईमेल आईडी है [email protected]