चुदासी भाभी नादान देवर

चुदासी भाभी नादान देवर

दोस्तो, मैं आपकी अपनी सहेली माया… आज मैं आपको अपनी एक और करतूत के बारे में बताने जा रही हूँ।

दरअसल जब काम की आग लगती है न, चाहे चूत में लगे या लंड में फिर और कुछ नहीं दिखता, फिर बस एक ही इच्छा होती है कि किसी तरह काम की अगन शांत हो, चाहे इसके लिए कुछ भी क्यों न करना पड़े।

ऐसा ही एक बार मेरे साथ हुआ, जब मैंने अपने ही छोटे देवर को पहली बार संभोग सुख दिया।
तो पढ़िये और मजा कीजिये।

मेरी शादी को 3 साल हो चुके थे, अभी हमारी अपनी प्लानिंग थी कि अभी बच्चा नहीं करेंगे, इसलिए हम दोनों पति पत्नी पूरी एहतियात रखते थे और अपनी कामुक ज़िंदगी का भरपूर मजा लेते थे।

एक दिन दोपहर को मैं खाना खा कर आराम कर रही थी, मगर पता नहीं क्यों दिल में सेक्स करने का विचार आया, और बहुत ज़बरदस्त आया।
पहले मैंने सोचा कि शाम को पतिदेव ने घर आ ही जाना है, तो शाम तक इंतज़ार कर लेती हूँ, मगर चूत ने पानी छोड़ छोड़ कर मेरी पेंटी गीली कर दी। बहुत खुजली उठी, मैंने अपनी चूत को सहलाया भी, यह भी सोचा कि कुछ अन्दर लेकर अपनी आग ठंडी करूँ, एक बार सोचा कि अपनी नंगी की वीडियो बनाती हूँ।

इसलिए मैंने अपना मोबाइल में वीडियो रिकॉर्डिंग ऑन कर के अपना मोबाइल अपनी अलमारी के ऊपर रखा और फिर से लेट गई।
फिर अपनी सलवार के अंदर उंगली डाल कर अपनी चूत को सहलाया, मगर चूत तो सिर्फ लंड ही चाह रही थी, मजबूत, खड़ा हुआ लंड तो मगर उंगली से मेरा मन नहीं भर रहा था।

लेटी लेटी सोच रही थी, तभी मेरा देवर अंदर आया। उसे अपनी इक्नोमिक्स में कुछ समझना था। वो मेरे पास ही बेड पर बैठ गया।
उसे समझाते समझाते मैंने सोचा, किशोर नौजवान है, अब तो इसकी लुल्ली भी लंड बन चुकी होगी, अगर यह मुझे चोदे तो मजा न आ जाए!
यह सोचते ही मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए… मेरे दिल ने फैसला कर लिया, या तो मैं इससे अभी चुदूंगी, अगर इसने ना भी चोदा तो मैंने इसे चोद देना है।

मैंने उस से पूछा- सुन तेरी कोई गर्ल फ्रेंड है?
वो बोला- नहीं भाभी!
मैंने फिर पूछा- मतलब इतना बड़ा हो गया, अभी तक कुछ भी नहीं किया?
वो शर्मा गया।

मैंने कहा- अरे शरमाता क्यों है, मैं तेरी भाभी हूँ, भाभी से कुछ छुपाते थोड़े हैं, दोस्तों की तरह सब बता देते हैं। बोल न… कभी कुछ किया है या नहीं?
उसने ना में सर हिला कर कहा- नहीं भाभी, कुछ नहीं किया।

मैंने फिर पूछा- तो क्या हाथ से करते हो?
वो और शर्मा गया।
मैंने उसे समझाया- पागल हो क्या जो हाथ से करते हो, बेवकूफ इस से कमजोरी आ जाएगी, हाथ से मत किया कर!
वो बोला- हाथ से न करूँ तो फिर कैसे करूँ?

उसका फेंका पत्ता मेरे काम आ गया, मैंने कहा- तो मुझसे बोल, मैंने तेरी मदद कर देती!
वो एक दम से बोला- अरे नहीं, आप तो मेरी भाभी हो, आपको मैं उस नज़र से नहीं देख सकता।

मैंने सोचा, माया अगर ये तेरे हाथ से निकल गया तो फिर इस वक़्त तुझे लंड नहीं मिलने वाला, मैंने उसे कहा- तो देखने को कौन कह रहा है, तेरी आँख पे पट्टी बांध देती हूँ।

मैंने उसकी आँखों में देखा, शायद उसके मन में भी उथल पुथल चल रही थी।
मैंने पास ही पड़े अपने एक स्कार्फ को उठाया और उसकी आँखों पर बांध दिया।
‘अब ठीक है?’ मैंने उससे पूछा- अब तो भाभी नहीं दिख रही है न?
वो बोला- नहीं अब आप नहीं दिख रही हो!

बस मैंने तभी उसको कंधों से धकेल कर उसे बेड पे गिरा दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गई, पहले तो कस कर उसे अपनी बाहों में भरा, फिर उसके होंठों पे अपने होंठ रख दिये, और चूस गई उसके होंठों को!
मैंने अपना पूरा शरीर उसके बदन से चिपका दिया और अपनी चूत को उसके लंड पे रगड़ने लगी। उसने भी मुझे अपनी बाहों में कस लिया और वो भी चूमा चाटी में मेरे साथ देने लगा।

मैंने उसके दोनों हाथ पकड़े और अपने दोनों बोबे उसके हाथों पे पकड़ा कर दबा दिये, उसे बताया- इनको जितना दबाओगे, भाभी को उतना मजा आएगा।
वो मेरे चूचे दबाने लगा तो मैंने उठ गई, सबसे पहले मैंने अपनी कमीज़ उतारी, फिर ब्रा, और फिर सलवार भी उतार दी, चड्डी मैंने पहनी ही नहीं थी।
पूरी नंगी हो कर मैं फिर उसके ऊपर लेट गई और फिर से उसको अपनी चूचे पकड़ाये, उसने मेरे चूचे भी दबाये, मेरे निप्पल भी मसले, मैंने खुद अपने बोबे बारी बारी से उसके मुँह में दिये, जिन्हें उसने बड़ा मजा लेकर चूसा, वो बोबा चूसता तो मेरी चूत में और खलबली होती।
थोड़ी सी चुसवाई के बाद मैंने उसके भी कपड़े खोले, शर्ट और पैंट उतार दी मगर चड्डी नहीं उतारी, हाँ, चड्डी के अंदर से उसका तना हुआ लंड साफ देखा जा सकता था।

पहले मैं उसके ऊपर लेट गई, उसके होंठ चूसे, उसको अपने बोबे चुसवाए और फिर खुद नीचे होकर उसकी सपाट छाती को भी चूसा। अपने सुलगते बदन को मैं उसके बदन से रगड़ कर शांत कर रही थी।

उसके छाती चूसने के बाद मैं थोड़ा नीचे को गई, पहले उसकी चड्डी के ऊपर से ही उसका लंड पकड़ कर देखा और फिर उसकी चड्डी नीचे को खींची तो उसका तना हुआ लंड एक झटके से बाहर आया।

आह, 6 इंच का एक लंबा मोटा, मजबूत लंड!
मैंने पहले उसे अपने हाथ में पकड़ा, चूमा तो मेरे होंठों पे एक बाल लग गया। मैंने साइड में मुँह करके पहले थूका, और फिर भूखी शेरनी की तरह उस लंड पर टूट पड़ी।
पहले दो बार उसके लंड का टोपा चूमा, और फिर अपने मुँह में ले लिया।

लाजवाब बढ़िया नमकीन स्वाद मेरे मुँह में आया… मुझे लंड का स्वाद बहुत पसंद है, खूब मजा लेकर मैंने उसका लंड चूसा, और वो बेचारा अपनी सांस खींचे लेटा रहा।

मगर मेरी चूत की आग बहुत भड़क चुकी थी तो बिना और समय गँवाए, मैं साइड से उठ कर अपने देवर के ऊपर आई और उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत पर रखा और थोड़ा सा नीचे को बैठी तो उसके लंड का टोपा मेरी चूत में घुस गया।
आह… बड़ा मजा सा आया!

चाहे आप अपनी चूत में कुछ भी ले लो, गाजर, मूली, खीरा या डिल्डो, मगर जो आनन्द पुरुष के तने हुये लंड में है वो मजा कोई भी नकली चीज़ नहीं दे सकती।

मेरे बैठने से उसके लंड पर दबाव पड़ा तो वो थोड़ा सा उचका, मगर मैंने फिर से अपनी चूत को उसके लंड पर सेट किया और फिर से बैठी, 2-3 बार ऊपर नीचे उठने बैठने से उसका लंड मेरी चूत में सेट हो गया।
मैं आराम आराम से दो तीन बार ऊपर नीचे हुई तो उसका लंड मेरी पानी से लबरेज चूत में घुसता चला गया।

जब पूरा लंड अंदर घुस गया, तो मैं उस पर झुक गई, और उसके चेहरे, गालों, थोड़ी और होंठों पर चूमती रही और अपनी कमर ऊपर नीचे उठा कर उसके लंड को चोदती रही।
सच में मेरी चूत में इतनी खलबली मची थी कि मुझे लग रहा था कि मैं ज़्यादा देर टिक नहीं पाऊँगी। जैसे ही उसका लंड मैं अंदर लेती, मेरी चूत भर भर के पानी छोड़ती।

मेरा देवर नीचे लेटा था, आँखों पर पट्टी बंधी थी, वो मेरे नंगे बदन को देख नहीं सकता था, मगर कभी कभी मेरे बोबों को हाथ से छू कर मजा ले लेता था।

मैंने आगे झुक कर खुद अपने बूब्स उसके मुँह को लगाए जिनहे उसने चूसा, बिलकुल जैसे कोई छोटा बच्चा अपनी माँ की चुची पीता है, मगर उसने कोई दाँत से नहीं काटा।

मैं बार बार उसके चेहरे को चूम रही थी, मेरे दोनों बोबे उसके सीने पे झूल रहे थे जिससे उसके सीने और मेरे बोबों में झुंझुनाहट हो रही थी। मेरी सांस उखड़ रही थी, अपनी कमर चला कर मैं जैसे जैसे उसका लंड अपनी चूत में ले रही थी, तो मेरे मुँह से सिर्फ ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ ही निकल रही थी।

बस 2 मिनट और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया, मैं झड़ गई।
मगर मेरी प्यास नहीं मिटी। अपना पानी गिराने के बाद मैं उसके लंड को अपनी चूत से निकाल कर नीचे उतरी। उसका लंड अभी भी
पूरी तरह से तना था, मैंने उसका लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। कभी लंड, कभी आँड, कभी आस पास, चूम कर चाट कर मैं उसको तड़पा रही थी।

बस 2 मिनट ही चूसा होगा कि उसका लंड पानी छोड़ गया। उसका वीर्य निकलते ही मैंने उसका लंड चाट चाट कर उसका माल खाना शुरू कर दिया… पूरा माल पी गई मैं उसका!

वो भी शांत हो कर लेट गया, मैं फिर से उसके ऊपर लेट गई।
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मैंने उसकी आँखों से पट्टी हटाई, उसने मेरी आँखों में देखा, मैंने पूछा- मजा आया?
वो बोला- बहुत!
मैंने पूछा- जब हाथ से करते हो, तब भी ऐसा ही मजा आता है क्या?
वो बोला- नहीं भाभी, यह मजा तो सारी दुनिया से अलग है।

मैंने कहा- तो अब अगर फिर तुम्हारा दिल करे तो क्या करोगे?
वो बोला- आपसे ही कहूँगा।
मैंने उसके होंठों को चूमा तो वो बोला- भाभी आपको नंगी देखना है!
मैंने कहा- तुम्हारे ऊपर नंगी ही तो लेटी हूँ।

उसने मुझे अपनी बगल में लेटा दिया और बैठ कर मेरे नंगे बदन को देखने लगा।
‘क्या देख रहे हो?’ मैंने पूछा।
वो बोला- आज पहली बार किसी औरत को नंगी देखा है, क्या मैं एक बार और आपसे सेक्स कर सकता हूँ?
मैंने कहा- मर्दो की तरह बोलो!

वो बोला- ए सुन, चुदवाएगी क्या, अपने यार का लंड लेगी अपनी भोंसड़े में?
मैं उसकी बात सुन कर हंस पड़ी और बोली- हाँ, अपना लंड खड़ा कर और डाल दे अंदर!

वो बहुत खुश हुआ और छलांग मार कर मेरे ऊपर आ लेटा।
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